ताऊ पहेली - 59

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 59 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.


विनम्र विवेदन


कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है.


यह कौन सी जगह है?


ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे


अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.

जरुरी सूचना:-


टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.


इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा



नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

नदी में उगा एक शहर- वेनिस!! : उडनतश्तरी

आज की यह अतिथि पोस्ट श्री समीर लाल "समीर" की है. बहुत आभार!


श्री समीर लाल "समीर"



प्रकृति की अनुपम खूबसूरत कलाकृति-इटली का सांस्कृतिक एवं व्यापारिक केंद्र-वेनिस.

पूरा शहर सड़को की बजाय जल मार्गों से जुड़ा है और परिवहन का मुख्य साधन नाव है जिसे गंडोला कहा जाता है. अपने आप में अनूठे शहर की खूबसूरती और यहाँ की विश्व प्रसिद्ध नौकायान दौड़ ’रैगाटा’ हजारों पर्यटकों को हर वर्ष लुभाती है.

वैनिस का एतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व का मुख्य पर्व ’कार्निवाल’, जो ५ अक्टूबर से प्रारंभ हो क्रिसमस तक चलता है, शहर के ’सेंट मार्क स्कायर’ पर हर वर्ष मनाया जाता है. पूरा शहर इस त्यौहार के रंग में डूबा रहता है और देश विदेश से पर्यटक इस पर्व का आनन्द लेने आते हैं. धार्मिक पर्वों मे ’सेनसा का रेनडेनटोर’ की बहुत मान्यता है.

शहर में अनेक एतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व के संग्रहालय हैं जिनमें से ’अकादमिया गैलरी’ के छाया चित्र बहुत महत्वपूर्ण हैं, जहाँ अठाहरवीं शताब्दी के कलाचित्र संग्रहित हैं.

यात्रियों की सुविधा के लिए यहाँ ग्रैंड कनाल पर ’रीयाल्टो पुल’ से शहर का बहुत सुन्दर दृष्य दिखता है.

यहाँ पर रहने वाले स्थानीय लोग मुख्यतः ईसाई धर्म को मानने वाले हैं. वैनिस का ’सेंटा मारिया गिरजाघर’ भव्यता एवं बेहतरीन शिल्प का अद्भुत नमूना है.

पर्यटन स्थलों में ’स्काला कॉट्रावीनी बोवोलो महल’, जिसके अनगिनत वृतखण्ड एवं सीढ़ियों की भव्यता पर्यटकों को आकर्षित करती है.

’वैनीशियल आर्सनल’ वैनिस का प्रमुख बन्दरगाह है और प्राचीनकाल में जलसेना का केन्द्र था.

विभिन्न प्रकार के पिज्ज़ा एवं पास्ता यहाँ के प्रमुख व्यंजन हैं एवं मुख्य भाषायें ’वेनीशीयन एवं स्पेनिश’ हैं.

मौसम के हिसाब से वेनिस घूमने के लिए नवम्बर से लेकर जनवरी तक का समय सबसे अच्छा है.



नदी में उगा एक शहर- वेनिस!!
अथाह जल राशि
और
उनके बीच ऊग आया
एक शहर..

ऐसा शहर
जिसमें मकान हैं
बाजार हैं
दफ्तर हैं
लोग हैं..

बस नहीं है
तो इन सबको
आपस मे जोड़ती
उलझती, बल खाती
रिश्ते निर्धारित करती
काली काली सड़के..

उनको जोड़ता है
यह तरल तार..
मद्धम थमा हुआ..
जिसका अपना कोई रंग नहीं..

चेहरे पर मुस्कराहट लिए..
रात चाँद उतरता है
इस शहर में..
सड़कों वाले शहरों से
ज्यादा गहरा..
और
सुबह को
छोड़ जाता है
अपनी शीतलता
दिन गुजारने को..

बिल्कुल उन रिश्तों सा
जिनमें उथल पुथल नहीं होती..
एक शांत और सौम्य
अहसास का रिश्ता!!

एक गीत हवा में घोलता-
’ओ मोरे मिओ..’

कितना कोमल है
इस विराट शहर का स्वरुप!!
कितना भिन्न!!
कितना आलोकिक!


आभार : श्री समीर लाल "समीर"

ताऊ पहेली - 58 : विजेता श्री प्रकाश गोविंद

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली - 58 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है : चंडीगढ़ युद्ध स्मारक.

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है. आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.


ऐसा सुना और कहा गया है.'जो देश अपने शहीदों को भूल जाता है उस देश की प्रगति संभव नहीं है '.

'युद्ध स्मारक' बनवाए जाते हैं अपने देश के शहीदों के प्रति सम्मान और आभार दर्शाने हेतु.आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाते रहने के लिए की यह देश हमेशा उन वीर शहीदों का ऋणी रहेगा जिनके बलिदान के कारण आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं.

इस बार पहेली में इस स्थान को पूछने का अभिप्राय ही यही था की मैं इस बात को सामने ला सकूँ जो शायद बहुतों को मालूम नहीं है, १९४७ के बाद अब तक हमारे देश ने चार युद्ध लड़े[पाकिस्तान के साथ ( 1965 and 1971,1999 )और चीन के साथ ( 1962)] ,इन में मारे गए पचास हजार सैनिकों की याद में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सेना अध्यक्षों द्वारा समय समय पर लाया गया.लेकिन बहुत ही अफ़सोस के साथ आज मुझे यह कहना पड़ रहा है की आजादी के ६ दशक बाद भी हमारी केंद्र सरकार ऐसा कोई भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनवा पाई.

कल २६ तारीख है शुभकामनायें और बधाई के साथ बस एक और दिन ओपचारिक्तायें निभायी जायेंगी ,बस!
हम में से बहुत से यह कहेंगे की आप कैसे कह रहे हैं की कोई युद्ध स्मारक नहीं है?इंडिया गेट है न ..तो उनकी जानकारी के लिए बता देती हूँ की ब्रिटिश सरकार ने अपने राज में इस ढांचे को बनवाया , जिसे हम इंडिया गेट कहते हैं और यह उन 80,000 से अधिक शहीदों की याद में बनवाया गया था जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध में मारे गए थे.
स्‍वतंत्रता के बाद इसी इंडिया गेट के बेस पर एक अन्‍य स्‍मारक बनवा दिया जिस पर अमर जवान ज्‍योति है,यहां निरंतर एक ज्‍वाला जलती है जो उन अंजान सैनिकों की याद में है जिन्‍होंने इस राष्‍ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था.यही स्मारक हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है.

प्रश्न यह है कि अंग्रेज अपने राज में इतना भव्य स्मारक बनवा गए और आज हम तकनीक और आर्थिक दृष्टि से सपन्न होते हुए भी ऐसा कोई एक प्रतीक क्यों नहीं बनवा सके जहाँ शहीदों की याद में दो फूल चढ़ाये जा सकें!

कम से कम सरकार दूसरे देशों से ही सबक ले उदहारण के तौर पर छोटे बड़े देशों --कैनबरा, ओटावा, वेलिंगटन, स्काटलैंड और टोक्यो सभी स्थानों पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है,हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के यादगार स्वरूप स्मारक बनवाया गया है और अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में न्यूयॉर्क में भी एक स्मारक बनाया गया है!बर्मा का युद्ध स्मारक तो शायद सबसे बड़ा माना जाता है[?].और तो और भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन करने वाले ब्रिटेन ने भारत पर शासन के दौरान प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध समेत अन्य युद्धों में शहीद और लापता भारतीय सैनिकों की याद में लंदन के हाइड पार्क और बर्मिंघम पैलेस के समीप कंस्टीच्यूशन हिल पर एक युद्ध स्मारक बनवाया है!

