आजकल बिना मांगे सलाह देने की बहार आई हुई है. जिसे देखो वो सलाह देना शुरु कर देता है. हमारे इंदोरी मित्र श्री दिलिप कवठेकर जी ने हमको ढूंढने के चक्कर में वो वाली पान की दुकान ढूंढ ली जहां की सलाह पढ कर हमारे ज्ञान चक्षू खुले थे. यानि जहां किसी को ज्ञान ना बांटने की सलाह दी गई है. और उस दुकान वाले से उन्होने हमारा पता लेकर, हमारे ताऊ आश्रम तक आ पधारे.
यानि वो ऐसे पहले ब्लागर बने जो ये दावा कर सकते हैं कि ताऊ को मिलने वाले वो प्रथम ब्लागर हैं. अब ये भगवान जाने कि वो ताऊ के हमशक्ल से मिले या कि किसी और से? हमको भी कुछ नही पता. तो अब ज्यादा आपको क्या बताये?
लोगों ने सलाह दी कि ताऊ अब ये भैंस पुराण बहुत होगया इसे बंद करो और कुछ इज्जत लायक लिखो. बुढौती मे कदम रख दिये और ये उल्टे सीधे काम करते हो? कभी पहेली, कभी कविता...जाने तुम्हारी अक्ल को भी क्या हो गया है? अरे कुछ तो ऐसा लिखो जो की किसी के काम आये. कोरी बकबास लिखते हो. तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी हमको.
लो कर लो बात.. बुढौती मे इज्जत लायक लिखने की अक्ल आने की गारंटी है क्या? अब इज्जत लायक क्या लिखें? अरे आप जरा बिना दुध पिये रह जाओ ! फ़िर जाने हम आपको. अब ये भैंसे हैं तो आपकी सेहत है. और सेहत है तो अक्ल है. अब आपने हमारी भैंसों से ही हमको दूर करवा दिया तो लिखने की अक्ल कहां से आयेगी?
खामखाह हमारी चंपाकली और अनारकली से हमको दूर करवा दिया और खुद तो खरीद कर दूध का सेवन करते हैं और हमे चाय पीने के काबिल भी नही छोडा.
हम तो जारहे हैं अपनी चंपाकली को लेने चांद पर. किसी को ऐतराज हो तो हमारी बला से. हमने भी फ़ुरसतिया जी का ध्येय वाक्य आत्मसात कर लिया है कि हम तो भैंस,गधे और बिल्ली बंदर पर ही जबरदस्ती लिखेंगे. कोई हमारा क्या कर लेगा?
ताऊ पत्रिका-१० मे " मेरी कलम से " स्तंभ मे सु. सीमाजी ने गधे की कहानी सुनाई थी कि लडके और बुड्ढे ने गधे को नदी मे पटक दिया और उससे हाथ धो लिया.
अब सु. सीमाजी को क्या बतायें कि वो बुड्ढा और लडका असल मे रामदयाल कुम्हार और उसका लडका रमलू थे. सीमा जी ने सिर्फ़ प्रबंधकीय लिहाज से उस घटना का अवलोकन किया. पर असल बात बहुत गहरे राज की है.
तो आइये वो असली बात हम आपको बता देते हैं कि वो गधा जिसका नाम संतू गधा था वो नदी मे गलती से गिरा था या रामदयाल और उसके छोरे रमलू ने जान बूझकर अपना पीछा छुडाने को गिरा दिया?
वाकई बहुत शातिर थे दोनों बाप बेटे. मेनका गांधी की फ़ौज से बचने का पक्का उपाय किया था उन्होनें.
जब रामदयाल और उसके लडके रमलू ने उनके गधे संतू को नदी मे पटका था उसके कुछ समय पहले वो संतू गधा बडा दुखी होता हुआ ताऊ के पास आया था.
और बडे दुखी मन से बोला कि ताऊ अब मैं बुढ्ढा हो चला हूं, पहले जैसा काम भी नही कर पाता. अब ये रामदयाल मुझे बेचना चाहता है पर मेरे टुटे दांत देख कर कोई खरीदता नही है.
अब मैं इनको चारे से भी महंगा पडने लग गया हूं. कल रात ही रमलू अपने बापू रामदयाल से कह रहा था कि बापू चल, इस संतू गधे को कही जंगल मे छोड आते हैं वहां शेर चीता इसको खा पी लेंगे और हमारा पीछा छूट जायेगा.
