डा. मनोज मिश्र से आप उनके ब्लाग मा पलायनम के द्वारा भलिभांति परिचित हैं. हमने उनसे एक साक्षात्कार लिया. आईये आपको डा. मनोज मिश्र से रुबरु करवाते हैं.
डा. मनोज मिश्र
ताऊ : डा. साहब आप कहां के रहने वाले हैं?
डा. मनोज मिश्र : जी मैं उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद से हूँ.
ताऊ : आप करते क्या हैं?
डा. मनोज मिश्र : मै पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में प्राध्यापक हूँ .
ताऊ : यूं तो जीवन में बहुत सी घटनाएं दुर्घटनाएं होती रहती हैं पर आप अपने जीवन की अविस्मरणीय घटना किसे मानते हैं?
डा. मनोज मिश्र : हां ताऊ जी आपकी बात सही है. जीवन मे ऐसी बहुत सारी घटनाएं घटी हैं पर मेरे पिता जी की असामयिक और आकस्मिक मौत मेरे जीवन की सबसे सबसे अविस्मरणीय घटना है .
ताऊ : आपके शौक क्या हैं?
डा. मनोज मिश्र : लोक- गीत -संगीत ,सामाजिक सरोकार .,लोंगों को खुश देखना और स्वयं भी प्रसन्न रहना .
आदमी के लहू से भरतें हैं
देवता उनकी वन्दनाओं को
जाने कैसे कबूल करतें हैं |
ताऊ : आप ताऊ पहेली के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : इसका इन्तजार रहता है .पता नहीं कैसे आप यह सब कर पातें हैं? यह वाकई एक जिम्मेदारी भरा काम है . शनिवार को यह उत्सुकता बनी रहती है की आज पहेली में क्या होगा ? ब्लॉग जगत की यह बेहतरीन प्रस्तुतियों में से है .
ताऊ : अक्सर लोग पूछते हैं ताऊ कौन? आप क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मुझे भी शुरुआत में बहुत जिज्ञासा बनी रहती थी कि यह बन्दर की फोटो वाला आखिर है कौन .,लेकिन धीरे -धीरे मुझे लगने लगा कि यह आदमी एक खुश दिल इंसान है ,जो रचनात्मकता लिए सदैव आपके साथ है . .
ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे आपके क्या विचार हैं?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका तो ब्लॉग जगत में छा गयी है .आपका पूरा सम्पादक मंडल इसके लिए बधाई का पात्र है .मुझे पूरा यकीन है की निकट भविष्य में यह पत्रिका कई पन्नो की होगी जिसमें ज्ञान -विज्ञानं का खजाना छुपा होगा .
अब एक सवाल ताऊ से :-
सवाल डा. मनोज मिश्र का :- मैं चाहता हूँ कि जिस तरह आप मेरे सामनें रूबरू हैं , उसी तरह अब ब्लॉग के फोटो में भी नजर आइये , लेकिन ऐसा आपनें क्यों किया , इसके पीछे भी कोई रहस्य है क्या ?
ताऊ : डा. साहब आप कहां के रहने वाले हैं?
डा. मनोज मिश्र : जी मैं उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद से हूँ.
ताऊ : आप करते क्या हैं?
डा. मनोज मिश्र : मै पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में प्राध्यापक हूँ .
ताऊ : यूं तो जीवन में बहुत सी घटनाएं दुर्घटनाएं होती रहती हैं पर आप अपने जीवन की अविस्मरणीय घटना किसे मानते हैं?
डा. मनोज मिश्र : हां ताऊ जी आपकी बात सही है. जीवन मे ऐसी बहुत सारी घटनाएं घटी हैं पर मेरे पिता जी की असामयिक और आकस्मिक मौत मेरे जीवन की सबसे सबसे अविस्मरणीय घटना है .
ताऊ : आपके शौक क्या हैं?
डा. मनोज मिश्र : लोक- गीत -संगीत ,सामाजिक सरोकार .,लोंगों को खुश देखना और स्वयं भी प्रसन्न रहना .
ताऊ : अब ये बताईये कि आपको सख्त ना पसंद क्या है?
डा. मनोज मिश्र : एहसानफरामोशी
ताऊ : और पसंद क्या है?