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले 1960 की शुरुआत में रखा गया था. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद फिर यह मुद्दा सामने आया और कुछ समय बाद फिर मामला ठन्डे बस्ते में!

1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बार फिर इसकी चर्चा हुई,और आज फिर सेना अध्यक्ष और रक्षा मंत्री द्वारा इस प्रस्ताव को अमल में लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.यहाँ तक की रक्षा मंत्री एंटनी ने प्रधानमंत्री से भी निवेदन किया है वे हस्तक्षेप करें.देखते हैं कब इस पर काम शुरू होता है?

पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कादयान के अनुसार यह युद्ध स्मारक राजधानी दिल्ली के प्रमुख स्थल पर होना चाहिए और इस दिशा में ‘इंडिया गेट’ सबसे उपयुक्त स्थल है,कुछ स्थापत्यकारों ने हालाँकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए धौला कुआँ और राजघाट के पास स्थान तलाशने का भी प्रस्ताव किया है.सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दीपक कपूर ने भी इंडिया गेट पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने के प्रस्ताव का हाल में समर्थन किया था.लेकिन देखीये दिल्ली शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली शहरी कला आयोग ने इस प्रस्ताव का विरोध किया की इस से इंडिया गेट की खूबसूरती पर बुरा असर पड़ेगा!

प्रस्तावित योजना के तहत -:

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाइन और नक्शा तैयार करने का दायित्व स्थापत्यकार चार्ल्स कोरिया को सौंपा गया है.यह युद्ध स्मारक द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता के बाद से भारत ने जिन युद्धों में हिस्सा लिया, उनमें शामिल हुए हजारों भारतीय सैनिकों के बलिदान की याद में बना पहला स्मारक होगा.

इस के डिजाइन में एक श्रद्धांजलि कक्ष और सैन्य बल संग्रहालय के साथ लगभग 50 हजार शहीद सैनिकों का नाम दर्ज कराने के लिए स्तम्भों से घिरी दीवार के निर्माण की बात कही गई है, यह स्मारक इंडिया गेट पर प्रिंसेस पार्क और जोधपुर होस्टल के बीच होगा तथा तीनों को ‘भूमिगत पारपथ’ से जोड़ा जाएगा.

ताज़ा जानकारी के अनुसार-

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने ज़मीन आवंटन सम्बन्धी समस्या का समाधान निकालने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया है.

इस समूह की अध्यक्षता वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी कर रहे हैं, जबकि इसके अन्य सदस्य रक्षामंत्री एके एंटनी और शहरी विकास मंत्री एस. जयपाल रेड्डी हैं.

योजना बने हुए ४ दशक तो हो गए ....देखते हैं की और कितने वर्षों में इस योजना को रूप दिया जायेगा!

अब चलते हैं उस समारक की और जिसका चित्र हमने पहेली में आप को दिखाया था.

Chandigarh War Memorial

चंडीगढ़ युद्ध स्मारक

वह युद्ध स्मारक चण्डीगढ़ के सेक्टर ३ में बोगेनविलिया बाग़ में स्थित है.
यह इंडियन एक्सप्रेस समूह की पहल का परिणाम है की आज देश का सब से बड़ा [संभवत]युद्ध समारक हमारे सामने है.इंडियन एक्सप्रेस समूह की इस पहल में पंजाब ,हरियाणा ,भारतीय सेना,और पूरे भारत से अनुदान कर्ताओं का पूरा सहयोग मिला.

लेफ्टिनेंट जेनरल [retd] ज.ऍफ़.आर. जेकब ने इसे एक 'शानदार यादगार 'बताते हुए इस की योजना बनायी थी और अप्रैल २८,२००४ को इसकी आधारशिला रखी.और १७ अगस्त ,२००६ को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने इस २२.५ फुट ऊँचे खूबसूरत स्मारक का उद्घाटन करते हुए इसे देश को समर्पित किया.

The Punjab Governor and Administrator, Union Territory, Chandigarh, Gen. (Retd.) S.F. Rodrigues, PVSM VSM, observing two-minute silence in memory of the Father of the Nation, Mahatma Gandhi and other martyrs who sacrificed their lives for protecting the unity and integrity of the Country, at Chandigarh War Memorial, in Bougainvillea Garden, Chandigarh on Wednesday, January 30, 2008


चंडीगढ़ युद्ध स्मारक में लगे काले Granite पर हिमाचल प्रदेश ,पंजाब ,हरयाणा और संघीय प्रदेश चंडीगढ़ के उन ८४५९ वीर सपूतों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हैं जो १९४७ के बाद के 4 [कारगिल समेत] युद्धों में शहीद हुए थे.इंडियन एक्सप्रेस समूह ने एक बड़ी अनुदान राशी इन शहीदों के जरूरतमंद परिवार को भी सहायतार्थ दी.

इस की डिजाईन के लिए Chandigarh College of Architecture (CCA) के छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिस में नानकी सिंह और शिवानी गुगलानी के डिजाईन चुने गए थे.

युवा आर्किटेक्ट श्री शम्स एस शैख़ ने इस समारक के डिजाईन को बनाया और अंतिम रूप देकर इसे संवारा.इस स्मारक की चीफ आर्किटेक्ट रेनू सैगल और चंडीगढ़ के मुख्य इंजिनियर वी के भरद्वाज के प्रयासों के चलते इस समारक को बनाने में किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया.इनके अलावा इन तीन इन्जीनीरियों हर्ष कुमार,ललित चुघ,और दलबीर सिंह के नाम भी उल्लेखनीय है.
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अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।


आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.

 

 


 



सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं!




अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

श्री रजनीश परिहार
श्री काजलकुमार,
श्री विवेक रस्तोगी
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
सुश्री निर्मला कपिला
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राज भाटिया
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री रंजन
श्री दीपक "तिवारी साहब"
श्री मकरंद,
श्री स्मार्ट इंडियन
अभिषेक ओझा, और
श्री दिगम्बर नासवा

आप सभी का पुन: बहुत आभार!
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.

ताऊ पहेली - 58

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 58 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.


विनम्र विवेदन


कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें. कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है.


यह कौन सी जगह है?



ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे


अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.

जरुरी सूचना:-

टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.

इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा



नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

ब्लाग हिट कराऊ एवम टिप्पणी खींचू तेल

जैसा कि आप जानते हैं ताऊ और रामप्यारी ने डाक्टर ताऊनाथ अस्पताल की स्थापना की थी. अस्पताल का काम अच्छा चल रहा था. डाक्टर ताऊ मरीज देखता था और रामप्यारी उनका कैट स्केन करके रोग का निदान किया करती थी. अस्पताल का काम धुंआधार चल निकला था. आसपास के डाक्टरों की दुकानदारी बंद होने लगी थी.

