मिस समीरा टेढ़ी ने खुद आगे बढ़कर महाराज का हाथ थाम लिया

आखिर वो वक्त आ ही गया, जब महाराज, रामप्यारे और मिस समीरा टेढ़ी सम्मेलन स्थल का निरीक्षण करने पहुँचे. रामप्यारे अपनी आदत के अनुसार सम्मेलन स्थल का विवरण देने लगा.

चारों तरफ फूलों की क्यारियाँ, हरियाली, सामने कलकल बहती नर्मदा नदी, छोटे छोटे झरने, दूर पर दिखते सुन्दर पहाड़, चिड़ियों का कलरव, मंद मंद बहती शीतल समीर और उसमें फूलों की गंध- सुनते सुनते महाराज तो न जाने कहाँ कहाँ की कल्पनाओं मे खो गये. खो क्या गये बल्कि आसमान में उडने लगे. आज बहुत दिनों बाद मौका मिला था जब ताई महारानी गांधारी साथ नही थी. साथ था तो सिर्फ़ मिस समीरा टेढी का. और लगता है आज महाराज ने इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने का पहले ही पक्का सोच लिया था.


महाराज अपनी कल्पना में मिस टेढी को देखते हुये

अंधे महाराज की हरकतों को देखकर लगा कि क्या ये धृतराष्ट्र महाराज वाकई में अंधे हैं? या अंधेपन का नाटक कर रहे हैं इतने जन्मों से? क्या कोई अंधा व्यक्ति बुढौती में इस तरह बगीचे में टेढी हंसीना के पीछे जीतेंद्र स्टाईल मे लटके झटके दार फिल्मी गीत गा सकता है?

उउ...उउउउउ....
मस्त बहारों का मैं आशिक...
जो मैं चाहे यार करुँ...
चाहे गुलों के साये से खेलूँ
चाहे कली से प्यार करुँ....

सारा जहाँ है मेरे लिए.....आ उउउउउउ...


गाते गाते वो दोनों हाथों से हवा में टटोलते हुए मिस समीरा टेढ़ी की ओर बढ़ने लगे. रामप्यारे की आवाज भी आना बंद हो गई. मिस समीरा टेढी ने देखा कि हरियाली और घास देख रामप्यारे ललचा गया और पेड़ के पीछे जाकर हरी हरी घास चरने लगा.

मौसम अच्छे अच्छों को औकात पर ला देता है तो फिर वो तो रामप्यारे है, है तो ओरीजनल गधा ही. समीरा टेढ़ी को लगा कि महाराज भी अपनी मर्दों वाली ओरीजनल रोमांटिक अदा पर उतरने की फिराक में है. ऐसे में मर्द अपनी अवस्था, अंधापन, रुप रेखा सब भूल चाहे जिस पर मोहित हो चले. तो महाराज का अंधा होने के बावजूद भी मिस समीरा टेढ़ी पर मोहित हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं. वैसे भी महाराज का कुछ झुकाव तो शुरु से ही इस ओर रहा.

मिस समीरा टेढ़ी भी इन्टरनेशनल मॉडल है, बहुतेरे मर्दों की कोशिशों और नियतों से वाकिफ हैं और सबको खुश रखते हुए अपने आपको इनके चुंगल से बचा ले जाना खूब जानती हैं. तभी तो आज मॉडलिंग की दुनिया का चमकता सितारा है वरना तो कब की लुट पिट कर हजारों मॉडलिंग की ख्वाइशमंद लड़कियों की तरह किसी बार में डांस कर रही होती या किसी होटल के कमरे में किसी के बिस्तर की शोभा बढ़ा रही होती.

महाराज के साथ सम्मेलन स्थल का निरीक्षण करती मिस टेढी और रामप्यारे


महाराज को हवा में हाथ से टटोलता देख मिस समीरा टेढ़ी ने खुद आगे बढ़कर महाराज का हाथ थाम लिया और उनको उनके अंधेपन का अहसास दिलाने के लिए कहा - महाराज, जरा संभल कर, आप बस सामने खाई में गिरने ही वाले थे. एक कदम आगे ही हजारों फीट की गहराई है यहाँ.

इतना सुनते ही ताऊ महाराज को पसीने छूट गये. मौत से दुनिया डरती है. महाराज गाना भूल कर मिस समीरा टेढ़ी का आभार व्यक्त करने लगे - ओह समीरा जी आज आपके कारण हमारी जान बच गई. आप न होतीं तो आज हम खाई में गिर गये होते. रामप्यारे भी न जाने कहाँ चला गया नामुराद.

