ताऊ पहेली - 46

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 46 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. क्ल्यु हमेशा की तरह रामप्यारी के ब्लाग से मिलेंगे. रामप्यारी के ब्लाग पर पहला क्ल्यु 11:30 बजे और दुसरा 2:30 बजे मिलेगा. रामप्यारी का जवाब अलग टिपणी में देवें. तो आईये अब आज की पहेली की तरफ़ चलते हैं.

यह कौन सी जगह है?


ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे

अब रामप्यारी का विशेष बोनस सवाल : - ३० अंक के लिये.


हाय एवरी बडी..वैरी गुड मार्निंग फ़्रोम रामप्यारी
.

विनम्र निवेदन : - कृपया मेरे सवाल का जवाब अलग टीपणी मे देवें. बडी मेहरवानी होगी. एक ही टिपणी मे दोनो जवाब मे से एक सही होने पर प्रकाशित नही की जा सकती और इससे आप कन्फ़्युजिया सकते हैं कि आपकी टिपणी रुकी हुई है. तो सही होगी?

आज का सवाल :-

विष्णू भगवान के दस अवतारों मे से किन दो में आपसी विवाद हुआ था?


अब आप मेरे ब्लाग पर पहली हिंट की पोस्ट पढ सकते हैं 11:30 बजे और दुसरी 2:30 बजे.

अब रामप्यारी की रामराम.


इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा



नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर हर शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम

प्रिय भाईयो और बहणों सबको घणी रामराम.  आप सब सोच रहे होंगे कि ताऊ को ये गधा सम्मेलन में रिपोर्टिंग करने की क्या सुझ गई?  तो इसके पीछे बहुत दुख भरी कहानी है.  असल मे हमको इलाहाबाद सम्मेलन मे शिरकत करने का कोई न्योता नही मिला.  और अफ़्सोस इस बात का की दूर दूर देशों और प्रांतो तक न्यौते भेजे गये, जैसे महाराज युद्धिष्टर ने राजसूय यज्ञ करने के लिये भेजे थे. 

एक दिल जले ने हमको जलाने के लिये  पूछा – ताऊ आप सम्मेलन मे इलाहाबाद नही गये क्या? या न्योता नही मिला. हमने झेंप मिटाते हुये कहा – अमां यार कैसी बाते करते हो? फ़ुरसतिया जी के रहते हुये हमको न्यौता नही मिले ऐसा कैसे हो सकता है?  तो उस दिल जले ने  असली दर्द ताड लिया, आखिर ब्लागर जो ठहरा और हमारे  घावों पर नमक छिडकते
हुये बोला – वो ही तो मैं कहूं कि मुझे जब फ़ुरसतिया जी ने  निमंत्रण भेजा है..फ़ोन किया है तो आपको तो भेजा ही होगा?   हमने कहा भाई –  वो तो फ़ुरसतिया जी का फ़ोन भी आया था , हमसे कह रहे थे कि ताऊ आपको तो आना ही पडेगा..और वो चीफ़ गेस्ट तो आपको ही बनना पडेगा..पर क्या करें?  हमारी पीठ का दर्द सर्दी मे ज्यादा बढ गया सो हमने फ़ुरसतिया जी से माफ़ी मांग ली है और अगले सम्मेलन मे जाने की हामी भर दी है.

वो दिलजला भी पकका ताडू था सो हमको देखकर कुटिल हंसी मुस्कराया पर  क्या करें भाई ? हम अपनी मूंछे या खींसे..निपोर कर रह गये.. रामप्यारी को मालूम पडा तो वो बोली – अरे ताऊ छोडो..काहे के सम्मेलन और काहे का निमंत्रण? गोली मारो..मैने आपका ताऊजी डाट काम वाला शोरुम चकाचक जमा दिया है वहां काम से फ़ुरसत ही नही है…तो हमने भी चैन की सांस ली. और अपने काम धंधे मे लग गये.
और रामप्यारी की यही शोरूम वाली बात उस दिलजले ताडू ने जाकर फ़ुरसतिया जी को नमक मिर्च लगा कर सुनादी और फ़ुरसतिया जी ने सारी पोल खोल कर रख दी. उन्होने रामप्यारी के बडबोले पन की धज्जियां उडाते हुये लिख डाला चिठ्ठा चर्चा की एक लाईना में….  रामप्यारी का सवाल : मुझे राष्ट्रीय संगोष्ठी में क्यों नहीं बुलाया गया? और वो भी सबसे पहले नंबर पर.

बस रामप्यारी ने तबसे सारा घर उठा लिया सर पर. इतने मे ही हमको अहमदाबाद हमारे भाई बंदो माफ़ किजियेगा गधे सम्मेलन का निमंत्रण मिला ..और हमने वहां का निमंत्रण कबूल कर लिया..इसी बीच उज्जैन वाले गधा सम्मेलन का भी निमंत्रण आगया..सो वहां भी जाना पड गया. सारी कथा  बहुत लंबी है. सो हम इस लाईव कवरेज को आपको सुनाते रहेंगे…और यह कवरेज शुरु होगा..हमारी और रामप्यारी की यात्रा से.

गधा सम्मेलन रिपोर्टम शुरु
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गधा सम्मेलन की रिपोर्टिंग को जाते हुये ताऊ


हम और रामप्यारी घर से निकले सब सामान साथ लेकर….रामप्यारी ने कहा कि उसको अलग गधा चाहिये बैठने के लिये. वो हमारे साथ गधा शेयर नही करेगी.  तो अब क्या करते? काठी वाला गधा तो हम खुद ले लिये और रामप्यारी को बैठा दिया बिना काठी वाले गधे पर, यानि बढिया जाली दार एसी रूम हमने कब्जियाया और रामप्यारी को मच्छर वाला टिकाये … बिना जाली का… और आगे बढे.

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रामप्यारी गधा सम्मेलन की तरफ़ जाते हुये


जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां  मिलने लगे.  रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और  शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं.  हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.

दस किलोमीटर चलकर वो गधे रुक गये और बोले – ताऊ जरा पोहे जलेबी खिलवा दो…देखो वो सामने नाश्ते की दूकान भी आने वाली  है?   और  हमको भी भूख  लगी  थी.  फ़िर जलेबी का नाम सुनकर तो इलाहाबाद वाली जलेबिया याद आगई. इमान से मुंह मे तो उसी रोज पानी आगया था कि काश फ़ुरसतिया जी ने हमे भी न्यौता होता?.    सो हमने जैसे ही एक  जगह चाय पोहे जलेबी की दूकान दिखी  तुरंत  रुक गये और हमने चाय पानी के साथ जलेबी पोहा का  नाश्ता  किया. जलेबी तो खत्म हो चुकी थी. सो चाय पोहे  से ही काम चलाया.  हाय री किस्मत..ना इलाहाबाद वाली मिली ना यहां वाली.