इस वजह से जलन रखने वाले डाक्टरों ने डाँ. ताऊ की शिकायत करदी कि डाक्टर ताऊ नकली झोला छाप डाक्टर है और कैट स्केन के नाम पर लोगों की छाती पर रामप्यारी को कुदवाकर पांच पांच हजार रुपये वसूलता है. और खासकर डाकटर झटका उन शिकायत कर्ताओं मे प्रमुख था. कुछ डाक्टर जो कैट स्केन के लिये मरीज भेजा करते थे उनने भी मरीज भेजना बंद कर दिये थे. और आपस मे लामबंदी करके ताऊ अस्पताल मे लोगों को आने से रोकने लगे. पर उन जलकूकडों के जलने से क्या होता है? जब रामप्यारी के कैट-स्केन से मरीजों को फ़ायदा हो रहा था तो सुबह पहले मरीजों की भीड लग जाती थी. जबकि दूसरे डाक्टर मक्खी मारा करते थे.

एक दिन मरीज आकर बैठे थे. उन्ही मे सरकारी छापे की कारवाई करने वाले जासूस भी पता लगाने के लिये आकर बैठ गये कि आखिर यहां होता क्या है? अब रामप्यारी मैडम दो थर्मामीटर हाथ में लिये वहां आयी. एक थर्मामीटर उसने मरीज के मुंह में लगाया और दूसरा उसकी जेब में. और उस मरीज को एक दूसरे कमरे में जाने को कहा...इसी तरह वो थर्मामीटरों से जांच करती हुई मरीजों को अलग अलग कमरो म्रें भेजने लगी.

वहां जो छापा मारने वाले सरकारी जासूस बैठे थे, उनको यह देखकर बडा आश्चर्य हुआ. आखिर उनको इसका राज समझ नही आया तो उन्होने हार थक कर डाक्टर ताऊ के पास जाकर पूछा .

डाँ. ताऊ बोला - अरे बावलीबूचो, इतना भी नही समझते क्या? मुंह में थर्मामीटर लगा कर शरीर का टेंपरेचर पता करते हैं और जेब मे थर्मामीटर लगा कर जेब की गर्मी पता कर लेते हैं. जिसकी जेब गर्म होती है उसका कैट-स्केन करवा देते हैं. ठंडी जेब वाले को यूंही दवाई गोली देकर रवाना कर देते हैं. यानि जिसकी जेब मे जितनी गर्मी होती है उसी के हिसाब से इलाज करते हैं. अगर किसी की जेब ज्यादा गर्म हुई तो उसकी एक दो बीघा जमीन भी बिकवा कर ही उसकी छुट्टी करते हैं.

छापे वालों को जैसे ही ये पक्का हुआ कि शिकायत सही है उन्होने अस्पताल को ताला लगवा दिया. अब ताऊ और रामप्यारी भूखे मरने लगे...उनके साथ कुणबा भी पूरा था...चंपाकली-अनारकली भैंस, संतू गधा, रमलू सियार, हीरामन और भी दुनियां भर के रिश्तेदार उनके उपर ही पलते थे. सो अब एक दिन रामप्यारी और ताऊ ने नया फ़ार्मुला निकाल लिया कमाई करने का.

बडे दिनों की रिसर्च के बाद ताऊ और रामप्यारी इस नतीजे पर पहुंचे कि आजकल बाल लंबे और घने करने के तेल, लंबाई बढाने के तेल, भाग्यवर्धक तेल-ताबीज और ब्लाग जगत मे ब्लाग हिट कराऊ और टिप्पणी खींचू तेल की अच्छी खपत हो रही है. सो दिन रात रिसर्च करके आखिर इन के लिये उन्होने दवाई इजाद कर ही ली. दवाई का फ़ार्मुला गुप्त है. उन्होने बढिया पैकिंग करवा ली.

पहले तो इसे उन्होने टीवी पर विज्ञापन करके बेचने की सोची पर टीवी का बजट उनके बस मे नही था. क्योंकि ताऊ ने जो रुपया कैट-स्केन करके इक्कट्ठा किया था वो सरकारी छापे में निकल गया था.

राज भाटिया जी से यह प्रोजेक्ट फ़ायनेंस करने के लिये बात की थी पर उन्होने साफ़ मना कर दिया कि ताऊ, तेरे आगे दो हाथ जोडे, पहले का हिसाब करदे तब आगे की बात कर. सो ताऊ और रामप्यारी ने सडक पर मजमा लगा कर इन चारों दवाईयों को बेचना शुरु कर दिया.

ताऊ भाग्यवर्धक तेल की शीशी एक विदेशी महिला को टिकाते हुये!


ताऊ ने आवाज लगाई...बहनो और भाईयो...हमारे तेलों को आजमाकर देखें..और अपना भाग्य चमकायें.

एक ग्राहक ने उससे विशेषता और कीमते पूछी...तो ताऊ ने युं बताना शुरु किया.

प्रत्येक शीशी की कीमत रु. 2500/= चारों शीशी एक साथ लेने पर 15 % का स्पेशल डिस्काऊंट! आज ही खरीदें!



बहनों ये खास केश वर्धक तेल आपके लिये...इसके इस्तेमाल से सिर्फ़ कुछ ही दिनों मे आपके बाल धरती को चूमते नजर आयेंगे. यह हमारा खास टेस्टेड नुस्खा है. आप अवश्य इस्तेमाल करके देखें. कीमत एक शीशी सिर्फ़ रु. 2500/ प्रति शीशी. इसके इस्तेमाल से सफ़ेद बाल भी काले होजाते हैं. जरुर आजमायें.. गंजे भी बालों के बोझ से परेशान हो जायेंगे. सुनहरी मौका...सिर्फ़ स्टाक रहने तक ...सीमित स्टाक..कीमत स्रेफ़ रु. 2500/= प्रति शीशी मात्र!

चमत्कार...चमत्कार...चमत्कार ...सुनहरी मौका!




ताऊ कद वर्धक तेल के इस्तेमाल के पहले और बाद मे रामप्यारी!


भाईयो और बहनों, हमारा कद वर्धक तेल इस्तेमाल करें और अपनी हीन भावना मिटायें. आज कल लंबे लोग जीवन के हर क्षेत्र मे सफ़ल हैं. चाहे आपको एयर-होस्टेस बनना हो या कहीं हीरो हिरोइन बनना हो, फ़िल्म और टीवी सीरीयल मे काम करने वाले, और मोडल बनने के इच्छुक बहन भाई तुरंत इस्तेमाल करे और लाभ उठाये. शर्तिया और ग्यारंटेड इलाज का दावा. फ़ायदा ना हो तो पैसा वापस. कीमत मात्र रु 2500/= प्रति शीशी!

भाग्यवर्धक तेल :- इस तेल की विशेषता है कि जैसे ही आप इसे सर मे लगाना शुरु करेंगे, आपकी किस्मत के सितारे चमकना शुरु हो जायेंगे. आप किसी भी क्षेत्र मे काम करते हों...सफ़लता आपके कदम चूमेगी. आप बाबू अहिं तो अफ़सर बन जायेंगे...अफ़सर हैं तो तुरंत उन्नति हो जायेगी...और एक खास बात यह है कि अगर आप रिश्वतखोर हैं और हमारा भाग्यवर्धक तेल इस्तेमाल करते हैं तो आप कभी भी रिश्वत लेते हुये नही पकडे जायेंगे. और इस तेल को इस्तेमाल करने वालों पर कोहरे का बिल्कुल असर नही होता. यानि "आम के आम गुठली के दाम". तो आज ही इस्तेमाल करिये और अपनी किस्मत चमकाईये! कीमत मात्र रु. 2500/= प्रति शीशी.