मिस समीरा टेढ़ी ने बताया कि रामप्यारे घास चरते चरते दूर निकल गया है. चलिए, महल चलते चलते रास्ते से उसे ले लेंगे. मैने सम्मेलन स्थल देख लिया है. अब सम्मेलन की आगे की तैयारी करनी है.

इसके बाद महाराज और मिस समीरा टेढ़ी ने महल की तरफ प्रस्थान किया. रास्ते में रामप्यारे भी घास चरता मिल गया. अपने सामने महाराज और मिस समीरा टेढ़ी को देख एकदम सकपका कर आकर रथ में बैठ गया और सब महल लौट आये.

(क्रमश:)

गधा सम्मेलन के लिये ताऊ का सोंटा (Taau's Baton) रवाना

मिस समीरा टेढी के लिये आज का दिन बहुत व्यस्त रहा. आज समीरा जी मुंह अंधेरे ही ऊठकर राजमहल की अतिथिशाला के बगीचे मे मार्निंग वाक पर निकल गई. गधा सम्मेलन की तैयारियों का सारा ही बोझ उनके कमसिन कंधों पर आ पडा था. समीरा जी को चिंता इस बात की थी की ताऊ महाराज के विश्वास को ठेस ना लगे. आज ही सब तैयारियों के बारे मे बताने के लिये उनको ताऊ महाराज धृतराष्ट्र से मिलने राज दरबार भी जाना था. ज्यादातर तैयारियां पूर्ण हो चुकी थी

मिस टेढी राज दरबार को जाते हुये


मिस. टेढी को ब्रेकफ़ास्ट तो महाराज ताऊ के साथ ही लेना था सो वो तैयार होकर फ़टाफ़ट अपनी फ़ायल वगैरह उठाकर राजमहल की तरफ़ निकल पडी. राजमहल के मुख्य गेट पर ही रामप्यारे उन्हें मिल गया. रामप्यारे ने बताया कि ताऊ महाराज नाश्ते पर उनका बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

मिस समीरा टेढी के महल में पहुंचते ही महाराज ताऊ की तबियत हरी हो गई और सीधे ब्रेक फ़ास्ट टेबल पर बात चीत शुरु हो गई.

ताऊ महाराज - समीरा जी सम्मेलन की तैयारियां कहां तक पहुंची? कोई कमी तो नही रह गयी? किसी तरह की दिक्कत तो आपको नही आरही है? मुझे समस्त विवरण विस्तार से दिजिये. आखिर ये हमारे ब्लागाव्रत की इज्जत का सवाल है. कहीं कोई कमी ना रहने पाये....

महाराज की बात बीच में काटते हुये मिस समीरा टेढी बोली - महाराजाधिराज ब्लागाव्रत के महान सम्राट ताऊ महाराज की जय हो. हे महाराज...मेरे रहते हुये आप किसी बात की चिंता ना करें. मुझे अपनी इज्जत का भले ही ख्याल ना हो पर आपकी इज्जत सरे बाजार नीलाम नही होने दूंगी. और अगर इसकी नौबत भी आई तो आपकी इज्जत का फ़ालूदा राजमहल की चारदिवारियों के अंदर ही बनवाऊंगी.

ताऊ महाराज - वाह वाह...हमें आपसे ऐसी ही उम्मीद थी कि आप हमारी इज्जत का आईसक्रीम सिर्फ़ राजमहल की दिवारों के अंदर ही बंटवायेगी. आखिर घर की बात घर के बाहर क्यूं जाये? अब जरा विस्तार से बताईये कि तैयारियां कहां तक पहुंची?

मिस समीरा टेढी - महाराज अब मैं आपको विस्तारपूर्वक संपूर्ण रिपोर्ट पेशे खिदमत करती हुं...बस जरा आपसे निवेदन है कि ध्यानपूर्वक सुनें और मुझे बीच में टोका ना जाये. जो भी सलाह देनी हो वो अंत मे दे दी जाये. अब मैं शुरुआत करती हूं.

मिस समीरा टेढी ने बोलना शुरु किया - हे ब्लागार्य महाराज ताऊ शिरोमणी, इस तरह के सम्मेलनों मे लोगो और सोटे का घूमना निहायत जरूरी है. सो मैने पूरे ब्लागाव्रत मे Taau's Baton यानि "ताऊ का सोंटा" घुमाने के लिये रवाना कर दिया है. और इस सम्मेलन में सभी आमंत्रितों को स्मृति चिन्ह के रूप यही दिया जायेगा.