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जलेबियां नही मिलने पर रुठी गधी को मनाता गधा

इतनी देर मे एक गधा और गधी, जो कि सम्मेलन मे जारहे थे वो आये और दूकानदार से पोहे और जलेबी मांगी.  दूकानदार के पास जलेबी खत्म हो चुकी थी. और उस गधे की गधी अड गई की उसे तो जलेबी ही खानी है….इस पर उस गधे ने उसको समझाया कि ---

चल री सजनी अब क्या सोचे?
जलेबिया खत्म हो गई आते आते
पोहे खाले , समोसे खाले
यू ना रुठो चलते चलते
चल री सजनी….अब क्या सोचे?

अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ?  जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.
और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे  सबसे तेज चैनल के  हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.



डिसक्लेमर : चल री सजनी अब क्या सोचे? यह हमारा स्वयम का मूल गाना नही है. अत: निवेदन है कि कोई इधर उधर जाकर टिप्पनीयों मे खुद की मौलिकता का रोना नही रोये. अगर पेट मे दर्द हो तो दवाई ले. और अगर आपका इस पर कापी राईट बनता है तो पोस्ट हटा ली जायेंगी. बेखटके सूचना दे सकते हैं.

नोट : जिनको भी इस प्रेमी प्रेमिका गधे की शुरुआत की प्रेम कहानी पढने की इच्छा हो वो हमारी पोस्ट "एक गधे की दुख भरी दास्तान" यहां पढे! धन्यवाद.

बाबा कायलदास प्रवचनम : खूंटे पै सम्मेलनम

आजकल हवाएं बडी सर्द हो चली हैं. माहोल मे महाभारत के अंत का सा सन्नाटा है. कुल मिलाकर कौन कहां? कब? क्या लिख देगा..कहा नही जा सकता. यू भी अब लिखना पढना कम हो चुका है. टिपियाने का मन नही करता. कहां कब क्या सनसनी खेज लिखा मिल जायेगा? कहा नही जा सकता.

बाबा घायलदास ने पिछले सप्ताह पंकज मिश्रा से वादा किया था एक अतिथि चर्चा के लिये. उसी सिलसिले मे कुछ चिठ्ठों की पुरानी पोस्ट भी पढने मे आई. बाबा द्वारा बहुत कुछ पढा गया .. और जो कुछ पढा गया उससे बाबा घायलदास जी को अकल्पनिय तकलीफ़ पहुंची. जो लोग बाबा घायलदास जी के सामने वाह वाह करते थे उन्हीं लोगों ने जमकर बाबा को परम वचनों से नवाज रखा था.

उनकी भाषा और दृष्टांत से बाबा घायलदास जी ने तुरंत उनको पहचान लिया और इतने नजदीक के लोगों का यह व्यवहार बाबा को अर्जुन की तरह विरक्ति से भर गया.

बाबा ने सोचा ...काश ये धरती फ़ट जाये...पर धरती तो बिना वर्षा के सूख कर पहले ही फ़टी हुई थी अब और क्यों फ़टने लगी? धरती माता ने कोई ठेका थोडे ही ए रखा है कि सारे विरक्त लोग उसकी गोद मे ही समायेंगे?

तब अचानक बाबा घायलदास को सामने पानी की टंकी दिखाई पडी और उस पर चढने के लिये उन्होने सरपट दौड लगा दी. बीच रास्ते ही खयाल आया कि गांव मे एक ही टंकी है और अगर बाबा के वजन से फ़ूट गई तो सारे गांव वाले वाले प्यासे मर जायेंगे सो बाबा ने तुरंत अपने कदमों को ब्रेक लगा दिये.

बाबा को सारा माहोल ऐसा लग रहा था कि बिना किसी प्रयास के ही कायलत्व को उपलब्ध होगये फ़ोकट मे ही यानि बिना तपस्या किये ही बाबा की समाधि लग गई. तत्वज्ञान की उपलब्धि के लिये कायल होना, फ़िर घायल होना और इसके बाद प्रथम सीढी है कायलत्व प्राप्ति और उसके बाद दूसरी सीढी है घायलत्व प्राति और अंतिम सोपान है परम तत्व यानि कायलम शरणम गच्छामि हो जाना.

अचानक समाधिष्ट बाबा घायलदास के आश्रम मे बाबा कायलदास के पधारने की सूचना आती हैं...दोनों का मिलन ऐसा मिलन है जैसे कबीर साहब और बाबा फ़रीद का हुआ था. उन दो महान विभुतियों मे तो सुना है वाणी से एक शब्द का भी आदान प्रदान नही हुआ जो कुछ वार्तालाप हुआ वो मौन मे ही होगया. पर अगर बाबा कायलदास और घायलदास यानि गुरु घंटाल और चेले घंटाल की मुलाकात हो और जनता को उनके अमृत वचनों का लाभ ना मिले? ऐसा तो हो ही नही सकता. आईये देखते हैं दोनों मे क्या बात हुई?

बाबा घायलदास : बाबाश्री आज कल माहोल बडा विभत्स दिखाई देरहा है? चहुं और अराजकता है... मन बेचैन है. क्या होने वाला है?

बाबा कायलदास : वत्स, हम देख पा रहे हैं कि ठीक महाभारत के उपरांत भी ऐसा ही दृष्य था..उसके उपरांत भी तो दुनियां चल रही है ना? तो फ़िक्र क्युं करते हो? आगे भी ऐसे ही चलेगी.

बाबा घायलदास : पर बाबाश्री, फ़िक्र की तो बात है ही ना? महाराज धृतराष्ट्र तो मैं हूं नही कि १०१ पुत्रों के मारे जाने के बाद भी जिवित रह पाऊं और हिमालय गमन करुं? मन बहुत खिन्न है महाराज....मेरा मतलब बाबाश्री.

बाबा कायलदास : वत्स ऐसा नही कहते. मन छोटा ना करो घायल दास.. आखिर मेरे बाद इस दुनियां को राह दिखाने वाले मेरे उतराधिकारी तो तुम ही हो...वत्स तुम्हारा संशय दूर करने के लिये आज इस पवित्र कथा का आयोजन यहां करवाओ. इसके श्रवण मनन से मन के सब क्लेश दूर हो जाते हैं वत्स... सुनो और सुनावो...सारे क्लेश भगाओ. अब जल्दी से कथा के लिये तैयारीयां शुरु करवाओ.

और बाबा घायल दास के चेलों ने फ़टाफ़ट कथा की तैयारी शुरु करदी..पंडाल.. शामियाना..माईक की व्यवस्था कर दी गई और आनन फ़ानन में गांव वाले भी भेंट पूजा की सामग्री ले कर कथा सुनने के लिये पण्डाल में हाजिर हो गये. कुछ चेले कथा के लिये प्रसाद रुपी सामग्री तैयार कराने मे जुट गये.