ब्लाग हिट कराऊ एवम टिप्पणी खींचू तेल : - बहनों और भाईयो, यह तेल हमारी अथक मेहनत का परिणाम है और खास तौर पर ब्लागर भाई बहनों के लिये इसका निर्माण किया गया है. आप जैसे ही इस तेल का इस्तेमाल करना शुरु करेंगे आपका ब्लाग सुपरहिट हो जायेगा. आपकी पोस्ट आने के पहले ही २५ टिप्पणी तो इंतजार करती मिलेंगी और उडनतश्तरी का टिप्पणी रिकार्ड हर पोस्ट मे टूटने की गारंटी...गारंटी...सौ प्रतिशत गारंटी. कुंठित और लुंठित लोगों की टिप्पणीयों से छुटकारे की गारंटी...और खास बात सुर्पणखां आपकी तरफ़ झांकना तो दूर बल्कि फ़टकेगी नही...यानि खराब सपने आना बंद. इस तेल मे भाग्य वर्धक तेल का भि मिश्रण है. सिर्फ़ आपको यह करना है कि पोस्ट पबलिश करने के पहले इस तेल का तडका लगाकर पोस्ट पब्लिश करनी है. फ़िर देखिये कमाल....आज ही खरीदिये...हमारा ब्लाग हिट कराऊ एवम टिप्पणी खींचू तेल कीमत मात्र रु 2500/= प्रति शीशी.

इस तेल की खरीदी पर सिर्फ़ ब्लागर भाई बहनों को 10 % की अतिरिक्त छूट प्रदान की जावेगी. शीघ्रता किजिये...स्टाक सीमीत है. तुरंत आर्डर करें....माल मंगाने के लिये ड्राफ़्ट भेजे. VPP से माल नही भेजा जावेगा, चारों शीशी का सेट एक साथ लेने पर 15% छूट के साथ डाक खर्च भी माफ़.

हमारे अन्य उत्पाद अति शीघ्र लांच किये जारहे हैं...इंतजार करिये!

"कवि चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे"?


“कवि चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे”

कवि सम्मेलन में उदघोषक बोला
अभी तक आपने सुना झुमरू देहलवी को
अब सुनिये चोर करेलवी को
चोर करेलवी मंच पर आये और बोले
"प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो"
जनता चिल्लाई...बंद करो..बंद करो.. माल चोरी का है...
साफ़ साफ़ रैदास जी का है

चोर करेलवी बोले
आपने बिल्कुल दुरुस्त फ़रमाया
ये रचना बिल्कुल रैदास जी की है.
रैदास जी अनपढ थे.
उनकी सारी रचनाओं को कलम बंद करने का काम
मेरे परदादा के ताऊ के ताऊ
और उनके परदादा के बडे ताऊजी किया करते थे
मुझे पूरा हक है इसे सुनाने का

अरे कई मदनलाल तो दूसरों की रचना
यूं की यूं की पूरी पेल देते है
और आप लोग आराम से झेल लेते हैं.
अरे भाईयों हम तो अपना नाम सार्थक कर रहे हैं
चोरी की रचना नही सुनायेंगे तो चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे?

एक रचना और सुना रिया हूं.
दाद जरुर दिजियेगा
दिवाली को हमारी होली होगई
जनता बोली - सुनाईये..सुनाईये.
चोर करेलवी ने कविता पढनी शुरु की
“मैया मोरी मैं नही माखन खायो”
जनता मे से फ़िर आवाज आई
माल चोरी का है...असली रचयिता सूरदास जी हैं

कवि करेलवी ने फ़रमाया
सज्जनों, वैसे तो हर कवि जानता है
श्रोता को भगवान मानता है...
इसीलिए मैं भी कहता हूँ कि वाजिब हर तर्क तुम्हारा है..
माना कि रचना सूरदास की है
पर क्वालिटी कंट्रोल तो हमारा है. 
उनकी रचनाएं कापी राईट मुक्त हैं.
अरे फ़िल्म मे भी तो किसी और के नाम से आया है
बिना कापी राईट का माल जैसे आता है वैसे ही जाता है.
यूँ तो सूरदास रैदास जैसे कवियों के
हजारों पद में हजारों हजार विचार हैं
किन्तु जो क्वालिटी कंट्रोल में खरे होते हैं
हम सुनाते बस केवल वही दो चार हैं...

कवि महोदय बोले
अब बतायें असली बात
हम रिटेल दूकानदार हैं
दूकान मे सब तरह का माल रखना पडता है
सारा ही माल कोई घर मे थोडे ही बनाते हैं.
कोई इस कंपनी का तो कोई उस कंपनी का
माल लाकर दूकान सजाते हैं.
वैसे बताऊं कि सारे माल पर
लेबल हम अपने ही नाम का लगाते हैं.
अरे जब हम बेफ़िक्र होकर सुनाते हैं
तो आप फ़ोकट में क्यों घबराते हैं?
आप चोरी का माल खरीद सकते हैं
तो चोरी की कविता क्यों नही सुन सकते?

अरे जिसकी कविता है
वो कितनी जगह जाकर सुनायेगा?
हम तो उनकी रचनाएं आप तक पहुंचा रहे हैं
कितने नाशुक्रे हैं आप?
एक सत्य के पुजारी डिस्ट्रीब्युटर को चोर बता रहे हैं.
कैसा कलयुग आगया है भगवन
प्रचार प्रसार को ही चोरी करना बताया जा रहा है.

ताऊ पहेली - 57 विजेता श्री उडनतश्तरी

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 57 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है अडालज की वाव (बावडी) गुजरात!

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,

पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.

आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.

अदालज वाव


बहुत सालों पहले सूखे इलाक़ों में पानी के लिए गहरे कुँए बनाए जाते थे.जहाँ ज़मीन से पानी निकालने की व्यवस्था होती थी. राजस्थान और गुजरात में ऐसे वाव मिलेंगे.

दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी चाँद बावड़ी है जो की राजस्थान में है.
इस पहेली में आप से हमने जिस स्थान के बारे में पूछा था वह गुजरात में है.
यह अदालज वाव कहलाती है.
गुजरात राज्य के अहमदाबाद से 18 किलोमीटर दूर अदालज गाँव में यह वाव स्थित है.

अडालज वाव


यह पहली मंज़िल पर लगे संमरमर के पत्थर पर संस्कृत में लिखे आलेख से मालूम होता है कि इसे १४९९ में रानी रुदाबाई ने अपने पति की याद में बनवाया था.वह राजा वीरसींह की पत्नी थीं.

यह वाव पाँच मंज़िला है और अष्टभुजाकार बना हुआ है.वास्तुकला का नायाब नमूना यह ढाँचा १६ स्तंभों पर खड़ा है.
सूरज की रोशनी सीधा दीवारों पर सिर्फ़ थोड़े समय के लिए ही पड़ती हैं. इसीलिए बाहर से भीतर का तापमान ६ डिग्री कम रहता है.

गाँववाले सुबह आते हैं और दीवारों पर बने देवी देवताओं की पूजा भी करते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि दीवारों पर बने नव ग्रहों की प्रतिमाएँ इस कुएँ की रक्षा करती हैं. गाँव के लोग अब भी यहाँ पानी भरने और गर्मी के मौसम में ठंडक में बैठने यहाँ आते हैं.

