"कवि चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे"?


“कवि चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे”

कवि सम्मेलन में उदघोषक बोला
अभी तक आपने सुना झुमरू देहलवी को
अब सुनिये चोर करेलवी को
चोर करेलवी मंच पर आये और बोले
"प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो"
जनता चिल्लाई...बंद करो..बंद करो.. माल चोरी का है...
साफ़ साफ़ रैदास जी का है

चोर करेलवी बोले
आपने बिल्कुल दुरुस्त फ़रमाया
ये रचना बिल्कुल रैदास जी की है.
रैदास जी अनपढ थे.
उनकी सारी रचनाओं को कलम बंद करने का काम
मेरे परदादा के ताऊ के ताऊ
और उनके परदादा के बडे ताऊजी किया करते थे
मुझे पूरा हक है इसे सुनाने का

अरे कई मदनलाल तो दूसरों की रचना
यूं की यूं की पूरी पेल देते है
और आप लोग आराम से झेल लेते हैं.
अरे भाईयों हम तो अपना नाम सार्थक कर रहे हैं
चोरी की रचना नही सुनायेंगे तो चोर करेलवी कैसे कहलायेंगे?

एक रचना और सुना रिया हूं.
दाद जरुर दिजियेगा
दिवाली को हमारी होली होगई
जनता बोली - सुनाईये..सुनाईये.
चोर करेलवी ने कविता पढनी शुरु की
“मैया मोरी मैं नही माखन खायो”
जनता मे से फ़िर आवाज आई
माल चोरी का है...असली रचयिता सूरदास जी हैं

कवि करेलवी ने फ़रमाया
सज्जनों, वैसे तो हर कवि जानता है
श्रोता को भगवान मानता है...
इसीलिए मैं भी कहता हूँ कि वाजिब हर तर्क तुम्हारा है..
माना कि रचना सूरदास की है
पर क्वालिटी कंट्रोल तो हमारा है. 
उनकी रचनाएं कापी राईट मुक्त हैं.
अरे फ़िल्म मे भी तो किसी और के नाम से आया है
बिना कापी राईट का माल जैसे आता है वैसे ही जाता है.
यूँ तो सूरदास रैदास जैसे कवियों के
हजारों पद में हजारों हजार विचार हैं
किन्तु जो क्वालिटी कंट्रोल में खरे होते हैं
हम सुनाते बस केवल वही दो चार हैं...

कवि महोदय बोले
अब बतायें असली बात
हम रिटेल दूकानदार हैं
दूकान मे सब तरह का माल रखना पडता है
सारा ही माल कोई घर मे थोडे ही बनाते हैं.
कोई इस कंपनी का तो कोई उस कंपनी का
माल लाकर दूकान सजाते हैं.
वैसे बताऊं कि सारे माल पर
लेबल हम अपने ही नाम का लगाते हैं.
अरे जब हम बेफ़िक्र होकर सुनाते हैं
तो आप फ़ोकट में क्यों घबराते हैं?
आप चोरी का माल खरीद सकते हैं
तो चोरी की कविता क्यों नही सुन सकते?

अरे जिसकी कविता है
वो कितनी जगह जाकर सुनायेगा?
हम तो उनकी रचनाएं आप तक पहुंचा रहे हैं
कितने नाशुक्रे हैं आप?
एक सत्य के पुजारी डिस्ट्रीब्युटर को चोर बता रहे हैं.
कैसा कलयुग आगया है भगवन
प्रचार प्रसार को ही चोरी करना बताया जा रहा है.

Comments

  1. यूँ तो सूरदास रैदास जैसे कवियों के
    हजारों पद में हजारों हजार विचार हैं
    किन्तु जो क्वालिटी कंट्रोल में खरे होते हैं
    हम सुनाते बस केवल वही दो चार हैं...


    --वाह वाह कविवर..ताऊ...

    क्या बात है..लट्ठ कहाँ गया..ये कवितागिरी और लट्ठ तो साथ न चल पायेगा.

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  2. ये कैरानावी ने अपना नाम कब से बदल लिया ? सावधान ताऊ !

