श्री ज्ञानदत्त जी पांडे जो कि ब्लागजगत के सम्माननिय और प्रथम पीढी के ब्लागरों में से एक हैं, और जो अपनी नियमित और सारगर्भित पोस्ट्स के लिये जाने जाते हैं, ने शायद सबसे पहले 3 dec. 2008 को अपनी पोस्ट यह ताऊ कौन है के द्वारा जिज्ञासा प्रकट की.
इसके पश्चात सभी ब्लागर्स में ताऊ शब्द एक पहेली बना रहा. मेरे ही शहर के सम्माननीय ब्लागर श्री दिलीप कवठेकर तो एक कदम और आगे जाते हुये हमारे शहर की उस पान की दूकान तक भी पहुंच गये जहां "कृपया यहां ज्ञान ना बांटे, यहां सभी ज्ञानी हैं" की तख्ती लगी है. वहां पूछताछ करने पर पान वाले ने ताऊ के विषय में अनभिज्ञता ही जताई. यदि कोई ताऊ होता तो वह बता पाता.
इस दरम्यान कुछ ब्लागर्स ने ताऊ से उसके आफ़िस/घर में मुलाकात का दावा किया पर अंतर सोहिल ने अपनी पोस्ट क्या हम असली ताऊ से मिले थे लिख कर वापस उन दावों को शक के घेरे में ला दिया.
ऐसा ही एक दावा डा. टी.सी. दराल ने अपनी पोस्ट "ताऊगिरी का इस्तेमाल करते हुये तनाव हटायें" में किया है कि वो ताऊ से एक बार मिले हैं लेकिन जिस ताऊ से मिले हैं उसकी शक्लो सूरत बिल्कुल जुदा थी. यानि बात यहां भी और उलझती नजर आ रही है.
इसी पोस्ट पर की गई अपनी टिप्पणी में सुश्री अल्पना वर्मा ने निम्न टिप्पणी करते हुये मामला कुछ सुलझाने की कोशीश की है.
बहुत सही लिखा है आप ने.
यूँ तो बहुत से लोग आज तक नहीं जान पाए हैं कि आखिर ये ताऊ कौन है?
फिर भी काफी लोग अब उनकी सही पहचान जानते हैं.
शुरू में तो लोग अंदाज़ा लगाते थे कि शायद कोई महिला है ,
या कोई जाना माना ब्लोगर छद्म नाम से लिख रहा है.
लेकिन सभी के अनुमानों पर पानी फेरते हुए उन्होंने अपना एक मुकाम बना लिया है.
अब यहाँ एक सशक्त पहचान हैं.उनका साक्षात्कार का कार्यक्रम भी बहुतों से परिचय करने में सक्षम रहा.
ताऊ पहेली तो यादगार है ही !
उन्हें ढेरों शुभकामनाएँ कि ऐसे ही सब को हँसाते -गुदगुदाते रहें.
यूँ तो बहुत से लोग आज तक नहीं जान पाए हैं कि आखिर ये ताऊ कौन है?
फिर भी काफी लोग अब उनकी सही पहचान जानते हैं.
शुरू में तो लोग अंदाज़ा लगाते थे कि शायद कोई महिला है ,
या कोई जाना माना ब्लोगर छद्म नाम से लिख रहा है.
लेकिन सभी के अनुमानों पर पानी फेरते हुए उन्होंने अपना एक मुकाम बना लिया है.
अब यहाँ एक सशक्त पहचान हैं.उनका साक्षात्कार का कार्यक्रम भी बहुतों से परिचय करने में सक्षम रहा.
ताऊ पहेली तो यादगार है ही !
उन्हें ढेरों शुभकामनाएँ कि ऐसे ही सब को हँसाते -गुदगुदाते रहें.
वैसे स्वयं ताऊ ने आज तक किसी भी दावे का समर्थन या खंडन नही किया है. जैसा कि सभी जानते हैं ताऊ को फ़ेसबुक के फ़ंडों का अभी कोई विशेष ज्ञान नही है, लेकिन आज अचानक फ़ेसबुक पर Like का चटका लगाते लगाते गलती से खुद के मेसेज बाक्स पर तगडा चटका लग गया और निम्न मेसेज दिखा.
