ताऊ को हवाईजहाज मे बैठाने से इन्कार

ताऊ को एक जरुरी कार्य से दिल्ली जाना था और शाम को ही लौटकर आना था. ताई ने सुबह सात बजे ही ताऊ को एयरपोर्ट के बाहर ड्रोप कर दिया. आजकल एयरपोर्ट पर पार्किंग का पैसा ज्यादा लगता है सो ताई बाहर से ही टाटा बाय बाय करके निकल गई और ताऊ एयरपोर्ट के अंदर.

ताऊ के पास कैट एयरवेज ( नोट करें कि यह रामप्यारी की माल्कियत की एयर लाईन नही है.) का कन्फ़र्म टिकट था. सीधे जाकर बोर्डिंग पास लिया और वेटिंग लाऊंज में जाकर जहाज मे बैठने की घोषणा होने का ईंतजार करने लगा.

ताऊ अपने विचारों मे खोया था कि दो मुस्टंडे आये..दिखने मे तो मुस्टंडे नही थे पर उन्होने ताऊ के साथ व्यवहार मुस्टंडों जैसा ही किया .इसलिये अभी से उनको मुस्टंडे कहना कोई गैर वाजिब नही है. पर थे वो कैट एयरवेज के एयरपोर्ट पर तैनात कर्मी ही.

उनमे से एक ने ताऊ के कंधे पर हाथ रखा और कहा : आप इस फ़्लाईट से नही जा सकते. ताऊ एक बार तो सन्न रह गया...सोचा कहीं..राज भाटियाजी ने अपने पैसे वसूली के लिये कोई भाई को सुपारी तो नही दे दी? अब ताऊ क्या करे? ताऊ का लठ्ठ तो सिक्युरिटी चेक करते समय बाहर ही रखवा लिया गया था. अब बिना लठ्ठ तो ताऊ भी पढे लिखों जैसा शरीफ़ लग रहा था...तो उनकी इतनी हिम्मत तो होनी ही थी.

ताऊ ने फ़िर शांति से सोचा और उनसे पूछा : भाई, क्या तुम्हारे पास मेरे नाम का वारंट हैं? जो मैं इस फ़्लाईट से नही जा सकता?

वो बोले - ताऊ देख, इस फ़्लाईट मे जगह नही है.

ताऊ बोला - भाई, ये क्या बात हुई? कन्फ़र्म टिकट खरीदा...बोर्डिंग पास लिया...सिक्युरिटी चेक करवाया..और इब तुम ये बात बता रहे हो?

वो बोले : देख ताऊ, तेरी सब बात सही है. बात ये है कि आज की इस खेप के टिकट ज्यादा बिक गये..और तेरे जैसे सारे ही आगये बैठने के लिये..तो अब तू शराफ़त से बाहर निकल ले.

ताऊ को तो उपर से नीचे तक मिर्च लग गई पर बिना लठ्ठ सब बेकार. ताऊ बोला : देख भाई मन्नै जाना जरुरी है और इब तू किसी दूसरे को मत लेजा..मुझे तो ले चल यार.

वो बोला : ताऊ अब बहुत होगया..अब सीधे से बाहर की तरफ़ प्रस्थान करले.

फ़िर ताऊ ने उनको बताया कि देखो मैं बहुत बडे वाला महाताऊ हूं..सारे ब्लाग जगत का ताऊ हूं..मेरे से मत उलझो..

वो बोले - ठीक है यार ...होगा..तू होगा महाताऊ किसी ब्लाग इलाग जगत का..उससे हमको क्या? ..अब फ़टाफ़ट बाहर निकल ले.

ताऊ बोला - ठीक है लिखकर दे दे तब निकलूंगा बाहर तो.

वो बोले - ये ले ताऊ, लिख कर देदेते हैं. तू हमारा क्या कर लेगा...

ताऊ को बडा बेआबरू करके वेटिंग लाऊंज से बाहर कर दिया गया....ताऊ को अब समझ आया कि ये हवाईजहाज मे हथियार वगैरह क्युं नही लेजाने देते? आदमी को एक दम बकरा बनाकर ले जाते हैं. बिना लठ्ठ ताऊ भी अपने आपको निरीह बकरा ही समझ रहा था.