ऐसा कहा जाता है की यहाँ एक मुस्लिम सुल्तान बेघारा ने हमला किया था जिसमें राजा वीर सिह मारे गये थे.बेघारा ने उनकी पत्नी की सुंदरता देख विवाह का प्रस्ताव रखा, जिस पर रानी ने नियत समय पर इस वाव को पूरा कराने की शर्त रखी. वाव नियत समय पर पूरा हुआ.

[दीवारों पर इस्लामिक प्रभाव वाले चित्रों को भी बना देखा जा सकता है.]



रानी वाव देखने आईं , चूँकि रानी सुल्तान से शादी नहीं करना चाहती थी इसीलिए पाँचवी मंज़िल से ही पानी में कूद कर अपनी जान दे दी. ऐसा सुना जाता है कि आज भी रानी की आत्मा वहाँ भटकती है.

वाव के पास ही इस वाव को डिज़ाइन करने वाले मुख्य कामगारों की क़ब्रें हैं जिन को इस के पूरा होने के बाद मुस्लिम राजा ने मरवा दिया था ताकि दोबारा फिर कोई इस तरह की वाव ना बनवा सके.

मानव निर्मित इस अद्भुत कलाकारी की इमारत को Archeological Survey of India द्वारा संरक्षित किया गया है.



कैसे जाएँ-
हवाई मार्ग-
सरदार वल्लभभाई पटेल एयरपोर्ट अंतर राष्ट्रीय हवाईअड्डा है घरेलू विमान सेवाएँ भी यहाँ से चलती हैं.
रेल मार्ग-
कालुपुर क्षेत्र में मुख्य रेल स्टेशन है.
अहमदाबाद स्टेशन देश के लगभग सभी प्रमुख स्‍टेशनों से सीधे तौर पर जुडा हुआ है.

सड़क मार्ग-
गुजरात राज्य परिवहन की बसें सभी मुख्य शहरों से चलती हैं.

Refrence-
http://www.gujarattourism.com/showpage.aspx?contentid=142&webpartid=962
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।


आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.

 


  श्री उडनतश्तरी अंक 101


seema-gupta-2

  सुश्री सीमा गुप्ता  अंक 100


  डा  . मनोज मिश्र अंक 99


  श्री प्रकाश गोविंद   अंक  98

  श्री संजय बेंगाणी अंक 97
                                  सुश्री हीरल अंक 96
My Photo 
                           श्री अविनाश वाचस्पति अंक 50

छपते छपते :-
श्री संजय तिवारी ’संजू’ और श्री SilverGeek का भी सही जवाब आया. जिन्हे क्रमश: 49 और 48 अंक दिये गये हैं.
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

श्री विवेक रस्तोगी
श्री रंजन
सुश्री M.A.Sharma "सेहर"
डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक,
श्री दिनेशराय द्विवेदी
सुश्री रेखा प्रहलाद
श्री सुशील कुमार छौंक्कर
श्री राज भाटिया
डा. महेश सिन्हा
श्री मीत
श्री विशाल
श्री रजनीश परिहार
श्री काजलकुमार,
श्री रामकृष्ण गौतम
श्री दीपक "तिवारी साहब"
श्री मकरंद
श्री अभिषेक प्रसाद ’अवि’

सभी को हार्दिक धन्यवाद!
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.

ताऊ पहेली - 57

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 57 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.


विनम्र विवेदन


कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें. कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है.


इस जगह का नाम बताईये!


ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे


अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.

जरुरी सूचना:-

टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.

इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा



नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

ताऊ....वो जो हम मे तुम मे करार था.....?

कल हमने एक पोस्ट लिखी थी...अरे ताऊ "गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी. उस पर हमारे गुरुदेव समीरलाल जी ने यह कहा कि अपना गंभीर लेखन का नमूना भी चेप देते तो फ़ैसला देने में आसानी होती. तो गुरुजी के प्रश्न के जवाब मे आजकी पोस्ट चेंप रहा हूं.

आप सभी ने आपके सुझाव दिये जिसके लिये मैं आपका आभारी हूं. सुश्री अल्पना वर्मा जी ने बहुत ही स्पष्ट और मूल्यवान टिप्पणी की..उनकी टिप्पणी और हौंसला अफ़्जाई के लिये विशेष आभारी हूं.


खन्ना तीस साल बाद बेल्जियम से वतन लौटा है .कल जब अचानक उसका फ़ोन आया तो मैं चौंक गया. उसने घर बुलाया था.

उसके फ़ोन से अचानक पुरानी यादें जेहन में ताजा होगई. तैयार होके बाहर निकलता हुं. शोफ़र गाडी का दरवाजा खोलता है.... गाडी मे बैठता हूं ... शोफ़र गाडी का दरवाजा बंद करके गाडी आगे बढा देता है. मेरी पसंद की बेगम अख्तर की गाई गजलों की सीडी प्लेयर मे डाल कर रिमोट मेरी तरफ़ बढा देता है.

वो जो हम मे तुम मे करार था.....

कितना कुछ बदल गया है...पहले एक नेशनल हेराल्ड बेचकर जब नई फ़ियेट ली थी तब ऐसा लगा था जैसे पुष्पक विमान मिल गया हो...आज इस मर्सडीज में वो बात कहां? पता नही पुरानी यादें और चीजें हमेशा ही तुलनात्मक रुप से ज्यादा अच्छी क्यों लगती हैं?

गजल सुनते सुनते अचानक पुरानी यादों के भंवर मे खोने लगता हुं. आज से ३५ साल पुरानी यादों मे पहुंच जाता हूं.

मैं और नरेश बचपन से एक ही क्लास में पढे. घर भी पास पास ही थे. मेट्रिक पास की फ़िर कालेज मे पहुंच गये.

पहले बार जाना कि स्कूल और कालेज मे क्या फ़र्क होता है? बस उतना ही ..जितना गुलामी और आजादी में....
अचानक मिली आजादी ....कीमत भी वसूलती है...जल्द ही सिगरेट पीना शुरु होगया....और भी बहुत कुछ... इसी बीच मेरी और नरेश की दोस्ती हमारी सहपाठी सुधा बेलचा से होगई.

धीरे धीरे हम तीनों की दोस्ती गहराती गई. अब हम फ़ायनल ईयर मे आचुके थे. मुझे अपने पिता का कारोबार भी संभालना पडता था. अत: समय बहुत कम रहता था. उधर नरेश और सुधा मे अंतरंगता बढती गई. एक दिन दोनों ने शादी का फ़ैसला कर लिया. दोनों के घरवालों की थोडी बहुत नानुकुर के बाद शादी होगई.

वो दोनों ही बहुत खुश थे. मैं अपने कारोबार मे रम चुका था. नरेश अपने व्यापार के सिलसिले मे बेल्जियम चला गया. जहां पेट्रोल पंपों के धंधे में लग गया. नरेश और सुधा दोनो एन.आर.आई. हो गये थे. शुरु के चार पांच साल के बाद तो संपर्क भी खत्म हो चुका था... वक्त कितनी तेजी से बीत गया..पता ही नही चला.

अचानक शोफ़र ने गाडी रोक कर पूछा - कहां चलना है साहब?