- Conversation started March 27
i have never seen such a human face
इस मेसेज को पढकर ताऊ विवश हो गया है कि भक्तों की जिज्ञासा का शमन करना अति अनिवार्य है वर्ना मुश्किलें और बढ सकती हैं.
वैसे ताऊ का मुख व ताऊ शब्द कौन से तत्व और कौन सी धातु से बना है? तकनीकी रूप से यह तो शब्दों का सफ़र वाले श्री अजित बडनेरकर ही बता सकते हैं या सिर्फ़ ताऊ ही, क्योंकि इस शब्द की पौराणिक कहानी कोई नही जानता. यह शब्द आज तक रहस्य ही बना हुआ है.
श्री राबिन दत्ता साहब के मेसेज द्वारा अभिव्यक्त जिज्ञासा का जवाब फ़ेसबुक पर देने की बजाये यहां ब्लाग पर देना उचित जान पड रहा है. आशा है ताऊ के बारे में फ़ैली सभी भ्रांतियां और कल्पनाएं दूर हो सकेंगी.
जहां तक ताऊ की उत्पत्ति का सवाल है यह त्रेता युग की रामायण कालीन बात है. जब माता सीता का अपहरण दादा लंकेश्वर ने कर लिया था और उन्हें लंका की अशोक वाटिका में सख्त पहरे में रखा गया था. पहरेदारों में अनेकों राक्षस/राक्षसनियां ऐसे भी थे जो माता सीता के प्रति सहानुभुति व स्नेह रखते थे. और उनका हर प्रकार से मनोबल बढाकर ध्यान रखते थे.
सेवक/सेविकाओं द्वारा लाख यत्न किये जाने पर भी माता सीता हमेशा उदास व गुमशुम सी प्रभु श्रीराम की याद में खोयी रहती थी. ऐसे में वहां एक काले मुंह का बंदर फ़ल फ़ूल खाने आया करता था. वो तरह तरह की आवाजे निकालता और अजीब सी हरकते करता था. बंदर का यह नित्य का कार्य था पर एक दिन उस बंदर की कलाबाजियां देखकर माता सीता के चेहरे पर एक मुस्कान सी दौड गयी. सभी सेवक यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये.
बंदर का तो यह नित्य कर्म था, जैसे ही बंदर आता, माता सीता सब वेदनाएं भूलकर उसकी कारगुजारियां देखती रहती, कभी मुस्करा उठती. धीरे धीरे उस बंदर से उन्हें पुत्रवत स्नेह हो गया. वह बंदर उनके आसपास ही रहता और दोनों में अक्सर बात चीत होती रहती.
जब हनुमान जी सीता माता की खोज में उस क्षेत्र में भटक रहे थे तब इसी काले मुंह के बंदर ने अपनी सांकेतिक भाषा में उन्हें माता सीता के अशोक वाटिका में होने की सूचना दी थी वर्ना इतने राक्षसों की पहरेदारी में हनुमान जी का वहां पहुंचना असंभव ही था.
समय बीतने के साथ राम रावण युद्ध समाप्त हुआ. भगवान श्रीराम के साथ माता सीता पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या प्रस्थान की तैयारी कर रही थी. माता सीता ने उनकी सेवा में रहे सभी सेवक सेविकाओं को उनकी इच्छा के मुताबिक वरदान दिये. लेकिन उस समय यह काले मुंह का बंदर कहीं दिखाई नही दे रहा था. माता सीता उस बंदर से मिले बिना जाना नही चाहती थी.
भगवान श्रीराम अयोध्या गमन को उतावले हो रहे थे. उन्होनें माता सीता से पूछा कि उस बंदर में ऐसा क्या है जो तुम फ़ालतू में विलंब कर रही हो? माता सीता ने बताया कि नजरबंदी की अवधि में एक वही बंदर था जो मुझे हंसाया करता था वर्ना मैं तो हंसना ही भूल चुकी थी. आप भी मिलोगे तो वो आपको भी हंसा देगा, उसकी शक्ल ही ऐसी है.
