प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली - 58 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है : चंडीगढ़ युद्ध स्मारक.
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
ऐसा सुना और कहा गया है.'जो देश अपने शहीदों को भूल जाता है उस देश की प्रगति संभव नहीं है '.
'युद्ध स्मारक' बनवाए जाते हैं अपने देश के शहीदों के प्रति सम्मान और आभार दर्शाने हेतु.आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाते रहने के लिए की यह देश हमेशा उन वीर शहीदों का ऋणी रहेगा जिनके बलिदान के कारण आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं.
इस बार पहेली में इस स्थान को पूछने का अभिप्राय ही यही था की मैं इस बात को सामने ला सकूँ जो शायद बहुतों को मालूम नहीं है, १९४७ के बाद अब तक हमारे देश ने चार युद्ध लड़े[पाकिस्तान के साथ ( 1965 and 1971,1999 )और चीन के साथ ( 1962)] ,इन में मारे गए पचास हजार सैनिकों की याद में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सेना अध्यक्षों द्वारा समय समय पर लाया गया.लेकिन बहुत ही अफ़सोस के साथ आज मुझे यह कहना पड़ रहा है की आजादी के ६ दशक बाद भी हमारी केंद्र सरकार ऐसा कोई भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनवा पाई.
कल २६ तारीख है शुभकामनायें और बधाई के साथ बस एक और दिन ओपचारिक्तायें निभायी जायेंगी ,बस!
हम में से बहुत से यह कहेंगे की आप कैसे कह रहे हैं की कोई युद्ध स्मारक नहीं है?इंडिया गेट है न ..तो उनकी जानकारी के लिए बता देती हूँ की ब्रिटिश सरकार ने अपने राज में इस ढांचे को बनवाया , जिसे हम इंडिया गेट कहते हैं और यह उन 80,000 से अधिक शहीदों की याद में बनवाया गया था जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध में मारे गए थे.
स्वतंत्रता के बाद इसी इंडिया गेट के बेस पर एक अन्य स्मारक बनवा दिया जिस पर अमर जवान ज्योति है,यहां निरंतर एक ज्वाला जलती है जो उन अंजान सैनिकों की याद में है जिन्होंने इस राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था.यही स्मारक हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है.
प्रश्न यह है कि अंग्रेज अपने राज में इतना भव्य स्मारक बनवा गए और आज हम तकनीक और आर्थिक दृष्टि से सपन्न होते हुए भी ऐसा कोई एक प्रतीक क्यों नहीं बनवा सके जहाँ शहीदों की याद में दो फूल चढ़ाये जा सकें!
कम से कम सरकार दूसरे देशों से ही सबक ले उदहारण के तौर पर छोटे बड़े देशों --कैनबरा, ओटावा, वेलिंगटन, स्काटलैंड और टोक्यो सभी स्थानों पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है,हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के यादगार स्वरूप स्मारक बनवाया गया है और अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में न्यूयॉर्क में भी एक स्मारक बनाया गया है!बर्मा का युद्ध स्मारक तो शायद सबसे बड़ा माना जाता है[?].और तो और भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन करने वाले ब्रिटेन ने भारत पर शासन के दौरान प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध समेत अन्य युद्धों में शहीद और लापता भारतीय सैनिकों की याद में लंदन के हाइड पार्क और बर्मिंघम पैलेस के समीप कंस्टीच्यूशन हिल पर एक युद्ध स्मारक बनवाया है!
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले 1960 की शुरुआत में रखा गया था. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद फिर यह मुद्दा सामने आया और कुछ समय बाद फिर मामला ठन्डे बस्ते में!
1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बार फिर इसकी चर्चा हुई,और आज फिर सेना अध्यक्ष और रक्षा मंत्री द्वारा इस प्रस्ताव को अमल में लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.यहाँ तक की रक्षा मंत्री एंटनी ने प्रधानमंत्री से भी निवेदन किया है वे हस्तक्षेप करें.देखते हैं कब इस पर काम शुरू होता है?
पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कादयान के अनुसार यह युद्ध स्मारक राजधानी दिल्ली के प्रमुख स्थल पर होना चाहिए और इस दिशा में ‘इंडिया गेट’ सबसे उपयुक्त स्थल है,कुछ स्थापत्यकारों ने हालाँकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए धौला कुआँ और राजघाट के पास स्थान तलाशने का भी प्रस्ताव किया है.सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दीपक कपूर ने भी इंडिया गेट पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने के प्रस्ताव का हाल में समर्थन किया था.लेकिन देखीये दिल्ली शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली शहरी कला आयोग ने इस प्रस्ताव का विरोध किया की इस से इंडिया गेट की खूबसूरती पर बुरा असर पड़ेगा!
प्रस्तावित योजना के तहत -:
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाइन और नक्शा तैयार करने का दायित्व स्थापत्यकार चार्ल्स कोरिया को सौंपा गया है.यह युद्ध स्मारक द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता के बाद से भारत ने जिन युद्धों में हिस्सा लिया, उनमें शामिल हुए हजारों भारतीय सैनिकों के बलिदान की याद में बना पहला स्मारक होगा.
इस के डिजाइन में एक श्रद्धांजलि कक्ष और सैन्य बल संग्रहालय के साथ लगभग 50 हजार शहीद सैनिकों का नाम दर्ज कराने के लिए स्तम्भों से घिरी दीवार के निर्माण की बात कही गई है, यह स्मारक इंडिया गेट पर प्रिंसेस पार्क और जोधपुर होस्टल के बीच होगा तथा तीनों को ‘भूमिगत पारपथ’ से जोड़ा जाएगा.
ताज़ा जानकारी के अनुसार-
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने ज़मीन आवंटन सम्बन्धी समस्या का समाधान निकालने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया है.
इस समूह की अध्यक्षता वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी कर रहे हैं, जबकि इसके अन्य सदस्य रक्षामंत्री एके एंटनी और शहरी विकास मंत्री एस. जयपाल रेड्डी हैं.
योजना बने हुए ४ दशक तो हो गए ....देखते हैं की और कितने वर्षों में इस योजना को रूप दिया जायेगा!
अब चलते हैं उस समारक की और जिसका चित्र हमने पहेली में आप को दिखाया था.
Chandigarh War Memorial
चंडीगढ़ युद्ध स्मारक
वह युद्ध स्मारक चण्डीगढ़ के सेक्टर ३ में बोगेनविलिया बाग़ में स्थित है.
यह इंडियन एक्सप्रेस समूह की पहल का परिणाम है की आज देश का सब से बड़ा [संभवत]युद्ध समारक हमारे सामने है.इंडियन एक्सप्रेस समूह की इस पहल में पंजाब ,हरियाणा ,भारतीय सेना,और पूरे भारत से अनुदान कर्ताओं का पूरा सहयोग मिला.
लेफ्टिनेंट जेनरल [retd] ज.ऍफ़.आर. जेकब ने इसे एक 'शानदार यादगार 'बताते हुए इस की योजना बनायी थी और अप्रैल २८,२००४ को इसकी आधारशिला रखी.और १७ अगस्त ,२००६ को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने इस २२.५ फुट ऊँचे खूबसूरत स्मारक का उद्घाटन करते हुए इसे देश को समर्पित किया.
The Punjab Governor and Administrator, Union Territory, Chandigarh, Gen. (Retd.) S.F. Rodrigues, PVSM VSM, observing two-minute silence in memory of the Father of the Nation, Mahatma Gandhi and other martyrs who sacrificed their lives for protecting the unity and integrity of the Country, at Chandigarh War Memorial, in Bougainvillea Garden, Chandigarh on Wednesday, January 30, 2008
चंडीगढ़ युद्ध स्मारक में लगे काले Granite पर हिमाचल प्रदेश ,पंजाब ,हरयाणा और संघीय प्रदेश चंडीगढ़ के उन ८४५९ वीर सपूतों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हैं जो १९४७ के बाद के 4 [कारगिल समेत] युद्धों में शहीद हुए थे.इंडियन एक्सप्रेस समूह ने एक बड़ी अनुदान राशी इन शहीदों के जरूरतमंद परिवार को भी सहायतार्थ दी.