डा. मनोज मिश्र : सच्चाई,इमानदारी
ताऊ : समाज और देश के बारे में कोई ऐसी बात जो आप हमारे पाठको से कहना चाहें?
डा. मनोज मिश्र : आज हमारा समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है .परिवर्तन की आंधी चहुओर से आ रही है ,ऐसी स्थिति में जब पारिवारिक ,पडोस एवं सामाजिक रिश्ते तार-तार हो रहें हों हम सभी का उत्तरदायित्व है कि सदैव सजग रहते हुए सामाजिक समरसता मजबूत करनें की दिशा में सक्रिय रहें .
डा. मनोज मिश्र का घर
ताऊ : मनोज जी अभी तक के इंटर्व्यु मे आप बहुत ही संक्षिप्त जवाब देरहे हैं? जैसे हां या ना मे? ऐसा क्यों?
डा. मनोज मिश्र : ताऊजी मेरा स्वभाव ही ऐसा है.
ताऊ : जी, अब कोई यादगार घटना बताईये?
डा. मनोज मिश्र : ऐसी कोई यादगार घटना तो नही याद आती.
ताऊ : अरे डाक्टर साहब, लगता है आप कुछ डर रहे हैं ताऊ से कि कहीं उल्टी सीधी बात नही उगलवा ले? आप चिंता मत करिये ..आराम से बताईये.
डा. मनोज मिश्र : नही नही ताऊजी, ऐसी कोई बात नही है. पर मुझे ऐसी कोई घटना का स्मरण नही आरहा है.
ताऊ : चलिये डाक्टर साहब, आप भी क्या याद रखेंगे, हम आपको याद दिलाते हैं. हमने सुना है है कि आप एक बार भूत बन गये थे?
डा. मनोज मिश्र : अरे ताऊ जी, ये आपको किसने बता दिया?
ताऊ : किसी ने भी बताया हो? पर ये घटना क्या थी?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी हुआ युं था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, स्नातक में हास्टल में दाखिला के बाद रैंगिंग से बचनें के लिए ये नाटक किया था.
ताऊ : नाटक किया था? क्या मतलब?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी , मेरे कुछ मित्रों ने मुझे राय दी कि अगर रैगिंग से बचना है तो ये नाटक करलो कि तुम्हारे अंदर भूत आता है. बस उनके उकसावे में आकर भूत आनें की एक्टिंग करने लगा.
ताऊ : फ़िर आगे या हुआ?
डा. मनोज मिश्र : अब ये घटना जो कि शुरुआत के कई महीने परेशान करती रही मेरे सहपाठी ही नहीं अपितु सीनियर्स भी डर के मारे मुझसे दूर भागते थे.
ताऊ : और आप इस तरह रैगिंग से बच गये?
डा. मनोज मिश्र : हां, मैं उस समय बडे मजे लेता था भूत आने की एक्टिंग करके? सबको डरा कर रखता था.
ताऊ : तो आपका यह नाटक कब तक चला?
डा. मनोज मिश्र : बस जब रैगिंग का डर खत्म होगया तब मैने असली बात मेरे मित्रों को बताई.
ताऊ : तब तक तो आपके मित्र भी आपसे डर कर ही रहते होंगे?
डा. मनोज मिश्र : और क्या..पर जब उनको सारी सचाई मालूम पडी तब जाकर के मै सब का प्रिय बन सका.
ग्रामीणों में वैज्ञानिक चेतना हेतु जन जागरण
ताऊ : आप गांव मे ही रहते हैं. क्या गांवों मे भी सब सुविधाएं उपलब्ध हैं?
डा. मनोज मिश्र : हां मूलतः मैं आज भी गाँव में ही रहता हूँ ,यह गाँव शहर से नजदीक होनें के कारण गाँव में आधारभूत सारी सुविधाएँ हैं. इस गाँव की सरपंच / प्रधान भी मेरी माँ ही हैं .
ताऊ : आप संयुक्त परिवार के सदस्य हैं. इस बारे मे पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : हमारा संयुक्त परिवार है, इसमें तो आनंद ही आनंद है बस केवल एक ही कष्ट है कि ऐसे माहौल में आप स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते और खासतौर पर तब जब आप सबसे छोटे हों .
