पौराणिक काल की बात है. उस समय में ब्लागिंग अपनी चरम बुलंदियों पर थी. हर ब्लागर "ब्लाग देवता" को नमन व उसकी पूजा करके अपनी पोस्ट लिखा करता था. ब्लाग देवता से अपने ब्लाग, ब्लाग मठाधीष की उन्नति कि दुआ मांगा करता था और विरोधी मठों के विनाश की प्रार्थना किया करता था.
चारों तरफ़ अनेकों छोटे बडे मठाधीषों का साम्राज्य हुआ करता था. दो बहुत ही बडे टीवी चैनल (एग्रीगेटर) हुआ करते थे जो 24 घंटे लाईव प्रसारण किया करते थे. जैसा कि अपना साम्राज्य बढाने के लिये पुराने समय में राजे रजवाडे आपस में निरंतर लडते रहते थे उसी प्रकार ब्लाग मठाधीषों में अपना अपना प्रभाव बढाने के लिये निरंतर युद्ध होता रहता था.
जहां तक दोनों बडे टीवी चैनलों का सवाल है. वो थे तो निष्पक्ष ही, पर उन पर भी पक्षपात के आरोप लगते रहे और स्थिति यहां तक आयी कि दोनो चैनल ही इन आरोप प्रत्यारोपों के चलते बाद में बंद हो गये. यह एक अलग कहानी है.
एक तरह से कहा जाये तो वो समय ब्लागिंग का स्वर्णिम काल था. 24 घंटे हर मठाधीष स्वयं और अपने सेनापतियों के माध्यम से अपने साम्राज्य के विस्तार में लगा रहता था. राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इमेल, चैट व टेलीफ़ोन द्वारा दुश्मन मठ की स्थिति की जानकारी ली जाती थी.
जिस तरह राज्य चलाने के लिये पुलिस, जासूस भेदिये और एक पूरा तंत्र होता है उसी तरह का तंत्र हर मठ के पास था. मकसद सिर्फ़ इतना कि हमारा मठ तुम्हारे मठ से बडा.
मठ का विस्तार करने के लिये सबसे ज्यादा जरूरत होती थी नये आने वाले ब्लागरों को अपने खेमे में यानि अपने मठ में शामिल करना. बडे मठ की पहचान यही थी कि किस मठ के सदस्य की पोस्ट पर कितनी टिप्पणी आई? टिप्पणियों के लिये इमेल व चैट तो स्वाभाविक थी पर जब तक टिप्पणी नही आये तब तक सामने वाले का टेलीफ़ोन बजता ही रहता था. जैसे BCCI के चुनाव में एक एक वोट का हिसाब रहता है वैसे ही हर ब्लागर की एक एक टिप्पणी का हिसाब किताब अकाऊंटेंट रखता था.
क्राईसिस मेनेजमैंट के लिये हर मठ की अपनी एक टीम होती थी जिसकी कमान सलेक्टेड और अनुभवी ब्लागर संभालते थे. वो ऐसा समय था कि हर ब्लागर चौबीसों घंटे अपना मोबाईल चालू ही रखता था कि पता नहीं कब मठाधीष को जरूरत पड जाये. और सेवा का मौका मिल जाये.
लोग झूंठ कहते हैं कि सेवफ़ल का गिरना देखकर दद्दा न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम बनाया पर हमारा मानना है कि दद्दा न्यूटन ने "गुरुत्वाकर्षण का नियम" (Law of Gravitation) शायद ब्लागिंग की नियति भांपकर बनाया होगा, गजब के ज्योतिषी थे दद्दा न्यूटन, उनकी भविष्यवाणी आज सौ प्रतिशत सच हो रही है. जितनी ऊंचाईयों पर ब्लागिंग थी आज उतनी ही जमीन पर आ चुकी है.
जब ब्लागिंग स्वर्णिम काल में अपने चरम पर थी तब एक स्थिति ऐसी थी, जैसे महाभारत युद्ध में शरीक होने आने वाले योद्धाओं का स्वागत करके उनसे अपने अपने खेमे में शामिल होने का अनुरोध और अनुनय विनय की जाती थी, उसी तरह का हाल ब्लागजगत में था.
