दिल्ली ब्लागर सम्मेलन के बाद ताऊ ने रिपोर्टिंग से तौबा की

अभी पिछले सप्ताह ही दिल्ली में ब्लागर सम्मेलन हुआ. अजयकुमार झा जी ने समभाव से सबको खुला निमंत्रण दिया कि जो आये उसका स्वागत और ना आये तो अपनी राधा को खिलाये. यानि उन्होने पुर्व सम्मेलनों वाला झंझट ही नही रखा. हमने भी अनुरोध किया था कि झाजी हमको इस सम्मेलन को लाईव कवर करने का ठेका दिया जाये. जिसका उन्होने कोई जवाब नही दिया. कारण हमको बाद मे समझ आया.

हमको और रामप्यारी को भी दिल्ली में कुछ काम था. सो हम अपनी पहचान छुपाकर सम्मेलन में सफ़लता पुर्वक शामिल हुए. चूंकि हम इसके आफ़िशियल रिपोर्टर नही हैं सो उसके बारे मे कुछ नही कहेंगे. वैसे भी सारी रिपोर्ट्स आपको झा जी पढवा ही रहे हैं. वैसे यह सम्मेलन अपने मकसद मे कामयाब रहा.

हम अपना काम निपटाकर वापसी मे डेयर इंडिया की फ़्लाईट से वापस आने के लिये एयरपोर्ट आगये. सीढियां चढकर जहाज में घुसते ही जहाज सुंदरी जी हाथ जोडे मोहिनी मुस्कान बिखेरती खडी थी. उनकी मुस्कान का उत्तर देते उसके पहले ही सामने से एक मच्छर नही शायद मच्छरनी थी ..क्योंकि जहाज के गेट पर तो सुंदरियां ही स्वागत करती है...उसने तड से हमारे माथे को चूम लिया..बहुत जलन हूई...बुरी तरह गुस्से मे काटा था. माथे पर खुजलाते हुये हम चुपचाप अपनी सीट पर जाकर बैठ गये....धीरे धीरे जहाज की सीटे भरने लगी. रामप्यारी भी खिडकी वाली सीट पर बैठकर बाहर के फ़ोटो खींचने लगी जो हम आपको बाद मे कभी दिखायेंगे.

सम्मेलन से वापसी मे जहाज मे बैठे ताऊ और रामप्यारी


सीट पर बैठे तो चारों तरफ़ मच्छरों का साम्राज्य...हम तो सहम गये...बांये कान पर एक मच्छर सुंदरी ने गाना शुरु किया...बचके मेरी नजरों से जालिम कहां जायेगा? वो घडी आगई आगई....

हमने हाथ जोडकर पूछा - हे डेंगू सुंदरी...हमसे क्या भूल होगई जो ये सजा हमको मिल रही है? उसने तड तड दो चार डंक कान के ऊपर चुभोये...और जैसे ही चिल्लाये कि दाहिंने कान पर पर आकर एक मच्छर बोला - क्युं और करेगा रिपोर्टिंग? आया मजा?

हमने हाथ जोडकर कहा - हे प्रजा नियंत्रकों और नियंत्रकियों...हमने आपकी शान में क्या गुस्ताखी करदी? आप हमको इस तरह क्यों दंडित कर रहे हैं...ये तो सोचिये कि ये महंगा हवाई जहाज का टिकट किसी कंपनी द्वारा प्रायोजित नही है बल्की हमारी गाढी खून और उसमे मिले पसीने से खरीदी गई है. मेहरवानी करके इसे आनंद दायक ही रहने दिजिये...हमने आपकी शान में कोई गुस्ताखी नही की है. और ना ही कोई रिपोर्टिंग की है.

डेंगू सुंदरी बोली - अरे वाह ताऊ..वाह ..क्या भोली सूरत सूरत बनाई है? भूल गया क्या? इलाहाबाद सम्मेलन मे अरविंद मिश्राजी का हमने थोडा बहुत खून क्या पी लिया? तुमने तो पूरी रिपोर्टिंग क्या बल्कि पूरा बीडा ही ऊठा लिया हमारे खिलाफ़...अरे तुम्हारी और अरविंद मिश्राजी की हाय हाय से परेशान होकर ही वहां डीडीटी का छिडकाव करवा दिया गया... तब से ही हम को अपना घर बार छोडकर इस जहाज मे छुप कर अपनी जान बचानी पड रही है.