भगवान राम भी उस से मिलने को आतुर होगये. उस बंदर की खोज करायी गई तो मालूम हुआ कि माता सीता के अशोक वाटिका से जाने की बात पर वह उदास होकर एक कंदरा में पडा है. उसे समझा बुझाकर अशोक वाटिका में लाया गया. बंदर की बातों से भगवान श्रीराम भी चौदह वर्षों मे जितना नही हंसे थे उससे भी ज्यादा हंसे और युद्ध की सारी थकान भूल गये. बंदर को अपने साथ ले जाने के लिये उन्होंने विभीषण को आग्रह किया. विभिषण को भला क्या आपत्ति हो सकती थी? यह काले मुंह का बंदर भी उनके साथ पुष्पक विमान में सवार हो गया.
हवाई यात्रा के दौरान रास्ते में वह सबका मनोरंजन करता रहा. अचानक माता सीता को ख्याल आया कि यह जंगल का जीव है और मैं इसे अपने स्वार्थ वश राजमहल ले जा रही हूं. यह इसके साथ अन्याय होगा. उन्होंने बंदर से पूछा कि क्या वो बंदर से मनुष्य बनना चाहेगा? बंदर ने चूहिया वाली कहानी सुन रखी थी सो विनम्रता पूर्वक बंदर ही बने रहने का कहा.
अब तक विमान अयोध्या के पहले आज के शेखावाटी व हरियाणा क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था. अचानक माता सीता के आदेश पर विमान को वहां जंगल में उतार दिया गया. विमान के उतरते समय उस बंदर ने कुछ अजीब सी हरकत और आवाजें की जिससे माता सीता खुलकर हंस पडी, हंसते हंसते उनके पेट में बल पडने लगे, किसी तरह अपनी हंसी काबू में करते हुये वो बंदर से कहना चाह रही थी कि हे तात....और हंसी आने के कारण उनके मुंह से निकला हे ता..ऊऊऊ.... बंदर ने जब अपना ताऊ नाम सुना तो अति प्रसन्न हो गया और माता के चरण स्पर्श करते हुये बोला - माता आपने आज मेरा सही नामकरण कर दिया.
माता सीता ने उसको आशीर्वाद देते हुये कहा - हे ताऊ, तुमने मेरे दुखों के दिनों में हंसा हंसाकर मुझे जीवन दान दिया है. मैं तुम्हारी आभारी हूं और बदले में तुम्हें ऐसा कुछ देना चाहती हूं जिससे युगों तक तुमको दुनियां याद रखेगी. बंदर बोला - माते, जो आपकी इच्छा हो मेरे लिये वही आज्ञा है.
माता सीता ने कहा - हे वानर, अब से तुम ताऊ नाम से पुकारे जावोगे, आज से इस सुरम्य शेखावाटी व हरियाणा प्रदेश का समस्त क्षेत्र मैं तुम्हारे लिये आरक्षित करवा रही हूं, अब से इस प्रदेश पर तुम्हारा यानि ताऊओं का ही राज रहेगा. अब से इस प्रदेश में घर घर में ताऊ पैदा होंगे जो दुखी इंसानों के चेहरे पर खुशियां बिखरने का काम करेंगे. घर में छोटे बडे सभी उनको तात की जगह ताऊ से संबोधित करते हुये आदर और सम्मान देंगे. तुम्हें और तुम्हारी ताऊ प्रजाति को कभी भी दुख नही व्याप्त होगा, तुम अनंतकाल तक इस धरा पर सुखपूर्वक आनंद लेते रहोगे.
यह कहते हुये माता सीता ने बंदर ताऊ के सर पर स्नेह वश हाथ फ़िराया, हाथ फ़िराते ही बंदर का शरीर तो मनुष्य का हो गया और मुंह उस काले बंदर जैसा ही रहा क्योंकि बंदर पूर्ण रूप से मनुष्य नही बनना चाहता था.