संतू गधा आगे बोला - अब बताओ ताऊ, मैं क्या करूं? कितने कृतघ्न इन्सान हैं ये दोनों बाप बेटे? जब मैं दिन रात काम करता था तब ये ही रामदयाल कहता था कि ये गधा नही ये तो मेरे रमलू के बराबर है. मैं इसको सच्चा प्यार करता हूं.
ताऊ : देख बेटा संतू गधे, अब तू सच्चे प्यार की दुहाई तो दे मत. अरे बावलीबूच, सच्चा प्रेम तो भूत की तरह है जिसकी चर्चा तो सब करते हैं, पर उसको देखा किसी ने नहीं। तू भी तो आखिर जवानी मे चंपा गधेडी को यही सपने दिखाया करता था ना?
अब ताऊ आगे बोला - देख मेरे प्यारे गधे. तू भी आखिर ताऊ के पास आया है और जब सब बिन मांगी सलाह देने लग रहे हैं तो तू तो आगे चल कर सलाह मांगने आया है.
और तेरी मदद तो मैं अवश्य ही करुंगा क्योंकि तू तो कृष्णचंदर जी वाले गधे की औलाद है. तेरी नस्ल को भी तो संरक्षित करना ही है ना.
एक सलाह ये कि हमेशा अपना मोबाईल अपने साथ मे रखना. जब भी आफ़त मे आओ मुझे फ़ोन करना तब मैं तुमको उपाय बताऊंगा. अभी से क्या बताऊं? पता नही तुझे रामदयाल और रमलू कहां लेजाकर मारेंगे? बस तू तो मुझे फ़ोन कर लेना. ताऊ की बात मानकर संतू गधा उस समय तो वापस चला गया.
पर अगले ही सप्ताह अचानक उस गधे का फ़ोन आया और बोला - हैलो..हैलो ताऊ, मर गया मैं तो. बचाओ..बचाओ...उसकी डूबी सी आवाज आ रही थी.
ताऊ ने पूछा - हां हैलो..कौन संतू? हैलो हां ..बोल बेटे बोल...क्या कहा मर गया? तो फ़िर कहां नरक से बोल रहा है? या सीधे स्वर्ग मे उर्वशी - मेनका की नृत्य महफ़िल आबाद कर रहा है?
गधा बोला - ताऊ, मजाक का समय नही है. रामदयाल और रमलू ने मुझे गांव के बाहर वाले सुखे कुये मे धक्का दे दिया है और अब गांव मे जाकर हल्ला कर रहे हैं कि उनका गधा अंधेरे मे कुंये मे गिर पडा है. मुझे बचाओ ताऊ.
अब ताऊ ने गधे को अपनी स्कीम समझाई और घबराने की बजाये धैर्य से काम लेने की सलाह दी. बाकी का किस्सा अगले हिस्से मे पढ लिजियेगा कि संतू गधा कुयें से निकला या वहीं मर गया कुएं में.
इब खूंटे पै पढो :- जैसा कि आप जानते हैं कि ताऊ आजकल डाक्टर बन गया है और उसकी प्रेक्टिस भी अच्छी चल रही है. लोगों को फ़ायदा भी बहुत जल्दी हो जाता है. पर अब डाक्टर ताऊ की परेशानी इस लिये बढ गई कि जितने भी पहचान वाले हैं वो सब आकर फ़ोकट मे इलाज करवा कर चले जाते हैं. यहां तक की कोई कैट-स्केन के पैसे भी देने को तैयार नही. एक रोज एक पार्टी में डाक्टर ताऊ गया था. वहां भी सब लोगों ने घेर लिया और कोई अपनी सर्दी जुकाम का, कोई एलर्जी का यानि सब अपनी २ बीमारी की दवा पूछने लगे. तभी वहां अपने वकील साहब द्विवेदी जी भी पधारे. अब डाक्टर ताउ ने वकील साहब से पूछा कि यार वकील साहब, मैं तो इन फ़ोकटियों का इलाज करके दुखी हो गया. फ़ीस देते नही हैं और जहां चाहे वहां मिलते ही अपनी बीमारी का इलाज पूछने लगते हैं. आप भी वकालत करते हैं. ऐसी समस्या आपको भी आती होगी? आप क्या करते हैं? मुझे भी कुछ उपाय बताओ भाई. द्विवेदी जी बोले - अरे डाक्टर ताऊ, मैं तो तुरंत पूछते ही सलाह दे देता हूं. इसमे क्या है? और फ़ीस का बिल बाद मे चपरासी द्वारा उनके घर भिजवा देता हूं. डाक्टर ताऊ को ये बात समझ मे आ गई, और घर आकर जितने भी लोगों ने उससे इलाज की सलाह ली थी उनके बिल बना कर लिफ़ाफ़े मे पैक करवा कर उनके यहां भेजने लगा. तभी रामप्यारी जो बाहर रिशेप्शन पर बैठी थी वो एक लिफ़ाफ़ा हाथ मे लेकर आई. और बोली - डाक्टर ताऊ, ये लिफ़ाफ़ा द्विवेदी जी वकील साहब का चपरासी दे गया है. डाक्टर ताऊ ने लिफ़ाफ़ा खोल कर देखा तो उसमे कल पार्टी के दौरान वकील साहब द्वारा ताऊ को दी गई सलाह का बिल था सिर्फ़ रुपया दस हजार का. |
जै्सा कि हमने आपको टेम्पेट की तबियत की तबियत खराब होने के बारे मे बताया था.
