ताउ कुरडा राम  अपने धोरे ताई शारली  न लेके बद्रीनाथ केदारनाथ की तीर्थ यात्रा पर निकल लीया   और बाद का प्रोग्राम ऐसा था की वहाँ  से ताई कोशिमला और मनाली भी घुमा देगा  पर वो कहते है ना की किस्मत आगे आगे चलती है  शारली ताई की किस्मत मेशिमला घुमना नही लिख्या था   तो नहीं लीख्या था   पहले भी एक बार कश्मीर कि ट्रिप उसकी पोकरा की वजह से केंसिल हो गयी थी   और अबकी बार भी पोकरा क माथे ही यो ठीकरा फूट्या. जब ताउ और ताई चले गे तो पाछे न घर मे रहगे उनका छोरा पोकरा और उसकी बहु पतासी  .  अब यो हुया की पोकरा की तो हो गयी मौज्   ना तो पट्ठा खेत कुवे पे जावै और ना ही कोइ काम धाम करे   सुबह उठकर रोटी कलेवा करके इधर उधर हांड फीर के आज्या , और घी रोटे खांड के साथ पाड्के सारी दुपहरी खुंटी तान के सोवै 
घन्ने दिनो बाद इक्कल्ले आजादी  से रहने का मोका मिला था  नही तो ताउ फत्ते  उसको ढीला नही छोड्ड्या करता  ताउ भी डाकी पोकरा के सारे गुण जाणता था   सो पोकरा ने भी मौके का पूरा फायदा उठाया   और ताउ के पीछे सै खूब आवारागर्दी करी    पतासी भोत सुथरी और समझदार थी, और घणी सोवनी थी न्युं समझ लो की साडे पाच फुट की दुबली पतली गोरी गट लूगाई थी. हेमा मालन भी उसके सामने फीकी लागै...... !पर नई नई ब्याह के  आयी थी सो पोकरा उसकी भी कुछ सुनै कोनी था 
पोकरा गाम के लुंगाडो के साथ देर रात तक आवारागर्दी करके लौटता था   सो उसको पतासी नै कह दिया था की तु बाहर से ताला लगाके और चाबी साथ ले जाया कर,  मेरी नींद ना खराब करया  कर्   मै दिन भर सारा घर काखेतां का और ढोर ढंगरा का काम करते करते थक लेती हू    सो डुप्लीकेट चाबी पोकरा अपने साथ ही ले जाया करता था  एक  दिन पोकरा को गाम के कुछ बिगडैल छोरों नै देशी हरयाणवी टीकर और नीम आली दारु  (विजय माल्या वाली नही)   कुछ ज्यादा ही पिलवा दी   और इस बावलीबूच पोकरे को दारु आरु पिनै का कुछ इल्म नही था, वो तो यारो के साथ शेखी शेखी मै पीग्या इतनी ज्यादा    पर इस सत्यानाशी को भी उस वक़्त मालूम नही था की ये इतनी महंगी पडने आली सै.क्यूंकी हमने सुबह ही इसका चौथा  चंद्रमा देख कै भविष्यवाणी कर दी थी कि आज का इसका दिन घन्ना टेढ़ा सै और राजी खुशी नही निकलेगा और यो डाकी पोकरा किस्सी बीरबानी धोरे पिटैगा जरूर्..और हमारी अच्छा काम वाली भविष्यवाणी तो कम ही सहीबैठती है पर कुटने पिटने आली तो बिलकुल सौ प्रतिशतगारंटेड सही होती  हैं  भरोशा ना आता हो तो एक बार आजमा के देखो  गलत निकले तो थारे पिस्से वापस            देर रात पोकरा टुन्न हो के घर आया    घर आके दरवाजा ठोकने लगा, फीर याद आया कि चाबी तो उसी की जेब मे है   सो कोशीश करने लगा पर चाबी ताले कै छेद मै घुस नही पा रही थी क्योंकी नशे की लहर मे हाथ पांव हाल रहे थे   पताशी उपर चोबारे के बाहर आकर देख रही थी   फिर बोली जी आप कवो तो मै पिछे की तरफ से आके दरवाजा खोलूं के ?पोकरा बोला -  ना ना ... ताला तो मै खोल ल्युंगा पर यो पुरा दरवाजा हिलै सै,  तु आके जरा दरवाजे नै पकड़ लिये   पतासी समझ गयी की यो डाकी किम्मै गड़बड़ जरूर करकै आया सै  और कुछ अंदर ही अंदर डर भी गयी, पर नई नई थी सो ज्यादा कुछ बोल भी नही सकती थी ! उसने इतने कम दिनो मे हि समझ लीया था कि यो उसका भरतार पोकरा ताइ शारली  का ही बिगाड्योडा बांदर सै   और ताउ तो ताइ कै आगे कुछ बोलदा ही नही सै   वो तो ताइ कि हाँ मे हाँ मिलाया करै   बस बाहर ही ताउ बन्या करै, घर मे तो बिल्कुल ताइ का बांदर बण कै रह सै  इधर पोकरा को दारू कुछ ज्यादा ही चढ चुकी थी  और आप तो जानते ही होंगे की जबभवानी सर पे सवार होती है तो आदमी को जोश तो आ ही जाता है   और एक बात पे ध्यान देना कि जब हिंदुस्तानी आदमी को दारु चढ्ती है तो उसकीपक्की निशानी ये है की सबसे पहले वो अंग्रेजी बोलना शुरु कर देता है   चाहे आती हो या ना आती हो  और पोकरा भी कस्बे की स्कूल तै 11 वी फेल था सो थोडी बहुत अंगरेजी  की ऐसी तैसी करना  तो सीख ही गया था  पतासी बोली .. जी रोटी खा ल्यो   पोकरा... मै नही खांदा ........  रोटी वोटी ... ! पोकरे नै फिर पूछी ---  पर who...  you ..... ? ..  हू....  यू .... .. घण्णी देर होगी उसनै हू यू ..हू यू ..करते !सीधी  साधी पतासी कुछ समझी नहि ... अब थोड़ी झाल मार के बोली ..अर पोकरा के बोल रह्या सै तु , मेरी समझ मे कुछ नी आंदा है... जरा अपनी हरयानवी मे बोल सुथरेपन सै ... के हू हू यू यू करता है गादडे की तरियो ?हफ्ते भर से पोकरा की बद्तमीजी सहन करते करते वो भी थोडी तैश मे आ चुकी थी और यों भी 70 किले जमीन के मालिक चोधरी छाज्जूराम की इकलोती बेटी थी   अगर वो अपनी आली पे आ ज्यावे तो पोकरे की तो क्या उसकी सात पीढ़ी की दारु तार दे  और यो भी चौधरी छाज्जुराम के बरोबरी मै ताउ फत्ते  कही नही लगता था  पर उसके छोरे पोकरे की शादी पतासी धोरै किण करणो सै हुयी यो एक अलगही किस्सा सै जो आपनै हम फिर सही समय पर बतावांगे !
(क्रमशः) 
घना सुथरा उपन्यास लिख डाला जी आपने तो - अधूरा है - बाकी का हाल कोण सुनाओगा इब?
ReplyDeleteलिखते रहिए आपके लेखन में बहुत दम है, धन्यवाद.
प्रिय स्मार्ट इंडियन,
ReplyDeleteभइ थम तो म्हारी हरयानवी भी जाणते हो ! कभी लिखना भी शुरु कर दोगे
तो म्हारे को दो चार पढनै आले मिल जान्वै सै वो भी ना मिलैंगे !
थोडी थ्यावस राखो , थारी इच्छा भी पुरी करांगे !