ताऊ : हां तो डाक्टर साहब आपको ब्लागिंग का भविष्य कैसा लगता है?
डा. मनोज मिश्र : अगर आपका मतलब भविष्य की तरफ़ है तो अब भविष्य तो केवल ब्लोगिंग का ही है.
ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं?
डा. मनोज मिश्र : मैं २८ अक्टूबर २००८ दीपावली के दिन से ब्लोगिंग में हूँ
ताऊ : आपके अनुभव बताईये?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी यह बडा ही मजेदार है. पर इसमें एक ही परेशानी है कि यदि आप नौकरी पेशे में हो और ब्लोगिंग से भी जुड़े हों तो मुझे लगता है कि इससे सामाजिक जीवन -सहभागिता में, तालमेल बिठानें में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.
ताऊ : आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?
डा. मनोज मिश्र :मेरा ब्लागिंग में आना अपने बड़े भाई साहेब डॉ अरविन्द मिश्र जी के कारण हुआ .उन्होंने जिद पकड़ ली थी .
ताऊ : आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?
डा. मनोज मिश्र : अभी बहुत सही दिशा में तो नहीं है , पर तेजी से आप जैसे ब्लाग के महारथियों से सीखनें की कोशिश कर रहा हूँ .
विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में डा. मिश्र
ताऊ : क्या आप राजनिती मे आप रुची रखते हैं?
डा. मनोज मिश्र : जी बिलकुल रूचि रखता हूँ ताऊ जी.
ताऊ : आज की इस राजनिती के बारे मे आपका क्या सोच है?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी, कोइ बहुत उत्साह जनक माहोल तो नही है. हम जिस प्रदेश में हैं वहाँ राजनीति में फिलहाल ऐसा अनुकरणीय कुछ नहीं हो रहा है कि जिसकी चर्चा की जाय .फिलहाल तो येन -केन -प्रकारेण कुर्सी हथियाओ, यही मूल मंत्र बन गया है राजनीति का .
ताऊ : आपके बच्चों के बारे मे कुछ बतायेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मेरे दो बच्चे हैं ,एक बिटिया है जो कि कक्षा ७ में है उसका नाम है स्वस्तिका और दूसरे सुपुत्र महोदय हैं जो अभी यू.के जी में हैं नाम है- आयुष्मान
ताऊ : आपकी जीवन संगिनी के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मेरी जीवन संगिनी का नाम डॉ छाया मिश्रा है .उनकी शिक्षा एम.ए.पी एच .डी है तथा वे वर्तमान समय में जौनपुर में ही एक पी .जी .कालेज में लेक्चरर हैं .
ताऊ : हमारे पाठकों से और कुछ कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : जी बस यही कहना चाहूंगा कि :-
रात दिन जो तिजोरियां अपनीडा. मनोज मिश्र : एहसानफरामोशी
ताऊ : और पसंद क्या है?
डा. मनोज मिश्र : सच्चाई,इमानदारी
ताऊ : समाज और देश के बारे में कोई ऐसी बात जो आप हमारे पाठको से कहना चाहें?
डा. मनोज मिश्र : आज हमारा समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है .परिवर्तन की आंधी चहुओर से आ रही है ,ऐसी स्थिति में जब पारिवारिक ,पडोस एवं सामाजिक रिश्ते तार-तार हो रहें हों हम सभी का उत्तरदायित्व है कि सदैव सजग रहते हुए सामाजिक समरसता मजबूत करनें की दिशा में सक्रिय रहें .
ताऊ : मनोज जी अभी तक के इंटर्व्यु मे आप बहुत ही संक्षिप्त जवाब देरहे हैं? जैसे हां या ना मे? ऐसा क्यों?
डा. मनोज मिश्र : ताऊजी मेरा स्वभाव ही ऐसा है.
ताऊ : जी, अब कोई यादगार घटना बताईये?
डा. मनोज मिश्र : ऐसी कोई यादगार घटना तो नही याद आती.
ताऊ : अरे डाक्टर साहब, लगता है आप कुछ डर रहे हैं ताऊ से कि कहीं उल्टी सीधी बात नही उगलवा ले? आप चिंता मत करिये ..आराम से बताईये.
