दीपावली बाद ताऊ ने फ़िर शुरू किया ठगी का धंधा !

ताऊ ने सेठ के बर्तन ठगी करके जो लंबा हाथ मारा था ! उससे खूब जोरदार दीपावली मनाई ! और बहुत ज्ञान की बातें करता रहा ! पर फोकट का ज्ञान कब तक चलता ? दीपावली के इतने मंहगे खर्चे के बाद बचना क्या था ? और लुट का माल आदमी बहुत बेरहमी से खर्च  करता है ! सो ताऊ ने भी सारे ठगी के पिस्से रस्ते लगा दिए  ! और आगया रोड पर नया शिकार तलाश करने के लिए !

 

ताऊ द्वारा बार बार धंधे बदलने के बावजूद पहली बार सफलता मिली सेठ जी के बर्तनों वाली ठगी के मामले में ! आप नु समझ bartanल्यो की सेठ जी की सारी बर्तनों की दूकान  को ही  ठिकानै लगा दिया ताऊ नै ! और फ़िर बाकायदा पंचायत नै भी ताऊ को बरी करकै सेठ पै जुर्माणा मांड दिया सो ताऊ की तो हिम्मत और बढ़ गी ! और बची खुची कसर पुरी कर दी डा. अरविन्द मिश्रा जी नै ! एक तो करेला और वो भी नीम चढ़ा ! ताऊ तो न्यू ही बिगडा हुवा था और मिश्रा जी  नै  सलाह दे डाली की " धंधा -जमाये रहो इसी को अब !" तो ताऊ  मित्र होने के नाते  डा. अरविन्द मिश्रा जी की सलाह को मानने के लिए बाध्य हो गया ! आख़िर मित्र ही तो सही सलाह देते हैं !

 

तो ताऊ ने सोची की पिछली बार तो सेठ को तगडा चूना लगाया था ! और साहूकार भी अपन ही बन गए थे ! ये सेठ एक बार और फंस जाए तो  मजा ही आजाये !  एक बार फ़िर इसी पर हाथ आजमाते हैं ! अगर दांव बैठ गया तो सारी जिन्दगी बैठ कर खाएँगे ! और ताऊ की हिम्मत मिश्राजी ने भी काफी बढ़ा दी थी ! ताऊ इब २४ घंटे नई २ स्कीम सोचने में लगा रहता था ! उसको पहली बार किसी धंधे में इतना तगडा मुनाफा हुआ था !  

 

ताऊ नै सेठ के साथ जो किया उसको सेठ किसी को बता भी नही पाता था ! और वो हमेशा ताऊ से दो हाथ दूर ही रहता था ! और सेठ जी ने तो सेठानी को भी नही बताया था की इस ताऊ के बच्चे ने इस तरह की लुन्गाडा गर्दी करी थी सेठ के साथ ! क्योंकि उसमे भी सेठ जी की ही इज्जत ख़राब होवे थी !  कुछ दिनों बाद  ऐसी भगवान् की मर्जी हुई की बीमारी की वजह से सेठ जी  की १२/१३ साल की कन्या  रामकोरी भगवान को प्यारी हो गई ! बड़ी दुखद ख़बर थी ! सारे ही गाम के माणस दुःख प्रगट करण खातर सेठ जी के यहाँ पहुंचे तब ताऊ को भी मौका मिल गया ! और आप जाणो की दुःख के मौके पै तो दुश्मन को भी मना नही किया जावै ! सो ताऊ भी वहाँ जाकै अफसोस परगट करण लाग ग्या ! 

 

इब सेठ तो ताऊ को आछी तरियां जानै था पर बेचारी सेठाणी को ताऊ के गुण पता नही थे ! और ताऊ तो वहाँ ऐसे अफसोस परगट करण लाग रया था जाणु उसकी ख़ुद की ही छोरी मर गी होवै ! खैर सेठ भी बहुत गम म्ह था और सेठाणी का तो रो रो कै बुरा हाल था ! एक ही लड़की थी उनकी वो ! खैर साहब इब सारे अपने २ घर चले गए ! सेठाणी नै ये जरुर समझ लिया की यो ताऊ घणा ही शरीफ माणस सै क्यूँकी सबतैं घणा अफसोस परगट ताऊ नै ही करया था ! यानी ताऊ सेठाणी जी की नजर म्ह भला आदमी बन गया था ! और यो ही ताऊ चाहवै था ! ताऊ को अपनी स्कीम सफल होती दिखाई देण लाग री थी !

 

एक दिन ताऊ को ख़बर लगी की सेठ बाहर गया है सो ताऊ मौका देखकै सेठ जी के घर पहुन्चग्या और वहाँ जाकै झूँठ मूंठ का रोण लाग ग्या ! सेठाणी जी के पूछने पर ताऊ ने बताया की पिछले हफ्ते  ही  वो स्वर्ग गया था  अपनी  मरी हुई माँ से मिलने  ! सो वहाँ आपकी लड़की रामकोरी भी मिली थी !   रामकोरी का नाम सुनते ही सेठाणी जी की आँखे नम हो गई ! और उसने ताऊ से उसके हाल पूछे ! इब ताऊ तो इस मौके की तलाश में ही था ! ताऊ ने बोलना शुरू किया -

 

सेठाणी जी और तो सब ठीक सै पर आपकी लड़की घणी उदास थी ! सेठाणी जी को बड़ा दुःख हुआ और कारण पूछा ! तब ताऊ बोला - बात ये है की मैंने उससे उदासी का कारण पूछा था ! मुझे मालुम था आप भी मुझसे ये ही पूछोगी ! तब आपकी बेटी रामकोरी ने बताया की ताऊ यहाँ और तो सब ठीक सै ! पर यहाँ जब भी कोई ब्याह शादी होवै तो  मेरे पास कोई भी गहणा जेवर नही सै पहनने के लिए ! दूसरी लड़कियां तो जेवरों में लदी रहती हैं ! और यही मेरी उदासी का कारण सै ! जब  आप अगली बार आवो तो मेरी माँ से मेरे लिए गहने वाला डिब्बा  लेते आना ! उसमे से मैं अपनी पसंद के छाँट कर बाक़ी के  वापस भिजवा दूंगी !

 

सो आज मैं मेरी माँ से मिलने स्वर्ग जा रहा हूँ आपको कुछ  सामान भेजना हो, या समाचार कहना हो रामकोरी को, तो बतादो ! इसी लिए मैं इधर से होता हुआ अब  सीधा स्वर्ग जा रहा हूँ ! इब इतना सुनते ही सेठाणी जी तो रुआंसी हो गई रामकोरी को याद करके और उठकर अन्दर गई ! तिजोरी में से जेवर का डिब्बा निकाला और लाकर ताऊ के हाथ म्ह दे दिया और बोली - ये डिब्बा रामकोरी को दे देना और उसको कहना की ये कम पड़ते हों तो आपके द्वारा समाचार भेज देगी मैं नए डिजाईन के और गहने बनवा कर भेज दूंगी ! इब ताऊ तो जल्दी से जेवर का डिब्बा लेकै रवाना हो लिया !

 

horse taau

ताऊ कै जानै कै थोड़ी देर बाद ही सेठ जी घर आ गए ! उनके आते ही सेठाणी जी ने रोते २ रामकोरी का हाल सुणाया और हाल सुणते ही सेठ जी के तो होश ऊडगे ! अरे सत्यानाशी ताऊ ! तू मेरे ही पीछे क्यूँ पड्या सै ? मन्नै ही तेरा के बिगाड़ राख्या सै ? और सेठ जी तुंरत अपनी घोडी लेकर उस पर बैठ कर ताऊ का पीछा करण लाग गे ! थोड़ी दूर आगे जाने पर ताऊ भागता दिखाई दे गया और सेठ जी नै घोडी और तेज दौडा दी ! ताऊ नै मुड कर देख्या की इब सेठ पकड़ लेगा तो वो वहीं पर एक पेड़ पर चढ़ कर बैठ  गया  ! इतनी देर म्ह सेठ आगया ! सेठ जी आते ही नाराज होके बोले - ताऊ तूने सेठाणी को तो बेवकूफ बना दिया पर मैं तुझे छोड़ने वाला नही हूँ ! ला जेवर मुझे दे दे !  इब ताऊ बोला - देखो सेठ फालतू बात तो करणा नही ! मैंने ना तो चोरी की है और ना ही डकैती डाली है ! सेठाणी नै राजी मर्जी से गहने दिए हैं ! तेरे को नही भेजने अपनी लड़की के पास तो ऊपर आके लेले ! मैं तो थक गया हूँ यहीं पेड़ पर आराम करूंगा ! अब सेठ क्या करता ! घोडी को पेड़ से बाँध कै कैसे जैसे पेड़ पर चढण लाग ग्या !   और जैसे ही ऊपर पहुंचा ताऊ पेड़ पर से कूद गया ! और सेठ की घोडी पै बैठ के भाग लिया !

 

इब सेठ नै सोची की यो ताऊ तो घणा ही  लफंगा उत सै ! अब गहने तो ये ले गया सो ले ही गया और अब तो घोडी भी ले उड़ा ! अगर किसी को बताएँगे  तो अपनी भी बदनामी होगी और  सेठाणी की भी बदनामी होगी की कैसी बेवकूफ औरत सै ? और इससे तो अच्छा है की कुछ पुण्य ही कमा लिया जाए ! सो वो जोर से बोला - अरे ताऊ , रामकोरी को कहणा की गहने तो उसकी माँ ने भेजे है और ये घोडी उसके घूमने के लिए मैंने भेजी है ! 

कुछ आर्थिक चिंताए भविष्य की

आज कल सब जगह दास केपिटल , पूंजीवाद और मार्क्स वाद की बाते और उनको समझने की चिंताएं सब तरफ़ लगी हुई हैं ! और ताजा विषय या समस्या भी आज कल यही है ! जाहिर सी बात है की चर्चा भी इसी पर होगी !  अनवरत पर श्री द्विवेदी जी भी लगातार दास केपिटल को  याद कर रहे हैं ! भाई पित्सबर्गिया ने फिरंगियों के यहाँ आए  इन खतरनाक परिणामो की तरफ़ ध्यान खींचा है !

 

Lady on train seen by samirji  ये पोस्ट मैं ३० अक्टूबर भाई दूज को लिख रहा हूँ ! आज छुट्टी है ! दीपावली की व्यस्तता भी निपट गई है ! बिल्कुल फुर्सत है ! और आज जम कर आराम करने  का दिन है ! ब्लॉग जगत में पोस्ट का अकाल पडा है ! इसी कमी को पूरा करने के लिए हम लगातार यह छठी पोस्ट आज लिख रहे हैं ! :)  वैसे अनूप शुक्ल जी ने आज भी चिठ्ठा चर्चा का क्रम नही टूटने दिया ! आज चिठ्ठा चर्चा करना था  हमारे गुरुदेव समीर जी  को ! पर वो आज सुबह सुबह  सुदर्शनाओं के पीछे निकल लिए और भूल ही गए चिठ्ठा चर्चा भी करना है ! पर ये मैं किधर निकल लिया ? अनर्थ (अर्थ)  की बात करते २ कहाँ आ गया ? 

 

आज ही कई ऐसे ब्लाग्स पर भी जाने का समय मिला जहाँ व्यस्तता की वजह से जाना नही होता ! एक ब्लॉग पर चिंता दिखाई गई है की अमेरिका की बेवकूफियों की सजा हम क्यों भुगते ? बात तो देखने में बिकुल सही लगती है ! पर मैं एक बात कहना चाहूँगा की जब दुनिया की जी. डी. पी. का २५ प्रतिशत अमेरिका से आता है तो आप अमेरिका की परेशानियों से ख़ुद को अलग कैसे कर सकते हैं !  तो आप को ये समझना चाहिए की समस्या तो पैदा हो चुकी है अब वो चाहे जिसकी भी बेवकुफ्फियाँ रही हों ! आख़िर आज हमको इस मुकाम तक या कहे इस मंजिल तक पहुंचाने में भी इन्ही बेवकूफों का हाथ है  ! आप या मैं इससे इनकार नही कर सकते ! इस स्थिति को आप मा. चंद्रशेखर जी के समय गिरवी रखे गए सोने से अच्छी तरह समझ सकते हैं ! वो समय हर भारतीय के लिए बड़ा पीडा दायक था !  आप कहाँ से कहाँ आ गए हैं ! ज़रा सोचिये इन्ही बेवकूफों का डालर आप पर बरसा था ! ये अलग बात है की आई.टी. के बदले बरसा ! पर बरसाने वाले बादल तो इन बेवकूफों के ही थे !

 

आज कल बैंको के बारे में भी अच्छी खासी चर्चा हो रही है ! और इस बारे में श्री द्विवेदी जी की उपरोक्त पोस्ट में  और टिपनीयो में भी अच्छी चर्चा है ! लाख टके का सवाळ है की हमारे बैंक वर्त्तमान परिदृश्य में कितने सुरक्षित हैं ! एक निजी बैंक की संभावित समस्याओं के बाद रिजर्व बैंक और वित्-मंत्री जी ने उनके सुरक्षित होने की बात कही ! इस बात पर कितना विश्वास करे और इस ग्लोबलाइजड दुनिया में हमारे बैंक  वाकई कितने सुरक्षित हैं ?  इस प्रश्न का उत्तर मुझे साफ़ तो नही ही दीख रहा है !

 

क्या किसी ने कल्पना की थी की अमेरिका की तेजी से बढ़ती गिरवी संपतियां एक बारूद का ढेर थी जो किसी भी वक्त फट सकती थी ! ज्यादातर आर्थिक मुसीबतों के साथ यही होता है !  तुंरत रिजर्व बैंक  ने सभी बैंको से उनके  लीमन से प्रभावित होने का आंकडा पूछा की वो कितने खड्डे में हैं ? लेकिन लीमन तो इस मुसीबत का एक ज़रा सा हिस्सा भर ही है !  

जब  बैंक  सीधे  कर्ज  देते  हैं  तो  उनको  कर्जदार  की हैसियत और जोखिम पता होती है ! लेकिन बैंक जब डेरेवेटिव में पैसा लगाता है या इनमे काम करने वाले को पैसा देता है तो वो यह अधिकार खो बैठता है ! सीधे शब्दों में उसे  रिस्क की डिग्री ही पता नही चल पाती ! जयादा से ज्यादा नॉन फंड आमदनी करने के लिए अपनी बेलेंस शीट से भी ज्यादा देनदारिया खरीद लेते हैं !


और असली चिंता की बात यहीं से शुरू होती है ! इसके अलावा भी प्रतिस्पर्धा के नाम पर  बैंको ने जिस तरह  क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन बांटे हैं ! उनका बैंको पर क्या प्रभाव होगा !  असल में बैंक थोक कर्जे की डिमांड कम होने पर रिटेल कर्जो की तरफ़ आकर्षित हुए उसके पीछे कारण यही था की रिटेल कर्जे एक साथ नही डूब सकते ! और दुर्भाग्य से  अमेरिका में हुबहू यही हुवा और वहाँ मौजूद वर्तमान सब प्राईम संकट की ये ही शुरुआत थी ! 

 

Credit-Card-Fraud-India क्या भारतीय परिपेक्ष्य में क्रेडिट कार्ड का लोन कोई संकट तो नही खडा करेगा ? रिटेल लोन के चक्कर में जिस मुक्त हस्त से क्रेडिट कार्ड बांटे गए हैं , और बांटे जा रहे हैं वो अगर  विस्फोटक हुए तो बड़ी मुश्किल हो सकती है ! इनकी वजह से खर्चो में बढोतरी हुई है ! कितने कार्ड्स का लोन इधर से उधर ट्रांसफर हो रहा है ! ये भी कहना मुश्किल होगा की कितना पैसा लौटेगा और कितना डूबेगा ? अगर इस में कोई तीन /चार लाख करोड़  बेलेंसशीट का बैंक डूब गया तो क्या होगा ! एक लाख तक की राशि बीमित है ! इस अनुमान से अगर ऊपर की बेलेंसशीट का बैंक राम नाम सत्य कह देता है तो क्या वो बीमा कम्पनी इतनी बड़ी राशि चुकाने की भी हैसियत रखती है ? मुझे लगता है की आगे पीछे समस्या कहीं ना कहीं से तो मुंह उठायेगी ही !

