आपने सुना है कि कभी हथियारों के बिना लडाई लडी गई हो? नही ना. अब आपको इतनी देर मे ये समझ आ गया होगा कि आज ताऊ का माथा कुछ आऊट आफ़ करंट है. ये भी आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं.
हुआ युं कि पिछले तीन चार सप्ताह से हमारे हथियार की तबियत बहुत नासाज हो चली थी. अब प्राण निकले कि तब प्राण निकले. भाई अब आप पूछोगे कि ये कौन सा हथियार आगया ? जिसमे प्राण भी होते हैं? बहुत दुरुस्त सवाल है आपका.
एक ब्लागर का और वो भी एक लतियल ब्लागर का हथियार यानि राकेट लांचर से भी बडा हथियार होता है उसका लेपटोप. अगर किसी लतियल ब्लागर का हथियार आऊट आफ़ दिमाग हो गया तो वो ब्लागर किसी काम का नही. वो एक लंगडे घोडे की माफ़िक होता है, और लंगडे घोडे का क्या किया जाता है? आपसे अच्छी तरह कौन समझ सकता है? समझते रहिये..किसी दिन आपके भी काम आयेगा.
हां तो आगे की कहानी युं है कि लेपटोप के नखरे इतने बढे कि हमने कम्पनी से संपर्क किया. उसने बुलाया..ठीक किया दे दिया...दो दिन बाद वही बीमारी..फ़िर बुलाया.ठीक किया दे दिया. ना लेपटोप जी अपना माथा ठीक करने को तैयार था और ना कम्पनी वाला अपनी हार मानने को तैयार.
कल हमने फ़ायनल कागज पत्र ऊठाकर देखे तो ३ अप्रेल को कम्पनी की वारंटी या गारंटी जो भी है वो खत्म हो रही है.
सो आज हम खुद काम धंधा छोड कर कम्पनी के द्फ़्तर पहूंच गये. वहां वही लफ़्फ़ेबाजी शुरु. हमने जिस वेंडर से खरीदा था उसको भी बुलवा लिया और उस कम्पनी वाले को कहा कि भाई तू ये बदल दे. हमको इतना नखरे वाला हथियार नही चाहिये. इस लेपटोप को बदलने की बात पर उसने हमको इस तरह देखा जैसे हम चिडिया घर के प्राणी नही होकर कहीं मनुष्यों के बीच से आये हों?
पर थोडी ना नुकुर और हमारे द्वारा ताऊ पना दिखाने की सम्भावना भांपकर वो मदर बोर्ड बदलने को तैयार होगया. यानि अब झंझट खत्म. फ़िल्हाल तो हमको यही समझाया गया है कि मदर बोर्ड बदल गया तो अब समझो नया ही होगया. वैसे इनकी रामलीला ये ही जाने.
अब हमको डीळीवरी कल तक मिलेगी. हम पिछले तीन चार सप्ताह से जैसे तैसे काम चला रहे हैं. हमारे सम्मन्निय ब्लागर्स के आधे अधूरे साक्षात्कार भी इसी वजह से रुके पडे हैं. इस दुख की महान घडी मे हमको सबसे ज्यादा सहारा भतीजे आशीष खंडेलवाल ने दिया है. जिसने हमारी पोस्टों को उनका कीमती समय जाया करते हुये प्रकाशन करवाते रहे.
कई बार हमारी इच्चा हुई कि अब और नही लिख सकते बिना हथियार के.लेकिन आशीष ने कहा कि - ताऊ कुछ भी हो जाये आप तो मुझे ईमेल पर पोस्ट लिख कर भेजो. मैं पबलिश करता रहूंगा. बहुत धन्यवाद भतीजे.
अब उम्मीद करते हैं कि एक दो दिन मे हमारी AK-47 हथियार सही होके आजाये और हमारी तबियत भी ठीक हो जाये. हमारी तबियत का हाल चाल खूंटे पर पढ लिजिये.
इब कल तक की रामराम.
