अंगुली बहने और ताऊ अंगूठाराम

हाथ की पांचों अंगुलियां भाई बहिने हैं. चारों अंगुलियां बहिने और ताऊ अंगुठा उनके इकलौते भाई हैं.

जैसा की लडकियां सब काम काज शालीनता से करने मे माहिर होती हैं वैसे ही चारों  अंगुली बहनें भी हर काम को सलीके से करने मे माहिर थी. पर भाई साहब अंगुठा राम तो बस किसी को चिढाने मे और लडाई झगडे के ही चैम्पियन थे.

 

वैसे तो पाचों भाई बहिन मिल जुलकर इकट्ठे ही रहते थे पर उन सब के विचार और दृष्टिकोण  अलग अलग थे. सामने ही दीपावली का त्योंहार आगया. छोटी बहन कनिष्ठा कुमारी को मिट्ठाई खाने का गजब का शौक था सो वो बोली – दीदी अबकी बार दीपावली पर खूब सारी मिट्ठाईयां बनायेंगे.  बहुत दिन हो गये मिट्ठाई खाये हुये.

 

अनामिका कुमारी जो उससे कुछ सयानी थी वो बोली – छुटकी तेरी बात तो सही है. मिट्ठाई खाने का दिल तो सबका होता है, पर घर मे कुछ है ही नही तो कहां से त्योंहार मनाएं और कहां से मिठाई बनायें?

 

इस बात पर कनिष्ठा कुमारी ने रोना धोना शुरु कर दिया.

 

ऐसे मे मध्यमा दीदी ठहरी सबसे बडी, सो उसने अपने फ़र्ज को समझते हुये किसी को भी त्योंहार पर निराश ना करने की गरज से कहा -  छुटकी तू चिंता मत कर.  यहां वहां से उधार लेकर त्योंहार तो धूमधाम से मनायेंगे.  और तेरे को खूब मिठाई खाने को मिलेगी.

 

छुटकी तो  बहुत खुश हो गई पर तर्जनी देवी जो कि बहुत दूरदर्शी थी, उसने सवाल खडा कर दिया कि हमारे घर की ऐसी हालत नही है कि हम उधार ले सके. अगर हमने उधार ले लियी तो चुकायेंगे कहां से?

 

अब तक एक तरफ़ चुप चाप बैठे अंगुठा भाई साह्ब, जिनके मुंह में मिठाई के नाम से  लार टपकने लगी थी वो तपाक से बोले – अरे तर्जनी दीदी, तुम भी फ़ालतू की बाते मत किया करो. अरे उधार लेंगे , खायेंगे, पियेंगे और मांगने वालों को अंगूठा दिखा देंगे.

 

 

 



इब खूंटे पै पढो :-


बात बहुत पुरानी है. ताऊ की काकी (चाची)  मर गई. और ताऊ घणा उदास रहता था. ताऊ को काकी ने ही बडे लाड प्यार से पाला था.

ताऊ के घर पै एक कुतिया आने लग गई.  ताऊ ने उसको रोटी डालना शुरु कर दिया.  एक दिन ताऊ
किसी चोरी डकैती के काम से दो चार दिन गांव से बाहर जावै था. जाते समय वो ताई से बोला -
देखना, इस कुतिया को रोटी पानी अच्छी तरह खिलाते रहना.

ताइ ने पूछा – रोटी तो इसको रोज ही डालती हूं. फ़िर ये अलग से बोलने का के मतलब है?

ताऊ बोला – सुन, बात ये है, मैने सुना है कि मरने के बाद आदमी की जूण (योनी) बदल जाया करती है. क्या पता ये कुतिया ही मेरी काकी हो? इसीलिये ये रोज यहां आती भी है. तो तू इसका ख्याल राखना.

अब ताऊ तो चला गया. पीछे से ताई ने उस कुतिया को रोटी के साथ साथ हलुआ- खीर भी खिलाना शुरु कर दिया. और इसकी खुशबू  से उस कुतिया के साथ एक कुता भी वहां आने लगा.

अब इस कुत्ते को देखकर ताई ने घूंघट निकाल कर काम करना शुरु कर दिया.  थोडी देर बाद ताऊ वापस लौटा और उसने ताई को घूंघट निकाल कर काम करते देखा तो उसको बडा आश्चर्य हुआ. ताऊ ने इधर उधर देखा .  उसको कोई भी वहां नही दिखा जिससे की ताई घूंघट निकाले.