 

अभी कुछ समय पहले तक सरकारी बैंको में कुछ की हालत काफी ख़राब थी पर वहाँ कोई भी कभी पैसा निकालने नही पहुंचा ! आज भी सरकारी बैंको में आदमी का ज्यादा भरोसा है ! इस संकट के पैदा होने के बाद की एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ सरकारी बैंको की फिक्सड डिपाजिट में १५ से २० % की तेज  बढोतरी दर्ज की गई है ! जाहिर सी बात है यह रकम शेयर बाजार या निजी बैंको से निकल कर आ रही होगी ! 

 

परन्तु हाल के सब प्राईम घोटाले के उजागर होते ही हमारे यहाँ के एक निजी बैंक के बाहर लाइन लग गयी थी जमा रुपया वापस पाने को ! सारे एटीएम भरने से पहले खाली होने लगे थे !  जबकि वो मात्र अफवाह ही थी ! ऎसी ही अफवाहे किसी रोज बड़ी आफत भी खडी कर सकती हैं ! यहाँ एक बात यह भी सोचने लायक है की इन निजी बैंको के बोर्ड में एक प्रतिनिधी रेग्युलेटर की तरफ़ से भी नियुक्त होना चाहिए , जिससे समय रहते किसी अनहोनी का पता चल जाए ! अब ये अलग बात है की इसमे कानूनी दांव पेच हो ! अपनी आजादी पर कौन अंकुश चाहेगा ! 

 

असल में दो और दो तो चार ही होते हैं पर यहाँ वर्त्तमान खेल में दो और दो  को पाँच सिद्ध करने की कवायद है  ! इसीलिए इसको समझना और समझाना भी थोड़ी टेडी खीर ही है !

स्वर्ग में जाने की जरुरत क्या है ?

एक बार गाँव में एक समझदार बाबा  आ गया ! वो लोगो को अच्छी २ बातें बताता ! उनकी सब शंकाओं का समाधान करता ! उसकी काफी प्रसंशा सुन कर ताऊ भी एक दिन वहा पहुँच गया !

 

वहाँ जाकर ताऊ ने पूछा - स्वर्ग जाने के लिए क्या करना चाहिए ?


बाबा  बोला -

 

* दिमाग बिल्कुल ठंडा होना चाहिए !


** प्राणी मात्र से प्यार करना  चाहिए !


*** आँखों में शर्म रखना चाहिए !


**** दिल में रहम रखना चाहिए !


***** संतोष पूर्वक रहना चाहिए !


****** कभी गुस्सा नही करना चाहिए !

 

ताऊ बोला - बाबा बात समझ म्ह नही आई सै, ज़रा खुलकै बता !


बाबा  बोला - इंसान को कभी चोरी डकैती नही करनी चाहिए ! सीधी बात यह है की जीवन में जो भी मिल जाए उसे पाकर प्रशन्नता पूर्वक रहने से आदमी को स्वर्ग में जगह मिलती है !


अब चोरी डकैती का मना सुनके  ताऊ किम्मै छोह म्ह आकै बोल्या - अरे बावलीबूच .. जब ये सब कुछ इत ही मिल जावे तो स्वर्ग जाण की जरुरत के सै ?

उल्लू में गुण बहुत हैं सदा राखिये संग

owl on tree कल महालक्ष्मी का पूजन संपन्न हो गया ! कहीं २ ( बंगाल)  इस दिन  काली पूजन भी किया जाता है ! दीपावली पर्व का तीसरा दिन ! और आज ४ था दिन है गोवर्धन पूजा का ! इस बारे में आप सभी पाठक जानते ही हैं ! हम यहाँ आपको एक अलग बात बताना चाहते हैं ! आपने डा.अरविन्द मिश्रा जी के ब्लॉग पर एक उल्लू पोस्ट देखी होगी और हमारी तो पुरी दूकान ही  आज कल उल्लुमय चल रही है ! इसके पीछे क्या कारण है ? वैसे तो उल्लू के मायने आपको अच्छी तरह मालुम हैं ! शायद हर कोई इन दिनों लक्ष्मी जी को प्रशन्न करने में लगा रहता है !  और मुझे नही लगता की कुछ को छोड़कर कोई इसमे सफल होता होगा ! लेकिन उल्लू महाराज भी हमारे कुछ ग्रंथो के हिसाब से सुख,समृद्धि और आरोग्य दायक हैं ! इन दिनों में उल्लू का दिखना भी सौभाग्य सूचक है ! अगर निम्न में से कुछ आपके साथ घटा है तो फल निम्न अनुसार बताये गए हैं ! हमने और मिश्राजी ने आपको इन दिनों  में उल्लू जी की फोटो और याद तो करा ही दी थी ! अब आपको इसका राज समझ आ गया होगा ! वैसे आप हम दोनों को ही उल्लू समझ रहे होंगे ! वैसे डा.  मिश्रा जी ने तो ख़ुद ही कबूल लिया है ! अब निम्न गुण देखते हुए हम भी कह रहे हैं की हम भी उल्लू हैं ! आख़िर तो आप हमारे दर्शन करने आओगे ही !

 

दीपावली के दिनों में उल्लू का दिखना समझ लीजिये आप पर लक्ष्मी की कृपा हो गई ! अगर असल के नही मिले तो आप ब्लागर्स के पास दो ख़ुद घोषित दो उल्लू हैं ही ! फ़िर देर किस बात की ? जल्दी आइये और दर्शन कर लीजिये ! आज और कल का ही दिन इस ५ दिनी पर्व का शेष रह गया है !

 

* रात को १० से १ बजे के बीच घर की मुंडेर पर उल्लू बैठा दिख जाए तो समझो लक्ष्मी आपके घर पधार चुकी हैं !

 

* कहीं जाते समय आपके बाईं तरफ़ उल्लू दिखे या बोले तो आपकी यात्रा सफल होगी !

 

* यदि सुबह भोर में किसी पेड़ पर , पूर्व दिशा में उल्लू बोले तो सुनने वाले की सब इच्छा पूर्ण होती हैं !

 

* यदि रात्री के प्रथम प्रहर में उल्लू किसी हरे पेड़ पर पूर्व दिशा में  बैठा बोलता सुने तो यह कृषि के लिए अति सुंदर है ! 

 

* यदि उल्लू किसी गर्भवती स्त्री को स्पर्श करता हुआ  उड़ जाए तो उसे श्रेष्ठ पुत्र की प्राप्ति होती है !

 

* अगर उल्लू किसी के रसोई घर में प्रवेश करले तो समझ लीजिये उस गृह स्वामी को खाद्यान्न की कभी कमी नही होती !

 

* ऐसे ही किसी किसान के खेत में पेड़ की  कोटर में रहने लग जाए तो उसके खेती में खूब अन्न उपजता है !

 

* अगर आपके मकान के आस पास कोई उल्लू घोंसला बना कर रहने लग जाए तो गरीबी आपके पास भी नही फटक सकती !

 

अब आपको इतने फायदे बता दिए ! अब आपका (हम) उल्लुओं के बारे में क्या ख्याल है ?

 

ज्यादा दूर नही जाना हो तो ज़रा आप यहाँ दाहिने तरफ़ बैठे उल्लू महाराज के ही दर्शन करते जाइए ! क्या पता ये ही आपसे प्रशन्न हो जाए ! वैसे ये भी  बड़े सिद्ध उल्लू महाराज हैं ! 

इब राम राम भाईयो !

क्षमा याचना सहित ताऊ रामपुरिया

हमारा समाज हमेशा से ही उत्सव प्रिय रहा है ! प्राय: हर दिन ही कोई ना कोई उत्सव रहता ही है ! हर तिथि और दिन के साथ साथ कुछ ना कुछ कहानी जुडी हुई ही रहती है ! शायद इसी की देखा देखी पश्चिमी समाज ने भी आज कल हर दिन के साथ कोई ना कोई दिवस मनाने की कोशीश शुरू की हुई है ! अब ये बाजारवाद या अन्य कोई भी वाद pranam हो , हमारा मकसद उसके बारे में बहस करना नही है ! हमारे कई अति प्रिय त्योंहार हैं जिनमे होली हमारी परम्परा में साँसों की तरह घुला हुवा त्योंहार है ! पता नही हर बच्चे, बूढे और जवान को यह त्योंहार क्यों  जादू में बाँध लेता है की इसके जादू से कोई नही बच पाता ! शायद इसका कारण इस त्योंहार की मस्ती है ! इस त्योंहार का अर्थ तंत्र से ना जुडा होना ही इसकी लोकप्रियता में चार चाँद लगाता है ! आपकी जेब में दो कौडी भी ना हो तो भी इस त्योंहार की मस्ती में कोई फर्क नही पङता ! फाग गाना , नाचना, बजाना, रंग खेलना , बस सिर्फ़ अलमस्त होना !  किसी तरह की अमीरी गरीबी का लेना देना नही ! एक धनपति भी अगर रोड पर मिल जाए तो एक साधारण आदमी भी उसको रंग देगा ! और कोई फर्क नही पङता ! हालांकी आज कुछ माहौल अलग सा दिखाई देने लगा है ! फ़िर भी मैं तो  कहूंगा की होली तो होली है !

 

Swastika  इसके विपरीत दीपावली बड़ा महँगा त्योंहार है ! हर बात में खर्चा ! सामान्य स्तर वाले व्यक्तियों की तो  बात ही क्या ? अच्छे भले लोगो को बजट बनाना पड़ता है ! अबकी बार टी. वी. पर कुछ लोगो के इंटरव्यू देखे जिनमे यही सब बातें थी की कैसे दीपावली के खर्चे का संतुलन बैठाना पङता है ! उनके चहरे पर छुपी पीडा भी दीखाई दे रही थी !  जोश उल्लास तो जरुर है ! पर कहीं ना कहीं ये जोश उल्लास आदमी को बहुत महँगा पङता है ! मन मार कर मजबूरी में अपनी हैसियत से बाहर किए गए खर्चे धीरे २ एक तनाव को जन्म देते हैं और उनकी परिणिती स्वास्थय की  दृष्टी से भी ठीक नही होती ! खैर हर मौज मस्ती की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है ! हम स्वयम और बच्चे कितने रुपये के पटाके फोड़ते हैं ? क्या इसमे सिर्फ़ धन समय और पर्यावरण की बर्बादी के कुछ है ? इसमे पैसे वाले ज्यादा बर्बादी करते हैं और गरीब कम , पर मजबूरी में ! इसमे कोई उपदेश देने वाली बात नही है ! सिर्फ़ हमको आत्म-चिंतन करने वाली बात है ! बाक़ी तो अपनी अपनी डफली अपना अपना राग !

 

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मेरे बहुत से मित्र जैन हैं ! हर धर्म की कुछ अपनी अपनी खासियत और अपनी अपनी खूबियाँ होती हैं ! और गाहे बगाहे हम कुछ अच्छी बातें उनसे अपना लेते हैं ! यो तो जैन धर्म में बहुत सी अपनाने जैसी विशेषताएं हैं ! पर मैं जब इस शहर में १९७२ में कोलकाता से नया नया आया ही था तब मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ ! जैन मित्र पर्युषण पर्व के बाद क्षमा पर्व या यहाँ की भाषा में छमावणी पर्व मनाते हैं ! कुछ व्यापारी मित्रो के पोस्टकार्ड आए - की साल भर में हमने आपके प्रति जो भी ग़लत व्यवहार या अपराध किया हो उसके लिए क्षमा करे ! मैं चोंका की ये क्या चक्कर है ? फ़िर कुछ मित्र दुसरे दिन घर- आफिस पर क्षमा माँगते हुए आ पहुंचे ! हमने सोचा की ये कुछ गड़ बड़ जरूर है ! हमारी ओकात इस लायक तो नही है की इतने सारे लोग एक साथ हमसे क्षमा मांगे ! पता करने पर इसका उपरोक्त राज मालुम पडा ! बस उसी समय से हमने दीपावली पर्व को हमारी सुविधा अनुसार अपना क्षमा पर्व मान लिया ! क्योंकि दीपावली पूजन के बाद अगले दो दिन सब दोस्त और   रिश्तेदारो  के यहाँ मिलने    जाना  पड़ता  ही है सो हम तो बिल्कुल बुजुर्गो के पाँव छूते हुए साल भर की माफी  और छोटो को गले लगाते हुए साल भर की माफी मांग आते हैं !

 

आज इस दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहनों से, मेरे द्वारा आपको  मन, वचन और कर्म से पहुंचाई गई ठेस के  लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर  क्षमा प्रार्थी हूँ ! और आशा करता हूँ की सहज स्नेह आप मेरे प्रति बनाए रक्खेंगे ! यह ज्योति पर्व आपके घर परिवार और आस पड़ोस में ढेरो खुशियाँ और खुशहाली लेकर आए ! यही शुभकामना है !

 

जो  भाई बहन मुझसे बड़े हैं उनके चरण-स्पर्श करके,  सम-वयस्क हैं उनके गले मिलकर और छोटो को आशीष देकर मेरी खुशियाँ और शुभकामनाएं व्यक्त करता हूँ ! 

 

क्षमा याचना सहित ताऊ रामपुरिया

अरे छोरे, सीधी तरिया बता - तेरा बापू कित गया सै ?

namkiin ka thela मक्के के भुट्टे का सीजन खत्म हो गया ! सो ताऊ ने आज कल चोरी डकैती छोड़ कर नमकीन, चना मूंगफली  बेचने का ठेला लगा लिया ! ताऊ ने अपने जीवन में हद दर्जे की कोशीश की शराफत से रहने की , पर नही रह पाया !  अब आप जानते ही हो की ताऊ को धंधा करने की कुछ अक्ल तो है नही ! सो जब तक उधार मिला यह धंधा चला !

और इसी समय भाई योगीन्द्र मोदगिल और भाटिया साहब ने ताऊ को जगाधरी पव्वे का शौकीन बना दिया ! अब कुछ दिन बाद ताऊ का ठेला भी बिक गया और ताऊ फ़िर रोड का रोड पर आगया ! पर इस दौरान ताऊ को  इन दोनों दोस्तों ने पव्वे का चस्का बुरी तरह लगा दिया था !

 

कुछ दिन तो शरमा शरमी में दोस्ती के नाते ताऊ को  दोनों दोस्तों ने अपने साथ ही रोज  पिलवाई  ! पर दोस्ती की भी सीमा होती है ! ताऊ के दोनों अजीज मित्र भी किनारा  कर गए ! और ताऊ को पव्वा चाहिए रोज ! जब ताऊ ने योगीन्द्र मौदगिल जी को ज्यादा परेशान करना शुरू किया तो अपना पीछा छुडाने के लिए कवि महाराज ने ताऊ को ऐसी सलाह दे डाली की बिचारे पुजारी जी का जीना हराम हो गया ! कवि महाराज की  उन पुजारी जी से पुरानी  दुश्मनी थी !  सो  ताऊ को ये सलाह   दे कर उनका जीना हराम कर दिया ! इधर ताऊ से छुटकारा और उधर पुजारी जी से हिसाब बराबर ! 

