ताऊ और बन्दर

हमेशा की तरह ये सप्ताह भी बीत गया ।
यह कोई नई बात नही हुई..! हम चाहे समझे या
ना समझे .. समय तो बीतता ही जायेगा । पर इस सप्ताह
जो नई बात हुई वो ये की ताऊ का एक पुराना बन्दर
घूम फ़िर के और दुखी होके वापस ताऊ के पास
ही आ गया ।
उस समय ताऊ बैठा, हुक्का गुडगुडा रहा था कि
पुराना बन्दर हाजिर हो गया । ताऊ नै कुछ ज्यादा भाव
उसको नही दिये , तो बन्दर बोला-- ताऊ अब मैं आपको
छोडकर कही नही जाऊंगा , मुझे भी फिर से साथ रख लो ।
और खीर मे से थोडा बहुत स्वाद चखा देना । ज्यादा
भी नही चाहिये । और मैं तो आपका पुराना सेवक हूं ।
अब आगे से मैं तो आपके साथ ही खेल दिखांऊगा ।
ताऊ भी सब समझै था की यो पुराने अड्डे नै अंगूठा
दिखा आया सै और अब वापस ताऊ के पास आया है ।
इतने दिन बन्दर भटक भटका के आया था सो वो भी
ताऊ को अपना अनुभव बतानै लग गया । और ताऊ से कूछ
ऐसे सवाल पूछने लग गया , जिस से ताऊ की चमचा गिरी
भी हो जाये और बन्दर का काम भी बन जाये ।
बन्दर-- ताऊ महंगाई बहुत बढ गई ?
ताऊ-- इब ये तो बढनै की चीज़ है.. तू क्युं पगला रहा है ?
तेरे को मालूम होना चाहिये की जितनी महंगाई बढेगी, उतना
ही देश का रूतबा बढैगा ।
बन्दर-- पर ताऊ गरीबों का क्या होगा ? बिचारे भूखे मर ज्यान्गे !
ताऊ-- अबे बावलीबूच .. पागल पन की बात मत कर , तेरे पेट मै
गरीबों का दर्द अच्छा नही लगता । मनै मालूम सै की
तेरे खम्बे वम्भे के भाव भी बढै गे दिखै सैं ?
बन्दर-- हां ताऊ वो तो थारी बात सही सै । पर फिर भी..
ताऊ बीच मे बात काट कर बोल्या---
देख रे बन्दर तू मेरा दिमाग तो खराब कर मत । यो रोना
धोना छोड और काम की बात बता ।
बन्दर-- ताऊ सुनने मे आया है कि मान्सून बिल्कुल
समय पर आ रहा है ?
ताऊ-- हां भई बन्दर .. सुना तो हमने भी है । पर
ताऊ को तो आसार अच्छे नही दिखैं सैं ।
बन्दर -- क्यों ताऊ क्यों ? मानसून तो बता रहे हैं कि
एक दो दिन मैं हमारे शहर मे पहुंच्ग जायेगा !
ताऊ -- अबे पागल कही के .. आज तक कभी मॊसम की
भविश्य वानी सही हुई है ? देख बे बन्दर तू भी समझ ले,
और ये बात तेरे भी काम आयेगी .. कभी भी मोसम और
छोकरी का भरोसा मत करना , नही तो बहुत पछतायेगा ।
बन्दर-- ताऊ बन्दरी का तो कर सकते हैं ना ?
ताऊ-- अबे ऊत कहीं के ? छोकरी और बन्दरी मै के कोई
फ़र्क होवै सै ? पर मेरे को मालूम है कि तू उस बन्दरीया से
पिटैगा जरूर । मेरा क्या लेगा .. खा जुते ..
बन्दर ने खुद की पोल खुलते देखकर बात पलटने की गरज से पूछा ।
ताऊ.. अब मार्केट पर आपका के ध्य़ान है ?
ताऊ-- देख भई बन्दर , मार्केट की हालत तो इन फ़िरंगियों
नै गरीब की जॊरु जैसी कर राखी सै । अब बता ये कोइ बात
हुई कि खराब करजे वरजे का अमेरिका का झन्झट मे
हमारे मारकेट की बारा बजा दी । मुझको तो इसमे भी कोई
साजिश दिखै सै । और इसकी उच्च स्तरीय जांच बैठानी
चाहिये ।
बन्दर-- क्यों ताऊ .. अब मारकेट मै काम कम हो गया तो
ये मांग आप इस लिये तो नही कर रहे हो कि खुद
को ही इस जांच कमेटी का चेयरमेन बनवा के मजे लेने लगो ?
ताऊ-- अबे ऊल्लू के पठ्ठे .. अगर कमेटी बनेगी तो ताऊ
के अलावा और कौन ऐसी जांच कर सकता है ?
और फ़िर तू क्यों पूछ रहा है ?
बन्दर -- ताऊ .. तब थोडा सा मेरा भी ख्याल रखना ।
ताऊ -- अबे चुप बन्दर कहीं के .. ! पहले बनने तो दे ।