इब खूंटे पै पढो :- बात स्कूल के दिनों की है. उन दिनों मे नौवी क्लास मे ही ऐच्छिक विषय लिये जाते थे. ताऊ ने जैसे तैसे करके आंठवीं पास करली और नौवीं मे पहुंच गया. ताऊ को गणित विषय से ओबामा और ओसामा वाली दुशमनी थी यानि खानदानी दुश्मनी. सो उससे बचने के लिये ताऊ ने बायोलोजी विषय ले लिया. ताऊ रट्टेबाज तो घणा पुराना था सो कोई दिक्कत नही आई. गणित मे रट्टे की सुविधा नही होती वर्ना उससे भी दोस्ती हो सकती थी. अब यहां भी समस्या खडी हो गई. वार्षिक परिक्षा के समय प्रेक्टिकल शुरु हुये. ताऊ ने रात भर सब रट्टे मारे. मेंढक भी कतरना जैसे तैसे सीख गया. बायो के प्रेक्टिकल शुरु हुये. सब लडके लैब मे हाजिर थे. सबको अलग अलग डिसेक्शन के लिये विषय और सा्मग्री तैयार करके दे ई गई. संयोग देखिये ताऊ को और उसके बाजू वाले लडके रामजीडे दोनो को मेंढक का डिसेक्शन करके आंते निकालनी थी. बस ताऊ को मेंढक खोलना तो आता था. ट्रे मे मेंढक को उल्टा करके पिन लगा कर क्लोरोफ़ार्म सूंघा कर उसको खोल लिया. इससे आगे का उसके बस का रोग नही था. अब ताऊ ने देखा कि रामजीडा काफ़ी कुछ काम कर चुका है. ताऊ लगातार रामजीडे को देख रहा था. रामजीडा आंते निकाल कर अपना प्रेक्टिकल पुर्ण करने वाला ही था कि उसको पानी की प्यास लगी और वो पा्नी पीने के लिये जरा सी देर बाहर गया. इसी बीच मे ताऊ ने उसकी ट्रे अपने कब्जे मे करी और खुद की ट्रे उसकी टेबल पर रख दी. रामजीडा आता उसके पहले ही उसने मास्साब को अपनी निकाली हूई आंते दिखाई और वहां से नौ दो ग्यारह हो लिया. रामजीडा रोता रह गया. उसकी कौन सुनता? अगले दिन जंतू वि्ज्ञान का प्रेक्टीकल था. ताऊ ने फ़िर रट्टे मारे. पर हुआ उल्टा ही. प्रयोगशाला मे मास्साब ने दस बारह चिडियों की टांगे लटका रखी थी. और सवाल था कि ये टांगे पहचानों कौन से पक्षी की टांगे हैं? अब ताऊ के बस का ये काम था नही. बेईमानी की भी गुंजाईश नही की ट्रे ही बदल दे? ताऊ झुंझलाया और मास्साब से बोला - ''ये क्या बेवकूफी भरी परीक्षा है। टांगों से चिड़ियों को कैसे पहचाना जा सकता है। मैं जा रहा हूं। '' उसने अपनी कॉपी मास्साब की मेज पर पटकी और चल दिया। चूंकी प्रायोगिक परिक्षा लेने वाले मास्साब बाहर से आते हैं सो वो लडकों पहचानते भी नही हैं.उनको भी ताऊ की इस हरकत पर काफी आश्चर्य हुआ। गुस्से से भरा हुआ ताऊ, एक पल के लिये रुका, फिर अपनी पैंट नीचे उतारी और टांगें दिखाते हुये बोला - ''आप पहचानिये मेरी टांगे देख कर और पहचानिये कि मेरा नाम क्या है. |
''ए छोरे, तुम्हारा नाम क्या है ?''
ReplyDeleteगुस्से से भरा हुआ ताऊ, एक पल के लिये रुका, फिर अपनी पैंट नीचे उतारी और टांगें दिखाते हुये बोला - ''आप पहचानिये मेरी टांगे देख कर और पहचानिये कि मेरा नाम क्या है.
खूँटा अच्छा लगा। आप जिओ हजारों साल।
लिखते रहो अच्छा-अच्छा माल।
करते रहो कमाल।
मचाते रहो धमाल।
बधाई।
ताऊ, बिना हथियार के ईमेल कैसे भेजते हो आशीष को??
ReplyDeleteअपणी भी ताऊ बुद्धि हो ली है-कुछ समझ नहीं आ पा रहा.
हा हा-ये खूँटे के लिए है.
ReplyDeleteताऊ की जय हो!
ReplyDelete"आप पहचानिये मेरी टांगे देख कर और पहचानिये कि मेरा नाम क्या है."
ReplyDeleteअब समझ में आया कि "पूत के पाँव... चलाने के और दिखाने के और" क्यों होते हैं.
ताऊ नौवीं क्लास से ही ताऊगिरी शुरू।
ReplyDeleteलेपटॉप वैंडर पर ताऊगिरी नहीं चली क्या? वह लेपटॉप दुरूस्त नहीं कर ता है या फिर भी खराबी निकलती है तो जरूर उपभोक्ता अधिकारों और अदालत का उपयोग कीजिएगा।
mazedar khuta hai aur aasha hai laptap jaldi hi thik hoke aajayega:)
ReplyDeleteओह जान में जान आयी -मैं तो कुछ और ही समझ बैठा था !
ReplyDeleteशुभकामनाऐं ताऊ.. आपका हथियार जल्द स्वस्थ हो कर घर आये...