प्रभु श्रीराम ने बंदर ताऊ पर सीता जी का इतना स्नेह देखा तो उन्होनें कृपा पूर्वक बंदर ताऊ को सम्मान स्वरूप एक पगडी (साफ़ा) अपने हाथों से पहनायी साथ ही एक लठ्ठ भी भेंट में देते हुये कहा - जब तक यह संसार रहेगा ताऊ, तब तक तेरा नाम रहेगा. इस लठ्ठ से अपनी व दीन दुखियों की रक्षा करना. कलियुग में घोर गमों का दौर आयेगा जब इंसान हंसना ही भूल जायेगा. तब भी तुम सारे जगत को हंसाते रहना, इससे बडा पुण्य नही है. तुमने देवी सीता को इतने गहरे गम में भी हंसाया है तो बाकी लोग तो तुम्हारे नाम और शक्ल देखकर ही खुशी पूर्वक प्रसन्न होंगे. तुम्हारे नाम और दर्शन से, कलियुग के प्रभाव से संतप्त और दुखी मनुष्य, हर्ष का अनुभव करेंगें. यह मेरा वरदान है जो मिथ्या नही हो सकता.
इतना सब होने के बाद हनुमान जी क्यों पीछे रहते सो उन्होंने ताऊ को गले लगाते हुये कहा - हे भाई, तुमने तात से ताऊ बनकर हमारी जाति का गौरव बढाया है. मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि जो भी दुखी सुखी तुम्हारी शरण में आयेगा मैं उसके सारे कष्ट दूर करूंगा. और कलियुग मे जब ब्लागिंग शुरू होगी तब तुम्हारे ब्लाग पर जो भक्त आकर श्रर्द्धा पूर्वक तुम्हें टिप्पणी रूपी फ़ल फ़ूल अर्पण करेगा उसके समस्त कष्ट विकार मेरे द्वारा दूर किये जायेंगे.
इसके बाद पुष्पक विमान उड चला और तभी से ताऊ ताऊत्व के प्रचार प्रसार में लगा हुआ है.
(आगे पढिये)
हम यह ज्ञान पा धन्य हुये, श्रीराम का आदेश हमें स्वीकार है।
ReplyDeleteहम लोग पापी है प्रवीण भाई ..
Deleteअब तक यह ज्ञान ही नहीं हुआ ?
प्रवीण जी, श्रीराम का आदेश सज्जन पुरूष ही स्वीकार ते हैं. आभार.
Deleteरामराम
सतीश जी देर आयद दुरूस्त आयद, आपको समय रहते ज्ञान तो हो गया.:)
Deleteरामराम.
तो ये है कहानी ताऊ,सबका कल्याण तो आपको करना ही पडेगा नही तो बजरंगबली...फिर मिलेंगे.
ReplyDeleteकल्याण करने वाले तो माता सीता और प्रभु श्रीराम हैं, अवश्य करेंगे.
Deleteरामराम.
ताऊ मान गए आपको !!
ReplyDeleteआभार.
Deleteरामराम.
ओह तो यह है कहानी ..जय श्री राम
ReplyDeleteहां यह क्षेपक रामायण में जुडवाने के लिये आंदोलन की तैयारी है.:)
Deleteरामराम.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २ १ / ५ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
ReplyDeleteआभार राजेश कुमारी जी आपका.
Deleteरामराम.
तो आज समझ आया कि ये पहेली बना ताऊ कौन है ?
ReplyDeleteवाह ! ताऊ वाह !
हम तो शुरू से ही ताऊ के इस महान ब्लॉग के भक्त है और श्रर्द्धा पूर्वक टिप्पणी रूपी फ़ल फ़ूल अर्पण करते रहे है और आगे भी करते रहेंगे! शायद इसी का फल है कि हमें कभी ब्लॉग रूपी कष्ट होते ही नहीं, बल्कि मजे से अपना ब्लॉग और ब्लोगिंग चल रही है :) अब इस बात को भले ही लोग आस्था, अंध-आस्था माने पर हम ताऊ महाराज के पक्के वाले भक्त है :)
पक्के भक्तों का कल्याण प्रभु अवश्य करते हैं.:)
Deleteरामराम
आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteआभार आपका.
Deleteरामराम.
राम राम ताऊ जी, कृपया www.blogprasaran.blogspot.in पर पधारकर कृतार्थ करें. सादर
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार आपका.
Deleteरामराम.