बन्दर -- ताऊ एक राजनेता का बयान आया है कि आर्थिक
हालत बहुत खराब है और सरकार, सटोरियों और ब्रोकरों
के हाथ मे खेल रही है ?
ताऊ -- देख भई बन्दर , बात ये है की ये बयान जिसने
दिया है उसी के एक साथी ने ये वर्तमान सरकार बनते
समय भी एक बयान दिया था और उस बयान का असर यो
हुया था कि मारकेट नै तुरन्त दो कुल्लाबाती खाई थी ।
बन्दर-- ताऊ ये कुल्लाबाती क्या होती है ? और खाने मे कैसी होती है ?
ताऊ -- देख बे बन्दर , तेरे को ताऊ के साथ रहना है
तो हरयानवी सीखनी पडैगी । और सुन बीच बीच मे
टर टराया मत कर । पहले पुरी बात सुन लिया कर ।
बन्दर-- ताऊ ठिक है , अब आगे से ध्यान रखुंगा ।
ताऊ-- और उस समय बाजार तीसरी कुल्लाबाती यानी उल्टा
फ़्रीज होनै सै बच गया था । पर यार बन्दर , इस कामरेड की
बात मैं कुछ दम तो ताऊ नै दिखै सै ।
बन्दर-- ताउ अब आगे क्या होगा ?
ताऊ का दिमाग अब सटक चुका था सो बोल्या--
यार बन्दर तू ये बता कि तू यहां खेल वेल दिखाण आया
सै या म्हारा दिमाग का दही बनानै आया सै ?
तू क्यूं अच्छे भले वीक एन्ड का सत्यानाश करने पर
तुला हुवा है । कुछ और ढन्ग ढांग की बात कर । रहने दे
यो मारकेट वारकेट की बात । यो फ़िर सोमवार नै
करना ही सै ।
बन्दर समझ गया कि अब ताऊ का दिमाग ठिक नही दिख रहा
है सो बन्दर भी पूरा घाघ था , झट से जाकै ताऊ के
लिये गरमा गरम चाय लाया और चिलम सुलगा कै
ताऊ कै हाथ मै पकडाते हुये पूछने लगा--
ताऊ सुना है आप परसों मदारी खाने मे गये थे ?
ताऊ-- हां भई बन्दर, गया तो था पर मदारी वहां मिल्या
कोनी । बूझने पर पता लगा की मदारी अपने गांव गया है ।
और भई, एक नई बात ये की मदारी का मदारी खाना
छोटा हो गया ।
बन्दर-- ताऊ ठिक से बतावो .. समझ नही आया कि मदारी का
मदारी खाना छोटा हो गया ?इसका क्या मतलब ?
ताऊ -- अरे उल्लू की दूम ..जहां से मदारी खेल दिखाता
है वो मदारी खाना और क्या । अब अगर तू अपने गले मै
रस्सी डलवा लेगा तो तेरा ही कसूर होगा ना । तो मदारी
ने अपनी राजी से मदारी खाना छोटा करवा लिया तो इसमे
तू और हम क्या करेंगे ? पर ये ठीक नही हुवा ।
बन्दर-- ताऊ आप क्युं इतने दुखी होते हो ? इसमे गलत और सही
क्या होता है । वो तो मैने भी देखा है बल्कि अब
तो वहां पर दो दो की जगह हो गयी ।
अब ताऊ गुस्से मे बोला-- अबे तू तो बन्दर की ओलाद है
स्साले बन्दर ही रहेगा । तेरे को कूछ आता जाता तो है नही !
तेरे को मालूम है की नहीं ? ये वास्तु के हिसाब से एक दम
गलत हो गया है ।
बन्दर -- पर ताऊ .. आप के पेट मे क्यों बल पड रहे हैं ?
और इस से आपको क्या फ़र्क पडेगा ?
बन्दर की बात सुनते ही ताऊ ने मारने के लिये अपना लठ
उठाया वैसे ही बन्दर तेजी से पास के पेड पर चड गया और
अपनी खींसे निपोरने लगा ।
ताऊ -- अबे स्साले हराम खोर बन्दर... तेरे को शरम नही
आती ? जिसकी थाली मे खाता है उसी मे छेद करता है ?
पर तेरे को क्या ? तु तो पहले भी मुझे छोडकर चला
गया था , अब फ़िर आ गया । पर मैं तेरी तरह नही हूं ।
अरे बेवकूफ़ जरा सोच की अगर मदारी खाना ही कमजोर
पड गया तो क्या तो नंगी न्हायेगी और क्या निचोडेगी ?
तो उसके साथ साथ हमारी भी किस्मत लगी है कि नही ?
बन्दर-- तो ताऊ ये बात तो सही है आपकी । पर आपने
मदारी को मना क्युं नही किया ?
ताऊ की दुखती पर बन्दर ने हाथ रख दिया ।
ताऊ-- यार बन्दर .. अब इस पर बात नही करेंगे । कारण कि