 

कवि जी के सिखाये मुताबिक ताऊ मन्दिर पहुँच गया और ताऊ को आते देखा वैसे ही पुजारी जी  डर के मारे शिवजी की बड़ी सी मूर्ति के पीछे छुप गए  !  वहाँ पहुँच के ताऊ बोला - अरे ओ शिवजी महाराज, मन्नै पव्वै के पिस्से चाहिए तेरे धोरै ! नही तो तेरे को दो लट्ठ मारूंगा और तेरी मूर्ति तोड़ दूंगा ! ये सुन कर बिचारे पुजारी जी घबराए और मूर्ति के पीछे से हाथ बढ़ा कर पव्वे के रुपये ताऊ को पकडा दिए ! ताऊ तो खुश की शिवजी ने पव्वे के रुपये दे दिए ! उधर कवि महाराज खुश की एक तीर से दो शिकार ! ताऊ से भी पीछा छूटा और पुजारी जी से भी बदला निकल रहा है !

 

अब ताऊ का ये रोज का काम हो गया ! उधर बेचारे पुजारी जी परेशान ! कहाँ से रोज पव्वे के रुपये देवे ? खैर साहब , एक दिन पुजारी जी ने शिवजी की मूर्ति  की जगह गणेश जी की मूर्ति रख दी ! और सोचा की ताऊ रुपये तो शिव जी से मांगता है ! गणेश जी से तो माँगने से रहा ! तो अब ताऊ से पीछा छुट जायेगा ! पर ताऊ से पीछा छुडाना इतना आसान काम थोड़ी ही सै ? वो काम भी कोई कवि महाराज जैसा हरयाणवी ही कर सके सै !

 

अब ताऊ जैसे ही मन्दिर में आया और सामने गणेश जी को देखा तो उसका माथा ठनक  गया ! और सोचण लाग गया की यो शिव जी कित चल्या गया ?  और थोड़ी देर तो देखता और सोचता रहा ! फ़िर गणेश जी के कान उमेठता हुआ बोला - क्यो रे छोरे ? घणी देर हो गी सै तेरे बापू का इंतजार करते करते मन्नै , सीधी तरिया बता - तेरा बापू कित गया सै ? उसतैं मन्नै पव्वै के पिस्से चाहिए ! वो नही सै तो इब तू निकाल ! मैं इब और ज्यादा इन्तजार नही कर सकदा ! मेरा टेम हो लिया सै खीन्चण का !

कैसे ताऊ से पाला पडा है ?

हे उल्लुकवाहिनी ,
यों तो हर दिन ही
आपकी कृपा की सबको जरुरत है
पर हम ब्लागरो को विशेष जरुरत है

white owl

 

 

ब्लागरी के चक्कर में
आपसे ज्यादा
माँ सरस्वती का गुणगान हो जाता है
फ़िर इसी बात पर ताई का लट्ठ चल जाता है

 

गूगल बाबा कुछ देते नही
आप दिखती नही
तो अब आपका ये अन्याय सहन नही होगा
सीधे से आप नही आई तो अब ये होगा

 

 

आज धन तेरस को आपका वाहन
हमारी छत की मुंडेर पर बैठा था
हम तो समझ गए थे की हमारे मोहल्ले में
आपका विचरण हो रहा है

 

पर ब्लॉगर समझ कर हमारे घर
आप क्यूँ आने लगी ?
आप तो पीछे की गली में
सेठ कालीजाड के घर बैठी थी

 

पर अबकी बार आप  गच्चा खा गई
ये ब्लॉगर इतना सीधा नही
की आप इसके सारे धंधे बिगाड़ दोगी
और ये आपको चैन से रहने देगा ?

 

अब देखते हैं आप यहाँ से कैसे लौटती हैं ?
आपके वाहन उल्लू को ताऊ ने  किडनैप कर लिया है
उसको लट्ठ मार मार कर पिंजरे में बंद कर दिया है 
अब वो उड़ने में असमर्थ है

 

उस सेठ के यहाँ आप दो दिन से ज्यादा
नही रह पाओगी
उसके काले कारनामे देख
उल्लू के पास दौडी चली आओगी

 

अब भी समय है हमारे पास आजाओ
हम सीधे साधे  ब्लागरिए  हैं
किसी का खून नही  करते
बंदूक नही, सिर्फ़ की-बोर्ड चलाते हैं

 

वैसे तो आप इसे नम्र निवेदन ही समझना
और नही मानना हो तो
इसे धमकी समझ लेना
बिना उल्लू कहाँ जाओगी ?

 

हम कोई जमाखोर सेठ नही है
जो आपको बंद करके रखे
बंद लक्ष्मी भी बीमार हो जाती है
और हम चाहते हैं आप भी स्वस्थ रहो

 

आप आज तक काली और बीमार लक्ष्मी हो
इसलिए आप  आराम तलब हो गई हो 
आप भी हमारे साथ एक ब्लॉग बनालो
स्वस्थ हो जाओगी ,और ज्यादा लोगो को खुशी दे पाओगी

 

dipawali chulha 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ये ध्यान रखना , सबके चूल्हे पर रोज रोटी हो
नही तो ताऊ के पास लट्ठ और भैंस के अलावा अब अक्ल भी  है
इसीलिए आपके वाहन को बंधक बना लिया है
अब कैसे जाओगी ? सारी उम्र ताऊ की भैंस का गोबर साफ़ करते रहना

 

अब भी संभल जाओ , कठिन वक्त सामने खडा है
नही तो फ़िर कहोगी
इस ब्लागरी की दुनिया के
कैसे  ताऊ से पाला पडा है ?

 

भाईया  और बहणा नै ताऊ की तरफ़ तैं दीवाली की घणी  राम राम  ! लक्ष्मी मैया ने ताऊ तैं  करार कर लिया सै  की वो आप लोगो के साथ ही रहेगी ! नु करकै थम  चिंता मुक्त हो कै  दीपावली पर्व  खुशी २ मनाओ  ! ताऊ उसने कितै भी नही जाण देगा ! थारे खातर ताऊ लट्ठ लेके रखवाली करण लाग रया सै ! तो आज धन तेरस मनाओ कल रूप चोदस यानी छोटी दीवाली नै फ़िर मिलेंगे ! इब राम राम ! 

हमारी अर्थ व्यवस्था और उसका सैन्य प्रबंधन

कल सारी दुनिया के शेयर बाजारों  में फ़िर एक खूनी जंग लडी गई ! चंद लोग इसमे जीत गए ! ज्यादातर हारने के लिए ही पैदा होते हैं वो हार गए !   कल तो घबराहट में वो लोग भी माल बेचते देखे गए जिन्हें शायद बेचने की जरुरत नही थी ! खैर साहब ये सारी घटनाएं और विश्लेषण तो आप सभी अखबारों और टी.वी. न्यूज चैनलों पर देख ही चुके होंगे ! आज आदरणीय ज्ञान जी ने अर्थ प्रबंधंको के लिए  एक नए शब्द की रचना की है  "सैन्य प्रबंधक" !  और मुझे बड़ा उचित और सुंदर  लग रहा है ! और अब समझ आ रहा है  की  उनके द्वारा त्वरित रूप से वाक्य विन्यास की कला ही उनकी माईक्रो पोस्ट को भी एक विशाल आयाम देती है ! आज भी उनकी ये माईक्रो पोस्ट ही है !


आज उनसे प्रेरित हो के ही यह  लिखने बैठ गया ! वरना आज अपना छुट्टी दिवस और घर गृहस्थी के काम निपटाने का इरादा था !  मैंने इस सम्बन्ध में १४ अक्तूबर को एक पोस्ट लिखी थी "बाजार की वर्तमान तेजी के सन्दर्भ में "  जिस दिन दुनिया के बाजार जोरदार तेजी दिखा रहे थे ! और मेरा अनुमान सही निकला ! नतीजा सामने है ! असल में मैं वहाँ इशारा करना चाह रहा था "पुट आप्शन"  खरीदने का ! जिन लोगो ने भी ऐसा किया वो आज बेहतर क्या ? बल्कि चकाचक तरीके से दीपावली मनाएंगे ! मतलब उस दिन पुट आप्शन लेने वालो की तो चांदी हो गई ! मेरे सहित कुछ मित्रो ने इसका आनंद उठा लिया है ! जीवन में ऐसे अवसर दशकों  में आते हैं ! इस हथियार का उपयोग भी कोई योद्धा ही कर पाते हैं ! ये मिनिमम रिस्क में बड़ी कुशलता और समझ का कार्य है अपने आपको बचाने और कमाने का !

 

हाँ तो अब जो फिरंगियों का निवेश ९० बिलियन  डालर के आस पास का था उस दिन , वो अब अनुमानतः ६० बिलियन  डालर का है ! यह आंकडा उनके स्टोक के बिकने से नही आया है ! बल्कि बिकवाली के साथ साथ इसकी वेल्युएशन भी गिर गई है ! और फिरंगियों को भी तगडी मार लगी है !  फिलहाल और आंकड़े आना बाकी हैं ! अब इस बाजार की शक्ल क्या रूप लेगी ? ये सवाल खडा हो गया है !


लोग सवाल पूछ रहे हैं की पैसा तो है ही नही तो बाजार में तेजी कहाँ से आयेगी ?
ये बड़ा बचकाना सवाल है ! पैसा कहीं नही गया , यही हैं , कुछ हाथो में सिमट गया है ! बाजार में उनका विश्वास खत्म होने से पैसा नही आ रहा है ! विश्वास लौटते ही पैसा वापस यही आयेगा ! समय मत पूछिये ! विश्वास बनते और बिगड़ते देर नही लगती !  मेरी निजी राय में तमाम तरह की मुश्किलों के बावजूद मैं भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में मजबूत मान कर चल रहा हूँ और इसके पीछे वर्त्तमान  भारतीय जन संख्या का युवा होना भी है जो जापान से ठीक उलटा है !

 
कुछ लोग सेंसेक्स को ५००० बताने लग गए हैं ! लेकिन अभी कुछ नही कहा जा सकता ! क्योंकि २१००० के समय ३५००० ये ही लोग बताने लग गए थे ! इनकी बातो में ना जाए ! यकीन कीजिये यही फिरंगी भारत में डालर लेकर फ़िर लौटेंगे ! फ़िर बुलबुल यहाँ चहचहायेगी ! और फ़िर पुराना मंजर दिखेगा ! कब ? यह कहना मुश्किल है अभी तो ! पर इस बात के सिगनल सैन्य प्रबन्धनकार बहुत पहले भांप लेंगे ! लेकिन उस वक्त भी उनकी बात नही सुनी जायेगी ! दोस्तों , दीपावली मुबारक हो ! और अंत में कहना चाहूँगा की आप भारतीय अर्थ व्यवस्था को  कमतर आंक कर मत चलिए ! अभी के हालत अलग हैं ! उन पर बहस का आज यहाँ मुद्दा नही है ! इस अर्थ व्यवस्था की बहुत जोरदार वापसी होगी ! फ़िर मत कहना की ताऊ ने बताया नही था !  

आपको दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाये !

अपने आपको सोच - विचार का अवसर दे !

आजकल के वर्क कल्चर में ज्ञान का काफी महत्त्व है ! और उसकी कद्र भी की जाती है ! ऐसे में हम  काम के बोझ से दब कर  ना तो रचनात्मक सोच पाते  है और ना ही कुछ रचनात्मक काम कर पाते  है ! दिन भर में  असंख्य इ-मेल, फोन काल्स और  मीटिंग्स हमारी  उत्कृष्ट विचार शक्ति को मौका ही नही देते ! ऐसे में कई कंपनियों ने इन इ-मेल, फोन काल्स से रहित कुछ ऐसे कमरे बनाना शुरू कर दिए हैं जहाँ पर रचनात्मक सोच के लिए कर्मचारी अपना कुछ समय बिता सके ! इन कमरों को व्हाईट स्पेस या क्रियेटिव रूम्स की संज्ञा दी गई है ! और आई .बी. एम. जैसी कंपनियों ने तो शुक्रवार को थिंक-फ्राइडे ही घोषित किया हुआ है ! ताकि कर्मचारी विभिन्न मसलों पर सोच-विचार कर सके !  इसी विचार से मिलते जुलते एक समृद्ध सोच वाले मेरे मित्र डा. बी. पी. साहनी अरुण से  आपका परिचय करवाऊं ! उम्मीद करता हूँ उनका आइडिया आपके जीवन में भी एक सकारात्मक सोच पैदा करने में अवश्य कामयाब होगा !

 

डा. बी. पी. साहनी अरुण से मिलने के पहले  मेरी इतनी  व्यस्ततम दिनचर्या थी की मैं आज उस समय पर हंस ही सकता हूँ ! मेरे आफिस में डाक्टर साहब अपने किसी काम से आए हुए थे !  मेरी अत्यधिक व्यस्तता के बावजूद भी  मैंने उनको समय देने की पूरी कोशीश की पर डाक्टर साहब समझ गए की मैं समय के मामले में काफी तंग हाल हूँ ! मेरी बेटी अमेरिका से उन दिनों आई हुई थी ! उसके लिए भी समय मुझे बचाना पङता था ! उसकी एक साल की बच्ची का सरदी खांसी से बुरा हाल था ! मुझे घर से बताया गया की मैं डाक्टर साहब से संपर्क करके कुछ दवाई -पानी का इंतजाम करू !  उस वक्त तक मुझे डा. साहनी अरुण के होमियोपथी के  भी कुशल  डाक्टर होने का पता नही था ! तब तक मैं उनको IIT Kanpur  से पास आउट एक शिक्षाविद और सहृदय व्यक्ति  के रूप में ही जानता था !


मेरे साथ बैठे होने के कारण उन्होंने भी सारी बातें सुन ली थी ! और जाकर बच्ची को देख कर कुछ दवाइयाँ बुलवा कर दी और आश्चर्य जनक रूप से वो बिल्कुल आराम से खेलने लग गई ! बाद में तो उसका सारा इलाज ही इनकी देख रेख में चलता रहा !
उसको कोई इलर्जी से सम्बंधित तकलीफ थी !

 

कालांतर में  डाक्टर साहब  कब मेरे मित्र, बड़े भाई और पथ-प्रदर्शक  बन गए ? पता ही नही चला ! डाक्टर साहब ने मुझे जिन्दगी का जो सबसे बड़ा फ़न्डा समझाया वो ये था की   ईश्वर ने हमको २४ घंटे दिए हैं ! इसमे कम से कम एक या दो घंटे अपने लिए रक्खो ! इस समय को किसी के साथ भी मत बांटो ! इस समय में अपने साथ रहो ! जो  पसंद की चीज करना हो करो ! खेलो, कूदो, रोओ, गाओ ! जहाँ जाना हो जाओ ! पर इन घंटो में किसी के बंधन में मत रहो ! इस समय में  मोबाईल भी  साथ मत रक्खो ! किसी को मत बताओ की कहाँ हो ? खेलना हो खेलो, सनीमा देखना हो तो देखो ! पर सिर्फ़ अपने लिए करो !  कहने का मतलब ये की दिन भर के समय में  यह समय सिर्फ़ आपका है और इसके मालिक आप हैं !  क्यूंकि हम जिन्दगी भर दूसरो के लिए ही जीते हैं ! हमारे पास सिर्फ़ हमारे लिए ही समय नही होता !

 

इस तय समय में आपकी ना कोई बीबी,  ना बाप ,  ना बेटा बेटी ,  सिर्फ़ मैं मेरी मर्जी का मालिक हूँ ! फ़िर आपकी जिन्दगी ही अलग हो जायेगी ! और डाक्टर साहब ने बताया की इंजीनियरिंग कालेज में पढाते हुए भी इस नियम का उन्होंने पालन  किया ! और आज भी बड़ी स्वस्थ सुंदर जिन्दगी के मालिक बने हुए हैं ! डाक्टर साहब के समझाने पर  मैंने भी इस बात को  पिछले ४ साल से अपनाया हुआ है ! और मेरी जिन्दगी में भी आश्चर्य जनक बदलाव आया है !  ये ब्लागिंग भी उसी का नतीजा है !  मेरा जैसा खडूस और रुखा इंसान ( मेरे बारे में सम्बंधित लोग ऐसा ही कहते थे, पर अब नही  )  भी आज  आप  लोगो के साथ ताऊ बनकर हंस  पा रहा है इसमे डाक्टर साहब का भी बड़ा योगदान है !