डा. मनोज मिश्र : नही नही ताऊजी, ऐसी कोई बात नही है. पर मुझे ऐसी कोई घटना का स्मरण नही आरहा है.
ताऊ : चलिये डाक्टर साहब, आप भी क्या याद रखेंगे, हम आपको याद दिलाते हैं. हमने सुना है है कि आप एक बार भूत बन गये थे?
डा. मनोज मिश्र : अरे ताऊ जी, ये आपको किसने बता दिया?
ताऊ : किसी ने भी बताया हो? पर ये घटना क्या थी?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी हुआ युं था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, स्नातक में हास्टल में दाखिला के बाद रैंगिंग से बचनें के लिए ये नाटक किया था.
ताऊ : नाटक किया था? क्या मतलब?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी , मेरे कुछ मित्रों ने मुझे राय दी कि अगर रैगिंग से बचना है तो ये नाटक करलो कि तुम्हारे अंदर भूत आता है. बस उनके उकसावे में आकर भूत आनें की एक्टिंग करने लगा.
ताऊ : फ़िर आगे या हुआ?
डा. मनोज मिश्र : अब ये घटना जो कि शुरुआत के कई महीने परेशान करती रही मेरे सहपाठी ही नहीं अपितु सीनियर्स भी डर के मारे मुझसे दूर भागते थे.
ताऊ : और आप इस तरह रैगिंग से बच गये?
डा. मनोज मिश्र : हां, मैं उस समय बडे मजे लेता था भूत आने की एक्टिंग करके? सबको डरा कर रखता था.
ताऊ : तो आपका यह नाटक कब तक चला?
डा. मनोज मिश्र : बस जब रैगिंग का डर खत्म होगया तब मैने असली बात मेरे मित्रों को बताई.
ताऊ : तब तक तो आपके मित्र भी आपसे डर कर ही रहते होंगे?
डा. मनोज मिश्र : और क्या..पर जब उनको सारी सचाई मालूम पडी तब जाकर के मै सब का प्रिय बन सका.
ताऊ : आप गांव मे ही रहते हैं. क्या गांवों मे भी सब सुविधाएं उपलब्ध हैं?
डा. मनोज मिश्र : हां मूलतः मैं आज भी गाँव में ही रहता हूँ ,यह गाँव शहर से नजदीक होनें के कारण गाँव में आधारभूत सारी सुविधाएँ हैं. इस गाँव की सरपंच / प्रधान भी मेरी माँ ही हैं .
ताऊ : आप संयुक्त परिवार के सदस्य हैं. इस बारे मे पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : हमारा संयुक्त परिवार है, इसमें तो आनंद ही आनंद है बस केवल एक ही कष्ट है कि ऐसे माहौल में आप स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते और खासतौर पर तब जब आप सबसे छोटे हों .
ताऊ : हां तो डाक्टर साहब आपको ब्लागिंग का भविष्य कैसा लगता है?
डा. मनोज मिश्र : अगर आपका मतलब भविष्य की तरफ़ है तो अब भविष्य तो केवल ब्लोगिंग का ही है.
ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं?
डा. मनोज मिश्र : मैं २८ अक्टूबर २००८ दीपावली के दिन से ब्लोगिंग में हूँ
ताऊ : आपके अनुभव बताईये?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी यह बडा ही मजेदार है. पर इसमें एक ही परेशानी है कि यदि आप नौकरी पेशे में हो और ब्लोगिंग से भी जुड़े हों तो मुझे लगता है कि इससे सामाजिक जीवन -सहभागिता में, तालमेल बिठानें में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.
ताऊ : आपका ब्लागिंग मे आना कैसे हुआ?
डा. मनोज मिश्र :मेरा ब्लागिंग में आना अपने बड़े भाई साहेब डॉ अरविन्द मिश्र जी के कारण हुआ .उन्होंने जिद पकड़ ली थी .
ताऊ : आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?
डा. मनोज मिश्र : अभी बहुत सही दिशा में तो नहीं है , पर तेजी से आप जैसे ब्लाग के महारथियों से सीखनें की कोशिश कर रहा हूँ .
ताऊ : क्या आप राजनिती मे आप रुची रखते हैं?