ताऊ को जाना जरुरी था सो बाहर निकल कर एक दुसरी कंपनी की टिकट लेकर उसके जहाज मे बैठ गया.



अब ताऊ को बडी ग्लानि होरही थी. जहाज उपर करीब ३० से ३५ हजार फ़ीट ( मैने नापा नही, अंदाज से बता रहा हूं. अब कोई सरकारी बस तो है नही, जहाज है तो इतनी ऊंचाई पर तो उड ही रहा होगा. ) की ऊंचाई पर उड रहा है...ताऊ की इच्छा हो रही है कि जहाज के गलियारे में चहल कदमी करने की...पर ताऊ को इजाजत नही है...ताऊ मन ही मन सोचता है..अरे बावलीबूच ताऊ..५० फ़ीट के गलियारे मे क्या चक्कर काटेगा? कहीं काफ़ी पिलाती एयर-होस्टेस से टकरा गया तो? पहले तो वेटिंग लाऊंज से ही बाहर धकेला गया था अब उपर से ही नीचे धकेले जाने का सोच कर ही ताऊ के ठंडे पसीने छूट गये.

ताऊ सोचने लगा कोई कानूनी कार्यवाही तो करनी ही पडेगी.


तीन लाईना :-

ताऊ ने सोचा, आज तो अपनी इज्जत का फ़ालूदा होगया
अरे बावलीबूच, जरा ये तो सोच कि फ़ोकट मे मूंह मीठा होगया.
लोग क्या कहेंगे? कहने दो, अपना तो नाम होगया.



अच्छा भाई जाता हूं अब किसी समझदार से सलाह करने. और इब खुंटे पै देखो यो हरयाणवी रामायण.



कल मिलिये हमारे मेहमान से:-

परिचयनामा मे मिलिये श्री योगेश समदर्शी से
पढिये ताऊ के साथ एक दिलचस्प मुलाकात का ब्योरा
और सुनिये उनकी कविता :

 

उग आई आंगन कई, मोटी सी दीवार
कितना निष्ठुर हो गया, आपस में परिवार
चिडिया सब चुप हो गई, कग्गे भये निराश
अबकी लौटा गांव तो, बरगद मिला उदास


गुरुवार २५ जून २००९  शाम ३:३३ PM
 

Comments

  1. यो केसी बात कर दी ताऊ....उस एयरवेज के सारें स्टाफ ने बोल के अब्बी के अब्बी हड़ताल कार्य देते हैं.....वैसे ताऊ जे इत्ती इमरजेंसी थी तो मारो ..हमारा बजाज ले जाते...हाय हाय ताऊ यों न उड्या कर्रो ...पता नहीं कोण कोण सी फोटू खींच लाओगे..पहेलियाँ नी टेंशन मानने तो अब्बी से हो रई से...

    ReplyDelete
  2. ई के हुआ भाई लागे की कैट एयर वालां ने अपना धंदा बंद कर के ईब बैल गाडी चालने की जंच रही है जो तेरे को नहीं बिठाया...ताऊ तू चिंता मनि कर मैं सगले ब्लॉग वालां से चंदा ले के एक डॉग एयर लाइन खोलने की सोच रिया हूँ दोनों मिल के उडा करेंगे जिधर मन करेगा उधर..."पंछी बनूँ उड़ता फिरून मस्त गगन में..." गाते हुए...

    हरयाणवी रामायण देख के मन आयी की अच्छा हुआ राम हरयाणा में पैदा नहीं हुआ...

    नीरज

    ReplyDelete
  3. bhai tau ki jai ho
    maze kara diye ..........ha ha ha ha

    ReplyDelete
  4. हा हा हा हा हा हा ताऊ जी की हवाई यात्रा ने सच मे ताऊ जी की हवाइयां ही उडा दी....ये हरयाणवी रामायण देख कर तो बस हा हा हा हा हा

    regards

    ReplyDelete
  5. prnam tau ji aap ke blog par pahli baar hi aaya hun par blog jagat me aate hi aap ka naam suna tha bhut hi deeno se aap ke blog par aane soch raha tha aaj aap ki krpa se vo soubhagy mil hi gaya maja aa gay taau ji mai too aap ka bhakt hoo gaya
    mera prnaam swikaar kare

    ReplyDelete
  6. ताऊ या तो बडी भारी गड़बड़ हो ली। ऊ नीं जाणतो कै ताऊ काँईं ह्वेगो। कंपनी नै अब पतो पड़सी।

    ReplyDelete
  7. इबकै तो ताऊ गेल्लै घणी माडी हो गयी........खैर बकरे की माँ किद तक खैर मनावैगी, कदैं तो ताऊगिरी दिखयाण का मौका मिल ही जैगा..:)

    ReplyDelete
  8. ताऊ एक बार तो सन्न रह गया...सोचा कहीं..राज भाटियाजी ने अपने पैसे वसूली के लिये कोई भाई को सुपारी तो नही दे दी?