नये आने वाले योद्धा (ब्लागर) का स्वागत होता और अपने खेमे में शामिल करने के लिये डोरे डाले जाते. सभी मठाधीष और उनके सेनापति टिप्पणी रूपी हथियार लेकर नवागंतुक ब्लागर पर टूट पडते. कई तो इस बात के विशेषज्ञ भी थे. यदि कोई योद्धा हठी होता तो उससे डायरेक्ट मठाधीष ही रूबरू होकर उसे कानून कायदे और मठ में शामिल होने के फ़ायदे समझाते, यानि यह घटना उस समय की है जब पोप की तरह से सारा शासन मठों और उनके मठाधीषों के हवाले हो चुका था. किसी भी ब्लागर की इतनी हिम्मत नही थी कि वो स्वतंत्र रूप से ब्लागिंग कर सके. उसे येन केन प्रकारेण कोई ना कोई मठ अवश्य ज्वाईन करना पडता.
इसी समय में एक निहायत ही शरीफ़, कुशाग्र बुद्धि और होनहार ब्लागर इस ब्लाग जगत में आया. उसको नियम कायदे कानून भी नही मालूम थे, यहां तक की उसे ब्लाग देवता की पूजा प्रार्थना विधि का भी ज्ञान नही था. इस ब्लागर को अपने मठ में शरीक करने के लिये सभी मठाधीषों के संचालक व सेनापति, मठ की सदस्यता लेने के लिये जी तोड कोशीश करने लगा. लेकिन यह ब्लागर कुछ जरूरत से ज्यादा शरीफ़ था सो यह इशारे ही नही समझ पाया.
महा मठाधीष ताऊ को जब इसके बारे में बताया गया तो ताऊ स्वयं उस मठाधीष के पास पहुंच गया. जब ताऊ वहां पहुंचा तो देखा कि ब्लागर आसन बिछाकर अगरबत्ती दीपक जलाकर ब्लाग देवता की पूजा अर्चना में व्यस्त था.
वह ब्लागर प्रार्थना कर रहा था कि हे ब्लाग देवता, सब ब्लागों का भला कर, सब अच्छा लिखें, अच्छा पढें, और हे ब्लाग देवता तू भी अपना एक ब्लाग बनाले, तेरे को फ़ुरसत ना हो तो तेरे ब्लाग की पोस्ट मैं लिख दिया करूंगा, तू मुझे भी तेरी सेवा करने का मौका तो दे....
ताऊ ने जब उसकी प्रार्थना सुनी तो ताऊ गुस्से से पगला गया और बोला - अरे मूर्ख, ये तू कौन सी प्रार्थना कर रहा है? इस तरह कोई ब्लाग देवता प्रसन्न होंगे तुझसे? मूर्ख कहीं का....
ब्लागर अचानक चौंका और सामने ताऊ मठाधीश को हाथ में लठ्ठ लिये खडा देखा तो डर गया और समझा कि शायद यही ब्लाग देवता है सो चरण पकडकर बोला - प्रभु मुझे तो यही प्रार्थना आती है कि सबका भला हो, अब आप बतादें कि किस तरह की प्रार्थना करनी है?
ताऊ ने खुश होकर उसको आशीर्वाद देते हुये कहा - बालक तुम्हारा कल्याण हो, अपनी प्रार्थना में यह मांगा करो कि हे ब्लाग देवता - मेरे ब्लाग और मेरे ताऊ मठाधीष का इकबाल बुलंद रहे बाकी सबके ब्लाग और ब्लाग मठ ध्वस्त हो जायें.
ब्लागर ने ताऊ के बताये अनुसार धूप दीपक लगाकर ब्लाग देवता से प्रार्थना करना शुरू कर दिया और वह
महा मठाधीश ताऊ का चेला बन गया.