इस की डिजाईन के लिए Chandigarh College of Architecture (CCA) के छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिस में नानकी सिंह और शिवानी गुगलानी के डिजाईन चुने गए थे.
युवा आर्किटेक्ट श्री शम्स एस शैख़ ने इस समारक के डिजाईन को बनाया और अंतिम रूप देकर इसे संवारा.इस स्मारक की चीफ आर्किटेक्ट रेनू सैगल और चंडीगढ़ के मुख्य इंजिनियर वी के भरद्वाज के प्रयासों के चलते इस समारक को बनाने में किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया.इनके अलावा इन तीन इन्जीनीरियों हर्ष कुमार,ललित चुघ,और दलबीर सिंह के नाम भी उल्लेखनीय है.
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आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है. आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
ऐसा सुना और कहा गया है.'जो देश अपने शहीदों को भूल जाता है उस देश की प्रगति संभव नहीं है '.
'युद्ध स्मारक' बनवाए जाते हैं अपने देश के शहीदों के प्रति सम्मान और आभार दर्शाने हेतु.आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाते रहने के लिए की यह देश हमेशा उन वीर शहीदों का ऋणी रहेगा जिनके बलिदान के कारण आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं.
इस बार पहेली में इस स्थान को पूछने का अभिप्राय ही यही था की मैं इस बात को सामने ला सकूँ जो शायद बहुतों को मालूम नहीं है, १९४७ के बाद अब तक हमारे देश ने चार युद्ध लड़े[पाकिस्तान के साथ ( 1965 and 1971,1999 )और चीन के साथ ( 1962)] ,इन में मारे गए पचास हजार सैनिकों की याद में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सेना अध्यक्षों द्वारा समय समय पर लाया गया.लेकिन बहुत ही अफ़सोस के साथ आज मुझे यह कहना पड़ रहा है की आजादी के ६ दशक बाद भी हमारी केंद्र सरकार ऐसा कोई भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनवा पाई.
कल २६ तारीख है शुभकामनायें और बधाई के साथ बस एक और दिन ओपचारिक्तायें निभायी जायेंगी ,बस!
हम में से बहुत से यह कहेंगे की आप कैसे कह रहे हैं की कोई युद्ध स्मारक नहीं है?इंडिया गेट है न ..तो उनकी जानकारी के लिए बता देती हूँ की ब्रिटिश सरकार ने अपने राज में इस ढांचे को बनवाया , जिसे हम इंडिया गेट कहते हैं और यह उन 80,000 से अधिक शहीदों की याद में बनवाया गया था जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध में मारे गए थे.
स्वतंत्रता के बाद इसी इंडिया गेट के बेस पर एक अन्य स्मारक बनवा दिया जिस पर अमर जवान ज्योति है,यहां निरंतर एक ज्वाला जलती है जो उन अंजान सैनिकों की याद में है जिन्होंने इस राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था.यही स्मारक हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है.
प्रश्न यह है कि अंग्रेज अपने राज में इतना भव्य स्मारक बनवा गए और आज हम तकनीक और आर्थिक दृष्टि से सपन्न होते हुए भी ऐसा कोई एक प्रतीक क्यों नहीं बनवा सके जहाँ शहीदों की याद में दो फूल चढ़ाये जा सकें!
कम से कम सरकार दूसरे देशों से ही सबक ले उदहारण के तौर पर छोटे बड़े देशों --कैनबरा, ओटावा, वेलिंगटन, स्काटलैंड और टोक्यो सभी स्थानों पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है,हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के यादगार स्वरूप स्मारक बनवाया गया है और अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में न्यूयॉर्क में भी एक स्मारक बनाया गया है!बर्मा का युद्ध स्मारक तो शायद सबसे बड़ा माना जाता है[?].और तो और भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन करने वाले ब्रिटेन ने भारत पर शासन के दौरान प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध समेत अन्य युद्धों में शहीद और लापता भारतीय सैनिकों की याद में लंदन के हाइड पार्क और बर्मिंघम पैलेस के समीप कंस्टीच्यूशन हिल पर एक युद्ध स्मारक बनवाया है!