    ताऊ ये भाटियाजी बिना पैसे वसुले आपको छोडने वाले नही हैं. ये कारस्तानी उनके कहने से ही की गई होगी?

    कैट एयरलाईंस की CEO रामप्यारी से पता करवाओ.:)

    ReplyDelete
  9. और जय हो हरयाणवी रामायाण की. :)

    ReplyDelete
  10. अच्छा हुआ ताऊ जो हवाईजहाज के संकरे गलियारे में घूमने का प्रोग्राम पोस्टपोंड ही कर दिया.:)

    ReplyDelete
  11. लो जी अब तो रामप्यारी की एयरलाईन ने भी ताऊ को बाहर का रस्ता दिखा दिया? क्या जमाना आगया?

    ReplyDelete
  12. हरयाणवी रामायण मे मजा आगया. थॊडा अओडियो स्पष्ट नही है सो समजह्ने मे दिक्कत आरही है.

    ReplyDelete
  13. मुझे लेकिन एक बात समझ मै नही आई कि ऎसा केसे कर दिया, क्या कोई कानून नाम की चिडियां भारत मै नही है, ऎसा तो किसी जंगल राज मै ही हो सकता है........ उस एयर्वेज का नम लिखते जिन्दगी भर इस के टिकट नही खरीदेगे, चाहे मुफ़्त मे दे, क्योकि आज आप के संग किया कल दुसरो के संग भी तो कर सकते है,
    अच्छा हो अपनी टिकट ओर बोर्डिग कार्ड के संग इन पर केस कर दो, ओर सुनो रामप्यारी की जगह कबूतर पाला होता तो उसी पर बेठ कर काम चला लेते, अब भी समय है कोई पक्षी पाल लो.
    राम राम जी की

    ReplyDelete
  14. हवाई यात्रा का खूब बढ़िया विवरण!
    आखिरकार ताऊ जी की हवाई यात्रा हो ही गयी!
    [विडियो बाद में देखेंगे..वैसे हरयान्वी ठीक से समझ नहीं आती !]

    ReplyDelete
  15. अरे ताऊ तुम भी ना बस ....!

    अरे उसको बोलते एक्सट्रा सीट लगा दो या फ़िर जैसे लोकल ट्रेन में ऊपर कुंडे पकड़कर यात्रा करते हैं वैसे ही यात्रा कर लेंगे\

    ReplyDelete
  16. जो बी होया ठीक ना होया। वो दो बंदे तो गये काम से।

    ReplyDelete
  17. अरे ताऊ कहाँ इन हवाई जहाजों के चक्कर में पड़ गया अपनी भैसा गाड़ी ही ठीक है | और फिर उस ससुरी एयर लाइन का नाम अपने दिनेश जी भेज देते कोटा के कोर्ट में चक्कर लगाते-लगाते उनको समझ आ जाता कि ताऊ से पंगा कितना भारी पड़ता है |

    ReplyDelete
  18. अरे.....अरे.........।
    ताऊ यहीं तो गच्चा खा गये।
    अपने समीर लाल का नाम ले देते।
    उड़नतश्तरी फौरन हाजिर हो जाती।
    http://uchcharandangal.blogspot.com/2009/06/blog-post_22.html
    और हाँ इस कहानी का जवाब तो दिया ही नही।
    भाई मन्नै तो थारे गाँव की ही कथा लगाई थी।