ReplyDeleteहम बडे हर्ष पुर्वक आपको सूचित कर रहे हैं कि हमारे तकनिकी संपादक श्री आशीष खंडेलवाल की टेम्पलेट से समझौता वार्ता सफ़ल रही है. और टेम्पलेट की तबियत भी उन्होने सुधार दी है.
टेम्पलेट पुर्ववत काम करने लगा है. हमने इससे पहले इस पोस्ट को मग्गाबाबा के ब्लाग पर डाल दिया था.
वहां की टीपणीया भी हम यहां नीचे पोस्ट कर रहे हैं.
कष्ट के लिये क्षमा याचना सहित
ताऊ रामपुरिया
SMART INDIAN - स्मार्ट इंडियन
ReplyDelete24 February 2009 19:00
ताऊ की सलाह मान लें तो मुर्दों की जान बच जाए
ताऊ की सलाह से कब्रिस्तान भी गुलिस्तान बन जाए
तो रामदयाल कुम्हार का गधा तो बच ही गया होगा - अगले अंक में देखेंगे हम लोग
नारदमुनि said...
ReplyDeleteye thik hai. narayan narayan
24 February 2009 19:01
Anil Pusadkar said...
ReplyDeleteऔर लो सलाह्।वो तो भला हो सीधे-सादे आदमी से पाला पड़ा था,कोई आड़ा तिरछा मिल जाता तो पूरे खेत,मकान,दूकान भैस सब अपने नाम लिखवा लेता। हा हा हा हा हा,मज़ा आ गया ताऊ जी।और हां आपको पान ठेले के जरिये ढूंढने का वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले दिलीप भाई को भी बधाई।
24 February 2009 19:25
Arvind Mishra said...
ReplyDeleteचलिए यहाँ तो टिप्पणी बॉक्स दिखा आज उसे बड़ी बेसब्री से ढूंढ रहा था !
१-जीवन ऐसे क्षण आ जाते हैं जब तब कि टेम्पलेट ही नहीं इष्ट मित्र तक कतरा के निकलते जाते हैं -और इसके पीछे ओबियस कारण होते हैं -अब तू तो ठहरा कुशाग्र बुद्धि -तोअक्ल्मंद को इशारा काफी !
२-मैं तो तेरा साथी जन्म जन्म का ताऊ ,परीशां न हो तबीयत हल्की करने के लिए लो एक शेर सुन -
खुदा करे दर्दे मुहब्बत न हो किसी को नसीब
रोया मेरा रकीब भी गले लगा के मुझे
-एक रकीब ! (पहचान कौन ?)
३.-तुम्हारे खूटे की परवाह नहीं मुझे ताऊ -मेरे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर ने एक बार कहा था कि जब तक किराए पर दूध उपलब्ध रहे खूंटे से गाय भैंस पलने में कहाँ की अक्लमंदी है -अफ़सोस तब तक मैंने पाल ली थी ....पर तभी से खूंटे से बिदकता हूँ ! तुम्हारी यह आभासी भैंस और खूंटा मुझे अपने निजी कारणों से खटकता रहा है !
४-तो किसी ने तुम्हे गर कुछ सुझाया है तो वह भी बिचारा खूंटे का मारा होगा -उसकी बात सुन उसका मान रख !
५-इस टिप्पणी को सहेज और कभी कभी देख भाई बड़ी तसल्ली मिलेगी !
राम राम नहीं जय जय हो बोल !