ओह...मैं यादों के भंवर मे इतना खो चुका था कि उसे बताना ही भूल गया था. फ़िर मुझे याद आया ...सुधा को मोगरे वाली वेणी बहुत पसंद थी. सोचा उसके लिये लेता चलूं. और नरेश को तिल के लड्डू पसंद थे. आज मकर सक्रांति भी है. पता नही उसको ये सब याद भी है या नही?

मैं ड्राईवर को गाडी साईड मे रोकने के लिये कहता हूं.

सामने ही गजरे वाले की दूकान से मोगरे की वेणीयां पैक करवाता हूं. फ़िर वहीं पास की मिठाई की दूकान से तिल के लड्डू लेकर शोफ़र को खन्ना साहब के घर चलने का कहता हूं.

सामने बंगले मे गाडी से उतर कर काल बेल बजाता हूं. दरवाजा खुलता है. सामने एक अधेड महिला खडी है...स्कर्ट कमीज...बाय कट बाल...मैं चौकंता हूं....कहीं गलत जगह तो नही आगया? हडबडाकर पूछता हुं...ये नरेश खन्ना का बंगला है? और आप?

महिला बोली - ओह या...यू आर राईट जैंटलमैन...प्लिज कम इन.. आई एम मिसेज खन्ना...और वो दरवाजा खोल कर अंदर चली जाती है.

अंदर से ब्रिट्नी स्पियर्स का ऊप्स आई डिड इट अगेन...के बजने की आवाज आरही है...

मुझे अचानक शाक सा लगता है. तो यही है सुधा? ... सुधा बेलचा...यानि सुधा खन्ना....जो अपने बालों से बेपनाह मुह्हब्बत करती थी. जिसे ना झटको जुल्फ़ से ... गाना सुनना दीवानगी की हद तक सुहाता था?

अचानक मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा है.....सुधा ..जिसे मोगरे की वेणियां बेपनाह पसंद थी उसकी जुल्फ़ें ही साफ़ हो चुकी हैं....तो क्या अब नरेश को तिल के लड्डू और मकर सक्रांति याद भी होगी?

अचानक एक खयाल आया और तिल के लड्डू और वेणियां जो हाथ मे थी.. उन दोनों को वहीं छोडकर दरवाजे से वापस पलट जाता हूं...

पिछली सीट पर बैठते हुये शोफ़र को आफ़िस चलने के लिये कहता हूं....और अनायास मेरा हाथ गाडी मे रखे सिगरेट के पेकेट की तरफ़ बढ जाता है.....

सीडी प्लेयर पर मेहंदी हसन की गाई गजल बज रही है...शोला था जल बुझा हूं....

गाडी ओवर ब्रिज पार कर रही है. बाहर पुल के फ़ुटपाथ पर देखने लगता हूं....मैले कुचेले कपडे पहने बच्चे...औरते..बुड्ढे और बुड्ढो जैसे जवान...जिंदगी की आपाधापी मे कोलाहल मचाये हैं...वही रबर के टायरो को जलाकर अलाव तापते लोग...चूल्हे पर सिकती रोटियां...यानि रोजमर्रा की जद्दोजहद से निपटती इन जैसे लाचारों की दुनियां.......

सोचता हूं ..क्या यही लोहडी है? जो हर साल इन लोगों द्वारा रबर के टायरों को जलाकर पूरी सर्दी मनाई जाती है?

मैं सिगरेट मुंह मे लगाता हूं..और दूसरा हाथ लाईटर निकालने के लिये बढ जाता है......!

The Last Punch :-

संतू गधा जंगल से घर की ओर लौट रहा था. उसको अकेले देखकर शेर चुपचाप पीछे लग गया. दुर से रमलू सियार यह सब देख रहा था. संतू गधा इस अनहोनी से बेखबर मस्ती में...परबत परबत..बस्ती बस्ती..गाता जाये बंजारा..लेकर ताऊ का इकतारा... गाता हुआ चला जारहा था.

रमलू सियार ने जान लिया की अब संतू की जीवन लीला शेर के हाथों समाप्त ही समझो. लेकिन सियार आखिरी दम तक हिम्मत नही छोडता.उसने तुरंत संतू गधे के मोबाईल पर रिंग दी और उससे कहा - हिम्मत बिल्कुल मत हारना...शेर पीछे लगा है...और क्या करना है..इस बात की हिदायत दी..

संतू था तो गधा ही, पर चूंकी ताऊ का गधा था सो रमलू सियार की सारी बाते समझ गया था. और योजना के अनुसार तुरंत ही अपनी चाल धीमी करके लंगडाते हुये चलना शुरु कर दिया. शेर ने जब देखा कि यह तो लंगडा गधा है तो बडा खुश हुआ कि चलो आज तो बिना ज्यादा मेहनत किये ही भोजन मिल गया.

शेर बिना मेहनत किये शिकार को हराम का मानता है सो मेहनत दिखाने की गर्ज से शेर पास आगया और गधे की पीठ पर एक हाथ मारते हुये पूछने लगा - क्यों बे गधेडे....ब्लडी..ईडियट...जब तेरे से चला नही जाता तो जंगल मे क्या मरने के लिये आया था? तुझे मालूम है ना कि लंगडे जानवर को जंगल मे नही आना चाहिये?

संतु गधेडा बोला - माई बाप...हम प्रजा का फ़र्ज है कि आपका कथन अगर झूंठ का पुलिंदा भी हो तो भी साक्षात धर्मराज के मुंह से निकला सत्य का बाण समझना चाहिये. राजा कभी झूंठ बोल ही नही सकता. आप हमारे राजा हैं...God save the king... आप युग युग जीयें...गधे का तो फ़र्ज ही है कि राजा की सेवा करे..और उनके काम आये. आज मेरा जन्म लेना सफ़ल हुआ..जो आज मैं महाराज के किसी काम आऊंगा....मैं हर जन्म में गधेडा बनूं और महाराज की क्षुधा शांत करने के काम आऊं... पर महाराज ..आप मुझे खाये इसके पहले आप मेरे पैर मे चुभा हुआ जहरीला कांटा निकाल लें. कहीं ऐसा ना हो कि मुझे खाते समय वो जहरीला कांटा आपके पेट मे चला जाये और कोई अनहोनी होजाये.

शेर तो गधे की बात सुनकर प्रशन्न हुआ और बोला - वाह..तुम्हारी जैसी प्रजा पाकर मैं धन्य हुआ. लाओ संतू.. इधर करो तुम्हारा पैर ..मैं उस कांटे को निकाल दूं......

अब संतू गधे ने अपनी पोजिशन ऐसी जमाई कि शेर उसकी पिछली टांगो कि पहुंच मे आगया. और बिना शेर को कोई मौका दिये ही उसने फ़टाफ़ट सात आठ दुल्लतियां (kick = किक = पाद प्रहार, पदाघात या खुराघात) शेर के नाक को निशाना बनाकर फ़टकार दी. और इसी बीचे रमलू सियार ने आकर पिछले पंजो से शेर की आंखों मे धूल उडा दी.

शेर नाक पर दुल्लतियां पडने से दर्द के मारे तिलमिला गया और आंखों मे जो धूल घुसने से जलन मची उसने और कबाडा कर दिया. शेर ने रमलू सियार की कारस्तानी समझ ली और बोला - हरामजादे...तू क्या समझता है? मैं तुझे छोड दूंगा? ठहर जा...