इधर बाबा श्री कायलदास जी मंचासीन होकर माईक पर काबिज होगये और तबला पेटी की धुन के बीच यों बोलना शुरु किया.

बाबाश्री कायलदास जी द्वारा अमृत प्रवचन


बाबा कायलदास : तो भक्त जनों, पुरातन समय की बात है. उस समय मे एक गांव था. और उस गांव मे एक बहुत ही चालाक और दुष्ट प्रवृति का आदमी रहता था. उस आदमी को गांव की शांति और सदा शयता बिल्कुल दोनों आंखों से नही सुहाती थी तो एक से क्या सुहायेगी?

बोलो बाबा कायलदास की जय...सारे जुटे हुये भक्त जयकारा लगाते हैं.

बाबा कायलदास आगे कहते हैं....तो भक्तो...समय बलवान...यह दुष्ट आदमी धीरे धीरे..उन्नति करता हुआ गांव का सरपंच बन गया. तब तो इसके अत्याचार और बढ गये. सभी गांव वालों को कोर्ट मुकदमों मे फ़ंसाना...झूंठी गवाहियां देना ...दिलवाना इसका परम पुनीत कर्तव्य होगया. इसके चारों भाई भी इसी की तरह बडे दुष्ट थे. यानि एक ही बेल के सारे तुंबडे थे.

इसी बीच एक भक्त खडा होकर बीच मे बोल पडा...पर बाबाश्री..आप यह पुरातन समय की कथा सुना रहे हैं तो इसमे पंचायत और सरपंच कहां से आगये?

बाबा कायलदास जी ने बडे ही मधुर शब्दों मे झिडकी देते हुये कहा - वत्स..गुरुजनों से बहस नही करते और यह हम तुमको बिल्कुल मौलिक कथा सुना रहे हैं...इसमें संशय करोगे तो कुंभी पाक नरक के भागी बनोगे और श्रद्धा पूर्वक सुनोगे तो स्वर्ग के दरवाजे तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...इसलिये हे वत्स ..अब ध्यान पूर्वक आगे की कथा सुनो.

एक बार फ़िर ... बाबा कायलदास की जय..का जयकारा लगता है...

अब उत्साह पूर्वक बाबा कायलदास जी ने कथा प्रवचन आगे बढाये....हां तो हम कह रहे थे कि वो दुष्ट बडा अत्याचारी बन गया...सरकार से नदी किनारे की सरकारी जमीन जो गरीब लोगों को वितरित करने के लिये मंजूर हुई थी उसको खुद ही अपने और रिश्तेदारों को अलाट करवा ली...पूरे गांव मे अशान्ति और अराजकता फ़ैल गई..

सारे बोलो... बाबा कायलदास की जय.. और एक जोर का जयकारा लगता है बाबा कायलदास आगे बोलना शुरु करते हैं...

हां तो भक्त जनों....धीरे धीरे समय बीतता गया..और काल को कौन जीत पाया है? एक दिन यह व्यक्ति भी मर गया...वैसे तो सारे गांव मे हर्ष की लहर फ़ैल गई...पर असली समस्या यहीं से शुरु हो गई...सारे गांव वाले पहले से भी ज्यादा परेशान...

फ़िर एक भक्त बीच मे ही बोल पडा...बाबाश्री..अब जब दुष्ट मर गया तो ..परेशानी काहे की?

बाबा कायलदास जी बोले...अरे तुच्छ प्राणी...हमने कहा ना ..कथा के बीच मे प्रतिप्रश्न करने वाला कुंभी पाक नरक का भागी बनता है...क्युं अपना परलोक बिगाड रहा है मुर्ख? पर अब जब तूने पूछ ही लिया है तो हम बता देते हैं कि...उस गांव मे जब भी कोई मर जाता था तो उसकी चिता मे आग लगाने के पहले उस दिवंगत की तारीफ़ मे दो शब्द बोल कर श्रद्धांजलि देने की परंपरा थी.. और इसके बाद ही चिता को आग लगाई जाती थी.. और इसी के चलते यह समस्या खडी हुई...क्योंकि इस आदमी के तारीफ़ मे क्या बोला जाये? जिंदगी भर तो इसने सिवाय लोगों को लडवाने और घर तुडवाने के कुछ किया नही..अब इसको श्रद्धांजलि के लिये तारीफ़ के शब्द कहां से लाये जाये?

गांव वाले परेशान...मुर्दा आखिर कब तक बिना जले पडे रहे? आखिर मुर्दे के भी कुछ मूलभूत अधिकार होते हैं कि नही...और एक डर गांव वालों को और सताने लगा कि ज्यादा देर ऐसे दुष्ट आदमी की लाश पडी रहे और कहीं भूत पिशाच बन गया तो मरने के बाद भी परेशान करेगा..

तभी भक्तो ने एक और जोरदार जयकारा लगाया....बाबा कायलदास जी की जय हो..बाबाश्री अमर रहे....

बाबा श्री कायल दास जी ने हाथ ऊठाकर भक्त जनों को आशिर्वाद देते हुये बोलना शुरु किया.. हां तो भक्त जनों..इस समस्या के निवारण के लिये गांव वालों को अब ताऊ की याद आई...एक मात्र ताऊ ही था गांव मे सबसे ज्यादा अंग्रेजी पढा लिखा यानि पांचवी फ़ेल..जिसने अंगरेजी बोलने मे भी कईयों को हराया था.

गांव वाले ताऊ को जाकर हाथ जोडकर बोले - ताऊ तुमने कई बार गांव की इज्जत बचाई है आज भी तुम ही कुछ करो..सो गांव वालों द्वारा विनती करने पर ताऊ श्रद्धांजलि देने को तैयार होगया और बोलना शुरु किया.

ताऊ उवाच : भाईयो और बहनों...बडे दुख की बात है कि आज हमारे सरपंच साहब हमारे बीच नही रहे...अब उनकी क्या तारीफ़ करुं और क्या छोड दूं? और ताऊ ने आवाज रोनी करते हुये जेब से रुमाल निकालते हुये...आंसु पोंछने का नाटक करते हुये आगे बोलना शुरु किया...

भाईयो अब ज्यादा क्या कहूं...सरपंच साहब..बस ये समझ लो कि उनके बाकी के चारों भाईयो से ज्यादा शरीफ़ और भले इंसान थे.

और गांव वालों ने चैन की सांस ली और ताऊ की भूरी भूरी नही तो पीली पीली प्रसंशा की...

