
के दफ़्तर मे , अपनै मोबाइल पर बात करता हुवा
चल्या गया । इब आप तो जाणते ही हो के
सेठ ताऊ की बडी इज्जत करया करता । सो उसनै
ताऊ की बडी आवभगत करी और ताऊ को चा चू पिलायी ।
हालचाल पूछे ।
इब ताऊ और सेठ, दोन्यु सेठ किरोडी
के एयर कन्डीशन केबीन मै बैठे बात करण लाग रे थे ।
बात बात मै सेठ नै बताया की आज कल उसके आफ़िस
के कर्मचारी ढंग सै काम नही करते ।
और कोई भी काम पूरा नही करते हैं । और रोज आज का काम
कल पर टाल देते हैं । तो ताऊ बोल्या - देख भई सेठ मनै तो
साफ़ साफ़ यो दीखै सै की तेरे कर्मचारीयां नै कोई मोटीवेट करण
आला नही सै । इस वजह से वो ठिक से काम नही करते ।
सेठ किरोडी को भी ताऊ की बात कुछ कुछ जचती सी लगी ।
सेठ-- ताऊ , इब ये बताओ की इनको कैसे मोटीवेट करया जावै ?
ताऊ बोल्या - अरे किरोडी सेठ, मेरे यार इसमै कुण सी बडी
बात सै । मै जब एम.बी.ए. मै पडया करता था , तब एक
चेप्टर उसमै एक कबीरदास नाम के साधु का हुया करता था ।
भई था तो लालू की तरियों बिना पढ्या लिख्या हि । पर जिस
तरियों लालू नै हमारी रेल्वे को नफ़े मै खडा कर दिया ।
उसी तरियों यो साधू बाबा के फ़ार्मुले भी कारगर सै ।
तू भी आजमा ले ।
सेठ- ताऊ ठिक से बतावो ।
ताऊ - भई आफ़िस मै हर कर्मचारी की टेबल के सामनै एक एक
तख्ती पर ये लिख के टंगवा दो , फ़िर देखो कैसे सारे के सारे
आज का काम आज ही करनै लग जायेंगे ।
अब सेठ नै यो दोहा लिखा कै तख्ती सबके सामनै टगंवा दी ।
"काल करे सो आज कर , आज करे सो अब "
पल मे प्रलय होयेगी, बहुरी करेगो कब "
इब ताऊ को भी ये जानने की बडी इच्छा थी की उस
तख्ती का कैसा असर हुवा ? तो वो भी सेठ किरोडी के
दफ़्तर मै पहुंच गया ।
वहां जाकै देख्या तो दंग रह गया । वहां सेठ किरोडी तो
सारा टूटा फ़ूटा , जगह जगह पट्टी बांधे बैठा था । और आफ़ीस
मै खुशी की जगह गमगीन सा माहॊल दिख्या ।
उधर सेठ नै जैसे ही ताऊ नत्थू को आते देख्या, तो
सेठ तो ताऊ के नाम के रूक्के मारकर बुरी तरह दहाड
मार के रोनै लाग गया !
सेठ- अर ताऊ मन्नै तेरा के बिगाडया था ?
ताऊ- अर सेठ , जरा दम ले भई हमनै भी बता के बात हो गयी ?
और तु म्हारे नाम सै रोण क्युं लागरया सै ? इसी के बात होगयी ?
इब सेठ बोल्या - ताउ थम तो तख्ती लगवा के चले गये ।
पिछे सै भोत घन्ना रासा हो गया ।
दुसरे दिन आफ़िस खोल्या तो देखा कि तिजोरी पूरी
खाली सै और उसमे एक परची पडी सै .. उसमे केशियर नै
लिख राख्या था - सेठ जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
मैं इतने दिनों से हिम्मत नही कर पा रहा था । आज आपके लिखे
दोहे से बडी हिम्मत आ गयी , और इतने दिनों से जो काम
मैं रोज टाल रहा था , वो आज ही पूरा कर के जा रहा हूं ।
जैसी की आपको भी थोडी सी भनक होगी की , आपकी
सेकेटरी कन्चन से मैं बहुत प्यार करता हूं । और आज ही
उसको लेकर मैं ये शहर छोडकर जा रहा हूं । इतने दिनॊं
आपकी सेवा करी है, और फ़िर कन्चन की देखभाल भी
करनी पडेगी , सो तिजोरी का सारा माल मैं ले जा रहा हूं ।
इब ताउ बोल्या - भई यो तो गजब हो गया सेठ जी, पर
ये तो बतावो के थम जगह जगह से फ़ूटे क्यों पडे हो ?
सेठ किरोडी बोल्या - ताउ मैं उस कमीने खजांची की चिठी
पढ ही रहा था की इतनी ही देर मै मेरा आफ़िस का चपरासी
लठ ले के आ गया .. और सटा सट मेरे उपर बजा दिये ।
और वो जालिम तब तक मुझको कूटता रहा जब तक मैं
निचे गिर नही पडा । और न्यु बोलता जावै था कि
सेठ तुने मुझे भोत परेशान करा । ना तो कभी मुझे
छुट्टी देता था और गधे की तरह मुझसे काम लेता था ।
मैं मन ही मन तुझे रोज गालियां बकता था । और ऐसी इच्छा होती
थी कि तेरे हाथ पांव तोड डालूं , पर डर के मारे रोज, कल
पर टाल देता था । आज तख्ती पढ कर इच्छा हुयी की
रोज क्या कल पर टालना । सो मैं अपनी ये इच्छा आज ही पुरी
कर रहा हूं । और उसने म्हारा यो हाल करके धर दिया ।
(इब ताऊ की सलाह मानने का यो ही अन्जाम हुया करै सै
थमनै अगर शक हो तो थम भी ताऊ सै सलाह ले के देख ल्यो !)
vaah taau vaah !!!! seth ko kutawaa
ReplyDeleteke maze le raho ho ?
thik hai !!! hamako bhi bahut majaa aayaa....
likhate raho
ताऊ नई पोस्ट तो आई नही और में आपके ब्लॉग पर बहुत देर से आया सो अब समय निकल कर पुराणी पोस्टे पढ़ रहा हूँ मेरे लिए तो ये सब नई ही है इसलिए पुराणी पोस्टों पर टिप्पणी देखकर हेरान मत होना
ReplyDeleteताऊ आपकी पुरानी पो्स्टो पर भी उतना ही आनन्द आता है. अक्सर पढते रहते हैं.
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