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  3. सच कहा है ताऊ चोर अगर इमानदारी बरते तो वो चोर नहीं रहा जाता है | करारा व्यंग्य है, आभार इस रचना के लिए |

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  4. वाह ताऊ जी !
    बहुत ही शानदार कही

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  5. कैसा कलयुग आगया है भगवन
    प्रचार प्रसार को ही चोरी करना बताया जा रहा है.

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  6. कवि करेलवी को अब तो अकल आनी ही चाहिए उम्मीद है जिस मन्तव्य से आपने इतनी मेहनत की है उसका परिणाम सार्थक होगा.
    regards

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  7. ताऊ ताजी ताजी खबर के अनुसार मियां करेलवी ने कहा है कि उन्हें डेडिकेट करती हुई ये रचना बहुत पसंद आई है , वे इसे भी ................हां , वही वही ....
    अजय कुमार झा

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  8. 'कैसा कलयुग आगया है भगवन
    प्रचार प्रसार को ही चोरी करना बताया जा रहा है.'
    --कलयुग तो घोर कलयुग ही है.
    -नयी तरह की अनूठी और सुंदर प्रस्तुति.

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  9. मज़ा आगया , गज़ब की रचना , सच है ताऊ ,और इन चोरो पर कोई असर भी नहीं होता !

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  10. ईमानदारी तो अब चोरी के धंधे में ही बची है

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  11. वाह ताऊ जी!
    यो के रमझोळ सुणा दिया
    आपने छापर सा पाड़ दिया
    फ़ाटे पजामे सील रहे थे वो
    तमने तो तम्बु ही पाड़ दिया


    राम-राम

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  12. ताऊ! इस बार सूर्यग्रहण पे कहीं कोई जरूर सिद्धि-विद्धि तो नहीं कर ली......तभी तो लट्ठ की बजाए इतनी बढिया रचनाएं निकल रही हैं:)

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  13. आप की रचना देखकर मुझे भी चौर्य कर्म करने की प्रेरणा मिल रही है.

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  14. वाह ताऊ श्री .......... आप भी ग़ज़ब ढाते हो ....... खूब लगाई है मदन लाल की ........ पर आपका एंगल भी ठीक लगता है .... एक बॉग क्या करेगा ...... मदन लाल ने तो प्रचार के लिए चोरी करी रचनाओं की .........

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  15. वाह ताऊ जी क्या बात है! आपने तो बहुत बढ़िया, शानदार और जानदार बात कह दिया है! बहुत खूब !

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  16. ताऊ जी!
    इन चोरों की ही तो पौबारह है!
    ये मदनलाल तो सबसे बड़ा नटवर लाल है!

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  17. माना कि रचना सूरदास की है
    पर क्वालिटी कंट्रोल तो हमारा है.
    उनकी रचनाएं कापी राईट मुक्त हैं.
    अरे फ़िल्म मे भी तो किसी और के नाम से आया है
    बिना कापी राईट का माल जैसे आता है वैसे ही जाता है.

    bahu behatrin tau

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  18. वाह ताऊ जी क्या आइडिया दिया है अब आपकी इस कविता को चुरा कर सुनाना पड़ेगा.

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  19. ताऊ दाद तो सब ने दे दी इस बहुत बहुत बहुत सुंदर रचना पर, हम दवा दे रहे है इस दाद की

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  20. चोर जलेलबी आये हैं
    मुंह पर चाशनी लपटाये हैं
    चोर करेलवी के चेहरे को
    चोरी के नये आयामों ने
    मन को मोह(चोरी)लिया
    इसलिए हम जलेलबी बांट
    रहे हैं
    जिसको चाहिये गोल गोल
    घूमते घूमते आयें और
    मधुमेहफ्री जलेलबी का
    जायका पायें।

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  21. कृपया हिन्दी के प्रसार प्रचार में ऐसा ही योगदान करते रहवें. साधुवाद!!

    :)

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  22. इस कर्म को चोरी कहना सही नहीं है, ये तो पुण्य का काम है :)

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  23. वाह, वाह! मज़ा आ गया ताऊ! बड़े दिनों बात इतनी जानदार कविता पढने को मिली!

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  24. आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!

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  25. शानदार और जानदार ...

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  26. वाह ताऊ जी!
    यो के रमझोळ सुणा दिया
    आपने छापर सा पाड़ दिया
    फ़ाटे पजामे सील रहे थे वो
    तमने तो तम्बु ही पाड़ दिया


    राम-राम

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