जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम

प्रिय भाईयो और बहणों सबको घणी रामराम.  आप सब सोच रहे होंगे कि ताऊ को ये गधा सम्मेलन में रिपोर्टिंग करने की क्या सुझ गई?  तो इसके पीछे बहुत दुख भरी कहानी है.  असल मे हमको इलाहाबाद सम्मेलन मे शिरकत करने का कोई न्योता नही मिला.  और अफ़्सोस इस बात का की दूर दूर देशों और प्रांतो तक न्यौते भेजे गये, जैसे महाराज युद्धिष्टर ने राजसूय यज्ञ करने के लिये भेजे थे. 

एक दिल जले ने हमको जलाने के लिये  पूछा – ताऊ आप सम्मेलन मे इलाहाबाद नही गये क्या? या न्योता नही मिला. हमने झेंप मिटाते हुये कहा – अमां यार कैसी बाते करते हो? फ़ुरसतिया जी के रहते हुये हमको न्यौता नही मिले ऐसा कैसे हो सकता है?  तो उस दिल जले ने  असली दर्द ताड लिया, आखिर ब्लागर जो ठहरा और हमारे  घावों पर नमक छिडकते
हुये बोला – वो ही तो मैं कहूं कि मुझे जब फ़ुरसतिया जी ने  निमंत्रण भेजा है..फ़ोन किया है तो आपको तो भेजा ही होगा?   हमने कहा भाई –  वो तो फ़ुरसतिया जी का फ़ोन भी आया था , हमसे कह रहे थे कि ताऊ आपको तो आना ही पडेगा..और वो चीफ़ गेस्ट तो आपको ही बनना पडेगा..पर क्या करें?  हमारी पीठ का दर्द सर्दी मे ज्यादा बढ गया सो हमने फ़ुरसतिया जी से माफ़ी मांग ली है और अगले सम्मेलन मे जाने की हामी भर दी है.

वो दिलजला भी पकका ताडू था सो हमको देखकर कुटिल हंसी मुस्कराया पर  क्या करें भाई ? हम अपनी मूंछे या खींसे..निपोर कर रह गये.. रामप्यारी को मालूम पडा तो वो बोली – अरे ताऊ छोडो..काहे के सम्मेलन और काहे का निमंत्रण? गोली मारो..मैने आपका ताऊजी डाट काम वाला शोरुम चकाचक जमा दिया है वहां काम से फ़ुरसत ही नही है…तो हमने भी चैन की सांस ली. और अपने काम धंधे मे लग गये.
और रामप्यारी की यही शोरूम वाली बात उस दिलजले ताडू ने जाकर फ़ुरसतिया जी को नमक मिर्च लगा कर सुनादी और फ़ुरसतिया जी ने सारी पोल खोल कर रख दी. उन्होने रामप्यारी के बडबोले पन की धज्जियां उडाते हुये लिख डाला चिठ्ठा चर्चा की एक लाईना में….  रामप्यारी का सवाल : मुझे राष्ट्रीय संगोष्ठी में क्यों नहीं बुलाया गया? और वो भी सबसे पहले नंबर पर.

बस रामप्यारी ने तबसे सारा घर उठा लिया सर पर. इतने मे ही हमको अहमदाबाद हमारे भाई बंदो माफ़ किजियेगा गधे सम्मेलन का निमंत्रण मिला ..और हमने वहां का निमंत्रण कबूल कर लिया..इसी बीच उज्जैन वाले गधा सम्मेलन का भी निमंत्रण आगया..सो वहां भी जाना पड गया. सारी कथा  बहुत लंबी है. सो हम इस लाईव कवरेज को आपको सुनाते रहेंगे…और यह कवरेज शुरु होगा..हमारी और रामप्यारी की यात्रा से.

गधा सम्मेलन रिपोर्टम शुरु
report1
गधा सम्मेलन की रिपोर्टिंग को जाते हुये ताऊ


हम और रामप्यारी घर से निकले सब सामान साथ लेकर….रामप्यारी ने कहा कि उसको अलग गधा चाहिये बैठने के लिये. वो हमारे साथ गधा शेयर नही करेगी.  तो अब क्या करते? काठी वाला गधा तो हम खुद ले लिये और रामप्यारी को बैठा दिया बिना काठी वाले गधे पर, यानि बढिया जाली दार एसी रूम हमने कब्जियाया और रामप्यारी को मच्छर वाला टिकाये … बिना जाली का… और आगे बढे.

report2
रामप्यारी गधा सम्मेलन की तरफ़ जाते हुये


जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां  मिलने लगे.  रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और  शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं.  हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.