रमलू सियार बोला - अबे शेर...हम तो वक्त के गुलाम हैं...और वक्त कभी ठहरता नही है..जो हम ठहर जायें? मैं तो कहता हूं ..तू सुधर जा, समय को पहचान.. और दंभ छोड कर शांति से रह और दूसरों को भी रहने दे. वर्ना जनता तुझे यों ही दुल्लतियायेगी. और सुन जब तक हमारा विवेक साथ देता रहेगा तब तक तू कुछ भी नही बिगाड पायेगा.

अरे ताऊ "गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी."

कल रात ठंड भी बहुत ज्यादा थी और कोढ में खुजली ये होगई कि बरसात भी होने लग गई. जंगल से ताऊ का दोस्त रमलू सियार भी आया हुआ था. सो खाना खाकर ताऊ अपने दोस्त रमलू सियार के साथ बैठा हुआ हुक्का गुडगुडा रहा था और रामप्यारी पास ही बडी उदास और मायूस बैठी थी.

ताऊ ने उससे उदासी का कारण पूछा तो रामप्यारी बोली - ताऊ मेरी उदासी का कारण तुम ही हो.

ताऊ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये पूछा - ये क्या बोल रही है रामप्यारी तू?

रामप्यारी बोली - ताऊ तुम हर समय हा...हा..ही..ही..ठी...ठी...करते रहते रहते हो..और तुम्हारी इसी आदत के कारण अब घर के सारे सदस्य तुमसे नाराज हो गये हैं. तुमने अपनी बेइज्जती की बेइज्जती तो करवा ही ली और अब घर के दूसरे सदस्यों की भी बेइज्जती करवाने लगे हो?

ताऊ नाराज होते हुये बोला - रामप्यारी तूने कहीं भांग खाली या किसी ने तेरे कान भर दिये?

रामप्यारी बोली - - रामप्यारी इतनी कान की कच्ची नही है. अरे सरे आम अब गधों कूकरों की खिल्ली उडाई जारही है और तुम पूछते हो कि क्या हुआ? सरे आम ताने दिये जा रहे हैं.... और लोग खुद की खुंदक अब कुत्ते बिल्लियों का नाम ले लेकर निकाले जारहे हैं? और सुन ले ताऊ अब घर मे बीनू फ़िरंगी, संतू गधा, चंपाकली - अनारकली भैंस, और हीरामन ये सब तुम्हारे खिलाफ़ होगये हैं. अब तुम सुधर कर गंभीर बनो या फ़िर अब हम यहां से जाते हैं. तुम तो बेशर्म हो...तुम्हारा क्या? करते रहो हा..हा.. ही ...ही... ठी..ठी..जब देखो तब ऐसे..ठिलुओं के साथ लगे रह्ते हो..कभी गंभीर और समझदार लोगों की भी संगत किया करो. कितनी बार समझाया कि चार शब्द अंग्रेजी के सीख लो...दुसरों पर रुआब पडेगा...आज तक तुम इडियट..ब्लडी तक बोलना नही सीख पाये? तुम रहे आखिर गंवार के गंवार....

रामप्यारी ने आज ताऊ को खरी खरी सुना डाली. रामप्यारी की उंची आवाज सुनकर कुता बीनू फ़िरंगी, संतु गधा, हीरामन तोता, चंपाकली भैंस और घर मे जितने भी जानवर थे सबके सब वहीं इक्कट्ठे होगये. ताऊ ने सोचा कि आज ये सब मिलकर कहीं बगावत नही करदें. किसी ने इनको भडका दिया है. जरुर ये चाल है अपोजिशन वालों की या अलसेट रखने वालों की, सो ताऊ चुपचाप अपनी रजाई मे मुंह दबा कर सोगया.

गंभीरता की देवी ताऊ को सपने में डराती हुई


अब जैसे ही ताऊ की नींद लगी कि ताऊ के सपने मे गंभीरता की देवी प्रकट होगई. रामप्यारी से डांट खाकर तो ताऊ सोया था अब गंभीरता की देवी का चेहरा देखकर तो ताऊ की घिग्गी बंध गई और सिट्टिपिट्टी गुम होगई. फ़िर भी ताऊ ने डरते डरते पूछा - आप कुण हो देवीजी?

गंभीरता की देवी बोली - अरे मुर्ख ताऊ, मैं गंभीरता की देवी हूं. तेरे जैसे लोगों ने गुरु गंभीर लेखन और उन लोगों का सत्यानाश कर दिया है. मैं तुझे चेतावनी देने आई हूं कि तू अब भी सुधर जा. ये.. हा ...हा....ही..ही..ठी..ठी...का लेखन बंद करके गंभीरता का पुजारी बन और अपनी इज्जत बढा.

ताऊ की तो पहले ही फ़ूंक खिसकी हुई थी सो हकलाते हुये बोला - हे देवी माता, मुझे तो गंभीरता की स्पेलिंग भी कोनी आवै..मैं कैसे गंभीर लेखन करुं?

गंभीरता की देवी बोली - अरे शठ ताऊ, ज्यादा जबान लडाता है मुझसे? अरे मुर्ख ..इसमे कौन सी बडी बात है? तूने तेरे प्रोफ़ाईल में जो बंदर की फ़ोटो लगा रखी है उसको तुरंत हटा डाल. उसको देखते ही हंसी आती है. और उसकी जगह कोई
मुंह लटकी हुई यानि मातम मनाती सी फ़ोटो लगा ले....बिखरे बाल वाली...जिससे दार्शनिक सा लुक आये.

ताऊ ने कांपते हुये हाथ जोडकर पूछा : और क्या करना होगा देवी माता?

गंभीर देवी बोली - उसके बाद गूगल मे से कोई जर्मन, फ़्रेंच, रुसी या अंग्रेजी भाषा का कम प्रचलित शब्द खोज ले. और उसको कोट करते हुये लिख डाल मुर्ख.... तेरी धाक जम जायेगी और तू जिम्मेदार और धीर गंभीर लेखक कहलाने लगेगा. समाज मे मान सम्मान और सम्मानित ब्लागर कहलाने लगेगा... और फ़िर गंभीर देवी ने ताऊ के गले को दबाते हुये पूछा - बोल क्या कहता है ठिल्लुए? ये ठिल्लूआगिरी छोडेगा या दबाऊं तेरा टेटूआ?

ताऊ डरा हुआ तो था ही सो हां भर बैठा और मन ही मन बोला - ऐसी की तैसी इस ब्लागिंग की तो. अब आज से ही बंद कर दूंगा. ऐसी ब्लागिंग किस काम की? जिसमे घर वाले नाराज...दूसरे गुरु गंभीर ब्लागर तो इतने नाराज कि जैसे उनकी भैंस खोल ली हो ताऊ ने? और अब नींद मे ये गंभीर देवी चैन नही लेने देती.

ताऊ यह फ़ैसला ले ही रहा था कि एक झटके से ताऊ की आंख खुल गई. ताऊ की सांस तेज चल रही थी. और इतनी ठंड मे भी पसीने पसीने हो रहा था. ताऊ ने उठकर पानी पिया और फ़िर सोने की कोशीश करने लगा. थोडी देर में फ़िर से नींद आगई और अबकी बार जैसे ही नींद आई वैसे ही मुस्कान देवी प्रकट होगई ताऊ के सपने में.

