हमारा समाज हमेशा से ही उत्सव प्रिय रहा है ! प्राय: हर दिन ही कोई ना कोई उत्सव रहता ही है ! हर तिथि और दिन के साथ साथ कुछ ना कुछ कहानी जुडी हुई ही रहती है ! शायद इसी की देखा देखी पश्चिमी समाज ने भी आज कल हर दिन के साथ कोई ना कोई दिवस मनाने की कोशीश शुरू की हुई है ! अब ये बाजारवाद या अन्य कोई भी वाद हो , हमारा मकसद उसके बारे में बहस करना नही है ! हमारे कई अति प्रिय त्योंहार हैं जिनमे होली हमारी परम्परा में साँसों की तरह घुला हुवा त्योंहार है ! पता नही हर बच्चे, बूढे और जवान को यह त्योंहार क्यों जादू में बाँध लेता है की इसके जादू से कोई नही बच पाता ! शायद इसका कारण इस त्योंहार की मस्ती है ! इस त्योंहार का अर्थ तंत्र से ना जुडा होना ही इसकी लोकप्रियता में चार चाँद लगाता है ! आपकी जेब में दो कौडी भी ना हो तो भी इस त्योंहार की मस्ती में कोई फर्क नही पङता ! फाग गाना , नाचना, बजाना, रंग खेलना , बस सिर्फ़ अलमस्त होना ! किसी तरह की अमीरी गरीबी का लेना देना नही ! एक धनपति भी अगर रोड पर मिल जाए तो एक साधारण आदमी भी उसको रंग देगा ! और कोई फर्क नही पङता ! हालांकी आज कुछ माहौल अलग सा दिखाई देने लगा है ! फ़िर भी मैं तो कहूंगा की होली तो होली है !
इसके विपरीत दीपावली बड़ा महँगा त्योंहार है ! हर बात में खर्चा ! सामान्य स्तर वाले व्यक्तियों की तो बात ही क्या ? अच्छे भले लोगो को बजट बनाना पड़ता है ! अबकी बार टी. वी. पर कुछ लोगो के इंटरव्यू देखे जिनमे यही सब बातें थी की कैसे दीपावली के खर्चे का संतुलन बैठाना पङता है ! उनके चहरे पर छुपी पीडा भी दीखाई दे रही थी ! जोश उल्लास तो जरुर है ! पर कहीं ना कहीं ये जोश उल्लास आदमी को बहुत महँगा पङता है ! मन मार कर मजबूरी में अपनी हैसियत से बाहर किए गए खर्चे धीरे २ एक तनाव को जन्म देते हैं और उनकी परिणिती स्वास्थय की दृष्टी से भी ठीक नही होती ! खैर हर मौज मस्ती की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है ! हम स्वयम और बच्चे कितने रुपये के पटाके फोड़ते हैं ? क्या इसमे सिर्फ़ धन समय और पर्यावरण की बर्बादी के कुछ है ? इसमे पैसे वाले ज्यादा बर्बादी करते हैं और गरीब कम , पर मजबूरी में ! इसमे कोई उपदेश देने वाली बात नही है ! सिर्फ़ हमको आत्म-चिंतन करने वाली बात है ! बाक़ी तो अपनी अपनी डफली अपना अपना राग !
मेरे बहुत से मित्र जैन हैं ! हर धर्म की कुछ अपनी अपनी खासियत और अपनी अपनी खूबियाँ होती हैं ! और गाहे बगाहे हम कुछ अच्छी बातें उनसे अपना लेते हैं ! यो तो जैन धर्म में बहुत सी अपनाने जैसी विशेषताएं हैं ! पर मैं जब इस शहर में १९७२ में कोलकाता से नया नया आया ही था तब मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ ! जैन मित्र पर्युषण पर्व के बाद क्षमा पर्व या यहाँ की भाषा में छमावणी पर्व मनाते हैं ! कुछ व्यापारी मित्रो के पोस्टकार्ड आए - की साल भर में हमने आपके प्रति जो भी ग़लत व्यवहार या अपराध किया हो उसके लिए क्षमा करे ! मैं चोंका की ये क्या चक्कर है ? फ़िर कुछ मित्र दुसरे दिन घर- आफिस पर क्षमा माँगते हुए आ पहुंचे ! हमने सोचा की ये कुछ गड़ बड़ जरूर है ! हमारी ओकात इस लायक तो नही है की इतने सारे लोग एक साथ हमसे क्षमा मांगे ! पता करने पर इसका उपरोक्त राज मालुम पडा ! बस उसी समय से हमने दीपावली पर्व को हमारी सुविधा अनुसार अपना क्षमा पर्व मान लिया ! क्योंकि दीपावली पूजन के बाद अगले दो दिन सब दोस्त और रिश्तेदारो के यहाँ मिलने जाना पड़ता ही है सो हम तो बिल्कुल बुजुर्गो के पाँव छूते हुए साल भर की माफी और छोटो को गले लगाते हुए साल भर की माफी मांग आते हैं !