यह सब देखकर ब्लाग देवता ने आकाशवाणी की - हे महा दुष्ट ताऊ, तूने एक निहायत ही शरीफ़ और नेक बंदे को गलत रास्ते चला दिया है. इसे अपनी पुरानी प्रार्थना ही करने दे वर्ना तुझे दंड मिलेगा.
ताऊ ने अहंकार से भरकर ब्लाग देवता की इस तरह अटटहास पूर्वक खिल्ली उडाई जैसे दुर्योधन ने चीरहरण के समय भीष्म पितामह की खिल्ली उडाई थी और बोला - सुनो ब्लाग देवता, तुमको देवता बने रहना है तो बने रहो, पर अब इस ब्लाग जगत का एक मात्र महा देवता मैं हूं....जावो अपना काम करो.
उसी समय ब्लाग देवता ने मठाधीष को श्राप दिया कि जावो अब तुम सब मठाधीषों का पतन शुरू होगा. ताउ ने खिल्ली उडाते हुये कंधे झटके और मुस्कराते हुये विजयी भाव से मठ को लौट आया.
कहते हैं उसी ब्लाग देवता के श्राप से चारों तरफ़ अनामी सनामी, बेनामी ब्लागर पैदा हो गये और मठों का पतन शुरू हो गया. कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि ये अनामी सनामी बेनामी सब ब्लाग देवता के अंश से पैदा हुये थे जिन्होंने देखते देखते मठों के मठ ध्वस्त कर डाले और अनेकों की ब्लागिंग छूडवा दी.
ताऊ महाराज के कोप से रुष्ट हुए ब्लॉग देवता को प्रसन्न करने की क्या विधि है महाराज? जनकल्याण के उद्देश्य से कृपया विस्तार से वर्णन कीजिएगा!
ReplyDeleteब्लाग देवता का हवन पूजन बाबाश्री के द्वारा संपन्न करवाईये.:)
Deleteरामराम.
आपने सच को इतनी खूबी से कहा की किसी को भी बुरा लगेगा ही नहीं
ReplyDeleteयानि सुगर कोटेड कुनैन?:)
Deleteरामराम.
फिक्सिंग के बारे में कुछ नहीं बताया प्रभु
ReplyDeleteवह ताऊ बताने वाला नहीं चाहे कितना जोर लगा लो ...
Deleteवैसे आज भगत का मूड समझ में नहीं आया , मन में क्या चल रहा है ??
सुब्रमनियन जी, आपकी बात का जवाब सतीश जी ने दे ही दिया है.:)
Deleteरामराम.
सतीश जी भगत का मूड तो भोलेनाथ ही जान सकते हैं.:)
Deleteरामराम.
achchha joda hai aapne . .रोचक प्रस्तुति .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान
ReplyDeleteसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
आभार.
Deleteरामराम.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (25-05-2013) छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां....मुख़्तसर सी बात है..... में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शाश्त्री जी.
Deleteरामराम.
अति सर्वत्र वर्ज्यते.... आखिर मठाधीश स्वयं मठों के विनाश का कारण बना.
ReplyDeleteउस श्राप में ब्लॉग देवता ने आगे कहा, इतने ही विवाद्प्रिय हो तो जाओ अब जब जब आपस में झगडोगे तभी ब्लॉगजगत में क्षणिक रौनक आएगी,अन्यथा वीरान ही पडे रहोगे.....तभी उस नए ब्लॉगर ने प्रार्थना की- हे! ब्लॉग देवता!! यह तो अबोध,निर्दोष,और सरल ब्लॉगर पर भी अन्याय है, उन्होने क्या बिगाडा? इस अभिशाप से मुक्ति का उपाय क्या होगा? ब्लॉग देवता ने अपना क्रोध शांत करते हुए कहा, " वत्स! सारे निराश्रित मठाधीश अभिमान तज कर साढे सात माह की निराग्रह तपश्चर्या करके, प्रत्येक एक सहस्त्र निर्मल-प्रशंसा टिप्पणी दान करे अभी यह शाप निष्क्रिय होगा, किंतु मठ रचना प्रयोग हुआ तो शाप जस का तस रहेगा. :)
*अभी यह शाप निष्क्रिय होगा, को "तभी यह शाप निष्क्रिय होगा" पढें...