:) Taau ko salammmm
ReplyDeleteमुकेश जी आपको भी सलाम.
Deleteरामराम.
हम तो बहुत पहले से जानते थे यह भी मालूम है कि पगड़ी किसने पहनाई थी मैंने देखा है. इस जगह देखें http://farm2.staticflickr.com/1361/1461645946_a15f5d3f51_z.jpg?zz=1
ReplyDeleteजय हो प्रभु ...
Deleteपहले काहे चुप बैठे रहे ?? हमारा भी कल्याण हो गया होता !
सुब्रमनियन जी आपके रूप में एक तो चश्मदीद गवाह मिला, आभार आपका.
Deleteरामराम.
सतीश जी अब कौन सी देर हो गई? अब करवा लिजीये कल्याण.:)
Deleteरामराम.
वाह !हरियाणा प्रदेश का नाम रोशन किया ताऊ रामपुरिया ने .भाईजान का ताउजान में बेहतरीन रूपांतरण !
ReplyDeleteॐ शान्ति
ReplyDeleteताऊ जान ,जान ब्लोगिंग की ,...जान ,.....
τ - यूनानी भाषा के 19वें अक्सर "ताऊ" से परिचय विज्ञान की कक्षा में हुआ था, उसके बाद 2008 में हिन्दी ब्लोगिंग के हास्य व्यंग्य ज्ञान सम्राट "महाताऊ" से परिचय हुआ और उसके बाद एक बार साक्षात्कार लेने के लिए ताऊ हमारे घर पधारे ... "नहीं" थे। फिर कुछ साल पहले ताऊ के साक्षात दर्शन भारत में .... नहीं हुए। मैंने ताऊ को नहीं देखा।
ReplyDeleteजय ताऊ, जय ताऊत्व!
हा हा हा....लगता है आपने समाधि लगाकर ताऊ के दर्शन प्राप्त अवश्य किये होंगे?:)
Deleteरामराम.
ताऊ की कहानी अच्छी लगी
ReplyDeletelatest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
आभार.
Deleteरामराम.
त्रेता युगीन सीते पुत्र वानर मुख ताऊ की जय।
ReplyDeleteआज से हम हरियाणवी ताऊओं का एक्स्ट्रा सम्मान करेंगे।
ताऊओं का सम्मान करते रहेंगे तो माता सीता और प्रभु श्रीराम की किरपा आप पर बरसती रहेगी.
Deleteरामराम.
लेकिन श्रीराम देय लट्ठ ताई के हाथ में कैसे पड़ गया !
ReplyDeleteदराल साहब, ना पूछें तो ही अच्छा है यह बडी दुखद कहानी है. और संक्षेप में कहानी निपटेगी नही, नजदीक भविष्य में एक पूरी पोस्ट ही लिखेंगे इस "लठ्ठ हथियाऊ कांड" की. बस थोडा इंतजार और.
Deleteरामराम.
:)
Delete
ReplyDeleteउफ़ ..
यह तो पता ही नहीं था !
ताऊ साक्षात अवतार निकले !
मैं अधम, उनपर पता नहीं क्या क्या दोषारोपण करता रहता था , हे प्रभु रक्षा करो !
प्रभु का साक्षात् रूप हम ब्लागरों के मध्य छिपा था और हम अकिंचन मंद बुद्धि उन्हें इतने समयतक पहचान भी नहीं पाए ..
ताऊ महाराज !!!
प्रायश्चित्त बताइये ...उपाय बताइये ! आप पर शक किया, इस महादोष का निवारण बताइये प्रभो !
किरपा बरसाइये महाराज हम मूर्खों पर !
ताऊ महाराज की जय !
सतीश जी, ताऊचरित का अखंड पाठ करवाना पड़ेगा, पापड़ के पंडित से ...
Deleteहा...हा...
Deleteकसम से पापड के पंडत मशहूर भी दूर दूर तक हैं , विलायत से आगे उन्हें बुलावाया जाता है ...ताऊ के बाद दुनियां में उन्हीं का नाम जपना कल्याणकारी माना गया है वे जरूर कुछ जुगत बताएँगे !