24 February 2009 19:29
दीपक "तिवारी साहब" said...
ReplyDeleteबहुत बढिया ताऊ जी. गधा मरा तो नही होगा. पक्के मे बच गया होगा. शर्त लगा लिजिये.
24 February 2009 19:31
दीपक "तिवारी साहब" said...
ReplyDeleteताऊ ने बहुत लोगों का माल खाया है. अब फ़ंसे वकील साहब के चक्कर में. :)
चुकाओ बि्ल वकील साहब का वर्ना अदालत मे खींच लिये जाओगे.:)
24 February 2009 19:33
indrani said...
ReplyDeleteआज तो आपके ब्लाग की तबियत की तबियत खराब हो गई.:) बहुत बढिया.
लगता है वकील साहब ने फ़ीस के बदले कहीं ब्लाग का टेम्पलेट जब्त तो नही कर लिया?
सोचने वाली बात है.
24 February 2009 19:36
makrand said...
ReplyDeleteलगता है ताऊ अबकि बार रामदयाल से पुराना मरे हुये गधे वाला हिसाब बराबर करके मानेगा.
24 February 2009 19:38
PN Subramanian said...
ReplyDeleteसन्तु तो बाहर आ ही जायेगा. तू तो उसके लिए पिता तुल्य है न. अब वकील साहब को सबक सिखैय्यो. आभार.
24 February 2009 19:54
रंजना [रंजू भाटिया] said...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लाजवाब ..
24 February 2009 20:17
ये क्या चक्कर है कभी बेचारी रामप्यारी बीमार हो जाती है स्कूल नही जाती कभी टेम्पेट की तबियत की तबियत खराब हो जाती है....अपने आप ही फोल्लोवेर्स की छंटनी हो जाती है ....वैसे तो cost cutting का जमाना है ...लकिन शायद कुछ ग्रह व्र्ह का चक्कर तो नही......वो चम्पाकली चाँद पर बैठी कहीं......कोई घोटाला तो नही कर रही राहू केतु के साथ..मिल कर ...ताऊ जी बात सोचन आली है.....बेचारा सन्तु........?????
ReplyDeleteRegards
बहुत खूब
ReplyDeleteतुलसीदास चन्दन घिसे
और तिलक लगाए रघुवीर
ताऊ जी ब्लॉग तो मुफ्त में चन्दन घिसने के लिए ही बनाए गए है .
आपकी पोस्ट पढ़कर आनंद आ गया .
बिना मांगे सलाह फोकट होती है सलाह मांगने पर फीस लगती है। तो फीस तो देना ही होगा- वकील से पंगा ठीक नहीं - सलाह की कोई फिस नहीं ले रहा हूं:)
ReplyDeleteखुटां बढीया है ताऊ.. वकील साब तो बिल भेज चुके.. पर आप बिल किसे दोगे... जिन्दा आदमी को ही बिल भेज सकते है ताऊ..:)
ReplyDelete'ताऊ'अब डाक्टर बन गया! यह तो बड़ी भारी ब्रेकिंग खबर है!
ReplyDeleteसबक बढ़िया मिल गया--फोकट में सलाह लेनी भी नहीं चाहिये..देनी तो चाहिये ही नहीं!
दिलीप जी को 'ताऊ कौन है ' का सीक्रेट पता चल गया??वैसे उन्होंने इस मिशन की घोषणा 'पुरस्कारों के वितरण के लिए', अपने एक ब्लॉग पर कर दी थी -
वैसे मुझे लगता नहीं है. कि इतनी आसानी से राज खुल जायेगा!
ताऊ यो जो तुम अपने ब्लाग पे सैम, बीनू फिरंगी, चम्पाकली, गोटू सुनार, भाटिया जी अर मौदगिल जीबरगे भलेमानसां की बेइज्जती खराब करते रहते हो. कहीं ऎसा न हो कि थारी इन हरकतों से दुखी होकर कोई भला मानस थारे खिलाफ कोर्ट मैं चला जावे.इब तो सुप्रीम कोर्ट नै बी इजाजत दे दी. मेरी एक बिना पैसों की सलाह या है कि अपने चिट्ठे वास्ते द्विवेदी जी बरगा कोई एक लीगल एडवाईजर बी रख ही ले. के बेरा कद जरूरत पड जै
ReplyDeleteवकील साहब का धंधा कैसे चलता है, समझ में गया ताऊ ।
ReplyDeleteताऊ
ReplyDeleteइब के हो गया.......ताऊ तन्ने बोल्या था इंसानों का डाग्धर न बणियो ये तो बहुत चालू होवें से, इंसानों से अच्छा जानवरों का डाक्टर बनना ठीक है, न पिस्से की बात करें हैं, न देवे हैं. न वकील का झंझट, न १० हज़ार हा बिल.