तो हे भक्त जनों..इस कथा के श्रवण मनन से जैसे गांव वालों की मुराद पूरी हुई वैसे ही आपकी भी होगी...बस मरे हुये आदमी को तारीफ़ पूर्वक श्रद्धांजलि देते रहो.

बोलो बाबाश्री कायलदास जी की जय....और एक जोर का जयकारा लगता है.

इब खूंटे पै सम्मेलन रिपोर्ट : -

अभी एक सम्मेलन इलाहाबाद में संपन्न हुआ जिसकी चर्चा और लाइव टेलिकास्ट आप देख चुके हैं. आजकल एक गधा सम्मेलन अहमदाबाद मे चल रहा है. ताऊ को उसका बाकायदा  निमंत्रण मिला.  ताऊ इस सम्मेलन के उदघाटन सत्र से समापन सत्र तक वहां मौजूद रहेगा.  ताऊ द्वारा खींची गई  सम्मेलन की कुछ तस्वीरे देखिये  और पूरी रिपोर्ट का इंतजार किजिये.

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चित्र – १ सम्मेलन के उदघाटन सत्र में दौड लगाते गर्दभराज

 

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चित्र – २ दौड के उपरांत विश्राम मुद्रा में प्रतिभागी

 

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चित्र – ३ अपने संतू गधे को बेचकर चैन की नींद निकालता ताऊ



मै आपको बता दूं कि यह सम्मेलन बहुत ही सफ़लता पुर्वक चल  रहा है . जिनको भी शिरकत करनी हो..उनसे निवेदन है कि निमंत्रण पत्र के लिये अपना टिकट लगा लिफ़ाफ़ा पता करके भिजवायें.

 

नोट : इस सम्मेलन की अगली विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किजिये! 

 

ताऊ पहेली - 45 के विजेता स्मार्ट इंडियन

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 45 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है वृंदावन गार्डन जो कि मैसूर (कर्नाटक) राज्य में है.


आईये अब आज के विजेताओं से आपको मिलवाते हैं.

"आज के विजेता गण"

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प्रथम विजेता
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन

बधाई अंक १०१


द्वितीय विजेता
शुभम आर्य


बधाई अंक १००

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Varun Kumar Jaiswal

तृतीय विजेता

बधाई अंक ९९



आईये अब हमारे आज के बाकी के विजेताओं से आपको मिलवाते हैं.

 

 

बधाई सभी विजेताओं को

 Murari Pareek  अंक ९८


दिनेशराय द्विवेदी अंक ९७
 काजल कुमार  अंक ९६


Vivek Rastogi अंक ९५
 पं.डी.के.शर्मा"वत्स"  अंक ९४


अविनाश वाचस्पति अंक ९३
  seema gupta अंक ९२

नीरज गोस्वामी
अंक ९१

inder  अंक ९०


प्रेमलता पांडे  अंक ८९
 P.N. Subramanian अंक ८८
MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर
अंक ८७

garima अंक ८६


Udan Tashtari
अंक ८५
 संजय तिवारी ’संजू’  अंक ८४

अभिषेक ओझा
अंक ८३
 सैयद | Syed अंक ८२

दिलीप कवठेकर
  अंक ८१

इसके अलावा निम्न महानुभावों ने भी इस पहेली अंक मे शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया. जिसके लिये हम उनके हृदय से आभारी हैं.



डा. रुपचंद्र शाश्त्री, श्री रतन सिंह शेखावत, M A Sharma "सेहर", श्री श्रीश पाठक प्रखर, श्री मिश्रा पंकज,
श्री संजय बैंगाणी, श्री दिगंबर नासवा, श्री जितेंद्र, श्री दर्पण शाह "दर्शन" और श्री नीरज जाट जी.

बहुत आभार आपका.


रामप्यारी के सवाल के विजेताओं से यहा मिलिये.

"रामप्यारी के ३० नंबर के सवाल का जवाब"


हाय…गुड मोर्निंग एवरी बडी…आई एम राम..की प्यारी… रामप्यारी.
हां तो अब जिन्होने सही जवाब दिये उन सबको दिये गये हैं ३० नम्बर…अगर भूल चूक हो तो खबर कर दिजियेगा..सही कर दिये जायेंगे.

मेरे कल के सवाल का सही जवाब है विकर्ण. जैसा कि कई लोगों ने लिखा है युयुत्सु...तो मैं आपको बतादूं कि युयुत्सु धृतराष्ट्र का पुत्र था जो कि दासी से उत्पन्न माना गया है. परंतु युयुत्सु ने द्रौपदी चीरहरण का विरोध नही किया था. युयुत्सु तो इसलिये जाना जाता है कि जब भीष्म पितामह द्वारा युद्ध शुरु होने के ठीक पूर्व यह घोषणा की गई कि " जो भी योद्धा चाहे अब अपना पाला बदल सकता है कि वो किसके पक्ष मे युद्ध करेगा. तब युयुत्सु डंका बजाते हुये कौरव सेना छोडकर पांडव सेना मे शामिल होगया था. और यही एकमात्र धृतराष्ट्र पुत्र था जो महाभारत युद्ध मे जीवित बचा था और जिसके वंशज आज भी मौजूद हैं.

आज पहला सही जवाब आया मुरारी अंकल का, फ़िर सीमा आंटी का, फ़िर अंतर सोहिल अंकल, वंदना आंटी, इंद्र अंकल, विवेक रस्तोगी अंकल, पंडितजी यानि डी. के. शर्मा "वत्स" अंकल, अभिषेक ओझा अंकल, अजय झा अंकल..वही जो मुझे बिल्लन बोलते हैं..किसी रोज गलत जावाब देना झा अंकल..फ़िर देखना स्कूळ दायरी मे नोट लगाकर घर भेजूंगी...तब देखना आंटी क्या हाल करेगी आपका? आपका सबसे आखिरी मे सही जवाब दिया ज्योति सीम्ह आंटी ने.

आप सबके खाते में तीस तीस नम्बर मैने जमा करवा दिये हैं.

समीर अंकल, प्रेमलता आंटी, संजय तिवारी " संजू" अंकल, रुपचंद्र शाश्त्री अंकल संजय बेंगाणी अंकल और दिलिप कवठेकर अंकल..आप सबकी डायरी मे नोट लगाया जाता है. आप लोगों ने ना केवल गलत जवाब दिये बल्कि नकल भी गलत की. बहुत खराब बात है. पेरेंट्स ध्यान देवें. अगली बार पूरा होमवर्क करके आये.


अब रामप्यारी की तरफ़ से रामराम…अगले शनीवार फ़िर से यही मिलेंगें. वैसे आजकल शाम ६ बजे मैं ताऊजी डाट काम पर रोज ही मिल जाती हूं. ..और हां आपका आज से शुरु होने वाला सप्ताह शुभ हो.