अब ताऊ ने आश्चर्य से ताई को पूछा – अरे भागवान तेरे को ये क्या मजाक सूझ रही है? यहां कोई भी नही है फ़िर तू घूंघट निकाल कर काम क्यों  कर रही है?

इब ताई कुत्ते की तरफ़  देखते हुये बोली – आप पहचाने नही क्या? आपकी काकी जी के साथ  आज आपके काकाजी ( चाचाजी)  भी आये हुये हैं. ककिया ससूर जी के सामने तो  घूंघट निकालना ही  पडेगा.


Comments

  1. वाह, घूंघट की आड से ताई ने अपने ककीया ससुर को खूब भोजन कराया :)
    मजेदार पोस्ट।

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  2. अंगुठा भाई साह्ब की जय हो और आज तो "इब खूंटे पै पढो" भी मजेदार है .

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  3. भारत में हर माथ पर चढ़ा हुआ है कर्ज।
    बिना कर्ज कैसे करें पूरा अपना फर्ज।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com:

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  4. रिश्ता बनाया तो निभाना तो पड़ेगा।

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  5. ताऊ जी बहुत सटीक कहानी सुनाई है वैसे भी आजकल लोग कर्ज लेकर घी पीने के चक्कर में रहते है |

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  6. ha ha aaj tau ji angutha bane hai:):),mithai akele hi nahi khana,hum bhi hissedar hai:),khunta bahut mazedar raha:)

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  7. इब ताई कुत्ते की तरफ़ देखते हुये बोली – आप पहचाने नही क्या? आपकी काकी जी के साथ आज आपके काकाजी ( चाचाजी) भी आये हुये हैं. ककिया ससूर जी के सामने तो घूंघट निकालना ही पडेगा.
    " हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा मजेदार आज तो बस हंसते हंसते बुरा हाल हो गया हा हा हा हा"

    regards

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  8. ताऊ, खूंटे की कथा पढ़कर मजा आ गया। लेकिन ये अंगूठा भाई यहां क्‍या कर रहे हैं, इन्‍हें तो इलेक्‍शन लड़ रहा होना चाहिए था :)

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  9. बहुत बढिया लगा ताऊ के ककिया ससुर को ताई द्वारा खीर खिलाना.:)

    और अंगूठा भाई साहब की फ़ितरत तो है ही ऐसी, भाटिया जी भलीभांति जानते हैं. पर कहानी का संदेश बडा पावर फ़ुल है. अच्छा लगा.

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  10. अंगुलियों और अंगूठा भाई साहब की कहानी बहुत शिक्षादायक है.

    और ताऊ ताई का तो अंदाज ही निराला है, जो नही करें वो कम है. बस हंसे जा रहे हैं हम तो. :)

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  11. बहुत बढिया लगा ताऊ के ककिया ससुर को ताई द्वारा खीर खिलाना.:)

    और अंगूठा भाई साहब की फ़ितरत तो है ही ऐसी, भाटिया जी भलीभांति जानते हैं. पर कहानी का संदेश बडा पावर फ़ुल है. अच्छा लगा.

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  12. ाम्गुलियों की कहानी आप की जुबानी बहुत बडिया बन पडी है
    देख अंगूठा बहनेम बोली
    ताउ तुम पछताओगे
    जब हम हो्गी चारोम इकठ
    तुम् हमारे पीछे गुबक जाओगे
    अम्गूठे का छोडो चक्कर
    काम धाम कुछ करना सीखो
    हर जगह काम नही आता है ये
    बात पते की हम से सीखो
    फिर घूंघत से ताइ बोली
    बचू तुम पछताओगे त्म खोलोगे भेद मेरे तो मुझ से झापद खाओगे
    ताऊ जि बहुत अच्छी पोस्त लिखी है बधाइ

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  13. अब ककिया ससूर को अगुँठा तो नहीं दिखा सकते ना! :) :)

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  14. वाह, अँगूठे की कहानी मजेदार रही।
    और घूँघटवाली ताई की बात सुनकर और भी मजा आया।

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  15. ताऊ जेबात्त कमल नई जी कमाल का लिखें हैं आप
    आनंद ही आनंद
    जय राम जी की

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  16. अंगूठे के माध्यम से आपने बहुत गहरी बात समझाने का प्रयास किया.......और ताई ने भी ककिया ससुर की खूब आवभगत करके अपने धर्म का पालन किया है..))