और तो और संतू का भी इलाज़ हो जाता, कम से कम उसको जवान ही बना देते.
पर जो भी बनियू, मन्ने तो थारी येई पोस्ट चूखी लगे से, इब इसने मत छोड़ दियो
राम राम
Jay ho taau taranhaar kee.
ReplyDeleteसच्चे प्रेम की परिभाषा पसन्द आयी.
ReplyDeleteआज का खूंटा पढकर तो बस हा हा हा... करता रह गया।
ReplyDeletetaau, aap bhi kabhi kabhi gadbad kar dete ho...wo log menka ji se peecha chhudane ke liye gadhe ko andhe kuyein me daal aaye aur aap unse kuch seekh lene ke bajaye raampyari se kaam karwa rahe hain! usse paper wagairah to sign karwa liye hain na ki wo aapke yahan kaam nahin kar rahi bas tafri karne aati hai...fere me fans jaaoge.
ReplyDeletekissa majedar raha,aur khoonta to bhai waah :)
अजी हाँ ताऊजी आप पशुओँ को हीरो हीरोइन बनाकर अत्मीनान से लिखिये ..
ReplyDeleteहमेँ तो सारे मित्र समान लगने लगे हैँ और दिलीप जी से मुलाकात पर भी,
लिखियेगा ..
बढिया चल रहा है ताऊनामा हिरियाणवी इस्टाईल मेँ ..
स स्नेह,
- लावण्या
ताऊ! मे नही कहता था लोगो के बिल समय पर चुका. खास कर ये द्विवेदी जी का। ये क्म्पुटर वालो से तो पगा ही मत ले ताऊ । एक दो वायरस छोड दिया तो काम तमाम समझो।द्विवेदी जी का बिल समय पर नही देने का नतिजा देख ले ताऊ- स्मार्ट इंडियन,नारदमुनि,Anil Pusadkar ..,Arvind Mishra ..,दीपक "तिवारी साहब" ,..दीपक "तिवारी साहब",...indrani ,...makrand ,...PN Subramanian ,...रंजना [रंजू भाटिया] के टीपणीयो मे तेरा थोबडा फिट कर डाला है द्विवेदी जी ने।
ReplyDeleteतू बडा भोला है ताऊ! लोग तेरा फायादा उठाने के चक्कर मे रह्ते है पर तू हमेशा ही अपणे आपको डेढ स्याणा समझता रहा......ताऊ! देख ताऊ! द्विवेदी जी पक्के बणीये है। धन्धे मे कोई शर्म नही।
@अरे बावलीबूच, सच्चा प्रेम तो भूत की तरह है जिसकी चर्चा तो सब करते हैं, पर उसको देखा किसी ने नहीं।
सही मेरे ताऊजी मुमबईया भाषा मे कहू तो "झकास"।
संतू गधा कुयें से निकला या वहीं मर गया कुएं में. इसका इन्तजार रहेगा मुझे।
ताऊ जी राम राम, जय जिनेन्द्र।
घणी खमा घणी क्षमा
[हे प्रभु यह तेरापन्थ, के समर्थक बनिये और टिपणी देकर हिन्दि ब्लोग जगत मे योगदान दे]
Bahut Badhiya...
ReplyDeleteअरे अब कहा कहा घिसे इस चंदन को भाई
ReplyDeletebahut majedaar tha
ReplyDeleteCOMMON MAN said...
ReplyDeletewaah tau, too to poora hi tau laag raya sai, ghana majaa aaya.
राज भाटिय़ा said...
ReplyDeleteताऊ तुने कान कर दिये, मै तो अब दोनो से बच कर रहूगां, लेकिन एक बात समझ मै नही आई जिस देश मै लोग अपने मां बाप कॊ बुढापे मे छोड देते है वहा ताऊ का प्यार जानवरो से भी इतना, काश यह सब लोग ताऊ का ब्लांग पढ कर थोडी अकल ले लेते, इस सलाह की फ़ीस के पेसे pay pal से भेज देना.अरे ताऊ घवराओ नही आप का टिपण्णी बक्स तो गोटू सुनार ले गया....
राम राम जी की
25 February 2009 08:28