दस किलोमीटर चलकर वो गधे रुक गये और बोले – ताऊ जरा पोहे जलेबी खिलवा दो…देखो वो सामने नाश्ते की दूकान भी आने वाली  है?   और  हमको भी भूख  लगी  थी.  फ़िर जलेबी का नाम सुनकर तो इलाहाबाद वाली जलेबिया याद आगई. इमान से मुंह मे तो उसी रोज पानी आगया था कि काश फ़ुरसतिया जी ने हमे भी न्यौता होता?.    सो हमने जैसे ही एक  जगह चाय पोहे जलेबी की दूकान दिखी  तुरंत  रुक गये और हमने चाय पानी के साथ जलेबी पोहा का  नाश्ता  किया. जलेबी तो खत्म हो चुकी थी. सो चाय पोहे  से ही काम चलाया.  हाय री किस्मत..ना इलाहाबाद वाली मिली ना यहां वाली.

Donkeys.node
जलेबियां नही मिलने पर रुठी गधी को मनाता गधा

इतनी देर मे एक गधा और गधी, जो कि सम्मेलन मे जारहे थे वो आये और दूकानदार से पोहे और जलेबी मांगी.  दूकानदार के पास जलेबी खत्म हो चुकी थी. और उस गधे की गधी अड गई की उसे तो जलेबी ही खानी है….इस पर उस गधे ने उसको समझाया कि ---

चल री सजनी अब क्या सोचे?
जलेबिया खत्म हो गई आते आते
पोहे खाले , समोसे खाले
यू ना रुठो चलते चलते
चल री सजनी….अब क्या सोचे?

अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ?  जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.
और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे  सबसे तेज चैनल के  हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.



डिसक्लेमर : चल री सजनी अब क्या सोचे? यह हमारा स्वयम का मूल गाना नही है. अत: निवेदन है कि कोई इधर उधर जाकर टिप्पनीयों मे खुद की मौलिकता का रोना नही रोये. अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले. और अगर आपका इस पर कापी राईट बनता है तो पोस्ट हटा ली जायेंगी. बेखटके सूचना दे सकते हैं.

नोट : जिनको भी इस प्रेमी प्रेमिका गधे की शुरुआत की प्रेम कहानी पढने की इच्छा हो वो हमारी पोस्ट "एक गधे की दुख भरी दास्तान" यहां पढे! धन्यवाद.

Comments

  1. आप और हम इसी सम्मेलन से संतोष कर लेते हैं :)

    ReplyDelete
  2. "गधा सम्मलेन" .... और हमको निमंत्रण नहीं !!!!!!??????
    जे ठीक बात नहीं ताऊ !!!!

    ReplyDelete
  3. जे सम्मलेन भी कम ना है ...जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया...अब तो बस इसी रिपोर्ट का इन्तजार है ..!!

    ReplyDelete
  4. जे सम्मलेन भी कम ना है ...जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया...अब तो बस इसी रिपोर्ट का इन्तजार है ..!!

    ReplyDelete
  5. जलेबियो की कमी खर को खरक गई
    खरकी की खोपड़ी भी सर से सरक गई
    ताऊ जी आपने भी बड़ी नाइंसाफ़ी की
    खरकी खर के उपर मेळे मे बरस गई

    बड़े बनते हो सजना!जलेबियां नही खिला सकते
    रामप्यारी का बोझ इतना है पग नही हिला सकते
    वो तो मै ही थी जो यहां तक बिठाकर लाई हुँ
    बड़े बनते हो मरद दो का बोझ नही उठा सकते

    अरी मेरी खरकी ठरकी प्यारी लैला मधुबाला
    तुझे खिलाउंगा रबड़ी जलेबी भर के प्याला
    थोड़ा सबर कर बिल्लो रामप्यारी चाट जायेगी
    तु खड़ी रह जायेगी जलेबियाँ ये खा जायेगी

    हां मै समझ गई तुम्हारी बात प्राण नाथ
    तभी तुम लगातार चले आ रहे थे म्रेरे साथ
    मै समझी खर-खरकी को कहां अकल होती है
    इसीलिए हमारी बिरादरी ही बोझा ढोती है

    सजना! बड़े अकल वाले निकले तुम्हे बधाई
    अब चल कर मेले मे हम-तुम खायेँगे मिठाई
    युं ही रास्ते मे लड़ते रहे होगी हमारी रुसवाई
    के खर ने खरकी को मेले मे जलेबी नही खिलाई

    ReplyDelete
  6. ताऊ मन्ने लागे से इब यो सम्मलेन अपनी टी.आर.पी. बडवा लेगा ........... असली ब्लोगेर सम्मलेन से ........... कम से मक यहाँ असली के तो हैं सब ......... राम राम .........