हीरू और पीरू यानि हीरामन और पीटर की मनोरंजक टिपणियां यहां पढिये.

"आपकी सेवा में हीरू और पीरु"


 

अरे हीरू भिया..अंई आवो..ई देखो काजल अंकल कंई के रिया हे?

ला दिखा तो म्हारे जरा….

काजल कुमार Kajal Kumar said...

हे रामप्यारी, द्रौपदी चीरहरण के समय जिय कौरव ने चीरहरण का विरोध किया था उसका नाम ज़रूर 'जनता' रहा होगा...आज भारत को ही देख लो...नेता लोग कौरव-कौरव खेल रहे है और जनता है कि अंधे धृतराष्ट्री कौरव सी पांडू बनी बैठी है।

October 24, 2009 3:12 PM

 अजय कुमार झा said...

अरे एक ठो डाकू भी था जी यहीं का...का कहते हैं.....कायरप्प्न....अरे नहीं नहीं..ससुर वीरप्प्न था जी..

October 24, 2009 10:42 PM

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

रामप्यारी कौरवों में सिर्फ एक ऎसा व्यक्ति था जिसने कि भरी सभा में हो रहे द्रौपदी के अपमान के विरोध में वहाँ उपस्थित भीष्म तथा द्रोणाचार्य सहित समस्त सभासदों को धिक्कारा...ओर प्रत्यक्ष रूप से पाँडवों का पक्ष लेते हुए दुर्योधन तथा दु:शासन को युद्ध तक के लिए ललकार दिया था.......वो शख्स था धृ्तराष्ट्र पुत्र एवं दुर्योधन का सगा भाई "विकर्ण"
महाभारत के "सभापर्व" में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है......

October 24, 2009 5:51 PM

 

हां भिया ..पर आज मजौ नी आयो इन टिप्पनी होण में…पण पंडीतजी ने अच्छौ बतई दियो  विकर्ण का बारा में.

हा और कंई….चलो अबे घरां ने…



अच्छा अब नमस्ते.सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. ताऊ पहेली – 45 का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.

ताऊ पहेली - 45

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 45 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. क्ल्यु हमेशा की तरह रामप्यारी के ब्लाग से मिलेंगे. रामप्यारी के ब्लाग पर पहला क्ल्यु 11:30 बजे और दुसरा 2:30 बजे मिलेगा. रामप्यारी का जवाब अलग टिपणी में देवें. तो आईये अब आज की पहेली की तरफ़ चलते हैं.

इस जगह को पहचानिये!


ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे

अब रामप्यारी का विशेष बोनस सवाल : - ३० अंक के लिये.

rampyari-tdc-1_thumb[2] हाय एवरी बडी..वैरी गुड मार्निंग फ़्रोम रामप्यारी.

विनम्र निवेदन : - कृपया मेरे सवाल का जवाब अलग टीपणी मे देवें. बडी मेहरवानी होगी. एक ही टिपणी मे दोनो जवाब मे से एक सही होने पर प्रकाशित नही की जा सकती और इससे आप कन्फ़्युजिया सकते हैं कि आपकी टिपणी रुकी हुई है. तो सही होगी?

आज का सवाल :-

द्रौपदी चीरहरण के समय वो कौन सा कौरव था जिसने चीरहरण का विरोध किया था?


अब आप मेरे ब्लाग पर पहली हिंट की पोस्ट पढ सकते हैं 11:30 बजे और दुसरी 2:30 बजे.

अब रामप्यारी की रामराम.


इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा



नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर हर शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

बादशाह अकबर के सवाल और ताऊ के जवाब !

पिछले भाग मे आप पढ चुके हैं कि नौकरी के लिये इंटर्व्यु दिलवाने ताऊ को लेकर राज भाटिया जी बादशाह अकबर के दरबार मे पहुंचे और ताऊ वहां की शानौशौकत देख कर अचंभित रह गया. अब आगे पढिये.


बादशाह सलामत तो एक दम ही मुगलेआजम वाले गेट अप मे सोफ़े पर पसरे हुये इंटर्व्यु ले रहे थे...ताऊ भी अपना नंबर आने पर डरता डरता ऊठा ..और भाटिया जी का हाथ पकडे पकडे जिल्ले-इलाही के सामने खडा हो कर आदाब बजाते हुये बोला - लामलाम... सलदाल....लामलाम...

( असल मे ताऊ बादशाह के दरबार मे पहले बार गया था सो घबरा गया और घबराहट मे रामराम को लामलाम बोल गया और ताऊ की शोले का असर उस पर अभी बाकी था सो बादशाह सलामत की जगह सरदार बोल गया और वो भी तुतला कर सलदाल..कह गया. )

बादशाह अकबर - हूं..ये कौन सी भाषा बोल रहे हो बरखुरदार तुम? और भाटिया जी की तरफ़ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा.

भाटिया जी ने आदाब
बजाते हुये कहा - जहांपनाह...ये आपकी पुरानी सल्तनत दिल्ली के पास रोहतक का रहने वाला है हुजुर...आपको वो सल्तनत छोडे मुद्दतें हुई..अब आप जर्मनी मे जन्म लेकर वो भाषा भूल चुके हैं....ये आपको आपकी पुरानी सल्तनत की याद दिलाते हुये वहीं की हरयाणवी भाषा में कह रहा था...जहांपनाह का पुराना रुतबा वापस कायम हो....

बादशाह अकबर - वाह ..वाह..हमे ऐसे ही आदमी की आवश्यकता है...पुराना रुतबा तो आज भी हमारे सपनों मे रह रह कर आता है...अब जर्मनी मे रहकर नौ रत्न रखना तो हम अफ़ोर्ड नही कर सकते पर एक रत्न तो रख ही सकते हैं. हमारा मन भी लगा रहेगा. हां तो तुम्हारा नाम क्या है?

ताऊ - हुजुर मुझे ताऊ कहते हैं.

बादशाह अकबर - अरे वाह ...ताऊ..वाह..मा बदौलत को नाम पसंद आया...हमे ऐसा ही नाम वाला आदमी चाहिये था...आज से तुम हमारी सेवा मे सरकारी मुलाजिम हुये.....

ताऊ मन लगाकर जहांपनाह की सेवा करने लगा.. अब बादशाह सलामत तो ठहरे बादशाह सलामत... जो भी उटपटांग सवाल मन मे उठता उसका जवाब मांगते...जवाब देने पर इनाम नही तो हर बात मे ताऊ को या तो फ़ांसी चढवा दूंगा या..देश निकाला दे दूंगा की धमकी मिलती..ताऊ भी इन सबका अभ्यस्त हो चुका था.