डा. मनोज मिश्र : जी बिलकुल रूचि रखता हूँ ताऊ जी.
ताऊ : आज की इस राजनिती के बारे मे आपका क्या सोच है?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ जी, कोइ बहुत उत्साह जनक माहोल तो नही है. हम जिस प्रदेश में हैं वहाँ राजनीति में फिलहाल ऐसा अनुकरणीय कुछ नहीं हो रहा है कि जिसकी चर्चा की जाय .फिलहाल तो येन -केन -प्रकारेण कुर्सी हथियाओ, यही मूल मंत्र बन गया है राजनीति का .
ताऊ : आपके बच्चों के बारे मे कुछ बतायेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मेरे दो बच्चे हैं ,एक बिटिया है जो कि कक्षा ७ में है उसका नाम है स्वस्तिका और दूसरे सुपुत्र महोदय हैं जो अभी यू.के जी में हैं नाम है- आयुष्मान
ताऊ : आपकी जीवन संगिनी के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मेरी जीवन संगिनी का नाम डॉ छाया मिश्रा है .उनकी शिक्षा एम.ए.पी एच .डी है तथा वे वर्तमान समय में जौनपुर में ही एक पी .जी .कालेज में लेक्चरर हैं .
ताऊ : हमारे पाठकों से और कुछ कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : जी बस यही कहना चाहूंगा कि :-
आदमी के लहू से भरतें हैं
देवता उनकी वन्दनाओं को
जाने कैसे कबूल करतें हैं |
ताऊ : आप ताऊ पहेली के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : इसका इन्तजार रहता है .पता नहीं कैसे आप यह सब कर पातें हैं? यह वाकई एक जिम्मेदारी भरा काम है . शनिवार को यह उत्सुकता बनी रहती है की आज पहेली में क्या होगा ? ब्लॉग जगत की यह बेहतरीन प्रस्तुतियों में से है .
ताऊ : अक्सर लोग पूछते हैं ताऊ कौन? आप क्या कहना चाहेंगे?
डा. मनोज मिश्र : मुझे भी शुरुआत में बहुत जिज्ञासा बनी रहती थी कि यह बन्दर की फोटो वाला आखिर है कौन .,लेकिन धीरे -धीरे मुझे लगने लगा कि यह आदमी एक खुश दिल इंसान है ,जो रचनात्मकता लिए सदैव आपके साथ है . .
ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे आपके क्या विचार हैं?
डा. मनोज मिश्र : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका तो ब्लॉग जगत में छा गयी है .आपका पूरा सम्पादक मंडल इसके लिए बधाई का पात्र है .मुझे पूरा यकीन है की निकट भविष्य में यह पत्रिका कई पन्नो की होगी जिसमें ज्ञान -विज्ञानं का खजाना छुपा होगा .
अब एक सवाल ताऊ से :-
सवाल डा. मनोज मिश्र का :- मैं चाहता हूँ कि जिस तरह आप मेरे सामनें रूबरू हैं , उसी तरह अब ब्लॉग के फोटो में भी नजर आइये , लेकिन ऐसा आपनें क्यों किया , इसके पीछे भी कोई रहस्य है क्या ?
जवाब ताऊ का : हमारे यहां एक कहावत है कि "थोडा पढा हल से गया और घणा पढा घर से गया". कहावत देशी है. इसका मतलब है अगर आदमी थोडा बहुत पढ लिया तो हल (खेती बाडी) नही जोतेगा कहीं बाबूगिरी करेगा और ज्यादा पढ लिया तो घर या देश छोड कर ही चला जायेगा. बस इस फ़ोटो के पीछे की सोच यही है कि अब कबीर की भाषा मे बे बुद्धि होना ज्यादा अच्छा. : -
तो ये थे हमारे आज के मेहमान. आपको कैसा लगा इनसे मिलकर? अवश्य बताईयेगा.
अरे ताऊ जी आज आपनें हमारे जनपद की चर्चित शख्सियत का इंटरब्यू ले लिया है ,बहुत ही सुंदर इंटरब्यू आपने लिया है ,आप आये थे क्या ?लेकिन एक कमी रह गयी हमारे डॉ मनोज जी बहुत अच्छे गायक हैं ,गीत सुंदर गाते हैं ,आपनें तो उनसे कोई गीत सुनाया ही नहीं .लगता है मनोज जी आपके इस सवाल को टाल गए ,मनोज जी से बाद में गीत सुनियेगा.फिर भी उत्क्रिस्ट इंटरब्यू .