 

अमूमन शाम को ५ से ७ बजे के बीच मैं इस दुनिया, घर-परिवार सबसे कट हो जाता हूँ ! मेरी  मर्जी हो तो जिम चला जाता हूँ ! या कही लांग ड्राइव पर जाकर रोड किनारे ढाबे पर बैठ कर चाय पी लेता  हूँ ! या ट्रक ड्राइवरो के साथ गप्पे मार लेता हूँ !  मूड हो गया तो क्लब निकल लेता हूँ !  वहाँ जाकर अब लान टेनिस तो नही खेल पाता अलबत्ता टेबल टेनिस जरुर खेलता हूँ !  मूड हुवा तो सब फोन वोन बंद करके अपने बैडरूम में बंद हो जाता हूँ ! किसी का साथ इस समय के लिए नही ढुन्ढ्ता ! बस मैं और मेरी तन्हाई ! :) और कहाँ जाउंगा यह तय नही होता ! आप यकीन करिए , इसके बाद मैं अगले आने वाले २४ घंटो के लिए चार्ज हो जाता हूँ ! मुझे जिन्दगी का इतना खूबसूरत फ़न्डा देने वाले डाक्टर बी.पी. साहनी अरुण का एक संक्षिप्त सा परिचय देना मुझे जरुरी लगता है ! उनकी फोटो के साथ उनका पूरा परिचय इस प्रकार है !

 

Dr. Sahani Arun डा. बी. पी. साहनी अरुण मूलत:बिहार के रहने वाले हैं ! सन 1973 में IIT Kanpur से    सिविल  इंजीनीयरिंग   में  M.Tech  किया ! इनका  field of specialization  रहा  Environmental & public health engineering में !   आल्टरनेटिव मेडिसिन्स में  कोलकाता से सन 1993  में  MD किया !  

 

MIT मुज्जफरपुर बिहार में  सन 1963 से 1999 तक   अध्यापन  कार्य  किया  ! आप  1999   में बतौर विभागाध्यक्ष  environmental & public health engineering  रिटायर हुए !   रिटायर मेंट के बाद  B. N. Mandal university madhepura (bihar) के  pro - vice - chancellor  नियुक्त  हुए  ! इस  पद  के लिए आपने  स्वीकृति देकर ,   लेकिन  कुछ   निजी  कारणों  से  इस  पद  को  त्याग   दिया   ! अपने  अध्यापन  काल  में  शोध  कार्य  करते  हुए   इनके  मार्ग दर्शन में   अनेक  लोगो  ने  M.Tech और Phd  किया  है  !  

 

तदुपरांत   इंदौर  के  इंजीनीयरिंग कालेज और होमियोपथी कालेज  में विजिटिंग फेकल्टी  रहे  हैं  !  आप  chartered civil engineer भी  हैं   !  और पिछले ३० साल से  लोगो को निशुल्क और   निस्वार्थ     भाव  से  alternative medicines में  health counseling की  सेवा  कर  रहे   हैं  ! 

 

इस  के  अलावा  डा.. साहब  ने  अपने  पूरे  जीवन  काल  में  स्कूल  से  लेकर  इंजीनियरिंग  कालेज  से  अपने  रिटायरमेंट   के  अन्तिम   दिन  तक  कोई  न  कोई  आउट  डोर  /  इंडोर  गेम  जरुर  खेलते  रहे  हैं  ! इंजीनियरिंग   कालेज  के  स्पोर्ट्स  काउंसिल  में  12 वर्षो  तक  vice-chairman और  21 वर्षो   तक  चेयरमैन  के  दायित्व  को  सहर्ष  निभाया  ! लान-टेनिस के बहुत बढिया खिलाड़ी रहे हैं ! आज  भी बहुत बढिया खेलते हैं ! इनकी  हम  सबको  यह  सलाह  है  की  जीवन  को  सफलतम  और  सुखद  बनाने  के  लिए  हर  इन्सान  को  कोई  ना  कोई  गेम्  / खेल  अवश्य  खेलना  चाहिए  !

 

डा. साहब  के अनुसार  खेल  शारीरिक   रूप  से  तंदुरस्ती  तो  देता  ही  है   उससे  ज्यादा  वह  इन्सान  को  मानसिक,  भावनात्मक  और  आध्यात्मिक   संतुलन  बनाने  में  बहुत  मदद  करता  है  ! किसी  भी   खेल  में  स्वाभाविक  रूप  से  हार  या  जीत  तो  होती  ही  रहती  है  ! लेकिन  बार   2 खेल  में  होने  वाली  हार  या  जीत  से  हमारे  लिए  हार  या  जीत  का  कोई  मूल्य  नही  रह  जाता  ! सिर्फ़  खेल   और  खेल  की  भावना  रह  जाती  है  और  जीवन  भी  तो  एक  तरह  का  खेल  ही  है  ! यानी खेल हमको मानसिक रूप से जीवन के प्रति सकारात्मक सोच देता है !

 

इतना  सब  करते  हुए  भी  डा . साहनी  अरुण  प्रचार  प्रसार  से  बिल्कुल  दूर  ही  रहने  की  कोशिश  करते  हैं  ! मेरा नमन है इस महान व्यक्तित्व को ! जिनकी सीख पर चल कर मैंने हंसना और हंसाना सीखा !  इन्होने  अपने  जीवन  दर्शन  को  निम्न  दो  पंक्तियों  में  कुछ यों  व्यक्त  किया  :-

 

बादल  हो  तो  बरसो  किसी  बेआब  जमीं  पर 

खुशबू  हो  अगर  तुम  तो  बिखर  क्यूँ  नही  जाते 

 

डा. साहब  ने  मुझसे  वादा  किया  है  की  उनकी  साहित्यिक  रचनाए  समय  2 पर  इस  ब्लॉग  द्वारा  आपसे  शेयर  करते  रहेंगे  !

ताऊ ने शुरू किया ठगी का नया धंधा

इंसान के जब धंधे रुजगार ठप्प हो जावै तो बड़ी आफत हो जाया कराइ सै ! और यो ही आज कल ताऊ कै साथ हो री सै ! घणी मेहनत और इमानदारी तैं काम धंधा करण कै बावजूद भी ताऊ के कमानै खानै के किम्मै ठिकाणै कोनी ! ताऊ भी बैल गाडी,  और हल जोत जोत कर थक गया था ! अब ताऊ को ऐसा धंधा चाहिए था जिसमे हल बैल से cart पीछा छूटे और माल खूब मिल जाए !  इब ताऊ के करै ?  जितने मुंह उतनी सलाह ! आख़िर ताऊ को उसके एक दोस्त नै पुराणा डकैती वाला काम ही करण की सलाह दे डाली ! ताऊ जानता था की ये सब भी मजा लेण खातर ही ये सलाह दे रे सै ! पर ताऊ ने अब विचार कर लिया की धंधा तो इब डकैती डालने का ही करना सै , पर थोडा मोडिफिकेशन कै साथ ! यानी सीधी रिस्क नही लेना ! यो नया धंधा ताऊ नै शुरू किया ठगी का ! इसमे डाईरेक्ट रिस्क कम है ! इब ताऊ ने खूब सोच समझ कर प्लान बानाना शुरू किया ! ताऊ ने तय कर लिया की अबकी बार मुंह की नही खायेगा ! यहाँ तक की फूलप्रूफ प्लान बनाएगा की कोई भी उसको ग़लत ना ठहरा सके !

 

पिछले धंधे करने में ताऊ को पास के काम के सेठ से रुपये उधार लेने पड़ गए थे ! और वो सेठ ताऊ से ब्याज के इतने रुपये ऐंठ चुका था की ताऊ का सारा खून ही चूस लिया था ! और इबी बी उसका हिसाब चुकता हुया कोनी था ! सो ताऊ नै सोची सबतैं पहलम इस बाणीये नै ही जोरदार सलाम सितारे वाली टोपी पहनाई जानी चाहिए ! और ताऊ एक दिन स्कीम बना कर सेठ कै घर पहुँच गया ! वहाँ जाकर राम राम श्याम श्याम करकै ताऊ एक तरफ़ बैठ्ग्या ! थोड़ी देर बाद सेठ जी फुर्सत म्ह हुए तो पुछण लागे - बोल भाई ताऊ तू क्यूँ कर आया ? के चाहवै सै तू ?

 

ताऊ बोल्या - जी सेठ जी म्हारै घर मेहमान आए सें और म्हाने कुछ बर्तन थाली , कटोरे और गिलास चाहिए ! इब सेठ का तो ये धंधा ही था टेंट हाउस का ! सो ५ बर्तन के सेट थाली कटोरे के ताऊ को दे दिए और रसीद पर साईन करवा लिए ! क्यूँकी ताऊ की डकैती वाली बात आस पास के  गाँवों में फ़ैल चुकी थी ! और ताऊ का प्रोफाईल काफी ख़राब हो चुका था ! हर आदमी ताऊ से व्यवहार करण म्ह डरण लाग गया था ! 

 

इब ३ दिन बाद ताऊ बर्तन वापस करने सेठ जी के घर गया ! और जाकर बर्तन और किराया जमा कराया ! और साथ म्ह ५ कटोरी बिल्कुल ब्रांड न्यू सेठ जी को थमा दी ! सेठ जी नै पूछी की ताऊ यो के सै ? इब ताऊ बोल्या - सेठ जी कल रात थारे इन बर्तनों ने यो बच्चे दिए थे ! यानी थारे बर्तनों की जचकी म्हारै घर पै हो गई थी ! और मैं आजकल सुधर गया हूँ सो ये आपके बर्तनों के बच्चे आप संभालो ! ये तो आपके ही हैं ! बाणीये को अचम्भा  तो हुवा पर ५ कटोरियों के लालच ने उसको कुछ सोचने नही दिया और कटोरीयाँ रख ली !

 

कुछ दिन बाद ताऊ आया और कुछ बर्तन और लेगया ! अब हर बार ताऊ के यहाँ बाणीये के  बर्तन जाते रहे और उनकी जचकी वहाँ होती रही ! एक बार तो कुछ ज्यादा ही बर्तन ताऊ ले गया और वापसी म्ह एक बड़ा कडाव दे गया और सेठ को बोल्या - सेठ जी इबकै तो थारै सारे बर्तनों ने मिल कर एक साथ ही जचकी कर ली सै और सबनै मिलकै यो बड़ा कडाव ही पैदा कर दिया ! सेठ तो खुश ! सेठ को इतना लालच आया की उसकी सोचने समझने की ताकत ही जवाब दे गई ! उसको ये पक्का विश्वास हो गया की उसके बर्तन बच्चे पैदा करते हैं ! और ताऊ के अलावा जो लोग बर्तन ले जाते हैं ये सारे बेईमान हैं जो उसके बर्तनों के बच्चे उसको नही लौटाते ! ताऊ ने बाणीये के मन में अपनी साख जमा ली पुरी तरह ! ताऊ बर्तन ले जाता रहा और बाणीये के बर्तन बच्चे देते रहे !

 

एक रोज ताऊ एक किराए का ट्रेक्टर लेके आया और सीधा बाणीये के घर पहुँच गया ! और बोला - सेठ जी म्हारै आड़े परसों शादी का कार्यक्रम सै सो ये बर्तन ज़रा जल्दी निकलवा कै ट्रेक्टर म्ह रखवा दो ! और ताऊ नै लिस्ट पकड़ा दी ! ताऊ भी पक्का शातिर प्लान बना कै आया था ! इतनी बड़ी लिस्ट थी की सारा गोदाम सेठ का खाली हो गया और फ़िर भी लिस्ट पूरी नही हुई ! बाणीये ने सोच्या - घर के  रसोई के बर्तन भी रखवा देता हूँ आख़िर किराया भी आयेगा और बच्चे भी देंगे ! अपने यहाँ ना तो किराया आता है और ना ये  सुसरे यहाँ  बच्चे  देते हैं  ! सो घर के बर्तन भी रखवा दिए ! बाक़ी बचे खुचे पड़ोस के उधार मांग कै ताऊ को दे दिए ! लालच जो ना करवाए सो कम सै ! ताऊ नै ट्रेक्टर आले को कहा - भाई जल्दी निकल ले शहर की तरफ़ ! यो सुसरे बाणीये को सदबुद्धि आवै उसकै पहले ही काम निपटाना सै ! ताऊ नै शहर पहुँच कै बर्तन भांडे बेच खाए और रुपये अन्टी म्ह करके अपने गाम चला गया !

 

इब ४/५ दिन हो गए ! ताऊ नही आया तो बाणीये को कुछ बैचैनी होण लाग गी ! इब जैसे २ समय बीतता गया उस बाणीये की तो तबियत ख़राब होने लग गई ! और २/ ४ दिन निकले तो उसने सोच लिया की चौधरी नै कुछ गड़ बड़ जरुर करदी दिखै !
सो हार थक कर ताऊ कै गाम म्ह गया और सीधा ताऊ कै घर पर पहुंचा ! वहाँ पर पूछा की ताऊ कित सै ? ताई नै जवाब दिया की वो तो कई दिन तैं बाहर गया सै ! इब ताई कै हाथ म्ह लट्ठ देखके बाणीये की और कुछ कहण की तो वहाँ हिम्मत नही पडी और सीधा गया सरपंच धौरे ! और पंचायत बुला ली ! और ताऊ को तलब  करण का नोटिस निकलवा दिया ! और ताऊ के घर ख़बर करवा दी पंचो ने की, शनिवार को पंचायत बैठेगी ! नियत दिन ताऊ पंचायत कै सामने हाजिर हो गया !

 

ताऊ को आरोप पढ़ कर सुनाये की ताऊ बाणीये के बर्तन ले गया और वापस नही करता ! इब ताऊ नै बोलना शुरू किया ! भाइयो ! बात या सै कि इस बाणिये के ने मेरे को बीमार बर्तन दे दिये थे ! और वो बर्तन मर गये तो मैं कहां से लौटाऊं ?


और उन बर्तनो का इतने दिन तक मैने इलाज करवाया उसका खर्चा पानी मुझे चाहिये ! और इस बाणीये ने मेरी इज्जत यहां आप सबकै सामनै खराब करी उसका मान हानि का भी रुपया चाहिये ! इब सारे पंच सरपंच एक दुसरे का मुंह देखण लाग रे ! और तभी बाणिया बोल्या - भाइयो यो ताऊ नम्बर एक का झुंठा सै ! कभी बर्तन भी बीमार होकै मर सकै सैं के ?

 

इब ताऊ बोल्या - भाइयो इस बाणिये नै पुछो कि जब बर्तन बच्चे पैदा कर  सकते हैं तो बीमार होकर मर क्युं नही सकते ?


ताऊ इब फ़िर बोल्या - इसकै बर्तन इतनी बार मेरे यहां जचकी करके बच्चे पैदा कर  चुके थे पर मैने कभी इस बाणिये से जापे का खर्चा भी नही मांगा !  आप पूछ लो इससे ! इसके बर्तन मेरे यहां बच्चे पैदा करते थे या नही ?  ! हर बार इसके बर्तनों द्वारा पैदा बच्चो को मैं इमानदारी से इसको दे देता था !  अब तो पहले का भी खर्चा चाहिये ! अब फ़ैसला आप के ही हाथ सै ! इब बाणियां मना भी नही कर सकता था की उसके बर्तन बच्चे नही पैदा करते थे ! बुरा फ़ंसा ताऊ के जाल मे !

 

पंचो ने पुरी बात सुनी और फ़ैसला दे दिया कि अगर बर्तन जचकी करके बच्चे पैदा कर सकते हैं तो बीमार होकर मर भी सकते हैं ! और ताऊ के हक मे फ़ैसला दे दिया ! जुर्माना भी बाणिये पर लगाया गया ! और ताकीद की गई कि आईन्दा इस तरह के झुंठे मामले लगा कर किसी शरीफ़ आदमी की इज्जत नही खराब करे ! वर्ना अगली बार और सख्त जुर्माना लगाया जायेगा !    