हमने कहा - पर हमने रिपोर्टींग तो सच ही की थी ना? आपने मिश्राजी को और उनके साथ वालों को रात भर चटकाया था कि नही?

बस हमारी इतनी सफ़ाई देनी थी कि हमको हाथ मुंह पैरों पर चटाचट चटाचट सबने काट खाया और वो डेंगू सरदार तमतमाकर बोला - अबे ओ ताऊ...कहीं के... तुमने ये तो लिख दिया कि सारी रात मच्छरों ने काट खाया पर तुमने ये क्यों नही लिखा कि हमने अपनी मर्जी से नही बल्कि किसी के कहने पर काटा था? यही है तुम्हारी निष्पक्ष रिपोर्टिंग..? और उसने फ़िर हमारे गले पर काट खाया..

हमने कहा.. भाईयो माफ़ीनामा छाप देता हूं..पर मुझे अब माफ़ करो....

वो डेंगू सुंदरी बोली - अबे तेरी ऐसी की तैसी ताऊ की तो...तेरे माफ़ीनामा छापने से क्या हमारा घर वापस मिल जायेगा? हमारी जडों से उखडने की पीडा खत्म हो जायेगी? अरे तेरा चव्वन्नी का ब्लाग पढता ही कौन हैं? हम ही नही पढती..तू कुछ भी ऊलजलूल तो छापता रहता है...हम तो हमारे वो है ना....(नाम सेंसर कर दिया गया है) उनका ही ब्लाग पढती हैं...जिनकी पोस्ट पब्लिश होते ही मेल या फ़ोन आजाता है...और फ़ोन पर मीठी मीठी बाते करके ब्लाग पढने का निमंत्रण देते हैं. बिना बुलाये तो हम कहीं ना जायें...अब तो तू बच नही सकता. और तू तो क्या..इस फ़्लाईट के सारे पसेंजर भी आज बख्शे नही जायेंगे...

हमने समझ लिया की ये मच्छर और मच्छर सुंदरियां बहुत ही शातिर द्वारा भडकाई हुई हैं सो ये नही मानेंगी..लिहाजा हमने तय किया कि इस फ़्लाईट से नही जायेंगे और ऊठकर वापस गेट की तरफ़ बढे....वहां खडी जहाज सुंदरी ने पूछा - ताऊ कहां जारहे हो?

हमने कहा - हमको यात्रा रद्द करनी है....और वापस जाना है...

वो बोली - तुम वापस नही जा सकते..क्योंकि सीढी हटा ली गई है ..और अब दरवाजा भी नही खुलेगा...पर आप यात्रा रद्द क्युं करना चाहते हैं?

हमने कहा - वो क्या है ना कि इस जहाज मे मच्छर बहुत हैं और किसी नागिन जैसा कसकर काटते हैं.

वो बेशर्म सुर्पणखां जैसा मुस्करा कर बोली - थंक्स फ़ोर द कम्पलिमैंट्स....

हम समझ गये कि इस जहाज के सभी स्टाफ़ वाले भी इस षडयंत्र में शामिल हैं.... जाकर चुपचाप अपनी सीट पर बैठ गये..सभी यात्रियों को जम कर मच्छर काटते रहे कि इतनी देर मे सामने के दरवाजे के पास एक जहाज सुंदरी हाथ मे एक फ़ांसी का सा फ़ंदा लिये हाजिर हुई और बोली----

लेडीज एंड जैंटलमैन...डेयर ईंडिया की फ़्लाईट DI-0420 में मैं आपका स्वागत करती हूं...और फ़ांसी का फ़ंदा दिखाती हूई बोली - ये मेरे हाथ मे सुरक्षा उपकरण आप देख पा रहे होंगे..अगर मच्छर ज्यादा काटें तो आप इस फ़ंदे को गले मे डालकर सुसाईड कर सकते हैं.. यहां से अपने गंतव्य की दूरी हम ५५ मिनट मे तय करेंगे... रास्ते मे आपको स्नेक्स दिये जायेंगे....पर आज ओडोमोस सर्व नही की जायेगी क्योंकि ठेकेदार आज देकर नही गया है.

