आंसू बिकते हैं...

आंसू बिकते हैं

 आंसू बिकते हैं...
 
netaji-3
 
एक नेताजी बोले
भैया मगर
जरा से आंसू
उधार दो अगर
तो देश की बदहाली पर

हम भी ऑंखें कर आये तर...
पथरीली आंखों से
बोला मगर
नेता हु्जूर
बडी देर कर दी

कुछ जल्दी आते अगर ...
सारा का सारा
आंसुओं का स्टाक तो
दस दिन पहले ही

दूसरी पार्टी वालो
को हम कर चुके है नज़र

नेता जी बोले
कुछ करो हेरफ़ेर
अच्छे दाम दूंगा

तुमको भाई मगर
मगर बोला
नेताजी
हम आंसूओं का व्यापार
करते हैं
कोई हेराफ़ेरी
या नेता गिरी नही करते

तुम्हारा कोई तीर अब
नहीं करेगा मुझ पर असर .....

 
netaji-2







(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
















Comments

  1. बहुत खूब।

    खुशी के आँसू गम के आँसू आँसू है व्यापार।
    घड़ियाली आँसू दिखलाकर चलती है सरकार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. हेर-फेर के पलड़ों में नयनों का,
    खारा जल तुलता है।
    नेताओं के नयनों में तालाबों
    जैसा जल घुलता है।

    घणी राम-राम।

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  3. चुनावी माहौल की यादगार कविता !

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  4. हम आंसूओं का व्यापार
    करते हैं
    कोई हेराफ़ेरी
    या नेता गिरी नही करते


    कितनी दमदार व भावनाप्रधान अभिव्यक्ति है !!
    अद्भुत !!

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  5. हम आंसूओं का व्यापार
    करते हैं
    कोई हेराफ़ेरी
    या नेता गिरी नही
    बहुत खूब..सुंदर रचना।

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  6. हम आंसूओं का व्यापार
    करते हैं
    कोई हेराफ़ेरी

    बहुत सटीक और सामयिक ताऊ.

    आजकल आंसुओं की डिमांड काफ़ी है और वो भी घडियाली आंसुओं की.

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  7. बहुत सुंदर और सटीक कविता.

    रामराम.

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  8. सही है ताऊ जी, नकली आंसू दिखाकर आजकल वोट जो लेने हैं जनता से.

    आपने पहले नही बताया वर्ना हम भी थोडा स्टाक कर लेते तो मंदी के माहोल मे कुछ कमाई हो जाती.

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  9. वाह वाह ताऊ चाल्हे पाड दिये
    कविता मे तो नेताओं के कपडे फ़ाड दिये.

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  10. सीमा जी का जवाब नहीं. चित्र भी क्या गजब का है. उसमें ही एक कविता है.

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  11. chunavon में aansuyon के vyapar के madhyam से बहुत ही सही kataksh किया है.
    अफ़सोस यह है कि भोली जनता इन घडियाली आंसुओं में बह जाते हैं.


    badhayee.

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  12. आंसू बिकते हैं बोलो खरीदोगे????

    " बेहद ही सामयिक और सार्थक रचना "
    regards

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  13. थोड़ी हेराफेरी कर दो प्लिज़., वरना हम पाँच साल यह नहीं कर पाएंगे....

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  14. नेताजी
    हम आंसूओं का व्यापार
    करते हैं
    कोई हेराफ़ेरी
    या नेता गिरी नही करते

    तुम्हारा कोई तीर अब
    नहीं करेगा मुझ पर असर
    waah kya kehne;):),neta se magar maharaj jyada iandar nikle,aasoon ke mamle mein bhi.shandar rachana,maza aa gaya.

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  15. आंसुओं का व्यापर और घडियाली आंसुओं के खरीदार , बहुत अच्छी और समय को देख कर कविता लिखी गयी है !!

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  16. वाह जी वाह.. हमारे नेताओं से तो मगर और घड़ियाल ही अच्छे.. जो करते हैं डंके की चोट पर तो करते हैं.. कटाक्ष को बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया आपने..

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  17. हम आंसूओं का व्यापार
    करते हैं

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  18. सच्चाई ब्यां करती एक बेहतरीन कविता....बहुत बढिया...

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  19. प्रणाम ताऊ जी... राजनेताओं के आचरण को मंच पर कविता के माध्यम से लाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। इन्होंने सत्य को बेचा, धर्म को बेचा और अब इन नकली आंसूओं का व्यापार करने में भी माहिर हो गये है। एक बात ओर ताऊ जी, इस देश में क्रांतियां हमेशा दबे पांव आई है। एक ऐसा वक्त आयेगा ... ऐसी क्रांति आयेगी जब हम इस बासठ साल पुराने भारतीय लोकतंत्र को मजबूती पर खडा देखेंगे लेकिन इसके लिए दूसरी आजादी के लिए लडने की तैयारी हमें ही करनी होगी।
    जय हिंद

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  20. सही है...
    वैसे भी नौकरी गई, तब आंसू बहे
    चावल-दाल का दाम देखा, तब आंसू बहे
    आन्स्सो तो सारे बह गए
    नेता जी को कहाँ से देगा कोई?

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  21. कितना तीखा और तेज व्यंग है................अगर कोई नेता पढ़गे तो शर्म से डूब मरेगा..............
    बहुत खूब

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  22. व्यंग्य में बडी ताकत होती है, यह इस कविता से प्रमाणित होता है। सुंदर कविता, हार्दिक बधाई आपको और सीमा जी को।

    ----------
    अभिनय के उस्ताद जानवर
    लो भई, अब ऊँट का क्लोन

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  23. दमदार-
    बहुत खूब-
    यादगार-
    सुंदर-
    सटीक
    -सही
    -वाह वाह-
    सीमा जी का जवाब नहीं.
    -बहुत ही सही-
    सार्थक -
    बहुत अच्छी-
    वाह जी वाह..
    सत्य वचन-
    बेहतरीन
    tanks to सुश्री सीमा गुप्ताजी.आभार

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  24. गहरी चोट करती रचना। शानदार जानदार।

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  25. नेताओ के मुह पर तमाचा है यह...
    सच में नेताओ की फितरत ऐसी ही तो है...
    बहुत सुंदर कविता...
    मीत

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  26. हमारा बेशकीमती सुझाव - मारो गोली आंसू को। ग्लिसरीन के आंसू काम में लीजिये।
    घड़ियाल भी काम के गुरू हो सकते हैं। शिष्यत्व ग्रहण किया जाय उनका।

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  27. बहुत सही---व्यापार और नेतागिरी का अंतर सही गिनाया.

    बढ़िया रचना.

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  28. भावनाप्रधान सुंदर सटीक रचना .

    रामराम..

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  29. बहुत सटीक और ज़मीर पर चोट करती हुई.....

    .... लेकिन जिनका ज़मीर ही जिंदा नहीं उनका............ ?????

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  30. गर आंसू बिकते होते, तो हम कमर न तोड़ रहे होते.
    इतने आंसुओं में तो हम करोड़पति बन चुके होते.

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  31. यही तो है नेताओँ की असली सुरत - बहुत अच्छी कही सीमा जी आपने -

    - लावण्या

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  32. सच काम में इमानदारी तो जरूरी ही है। नेता जी को आइना दिखा दिया।

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