    ReplyDelete
  19. अरे ताऊ जी
    सुनके बड़ा आश्चर्य हुआ कि आपका लट्ठ सिक्योरिटी ने एरो ड्रम के बाहर रखाव दिया . मोरी सलाह है इस बार आप एक फोल्डिंग लट्ठ बनवा ले जो फोल्ड कर जेब में रखा जा सके और सुरक्षा वालो कि नजर में न आये . जब जरुरत पड़े तो अपना फोल्डिंग वाला लट्ठ निकाला और उपयोग कर लिया . है न इंडियन दिमाग का एक नुस्खा . उस लट्ठ का नाम रखा जावेगा ताऊ इंडियन (नाट जर्मन मेड) फोल्डिंग लट्ठ उसका पेटेंट समीर भाई कनाडा में करवा देंगे . हा हा हा

    ReplyDelete
  20. अरे ताऊ जी
    सुनके बड़ा आश्चर्य हुआ कि आपका लट्ठ सिक्योरिटी ने एरो ड्रम के बाहर रखाव दिया . मोरी सलाह है इस बार आप एक फोल्डिंग लट्ठ बनवा ले जो फोल्ड कर जेब में रखा जा सके और सुरक्षा वालो कि नजर में न आये . जब जरुरत पड़े तो अपना फोल्डिंग वाला लट्ठ निकाला और उपयोग कर लिया . है न इंडियन दिमाग का एक नुस्खा . उस लट्ठ का नाम रखा जावेगा ताऊ इंडियन (नाट जर्मन मेड) फोल्डिंग लट्ठ उसका पेटेंट समीर भाई कनाडा में करवा देंगे . हा हा हा

    ReplyDelete
  21. इब आया ऊंट पहाड़ के नीचे :-)

    ReplyDelete
  22. आपके साथ ऐसा वर्ताव !...कोई बात नहीं, कैट एयरवेज का भी एक कार्टून बना मरूँगा...तब इन्हें समझ आएगा..किस से पंगा ले बैठे.

    ReplyDelete
  23. वो मुस्‍टंडे बेनामी थे
    ब्‍लॉग पर भी घूमते रहते हैं
    ताऊ जी से घणै खफा हैं
    शास्‍त्री जी ने भी किया दफा है
    अब सब जगह मिला करेंगे
    कैसे सब सावधान रहा करेंगे
    बेनामी हैं एनोनिमस हैं
    पर ये नहीं जानते
    हम ब्‍लॉगवासी इनको कितना प्‍यार करते हैं

    ReplyDelete
  24. ताऊ ये रामायण तो जोरदार है.. पूरी कैसट कहां मिलेगी?

    ताऊ एक तो हमें बिना बताऐ दिल्ली आ रहे थे ओर दुसरा अकेले.. एयरलाइन वाले मना तो करेगें ही!! अगली बार पुर्व सुचना देना पूरी व्यवस्था करेगें..

    ReplyDelete
  25. ताऊ जहाज म्हं...... मान ल्यूं अक् नहीं ......?

    ReplyDelete
  26. ताऊ जी आप ऐसे ही छोड़ न देना !

    भूतनी के ऐसा कैसे कर सकते हैं ... मजाक बना रखा है
    आप केस करिए और पचास लाख का हर्जाना भी ठोकिये

    लोग चुप रह जाते हैं ... यही तो सही नहीं है !

    ReplyDelete
  27. योगेन्द्र जी कदै तो मान ल्यो ! ताऊ ताऊ है हवाई जहाज क्या किसी में भी सवारी कर सकै है |

    ReplyDelete
  28. @ योगिंद्र मोदगिल/ शेखावत जी.

    कैट एयरलाईन्स को नोटिस भेज दिया गया है. अखबारों की कटिंग भिजाऊ क्या? वैसे काजलकुमार जी को कार्टून के लिये भिजवा चुका हूं. आपको भी
    कविता लिखनी हो तो भेज देता हूं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  29. आपने नोटिस भिजवा दिया जानकर अच्छा लगा. हरामखोर लोगों को नसीहत तो मिलनी ही चाहिए. रामायण भी बांच लिया. मने तो हरयान्वी आवे से,

    ReplyDelete
  30. In airport walo ko to aise nautanki karne mai maja aata hai...apne achha kiya jo unko sabak seekha diya...

    Haryanvi Ramayan dekh ke to bas maza hi aa gaya...

    ReplyDelete
  31. ताऊ जी फ्लाईट की कथा अच्छी रही अब देखते हैँ हरियाणवी रामायण
    - लावण्या

    ReplyDelete
  32. अरे अईसा कैसा ? का गजब हो गया ताऊ ! सच में ?