यो मदारी किम्मै सलाह सूद तो अपने से करै कोनी ।
पुराने मदारी की बात और थी ।
बन्दर-- ताऊ आजकल मदारी खाने मे जयसवाल साब नही
दिखते । और आपके पास भी नही दिखते ?
ताऊ-- देख बे बन्दर .. अब तू ताऊ का दिमाग तो खराब करे मत ।
मनै बेरा है कि तू जानता बूझता मेरे मजे लेण लग रहा है,
इतनी देर से । तेरे को अच्छी तरह से पता है कि
जयसवाल साब कहां है , अब मेरे से ज्यादा होंशियारी तो
कर मत और निकल ले अपने अड्डे पर । अब मेरे को तो
जाणा है फ़िल्लम देखने ।
ताऊ कोनसी फ़िल्म जा रहे हो .. मैं भी चलूं क्या ?
ताऊ -- क्यों क्या मेरे छोरे की बरात जा रही सै जो तन्नै ले चलूं ।
मैं तो तिवारी जी कै साथ जा रहा हूं " मेरे बाप पहले आप"
देखने । इतनी देर मे तिवारीजी
(वो ही अपने हमेशा सस्पेन्ड रहने वाले इंसपेक्टर साब)
आ गये और बोले यार ताऊ एक बात बतावो ।
बन्दर-- अरे यार तिवारी साब अब पूछ ही रहे हो तो एक क्या
दस बीस पूछ लो । तिवारी साब ने पुलिसिया अंदाज मे
बन्दर को घूरते हुये देखा और बोले-- ताऊ , मेरे को सोने के बाद नींद
नही आती और भर पेट खा लेने के बाद भूख नही लगती ?
रजाई ओढ्ने के बाद ठंड नही लगती ? और दारू पीने
के बाद तलब नही लगती ? क्या इलाज करूं ?
ताऊ के दिमाग का बन्दर पहले ही दही जमा चुका था । सो ताऊ बोला--
तिवारी साब चलॊ अभी तो फ़िल्म देख आते हैं । फ़िर शाम
को आप जब टनाटन हो जाओगे तब आपको डा. शुक्ला से दवाई
दिलवा देंगे । आप चिंता मत करो ।
उठते उठते ताउ खन्डेलवाल का फोन आ गया ।
ताऊ जल्दी मे था सो पूछा.. और क्या कर रहे हो ?
उधर से आवाज आयी-- ताऊ नाश्ता कर रहा हूं ।
ताऊ-- ये नाश्ते का कोनसा समय है । ये तो लंच का समय
हो गया । उधर से आवाज आयी-- ताऊ क्या करें ? घरवाली
रहम करके भीख की तरह
डाल गई है नाश्ते की प्लेट । इसी से काम चला
रहा हूं । देखो लंच मिलेगा या नही..
उधर से और भी कूछ बोलने की आवाज आरही थी पर
ताऊ को फ़िल्म देखने जाना था सो ताऊ बाद मे बात
करने का बोल कर निकल लिया । और बन्दर सोमवार को आने
का वादा करके चला गया ।

Comments

  1. taau, dimaag ka dahi kaise bantaa hai ? jaraa samjhaawo ...
    aapaki likhane shaili jordaar hai..

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  2. फोकट बातचीत मे बहुत मजा आ रहा है |

    ज़रा मदारी और बन्दर का परिचय हो जाए तो और आनंद आए !

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  3. यार, पढ़ते पढ़ते हम खुद ही बंदर से हो गये...नाचने से लग गये. बड़ी मुश्किल से खत्म हुआ किस्सा. :)

    थोड़ा थोड़ा करके डोज़ दो तो असर करे. लिखा बढ़िया है दिल लगा कर, बधाई.

    वैसे ये ताऊ और बंदर है कौण???

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  4. कमाल की प्रस्तुति। साधुवाद। आनन्दम्।

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  5. superb!!!cant say anything!!!
    waiting for next post

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  6. ताउ बहुत गजब कर दिया !!!! यानि कि हरयानवी में चाल्ले रोप
    राखें सैं !!!! हरयानवी हमको नही आती .. पर मजे आ रहे हैं !!!
    अगली पोस्ट में जरा मदारी का हाल भी बताना !!! फटाफट ...

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