    ReplyDelete
  7. कौन सी पुस्तक का विमोचन हुआ? एक प्रति तो भिजवाइये! :)

    ReplyDelete
  8. नूतो म्हानें भी कोनी मिल्यो, अब काँई केव्हाँ? उस्याँ म्हाँ सोरसण की सोरती का गधा मेळा में घणी बैर्याँ हो आया। एक बार तो गैला में शेरनी भी मलगी छी।

    ReplyDelete
  9. हमारा निमंत्रण?? आपसे ऐसी उम्मीद न थी. :(

    अहमदाबाद से तो आने से रहा...वहाँ तो जबरदस्ति ही जाना पड़ेगा..एक बार जा चुका हूँ. :)

    सही रिपोर्टिंग.

    ReplyDelete
  10. और किसने भाग लिया... ताऊ एक और रिपोर्ट बनाऐं.. और भाषण और प्रजेंटेशन कि कॉपि भी..

    राम राम

    ReplyDelete
  11. ताऊ जी आज फोटू घणी चोखी लगाईं :)

    ReplyDelete
  12. अरे ताऊ, उज्जैन के पास से गुजरे और गधेडे को दाल-बाफ़ला ना खिलाया? पाप पड़ेगो… :)

    ReplyDelete
  13. कमाल है! हमें तो पता ही नहीं चला कि ताऊ ने गधा सम्मेलन की आड में खूब रौनक लगा रखी है।
    आपके ब्लाग की कल परसों से फीड नहीं मिल रही..वो तो अचानक घूमते फिरते सैर करते आ गए तो पता चला कि यहाँ तो सम्मेलन की तैयारियाँ हो रही हैं....अभी आकर ही आपकी कल वाली पोस्ट भी पढी ।
    बाकी जब सम्मेलन में थारे तै ही नहीं बुलाया तो हम आपणा मलाल तो क्याहं कां करां ? अर यूँ बी उन्हाणै बाह्मणाँ तैंह बुला कै के ओठै पोथी पतरे बँचवाणे थे :)

    ReplyDelete
  14. @ Suresh Chiplunkar

    अभी उज्जैन कहांपहुंचे हैं? अभी तो सांवेर और उज्जैन के बीच की कथा ही चल रही है. उज्जैन मे पहुंचकर इन प्रेमी गधों की भांग पीने की कहानी पहले आयेगी उसके बाद दाल बाफ़लों की. और आपसे भी तो मिलेंगे अभी.

    रामराम.

    ReplyDelete
  15. अब ताऊ की बारी है ! हा हा ! गधों का मीनू भी बताईयेगा ! नाश्ता तो हो गया !

    ReplyDelete
  16. rampyari bhi saath ho li samelan jaane:),gadhedi sajni ke liye gana bada achha laga:) waah

    ReplyDelete
  17. चलिए हम सब उज्जैन सम्मलेन को ही सफल बनाते हैं.

    ReplyDelete
  18. ताऊ , ये तो ठीक ना हुआ , महिलाओं पर इस तरह अत्याचार ठीक नहीं है ..रामप्यारी के लिए मच्छर वाली गधेडी क्यूँ ???

    ReplyDelete
  19. गध सम्मलेन में अकेले जा रहे हैं !!! हमारा क्या होगा!!!अरे मैं तो जलेबी भी ले आता !! वैसे रामप्यारी को आपने गधेदी पे बिठाया कम से कम झूठे मन से ही याद कर लिया होता!!!

    ReplyDelete
  20. जय हो ताऊ जी .......क्या बात है आप रिपोर्टिंग करेगे ? अच्छा ये बताइये आप के गधे सम्मलेन में भाग लिए है ? अच्छा फिर भी ठीक है भाग तो गधे लिए है ना ...मै तो यहाँ तक देखा हु मुख्य अतिथि भी सम्मलेन में भाषण छोड़कर रिपोर्टिंग करना पसंद करते है ...............आप तो शौक सेकरो

    ReplyDelete
  21. ताउश्री, गधी भले ही रूठी हो, लेकिन गधा -गधी में इंसानों से ज्यादा प्यार नज़र आ रहा है.