अब मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि अपने मोबाईल फ़ोन के स्विच आफ़ करलें..गले मे फ़ांसी का फ़ंदा नही नही...कमर मे सुरक्षा बेल्ट बांध लें......ईश्वर मच्छरों से आपकी रक्षा करे...और आपकी यात्रा शुभ हो....

वो तो चली गई घोषणा करके....मच्छरों ने ताऊ के साथ साथ सभी को खूब जी भर के चटकाया....और भी बडॆ बडे ताऊ थे उस फ़्लाईट में..सबको समान भाव से आदर देते हुये उन्होने....पूरा मजा लिया.

तभी हमने एक मच्छर और शायद उसकी गर्ल फ़्रेंड को बात करते सुना....वो कह रही थी...कि इस ताऊ का खून पीकर तो बडा आनंद आया...बहुत उचक उचक कर लिखता था... बस मेरा थोडा सा पेट ज्यादा भर गया है..खाली होते ही भोपाल तक तो इसका सारा खून पी डालूंगी...

वो मच्छर बोला - प्रिये, तुम भी कभी कभी बहुत नादानी करती हो? ये गंवार ताऊ है...कोई पढा लिखा थोडी है? अरे इसके खून मे किक ज्यादा है..तुम्हारी तबियत कहीं खराब ना हो जाये इतना शुद्ध देशी हरयाणवी खून पीकर? और अभी तो तुम आराम करलो...भोपाल के बाद यह ताऊ इंदौर तक जायेगा...तब भोपाल इंदौर के बीच पी लेना इसका बाकी खून... उस मच्छर प्रिया सुर्पणखां को जब यह मालूम पडा कि अभी तो बहुत देर है सो वो उस मच्छर के कंधे पर सर टिका कर सोगई..

ताऊ ने जब यह गुप्त वार्तालाप सुना तो ताऊ की रुह कांप गई इस आतंकी कारवाई का पता लगने पर...और जैसे ही फ़्लाईट भोपाल मे टपकी ताऊ ने एक जहाज के कर्मचारी को पकड लिया और मच्छरों का इलाज करने की मांग की.

वो कर्मचारी बोला - अरे बावलीबूच ताऊ..तेरी अक्ल खराब हो री सै के?

ताऊ बोला - भाई अक्ल खराब थी तब ही तो यो रिपोर्टींग की और इनसे दुश्मनी करली..पर अब इनसे छुटकारा दिलवा जिससे आगे की यात्रा तो आराम से होगी.

वो बोला - देख ताऊ, मैं तो जहाज छोडकर अब मच्छर मार दवाई लेने जा नही सकता ....और जहाज वहां एक घंटा खडा रहा पर कुछ कारर्वाई होते नही देख कर ताऊ वहां से चुपचाप निकल भाग लिया और एयरपोर्ट से बाहर आकर रोडवेज की बस पकड कर घर आगया.

उधर जब यात्रियों कि गिनती लगाई गई तो कोहराम मच गया कि एक यात्री गायब है...अब आधा घंटा तक ढूढाई हुई पर मिलता कहां से? ताऊ तो हवाई जहाज के बदले रोडवेज के खटारे मे बैठा था...इस सारे किस्से की रिपोर्टिंग आप डाँ. झटका की जुबानी पढ सकते हैं, यहां चटका लगाकर.

और उधर उस सुर्पणखां का नशा जब कम हुआ तो उसने देखा की ताऊ वहां नही है तो उसने हल्ला मचा दिया...और पागल जैसी स्थिति होगई..उसको कई यात्रियों का खून चखाया गया पर वैसी किक नही आई ..सो अब वो अगली योजना पर सोच विचार करने लगे. और वहां तुरंत आदेश हुआ कि पता लगाया जाय कि अगला ब्लागर सम्मेलन कहां होगा और ताऊ काहे से जायेगा?