कुछ दिन बाद .........बादशाह सलामत सोफ़े पर पसरे पडे हैं...ताऊ आदाब अर्ज की मुद्रा मे खडा है... जींस की पैंट पहने दो आधुनिक सेविकायें चाय नाश्ते की ट्रे लिये आरही हैं.....

अकबर -- हां तो ताऊ, हमको कुछ दिन से यह विचार आरहा है कि इस दुनियां मे सर्वश्रेष्ठ क्या है? बताओगे? वर्ना हम तुम्हारा जर्मनी से बाहर युगांडा ट्रांसफ़र करवा देंगे...

अब ताऊ ने सोचा कि आज फ़ंस गये...ताऊ ने सोचने के लिये २४ घंटे की मोहलत मांगना उचित समझा...और बोला - हुजुर, दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज कल सुबह ही आपकी खिदमत मे पेश कर दी जायेगी....हुजुर. अब मुझे आज्ञा दिजिये...मैं वो चीज लेकर कल सुबह आऊंगा.

अब बहुत सोच समझकर ताऊ ने आशीष खंडेलवाल जी से कहकर एक की-बोर्ड का इंतजाम करवाया और अगले दिन ताऊ वह कंप्युटर का की-बोर्ड लाल कपडे में लपेट कर बगल मे दबाये दबाये दरबार मे पेश हुआ और आदाब अर्ज बजाने के बाद उसे जहांपनाह को देते हुये बोला - हुजुर ये लिजिये दुनियां की सर्वश्रेष्ठ चीज.

बादशाह अकबर - ये क्या लाये हो ताऊ? क्या है इसमे ?

ताऊ - माई बाप...इसमे कंप्युटर का की-बोर्ड है हुजुर...

बादशाह सलामत की त्योरियां चढ गई और बुरी तरह से गुस्सा होकर अपनी पुरानी आदत अनुसार अकबरी तलवार खींचकर बोले - खामोश बद दिमाग ताऊ...हमसे मजाक करता है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? मत भूल की हम अब भी बादशाह अकबर हैं. एक की-बोर्ड दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कैसे हो सकती है? अब आज अकबरी प्रकोप से तुझको कोई नही बचा सकता.

ताऊ बोला - गुस्ताखी माफ़ हो हुजुर..असल मे आजकल जीभ का काम की-बोर्ड से होने लगा है....जैसे जीभ से किसी के लिये अच्छा और मधुर बोलकर किसी का प्यार और प्रसंशा पाई जा सकती है हुजुर...वैसे ही आजकल ब्लागिंग मे इसी की-बोर्ड से सुंदर और मधुर लिखकर परम आनंद प्राप्त किया जा सकता है. यानि सबसे दोस्ती निभाई जा सकती है...सबकी आंखों का तारा बना जा सकता है अत: हे बादशाह श्रेष्ठ..आज के युग मे यह की-बोर्ड ही सर्वश्रेष्ठ है.

ताऊ के इस उत्तर पर बादशाह सलामत अति प्रशन्न हुये और बोले - ताऊ, तेरे उत्तर से हमारी तबियत गार्डन से भी बडा गार्डन हुई...मुगलिया सल्तनत का दौर होता तो आज हम तुमको दस बीस गांव की जागीर अता कर देते..पर फ़िल्हाल तुम ये १० हजार युरो की थैली स्वीकार करो. और अब हमको ये बताओ कि दुनियां मे सबसे निकृष्ट चीज क्या है?

ताऊ मन ही मन भुनभुनाते हुये बोला -- हुजुर निकृष्ट चीज भी कल सुबह आपकी पेशे खिदमत करुंगा. और ताऊ वहां से सोचते हुये निकल लेता है.

अगले दिन ताऊ फ़िर एक की-बोर्ड आशीष खंडेलवाल जी से मंगवा कर, लाल कपडे मे बांध कर बादशाह सलामत के पेशे खिदमत करता है और कहता है कि जहांपनाह यही है दुनियां की निकृष्ट चीज. फ़िर से की-बोर्ड देखकर बादशाह सलामत का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है.

अकबर बादशाह लाल पीले होते हुये चिल्लाए - दारोगा-ए-जिंदान....फ़ौरन से पेश्तर इस नामाकूल इंसान को ले जाकर अंधेरी कोठरी मे डाल दिया जाये. ये हमसे मजाक करने की जुर्रत कर रहा है? इस दो चव्वन्नी के ताऊ की हिम्मत तो देखो? अरे कल जिस चीज को सर्वश्रेष्ठ बता रहा था आज उसको ही निकृष्ट बता रहा है?

(ताऊ मन ही मन सोचता है कि राज भाटिया जी और समीर जी ने भी मुझसे क्या दुशमनी निकाली है? कैसे आदमी के पास नौकरी दिलवाई है? अगर इसका बस चले तो ये दिन मे तीन बार मुझे अनारकली की तरह दीवार मे चुनवादे?)

तभी बीच मे ही अपना हैट उतारते हुये महारानी जोधाबाई बोली - अय हुजुर..आप ये क्युं भूल जाते हैं कि ये हमारी दिल्ली वाली सल्तनत का समय नही है? ये जर्मनी है और यहां कोई किसी को काल कोठरियों मे नही डलवा सकता. आपको अपने बादशाह होने का शौक पूरा करना है तो तरीके से किया किजिये. पहले ताऊ की बात तो सुनिये पूरी तरह से....और ताऊ से मुखातिब होते हुये महारानी जोधा बाई बोली - हां तो ताऊ, बताओ कि ये की-बोर्ड कैसे दुनियां की निकृष्ट चीज है?

ताऊ - महारानी साहिबा की जय हो..आपका इकबाल बुलंद हो महारानी साहिबा...आपको जल्दी ही शहजादे सलीम की प्राप्ति हो....( महारानी जोधा ने जैसे ही शहजादे सलीम की प्राप्ति की दुआ सुनी तो जोधा बाई ने अपने गले का हार उतार कर ताऊ की तरफ़ बढा दिया)

ताऊ सर झुका कर हार लपकते हुये बोला - हुजुर..जहांपनाह, आजकल ब्लागिंग हो रही है जमकर..और यही वो चीज है की-बोर्ड.. जिससे चाहे जिसके खिलाफ़ जहर उगला जाता है.... और आदमी इस की-बोर्ड से जहर उगलकर...और मोटी मोटी गालियां देकर ... सबकी नफ़रत का पात्र बन जाता है... और कभी कभी ...आई. पी. एडरेस पकड मे आने पर बहुत ही तबियत से जूते भी खाता है.... और कई बार गलती से सांप के बिल मे भी हाथ डाल देता है. यानि ये समझ लिजिये हुजुर...कि इसी सत्यानाशी की-बोर्ड की वजह से अच्छा भला आदमी अपनी दुर्गति करवा लेता है. बहुत गंदी चीज है ये की बोर्ड जहांपनाह....