गीदड़ की मौत आई तो ताऊ के खेत में घुसा !

कहते हैं की आदमी के जब खोटे दिन आजावैं तो सब काम उल्टे उल्टे ही हुया करै सै ! ताऊ नै इतनै धंधे करके देख लिए ! पर कोई सा भी धंधा सही ना बैठ्या ! ताऊ नै डकैती भी डाल के देख  ली, उसमै भी मुंह की ही खाई ! झूंठे बीमे इंश्योरेंस करवा लिए तब भी पार ना पडी ! भैंस पाल के देख ली ! उलटी जमीन बेचनी पड़ गई !

 

अब ताऊ कै बड़े भाई भाटिया जी नै जर्मनी तैं फोन करकै  ताऊ को समझाया थोडै कड़क शब्दों म्ह ! और साफ़ कह दिया की देख ताऊ , तू यो उल्टे सीधे धंधे कर कर के घर की इज्जत की सत्रह बजा दी ! तेरे को तो शर्म किम्मै आवै कोनी ! पर हमको तो शर्म आती है ! तू कोई भी काम ढंग से नही कर सकदा ! बस इब तू खेत म्ह हल चला और खेती कर ! जो कमाई हो जावे वो ठीक नही तो खर्चे के पिस्से ( रुपये ) मैं भिजवा दूंगा ! और उल्टे सीधे काम इब मत करना ! अरे बावली बूच तू नहर किनारै की १६ किल्ले जमीन का मालिक हौकै यो पागल पण के काम करण लाग रया सै ?

 baya tree

और कुछ एडवांस म्ह खर्चे पानी के रुपये भी भिजवा दिए ! साथ में एक लट्ठ खेती की रखवाली के लिए भेज दिया !
इब आप तो जानते ही हो की ताऊ हर काम इमानदारी तैं करया करै सै ! जमीन भी ताऊ धौरे १६ किल्ले की थी ! सो ताऊ नै कुछ खेतों म्ह चने लगा दिए ! और एक समझदार बोल्या - ताऊ नु कर कुछ खेतो म्ह ककडी और खरबूजे लगा दे ! इनकै बीज घणे ही मंहगे बिकै सै आज कल ! सो ताऊ नै ककडी खरबूजे भी खेत म्ह बो दीये !  ताऊ के खेतो म्ह एक पेड़ पर घणे सारे बैयाँ के घोसले भी थे ! और वहाँ पर एक पेड़ों का झुरमट भी था !

 

इब ताऊ के चने वाले खेत का हाल तो भाटिया जी नै आपको बता ही दिया ! ताऊ नै भाटिया जी को सारी रपोर्ट फोन पै बताई थी की इस तरियां भेष बदल कै लोग चोरी कर रे सै ! तो भाटिया जी नै सलाह दे डाली की अरे ताऊ तन्ने लट्ठ क्यों भिजवाया था !
इबकै आन्वै तो बजा दिए तू तो इनको ! और भाई  अरविन्द मिश्रा जी बिल्कुल ठीक कह रे सै की "-वो कैसा ब्राह्मण था जो पिट गया .! असल ब्राहमण को कोई छू कर तो देख ले ? जिसे बुद्धि नहीं वह ब्राह्मण नहीं !"  इब भाई उन तीनो को ठोका तो मन्नै ही था ना ! सो इस बात का खुलासा भी मन्नै ही करना पडैगा ! वो तो तीनो  के तीनो ही नकली थे ! कैसे ? सुन लो !

 

इब यदि नाई असल का होता तो ताऊ के जर्मन लट्ठ खाकै उठ ही नही सकता था ! वहाँ से सीधे शमशान धौरे ही जाना चाहिए था ! वो इतने लट्ठ खाकै भी बात करण लाग रया था मतलब नाई नही था ! कोई और ही खतरनाक माणस था ! क्योंकि नाई इतने लट्ठ झेल ही नही सके था ! दूसरा  क्षत्रिय होता तो सामने प्रतिरोध जरुर करता जो उसने नही किया ! आज भी असल क्षत्रिय इतनी आसानी से हार नही मान सकता ! इब बचा ब्राह्मण  ! तो ब्राह्मण तो सौ प्रतिशत नकली था! पहली बात , अगर ब्राह्मण होता तो अक्ल से काम करता ! वो चने भी ले जाता और ताऊ को ताई से ही पिटवा कर मानता ! और  ब्राह्मण होता तो पहले वाले नाई और क्षत्रिय को पिटता देख  कर ही समझ गया होता की भविष्य क्या है ? और कभी का रफ्फूचक्कर हो गया होता ! वो तीनो ही नकली थे !

 

इब आगे सुनो !

 

एक गीदड़ को  कहीं से  एक कागज मिल गया . आपणे साथी गीदडो  मैं जाके उंची नीची देण   लाग गया की भाई मन्नै ताऊ कै खेत मैं ककडी खरबूज  या जो भी  खेत म्ह लगा हो वो सब कुछ खाने  का परमिट मिल गया ! इब उसके साथ वाले गीदडो में खूब गप्पे मारने गया ! बोला - भाई लोगो ये परमिट बड़ी मुश्किल से मिला है ! मैं तो इब जब भी इच्छा होती है,  जाकै किसी भी खेत में तरबूज , ककडी खा लेता हूँ ! अगर खेत का मालिक आजाता है तो ये परमिट दिखा देता हूँ ! और ये परमिट देख कै वो वापस उलटा चला जाता है !  उसके साथ वाले गीदड़ उससे बड़े प्रभावित थे ! उसकी सेहत भी मोटी ताजा हो चली थी ! क्योंकि वो रात को ताऊ के बैयाँ वाले पेड़ के पास खेत में लगे ककडी तरबूज के मजे लेण का आदी हो चुका था ! और इधर ताऊ परेशान की ये कौन चोरी कर रहा है ? वो तीनो को तो पहले ही इतने लट्ठ मार चुका था की वो तो वापस आ ही नही सकते थे !

 

अब बाक़ी के गीदड़ इसकी खूब सेवा पानी करण लाग गे ! और ये पठ्ठा उनको लेके रात होते ही ताऊ के खेत में घुसेड देता और बोलता भाईयो खूब छक कर खाओ ! ये अपना परमिट वाला ही खेत सै ! इधर ताऊ इस नुक्सान को देख कर परेशान हो चला था ! एक दिन ताऊ अपना मेड इन जर्मण लट्ठ लेके खेत म्ह छिप कै बैठ्ग्या ! इधर जैसे ही रात हुई , गीदड़ खेत के अन्दर ! और ककडी तरबूज खाने शुरू कर दिए !  इब ताऊ नै उन गीदडो को पकड़ २ कै  लट्ठ मारने शुरू किए ! पहले तो उनको समझ ही नही आया की यो के राशा हो रया सै ? इधर ताऊ जोर २ तैं उनको कूटे जावै था ! सारे गीदड़ अधमरे हो लिए !

 

अब वो गीदड़ आपने सरदार से बोले - अरे इस ताऊ  नै परमिट दिखा ! म्हारै हाथ पैर तोड़ दिए इस नै !  परमिट वाला कागज़ हाथ म्ह लेके वो सरदार गीदड़ बोला -- अरे जल्दी  भाज ल्यो सुसरो !  यो साला अनपढ़ गंवार ताऊ  लागे सै मन्नै तो ! इसकी समझ मैं ना आरी सै बात ! अपणा   परमिट इंग्लिस में  बन्या हुआ सै और यो ताऊ किम्मै इंगलिश समझता कोनी !

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क्या ये आर्थिक मंदी की शुरुआत है ?

आज के सभी अखबार बाजार के पिछले दो साल के न्यूनतम स्तर दस हजार के नीचे बंद होने को लेकर रंगे पड़े है ! कल फिरंगियों के साथ २  म्युच्युअल फ़न्डो ने  भी जम कर बिकवाली की ! आन लाइन ट्रेडिंग की शुरुआत से ही मैं कंप्यूटर स्क्रीन देखने का अभ्यस्त  रहा हूँ , पर कल जिन शेयर्स को मैं स्क्रीन पर देख रहा था उनमे आई बिकवाली किसी भूचाल से कम नही लग रही थी !  कंपनियों के कमजोर नतीजे, बढ़ती बेरोजगारी, और चरमराती अर्थव्यवस्था कुछ चिंताएं तो अवश्य पैदा कर रही है !   कुछ बाजार विश्लेषक यह भी मान रहे हैं की ज्यादातर वितीय संस्थान अपनी स्थिति सपष्ट नही कर रहे हैं इस वजह से ये मंदी कितनी भयावह हो सकती है इस बात का अंदाज लगाना बड़ा मुश्किल हो रहा है !

 

कुछ लोग इस मंदी की तुलना  १९३० की महा  मंदी से करने लगे हैं ! वो मंदी भी अमेरिका से शुरू हुई थी ! अमेरिकी शेयर बाजार ने १९२३ में चढ़ना शुरू किया था और निरंतर बढ़ते हुए २४ अक्टूबर १९२९ धराशायी को हो गया था ! उस दिन उस समय के ५ अरब डालर साफ़ हो गए थे ! इसी क्रम में २९ अक्टूबर को फ़िर १४ अरब डालर लुट पिट गए ! १९३२ तक यह क्रम चला ! करीब ४० अरब डालर का नुक्सान और अनेकों  बैंको का दीवाला निकल गया ! हर तरह के उपाय किए गए पर कोई भी उपाय काम नही आया ! इस मंदी का असर सारे विश्व पर पडा ! और ये मंदी अभी तक महामंदी के नाम से जानी जाती रही है !

 

आज सुबह छुट्टी के मूड में यह तय किया था की अगले सप्ताह के २ हरयाणवी पोस्ट तैयार करके फीड कर देंगे, क्योंकि आने वाला सप्ताह दिवाली की वजह से कुछ व्यस्त रहेगा ! जैसे ही मेल बॉक्स खोला तो आई हुई रिपोर्ट्स पढ़ने के बाद  आपसे गप-शप करने को  बैठ गया !

 

और अंत में मुझे यहाँ आपसे एक बात और कहनी है की आज अचानक मुझे श्री राकेश झुनझुनवाला के एक इंटरव्यू की याद आगई ! राकेश झुनझुनवाला वो सख्स है जिसने उस समय शेयर बाजार में  कचरे के भाव ब्ल्यू-चिप शेयर खरीदे थे जब सब लोग शेयर बाजार से दूर रहने की सलाह दे रहे थे ! उस समय इस शख्श ने कहा था की आज शेयर बाजार खरीदी के काबिल है ! और लोग मुझे बेवकूफ समझ रहे हैं ! आज मैं खरीदने  का कह रहा हूँ और लोग बेचे जा रहे हैं ! जिस समय मैं बेचने का कहूंगा उस समय भी लोग मुझे बेवकूफ ही कहेंगे क्योंकि मैं उस समय शेयर बेच रहा होवुंगा और लोग खरीदी कर रहे होंगे ! और ये का ये ही हुवा ! पिछले साल जब ये शेयर बाजार अपने पीक पर था , तब  एक टी.वी. साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया  की आपने अपनी इन्वेस्टमेंट से करोड़ों रुपये कमा लिए हैं  और आप एक  सफलतम  शेयर व्यवसायी सिद्ध हुए हैं ! आप अब क्या टिप देंगे ?


उन्होंने कहा - मेरे हिसाब से अब बिकवाली करनी चाहिए ! अब खरीदने की सोचना तो आत्महत्या करने जैसा कदम होगा ! और लोग अब मुझे फ़िर बेवकूफ कहेंगे !  और ये ही हुवा ! लोग रुपये की पोटली उठाये शेयर बाजार में भागे चले आ रहे थे और राकेश झुनझुनवाला जैसे दूरदृष्टा अपना माल बेच कर चैन की बाँसुरी बजा रहे थे ! शायद इसी को दूरदृष्टी कहते होंगे !

साँप भी अब हुए शाकाहारी !

समय के साथ २ इंसान का झुकाव जोर शोर से शाकाहार की और हो रहा है ! ऐसे में नागराज कैसे पीछे रह सकते हैं  ?  नीचे की तस्वीरे देख कर तो ऐसा ही लग रहा है की नागराज ने भी अब चूहे और मेंढक खाना छोड़ कर शाकाहार अपना लिया है ! आराम से गोभी के फूल में बैठ कर गोभी भक्षण कर रहे हैं !  आपको शायद अचरज लग रहा होगा,  पर तस्वीर पर चटका लगा कर ख़ुद देख लीजिये ! जय हो शाकाहार की ! 


 
 

ग्राहक मेरा देवता अमेरिका बनाम भारत

पिछले सप्ताह एक लिंक मित्र पित्स्बर्गिया ने मुझे भेजी थी  सृजन गाथा में छपी उनकी रचना    "ग्राहक मेरा देवता"   की ! मेरा अनुरोध है की आप उस लेख को जरुर पढ़ें ! मेरे साथ  एक अमेरिकी कम्पनी और एक  नामी भारतीय कम्पनी द्वारा किए गए व्यवहार का नमूना आप देखेंगे तो उपरोक्त लेख की सत्यता आप समझ पायेंगे !

 

आज से सात साल पहले एक स्केनर एच .पी. ( अमेरिकी) कम्पनी से खरीदा ! वारंटी पीरियड में ख़राब होने पर यहाँ पर कम्पनी के सर्विस सेंटर भेजा ! सर्विस सेंटर का कांट्रेक्ट यहाँ किसी इंडियन लोकल कम्पनी के पास था  ! उसने खूब परेशान किया ! ज्यादा तकादा करने पर वो एक पुराना स्केनर दे गया की ये आपका सुधर गया है ! मेरे द्वारा पूछने पर की ये मेरा स्केनर नही है वो बोला - आपको तो चालु हालत में मिल रहा है ना ! मैंने कहा भाई ये तो बहुत पुराना है आप तो मेरे वाला ही सुधार कर दे दो ! वो उसने साफ़ मना कर दिया ! मैंने उसके व्यवहार से खीज कर नेट पर कम्पनी के उच्च स्तर के जितने भी इ-मेल एड्रेस मिले , सबको मेल कर दिया इस गंदे व्यवहार के बारे में ! २४ घंटे बाद एक फोन आया ! वो बड़े सभ्य तरीके से बोला - सर मैं एच.पी. कमपनी के दिल्ली आफिस से बोल रहा हूँ ! आपको हुई तकलीफ के लिए माफी चाहूँगा ! कल आपके पास नया ब्रांड न्यू स्केनर पहुँच जायेगा और जिस वेंडर ने आपसे बदतमीजी की है वो माफी भी मांगेगा ! और ऐसे का ऐसा ही हुआ  ! ताज्जुब हुआ कम्पनी के उच्च अधिकारी ने कोई सवाल जवाब नही किए !   

 

अब एक दूसरा भारतीय कम्पनी का ताजा उदाहरण देखिये !

 

मेरे पास एक ब्रोड्बैंड कनेक्शन है एयरटेल कम्पनी का ! उसका फिक्स बिल टेक्स सहित रु. २२८३=०० प्रति माह है ! यानी तकरीबन रु.७५=०० प्रति दिन ,  उपयोग अनलिमिटेड और स्पीड बहुत शानदार ! एम्.पी.छतीसगढ़ के सब नेटवर्क के फोन फ्री हैं !