ReplyDeleteखुटां मस्त रहा.. :)
उम्मीद है की ताऊ आपका हथियार एकदम चंगा हो जायेगा, और आप का साथ लम्बे समय तक देगा .
ReplyDeleteटांगे देख कर तो मास्टर नहीं बता पाया होगा की नाम क्या है पर हरकत देख कर जान जरुर गया होगा की ये कौन हो सकता है .
आपका हथियार जल्द ठीक हो इसी शुभकामना के साथ .....
ReplyDeleteहथियार बीमार हो गया ओह ओह ये कमबख्त रामप्यारी क्या कर रही है लगी होगी पिस्टल लेकर कही दादा गिरी करने.....कुछ कैट स्कैन वगरह कर लेती समय रहते तो हथियार जल्दी ठीक हो जाता न.....मिलने दो जरा शनिवार को क्लास लगनी पडेगी उसकी भी....
ReplyDeleteखूँटा की बात ही निराली है ह हा हा हा ha
Regards
अच्छा हुआ टांगे ही दिखाई पैंट खोल के.. :)
ReplyDeleteवैसे हथियार रखने के चक्कर में संजू बाबा को धार लिया था.. आप ख्याल रखना
मज़ा आ गया ताऊ खूंटे पे जाकर। ये हरकते हम भी कर चुके हैं,और हां आपके पास आशीष जैसा भतीजा है तो हमारे पास भी संजीत त्रिपाठी जैसा आज्ञाकारी लक्षमण है।
ReplyDeleteबिना नेट और कंप्यूटर के हम तो ऐसे हो जाते है जैसे दोनो हाथ ही कट गए हों. आपकी तकलिफ समझी जा सकती है...
ReplyDeleteखूंटे पे पढ़कर हमें अपने प्रैक्टिकल भी याद आ गए. मजा आया. आपने लिखा है की आपका लेपटोप ख़राब है और यह भी लिखा है की आशीष को इमेल करोगे और वह पबलिश करेगा.("आप तो मुझे ईमेल पर पोस्ट लिख कर भेजो. मैं पबलिश करता रहूंगा") अब हमें बताएं की हथियार के बगैर इमेल कैसे करेंगे. यदि इमेल कर सकते हैं तो खुद पबलिश भी कर सकते हैं. - न बनाओ बतियाँ हटो काहे को झूटी.
ReplyDeleteसमीर जी का कमेन्ट हमने नहीं पढ़ा था अब तो वो भी हमारे साथ हैं.
ताऊ थारी थोडी सी मदद चहिए,कृ्पा करकै इतना बता दियो के थमनै नौंवी क्लास कौन सी यूनिवर्सिटी तै की थी, क्यों कि मणै अपने बेटे का अडमीशन बी इस साल नौंवी मैं ही करवाना है...))
ReplyDeleteताऊजी, प्रणाम.. सबसे पहले तो मैं कृतज्ञ हूं आपकी इस सदाशयता का, कि आपने मेरे इस तुच्छ से कार्य को इतना बड़ा बनाकर पेश किया। दूसरा सभी को बताना चाहूंगा कि ताऊजी के पास "ए के 47" भले ही एक हो, लेकिन .303 की रायफलें बहुत हैं। उनका भरा-पूरा ऑफिस है जहां दर्जनों डेस्कटॉप उनकी अंगुलियों का इंतजार इस तरह करते हैं, जैसा इतिहास में दर्ज ज़नानखानों में कथित तौर पर राजा का इंतजार दर्जनों रानियां करती थीं। इसलिए युद्ध भले ही कितना विकट हो जाए, उनकी ई-मेल बदस्तूर मिलती रहेगी। पोस्टिंग इसलिए नहीं कर पाते कि ताऊजी को पोस्टिंग विंडोज लाइव राइटर की मदद से ही आती है और केवल लैपटॉप में ही है। ब्लॉगर के एडिट बॉक्स में सीधे-सीधे पोस्टिंग करना इसलिए नहीं सिखाया, क्योंकि मुझे अपनी दुकान उजाड़ने का शौक थोड़े ही है.. :) .. ताऊजी आप सुन तो नहीं रहे ना कि मै क्या कह रहा हूं..
ReplyDeleteताऊ जी और आशीष जी की जोड़ी सलामत रहे. शुभकामनाएं.
ReplyDelete@ Pt.डी.के.शर्मा"वत्स
ReplyDeleteजी मैने तो नौवी सीकर जिले की एक छोटी सी हाईस्कूल से की थी.
आपको शायद इसलिये यकीन नही हो रहा होगा कि नौवी मे कौन से ऐच्छिक विषय की मैं बात कर रहा हूं?
