"हनन" द मर्डर ए परिंदे उंची उडान भर ये समूचा आकाश तेरा है पर ध्यान रहे और परिंदों का भी हक उतना जितना ये नभ तेरा है उनका भी ख्याल रख मत कर हनन उन सीमाओ का जहां दूसरे के अधिकार मारे जाते हों जिन्हे तू साधारण परिंदा समझ कर हडका रहा हो क्या पता ? उनमे से कोई बाज हो ? (रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!) |
Comments
उनमे से कोई बाज हो ?
ReplyDeleteउनमे से कोई बाज हो ?
ReplyDeleteसुन्दर बढीया जी,
bahut savdhan karati kavita. dhanyavad.
ReplyDeleteबहुत उम्दा संदेश देती रचना पसंद आई, सीमा जी को बधाई.
ReplyDeleteवाह ताऊ जी अज तो आपने एक नया सन्देश दे दिया दुनिया वालो को ....
ReplyDeleteसुन्दर लगा बधाई हो सीमा जी आपको !!
सही बात है जी, बाज ना भी हो गौरैया ही सही. लेकिन 'ये' परिंदे ख्याल कहाँ रखते हैं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अप ने इस कविता मै हमे हमारे अधिकार की सीमा बताई है, आप की बात से सहमत हुं.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभ कामनायें
उनमे से कोई बाज हो ..... भई gazab ka सन्देश दिया hai दुनिया वालो को .... bahoot khoob likha hai ... kamaal ka ...
ReplyDeleteकाश, परिंदे ये समझ पाते.
ReplyDeleteअच्छी संदेशात्मक रचना.
जिन्हे तू
ReplyDeleteसाधारण परिंदा
समझ कर
हडका रहा हो
क्या पता?
उनमे से
कोई बाज हो ?
बहुत ही सुन्दर प्रतीक प्रयोग किये हैं
सीमा जी आपने!
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर
आप सभी को ढेरों शुभकामनाएँ!
waah kya kah diya aapne ....unme se koi baaz ho waah bahut khoob
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !!!
ReplyDelete... और प्रस्तुतिकरण तो और भी जबरदस्त है.
सही कहा ,किसी के भी द्वारा दूसरो के अधिकारों का हनन सही नहीं है.
ReplyDeleteकविता की सुन्दर प्रस्तुति.
यातायात के नियम का स्मरण पत्र।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteयहाँ तो अक्सर देखते हैं कि जब लॉन में छोटी चिडियां अजीब सी आवाजें निकाल रही हों या कोव्वे कातर स्वर में पुकार रहे हों तो किसी शाख पर ज़रूर कोई बाज़ या शिकरा बैठा होगा.
जिन्हे तू साधारण परिंदा समझ कर
ReplyDeleteहडका रहा हो
क्या पता ? उनमे से कोई बाज हो ?
यही बात लोग समझ ले तो कभी किसी तरह का विवाद ही ना हो |
बहुत बढ़िया रचना |
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
सुन्दर सन्देश समेटे एक बढिया रचना....
ReplyDeleteआभार्!
वाह ! क्या बात है..........
ReplyDeleteआनन्द आ गया,,,,,,,,,,,,,
बाज, बिल्कुल सही कहा। संदेशप्रद शिक्षाप्रद कविता बस लोगों को समझना चाहिये।
ReplyDeleteना जाने किस भेष में बाबा मिल जाए बाज रे !
ReplyDeleteजियो और जीने दो।
बहुत सही बात कहती रचना।
ReplyDeletebahut badhiya kavita.
ReplyDeleteजिन्हे तू साधारण परिंदा समझ कर
ReplyDeleteहडका रहा हो
क्या पता ? उनमे से कोई बाज हो ?
बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिकरण के साथ गहन संदेश देती रचना.
जिन्हे तू साधारण परिंदा समझ कर
ReplyDeleteहडका रहा हो
क्या पता ? उनमे से कोई बाज हो ?
बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिकरण के साथ गहन संदेश देती रचना.
bahut badhiya upamae di hai.
ReplyDeleteबहुत गजब की सीख दी है और बात भी सही है.
ReplyDeleteआभार.
Amazing lines !!
ReplyDeleteबेहद सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसीमा जी को धन्यवाद...
ओर सभी को मेरी ओर से धन तेरस की शुभकामनायें
मीत
बहुत उम्दा संदेश
ReplyDeleteवाह!!
जिन्हे तू साधारण परिंदा समझ कर
ReplyDeleteहडका रहा हो
क्या पता ? उनमे से कोई बाज हो
.
क्या जबरदस्त बात है!!!!
दीपावली पर्व की आपको एवं समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं
ReplyDeleteदीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
ReplyDeleteपर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है
पर इस सबके बावजूद
थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार
साहित्य में बाज शोषक का प्रतीक है इसका एक पाठ यह भी हो सकता है कि आकाश बाज के लिये छोड़ दिया जाये । ऐसा तो खैर दुनिया मे हो ही रहा है ।
ReplyDeleteझिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
ReplyDeleteregards
सुंदर व्यंजनाएं।
ReplyDeleteदीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आप ब्लॉग जगत में निराला सा यश पाएं।
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आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआप को दीपावली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसुन्दर संदेश देती्रचना के लिये बधाई । दीपावली की शुभकामनायें। स्सेमा जी ताऊ जी क्या अपके पीछे छुप कर बैठे हैं नज़र नहीं आ रहे। उन्हें भी दीपावली मुबारक्
ReplyDeleteहड़कना-हड़काना तो भूत-वर्तमान-भविष्य है!
ReplyDeleteदिपावली की ढेर सारी शुभकामनायें...
ReplyDeleteआपके बधाई संदेश के चित्र में दो उल्लू दिख रहें हैं.
मंदी के इस दौर में लक्ष्मी जी को ओवरटाईम करना पडेगा. इसिलिये शायद दो दो उल्लू, दो शिफ़्ट में !!!
बहुत उम्दा संदेश देती रचना पसंद आई,
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