आप उनके करीब हो जरा मनाओ न ..
सतीश जी आपने पश्चाताप कर लिया, सारे पापों से मुक्ति प्रायश्चित से ही मिलती है. किरपा के लिये ताऊ को पत्रं पुष्पम अर्पित करते रहिये.:)
Deleteरामराम.
अनुराग जी, जहां जहां ताऊ चरित का पाठ होता है वहां वहां ताऊ अदृष्य रूप से उपस्थित रहकर किरपा बरसाते हैं.:)
Deleteरामराम.
अनुराग जी,
Delete@पापड़ के पंडित से ...
ताऊ पुराण में देखो कोई कथा छूट न जाए, अब पापड के पंडित पर रौशनी पूरी डालनी पड़ेगी.
जो हो सो हो
जय राम जी की
ताऊ की जय हो।
ReplyDeleteजय श्रीराम.
Deleteरामराम.
@ आशा है ताऊ के बारे में फ़ैली सभी भ्रांतियां और कल्पनाएं दूर हो सकेंगी.
ReplyDeleteभ्रांतियां और कल्पनाएँ दूर नहीं हुई ज्यों की त्यूँ बनी हुई है तात :)
घुमा फिरा कर फिर वही लाकर खड़ा किया है आपने हमें !
हा हा हा...दुनियां जहां से शुरू होती है वहीं पर आकर समाप्त.:)
Deleteरामराम.
ताऊ महाराज की जय !
ReplyDeleteताऊ जी कृपया मुझपर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखे :)
किरपा तो सतत बरसती ही रहती है.:)
Deleteरामराम.
पगड़ी और लट्ठ श्रीराम जी ने भेंट स्वरूप दिया और ये आधुनिक गॉगल ?
ReplyDeleteयह कैसे प्राप्त किया ? या इसके पीछे भी कोई कहानी है :)?
इसके पीछे भी बहुत ही मार्मिक कहानी जुडी हुई है जो ताई के हाथों लठ्ठ ट्रांसफ़र वाले अध्याय से मालूम पडेगी, बस अगले कुछ ही दिनों में.:)
Deleteरामराम.
उस मार्मिक कहानी का इंतजार रहेगा !
Deleteताऊ-मैं तो श्रीमान ...........रामपुरिया जी के रूप में जानता था, आज असल बात का पता चला.. ही ही ही..
ReplyDeleteहा हा हा....चलिये असलियत पता चल गई.:)
Deleteरामराम.
हरि अनंत हरि कथा अनंता - बस सुने जाओ,पूरा समाधान कभी हुआ है आज तक ?
ReplyDeleteसही कहा आपने प्रतिभा जी, प्रश्नों के उत्तर कभी पूरे नही होते बल्कि प्रश्न ही गिर जाता है. आभार आपका.
Deleteरामराम.
हमारे लिए तो ताऊ, 'ताऊ' है हास-परिहास में भी सुंदरता सहजता सरलता से सीख देना ताऊ की विशेषता है. सुमेल शानदार है.
ReplyDeleteआभार सुज्ञ जी.
Deleteरामराम.
डॉ दाराल के द्वारा रास्ता दिखाए जाने पर यह ताऊ वन्दना प्रस्तुत है , इसे लिखने से पहले एक सपने में देखा कि ताऊ ने अपने खजाने के सबसे कीमती हीरे अपने शिष्यों से सुरक्षित करने हेतु अपने पोल लट्ठ में छिपा रख्खे हैं !
ReplyDeleteआँखों पे चश्मा सर पे है पगड़ी
कंधे पे पोला लट्ठ और माला
गुरुओं का धंधा, चौपट करने
जमीं पे जन्मा, नरक से आया !
जनाबे आली, हजूरे आला
मैं सदके जावां,मैं सदके जावां
नज़र कहीं और तीर कहीं है
ताजीब जिसके गले पडा है
छिपा हुआ धन चश्में से दीखे
लट्ठ के अन्दर,भरे हैं हीरे
जनाबे आली, हजूरे आला
मैं सदके जावां,मैं सदके जावां
लाखों ठगों की बुद्धि पायी
श्री संत जैसे, भरे हैं पानी !