ताऊ के सपने में मुस्कान देवी


आते ही मुस्कान देवी बोली - हे ताऊ, तूने मेरी बडी सेवा की है. लोगों को हंसाया. अब तू एक ताऊ ठिल्लुआ क्लब बना ले और सब हंसोडो को इक्कट्ठा कर ले और इन गुरु गंभीर लोगों को भाड मे जाने दे.

ताऊ बोला - हे मुस्कान देवी, आपकी बात सही है. मैं ये काम बहुत आसानी से कर सकता हूं. पर मुझे धीर-गंभीर लोग ऐसा करने से मना करते हैं. और आज तो उन्होने गंभीरता की देवी को ही भेज दिया था मुझे डराने के लिये. आप तो जानती ही हैं कि मैं तो पैदायशी सियार हूं और लोग अब ये फ़तवा दे रहे हैं कि सियारों, कायरो और कुत्ते बिल्लियों को ब्लागिंग छोड देना चाहिये. तो अब ये बताओ कि मैं बिना शेर, सियार, गीदड, कुत्ते और बिल्लियों के कैसे ब्लागिंग करूं. मुझे तो बस इन जानवरों की भाषा ही समझ आती है... और ब्लागिंग नही करुं तो लोगों को हंसाऊं कैसे?

मुस्कान देवी बोली - ताऊ मुझे ये सब नही मालूम. जो करना है वो तुमको करना है. गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी.

तो ब्लागर भाईयों आपसे हमारा निवेदन है हमारे निम्न प्रश्नों के उत्तर देवें : आपकी बडी कृपा होगी.

१. क्या हमको पलायन करना चाहिये?

२. क्या हमे इधर उधर से मार कर ब्लडी, ईडियट, साला, ससुरा, शराब, सिगरेट जैसे शब्दों को डालकर गंभीर लेखन करने का नाटक करना चाहिये?

३. क्या हमे एक ठिल्लूआ क्लब की स्थापना करनी चाहिये? जिससे गंभीरता को अलसेट लगाई जा सके?

आप लोगों का जो भी फ़ैसला आयेगा उस पर विचार करते हुये हम ताऊ ठिल्लूआ क्लब की स्थापना पर विचार करेंगे अन्यथा आज की यह पोस्ट ताऊ डाट इन की आखिरी गैर गंभीर पोस्ट होगी. अब तक आपके द्वारा मिले प्यार और सहयोग के लिये बहुत बहुत आभार.

ताऊ पहेली - 56 : विजेता श्री मुरारी पारीक

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 56 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है नागार्जुन सागर बाँध.

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,

पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.

आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा, अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.

आज कल आंध्र प्रदेश सुर्ख़ियों में है.सोचा क्यों ना वहीं से इस बार वहीं से पहेली पूछ ली जाए!
आंध्र प्रदेश में गुंटूर की स्‍थापना फ्रांसिसी शासकों ने आठवीं शताब्‍दी के मध्‍य में की थी.करीब 10 शताब्दियों तक उन्‍होंने यहां राज किया. बाद में 1788 में इसे ब्रिटिश साग्राज्‍य में मिला दिया गया.
गुंटूर बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है. प्राचीनकाल में यह' विजयपुरी 'था .यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है.

आचार्य नागार्जुन


नागार्जुन सागर बाँध बनाते समय हुई खुदाई में नागार्जुनकोंडा में तीसरी सदी के बोद्ध सभ्यता के अवशेष मिले हैं.यहाँ खुदाई के दौरान महाचैत्या स्तूप के भी अवशेष प्राप्त हुए.यहाँ कभी विहार,बोद्ध मोनेस्ट्री और एक विश्वविद्यालय हुआ करता था.

इस विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य नागार्जुन हुआ करते थे.जो की एक बड़े बोद्धनुयायी थे.
अवशेष में पाए स्तूप पर ब्राहमी में लिखा आलेख बताता है की यहाँ भगवान बुद्ध भी कभी रहे होंगे.
कृष्णा नदी पर बने इस बाँध का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है.


नागार्जुन सागर बाँध भारत का गौरव है.नागार्जुन बाँध हैदराबाद से 150 किमी दूर स्थित है.इसका निर्माण १९६६ में पूरा हुआ था.

भारत में ईंटों से बना सबसे ऊँचा बाँध है.दुनिया के सबसे उँचे बांधो में से एक और एशिया का सब से ऊँचा और लंबा बाँध है.इस बाँध से निर्मित नागार्जुनसागर झील दुनिया की तीसरी सब से बड़ी मानव निर्मित नहर है.

नागार्जुन सागर


१० दिसंबर १९५५ में इस बाँध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी.उन्होने उस समय यह कहा था.

"When I lay the foundation stone here of this Nagarjunasagar, to me it is a sacred ceremony".
"This is the foundation of the temple of humanity of India, i.e. symbol of the new temples that we are building all over India".

Nagarjuna Sagar Dam (front view)


इस बाँध की विशेषताएँ-:
Catchment Area : 215000 km² (83012 sq mi)
Masonry dam
Spillway of dam : 471 m
Non-over flow dam : 979 m
Length of Masonry dam : 1450 m
Maximum height : 125 m
Earth dam
Total Length of Earth dam : 3414 m
Maximum height : 26 m

-इसके अलावा यहाँ नागार्जुनसागर श्रीसैलम अभ्‍यारण्‍य है.
3568 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला यह अभ्‍यारण्‍य भारत में सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व माना जाता है. इसके अलावा यहां फूलों व वनस्‍पतियों की अनेक प्रजातियां भी पाई जाती हैं.

-इसी बाँध के पास आधे घंटे की ड्राइव पर एथीपोतला नामक जलप्रपात हैं.


नजदीकी हवाई अड्डा -गन्‍नवरम है

नजदीकी रेलवे स्‍टेशन -गुंटूर और विजयवाड़ा.

सड़क मार्ग-बस सेवाएं गुंटूर को जिले के अंदर व बाहर के प्रमुख स्‍थानों से जोड़ती है.
References---http://en.wikipedia.org/wiki/Nagarjuna_Sagar_Dam

अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।


आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.

 

 

                                    श्री मुरारी पारीक अंक 101   
seema-gupta-2  सुश्री सीमा गुप्ता  अंक 100
  श्री दिनेशराय द्विवेदी  अंक 99
 श्री विवेक रस्तोगी अंक 98
  श्री उडनतश्तरी अंक 97
 श्री अंतरसोहिल अंक 96

श्री संजय बेंगाणी अंक 95

श्री नीरज गोस्वामी अंक 94
 सुश्री अंजना अंक 93
 डा.महेश सिन्हा अंक 92
 श्री प्रकाश गोविंद   अंक  91
 श्री रंजन अंक 90
  रामकृष्ण गौतम अंक 89
  श्री सैय्यद अंक 88
 डॉ. मनोज मिश्र अंक 87
  सुश्री प्रेमलता पांडे अंक  86
  सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 85

अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

श्री अविनाश वाचस्पति
श्री श्री साढ़े सात हजार बाबा सांडनाथ
सुश्री निर्मला कपिला
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
सुश्री वंदना
प. डी.के. शर्मा "वत्स",
श्री राज भाटिया
श्री दिगम्बर नासवा
श्री रतनसिंह शेखावत
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
सुश्री बबली
और डॉ टी एस दराल

सभी का पुन: आभार!
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.