आज इस दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहनों से, मेरे द्वारा आपको मन, वचन और कर्म से पहुंचाई गई ठेस के लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हूँ ! और आशा करता हूँ की सहज स्नेह आप मेरे प्रति बनाए रक्खेंगे ! यह ज्योति पर्व आपके घर परिवार और आस पड़ोस में ढेरो खुशियाँ और खुशहाली लेकर आए ! यही शुभकामना है !
जो भाई बहन मुझसे बड़े हैं उनके चरण-स्पर्श करके, सम-वयस्क हैं उनके गले मिलकर और छोटो को आशीष देकर मेरी खुशियाँ और शुभकामनाएं व्यक्त करता हूँ !
क्षमा याचना सहित ताऊ रामपुरिया
दीपावली पर आप को और आप के परिवार के लिए
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ!
धन्यवाद
ताऊ सब से पहले मने माफ़ किया, अब मिठाई खिलाओ :)
हैप्पी दीवाली!
ReplyDeleteइस अनुज का पद्लग्न भी आप तक पहुंचे, आशीर्वाद की प्रतीक्षा में
~पित्त्स्बर्गिया!
आपकी बात को पूरी तरह सहमत हूँ । यह क्षमा पर्व बहुत सही पर्व है । दीपावली भी यदि गली मोहल्ले सोसायटी के लोग मिलकर मनाएँ तो खर्चा व प्रदूषण भी कम होगा और खुशी व प्रेम बढ़ेगा ।
ReplyDeleteआपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
ताऊ की जय हो ऐन दिवाली के दिन!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
दीप जगमग जलेँ दीवाली पर अनेकोँ शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteअब दीवाली की मौज मनाइयेगा :)
क्षमा याचना पर्युषण पर हो गई...
..मेरे पति दीपक जैन धर्मी कुटुँब से हैँ और दीवाली भगवान महावीर स्वामी जी के निर्वाण का दिवस भी होता है ..
और बजट से परेशान होने का वक्त अब यहाँ क्रीसमस के समय आ ही गया समझिये ...
देस - देस की अलग रस्म होती हैँ हम भारतीय पूरे विश्व को अपनाने के लिये तैयार हैँ अगर सामनेवाला हमेँ अपनाये तब ! ठीक कहा ना ? ...
ताऊ हमने तो माफ़ कर दिया है | और हम से कोई गलती हो गई हो तो हम क्षमा प्रार्थी है माफ़ कर देना |
ReplyDeleteआपको परिवार सहित दीपावली की शुभकामनाये |
chhama badan ko chahiye, chhotan ko utpat, tau jee ram ram ke bad subh prabhat. main to samjha aap ja rahe hain
ReplyDeletenarayan narayan
आपने तो दीपावली को पर्यूषण पर्व बना दिया।
ReplyDeleteबहुत मुबारक हो यह महापर्व।
हे ताऊ हे म्हारी ताई
ReplyDeleteदीवाली की बहुत बधाई
खूब पर्यूषण पर्व मनाया
क्षमा महत्व सबको समझाया
इसीलिये तो ताऊ म्हारा
सारे जग तै बिल्कुल न्यारा
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए।
ReplyDeleteहम तो कष्टप्रूफ हैं ताऊ इसीलिये सौ किल्लो के हैं
ReplyDeleteकष्ट में रहते हैं सब ढोंगी हम तो अपनी बिल्लो के हैं
---------दि वा ली मुब़ारक हो
दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें..
ReplyDeleteदीपावली पर आप को और आप के परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteदीपावली पर्व की आपको और परिवारवालों को हार्दिक शुभकामना .
ReplyDeleteपरिवार व इष्ट मित्रो सहित आपको दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteshama badan ko chahiye
chotan ko utpat
hum utpat bhi karange or shama mangana to humara adikar hey aap mere mammaji ho
charan sparas
makrand
कल जब अपनी पुरानी पोस्ट पर आपका माफीनामा देखा तब तक आपकी ये पोस्ट नहीं पढ़ी थी, अब जाकर माजरा समझ आया। मैं भी यही सोच रहा था कि मेरी उम्र इस लायक तो नही है कि मग्गा बाबा मुझसे क्षमा मांगे! और ताऊ फिर ताऊ ही ठहरे, पिता की उम्र समान।
ReplyDeleteसच्चाई ये है कि आपमें ही इतनी हिम्मत है, सहृदयता है, किसी तरह की ईगो नहीं है, जो छमावणी पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। मैं आपसे पूरी तरह इस पर्व के पक्ष में हूँ। जिससे मन की कलुषता दूर हो और आपस में सदभावना का प्रसार हो, उसे मनाने में क्या परेशानी,क्या खर्च। इसलिए मै भी मन, वचन और कर्म से पहुंचाई गई ठेस के लिए यहॉं आप सभी से हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हूँ ! और आशा करता हूँ की सहज स्नेह आप मेरे प्रति बनाए रक्खेंगे !
दीपावली पर आपका यह लेख दिल को छू गया ! ऐसे प्यारे लेखों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteसादर
आज इस दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहनों से, मेरे द्वारा आपको मन, वचन और कर्म से पहुंचाई गई ठेस के लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हूँ
ReplyDelete" after two days holiday i am able to read today only, bhut naik khayalat paise kliye hain aapne apne iss lekh mey..... "
Regards