चोर , मदारी , पैर , दबाते
वैद्य, डाक्टर, गुरु बताते !
जनाबे आली, हजूरे आला
मैं सदके जावां मैं सदके जावां !
ताऊ चरित वंदना से ताऊ अति प्रसन्न हुये, कल्याण हो.:)
Deleteरामराम.
वाह वाह ! बहुत बढ़िया ताऊ चालीसा। :)
Deleteताऊ के साथ म्हारी सिर्फ एके फोटू है
ReplyDeleteजो कि नुक्कड़ ब्लॉग की 13 दिसम्बर 2003 की
पांचवीं पोस्ट पर लगी है।
बहुत पीछे हैं
तलाशने का प्रयास मत कीजिए
ताऊ को जो ढूंढने निकले
तो ऊत बनकर वापिस लौटोगे।
हा हा हा...आप तो पुराने ताऊ भक्त हैं, कल्याण ही कल्याण हो.:)
Deleteरामराम.
लेकिन उस वक्त तो ताऊ -- ताऊ नहीं -- चचा थे। :)
Deleteताऊ पुराण ,कितना महान
ReplyDeleteजय हनुमान ....
ताऊ वंदना के लिये आभार सलुजा साहब.
Deleteरामराम.
अथ ताऊ पुराण ... ... ... इति ताऊ पुराण.
ReplyDeleteअथ और इति तक ताऊ पुराण के पठन पाठन से मन के समस्त क्लेश दूर होते हैं.:)
Deleteरामराम.
खोदा पहाड़ और निकली चुहिया , हमको लगा था आज तो ताऊ का चेहरा दिख ही जाएगा , मगर भेद खोल दे , वो ताऊ ही क्या !
ReplyDeleteहा हा हा...यानि पहाड खोद कर जो चूहिया निकली वो भी भाग निकली?:)
Deleteरामराम.
चिंता मत कीजिये वाणी जी , ताऊ अब अवतरित होने ही वाले हैं।
Deleteहम भी कई दिनों से हंसने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आज हंस लिए। धन्य है ताऊ! आप तो रामायण-काल के निकले। हम ब्लोगिंग के प्राणी अब हनुमान से पूर्व आपका स्मरण करेंगे।
ReplyDeleteआप हंस लिये तो हमारा मकसद पूरा हुआ.
Deleteरामराम.
वाह, सारी रामायण पढी और सवाल वही कि कौन ताऊ (सीता किसका बाप ) ? बीच में मैं अपेक्षा कर रहा था कि "अब तक विमान अयोध्या के पहले आज के शेखावाटी व हरियाणा क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था. अचानक माता सीता के आदेश पर-------काले मुह वाले बन्दर को पैरासूट के जरिये हरियाणा के जंगलों में उतारने की कोशिश की गई किन्तु हवा का रुख दक्षिण की तरफ था और ताऊ का पैरासूट इंदौर जाकर उतरा :)
ReplyDeleteहा हा हा...लगता आप भी सुब्रमनियन जी की तरह चश्मदीद गवाह हैं?:)
Deleteरामराम.
ताऊ के अवतरण की कथा बहुत रोचक है ..... जय ताऊ महाराज ।
ReplyDeleteकल्याण हो.:)
Deleteरामराम.
ताऊ जी का परिचय ... एवं प्रस्तुति बहुत ही रोचक
ReplyDeleteआभार आपका
सादर
आभार आपका.
Deleteरामराम.
तो ये बात है ... अब समझ आया ... मैंने सुना है ताऊ कई वेशों में कई जगह एक साथ भी देखे जाते हैं ... एक बार तो हमें भी दिखे थे ... पर फिर अंतर्ध्यान्हो गए ...
ReplyDeleteहा हा हा...जब समीर जी के कीर्तन में आप दोनों पति पत्नि डांस कर रहे थे?:)
Deleteरामराम.
