ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल के मुख्य संवाद दाता रामप्यारे की ताऊ से इस बात पर झडप हो गयी कि रामप्यारे लाईव टेलिकास्ट के लिये घाटी नही जाना चाहता था बल्कि वो वहां पहुंचकर पीडितों की सेवा करना चाहता था. गुस्से गुस्से में ताऊ ने कह दिया कि सेवा ही करना है तो कहीं और जाकर नौकरी ढूंढ लो, यहां तो जो मैं कहूंगा वही करना पडेगा. तुम जाते हो तो ठीक वर्ना मैं कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा, तुम्हारे ना रहने से मेरा टीवी चैनल बंद तो नही हो जायेगा.
रामप्यारे बोला - ताऊ, देश में जब भी कोई बाढ आती है, भूकंप आ जाता है तो तुम इतने क्यों उचकने लगते हो? मुझे तुम्हारा व्यवहार समझ में नही आता. तुमको शर्म भी नही आती?
ताऊ बोला - अबे बेवकूफ़ रामप्यारे, तुम राजनिती और बिजनेस कभी नही समझोगे, तुम गधे हो और जीवन भर गधे ही रहोगे....जिसने की शर्म उसके फ़ूटे कर्म.....
रामप्यारे का अपने लिये गधा संबोधन उसको गुस्सा दिलाने के लिये काफ़ी था सो बीच मे ही बोला - ताऊ, उतराखंड की ये त्रासदी तो आम आदमी और वहां फ़ंसे हुये लोग झेल रहे हैं, इन सब प्राकृतिक आपदाओं के लिये आम इंसान तो जिम्मेदार है नही, बल्कि असली जिम्मेदार तो पर्यावरण को नष्ट भ्रष्ट करके प्रकृति का संतुलन बिगाडने वाले तुम जैसे राजनैतिक नेता और तुम्हारा व्यापारिक गठजोड ही जिम्मेदार है.
ताऊ बोला - अबे गधे के गधे, तू सिर्फ़ और सिर्फ़ गधा ही रहेगा, जा जल्दी से वहां जाकर ढाबा खुलवा दे....
रामप्यारे खुश होगया और बोला - वाह ताऊ, अब तुमने सही बात की है केदार घाटी मे ढाबा यानि लंगर खुलवाकर लोगों की मदद करने की.
ताऊ बोला - अबे उल्लू के चर्खे....सुन लंगर सिर्फ़ नाम का होगा...लंगर में कुछ मिलना नही चाहिये, सिर्फ़ वाहवाही के लिये....जिससे हमारा नाम हो जाये...असली खेल तो इसके पीछे यह करना है कि इसकी आड में वहां पानी 200 रूपये की एक बोतल, रोटी 75 रूपये की एक, बिस्किट का पेकेट 100 रूपये, कट चाय 80 रूपये, काफ़ी 100 रूपये बिकवावो.
रामप्यारे बोला - पर ताऊ यह तो अन्याय और नरक में जाने के काम हैं.....वहां लोगों के तन पर कपडे ही नही हैं तो उनसे रूपये कहां से वसूलोगे?
ताऊ बोला - अबे राम के प्यारे रामप्यारे, तू तो इसकी चिंता मत कर, वहां जाकर दुकान लगा और सामान बेचना शुरू कर दे. मेरे लठैत तेरे पीछे पीछे ही रहेंगे, यदि कोई पैसा नही दे पायेगा तो उनके जेवर अंगुठी उतरवा लेंगे. अब तू फ़टाफ़ट जा और हाथ आया मौका मत गंवा.....मैं जरा हैलीकाप्टर से वहां का दौरा करके आता हूं....चुनाव सामने हैं...जरा जनता को भी लगना चाहिये कि हम उनके साथ हैं.
रामप्यारे बोला - ताऊ, यदि जनता के साथ ही रहना चाहते हो तो हैलीकाप्टर से क्यों जा रहे हो? जैसे बाढ के समय आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री खुद पानी में उतरकर लोगों के साथ काम करने लग गये थे वैसे ही तुम भी लग जावो.
ताऊ बोला - रामप्यारे, तुम ज्यादा बकवास मत करो, ये आस्ट्रेलिया नही बल्कि भारत है और यहां नेता लोग जब तक हवाई दौरा नही करले तब तक नेता गिरी नही दिखती. तू जरा ढाबे का काम जल्दी शुरू करवा, कनमोहन सिंह और कोनिया बांधी तो कब के वहां 15,000 फ़ीट ऊपर चक्कर काट आये... और मैं अभी तेरे साथ ही सर फ़ोड रहा हूं...जरा देख..हैलीकाप्टर आ गया या नही? कहीं हवाई दौरे में हम और हमारी पार्टी पीछे ना रह जाये.
रामप्यारे अवाक खडा देख रहा था तभी ताऊ बोला - और हां अपनी "ताऊ कैट एयरवेज" के सारे हैलीकाप्टर भी वहां से लोगों को लाने में लगवा दो.