ReplyDeleteमनोज जी से यूँ तो परिचय कई साल पुराना है। पर आपका साक्षात्कार पढकर बहुत सारी नई बातें मालूम चलीं। शुक्रिया।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अच्छा लगा डॉ मनोज से मिल.. धन्यवाद ताऊ!!
ReplyDeleteराम राम
यूं ही मिलवा रहे हैं ताऊजी आप जबसे
ReplyDeleteअच्छी अच्छी बातें सीख रहें हैं हम तबसे
ताऊ जी, कोई घपला है इस इंटर्व्यू के चित्र नहीं दिख रहे केवल लिंक दिख रहा है, जिसे क्लिक करने पर वे दिख रहे हैं।
ReplyDeleteमनोज जी से मिल कर बहुत भला लगा। लगता है अब बनारस के बाबा जल्दी ही उधर बुला रहे हैं।
are vaah ...ek aur badhiya sakshatkaar.....
ReplyDeleteडॉक्टर साहब से मिल कर बड़ा अच्छा लगा. मितभाषी हैं, अध्यापन में होकर भी....लम्बा लम्बा नहीं बोलते.
ReplyDeleteडॉ.मनोज जी का साक्षात्कार पढ़ा और उनके बारे में जाना..
ReplyDeleteजैसा अनुमान था ही वह बहुत सोम्य और विनम्र स्वभाव के होंगे .
[जानकार आश्चर्य हुआ कि वे डॉ.अरविन्द जी के भाई हैं.]
-रेग्गिंग से बचने के लिए भूत बनने का आईडिया तो मौलिक और नया लग रहा है.
-डॉ.छाया ,स्वस्तिका ,आयुष्मानसभी से मिलवाया.आभार.
आखिर में ताऊ का जवाब भी रोचक है .
आज के साक्षात्कार की प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी.
[-चित्र नहीं दिख रहे...]
मनोज जी की सादगी और उनके विचारों ने बहुत प्रभावित किया...अच्छा लगता है ये देख कर की ब्लॉग जगत से कैसे गुणी और कर्मठ लोग जुड़े हुए हैं...इश्वर उन्हें और उनके परिवार को हमेशा सुखी रक्खे ...
ReplyDeleteनीरज
हमारी भी मनोज जी से जान पहचान हो गयी है बहुत अच्छा लगा यह साक्षात्कार.
ReplyDelete@श्री द्विवेदी जी एवम मा. अल्पनाजी,
ReplyDeleteहम क्रोम का इस्तेमाल करते हैं. और क्रोम मे सभी चित्र बहुत बढिया दिखाई दे रहे हैं.
आप लोगों के ध्यान दिलाये जाने पर यह पाया गया है कि इंटरनेट एकस्प्लोरर एवम मोजिल्ला फ़ायर फ़ोक्स मे सीधे चित्र ना दिखाई देकर क्लिक करने पर दिखते हैं.
हम एक बार चित्रों को वापस रिलोड करवा कर देखते हैं अगर यह शिकायत दूर हो जाये तो.
असुविधा के लिये क्षमा प्रार्थी हूं.
बहुत अच्छा लगा डाक्टर साहब से मिलकर. पर ताऊ डाक्टर जब गाते अच्छा हैं तो एक गीत तो उनसे सुनवाना था ना?
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं .
बहुत अच्छा लगा मनोज जी को जानकर.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा मनोज जी को जानकर.
ReplyDeleteek aur hasti se mulakat ke liye dhanyavad taau.
ReplyDeleteएक शानदार परिचय के लिये साधुवाद ताऊ.
ReplyDeleteताऊ आप यह बहुत अच्छा काम करते हो. बहुत धन्यवाद आपको और मनोज जी और उनके परिवार को बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteएक बहुत ही सुंदर साक्षात्कार. बधाई.