 

७ अगस्त २००८ को शाम को ७ बजे ब्रोडबन्ड  कनेक्शन बंद ! फ़िर एक मेसेज फ्लैश हुआ, कृपया नजदीकी भुगतान केन्द्र पर बिल जमा करे ! आफिस में चेक करवाया , सब पेमेंट समय से किया हुआ है ! इतनी देर में फोन भी आउट गोइंग बंद ! कम्पनी का काल-सेंटर भोपाल में है ! एस.टी.डी. से फोन लगाया ! बताया गया की भुगतान बकाया नही है , आपने फोन बंद करवाने की मेल की है ! इस सब में रात की ११ बज गई ! मैंने उनको कहा - भाई क्यूँ परेशान कर रहे हो ? चालु करवा दो ! ब्लागिंग बंद हो गई है ! और जैसे दारु पीने का समय होते ही नही मिले तो कितना गुस्सा आता है ? उतना ही गुस्सा आया ! इच्छा हुई इनके हाथ पैर ताई से लट्ठ ले के सीधे कर दूँ !  किसी तरह डायल-अप कनेक्शन से कोशीश की ! पर मजा नही आया ! और काल -सेंटर वाली मैडम ने रूखे सूखे  भूतिया लहजे में कह दिया - अब जो भी होगा , कल होगा , आपका रिफरेन्स न. xxxx नोट कर लीजिये !  

 

अगले दिन नेट से सम्बंधित सारा आफिस का काम रिलायंस/बी.एस.एन.एल के फोनों द्वारा निपटाया गया ! और इनके काल सेंटर को भी तगादा करते रहे ! ३/४ बार इनके हायर आफीसर्स से मुम्बई  भी बात करनी पडी ! इन सब में और दिन भर का आफिस का काम निपटाने में करीब हजारेक रुपये का नश्तर हो गया होगा ! अगले दिन करीब ५ बजे इनकी समझ में आया की मरीज की दायीं टांग की जगह बाँई टांग काट  दी  गई है ! तब बोले - सर बहुत जल्दी वापस चालु करवा देंगे ! और रात को फोन वापस चालु हो गया !

 

अब इस दरम्यान जो खतो-किताबत हुई थी उसके जवाब में एक मेल आया की आपके संतुष्टी के लेवल तक आपकी कम्प्लेन हल कर दी गई है ! अभी तक तो सब ठीक था ! हम भी अपने ब्लॉगर मित्रो के संपर्क में आ चुके थे ! और यह बात भूल ही चुके थे ! पर जब इनका मेल देखा तो हमको अपना ताऊपना याद हो आया ! और बीती रात की परेशानी भी ! सो एक फड़कता हुआ मेल हमने लिखा की मेरे सेटिक्सफ़ेक्शन के लेवल तक नही हुआ है ! मेरा सेटिक्सफ़ेक्शन तब होगा , जब आप एक हमसे क्षमा माँगने के लिए मेल लिखे ! 

 

अगले दिन एक फोन आया बड़ी मीठी आवाज में ! हम धन्य हुए ! वो बोली - देखिये सर , इसमे क्षमा माँगने वाली बात तो कोई है ही नही ! गलती है , हो जाती है ! और हमारा पारा ज्यों ज्यों वो बोलती गई , बढ़ता गया ! आख़िर उसने कहा - देखिये सर , बहसियाने से कोई सार नही निकलेगा ! आपका फोन एक दिन बंद रहा है , हम आपका एक दिन का रेंट अगले बिल में करीब पचहतर रु. कम कर देंगे ! अब तो हद हो गई ! मैंने कहा - अगर  ये बात है तो मेरा खर्चा एक हजार का है ! वो कम करवा !

 

अब साहब हम मेल करते रहे और वो फोन करते रहे ! आख़िर उनके समझदार अफसर ने कहा आपको हम तीन हजार तक दे सकते हैं ! पर आप हमें बिल दे दीजिये ! मैंने कहा - भाई बिल कहाँ से लाऊं ? ये बड़ा मुश्किल है ! और मेरे को झूंठे बिल देना किसी भी कीमत पर गवारा नही है ! हम अब सुधर चुके हैं ! ऐसा काम नही करेंगे ! और उसने बोला - आप जानो ! और फोन बंद हो गया ! उसके बाद हमने देखा की हमारे पिछले सप्ताह आए बिल में रु. ७५ का क्रेडिट हमको दे दिया !

 

अब आपको मैं सही और ईमान दारी से बताऊँ की कम से कम ८०० से १००० रु.   मेरे कम से कम इस डिसकनेक्शन की वजह से फालतू खर्च हुए हैं और मानसिक क्लेश अलग से !

 

अब ७५ रु. का क्रेडिट बिल में देख कर ताऊ का दिमाग सटक गया ! आप ही सोचो ७५ रु. में तो ताऊ का एक  लट्ठ भी नही आता ! सो हमने १२ अक्टूबर को एक मेल किया जिसका मजमून ज्यों का त्यों छाप रहे हैं !इस मेल में हमने लिखा की मेरे खाते से ये ७५ रु. निकाल कर तुम्हारे सेठ  श्री सुनील भारती मित्तल  को  दे देना ! मार्केट की मंदी की वजह से उसकी गरीबी कम होने में मदद हो जायेगी ! इस मेल का  ओरिजिनल टेक्स्ट नीचे है ! 

 

to wecare.west@airtel.in

date Sun, Oct 12, 2008 at 6:47 PM
subject Re: Sensless and irresponsible act on your part!

 

Dear Sir
You have given me a credit of Rs. 75/- against this complaint without consulting me. Do you people have any shame or not ?


Although my total expense is of Rs. 1000/- above towards this irresponsible act of yours. Atleast you should have thought that your call centre is chargeable from other phone, I had to spend Rs. 150 above just to call your call centre.
Please take this 75/- from my account and give it to Mr. Sunil Bharti Mittal immediately as he might have become very poor due to the recent market crash.. this will help him a lot.. not me.


Despite asking again and again from your call centre, you people are not giving me the email address of any higher authority, so I request you to make sure you tell me his/her email id in your next mail.


The kind of games you are playing are forcing me to forward the issue to the media, if there are any moral values remaning in you, then do forward this mail to your seniors.


regards

 

इस मेल के बदले में तुंरत एक ओटोमेटिक मेल आया की अगले २४ घंटो में आपसे संपर्क किया जायेगा ! पर २४ घंटे बाद तो नही पर ४८ घंटे बाद ये मेल आया है की जल्दी ही उनका आदमी संपर्क करेगा ! अब उनका आदमी संपर्क कर के क्या करेगा ? ये आप भी जानते हैं ! उनका ओरिजिनल मेल इस प्रकार है !

 

dateTue, Oct 14, 2008 at 5:11 PM
subjectRe: Re: Re: Sensless and irresponsible act on your part!
mailed-byairtel.in

 

Thank you for writing to Airtel Telemedia Services.

With reference to your mail dated  13th October 2008, we would like to

inform you that our representative would get in touch with you shortly.

For any further assistance please feel free to call our Call Center number
121 /4444121 which is accessible 24 hours or email us at
wecare.mp@airtel.in

Assuring you the best of our services at all time

 

Have a nice day.

Regards,
Vinay Kumar
Customer Care MPCG.

 

सवाल ये है की क्या भारतीय कंपनिया कस्टमर सेटिसफ़ेक्शन में उन मानको को कभी छू भी पाएँगी ? ! यकीन मानिए इस घटना से मुझे इतनी तकलीफ पहुँची है की मैं अपने आपको चोर समझने लगा हूँ ! मैं परेशान हुवा , मैंने आर्थिक नुक्सान उठाया और मेरे ही देश की कम्पनी ने मुझे बेईमान समझ कर ७५ रु. का जूता मेरे मत्थे मार दिया  ! और एक फिरंगी कम्पनी ने मेरी बात मानते हुए मेरी नैतिकता और विश्वास को बढावा दिया !

ताऊ ने करवाया ताई और भैंस का बीमा

बीमा एजेंट बड़ा मायूस हो गया , जब ताऊ से उसका बीमा का काम नही बना ! पर ताऊ के दिमाग म्ह तो खुराफात ही चल री थी ! इब ताऊ उस एजेंट तैं बोल्या   -- अरे तू एक काम कर ! मेरा बीमा करना तो छोड़ और तू मेरी लुगाई का और भैंस का बीमा करदे ! इब एजेंट तो हो गया बिल्कुल खुश ! और जितना भी बड़ा बीमा हो सकता था ! उतना बड़ा बीमा ताई का और ताऊ की भैंस का करके चला गया ! इधर ताऊ ने प्लान बना रक्खा था ! उसी के अनुसार उसने इतने बड़े २ बीमे करवाए थे !

 

इब ताऊ के चैन तैं बैठण आला था ? दो तीन महीने हुए भी नही थे की ताऊ ने अपनी लुगाई और भैंस को अपनी ससुराल यानी ताई के मायके भेज दिया और ख़ुद पहुँच लिया पुलिस थाने में ! 

 

थाने में जाकै ताऊ बोला - थानेदार साब ! मेरी लुगाई और भैंस मर गी सै ! रपोर्ट लिख ल्यो ! इब थानेदार नै पूछी की ताऊ क्यूँकर मर गी ? के बेमारी हुई थी ? ताऊ बोल्या -- जी ये तो मन्नै मालुम नही , पर बस  उनकी उम्र पुरी हो ली थी सो वो दोनु एक ही साथ मर ली !  थानेदार को बड़ा आश्चर्य हुवा और उसको कुछ शक पड़ गया ! इधर ताऊ भी दुनियादारी के धक्के खा खा के होशियार हो चुका था ! सो थानेदार के साथ गाम आली भाषा में तोड़ कर लिया ! यानी दान-दक्षिणा दे के रपोर्ट लिखवा कर आगया ! और बीमा कम्पनी म्ह क्लेम लगा दिया ! 

थोड़े दिन में ताऊ का क्लेम पास हो गया और ताऊ ने सारे रुपये क्लेम के हथिया लिए ! और थोड़े दिनों बाद ताई को और भैंस को वापस बुलवा लिया !  उसने पहचान छुपाने को भैंस के सींग तोड़ डाले और उसकी पूंछ काट डाली ! लेकिन गाम में ताऊ से जलने वाले भी कई थे ! उनसे ये सहन ही ना हो री थी की ताऊ जिंदा बैठी ताई के नाम से क्लेम लेके मजे करण लाग रया सै !

 

उन लोगो ने बीमा कम्पनी म्ह जाकै शिकायत दर्ज करवा दी ! और बीमे कम्पनी वालो ने पुलिस थाने में रपोर्ट कर दी ! और वो पुलिस लेके ताऊ के घर तफ्तीश करने आ धमके ! इब पुलिस वालो ने बड़े ध्यान से भैंस को देखा और बोले -- ताऊ ये भैंस तो वो नही सै  जिसका बीमा करवाया था ! सो इसका क्लेम तो ठीक सै ! इब ताई नै बुला !  ताई को देख कर पुलिस आले बोले -- अरे ताऊ ये तो वो की वो ताई सै ! ये तूने बहुत बड़ा जुल्म करया सै !  बोगस क्लेम और धोखाधडी का केस बनेगा !

 

इब ताऊ बोल्या -- भाई मैं तो थारी ताई को भी इस भैंस जैसी ही बना देता , पर क्या करूँ ? ना तो थारी ताई के सींग सै और ना ही पूंछ सै !

बाजार की वर्तमान तेजी के सन्दर्भ में !

कल से दुनिया भर के शेयर बाजार रिकार्ड तोड़ तेजी में हैं ! यहाँ एक सतर्कता भी जरुरी है ! सभी देशों की सरकारों ने भी उपाय किए हैं ! अच्छा है सब कुछ आशा के अनुरूप हो ! हमारे भारतीय शेयर मार्केट के सन्दर्भ में एक बात का ख्याल हमको अवश्य रखना चाहिए की यहाँ पर विदेशी निवेशको द्वारा की जाने वाली संभावित सेल तेजी के गणित को प्रभावित कर  सकती है ! 

अगर आंकडो में मोटे तौर पर देखें तो फिरंगियों का निवेश २८० बिलियन डालर का था ! इसमे से १० बिलियन डालर का माल बिक चुका है ! बचे हुए माल की कीमत अब सिर्फ़ ९० बिलियन डालर  के आस-पास  रह गई है ! अब ये जो ९० बिलियन डालर का माल है , ये जब तक बिक कर ४५ बिलियन डालर के आस-पास   नही रह जाता तब तक हर ऊँचे भाव पर सेलिंग प्रेशर आता रहेगा ! 
  
ये मैंने अपने मन की बात, जो महसूस की, वो बताई है ! बाक़ी आप अपने विवेक से काम ले और अपने निवेश सलाहकार की राय से काम करे ! 

ताऊ का बीमा करने आया बीमा एजेंट

ताऊ को भैंसों का धंधा भी चला नही ! पहली बात तो ये सरकारी अफसर ताऊ की खाट खडी करके राख्या करते थे ! कभी इसका फाइन दो कभी उसका जुरमाना दो ! इब ताऊ बिचारा क्या करे ? इब धीरे २ ताऊ की दो भैंसे मर गई ! इब बची भैंसों से बैंक की किश्त भी निकालनी मुश्किल हो गई ! और बैंक वालो ने दे दिया नोटिस की ताऊ , किश्त जमा करो नही तो भैंस जब्त करी जायेंगी ! ताई से सलाह करके ताऊ ने एक भैंस और काटडी ( भैंस की मादा बच्ची ) राख कै बाक़ी  सारी भैंस बेच दी ! और साथ में एक बीघा जमीन बेची तब जाकै बैंक आलो से पीछा छुटाया ! और आगे से बैंक वालो से कर्जा लेण की  कसम खाई ! ताऊ कै बाबू नै  भी समझाया था की कर्जा लेकै भैंस मत ले ! पर ताऊ नही माना !

 

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अब जो इतना घाटा हो गया , इसको किसी तरह भरपाई करण वास्ते ताऊ का दिन रात दिमाग चाल्या करता ! एक दिन ताऊ कै पास एक बीमा कम्पनी का एजेंट आया ! और वो बोल्या -- ताऊ बीमा करवाले ! ताऊ ने पूछा-- भाई यो बीमा के हौवै सै ? इब एजेंट ताऊ नै समझावन लाग ग्या बीमा कै बारे मैं ! इब आप तो जानते ही हो की बीमा एजेंट को एक बार लिफ्ट मिल गई तो वो अच्छे भले आदमी को ताऊ बणा देवै सै ! और यहाँ तो ताऊ बिल्कुल  रेडिमेड बना बनाया ताऊ था !  यहाँ बनाने क्या जरुरत ?

 

बीमा एजेंट बोला -- ताऊ ये पालिसी लेले ! यदि तू मर गया तो २ लाख पीछे से ताई को मिल जायेंगे ! और अगर थोडा ज्यादा किश्त देवै तो ये वाली लेले  , इस पालिसी मे तू मर गया तो तेरे घर आलो को ३ गुने पैसे मिल जायेंगे ! पर ताऊ का मूड नही देखके वो एजेंट बोला -- अरे ताऊ जी आप तो ये वाली पालिसी लेलो ! ये बिल्कुल नई आई है और बहुत बढिया है,  इसमै आप के मरते ही ५ गुना रुपया ताई को मिल जायेगा !

 

इब तो ताऊ कै घणा छोह (गुस्सा) उठग्या ! और वो एजेंट अपनी किताब में से नई पालिसी बताण खातर उचक्या और बोल्या -- ताऊ या देख बिल्कुल तेरे लिए जोरदार पालिसी .. ! ताऊ बीच मे ही टोकता हुवा बोल्या--अरे भाई एजेंट तू या तेरी एजेंटी तो छोड़ अर.. मन्नै या बता की तेरे धौरै कोई ऎसी पालिसी सै की नही, जिसमे तू मर जावै और पिस्से ( रुपये) मेरे को मिल जाए ! बावली बूच कहीं का...  एक घंटे से तू  मेरी जान के पीछे पडया सै ... !

अरे बेवकूफ यदि मैं ही मर गया तो तेरे रुपये पिस्से को मैं के चाटुन्गा ? तू तो कोई ऐसी पालिसी बता -- जिसमे मर तो कोई दूसरा जावै और पिस्से ( रुपये ) के मजे मैं लेलूं ! 