    ReplyDelete
  33. कल इत्ती लम्बी टिप्पणी किए थे, जाने कैसे गायब हो गई. लगता है हवाई जहाज से उडा़न के बाद हवा में उतार दिया हमारी टिप्पणी को. :)

    ReplyDelete
  34. ताऊ जहाज मै नहीं चढ्ण दिया तो के बात होगी ,माडा मन ना कर । आच्छा बुरा बख्त तो जाल्दा ए रह्या करै ।

    ReplyDelete
  35. अरे ताऊ इस उड़न बाजी में ये बदमाशी नेसनल ही नहीं इन्तार्नेसनल भी है . जहाँ तहां छोड़ कर उड़ लेते हैं .
    सबसे भली बिहार rodways की बस . अन्दर बाहर नीचे उप्पर चाहे जहाँ बैठ लो .जहाँ चाहे वहां चढ़ लो , चाहे जहाँ उतर लो . पैसा भी वहां ' ताऊ ' लोगों से नहीं वसूला जाता .
    वैसे ऐसी हवाबाजी की सुपारी तो आप दिलवा दिए , देख भी लीजियेगा .
    और क्या ' रामायण ' दिखाए ! दिल खुश हुआ .

    ReplyDelete
  36. सही जा रहे हो ताऊ जी !

    ReplyDelete
  37. अभी अभी सुना था कि इंदौर विश्वविद्यालय के कुलपती्जी के साथ भी ऐसा ही हुआ था.कहीं ताउ वही कुलपती तो नही?

    खैर मनाओ कि कॆट एयरवेज़ में नही तो क्वीन फ़िंगर एयरवेज़ में जगह मिल गयी. रामप्यारी से कह कर एक अदद कंपनी खोलनी ही पडेगी.मगर ताऊ को पायलेट की कुर्सी पर ना बिठाना. नही तो आकाश में खिडकी खोलकर हाथ देकर प्लेन को मोड ना दे.

    ReplyDelete
  38. ताऊ ने सोचा, आज तो अपनी इज्जत का फ़ालूदा होगया
    अरे बावलीबूच, जरा ये तो सोच कि फ़ोकट मे मूंह मीठा होगया.
    लोग क्या कहेंगे? कहने दो, अपना तो नाम होगया.
    वाह ताऊ थारो तो जवाब को नी...
    मीत

    ReplyDelete
  39. Tauji
    apki havai yatra bhut achhi lgi .
    jhuthe log shastra uthate hai .sachhe logo ko uski jarurat hi nhi hai.

    ReplyDelete
  40. . ताऊ बोला : देख भाई मन्नै जाना जरुरी है

    ताऊ तुम्हे कितनी बार समझया अपने तो खेत खल्यान ही अच्छा। बैलगाडी छोड क्यो हवाहवाई के चक्कर मे फसे हो। यह तो सुटबुटवाले माहताऊ उडन खटोले वाले समिरजी के खेले है-

    ReplyDelete
  41. चंगी हवाई यात्रा रही ताऊ जी :) पढ़ के मजा आ गया

    ReplyDelete
  42. ताऊजी अगों तों जदों वी जाणा होवे ताँ मैनू दसणा् असाँ अपणे काके दा मतलव छोटे बादल दा जहाज लै दिन्दे भला पडोसी कदों कम आऊण गे--- रमैण बहुत चंगी लगी कल लई इटाँ रख के जग्गा मल लयी है जिवें छोटे हुन्दे देखदे सी राम्लील चलो बधाई होवा हवा विच गोते तां मार लये ने

    ReplyDelete
  43. इब आया से ताऊ मूड में...


    मस्त पोस्ट

    ReplyDelete
  44. वाह ताऊ जी अच्छा वाकया सुनाया और रामायण दिखाया .

    ReplyDelete
  45. ताऊ जी ..

    किस ऐयरवेज ने की इतनी गुस्ताखी...जरा एड्रेस तो भेजें...उस से हरियाणवी में बोलना था न ??

    इतना मज़ा तो ज़िन्दगी में कभी आया ही नहीं रामलीला देखने का ...:))))ये भाषा ही अपने आप में मस्त है .

    ReplyDelete

Post a Comment