रामप्यारे बोला - ताऊ, ये तो तुमने बडी पुण्य कमाने की बात कही, वहां फ़ंसे बेसहारा लोगों को निकालने से बडा पुण्य क्या होगा? मैं अभी हैलीकाप्टर भिजवाने की व्यवस्था करता हूं और उनको कहता हूं कि लोगों को मुफ़्त में वहां से लेकर आयें.
ताऊ चिल्लाया - अबे गधे मुफ़्त में नही, सिर्फ़ उन्हीं माल दार लोगों को लाना है जो मुंह मांगा किराया हमें दे सकें....यही तो मौका है माल कमाने का.
रामप्यारे बोला - ताऊ, देश में जब भी कोई बाढ आती है, भूकंप आ जाता है तो तुम इतने क्यों उचकने लगते हो? मुझे तुम्हारा व्यवहार समझ में नही आता. तुमको शर्म भी नही आती?
ताऊ बोला - अबे बेवकूफ़ रामप्यारे, तुम राजनिती और बिजनेस कभी नही समझोगे, तुम गधे हो और जीवन भर गधे ही रहोगे....जिसने की शर्म उसके फ़ूटे कर्म.....
रामप्यारे का अपने लिये गधा संबोधन उसको गुस्सा दिलाने के लिये काफ़ी था सो बीच मे ही बोला - ताऊ, उतराखंड की ये त्रासदी तो आम आदमी और वहां फ़ंसे हुये लोग झेल रहे हैं, इन सब प्राकृतिक आपदाओं के लिये आम इंसान तो जिम्मेदार है नही, बल्कि असली जिम्मेदार तो पर्यावरण को नष्ट भ्रष्ट करके प्रकृति का संतुलन बिगाडने वाले तुम जैसे राजनैतिक नेता और तुम्हारा व्यापारिक गठजोड ही जिम्मेदार है.
ताऊ बोला - अबे गधे के गधे, तू सिर्फ़ और सिर्फ़ गधा ही रहेगा, जा जल्दी से वहां जाकर ढाबा खुलवा दे....
रामप्यारे खुश होगया और बोला - वाह ताऊ, अब तुमने सही बात की है केदार घाटी मे ढाबा यानि लंगर खुलवाकर लोगों की मदद करने की.
ताऊ बोला - अबे उल्लू के चर्खे....सुन लंगर सिर्फ़ नाम का होगा...लंगर में कुछ मिलना नही चाहिये, सिर्फ़ वाहवाही के लिये....जिससे हमारा नाम हो जाये...असली खेल तो इसके पीछे यह करना है कि इसकी आड में वहां पानी 200 रूपये की एक बोतल, रोटी 75 रूपये की एक, बिस्किट का पेकेट 100 रूपये, कट चाय 80 रूपये, काफ़ी 100 रूपये बिकवावो.
रामप्यारे बोला - पर ताऊ यह तो अन्याय और नरक में जाने के काम हैं.....वहां लोगों के तन पर कपडे ही नही हैं तो उनसे रूपये कहां से वसूलोगे?
ताऊ बोला - अबे राम के प्यारे रामप्यारे, तू तो इसकी चिंता मत कर, वहां जाकर दुकान लगा और सामान बेचना शुरू कर दे. मेरे लठैत तेरे पीछे पीछे ही रहेंगे, यदि कोई पैसा नही दे पायेगा तो उनके जेवर अंगुठी उतरवा लेंगे. अब तू फ़टाफ़ट जा और हाथ आया मौका मत गंवा.....मैं जरा हैलीकाप्टर से वहां का दौरा करके आता हूं....चुनाव सामने हैं...जरा जनता को भी लगना चाहिये कि हम उनके साथ हैं.
रामप्यारे बोला - ताऊ, यदि जनता के साथ ही रहना चाहते हो तो हैलीकाप्टर से क्यों जा रहे हो? जैसे बाढ के समय आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री खुद पानी में उतरकर लोगों के साथ काम करने लग गये थे वैसे ही तुम भी लग जावो.
ताऊ बोला - रामप्यारे, तुम ज्यादा बकवास मत करो, ये आस्ट्रेलिया नही बल्कि भारत है और यहां नेता लोग जब तक हवाई दौरा नही करले तब तक नेता गिरी नही दिखती. तू जरा ढाबे का काम जल्दी शुरू करवा, कनमोहन सिंह और कोनिया बांधी तो कब के वहां 15,000 फ़ीट ऊपर चक्कर काट आये... और मैं अभी तेरे साथ ही सर फ़ोड रहा हूं...जरा देख..हैलीकाप्टर आ गया या नही? कहीं हवाई दौरे में हम और हमारी पार्टी पीछे ना रह जाये.
रामप्यारे अवाक खडा देख रहा था तभी ताऊ बोला - और हां अपनी "ताऊ कैट एयरवेज" के सारे हैलीकाप्टर भी वहां से लोगों को लाने में लगवा दो.
रामप्यारे बोला - ताऊ, ये तो तुमने बडी पुण्य कमाने की बात कही, वहां फ़ंसे बेसहारा लोगों को निकालने से बडा पुण्य क्या होगा? मैं अभी हैलीकाप्टर भिजवाने की व्यवस्था करता हूं और उनको कहता हूं कि लोगों को मुफ़्त में वहां से लेकर आयें.