ReplyDeleteब्लागजगत की एक और सखशियत के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteब्लागजगत की एक और सखशियत के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteमनोज जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteडॉ० मनोज मिश्र जी के परिचयनामे का आभार । हम तो इतने से ही प्रसन्नमन हुए जा रहे हैं कि आप डॉ० अरविन्द मिश्र जी के भाई हैं ।
ReplyDeleteआपने मनोज जी के सवाल का जो जवाब दिया है, लाजवाब है ।
यह जानकर बडा अच्छा लगा कि ब्लागजगत मे भी एक से एक हस्तियां मौजूद है. आपका यह बहुत ही कर्मठ कार्य है जिसे आप अंजाम दे रहे हैं.
ReplyDeleteशुभकामनाएं.
हाँ एक बात और । एक भी चित्र नहीं देख पाये हम मनोज जी के इस परिचयनामे का ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा मनोज जी के बारे मे जानकर.
ReplyDeleteसुखद रहा मनोजजी से मिलना, यूँ तो काफी आईडिया इनका ब्लॉग पढ़ कर ही लगता रहता है पर ताऊ के इंटरव्यू की बात ही कुछ और है :)
ReplyDeleteडॉ० मनोज मिश्र जी से मिलकर बड़ा अच्छा लगा....
ReplyDeleteताऊ जी,
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
अच्छा लगा डॉ मनोज जी से मिलकर | मिलवाने के लिए धन्यवाद ताऊ जी |
ReplyDeleteअब फ़ोटो सभी ब्राऊजर्स मे दिखाई देने लगी हैं. कृपया किसी को दिक्कत आरही हो तो अवश्य बतायें. असुविधा के लिये क्षमा.
ReplyDeleteताऊ, मनोज जी के गाने वाली बात अगर सही है तो उनसे गीत भी सुनवाएं। सादगी भरा साक्षात्कार अच्छा लगा औइर ताऊ के जबाब ने भी प्रभावित किया।
ReplyDeleteमनोज मुखर नहीं हो सके -भूत वाला किसा तो उन्होंने कभी मुझे भी नहीं बताया !
ReplyDeleteअच्छा लगा डॉ मनोज जी से मिलकर
ReplyDeleteधन्यवाद
मनोज जी, मैं आप से जौनपुर आकर भी न मिल पाया और ताऊ जी ने देखो कैसे दन्न से मिलवा दिया :)
ReplyDeleteरोचक इंटरव्यू ।
हमेशा की तरह एक और लाजवाब साक्षात्कार ताऊ..
ReplyDeleteमनोज जी से मुलाकात रोचक रही
बड़ा इन्तजार था डॉक्टर साहब के इन्टरव्यू का. आनन्द आ गया. बहुत कुछ जाना..रोचक रहा.
ReplyDeleteआभार.
"मेघदूत "आवास मेँ रहते मनोज भाई साहब परिवार के सभी के बारे मेँ पढकर भारत के एक भरे पूरे परिवार की छवि उभर आयी
ReplyDeleteबढिया साक्षात्कार लगा ताऊ जी
- लावण्या
सादगी भरी मुलाकात ... !!
ReplyDeleteडा. मनोज मिश्र से मिल कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteताऊ की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी।
वो दड़े मुर्दे उखाड़ने में शुरू से ही माहिर
है। फिर भी धन्यवाद का पात्र है, क्योंकि
इसके कारण हमें बहुत सी शख्शियतों को
जानने का अवसर मिलता है।
मनोज जी से मिलकर बहुत खुशी हुई. बड़े भाई साहब से तो पहले से ही मुलाक़ात है. अब जब हर कोई उनके गायन की तारीफ़ कर रहा है तो फिर एक गीत ले ही आइये उनकी आवाज़ में.
ReplyDeleteआपका साक्षात्कार पढकर बहुत सारी नई बातें मालूम चलीं। शुक्रिया!!!
ReplyDeleteवैसे पता नहीं मनोज जी से कभी मिला नहीं ....पर पता नहीं क्यों वह ऐसे दीखते हैं की लगता है की हम कहीं मिल चुके हों!!!
Dr. Manoj Mishr jo ke blog ko to mai dekhti rahti hu...par aaj unke baare mai itne vistar se janna achha laga...