गधा सम्मेलन के लिये ताऊ का सोंटा (Taau's baton)


ताऊ महाराज - अरे वाह मिस टेढी जी. पर ये Taau's Baton होता क्या है? क्या हमारी कमीज का कोई बटन है क्या?

अब रामप्यारे बीच मे बात काटकर बोला - महाराज की जय हो. जैसा कि मिस टेढी ने आपको अर्ज फ़रमाया कि Taau's Baton ताऊ महाराज के सोटे को कहते हैं. महाराज आज के समय में ये राजसूय यज्ञ करने जैसा ही है. Taau's Baton यानि महाराज का सोटा अब दिग दिगांतर की यात्रा पर निकल पडा है. सबको इसका स्वागत करना ही पडेगा और अगर स्वागत ना किया तो इसे हम अपना अपमान समझेंगे और उसका बदला हम सम्मेलन में चुकायेंगे. और ब्लागाव्रत के किस छछुंदर में इतना साहस है जो ताऊ महाराज के सोंटे को रोकने का प्रयत्न भी करे? आखिर आपके इतने चेले चमचे मेरा मतलब इतने सिपहसालार फ़िर किस दिन काम आयेंगे?

मिस टेढी, ताऊ महाराज को सब योजना समझाते हुये!


ताऊ महाराज - ओह रामप्यारे, अब समझा कि समीराजी कितनी बुद्दिमान हैं? समीराजी हमने आपको इंचार्ज बना कर बहुत समझदारी का काम किया है. आप तो हमें बिना युद्ध लडे ही पूरे ब्लागाव्रत का चक्रवर्ती महाराज बनवा देंगी. आगे बताईये.

अब मिस समीरा टेढी बोली - हे ब्लागार्य महाराज ताऊओं के ताऊ, ये आपका सोंटा सब जगह घूमना शुरू होगया है और अगर किसी ने विरोध व्यक्त किया या सोंटे का अपमान किया तो उससे बदला चुकाने का पूरा इंतजाम मैने कर दिया है. हमारा विरोध करने वाला जब सम्मेलन स्थल पहुंचेगा तब उसको नानी याद दिला दी जायेगी. आप चिंता ना करें.

ताऊ महाराज - समीरा जी ये आप क्या बोल रही हैं? हमारी साम्झ में कुछ नही आरहा है? जरा तफ़्सील से बताईये ना.

मिस समीरा टेढी - महाराज, अब आप ये समझ लिजिये कि हमारे सोटे का विरोध करने वाला अगर गलती से भी सम्मेलन में आगया तो उसको मलेरिया के मच्छरों से कटवा कटवा कर निपटाने का पुख्ता इंतजाम कर दिया गया है और इसके लिये मलेरिया मच्छरों के सम्राट से पूरी डील फ़ायनल कर ली गयी है. और ये मलेरिया सम्राट अपने वचन से कभी पीछे नही हटते.

ताऊ महाराज - यानि कि अब चिंता की कोई बात नही है? हमारे विरोधी ...अपने आप साफ़ हो जायेंगे?

मिस समीरा टेढी - जी महाराज....अब इसके पहले जरूरी ये है कि हम विनम्र होने का दावा करें और सबकी सहमति से प्रजातांत्ररिक ढंग से काम करने का दिखावा करें.

ताऊ महाराज - पर समीरा जी अगर हमने ऐसा किया तो हमारे हाथ क्या आयेगा? सारा माल और बजट तो विरोधी ले उडेंगे? हमारे अपने वालों को रेवडी कहां से बंटेगी?

सम्मेलन का लोगो "आपसी भाईचारा बढावो"


मिस समीरा टेढी - महाराज की जय हो. महाराज आप तो आंखे बंद करके आराम से बैठिये. रेवडी सिर्फ़ अपने वालों को ही बंटेगी. आप चिंता ना करें. सारी आगे की योजना आपको कल समझाऊंगी कि कैसे क्या करना है? अभी तो हमे एक आदर्श का दिखावा करना है. और इसके लिये मैने इस गधा सम्मेलन का लोगो भी तैयार कर लिया है.

ताऊ महाराज - समीरा जी, आप भी मजाक अच्छा कर लेती हैं? अरे हमारी आंखे तो जन्म से ही बंद है फ़िर उनको क्या बंद करना? रामप्यारे....रामप्यारे....जरा हमारे राज ज्योतिषी को बुलावा भेजा जाये.....हम जरा भविष्य के गर्त में क्या छुपा है? यह देखना चाहते हैं..............और फ़ौरन से पेश्तर सम्मेलन स्थल का मुआयना करने के लिये हम कूच करना चाहेंगे...कहीं ऐसा ना हो कि सम्मेलन स्थल पर अतिथियों को कहीं सांप दिखे...कहीं मच्छर काटें...कहीं किसी की खटिया ही खडी हो...हमारा मतलब किसी की खटिया ही टूट जाये....या कोई पुल ही टूट जाये? अथवा किसी को बेड टी या ब्रेकफ़ास्ट ही ना मिले.