तो पुरानी खोपदियों को मालूम होगा कि जो विषय आजकल ११ वीं मे ऐच्छिक लिये जाते हैं वो उस समय नौवी मे लिये जाते थे.
और जब १० + २ हुआ तब से वो व्यवस्था नई व्यव्स्था मे बदल गई. वैसे उपरोक्त घटना सही है. हमको उस घटना के बाद स्कूल से चलता कर दिया गया है जिसका प्रमाण भी हमारे पास है.
रामराम.
wah tau wah, majaaaaaaaaa aa gaya
ReplyDeleteअगर किसी लतियल ब्लागर का हथियार आऊट आफ़ दिमाग हो गया तो वो ब्लागर किसी काम का नही. वो एक लंगडे घोडे की माफ़िक होता है, और लंगडे घोडे का क्या किया जाता है? आपसे अच्छी तरह कौन समझ सकता है?
ReplyDeleteताऊ ये अच्छा किया कि आपने स्पष्ट कर दिया कि ये सिर्फ़ लतियल ब्लागर पर ही लागू होता है. वर्ना हम तो डर ही गये थे.:)क्योंकि लंगडे घोडे को गोली मार दी जाती है.:)
अगर पूरे स्कूल मे आप जैसे चार पांच ताऊ भर्ती हो जायें तो क्या होगा? कोई मेरे सवाल का जवाब देगा क्या?
ReplyDeleteऔर ये रामप्यारी,सैम और बीनू फ़िरंगी, और संतू गधा और अब हीरामन ...ये सब भी उसी स्कूळ के जमाने के संगी साथी दिखते हैं.:)
छा गये ताऊ आज तो घणि जोर से.
ReplyDeleteछा गये ताऊ आज तो घणि जोर से.
ReplyDeleteताऊ राम राम
ReplyDeleteमजा आ गया खूंटा पढ़ कर ............
टांग का जादू चल गया, हंसी रुकने का नाम नहीं ले रही
ताऊ अपणा हथियार ठीक कर ले! न्हीं तै खूंट्टे क्यूक्कर चढावैगा?
ReplyDeletetaau...jab hamara laptop karab hua tha tab to aapne hi sujhaav diya tha khaulte tel me daal dene ka...bas tab se mera laptop thik chal raha hai. aap apne sujhav par fir se amal kijiye. mujhe poora yakin hai iske nakhre band ho jaayenge.
ReplyDeleteAshishji hai to fir kya gum hai...
ReplyDeleteapki problem jaldi hi thik ho jayegi...
'Laptop' sach mein hi bada hathiyaar hai...
ReplyDeleteasha hai jaldi hi durust ho jayega.
aap ka science practicle to bada mazedaar hota tha!!!!'प्रयोगशाला मे मास्साब ने दस बारह चिडियों की टांगे लटका रखी थी'
hee hee hee!
ताऊ हम सब को पी ...... बना रहा है | आशीष भाई मदद करते है वह क्या बात है जिनके पास कभी भी टाइम नहीं वह मदद कर रहे है | हमने तो आशीष जी के विंडो में हरी बत्ती जलते नहीं देखी हमेश बीजी का टेम्प्लेट लगा रहता है |
ReplyDeleteअबकी बार टापलेस वाला
ReplyDeleteलेपटाप लीजिएगा या
उसमें एड करा लीजिएगा
ऐसा साफ्टवेयर, फिर वो
धो+खा नहीं पाएगा
शर्म के मारे होगा नहीं खराब
खेलेगा कूदेगा पर नहीं बनेगा नबाव
नहीं बनेगा नबाव तो कैसे होगा खराब
भगवन करे हथियार जल्दी ठीक हो जाए.
ReplyDeleteजल्दी तबियत ठीक होने के लिये शुभकामनायें!
ReplyDeleteमैंने सुना..."ak-47" कहीं पर?
ReplyDeleteकहाँ है?????????????????
ताऊ हमारे हरियाणे मै तो हथियार का मतलब... कुछ ओर ही होता है...:)ओर आप का आज का टाईटल("ताऊ के हथियार की तबियत खराब" ) पढ कर थोडा हेरान भी हुया, यह ताऊ को आज क्या हो गया केसी केसी बाते कर रह है?
ReplyDeleteओर खूंटॆ वाली बात तो भाई आज पता चल गया कि मेडक चोर कोन था.
सीता राम
ताऊ जी स्वस्थ रहेँ
ReplyDeleteऔर हँसी की फूलझडीयाँ
यूँ ही... रोशन रहे
- लावण्या
अब कैसी है तबियत आपके AK 47 की ??
ReplyDeleteअब इस आविष्कार को पेटेंट करा लीजिये जिससे और लोग भी आप से सीखकर बिना कोम्पुटर के ई मेल कर सकेँ
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