ReplyDeleteइस मनमोहनी ज़माने मे गांधियन टेक्नालाजी का माडल,ये तो चमत्कार ही है।प्राध्यापक होकर गांव मे रहना,संयुक्त परिवार मे लिये गये सारे फ़ैसले पर असमति के बावज़ूद छोटे होने के कारण अमल करना।ये तो कंही से डाक्टर तो दूर शहरी भी नही लगते।आज़ादी के पहले की शख्सियत लग रही है ये।मज़ा आ गया एक एंटिक़ पीस से मुलाकात का।
ReplyDeleteधन्यवाद ताऊ जी , वैसे तो डॉ० मनोज मिश्र जी को मै पिछले दो सालों से जानता हूँ लेकिन उनके "भूतियारूप " के बारे में मैंने पहली बार सुना , शायद आप को किसी ने नही बताया डॉ ० साहब विश्वविद्यालय में विज्ञानं संचार की बातें पढाते है ,यानी समाज को अंधविश्वास से मुक्त कराने के लिए हर साल ३० पोस्ट ग्रेजुएट लोगों को शिछा देते है । जो आज के समाज में बहुत ज़रूरी है । डॉ ० साहब का मूल मन्त्र मेरे ख्याल से ये है ..........."Onle Daed Fish Can Swim With Streem "
ReplyDeletebahut hi rochak lagi ye mulaakat...haalanki Manoj Sir to sanchhep me maamla saltaane ki koshish me they par aap to poore lage huye they unke peeche,isse maza badh gayaa...
ReplyDeletein koshisho se sach much lagne lagta haijaise hindi blogging ki duniya ek bada sa parivaar hi hai :)
manoj ji ko yaha pakar hune bahut khusi hui,aur unki jo bate ab tak hum nahi jante the wo bhi pata chal gaye
ReplyDeleteअच्छा लगा मनोज जी के बारे में इतना कुछ जान कर ..बहुत बढ़िया रहा यह भी .शुक्रिया
ReplyDeleteअरे ताऊ जी बड़ी कृपा किये .
ReplyDeleteमनोज जी से जौनपुर आने पर तो मिलना मिलाना हम आपस में तय ही कर चुके थे , ये गाने वाली बात पता चली , वह भी लोक संगीत ,अबतो सुनेंगे ही .भले डाक्टर साहब ' गारी ' ही सुनाएँ . ( गारी ससुराल जाने पर सुनाया जाने वाला लोक संगीत है , और जौनपुर मेरी ससुराल है ) :) . आपने बड़ा उपकार किया वरना शायद ये छुपाय जाते .
आपको इनसे मिलवाने का बहुत धन्यवाद .
सुट-बुट में भाई साब खूब जम रहे हैं :) घणा चोखा इंटव्यू रहा. रोचकता पूर्ण. ताऊ भी खूब मेहनत कर रहे है, अतः साधूवाद के हकदार है.
ReplyDeleteताऊ जी आज आप का फ़ीड आया,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा मनोज जी से मिलना, बिलकुल अपने से लगे.
आप का ओर मनोज जी का धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
भाई वह ये मुलाकात तो यद् रहेगी...
ReplyDeleteमीत
ताऊ राम राम
ReplyDeleteडॉ.मनोज जी का साक्षात्कार पढ़ कर और उनके बारे में जान कर अच्छा लगा अनुमान के अनुसार कम बोलने वाले सोम्य और विनम्र लगे मनोज जी. रेगिंग का किस्सा जोरदार लगा डॉ.छाया, स्वस्तिका और आयुष्मानसभी से मिल कर अच्छा लगा
आपके बहाने हमारी भी मनोज जी से जान पहचान हो गयी.
मनोज जी के बारे में जानना बहुत ही अच्छा रहा...मनोज जी की सादगी और उनके विचारों दोनों ही प्रभावित करने वाले हैं।
ReplyDeletemanoj ji aapke saath to raha lekin kuch kisse aap bhee gol kar gaye achha anubhav hua
ReplyDeleteमिश्र जी अपने रोज के ग्राहक हैं। पर जो जानकारी आपने दी वह नहीं मालुम थी। उनके बच्चों के नाम तो बड़े प्यारे हैं - स्वास्तिका और आयिष्मान!
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