(समीरा जी मन ही मन सोचती हैं कि यह बुढऊ महाराज अब खुद ही भविष्य देखने की बात करता है और इसे कुछ दिखाने का कहो तो कहता है कि मैं तो जन्मांध हूं.... लगता है यह महाराज भी कोई बहुत बडी चालू चीज है...या फ़िर आजकल महाराज को वाकई संपट नही बैठता ? समीरा जी ने यही सब सोचते हुये राजदरबार से रुखसत होने की आज्ञा प्राप्त की और अपने शयन कक्ष मे आकर भविष्य में आने वाली कठिनाईयों के बारे में सोचने लगी.)

शेष अगले भाग मे.....

ताऊ पहेली - 93 Gurdwara Sri Guru Tegh Bahadur Sahib / Gurudwara Damdama Sahib at Dhubri ,Assam - विजेता : समीर लाल ’समीर’

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 93 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Gurdwara Sri Guru Tegh Bahadur Sahib/ Gurudwara Damdama Sahib at Dhubri ,Assam

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,

पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भित जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.

आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.


गुरु तेग बहादुर सिंह
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सिखों के दस गुरु हैं.उनमें गुरु तेग बहादुर सिंह जी नौवें गुरु हैं.जिनका जन्म १८ अप्रेल १६२१ में हुआ ,इनका बचपन अमृतसर में बीता और मूल नाम त्त्याग मल था . १६३२ में उनका विवाह हुआ था और २४ नवम्बर १६७५ में निर्वाण प्राप्त हुआ.

GuruTegh Bahadur Ji


उनके दिए उपदेश में उन्होंने कहा था कि 'भै काहू को देत नहि'। नहि भय मानत आन।'[अर्थात] मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए.

गुरुजी की शहादत केवल धर्म पालन के लिए नहीं बल्कि सारी मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए थी .वे एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे जिन्हें उनके निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता ,धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के रक्षक और उनकी नैतिक उदारता के लिए आज भी पूजा जाता है.

उन्होंने एकांत में लगातार 20 वर्ष तक 'बाबा बकाला' नामक स्थान पर साधना की और बाद में जगह जगह घूम कर सत्य ज्ञान का प्रसार -प्रचार , लोगों के आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नयन के लिए कई कल्याणकारी कार्य किये.

औरगंजेब के राज्य में जबरन इस्लाम धर्म कबुलवाने के खिलाफ गुरूजी ने आवाज़ उठायी थी और जिसके परिणाम स्वरूप औरंगजेब ने उन्हें कैद करवा कर उनका सर कलम कर दिया था.गुरु जी ने औरंगजेब से कहा था - 'यदि तुम जबर्दस्ती लोगों से इस्लाम धर्म ग्रहण करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं हो क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए।' इस तरह हिंदू धर्म की रक्षा हेतु अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध अपने प्राण न्योछावर कर दिए.

दिल्ली में उनके 'शहीदी स्थल' पर 'शीश गंज साहिब गुरुद्वारा बना है.

गुरु जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब में ११५ श्लोक जोड़े थे और आनंदपुर साहिब की स्थापना भी उन्होंने ही कराई थी.उनके बाद उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह जी सिखों के दसवें गुरु बने.

Tegh bahadur Sahib gurdwara assam


पहेली में दिखाया गया स्थान आसाम के ढुबरी शहर में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे प्रसिद्ध गुरुद्वारा 'गुरु तेग बहादुर साहिब गुरुद्वारा 'है जिसे गुरु नानक जी की याद में उन्होंने ही बनवाया गया था .ज्ञात हो कि १५०५ में गुरु नानक जी यहाँ आये थे उसके बाद गुरु तेग बहादुर जी आसाम में १६७० में पहुंचे थे. यहाँ अब भी वह पेड़ है जिस के नीचे गुरु जी विश्राम किया था.