Deleteआपका सुझाव काबिले तारीफ़ है, इस पर गौर किया जाना चाहिये.:)
Deleteरामराम.
एक सत्य घटना की रोचक प्रस्तुती |
ReplyDeleteलगता है वे दोनों चैनल जो ब्लॉग की पल पल की ख़बरें प्रसारित किया करते थे ब्लॉग देवता के कोप ने ही बंद करवा दिए ताकि मठाधीशों का नाश हो |
पर ताऊ का मठ तो पहले की ही तरह जमा हुआ है उस पर ब्लॉग देवता के श्राप का असर नहीं हुआ या फिर ताऊ ने उस श्राप की कोई काट खोज ली |
शायद यही ताऊत्व है :)
श्राप की काट क्या, नियमित रूप से पत्थर पर रस्सी घिसने से उस पर भी निशान आ ही जाते हैं.
Deleteरामराम.
@ वह ब्लागर प्रार्थना कर रहा था कि हे ब्लाग देवता, सब ब्लागों का भला कर, सब अच्छा लिखें, अच्छा पढें, और हे ब्लाग देवता तू भी अपना एक ब्लाग बनाले, तेरे को फ़ुरसत ना हो तो तेरे ब्लाग की पोस्ट मैं लिख दिया करूंगा, तू मुझे भी तेरी सेवा करने का मौका तो दे....
ReplyDeleteएक शरीफ नेक बंदे को गलत प्रार्थना करना सिखा कर बिगाड़ दिया न, अब परिणाम भी भुगतने होंगे रोचक लगी पोस्ट !
आभार सुमन जी.
Deleteरामराम.
बाबाश्री अब आने वाले समय में ब्लागिंग का क्या भविष्य होगा ?
Deleteआप तो त्रिकाल दर्शी है :)
जिनकी ब्लागिंग छुट गई वो अब मजे में होंगे नाहक हम फंस गए है :)
ReplyDeleteयह लत अब छूटती कहाँ है ?
ये तो है.:)
Deleteरामराम.
हम तो डरने वालों में से नही,आशीर्वाद बनाये रखेंगे.
ReplyDeleteसच है डरने से काम नहीं चलेगा.
Deleteरामराम.
ये अनामी सनामी बेनामी सब ब्लाग देवता के अंश से पैदा हुये थे जिन्होंने देखते देखते मठों के मठ ध्वस्त कर डाले और अनेकों की ब्लागिंग छूडवा दी.
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य ।
आभार संगीता जी.
Deleteरामराम.
ये क्या हुआ, कैसे हुआ
ReplyDeleteआप तो खुद गवाह हैं, याद कर लिजीये उस पौराणिक काल को.:)
Deleteरामराम.
ताऊ सारा सच उगल दिया
ReplyDeleteताऊ झूंठ बोलता ही कब है?:)
Deleteरामराम.
ब्लॉग की दुनिया की खबर लेती बहुत बढ़िया रोचक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteआभार कविता जी.
Deleteरामराम.
jai ho !!accha vynag :)ek gaana bhi laga dete saath hi ..koi louta de mere beete hue din :)
ReplyDeleteआपका सुझाव बहुत बढिया है पर थोडा लेट आया.:) आभार.
Deleteरामराम.
वैसे ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत का बन्द होना बड़ा आघात है.
ReplyDeleteआपने एकदम सटीक बात कही, और मुझे तो लगता है कि ब्लॉग बाणी और चिट्ठाजगत के पीछे कोई बहुत बड़ी राजनैतिक साजिस थी। ब्लोग्बानी के केस में तो कमसे कम मेरी यही राय है।
Deleteभारतीय नागरिक जी, आप सही कह रहे हैं, यह दोनों ही हिंदी ब्लागिंग की रीढ थे.:(
Deleteरामराम.