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले 1960 की शुरुआत में रखा गया था. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद फिर यह मुद्दा सामने आया और कुछ समय बाद फिर मामला ठन्डे बस्ते में!
1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बार फिर इसकी चर्चा हुई,और आज फिर सेना अध्यक्ष और रक्षा मंत्री द्वारा इस प्रस्ताव को अमल में लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.यहाँ तक की रक्षा मंत्री एंटनी ने प्रधानमंत्री से भी निवेदन किया है वे हस्तक्षेप करें.देखते हैं कब इस पर काम शुरू होता है?
पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कादयान के अनुसार यह युद्ध स्मारक राजधानी दिल्ली के प्रमुख स्थल पर होना चाहिए और इस दिशा में ‘इंडिया गेट’ सबसे उपयुक्त स्थल है,कुछ स्थापत्यकारों ने हालाँकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए धौला कुआँ और राजघाट के पास स्थान तलाशने का भी प्रस्ताव किया है.सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दीपक कपूर ने भी इंडिया गेट पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने के प्रस्ताव का हाल में समर्थन किया था.लेकिन देखीये दिल्ली शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली शहरी कला आयोग ने इस प्रस्ताव का विरोध किया की इस से इंडिया गेट की खूबसूरती पर बुरा असर पड़ेगा!
प्रस्तावित योजना के तहत -:
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाइन और नक्शा तैयार करने का दायित्व स्थापत्यकार चार्ल्स कोरिया को सौंपा गया है.यह युद्ध स्मारक द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता के बाद से भारत ने जिन युद्धों में हिस्सा लिया, उनमें शामिल हुए हजारों भारतीय सैनिकों के बलिदान की याद में बना पहला स्मारक होगा.
इस के डिजाइन में एक श्रद्धांजलि कक्ष और सैन्य बल संग्रहालय के साथ लगभग 50 हजार शहीद सैनिकों का नाम दर्ज कराने के लिए स्तम्भों से घिरी दीवार के निर्माण की बात कही गई है, यह स्मारक इंडिया गेट पर प्रिंसेस पार्क और जोधपुर होस्टल के बीच होगा तथा तीनों को ‘भूमिगत पारपथ’ से जोड़ा जाएगा.
ताज़ा जानकारी के अनुसार-
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने ज़मीन आवंटन सम्बन्धी समस्या का समाधान निकालने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया है.
इस समूह की अध्यक्षता वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी कर रहे हैं, जबकि इसके अन्य सदस्य रक्षामंत्री एके एंटनी और शहरी विकास मंत्री एस. जयपाल रेड्डी हैं.
योजना बने हुए ४ दशक तो हो गए ....देखते हैं की और कितने वर्षों में इस योजना को रूप दिया जायेगा!
अब चलते हैं उस समारक की और जिसका चित्र हमने पहेली में आप को दिखाया था.
चंडीगढ़ युद्ध स्मारक
वह युद्ध स्मारक चण्डीगढ़ के सेक्टर ३ में बोगेनविलिया बाग़ में स्थित है.
यह इंडियन एक्सप्रेस समूह की पहल का परिणाम है की आज देश का सब से बड़ा [संभवत]युद्ध समारक हमारे सामने है.इंडियन एक्सप्रेस समूह की इस पहल में पंजाब ,हरियाणा ,भारतीय सेना,और पूरे भारत से अनुदान कर्ताओं का पूरा सहयोग मिला.
लेफ्टिनेंट जेनरल [retd] ज.ऍफ़.आर. जेकब ने इसे एक 'शानदार यादगार 'बताते हुए इस की योजना बनायी थी और अप्रैल २८,२००४ को इसकी आधारशिला रखी.और १७ अगस्त ,२००६ को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने इस २२.५ फुट ऊँचे खूबसूरत स्मारक का उद्घाटन करते हुए इसे देश को समर्पित किया.