अत: हुजुर इससे बढकर आज की दुनियां मे कोई दूसरी निकृष्ट चीज हो ही नही सकती. और अगर आपको यकीन ना हो तो हिंदी ब्लागजगत मे दरियाफ़्त करवा लिजिये हुजुर....आजकल तो चारों तरफ़ यही मंजर है....कोई सरेआम किसी को गालियां देरहा है ..तो कोई बेनामी के नाम से शौक पूरा कर रहा है....चारों तरफ़ माहोल खराब है हुजुर....

ताऊ की बात सुनते सुनते ही बादशाह सलामत का गुस्सा आसमान पर चढ गया और चिल्ला कर बोले - दारोगा-ए-जिंदान... इन बेनामियों को पकडकर हमारे सामने पेश किया जाये....

दारोगा साहब आदाब बजाते हुये डर के मारे बोले - जो हुक्म ..मेरे आका...फ़ौरन से पेश्तर हुक्म की तामिली करवाता हूं और दारोगा साहब बेनामियों को हथकडी लगाने चल पडे...और ताऊ को फ़िर से दस हजार यूरो की थली इनाम मे देकर बादशाह सलामत ने अगला सवाल पूछा....... (क्रमश:)




इब खूंटे पै पढो :-


भिखारी ताऊ और प्रेमी-प्रेमिका



एक बार ताऊ सडक पर बैठा भीख मांग रहा था. थोडी देर मे वहां से एक जोडा (प्रेमी-प्रेमिका) स्कूटर पर निकला.


उनको देखकर ताऊ ने बडी जोर की हांक लगाई...दे देSSS ..दे देSSS बाबाSS..अल्लाह के नाम पर दे दे...तेरा जोडा बना रहे...और अपना कटोरा उनके आगे कर दिया.


उस आदमी ने तरस खाकर ५ रुपये का सिक्का कटोरे मे डाला.


अब ताऊ बोला -- दे दे बाबा दे दे..पचास रुपये  का नोट  दे दे....आज तो…


वो आदमी बोला - बाबा...पचास का क्या करेगा?


ताऊ बोला - दे दे बाबा..दे दे आज तो ताऊ बर्गर खायेगा....बाबा दे दे..

वो आदमी बोला - पर बर्गर तो पच्चीस रुपये मे आता है?


ताऊ - आज तो साथ मे मैं अपनी गर्ल फ़्रेंड को भी खिलाऊंगा..


वो आदमी बोला - कमाल है..भिखारियों की भी गर्ल फ़्रेंड होती हैं?


ताऊ - अरे बावली बूच...गर्ल फ़्रेंड तो पहले से ही थी.... भिखारी तो उसने बाद मे मुझे बना दिया....जैसे अब तू बनेगा.


ताऊ पहेली - 44 विजेता श्री शुभम आर्य

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 44 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है अक्षर धाम दिल्ली.


आईये अब आज के विजेताओं से आपको मिलवाते हैं.

"आज के विजेता गण"

प्रथम विजेता श्री शुभम आर्य बधाई अंक १०१

द्वितीय विजेता श्री प्रकाश गोविंद बधाई अंक १००

तृतीय विजेता श्री पंकज मिश्रा बधाई अंक ९९



आईये अब आज के बाकी विजेताओं से आपको मिलवाते हैं.

 Blogger Varun Kumar Jaiswal  बधाई अंक ९८

 Blogger Udan Tashtari बधाई अंक ९७

 Blogger सैयद | Syed  बधाई  अंक ९६

 Blogger संजय तिवारी ’संजू’  बधाई अंक ९५

 Blogger M VERMA  बधाई  अंक ९४

 Blogger Smart Indian - स्मार्ट इंडियन  बधाई अंक ९३

 Blogger प्रेमलता पांडे बधाई अंक ९२

 Blogger पं.डी.के.शर्मा"वत्स" अंक ९१

 Blogger अजय कुमार झा अंक ९०


MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर  बधाई अंक ८९

 Blogger अविनाश वाचस्पति  बधाई अंक ८८

 Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक  बधाई अंक ८७

 Blogger सुशील कुमार छौक्कर  बधाई अंक ८६


दिगम्बर नासवा     बधाई अंक ८५

 Blogger दिलीप कवठेकर बधाई अंक ८४

 Blogger नितिन | Nitin Vyas बधाई अंक ८३

 Blogger jitendra  बधाई  अंक ८२

 Blogger Ratan Singh Shekhawat  बधाई  अंक ८१

  Blogger विक्रांत बेशर्मा   बधाई   अंक ८०

 Blogger काजल कुमार Kajal Kumar  बधाई अंक ५०


इसके अलावा निम्न महानुभावों ने भी इस पहेली अंक मे शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया. जिसके लिये हम उनके हृदय से आभारी हैं.



श्री मिश्रा आर. सी., श्री मनोज कुमार, श्री सुमन, सुश्री महक, श्री पिंटू कुमार, चुल्बुली-लविजा, श्री ललित शर्मा, सुश्री संगीता पुरी, श्री अल्बेला खत्री डाट काम, श्री राज भाटिया, श्री मुरारी पारीक, सुश्री शेफ़ाली पांडे, श्री गिरीश बिल्लोरे "मुकुल", सुश्री वाणीगीत, सुश्री बबली और श्री शरद कोकास.

आप सभी का पुन: हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं.

चलते चलते :- श्री मीत ने मुख्य पहेली का सही जवाब दिया है...आपको ४९ अंक दिये गये हैं. बधाई!



रामप्यारी के सवाल के विजेताओं से यहा मिलिये.

"रामप्यारी के ३० नंबर के सवाल का जवाब"


हाय…गुड मोर्निंग एवरी बडी…आई एम राम..की प्यारी… रामप्यारी.
हां तो अब जिन्होने सही जवाब दिये उन सबको दिये गये हैं ३० नम्बर…अगर भूल चूक हो तो खबर कर दिजियेगा..सही कर दिये जायेंगे.

कल के मेरे सवाल का सही जवाब है कि हेमा की पुत्री थी मंदोदरी, तो दोनों मे मां-बेटी का रिश्ता हुआ. पिछली बार रिपोर्ट कार्ड पर रिमार्क लगाने से यह फ़ायदा हुआ कि कुल ४० बच्चे (प्रतिभागी) परिक्षा मे बैठे जिसमे रामप्यारी का सवाल सिर्फ़ ११ लोग ही हल कर पाये. यानि अभी तक संतोषजनक परिणाम नही हैं..इस बार बिना रिमार्क लगाये रिजल्ट प्रकाशित किये जाते हैं.