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असम के इस गुरूद्वारे में हर वर्ष गुरु जी के शहीदी दिवस पर देश भर के सिख यहाँ शहीदी गुरु पर्व मनाने आते हैं.यह भी एक रोचक बात है कि असम में रहने वाले सिख असामी भाषा बोलते हैं और उन्हें बिहू नृत्य आता है भांगड़ा नहीं.असम के नौगांव में सिखों की बाहुल्यता देखी जा सकती है.परन्तु यहाँ रहने वाले सिख अपने धर्म के नियमों को उसी तरह पालन करते हैं जैसे कि पंजाब में रहने वाला कोई सिख.सिन्दूर बिंदी,मेघला पहने विवाहित स्त्री आप का स्वागत लस्सी या पानी से नहीं आसामी रिवाज़ के अनुसार सुपारी युक्त सरई से करती है ,पर आप उनकी कमर से बंधे कृपाण से जान जायेंगे कि वे सिख धर्म के अनुयायी हैं .
reference-http://www.sikhiwiki.org/



आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.



सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.


आज के प्रथम विजेता हैं श्री समीरलाल ’समीर’


श्री समीरलाल समीर अंक 101


 

श्री प्रकाश गोविंद अंक 100

ajju5

Dr.Ajmal Khan अंक 99

sabir h khan

श्री sabir*h*khan अंक 98

seharji4

सुश्री M A Sharma “सेहर” अंक 97

seema-gupta-2

सुश्री सीमा गुप्ता अंक 96

gajendra singh

 श्री गजेंद्र सिंह अंक 95

श्री संजय बेंगाणी अंक 94

श्री मीत अंक 93

OSHO

श्री ओशो रजनीश अंक 92

My Photo

श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 91

श्री अंतरसोहिल अंक 90

ashish-mishra
श्री आशीष मिश्रा अंक 89

श्री जीतेंद्र अंक 88

प. डी.के. शर्मा "वत्स", अंक 87

shahnawaj

श्री Shah Nawaz अंक 86

श्री रंजन अंक 85

darshan-baweja

श्री Darshan Lal Baweja अंक 84

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक अंक 83


आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में





हाय गुड मार्निंग एवरीबड्डी... मेरे सवाल का सही जवाब है : अंगूर की बेल, जी हां ये काले अंगूर की ही बेल है. निम्न सभी प्रतिभागियों को सवाल का सही जवाब देने के लिये 20 नंबर दिये हैं सभी कॊ बधाई.






श्री ओशो रजनीश
श्री पी.एन.सुब्रमनियन
सुश्री M.A.Sharma "सेहर"
श्री sabir*h*khan
सुश्री सीमा गुप्ता
श्री गजेंद्र सिंह
सुश्री डॉ. नूतन गैरोला " अमृता "
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
श्री Shah Nawaz
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री राज भाटिया
श्री प्रकाश गोविंद
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री उडनतश्तरी

अब अगले शनिवार को ताऊ पहेली में फ़िर मिलेंगे. तब तक जयराम जी की!

अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राणा प्रताप सिंह
श्री ललित शर्मा
श्री सतीश सक्सेना
सुश्री बबली
श्री विवेक रस्तोगी
श्री अशोक पांडे
सुश्री sada
सुश्री वंदना
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री गगन शर्मा
श्री संजय भास्कर
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री वाणी गीत

अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.

ताऊ पहेली - 93

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.
ताऊ पहेली अंक 93 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.

विनम्र विवेदन

कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है. अब नीचे के चित्र को देखकर बताईये कि यह कौन सी जगह है? और किस शहर या राज्य में है?



ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद कमेंट सुविधा बंद कर दी जायेगी. अगर कमेंट सुविधा किसी कारण वश जारी भी रही तो आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे.

अब रामप्यारी का बोनस सवाल 20 नंबर का. यानि जो भी प्रतिभागी रामप्यारी के सवाल का सही जवाब देगा उसे 20 नंबर अलग से दिये जायेंगे. तो आईये अब आपको रामप्यारी के पास लिये चलते हैं.


"रामप्यारी का बोनस सवाल 20 नंबर के लिये"



हाय...आंटीज एंड अंकल्स...दीदीज एंड भैया लोग...गुडमार्निंग..मी राम की प्यारी रामप्यारी.....अब आपसे पूरे 20 नंबर का सवाल पूछ रही हूं. सवाल सीधा साधा है. बस मुख्य पहेली से अलग एक टिप्पणी करके जवाब देना है. और 20 नंबर आपके खाते में जमा हो जायेंगे. है ना बढिया काम...तो अब नीचे का चित्र देखिये और बताईये की यह किस फ़ल या फ़ूल के पत्तों का चित्र है?




इस सवाल का जवाब अलग टिप्पणी मे ही देना है. अब अभी के लिये नमस्ते. मेरे ब्लाग पर अब से दो घंटे बाद यानि 10 बजे आज की मुख्य पहेली के हिंट के साथ आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्ते.

अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
जरुरी सूचना:-

टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.

इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु. अल्पना वर्मा

नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.


मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम

"अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?" : गधा सम्मेलन के शुभारंभ सत्र का विषय


कल की घटना से ताऊ धृतराष्ट्र महाराज बडे दुखी थे. उनको यकिन ही नही हो पारहा था कि उनको महाराज होने के बावजूद महारानी गांधारी से करबद्ध क्षमा याचना करनी पडी थी. उन्हें इस समय द्वापर की वही बेबसी याद आ रही थी जब उनकी मर्जी के खिलाफ़ पांडू पुत्र युधिष्ठर को युवराज घोषित कर दिया गया था. जबकि ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने कभी सपने में भी यह नही सोचा था कि दुर्योधन युवराज नही बन सकेगा. पर क्या किया जाये? होनी को कौन टाल पाया है? यही सोचकर ताऊ धृतराष्ट्र महाराज अपने मन को सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे. पर गले में फ़ांस सी चुभ रही थी कि मर्द जात महाराज होकर उन्हें महारानी से क्षमा याचना करनी पड गई.

ताऊ धृतराष्ट्र महाराज का मन कहीं भी नही लग रहा था. इतनी देर में रामप्यारे आगया. रामप्यारे आया तो था गधा सम्मेलन के बारे में विचार विमर्श करने, पर महाराज को दुखी देखकर वो स्वयं भी बडा दुखित हुआ और महाराज को अनुनय विनय करके मन बहलाव के लिये शाही रंगशाला में चलने का आग्रह करने लगा. थोडी नानुकुर के बाद ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने रामप्यारे की पूंछ पकडी और रंगशाला की तरफ़ चल दिये.

वहां रामप्यारे ने प्रधान राजनर्तकी के नृत्य और गायन का आयोजन करके रखा था. यह राजनर्तकी ताऊ धृतराष्ट्र महाराज की द्वापर से ही बडी प्रिय नर्तकी थी. कैसा भी दुख हो, इसका नृत्य तो महाराज सिर्फ़ मन की कल्पनाओं से ही देख पाते थे पर उसका मधुर गायन सुनकर महाराज का सब दुख दर्द काफ़ूर हो जाता था.

रामप्यारे के इशारे के साथ ही तबलची ने जो तबले पर ठेका दिया तो पूरी नृत्य शाला नाच गान से सराबोर हो उठी. सभी उपस्थित जन झूंम ऊठे. पर आज ताऊ धृतराष्ट्र महाराज का मन नही लग रहा था. महाराज उल्टा मुंह करके बैठे थे. उनका मन कल की घटना को पचा नहीं पा रहा था.


शाही रंगशाला में महाराज ताऊ और रामप्यारे

रामप्यारे भी समझ रहा था कि आज महाराज कांटा निगली मछली की मानिंद हो रहे हैं. रामप्यारे आखिर इतने सालों से महाराज के साथ था सो ताऊ धृतराष्ट्र महाराज के मन की बातें बिना कहे ही जान लेता था. रामप्यारे उठकर बाहर चला गया.

थोडी देर में रामप्यारे लौट कर आया और महाराज को बोला कि बडी खुशखबर लाया हूं महाराज. आप सुनेंगे तो आपकी तबियत बाग बाग हो जायेगी.

ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - हे रामप्यारे, तुम भी हमारे जले पर नमक छिडकने का ही काम करते हो आजकल. अरे कल जो हमारी तौहीन हो चुकी, उसके बाद तबियत गार्डन गार्डन होने वाली कौन सी बात बच गई है? बताओ....

रामप्यारे : ताऊ महाराज की जय हो! आपके द्वारा भेजा गया गधा सम्मेलन का निमंत्रण सुपर स्टार मिस. समीरा टेढी ने स्वीकार कर लिया है और...

समीरा टेढी का नाम सुनते ही बुढ्ढे महाराज की आंखों मे बिजली सी कौंध गई जैसे सूखे सावन में बहार आगई हो और उचक कर पूछा - क्या तुम सही कह रहे हो रामप्यारे? क्या समीरा जी ने मुख्य संयोजिका बनना कबूल फ़रमा लिया है? कब पधार रही हैं वो? हम अति व्यग्र हो रहे हैं, हमें तुरंत सब कुछ बतावो.

रामप्यारे : महाराज की जय हो....मिस. बांकी...टेढी... सारी ...मेरा मतलब सुश्री समीरा टेढी जी ने ना सिर्फ़गधा सम्मेलन 2010 की मुख्य संयोजिका बनना कबूल फ़रमा लिया है बल्कि वो यहां पधार भी चुकी हैं और आपसे गधा सम्मेलन के कुछ निहायत ही गोपनीय एजेंडे पर विचार विमर्श करना चाहती हैं और उन्होने आपसे मिलने की आज्ञा चाही है.