किससे पूछूं ? :-

उजडा चमन
लुहलुहान अंतर-आत्मा
कैसा यह कर्म
क्यों किया
आखिर चमन का कसूर क्या था?

(मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन)

Comments

  1. अबे ओ ताऊ कहीं के
    हा-हा-हा

    अजी हमतो चवन्नी छाप पाठक हैं (मच्छर नहीं) और चवन्नी छाप ब्लाग जरूर पढेंगें।

    प्रणाम स्वीकार करें

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  2. ..हम तो हमारे वो है ना....(नाम सेंसर कर दिया गया है) उनका ही ब्लाग पढती हैं...जिनकी पोस्ट पब्लिश होते ही मेल या फ़ोन आजाता है...और फ़ोन पर मीठी मीठी बाते करके ब्लाग पढने का निमंत्रण देते हैं. बिना बुलाये तो हम कहीं ना जायें...अब तो तू बच नही सकता. और तू तो क्या..इस फ़्लाईट के सारे पसेंजर भी आज बख्शे नही जायेंगे...
    हमारे वो... का ब्लॉग कौन है यो ताऊ जिसका मच्छर ब्लाग पढ़ते हैं !! बुरा हो इन मच्छरों का अगर हमने कोई उसपर कमेन्ट किया होगा, जिसमे आपने मच्छरों की शिकायत की थी, तो हमारी भी खैर नहीं सच मच एक सोचे समझे षड़यंत्र काशिकार हुए ताऊ.. मच्छर की प्रेमिका भी खून चूस कर हरियाणवी भाषा बोलने लगी!! क्या!!!

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  3. ".हम तो हमारे वो है ना....(नाम सेंसर कर दिया गया है) उनका ही ब्लाग पढती हैं...जिनकी पोस्ट पब्लिश होते ही मेल या फ़ोन आजाता है...और फ़ोन पर मीठी मीठी बाते करके ब्लाग पढने का निमंत्रण देते हैं. बिना बुलाये तो हम कहीं ना जायें..."

    नाम तो बताईये ताऊ...
    आजकल इतनी फुरसत किसे है कि ब्लाग लिखें और फोन करके पढ़वायें भी...

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  4. अरे, ये क्या हुआ? अब हमें इतनी शानदार रिपोर्टिंग कैसे पढने को मिलेगी?

    ------------------
    क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
    पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।

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  5. .(नाम सेंसर कर दिया गया है) ....किसका किया वो तो नीचे नोट में लिख देते....वैसे अगला सम्मेलन कब हैं ताऊ..?

    मच्छर ने काटा वो बता दिया..बेड टी मिली कि नहीं...हा हा!!


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    !!!!!!!!!मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन!!!!!!

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  6. सिद्ध हुआ कि रिपोर्टेंग में सब जगह खतरे हैं। ब्लागरों के सम्मेलन की रिपोर्टिंग के अपने खतरे हैं।

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  7. हमें तो आपको मच्छरों के कटे जाने की सुचना सुबह डा.झटका से मिल गई थी |
    अगली बार जब रिपोर्टिंग में जाना पड़े और हवाई सफ़र करना पड़े तो मच्छरदानी साथ ले जाना मत भूलना !

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  8. अरे ताऊ जी मच्छर दानी ले कर जानी थी ना, हवाई जहाज मै, वेसे मच्छर्नी ने कोन सा खुन पी लिया. क्यो कि थोडॆ दिन पहले ही तो आप ने लिखा था कि आप का खुन ताई ने पी लिया सारे का सार.

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  9. अरे ताऊ मिश्रा जी पर तो शनि की साढेसाती चल रही है....मच्छर वगैरह तो बस मन को समझाने का एक बहाना है :)
    अर फिक्र कोणी करे करदे....कुछ लोगों नै लगै चवन्नियों की अहमियत पता कोणी । चार चवन्नियाँ अगर मिल जावें तो पूरा एक रूपैय्या हो जाया करै :)

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  10. ` मच्छर प्रिया सुर्पणखां को जब यह मालूम पडा कि अभी तो बहुत देर है सो वो उस मच्छर के कंधे पर सर टिका कर सोगई..'