गोदियाल जी सबकी अपनी अपनी राय है पर जो हुआ वो काफ़ी बुरा हुआ.:(
Deleteरामराम.
शायद यह 2009-10 के आसपास के प्राचीन युग की बात होगी ताऊ जी ? :)
ReplyDeleteहां शायद वह त्रेता युग था.:)
Deleteरामराम.
:) बड़े ही रोचक ढंग से व्यक्त किया है आपने सच्चाई को... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...
ReplyDeleteआभार प्रशांत जी.
Deleteरामराम.
ब्लॉग पर बहुत सुन्दर व्यंगात्मक लेख
ReplyDeleteआभार अरूणा जी.
Deleteरामराम.
क्षमा करें ब्लाग देवता हम लोग तो नादान हैं और आप विद्धान हैं ... सारी सच्ची कथा कह दी .... धन्य हुए .....
ReplyDeleteआभार मिश्र जी.
Deleteरामराम.
ताऊ आपके माध्यम से अतीत के बारे तो जाना वर्ना हम तो अनजान ही थे !!
ReplyDeleteआभार पूरण जी.
Deleteरामराम.
एक महापुरुष पापियों के गांव पहुंचे...सब पापियों ने महापुरुष को पानी वगैरहा तो क्या पूछना था, उल्टे उसे ढोंगी कह कर मज़ाक और उड़ाने लगे...महापुरुष ने आशीर्वाद दिया...खुश रहो, आबाद रहो...महापुरुष फिर सज्जनों के गांव पहुंचे...उन्होंने महापुरुष का बहुत आदर सत्कार किया...महापुरुष ने चलते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया...तुम सब यहां से उजड़ जाओ...
ReplyDeleteक्योंकि महापुरुष जानते थे कि पापी जहां हैं, वहीं सारे जमे रहे...वरना वो जहां जहां भी जाएंगे, वहीं नर्क बना देंगे...और सज्जन जहां भी जाएंगे,उस जगह को स्वर्ग बना देंगे...
जय हिंद...
सटीक बोधकथा.:)
Deleteरामराम.
उसी विध्वंश काल-खण्ड की बोध-कथा....
Deleteसुज्ञ: ब्लॉगजगत, संतब्लॉगर और आशिर्वाद
अरे साहब शीर्षक ही सारी कथा कह गया .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteचहूं और शांति ही शांति है.:) आभार अग्रज.
Deleteरामराम.
तो क्या सभी ब्लागमठ ध्वस्त पडे हैं ?
ReplyDeleteसब भानपुरा हुये पडे हैं.:(
Deleteरामराम.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...
ReplyDeleteआभार संगीता जी.
Deleteरामराम.
तो क्या सभी ब्लागमठ ध्वस्त पडे हैं ?
ReplyDelete:)
ReplyDeleteरामराम.
बीती बात बिसार दे आगे की सुधि लेय ,,,दोहराने से फायदा क्या ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : बेटियाँ,
जी सही कह रहे हैं आप, आभार.
Deleteरामराम.
ताऊ जी.... क्षमा कीजिएगा! हमें कुछ समझ नहीं आ रहा... मोटी बुद्धि है हमारी... :(
ReplyDelete~सादर!!!
यह सब कथा ब्लाग पुराणों के श्रवण मनन से समझ आयेगी.:)
Deleteरामारम.
सामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
आभार.
Deleteरामराम.
प्रसन्न कर सकें हम, वही उचित है। निदान क्या है?
ReplyDeleteबेहद रोचक प्रस्तुति ...बहुत ही जबरदस्त व्यंग्य ..लगभग सभी कुछ तो समेत लिया है इस में ..जो भी कुछ अब तक हुआ..होता आया है ..सब कुछ...बड़ी चतुराई से व्यंग्य के रूप में बता दिया!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .
ताऊ महाराज तेने तो मेरी आँख्या खोल दी। अब तो मैं भी तने ही महादेव मानूं। बस किरपा बनाए रख।
ReplyDeleteअथ श्री ताऊ विरचित ब्लॉग पुराणाय नमः !
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