रोम जल रहा था
नीरो चैन की बाँसुरी बजा रहा था
"जोसेफ सेम्युअल" आफिस के गलियारे में
सिगरेट फूंक रहा था !
सेंसेक्स १०८९ पाइंट गिर कर
शेयर बाजार में लोगो को झुलसा रहा था
तो फ़िर "जोसेफ सेम्युअल" गलियारे में
सिगरेट क्यूँ फूंक रहा था ?
मैंने पूछा , ये क्या हो रहा है ?
वो बोला, क्या करूं, सर ?
फूँकने को अब कुछ बचा ही नही
इसलिए सिगरेट फूंक रहा था !
फूँकने को अब कुछ बचा ही नही
ReplyDeleteइसलिए सिगरेट फूंक रहा था !
सही आकलन, पर भारत में यह भी निषिद्ध है।
काफी दिनों बाद आया, आपसे शुरूवात की, पढ़कर आनंद आ गया। ताऊ को मेरा प्रणाम।
संभल के भाई मार्केट कहां तक जाएगा
ReplyDeleteकोई नहीं जानता
अगर जानता तो कभी घाटा ही नहीं होता
सो पैसे हैं तो लगाए जाओ
और भूल सको तो भूल जाओ
लेकिन दूसरे मद का पैसा तो
बिल्कुल ना लगाओ
मार्केट गिरा तो घाटे में निकालना पड़ेगा
क्यों ? बीड़ियां किधर छुपा के रखी हैं?
ReplyDeleteबहुत शानदार | अनूप जी का विचार भी ध्यान देने योग्य है |
ReplyDeleteसच्ची ताऊ.. बीड़ी किधर है बता भी दो.. ;)
ReplyDeleteफूँकने को अब कुछ बचा ही नही
ReplyDeleteइसलिए सिगरेट फूंक रहा था !
ताऊ,
अब आप कविता भी लिखने लगे तो कई जामे जमाए आधुनिक कवियों की दूकान बंद ही करा दोगे.
फूँकने को अब कुछ बचा ही नही
ReplyDeleteइसलिए सिगरेट फूंक रहा था !अजी कलेजा क्यो नही कहते.
ताऊ मजा आ गया
राम राम जी की
बढियां है ,मगर ताऊ यहाँ तो घर फूँक तमाशा तो पहले से ही लोगों का प्रिय शगल रहा है ! इहाँ कौनो फर्क ना आए ताऊ !!
ReplyDeleteफिनिक्स (phoenix)की कल्पना करिये बन्धुवर। सब जी उठ्ठेगा।
ReplyDeleteमैंने पूछा , ये क्या हो रहा है ?
ReplyDeleteवो बोला, क्या करूं, सर ?
फूँकने को अब कुछ बचा ही नही
इसलिए सिगरेट फूंक रहा था !
' great sach kha ab kya bcha hai funkne ko, shair markt ne na jane kitne logon ko funk diya hain, excellent presentation.."
regards
.
ReplyDeleteफूँक लैण दे, ताऊ यार...
अंतकाल पछताने में बड़ा सुकून दे रही होगी !
बहुत अच्छा व्यंग है सटोरिये पूंजीवाद पर।
ReplyDeleteजो देसी बीडी छोड कर विदेशी सिगरेट पियेगा वो जोसेफ़ बनेगा ही। सटिक लिखा आपने।
ReplyDeleteनमस्कार ताऊ जी. ये तो जिंदगी का मौज है जी. जोसेफ घर-बार के साथ फिक्र को भी धुँए में उड़ा रहा है. ये अलग बात है कि आपने बीच में ही पूछ लिया इसलिए उसे बोलना पड़ा.
ReplyDeleteसही बात है बीडी वालो की दूकान कैसे चलेगी ?ओर हाँ जी....जरा प्लेस देखकर पीना .अपने रामदौस जी लट्ठ लेकर घूमते है इन दिनों....
ReplyDeleteसही बात है ताऊ..बहुत धारदार व्यंग्य है..आपकी लेखनी जिस विधा व क्षेत्र में चलती है, शानदार चलती है।
ReplyDeleteफूँकने को अब कुछ बचा ही नही
ReplyDeleteइसलिए सिगरेट फूंक रहा था !
सही है ताऊ बिल्कुल सही,सटीक और सामायीक है!!
अब कलेजा जल रहे है शेअर वालो के ताउजी
ReplyDeleteजियरा धक् धक् करने लगा
दिल धक् धक् करने लगा
और खरीदो पैसा बढाओ
हाय ये क्या हो गया
शेअर को गिराने से
प्यार हो गया
शेअर धारक शेअर देखकर
पागल हो गया
जियरा धक् धक् करने लगा
शेअर गिराने लगा .
तौ जी कभी हमारे ब्लॉग में भी आओ .
आप ताऊ और मै यमराज
हा हा हा
जै ताऊ की
ReplyDeleteबिचारे जोसेफ तै सिगरेट पिलवा दी
जो चालान कटग्या तो के भूतनाथ भुगतेगा
भाटिया जी का ब्लाग किसी प्राब्लम म्हं पड़ग्या लाग्गै
खुलता कोनी
इसलिये ताऊ मेरी ये शिकायत उन तक पहुंचाऒ
साथ मैं ५ जरमन लट्ठ का आर्डर भी दे देना
बेचारा जोसफ@शेयर !
ReplyDelete(माइक्रो टिप्पणी)
बेचारा जोसफ@शेयर
ReplyDelete(माइक्रो टिप्पणी)
kafi sahi kaha ..ab fukane ke liye bacha hi kya hai..par gyan jee ki bat bhi sahi hai phoenix ki kalpana kijiye ummid par duniya kayam hai
ReplyDeleteअब तो लगता है कईयों के पास फूँकने को कुछ बचा ही नहीं है, काफी दुखद स्थिति है। पता नहीं लोग मार्केट मे पहले से के हाथ झुलसे होने पर क्यों बार-बार हाथ आजमाते हैं।
ReplyDeleteताऊ जी राम राम
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने लेकिन ये रंग पहली बार देखा है। मतलब कविता रुप से है। बहुत बढ़िया।