    अब तो वो बेड की तैयारी में होगी... सावधान रहना ताऊ :)

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  11. उजडा चमन
    लुहलुहान अंतर-आत्मा
    कैसा यह कर्म
    क्यों किया
    आखिर चमन का कसूर क्या था


    मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन........

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  12. उजडा चमन
    लुहलुहान अंतर-आत्मा
    कैसा यह कर्म
    क्यों किया
    आखिर चमन का कसूर क्या था


    मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन........

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  13. उजडा चमन
    लुहलुहान अंतर-आत्मा
    कैसा यह कर्म
    क्यों किया
    आखिर चमन का कसूर क्या था


    मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन........

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  14. राम राम ताऊ ......... आपकी कलम का भी जवाब नहीं

    मुंबई के वीरों की याद में लिखी लाईने .......

    उजडा चमन
    लुहलुहान अंतर-आत्मा
    कैसा यह कर्म
    क्यों किया
    आखिर चमन का कसूर क्या था

    नमन है मेरा ..........

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  15. वाह क्या बात है ताऊ सर!
    भुस में आग लगाय जमालो दूर खड़ी!

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  16. ताऊजी..क्या बात है आजकल तो पूरे रंग में लिख रहे हैं? मुम्बई कांद के शहीदों को नमन.

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  17. हे भगवान अब ताऊ को भी मच्छर काट लेते तो कोई बात थी...मच्छरनियां और वो भी सुर्पणखां पीछे लग गई? अब ताई के लठ्ठ से कैसे बचोगे ताऊ?:)

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  18. हे भगवान अब ताऊ को भी मच्छर काट लेते तो कोई बात थी...मच्छरनियां और वो भी सुर्पणखां पीछे लग गई? अब ताई के लठ्ठ से कैसे बचोगे ताऊ?:)

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  19. बहुत लाजवाब ताउजी, मुम्बई हमलों के शहीदों को नमन.

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  20. humesha ka tarah hi vayang ke andaz mai seedha kataksh kiya apne...

    उजडा चमन
    लुहलुहान अंतर-आत्मा
    कैसा यह कर्म
    क्यों किया
    आखिर चमन का कसूर क्या था?

    (मुम्बई आतंकी हमले मे शहीद वीरों को सादर नमन)

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  21. वाह ताऊ हर बार दूर की कौड़ी ढूंढ के लाते हो...
    मच्छरों को एयर लाइन में....हा.. हा.. हा..
    मजा आया पढ़कर...
    मीत

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  22. ".हम तो हमारे वो है ना....(नाम सेंसर कर दिया गया है) उनका ही ब्लाग पढती हैं.

    तो पता चल गया मच्छर किसने भेजे थे

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  23. ताऊ झूठ मत बोलो, पहले तो अपने माथे पर अफ़ीम लगा कर मच्छर को चटा दिया(किस कराके)
    फिर उस से कटवा कर नशे में झूमते रहे , नशेड़ी कहीं के

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  24. "रास्ते मे आपको स्नेक्स दिये जायेंगे"
    सर्प भोजन (snakes?) राम, राम!
    भोजन सूची और वायु सेवा के नाम, और मच्छर सेना की करतूत, इन सब से ही लग रहा है कि यह हमारे उत्तरी पड़ोसी का ताऊ विरोधी षड्यंत्र हो सकता है.

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  25. "ताऊ पहेली के गोल्डन जुबली" के अवसर पर
    ताऊ को बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ. ऐसे ही यह यात्रा जारी रहे, मंगलकामनाएँ.

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  26. हमें यह भी मालूम है
    आप 6 दिसम्‍बर 2009 के
    नेशनल पार्क के मुंबई ब्‍लॉगर मिलन समारोह में
    उपस्थित रहे
    पर उसकी रिपोर्टिंग
    क्‍या इसी वजह से नहीं की गई
    वैसे इस मिलन समारोह से
    6 दिसम्‍बर की खराब इमेज
    स्‍वच्‍छ हो गई।

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  27. यह खून मछरों को और सूपर्णखा को महंगा पड़ना चाहिए !

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