आज सबसे पहले सटीक जवाब आया वरुण अंकल का. फ़िर प्रकाश गोविंद अंकल ने भी बिल्कुल सटीक जवाब दिया. उडनतश्तरी अंकल आये बिल्कुल सही जवाब के साथ. एम.वर्मा अंकल भी लाये बिल्कुल सही जवाब....

संजय तिवारी अंकल, सैय्यद अंकल, मुम्बई टाईगर अंकल और दिगंबर नासवा अंकल ने भी बिल्कुल सही जवाब दिया.

फ़िर पंडितजी यानि वत्स अंकल, सीमा आंटी और आज के मुख्य पहेली विजेता शुभम अंकल ने बिल्कुल सही जवाब देकर ३० नम्बर हथिया लिये. मैं आजकल जरा गोल्दन जुबिली की तैयारीयों के लिये सबका रिजल्ट तैय्यार कर रही हूं तो समय कम मिलता है. इस लिये अब यहीं पर रामराम.

और चलते चलते - मीत अंकल ने भी सही जवाब दिया है.

आप सबके खाते में तीस तीस नम्बर मैने जमा करवा दिये हैं.

अब रामप्यारी की तरफ़ से रामराम…अगले शनीवार फ़िर से यही मिलेंगें. वैसे आजकल शाम ६ बजे मैं ताऊजी डाट काम पर रोज ही मिल जाती हूं. ..और हां आपका आज से शुरु होने वाला सप्ताह शुभ हो.



हीरू और पीरू यानि हीरामन और पीटर की मनोरंजक टिपणियां यहां पढिये.

"आपकी सेवा में हीरू और पीरु"


अरे हीरू भिया..अईं देखो ई अविनाश अंकल कंईं के  रिया हे? …कंईं केवे हो?

अरे ई हेमा को मंदोदरी की मौसी, दादी और नानी बतई रिया हे?

अरे कईं जुल्म करे हो?  मां बेटी के ई कंईं बतावे….ला म्हारे देखणे दे….

 

 Blogger अविनाश वाचस्पति said...

रामप्‍यारी
हेमा मालिनी तो समझ में आई
जरूर मंदोदरी उसकी बहन रही होगी
हो सकता है धरम पाजी की साली हो
या .... या ........ या .......
हो तो मौसी भी सकती है
बुआ भी हो सकती है
चाची, मामी भी हो सकती है
नानी, दादी भी हो सकती है
कोई क्‍लू मिले तो सही नतीजे पर पहुंचें।

October 17, 2009 11:15 AM

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 Blogger दिलीप कवठेकर said...

ये दो उल्लू इसलिये है, कि दिवाली में लक्ष्मी जी को ओवरटाईम करना पडेगा तो विष्णुजी से गरुड मांगने की बजाय अपने ही दो उल्लू रहें तो अच्छा. महिलाओं के आत्मनिर्भरता की जय!!!
क्या ठीक कहा ना ताऊ?

October 17, 2009 12:39 PM

 Blogger दर्पण साह "दर्शन" said...

हेमा का पति कौन? धरमेंदर, धरमेंदर ने अपने किस मित्र के साथ शोले में काम किया था (अरे ताऊ वाली शोले नहीं रे संभा !! )
अमिताभ बच्चन, अमिताभ बच्चन का पुत्र कौन? अभिषेक बच्चन, अभिषेक बच्चन आजकल किस मूवी में काम कर रहा है? रावन, रावन का नाश किसने किया ? राम , अब राम के साथ मंदादोरी का क्या सम्बंदः था ये भी में ही बताऊँ? इतना तो बता दिया ...
चल अपनी किताब खोल और वहां पढ़ ले.
खेल कूद से फुर्सत मिले तुझे तब ना...
क्या कहा आज दिवाली है?
चल तू भी क्या याद रखेगी कल दे देना उत्तर ....
राम के स्वागत में दीप जलाए जाने हैं? और तू मंदोदरी के पीछे पड़ी है !!
क्या कहा दीप से तो पूरी अयोध्या सजी है?
तू बम पटाखे फोडेगी?
ह्म्म्म्म.....

October 17, 2009 7:54 PM

 Blogger राज भाटिय़ा said...

अरी राम प्यारी केसी हौ री तु, अब तो बडे घुमा घुमा कर सवाल करने लग गई है तु.. हे मां मंदोदरी कोन है, भाई अब मुझे क्या पता यह कोन है, हो ना हो दोनो किसी ना किसी रुप मे एक दुसरे की दुशमन जरुर होगी:) राम राम

October 17, 2009 1:11 PM

 Blogger अजय कुमार झा said...

बिल्लन मेरे ख्याल से ये बातें हो सकती है हेमा और मंदोदरी के बीच एक जैसी
दोनों ही मालिन थी ।
दोनों को ही पति सेकेंड हैंड मिला हो।
दोनो के ही दो पुत्तर थे..मगर पुत्तर तो धरम पाजी के थे..हेमा की तो दो पुतरियां हैं।
रुक थोडा और सोचता हूं..
और क्या हो सकता है यार......?
अरे हां दोनों के पतियों ने यानि रावण और धरम पाजी ने पराई स्त्री यानि सीता आउर हेमा पर नज़र डाली थी,,जबकि वे खुद शादी शुदा थे..
देख्न इससे ज्यादा मैं नहीं सोच सकता..बिल्लन घर के काम भी करने हैं..तेरी इस पहेली में उलझा रहा न तो मेरी अपनी खुद की हेमा मालिन को मंदोदरी बनते ज्यादा देर नहीं लगेगी।
चलता हूं..ताऊ का जवाब दे ही दिया है..बस देखना है कि नं कित्ते मिलते हैं।

October 17, 2009 3:04 PM

 Blogger पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

रामप्यारी आज फिर तूने आऊट आफ सिलेबस सवाल पूछ के सब को उलझा डाला....
चल तू भी क्या याद करेगी, तेरे सवाल का जवाब दे दी देते हैं:)
हेमा एक अप्सरा थी जो कि श्री रावण जी की "सासुमाँ" यानि की मंदोदरी की माता थी ।
क्यूं ठीक है न :)
चल अब पटाखे वटाखे फोड ओर ताऊ के साथ मिल के दीपावली का आनन्द ले !!!

October 17, 2009 5:44 PM

 Blogger नितिन | Nitin Vyas said...

हेमा और मंदोदरी में वही रिश्ता था जो एकता कपूर की दुकान (सास - बहु) चला रहा है।

October 17, 2009 2:08 PM

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अरे हीरू भिया...चलो अब आज भाई दूज पे रामप्यारी बेन के हियां जीमणे जाणो हे और तिलक भी तो करवाणो हे...

हां पीरु भिया...चलो रामप्यारी बेन के हियां.....!


अच्छा अब नमस्ते.सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. ताऊ पहेली – 44 का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.