अब अगली क़िस्त में पता चलेगा की राम और सीता का आशीर्वाद पा कर यहाँ अवतरित हुए ताऊ ने कैसे लंका और रावन के गुणों का यहाँ उपयोग किया और लोगो को ठग ठग कर धन कमाया और लोगो में अपने गुणों का प्रचार प्रसार किया और तीसरी क़िस्त में पता चलेगा की कैसे राम द्वारा ताऊ को दी गई लठ्ठ ताई के हाथ में गई और ताऊ से ज्यादा ताई ने उसका उपयोग ताऊ पर ही किया :)
ReplyDeleteआपकी कल्पना शीलता ने ताऊ पुराण को विस्तारित करने के सूत्र दे दिये.:) आभार आपका.
Deleteरामराम.
ताऊ के बारे में विस्तारपूर्वक जानकार बड़ा अच्छा लगा ..
ReplyDeleteजय बजरंग बली ..
आभार कविता जी.
Deleteरामराम.
बाबा यहाँ तो बड़ा कनफूजन है...
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
कनफ़ूजन में ही मस्ती है.:)
Deleteरामराम.
जहाँ ताऊ का नाम हो वहां कन्फयूज़ं ही होगा ..
Deleteश्री श्री १००८ श्री ताऊ जी महाराज के चरणों में श्रर्द्धा पूर्वक टिप्पणी रूपी फ़ल फ़ूल अर्पण कर रहे हैं...
ReplyDeleteकल्याण हो परम भक्त दीपक बाबा का.:)
Deleteरामराम.
रोचक ताऊ पुराण... :)
ReplyDeleteआभार संध्या जी.
Deleteरामराम.
परिचय पाकर धन्य हुए,,,,ताऊ महाराज की जय ! हो ,,,,
ReplyDeleteRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
आभार भदौरिया साहब, वैसे ताऊ अवतार धन्य करने के लिये ही होता है.:)
Deleteरामराम.
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाज़वाब हो .......
ReplyDeleteआभार अग्रज.
Deleteरामराम.
:)) suspense movie jaisa ,kabhee to raaj par se parda uthega Taau ji
ReplyDeleteजिस रोज उठ जाये तब की बात है.:)
Deleteरामराम.
जान ही लिया ताऊ का रहस्य
ReplyDeleteराम -राम ताऊ ........
हा हा हा...आपने राज जान लिया? कोई बात नही, किसी को बताईयेगा नहीं.:)
Deleteरामराम.
अरे..इतनी महत्वपूर्ण पोस्ट कैसे चूक गयी!
ReplyDeleteतसल्ली से पूरा पढ़कर ही कुछ लिखूँगी..आखिर ताऊ का रहस्य छुपा है इस पोस्ट में..
आभार अल्पना जी.
Deleteरामराम.
raam raam
ReplyDeleteघणी रामराम.
Deleteरामराम.
अरे वाह! ताऊ को सीता माता और हनुमान जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त है यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई.
ReplyDeleteब्लॉगजगत के प्राणी आप का सानिध्य पाकर धन्य हुए !
हा हा हा...ब्लागजगत में पवित्र आत्माएं ही प्रकट होती हैं, उनको यह सानिंध्य कैसे नहीं मिलता?:)
Deleteरामराम.
ताऊ कौन ?
ReplyDeleteइस प्रश्न पर तो फेसबुक भी कन्फ्यूजिया गया|
ज्ञान दर्पण.कॉम पर कल ताऊ ब्लॉग के बारे में लिखी पोस्ट का लिंक डालता हूँ तो पोस्ट में लगी चार फोटो में से सबसे आखिर में लगी डा. दराल साहब की फोटो को फेसबुक ताऊ की फोटो समझ कर लिंक के साथ चिपकाये जा रहा है :)
मतलब फेसबुक डा. दराल साहब को ताऊ समझ रहा है :)
वैसे सतीश जी पहले ही कह चुके हैं कि ताऊ जहां होगा वहां कन्फ़्यूजन तो होगा ही.:)
Deleteअब कन्फ़्यूजन फ़ेसबुक को हुआ है या असली ताऊ डा. दराल ही हैं? इसका जवाब तो डा. दराल ही दे सकते हैं.:)
रामराम.
हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर है. हमारे जासूस कोने कोने में फैले हुए है. हम तो ताउजी का रहस्य पता लगाकर ही रहेंगे...
ReplyDelete