ताऊ महाराज - रामप्यारे... लगता है तुमको सब नये सिरे से सिखाना पडेगा... शायद तुम हमारे शासन काल का प्रोटोकाल भी भूल चुके हो? अरे तुमको मालूम होना चाहिये कि हमारे निजी ताल्लुकात वालों ...मेरा मतलब अपने वालों को मिलने के लिये समय नही लेना पडता...वो कभी भी हमसे मिल सकते हैं...काश हमारी आंखे होती तो हम खुद जाकर समीरा जी को लेकर आते....पर हाय री किस्मत...हम तो उनके दीदार भी नही कर सकते....जावो फ़ौरन से उनको ससम्मान राज दरबार मे लेकर आवो.

सुपर स्टार मिस. समीरा टेढी राज दरबार में जाते हुये


मिस समीरा जी दरबार मे अनोपचारिक स्वागत सम्मान के बाद महाराज ताऊ को गधा सम्मेलन के बारे मे जरूरी जानकारी देती हैं. जिन्हें सुनकर महाराज ताऊ बडे प्रसन्न दिखाई देते हैं.

ताऊ महाराज - समीरा जी आपकी कार्य योजना और प्रबंधन तकनीक से हम बहुत प्रभावित हुये हैं...काश आप द्वापर मे भी हमारे साथ होती तो हमे आज इतने हजारों साल बाद भी ये दिन नही देखने पडते...

इसी बीच ताई महारानी कुछ कुडकुडाई हुई सी बोली - हे ब्लागार्य ...आपको आजकल ये क्या होता जा रहा है? जब देखो तब लोगों की लल्लो चप्पो में लग जाते हो? कुछ तो अपने महाराज होने का ख्याल किया करो....ये सब छोडकर गधे सम्मेलन की तैयारीयों पर ध्यान दिजिये बलागार्य..... अब ज्यादा समय नही बचा है.

ताऊ महाराज - ओह...हे महारानी...आप सत्य कहती हैं...हमारी अक्ल पर ही पत्थर पडे हैं आजकल...पर क्या करें? जब देखो..तुम कोपभवन में जाकर बैठ जाती हो...हमारे ब्लागपुत्र/पुत्रियों ने तो जैसे लडने झगडने की कसम ही खा रखी है....एक भी दिन हमारा शांति से नही निकलता.... ज्यादा औलादों का होना भी एक आफ़त हो गया हमारे लिये तो...और आज के जमाने में तो...और भी मुश्किल खैर जैसा हमारे भाग्य में होगा सो भोगेंगे....हां तो समीराजी...आप गधे सम्मेलन के प्रथम दिन के एजेंडे का विषय बताईये जिससे उस पर विचार विमर्ष शुरु करलें.

मिस. समीरा टेढी - महाराज ताऊ धृतराष्ट्र की जय हो.... हे ब्लागार्य महाराज... गधा सम्मेलन का संपूर्ण एजेंडा मैने आपके गोपनीय निर्देशों को विशेष ध्यान में रखते हुये ही तय किया है. जिसमे अपने वालों के अलावा दूसरे पक्ष को फ़टकने भी नही दिया जायेगा जबकि जनता को लगेगा कि ये सब कुछ प्रजातांत्रिक तरीके से हो रहा है. और प्रथम दिन के शुभारंभ सत्र का विषय रखा गया है "अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?"

ताऊ महाराज - अरे वाह समीरा जी... हम आपके आभारी है कि आपने हमारे निर्देशों का विशेष सम्मान किया है. और कमाल का सबजेक्ट ढूंढकर निकाला है आपने तो? यानि गधों को यह भी सिखाया जायेगा कि कैसे अपने वालों को ही उपकृत किया जाये? यानि दूसरों का पत्ता कैसे काटा जाये? यानि सिर्फ़ अपने अपने गधे ही गुलाब जामुन खाने आ सकें? वाह वाह...आपने तो हमारी तबियत खुश करदी....अब इस पर विस्तार से प्रकाश फ़ेंकिये जरा....

(क्रमश:)

ताई गांधारी कोपभवन में, गधा सम्मेलन खतरे मे, ताऊ धृतराष्ट्र ने मांगी माफ़ी

ताऊ महाराज धृतराष्ट्र और ताई महारानी गांधारी के बारे में आप अथ: श्री ताऊभारत कथा और
महाराज ताऊ धृतराष्ट्र द्वारा गधा सम्मेलन 2010 आहूत पढ चुके हैं. अब आगे पढिये...