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  17. हा हा ! दोनों जबरदस्त !

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  18. हा हा.... खूंटा मजेदार है ताऊ

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  19. Anguliyo ki kahani to bari achhi rahi...

    khunte ko per ke bhi maza aaya...

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  20. क्या कहा टिपण्णी चाहिए ??? ये लीजिये हमारा अंगूठा...

    घूंघट की महिमा महान..

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  21. वाह ताऊ..........अंगूठा बन कर सारा क्रेडिट भी ले लिया और मिठाई भी का ली............
    इब खूंटा हमेशा की तरह जोरदार है

    राम राम

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  22. कहानी अलग रंग में थी..शायद उँगलियाँ कहना चाह रही हैं कि जितनी चादर हो उतने ही पाँव फैलाने चाहिये.मगर अंगूठे महाराज गुरुर में हैं कि अपने दबदबे से वह कर्जा भी ले लेंगे और फिर लेनदार को परेशान करते रहेंगे.जो कि सही नहीं है.
    खूंटे पर ताई के घूँघट करने का राज़ खुला तो बहुत हंसी आई.मजेदार प्रसंग!

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  23. वाह खूँटा पढकर मजा आ गया।

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  24. Actual deficit turns out to be almost 11% of GDP... भारत और अंगूठे में अब अंतर ही क्या रहा है...और विस्तार से जानने के लिए कृपया, नीचे दिया लिंक देखें.
    http://72.14.235.132/search?q=cache:fuT0wMD4xYgJ:http://economictimes.indiatimes.com/Features/Investors-Guide/Fiscal-deficit-needs-to-be-corrected/articleshow/4173112.cms+deficit&hl=en

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  25. भारत सरीखे अंगूठे की पूरी कहानी, चित्रों में देखने के लिए कृपया नीचे दिए लिंक पर जाएँ.
    http://sahibaat.blogspot.com/2009/04/blog-post_15.html

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  26. se kam sabhi ungliyon ke naam hamesh yaad rahenge

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  27. आपका गाड़ा हुआ खूंटा बड़ा मज़बूत होता है. कोई भी एक बार बंध जाता है तो निकलना मुश्किल रहता है. पूरी पोस्ट बड़ी मजेदार है.

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  28. यह तो चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती है पोस्ट।
    पांचों उंगलियां (अंगूठा समेत) एक दल के चुनाव चिन्ह में हैं!

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  29. तारों की महफिल में, खद्योतों का निर्वाचन है।
    ताऊ के घर कुतिया के संग कुत्ते का पूजन है।।
    चार बहिन और एक अंगूठा,
    मिल कर मुट्ठी बन जाती।
    कलम पकड़ कर लिखने बैठे,
    सुन्दर चिट्ठी बन जाती।
    ताऊनामे के चिट्ठे को,
    पढ़ती दुनिया सारी है।
    कथा-कहानी पर इसकी,
    ताई भी तो बलिहारी है।।

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  30. ये तो आज के कर्ज़ लेने वालो की कहानी लग रही है। और खूंटे के क्या कहने।मज़ा आ गया॥

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  31. घणा मजा आया भाई ताऊ आज पोस्ट पढ़ के...ताई ने तो कमाल ही कर दिया...ककिया ससुर से घूंघट काड़ के... हा हा हा हा
    नीरज

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  32. अरे वाह... हाथ में पूरा कुनबा लेकर घूम रहे हैं.. हमें तो पता ही नहीं था.. बहुत खूब रिश्तेदारी निकाली.. हमेशा की तरह खूंटा शानदार रहा.. आभार

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  33. वाह ताऊ खूंटे पे तो मजा आ गया .
    अगूंठाराम तो आराम से मजे ले ते है .

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  34. मैं तो लवली कुमारी ने क्या कहा यह ढूंढता रह गया !

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  35. बहुत मजा अया । यह भी एक नया प्रयोग है ।

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