    ReplyDelete
  22. ताऊ छा गये आज तो रिपोर्टिंग करने मे भी. धो डाला.:)

    ReplyDelete
  23. ताऊ हम तो अगले भाग का ईंतजार करते हैं, इस गधेडे और गधेडी मे जलेबी ना मिलने के बाद क्या हुआ? यही देखना है.

    ReplyDelete
  24. वाकई दिलचस्प पोस्ट. ताऊ इसीलिये आप ताऊ हो.

    ReplyDelete
  25. यह बढ़िया आयडिया है यह गधा सम्मेलन तो हर कही हो सकता है लेकिन उद्घाटन के लिये सही गधा ढूँढना पड़ेगा। गधे आदमी से उद्घाटन करवाने से तो रहे ।

    ReplyDelete
  26. दरसल तेरा बी कसूर कोनी ताऊ या उमर ए गधासम्मेलन मैं जाण की सै........

    ReplyDelete
  27. अच्‍छा व्‍यंग्‍य। जो घोड़ों के सम्‍मेलन में नहीं बुलाए जाते, उन्‍हें कम से कम गधों के सम्‍मेलन का न्‍यौता तो मिला। यहाँ हम जैसे बहुत से ब्‍लागर हैं जिन्‍हें ना तो घोड़ों का और ना ही गधों के सम्‍मेलन का न्‍यौता मिला है। अब हम एक "खामखा" सम्‍मेलन बुलाएंगे। क्‍योंकि ना तो हम घोड़े बने और ना ही गधे तो रह गए खामखा। जिस किसी को भी इस सम्‍मेलन में आना हो वह पहले से ही अपना पर्चा भर कर भेज दे। क्‍योंकि इस सम्‍मेलन में काफी बड़ी तादाद में खामखा लोगों के आने की सम्‍भावना है।

    ReplyDelete
  28. गघो का सम्मेलन !!!
    ताऊ और रामप्यारी की रिपोर्टीग!!!
    ताऊ!!! रोचक बाते होने वाली है!!!! यह तो ताऊ ने ट्रेलर परोसा है- पिचर तो अभी बाकी है मेरे दोस्तो!!!!
    देखना ना भूले बैगानी टीवी पर ताऊ राम्प्यारी की गघो का सम्मेलन कि एक्स्क्लुजिव रिपोर्टीग!!!


    ॒ अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले...

    ताऊ!! दर्द तो है... दवाई आप देगे.. या डाक्टर झट्का से लू ??

    ReplyDelete
  29. haha.....chaliye ..aage kee reporting kaa bhee intezaar ..:))))
    na na kartey bhee bade saj sawar kee chale Taau.....kya baat hai....raampyarai dear bhee hat hmmmm..

    age -age dekhteyn hain hota hai kyaa...??:))

    Yahee se raam raam bhee

    ReplyDelete
  30. आप भी कहां कहां की खोज कर लाते हो।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  31. ताऊ, हमें इस सम्मेलन लायक भी नहीं समझा? :(
    वैसे संभलकर जाना, सुना है नरेन्द्र मोदी जी को स्वाइन फ्लू हो गया है!
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  32. कोई बात नहीं जलेबियाँ फिर कभी सही...
    गाधी बेचारी को तो रूठना ही था, एक तो यह गधा सम्मेलन और उसे ही जलेबियाँ नहीं मिली...
    हा.. हा.. हा..
    राम राम ताऊ.. सुंदर है...
    मीत

    ReplyDelete
  33. Tauji apne jo teer maara hai wo seedha nishane pe laga hai...

    bahut achha...

    ReplyDelete
  34. साथ में कुछ जलेबीयां ले जाते तो क्या बिगड जाता.

    वैसे गधे तो गुलाब जामुन खाते हैं, अलाहाबाद में क्या मिठाई परोसी थी. उससे प्रेरणा लेकर उज्जैन और अह्मदाबाद में मेनु फ़िक्स करें...

    ReplyDelete
  35. चल री सजनी अब क्या सोचे?

    जलेबिया खत्म हो गई आते आते

    पोहे खाले , समोसे खाले

    यू ना रुठो चलते चलते

    चल री सजनी….अब क्या सोचे?

    हमें तो ये गीत बहुत बढ़िया लगा ताऊ जी :)
    - लावण्या

    ReplyDelete
  36. अरे....अरे.... अरे...!
    वहाँ तो घास भी नही थी। आप जलेबियों की बात करते हो।
    कमाल है....।
    बढ़िया धमाल है।।।।

    ReplyDelete

Post a Comment