रोम जल रहा था, जोसेफ सिगरेट फूंक रहा था !

रोम जल रहा था  bse
नीरो चैन की बाँसुरी बजा रहा था
"जोसेफ सेम्युअल" आफिस के गलियारे में 
सिगरेट फूंक रहा था !

 

सेंसेक्स  १०८९ पाइंट गिर कर
शेयर बाजार में लोगो को झुलसा रहा था
तो फ़िर "जोसेफ सेम्युअल"  गलियारे में
सिगरेट क्यूँ फूंक रहा था ?

 

मैंने पूछा , ये क्या हो रहा है ?
वो बोला,  क्या करूं,   सर ?
फूँकने को अब  कुछ बचा ही नही 
इसलिए सिगरेट फूंक रहा था  !

क्या होगा लिंग अनुपात का भविष्य ?

Monday, October 06, 2008 को  "कुश की कलम"  पर   "शहर की बदनाम गलियो में कोई दरवाजा खटखटा रहा है." एक पोस्ट .पढी थी ! उस पोस्ट की सटीकता उस वक्त नही समझ पाया था ! कुश भाई ने २०८० का टाइम फ्रेम देकर कुछ भरमा दिया था ! उनकी बात के लिए इतनी दूर जाने की जरुरत ही नही पड़ेगी ! शायद मेरे और उनके विषय-वस्तु में कोई फर्क नही है ! मुद्दा एक ही है ! और  प्रत्यक्षत:  मुझे उसकी अनुभूती  तीसरे ही दिन दुर्गा नवमी को हो गई ! और ये तो गनीमत थी की इस कार्य का जिम्मा ताई का था ! सो कमी रह गई तो भुनभुना कर रह गई ! कहीं ये काम हमारे जिम्मे होता तो भाटिया जी वाला लट्ठ रूपी प्रसाद हमको मिलना ही था ! 

 

अब क्या था ? ताई का आदेश एलेवंथ आवर पर आया की कन्याओं का इंतजाम करो ! हम अपना काम काज छोड़ कर भाग लिए और  ताई के डर से हमने अपनी पूरी स्किल लगाकर नौ कन्याओं का इंतजाम कर दिया , वरना क्या होता ? ये बताने की जरुरत ही नही है ! इस ब्लॉग के माननीय पाठक ताई के लट्ठ का मतलब अच्छी तरह जानते है ! खैर. . अब असल चिंता पढिये !

 

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नवरात्र के दिनों में और खासकर आज नवमी के दिन कन्याओं को घर बुला कर बड़ी श्रद्धा और उत्साह से उनका पूजन किया जाता है ! उनको नाना पकवान का सुस्वादु  भोजन कराकर , उनके पैर पूज कर माँ. से आशीर्वाद की कामना की जाती है !
तत्पश्चात उनको यथा-शक्ति चूडी बिंदी , वस्त्र दे कर विदा करने की परिपाटी रही है !

 

अब इन कुछ सालों में यह बात यथेष्ठ रूप से नोटिस में आई है की - इसकी जगह निम्न सीन देखे जा रहे हैं !-


कुछ महिलाएं कार में मिष्ठान्न आदि लेकर , झौपड-पट्टी में जाती हैं - वहाँ गरीब बच्चियों में इस दिन उनका पूजन करके मिष्ठान्न दक्षिणा देकर चली आती हैं !

 

कई बार कोई घर में आकर पूछता है , आपके यहाँ कोई  लड़की है क्या ? हमको दुर्गा पूजन करना है ! उनको कन्या भोज में शामिल करना है !

 

पर इस बार दुर्गा-पूजन पर यह सोचने के लिए विवश होना पड़ रहा है की आख़िर ऎसी स्थिति आई क्यों ? हमारे बचपन में या कुछ समय पहले तक ये स्थिति नही थी ! बल्कि इतनी कन्याए अपने घर , आस-पडौस या मित्रो के यहाँ होती थी की तय संख्या से ज्यादा ही पूजन के लिए उपलब्ध रहती थी ! और उन बालिकाओं के पैर धोकर भोजन कराना एक आनंद-दायक कार्य रहता था ! और आज तो ये भी एक बड़ा कार्य हो गया की लड़किया कहाँ मिलेगी या कितनी कहाँ मिलेंगी ? अगर नही तो फ़िर चलो झौपड-पट्टी ! क्या इस तरह झौपड पट्टी में खाना बाँट कर माँ का पूजन संपन्न माना जायेगा ? मुझे तो बड़ी दुःख-दाई स्थिति लग रही है !

 

सोचने वाली बात है की ऐसा हुवा क्यों ? शायद पेट में ही कन्या भ्रूण को ख़त्म कर देने का परिणाम है की आज पूजन के लिए कन्याए नही मिल रही हैं ! और मुझे तो ऐसा लग रहा है की अगर हालात नही बदले या हमारी मानसिकता में कन्या भ्रूण के प्रति  रवैया नही बदला तो वो दिन दूर नही जब हम कन्या पूजन भूल कर जैसे पूजन में माँ की प्रतिमा रखते हैं वैसे ही नौ कन्याओं की भी प्रतिमा रख देंगे ! और उन कन्या प्रतिमाओं का पूजन करके संतुष्ट हो लेंगे ! 

 

मुझे इस बार के  नवरात्र-महोत्सव के दौरान कुश भाई की पोस्ट पढ़ने के बाद  ये बात कचोट रही है ! और मैं वाकई बहुत व्यथित हूँ इस बात को लेकर ! ( ये पोस्ट दुर्गा-नवमी को कन्याओं की कमी साक्षात अनुभव करने के बाद  लिखी थी )  

ताऊ पर लगा भैंसों का जुरमाना !

ताऊ का डकैती करण  का धंधा भी नही चाल्या ! क्योंकि बाणीये नै पंचायत बुला ली ! वो तो शुक्र करो की गाम आलो के दबाव म्ह बात पुलिस थानै तक नही पहुँची ! वरना ताऊ को इस बार अच्छी नप जाती ! गाम आलो कै और ताई कै समझावण से ताऊ नै इब बैंक तैं लोन काढ कर ५/७ भैंस खरीद ली और दूध बेचण का नया धंधा शुरू कर दिया !   

 

bhains

पर ताऊ भी क्या करै ? उसकी तो पहले ही खाट खडी रहती है और कुछ लोग कर देते हैं ! अभी कुछ ही दिन बीते होंगे चैन से दूध का धंधा करते हुए की एक दिन एक सरकारी अफसर आगया !

अफसर ने आते ही ताऊ से पूछा -- ताऊ तुम्हारी भैंसों को तुम क्या खिलाते हो ?
ताऊ बोला - भाई, हरी घास और  चारा ! कुछ बिनौले और जो जो भी भैंसों को खिलाया जाता है वो सब ताऊ ने बता दिया !
अब अफसर बोला -- मैं मेनका जी के एनजीओ से हूँ ! तुम भैंसों पर यानी जानवरों पर अत्याचार करते हो ! तुम जब ख़ुद रोटी सब्जी खाते हो तो भैंसों को भी बराबर के अधिकार से वो ही खिलाना चाहिए ! तुम्हारा दोष तुमने ख़ुद ही स्वीकार कर लिया है ! तुम्हारे ऊपर ये ५ हजार का जुरमाना लगा दिया है ! पकडो ये रसीद ! और वो अफसर ५ हजार लेके चला गया !

 

अब थोड़े दिनों कै बाद एक और अफसर आ गया ! और ताऊ तैं बुझण लाग ग्या के ताऊ बताओ तुम अपनी भैंसों को क्या खिलाते हो ? अबकी बार तो ताऊ तैयार था !
ताऊ बोल्या - अर् साहब जी .. मैं अपनी भैंसों को सबरे उठते  ही चाय पिलाता हूँ ! और उसके बाद जलेबी पोहे का नाश्ता कराता हूँ ! कभी नाश्ते में कचोरी समोसे भी बनवा देता हूँ ! आप ये मत समझना की एक ही मेनू रहता है ! फ़िर दोपहर लंच में चपाती, चावल , तीन सब्जी, दाल अरहर की, और लहसुन प्याज की चटनी ! और रोटी भी शुद्ध उनके घी में ही चुपडवाता हूँ ! फ़िर शाम को ४ बजे चाय के साथ एक फल जरुर खिलाता हूँ कभी सेव कभी नारंगी ! या फ़िर सीजनल !  और रात को फ़िर रोटी चावल और उड़द की दाल और रात को डेली एक मीठा जरुर खिलाता हूँ ! कभी आगरे के पेठे, कभी गुलाब जामुन, और कभी कभी काजू-बादाम-पिस्ता की बर्फी ! और हर सातवे दिन यानी रविवार को हलवा-पुरी या दाल-बाफले की फिस्ट  करवाता हूँ ! मैं इनमे और अपने में कोई फर्क ही नही समझता ! जो हम परिवार वाले खाते हैं वो ही ये खाती हैं ! एक ही जगह इनका और मेरे परिवार का खाना बनता है !  माई-बाप अब तो जुरमाना मत करणा ! चाहे आप कोई सी भी भैंस से बात करके पूछ लो अगर मैं झूँठ बोल रहा होवूँ तो !  ताऊ इतना बोल कर खुश हो रहा था की अब ये ससुरा क्या जुरमाना करेगा ? अपन ने तो खूब जोरदार मेनू बता दिया है ! 

 

अब तक छप-चाप सुण रहा वो अफसर बोला- मैं युएनओ से आया हूँ ! तुम को इतना भी नही पता की दुनिया में लोग बिना अनाज के मर रहे हैं और तुम भैंसों को अन्न खिला कर उन गरीब इंसानों का हक़ छीन रहे हो  ! शर्म नही आती तुमको ? अब तुमको इस अपराध के लिए १० हजार रुपये जुरमाना भरना पडेगा ! और उस अफसर नै दस हजार की रसीद काटी और रुपये लेकर चलता बना !  

 

इब कुछ दिनों कै बाद एक और अफसर आग्या ताऊ धौरे और पूछण लाग ग्या के ताऊ तू भैंसों नै के खिलाया करै सै ?
ताऊ नै पहले तो उसकी तरफ़ देख्या फेर थोड़ी देर सोच्या और बोल्या - भाई सुण अफसर, बात या सै की मैं रोज शाम नै दूध काढ कै इन भैंसों को पचास-पचास रुपये नगद दे दिया करूँ सूं ! इब तू जाकै  इन भैंसों को ख़ुद ही  बुझले की ये कौन सी होटल में   के चीज  खावें सै !

परेशान होकर ताऊ बना डकैत !

बात ऐसी हुई की उन दिनों म्ह ताऊ बेरोजगार घुम्या करै था ! घर म्ह भी किम्मै सामान पतर की तंगाई चल्या करै थी ! हालत किम्मै ज्यादा ही नाजुक हो लिए तो ताऊ नै तय कर लिया की इब आत्महत्या कर ली जावै तो ही घणी आछी बात सै !
सो ताऊ नै ये सोचकै एक मोटा सा रस्सा लिया और अपणा लट्ठ उठाकै चल दिया अपने कुए पर ! ताऊ का प्रोग्राम कुए पर जाकर वहाँ पीपल कै पेड़ तैं लटकने का था !  बस आज ताऊ जीवन लीला समाप्त करण आला था ! क्योंकि ताऊ हर काम मेहनत और इमानदारी से करता था ! फ़िर भी उसकी ये हालत थी तो क्या करता ? वैसे आजकल हर इमानदार  और मेहनती आदमी को सिवाए आत्महत्या के कोई चारा नही  दीखता !

 

रास्ते म्ह उसको एक डाकुओं आली  हिन्दी पिक्चर की याद आगई ! और ताऊ का दिमाग घूम गया ! ताऊ नै सोची की मरने में कितनी तकलीफ होगी ? और इससे अच्छा तो ये है की अपन तो डकैती शुरू कर देते हैं ! आज कै जमानै म्ह इसतैं बढिया और कोई बिजनस भी ना दिखै ! यो सुसरे सारे ही तो डकैती करण लाग रे सें अगर ताऊ भी टाबरां ( बच्चों ) खातर कर लेगा तो कुण सी आफत आज्यागी ? और ताऊ नै  इन की तरियां कोई उम्र भर तो करणी नही सै डकैती ! १० / २० बड़े हाथ मार कै इस धंधे नै जैरामजी की कर देगा ! तो अब ताऊ नै मरणा केंसिल कर दिया और शाम होण का इंतजार करण लाग गया !

 

जैसे ही थोडा अँधेरा हुवा  की  , ताऊ तो अपणा लट्ठ उठाकै गाम कै बाहर चल दिया ! शहर की तरफ़ जाण आले रास्ते म्ह उसको गाम का बाणियां मिलग्या !  गाम का बाणियां शहर में अपणा गल्ला आदि बेचकै वापस आवै था ! इब ताऊ और बाणीये
की राम राम श्याम श्याम हुई !

बाणीये नै आश्चर्य तैं पूछ्या -- ताऊ इस बख्त थम इत के करण लाग रे हो ?
इब ताऊ बोल्या - रे बाणीये के , सुन मेरी बात ! मैं बेरोजगारी तैं हो राख्या सूं घणा तंग ! खेताँ म्ह फसल किम्मै हुई नही सै ! सो भूखे मरण की नौबत आ री सै ! सो आज और इब्बी  तैं मन्नै  इमानदारी तैं डकैती का धंधा शुरू कर दिया सै ! और भाई इब आज शुरुआत थारे तैं ही करणी पड़ री सै ! सो आज मैं तन्नै लुटुन्गा !

 

इब बाणीये नै ताऊ की बात सुणी तो उसकी तो हवा निकल गई ! क्योंकि वो शहर से गल्ला बेचकर बहुत सारे नोट लाया था !  इब बाणीये चालाक तो होवें ही सै ! उसनै ताऊ को खुशामदी लहजे में कहा -- अरे चौधरी साब ! थम भी के कर रे हो ?  अरे ये सारे नोट थारे ही तो सें ! ल्यो थम पकडो इस थैली को ! मैंने राखे या आपने राखे , एक ही बात सै !

 

इब ताऊ बोल्या-- देख रे बाणीये के ! मेरी बात सुण ! मैं सब काम इमानदारी तैं करया करू सूँ ! तेरी मेरी छोड़ ! और तैयार होज्या लुटण खातर ! और मैं तेरे तैं कोई भीख नही लेन्दा  ! समझया नै ? मैं तो हर काम मेहनत और इमानदारी तैं करया करूँ सूं ! इब डकैती का धंधा करया सै तो वो भी इमानदारी तैं ही करूंगा ! और ताऊ नै पहले तो बनिए को उठाकर पटका ! फ़िर उसके सारे नोट छीन लिए ! उसके बाद उठाके ५/७ लट्ठ मारे ! और बोला - देख यो होवे सै डकैती करणा तो !

कर्णधार - लौह-पुरूष रतन टाटा

RatanTata with nano

 

नैनो मेरे जीवन का सपना है ! मैं कर्मचारियों के  भविष्य और भावनाओं को ठेस नही पहुँचने दूंगा ! कर्मचारियों का भविष्य  मेरे पास सुरक्षित है ! और सरकार द्वारा दिए गए धोखे के लिए मैंने उसको माफ़ कर दिया है !

 

 

सिंगुर मामले पर सरकार से इस  बुरी तरह धोखा खाने के बाद अगर कोई साधारण उद्यमी होता तो हार कर बैठ जाता ! जिस उद्यमी को  पूरा कारखाना ही उखाड़ना पड़ रहा हो , और वो आज कह रहा है नैनो को वक्त पर बाजार में लाने के लिए ! ऐसे दृढ़ निश्चयी उद्यमी के जज्बे को प्रणाम !  







अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

अक्सर ऐसा हो जाता है की हम अपने बारे में किसी दुसरे द्वारा कही बात को, अपने  मनघडंत डर से अपने बारे में ग़लत तरीके से समझ लेते हैं ! भले वो हमारे बारे में नही कही गई हो !  और परिणाम स्वरुप हम बिना बात दुःख पाते हैं ! आज की पोस्ट में देखिये ताऊ ने इसी बेवकूफी में पैसा भी गंवाया और ख़ुद अपनी ही बेवकूफी से इज्जत का भी फालूदा बनवा लिया !   

 

ये घटना किम्मै ज्यादा पुराणी सै ! बात उन दिनों की सै जब हम खेती बाडी करया करते थे ! और म्हारै बाबू के डर से हम खेत पै जाकै ताश पत्ते आला जुआ ५/७ जने मिलकै खेल्या करते थे दोपहर म्ह ! और म्हारा खेत भी बिल्कुल रोड के किनारे ही था और गाम से थोडा दूर ! और गाम म्ह म्हारै तैं ज्यादा पढा लिखा भी नही था कोई उन दिनों में ! सो गाम म्ह सब म्हारी इज्जत भी करया करै थे !  और हर अच्छे बुरे काम म्ह म्हारी सलाह आखरी सलाह हुआ करती थी गाम आलों के लिए !

 

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एक दिन दोपहर में हम कुँए पै बैठ कै ताश पत्ते खेल रहे थे ! तभी उधर तैं मंडली करण आले जावै थे ! उन दिनों में हमारे गाँवों में सांग, भजनी और मंडली बहुत लोक प्रिय थे ! कई लोगो का तो अब भी नाम चलता है ! पर अब वो बात नही रही ! मंडली में स्त्री पात्र भी पुरूष ही करते थे ! पर हम जिस समय की बात कर रहे हैं उस समय स्त्री पात्र करने  के लिए कुछ मन्डलीयो ने लड़कियां रख ली थी और उन मंडलियों की काफी डिमांड रहती थी ! शादी ब्याह में बरात के साथ यह भी रुतबे के लिए जरुरी था ! कोई ग्रामोफोन रिकार्ड बजाने वाले को ही ले जाता था ! और बुजुर्ग लोगो ने ऐसे ही मौको पर " काली छींट को घाघरों निजारा मारै रे" खूब सूना होगा ! इसका स्पीकर किसी ऊँचे से पेड़ पर लगा दिया जाता था ! यानी सब अपनी हैसियत के हिसाब से बरात के मनोरंजन का इंतजाम रखते थे ! और बरात भी ३ से ५ दिन तो ठहरती ही थी ! ज्यादा जिसकी जैसी श्रद्धा हो !    

 

अब म्हारै कुँए पर से होके जो मंडली जावै थी , उसके साथ भी दो लड़कियां नाच गाने के लिए थी ! और वो मंडली हमारे ही गाम में जा रही थी ! गरमी ज्यादा थी ! उनका सामान ऊँटो पर था और साथ म्ह एक रथ या भहैल बैलों वाली थी ! वो आकर वहाँ रुके !   सो हमनै भी   उनको पानी वाणी पिलाया ! उनके ऊँटो और बैलों ने भी पानी पीया ! फ़िर उस रथ में से दो सुंदर सी लड़कियां भी उतर कै आई और उनहोने म्हारी तरफ़ एक अजीब सी नजर तैं देख्या ! फ़िर वो  पानी पीकै वापस रथ म्ह बैठ गई ! रात को ही उनका प्रोग्राम था हमारे गाम म्ह ही ! और हम भी आमंत्रित थे उस जगह !

 

रात को हम सबतै अगली लाइन म्ह बैठे थे ! बिल्कुल स्टेज कै सामनै ! और चुंकी लड़कियां मंडली म्ह आई थी नाचने के लिए तो आसपास के गाँवों के लोगो की जबरदस्त भीड़ हो राखी थी ! खड़े होण की भी जगह नही थी ! जैसे ही वो नर्तकियां स्टेज पर आई , चारों तरफ़ सीटियाँ बजने लगी और लोग सिक्के नोट फेंकने लगे ! उस जमाने का इससे बढिया मनोरंजन नही था ! पुराने लोग तो इसको याद कर करके अभी रोमांचित हो रहे होंगे और नए शायद महसूस कर पाये ! मतलब मंडली म्ह महिला नर्तकी का होना भी उस समय आश्चर्य था ! सो भीड़ ऎसी मंडलियों में जुटती ही थी और जनता से कमाई भी तगडी होती थी !  

 

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जैसे ही नर्तकी स्टेज पर आई उसने ताऊ की तरफ़ झुक कर सलाम पेश किया ! ताऊ बड़ा हैरान परेशान ! फ़िर ताऊ ने सोचा की दोपहर ये अपने कुए पर पानी पीने रुकी थी सो शायद पहचान गई है अपने को ! अब सारंगिये ने जैसे ही सारंगी पर गज फेरा और नर्तकी  ने  घुंघरू बंधे बाएँ पाँव की जो ठोकर स्टेज पर मारी तो पब्लिक वाह वाह कर उठी ! सब झुमनै लाग गे ! और अब उसने गाना शुरू किया ... !दगाबाज तोरी बतियाँ कह दूंगी ... हाय राम .. कह दूंगी .... दगाबाज.....   उधर तबलची ने तबले पर तिताला मारा और नर्तकी लहरा गई ! ताऊ का कलेजा धक् .... अरे ये क्या गजब कर रही है ? बड़ी दुष्ट है ये तो ! ताऊ ने समझा की ये ताश पती से जुआ खेलते इसने देख लिया होगा कुँए पै ! और अब सबकै सामनै पोल खोल कै  इज्जत ख़राब करेगी !

 

ताऊ नै इज्जत कै डर कै मारै और किम्मै नही सुझ्या सो जल्दी तैं जाकै अपने जेब तैं सौ रपीये का नोट निकालकै उसको पकडा दिया ! ताकि वो राज को राज ही रहने दे ! उस जमाने में सौ का नोट ! अरे भाई कोई  किस्मत वाला ही उसके दर्शन कर पाता था ! सो नर्तकी नै सोच्या के ताऊ को गाना बहुत पसंद आया ! सो और लहरा लहरा कर गाने लग गई... दगाबाज... तेरी...बतियाँ  कह दूंगी ! ताऊ ने समझा की अब ये ब्लेक्मेकिंग पै उतर आई है ! सो जेब के सारेनोट देने के बाद अंगूठी भी रिश्वत में दे आया ! और वो समझती थी आज तो चोधरी साहब प्रशन्न होगे सो और झुमके गाना शुरू कर दिया ..दगाबाज तोरी...बतियाँ... कह दूंगी ! अब ताऊ क्या करे ?  घबरा गया बिचारा ! और उधर तो आलाप चालू था ! बतिया. कह दूंगी... हाय राम ...कह दूंगी .... जी कह दूंगी ! और अब ताऊ नै सोची की शायद इसकी नजर अब अपने गले की सोने की आखिरी बची चैन पर है सो उठकर वो सोने की चैन भी उस को दे आया ! 

 

अब क्या था ? अब तो मंडली का  मास्टर जो हारमोनियम बजाया करै था !  वो भी जम गया वहीं पर और हारमोनियम पर झूम उठा ! तबलची नै जो एक रपटता हुआ टुकडा फ़िर तैं बजाया तो पब्लिक तो झूम उठी ! और वो बेसुध होके गाये जारही थी.. दगाबाज   तोरी बतियाँ कह दूंगी.. !   हाय..हाय..राम  बतियाँ ..कह दूंगी...दगाबाज..तोरी... और वो बेसुध नाचे जा रही थी की पता नही अब ताऊ से और क्या महल दुमहल्ले लेना चाहती है !

 

इब ताऊ बिचारा परेशान हो गया और उधर जोर शोर तैं बतियाँ कह देने की धमकी मिले जा रही थी ! तो ताऊ से नही रहा गया और उठकर खडा होकै जोर तैं चिल्लाया -- अरे इब के म्हारै प्राण लेगी ? जेब खाली करदी , गात ( शरीर)  नंगा कर दिया ! बतियाँ बता दूंगी... बतियाँ बता दूंगी....  तो ले इब तू के बतावैगी ? मैं ही बता देता हूँ की हम कुँए पै बैठ कै जुआ खेल्या करते हैं ! इब तो हो गई तेरी मर्जी पूरी ?  

गुड गुड गोते खाती अर्थ-व्यवस्था

nasdaq इस साल के शुरुआत में ही अमेरिकी वित्त संकट का श्री गणेश हो चुका था ! इसकी वजह से विश्व के कई बडे बैंक बिक गये या दिवालिया हो गये ! सारे विश्व के शेयर बाजार अपने न्युन्तम पर आ गये हैं ! और अभी भी कोई निश्चित नही है कि भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है ? कल ही वितमन्त्री जी  ने कहा है की चिन्ता की कोई बात नही है ! हमारी अर्थ व्यवस्था मजबूत है ! और साथ मे पुछला ये भी जोड दिया कि जब दुनिया के बाज़ारो की मंदी खत्म होगी तो हमारी भी हो जायेगी ! वित मन्त्री जी, जब अपनी अर्थ व्यव्स्था मजबूत है तो फ़िर इस पुछल्ले को जोडने की क्या जरुरत है ? 

 

असली बात यह है की आज कोई माने या ना माने, सभी बाजारों की निर्भरता अमेरिकी और दुसरे दुनिय़ा के बाजारो से जुडी हुई है ! आज कोई भी इस धन्धे से सम्बन्धित व्यक्ति की रात को अगर नींद खुलती है तो "डो और नास्डेक फ़्युचर्स" की चाल देखे बिना वापस नींद नही आती ! आइये एक नजर अमेरिकी वित व्यवस्था की इस साल के शुरुआत से अभी तक के घटना क्रम पर नजर डालते हैं ! इससे समझ आयेगा कि खुद अमेरिकी सरकार कुछ भी बयान देती रही हो, वो सभी खोखले ही थे ! बी.एस.इ. सेंसेक्स १० जनवरी २००८ को २१२०६ था ! और आज १३०५५ है ! यानी की इसी साल में अभी तक  ८१५१ पॉइंट की ऐतिहासिक गिरावट हुई है ! स्थिति की भयावहता का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं !

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जनवरी २००८

रिस्की लोन का रुपया डुबने से तकलीफ़ मे फ़ंसी कन्ट्रीवाईड फ़ाइनेन्सियल को बैंक आफ़ अमेरिका ने ४ बिलियन डालर की मदद की ! यूबीएस ने फ़ंसे लोन की वेल्यु कम कर दी , इस तरह सब प्राइम से सम्बन्धित राइट डाउन्स बढ कर १८.५ बिलियन डालर हो गये !

 

फ़रवरी २००८

 

इंगलेंड के बैंक नार्दर्न राक को फ़न्डिग की कमी के चलते सरकार ने नेशनलाइज किया !

 

मार्च २००८

 

अमेरिकी इन्वेस्ट्मैन्ट बैंक जेपी मोर्गन चेज ने बेयर स्टेर्न्स को २ डालर प्रति शेयर के भाव पर खरीदा !

 

जुलाई २००८

 

हाउसिन्ग मार्केट को उबारने के लिये युएस ट्रेजरी एंड फ़ंड ने दो मार्टगेज फ़ाइनेन्स कम्पनियों फ़ेनी मे और फ़्रेडी मेक का ज्यादातर काम काज अपने हाथ मे लिया !

इसके बाद सितम्बर २००८ के उतरार्ध की खबरों ने तो सब कुछ जो अभी तक ढकने की कोशीसें थी उन पर पानी ही फ़ेर दिया ! और इसी महिने हमारे यहां भी आत्म हत्यायें तक हुई ! और परिदृष्य अभी भी सकारात्मक नही दिखाई दे रहा है !

 

सित्म्बर २००८

 

१५ सित्म्बर-- ९/११ के हमले के बाद वाल स्ट्रीट का सबसे खराब दिन ! लेहमन ब्रदर्स सबसे बडी बैंक-रप्सी मे फ़ंसी ! मैरिल लिंच को बैंक आफ़ अमेरिका ने आक्सीजन दिया ! दुनियां की सबसे बडी इन्स्योरेन्स कम्पनी एआईजी भी मुशिबत मे आई !

 

१६ सितम्बर २००८-- सरकारी बैंको ने वित संकट से दुनियां को बचाने के लिये अरबों

डालर मनी मार्केट मे झौंके !

 

१७ सितम्बर-- गोल्ड्मन सैक और और मोर्गन स्टेन्ली के शेयर औन्धे मुंह गिरे !

इंगलैन्ड की लायड टीएसबी ने राइवल एचबीओएस को खरीदा ! युएस सिक्योरिटिज

एन्ड एक्सचेन्जेज कमीशन ने शार्ट सेलिन्ग पर रोक लगाई !

 

१९ सितम्बर-- अमेरिका ने खतरनाक असेटस को खरीदने का इरादा जताया तो

सारी दुनियां के शेयर बाजारों मे फ़िर उम्मीद जागी !

 

२०-२१ सितम्बर कम्पनियो को उबारने के लिये ७०० बिलियन डालर का ऐलान !

गोल्ड्मैन सैक और मोर्गन स्टेनली ने इन्वेस्ट्मेन्ट बैंकर का काम छोड कर बैंक होल्डिन्ग

कम्पनियों मे तब्दील !

 

२२ सितम्बर-- जापान कि नोमुरा ने लेहमैन का एशिया का कारोबार ५२५ मिलियन डालर मे खरीदा ! बाद मे नोमुरा ने युरोप और मिडिल ईस्ट का कारोबार भी नाम मात्र की रकम के बदले हस्तगत किया !

 

२३ सितम्बर-- वारेन बफ़ेट ने गोल्डमैन सैक का ९ प्रतिशत हिस्सा ५ बिलियन डालर मे खरीदा ! एफ़बीआई ने फ़ेनी, फ़्रेडी, एआईजी और लेहमैन मे मोर्टगेज फ़्रौड की आशंका पर

जांच शुरु की !

 

२४ सितम्बर-- राष्ट्रपति बुश द्वारा फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर गहरे संकट की चेतावनी !

और इस संकट से सिस्टम को उबारने के लिये ७०० बिलियन डालर की सहायता का वचन !

 

२५ सितम्बर-- अमेरिका का सबसे बडा बैंक वाशिंगटन म्युच्युअल डुबा ! उसका एसेट्स जेपी मोर्गन चेज ने करीब २ बिलियन डालर मे खरीदा !

२९ सितम्बर-- २० और २४ सितम्बर को बुश द्वारा घोषित ७०० बिलियन की सहायता को अमेरिकी हाऊस ने खारिज किया ! फ़लत: सारी दुनिया के शेयर मार्केट औन्धे मुंह गिरे ! अभी भी स्थिति स्पष्ट नही है ! अगर आप शेयर मार्केट के खिलाडी हैं तो  किसी भी हालत मे लालच से दूर रहें ! अभी के हालात से मार्केट मे कुशन बिल्कुल नही है ! आप कहीं भी ट्रेप हो सकते हैं और अपनी गाढी कमाई से भी महरूम हो सकते हैं ! अगर आपको प्राइस यहां अटरेक्टिव लगती हैं तो सिर्फ़ उतने ही रुपये का माल खरीदे जो आप के पास सरप्लस मे हो ! किसी भी हालत मे इस स्थिति मे मार्जिन फ़न्डिन्ग मे नही उलझे ! और अपना शकुन बनाए रक्खें ! आशा ही कर सकते हैं आने वाला समय अच्छा होगा !

 

( डिसक्लेमर : ये किसी भी तरह किसी को भी दी गई राय नही है ! एक साधारण

तौर पर विश्लेषण है ! आप जो भी करना चाहे अपने अर्थ सलाहकार की राय लेकर करें )