ताऊ चिल्लाया - अबे गधे मुफ़्त में नही, सिर्फ़ उन्हीं माल दार लोगों को लाना है जो मुंह मांगा किराया हमें दे सकें....यही तो मौका है माल कमाने का.
ताऊ जबरदस्त धोया है .........
ReplyDeleteराम राम !!
अब यहाँ अन्याय करके ख़ुशी-ख़ुशी नरक में कूदने पर ही जीवन की सार्थकता को सिद्ध किया जाता है. क्या खूब कहा है.
ReplyDeleteचक्षु अनावरण संवाद
ReplyDeleteताऊ देर कर दी, ये सब काम तो वहा के कुछ लोग ( हा मदद करने वालो की भी संख्या कम नहीं है ) पहले ही कर रहे है , बल्कि कुछ तो दो कदम आगे निकल गए कुछ तो तीर्थ यात्रियों को लुट रहे है उनके साथ मारपीट कर रहे है , अब तो अखबार में पढ़ी वो खबर भी सच लगने लगी जिसको मै पहले झूठ मान रही थी की कुछ लुटेरे लड़कियों और महिलाओ को भी खीच कर अपने साथ जंगल में ले गए जिनका कुछ पता नहीं है , आप ये कर के नरक जायेंगे सोचिये मुसीबत के मरो के साथ उससे ज्यादा करने वालो को भगवान कहा रखेगा , अब भगवान् को नरक के से भी भयंकर जगह बनानी होंगी , अब मान लेना चाहिए की इनसानियत अब किताबी शब्द है :(
ReplyDeleteताऊ , इतनी दूर जाने की क्या ज़रुरत है ? यहाँ दिल्ली में आ जाओ , यमुना पुश्ते पर अनेक टेंट लगे हैं , नदी में रहने वालों के लिए। भावी एम् एल ऐ तो सेवा में जुट भी गए हैं।
ReplyDeleteलगता है , भगवान ने सब के लिए छप्प्पर फाड़ा है।
ReplyDeleteगजब का व्यंग्य
ReplyDeleteऐसी विपत्ति के समय जन और प्रशासन दोनों का चरित्र सामने आ जाता है ...... खरी खरी कही आपने
ReplyDeleteआपदा ग्रस्त लोगों की कौन सुधि ले रहा है ....
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य !
साभार !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-06-2013) के चर्चा मंच -1285 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteKul milakar matlab ye ki raajnetaa ki hee taang oopar rahegee !!
ReplyDelete.रोचक .सराहनीय प्रस्तुति आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteदुखद लेकिन सत्य ...
ReplyDelete
ReplyDeleteताऊ सा के सौजन्य से जबरजस्त व्यंग्य राजनीति के धंधेबाजों पर।पुष्पक में मंडराते रावणों पर .आपदा प्रबंधन पर .आपदा प्रबंधन गणेश रोबो पर .
ताऊ का ढाबा ...
ReplyDeleteपानी की एक
बोतल २०० रुपये
एक रोटी ७५ रुपये
एक कप चाय ८० रुपये
एक कप कॉफी १०० रुपये
राजनीती की आड़ में
हवाई सर्वेक्षण कर
बाढ़ पीड़ितों की
ताऊ कर रहे है
सेवा खाकर
मेवा ...!
खरी- खरी !
ReplyDeletesorry ......"बिस्किट का पैकेट तो
ReplyDeleteभूल ही गए है "
जबरदस्त पोस्ट है !
राजनीति पर करारा व्यंग्य .... ऐसी आपदा की घड़ी में भी नेता अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं ।
ReplyDeleteधन्य हो ताऊ महाराज ....
ReplyDeleteखरी खोती सुना दी ... अब वो जागें तो कोई बात हो ...
समाचार विषाद लेेकर आता है।
ReplyDeleteएक बात तो तय है कि रामप्यारे रहेगा निरा गधेड़ा ही, ये न तो नेता बन सकता है न धंधेबाज़
ReplyDeleteतीखा व्यंग्य..
ReplyDeleteवास्तविक हालातों पर एक सटीक व्यंग ...
ReplyDeleteबड़ी चुभन भरी है इस व्यंग्य में -'ये आस्ट्रेलिया नही बल्कि भारत है'...और ये जापान भी नहीं भारत है और इसे ऐसा बनाया है यहाँ के लोगों ने !
ReplyDeleteअगली पोस्ट प्रतीक्षित रहती है आपकी .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteआपने बड़े ही भलमनसाहत से दिल के दरद को बयान कर दिया . बधाई
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ReplyDeleteसुन्दरम मनोहरं .शुक्रिया आपका मेहरबानी आपकी टिप्पणियों के लिए .
ReplyDeleteआपकी टिप्पणियाँ हमारी शान हैं शुक्रिया .बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए मुबारक बाद और बधाई क्या बढाया .ॐ शान्ति .
bahut sateek vaastvikta ka vrnan hai.
ReplyDeletebahut sateek vaastvikta ka vrnan hai.
ReplyDeleteखूब करारी चोट पड़ी है...
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