चंडीगढ़ युद्ध स्मारक में लगे काले Granite पर हिमाचल प्रदेश ,पंजाब ,हरयाणा और संघीय प्रदेश चंडीगढ़ के उन ८४५९ वीर सपूतों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हैं जो १९४७ के बाद के 4 [कारगिल समेत] युद्धों में शहीद हुए थे.इंडियन एक्सप्रेस समूह ने एक बड़ी अनुदान राशी इन शहीदों के जरूरतमंद परिवार को भी सहायतार्थ दी.
इस की डिजाईन के लिए Chandigarh College of Architecture (CCA) के छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिस में नानकी सिंह और शिवानी गुगलानी के डिजाईन चुने गए थे.
युवा आर्किटेक्ट श्री शम्स एस शैख़ ने इस समारक के डिजाईन को बनाया और अंतिम रूप देकर इसे संवारा.इस स्मारक की चीफ आर्किटेक्ट रेनू सैगल और चंडीगढ़ के मुख्य इंजिनियर वी के भरद्वाज के प्रयासों के चलते इस समारक को बनाने में किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया.इनके अलावा इन तीन इन्जीनीरियों हर्ष कुमार,ललित चुघ,और दलबीर सिंह के नाम भी उल्लेखनीय है.
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अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
श्री प्रकाश गोविंद अंक 101 |
सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 100 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 99 |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 98 |
श्री मनोज कुमार अंक 97 |
डा. श्री महेश सिन्हा अंक 96 |
सुश्री हीरल अंक 95 |
श्री अविनाश वाचस्पति अंक 50 |
श्री उडनतश्तरी अंक 49 |
सुश्री बबली अंक 48 |
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं!
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री रजनीश परिहार
श्री काजलकुमार,
श्री विवेक रस्तोगी
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
सुश्री निर्मला कपिला
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राज भाटिया
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री रंजन
श्री दीपक "तिवारी साहब"
श्री मकरंद,
श्री स्मार्ट इंडियन
अभिषेक ओझा, और
श्री दिगम्बर नासवा
आप सभी का पुन: बहुत आभार!
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
युद्ध स्मारक चण्डीगढ़ मेरे लिये नई जानकारी रही. धन्यवाद. सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी को बधाई एवं अन्य विजेताओं को भी बधाई.
ReplyDeleteइस बार संजय बैंगाणी नहीं आये??
ReplyDeleteबधाई! समीर जी के आगे सुश्री ..?
ReplyDeleteसभी भाग्यशाली विजेताओं को हार्दिक बधाई!!!
ReplyDeleteमहाबधाई प्रकाश जी को
ReplyDeleteऔर मुझे छोड़कर
बाकी सभी को
बधाई।
विजेताओँ को बधाई!
ReplyDeleteमैं तो इस बार भाग ही नहीं ले पाया,विजेताओं को बधाई.
ReplyDeletesameer bhai ko sushri hone par badhai.. sameer bhai aapane bataya nahi:)
ReplyDeletePrakashji aur sabhi vijetaaon ko hardik badhaai!!!
ReplyDeleteहुम्म्म्म्म्म्म्म्म्म मैं भी कहूँ ये प्रकाश जी आज कल दिखाई नहीं देते तो इन्हें आपने परीक्षा हाल मे बिठा रखा था । चलो फर्स्ट आने के लिये बहुत बहुत बधाई बाकी विजेताओं को भी बधाई
ReplyDeleteसभी जीतने वालों को बधाई और स्मारक की जानकारी के लिए अल्पना जी का बहुत बहुत आभार ..........
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई....ओर सीमा जी को इस जानकारी के लिए धन्यवाद्!!!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteregards
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी एवं सभी को बधाई!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
विजेताओं को बहुत बहुत बधाई..गणतंत्र-दिवस की मंगलमय शुभकामना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत बहुत धन्यवाद ताउजी को।
ReplyDeleteशहीद स्मारक संबधित गहन जानकारी बढिया लगी। अल्पना जी! बहुत धन्यवाद।