महाराज ताऊ और महारानी ताई राज दरबार मे सिंहासन पर विराजमान हैं. रामप्यारे गधा सम्मेलन के एजेंडे को फ़ायनल प्रारूप देने में लगा है.

महाराज ताऊ कुछ व्यग्र से हो ऊठे हैं और पूछते हैं - हे रामप्यारे, सम्मेलन के एजेंडे की तैयारियों में आखिर तुम कितना वक्त जाया करोगे? फ़िर कब निमंत्रण पत्र भेजे जायेंगे? कब लोगों के आने की सूचना आयेगी कि कौन कौन पधार रहा है?

ताऊ महाराज राजदरबार में गधा सम्मेलन पर रामप्यारे के साथ विचार विमर्श रत


रामप्यारे - महाराज ताऊ की जय हो, आपकी सूचना के लिये बतादूं कि देश विदेश में चहुं और सभी को खुला निमंत्रण पहले ही भेजा जा चुका है. और अनेक लोगों के आने की सूचनाएं भी प्राप्त होने लगी हैं. ब्लागपंडित से विचार विमर्श करके मैने सम्मेलन का एजेंडा भी फ़ायनल कर लिया है. अब आपकी स्वीकृति मिले तो इस एजेंडे को जारी कर दिया जाये ताऊश्रेष्ठ.

ताऊ महाराज - वाह रामप्यारे वाह...हम तुम्हारा एहसान कैसे चुका पायेंगे गर्दभ शिरोमणी? महारानी ने तो इन सब राजकाजों से बचने के लिये जानबूझकर इतने सालों से खुद आंखों पर पट्टी बांध ली, जबकि आजकल महिला शक्ति राजकार्यों सहित सब कुछ करने में सक्षम है. और अनेकों उदाहरण मौजूद हैं. द्वापर से आज तक सिर्फ़ एक तुम ही हो जो अपने इस अंधे महाराज का साथ निभाते आये हो....

महाराज की बात काटते हुये गुस्से से तमतमाई ताई महारानी बोली - हे ब्लागार्य पुत्र, आप मेरी सहृदयता का नाजायज फ़ायदा ऊठा रहे हैं. मैने जन्मों जन्मों से पातिव्रत्य धर्म का पालन किया है और आप मुझे इसका ये इनाम दे रहे हैं कि मैंने आपका राजकाज में साथ नही दिया? मैने कामचोरी करने के लिये आंखों पर पट्टी बांधने का नाटक कर रखा है? अगर मुझे यह सब ही करना होता तो कृष्ण को ऐसा श्राप क्यों देती कि उसका वंश ही खत्म हो गया? बोलिये...बताईये...मेरी बात का जवाब देना होगा ब्लागार्य आज...वर्ना मैं आज से कोपभवन में जा विराजूंगी...

ताई महारानी कोप भवन में शैया पर लेटे हुये


महारानी के ऐसे बोल वचन सुनकर ताऊ महाराज तो सन्न रह गये. अब करें तो क्या करें?....मुंह से कुछ शब्द नही फ़ूटे...महारानी ने अपनी दासी को आवाज लगायी और राजसिंहासन से ऊठकर अपने कक्ष की तरफ़ बढ गई. अन्य दरबारियों को कुछ समझ नही आया...

रामप्यारे कुछ चिंतित सा ताऊ महाराज के नजदीक जा कर फ़ुसफ़ुसाया - हे महाराज ताऊश्रॆष्ठ ...आपने आज ये क्या अनर्थ कर दिया? आपने ताई महारानी पर ये गलत आरोप क्यों लगा दिया? लगता है कलि काल का प्रभाव आपकी बुद्धि पर संपूर्ण रूप से छा गया है. इसके पहले कि ताई महारानी कि बुद्धि पर कलियुग का प्रभाव पडे...आप फ़ौरन से पेश्तर जाकर महारानी से क्षमा याचना करलें वर्ना आप बहुत संकट में पड जायेंगे....

ताऊ महाराज बोले - हे रामप्यारे, यह तुम्हारी अक्ल को क्या होगया है? कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो? हम महाराज हैं....हमने अगर अपने मन की बात कहदी तो महारानी को इसमे इतना बुरा मानने की क्या बात थी? हम जो कुछ कहें वो सुनना उनका फ़र्ज है.

रामप्यारे बोला - महाराज की जय हो, आप ये क्यों नही समझ रहे हैं कि अब ये द्वापर नही कलयुग आ चुका है. इस कलयुग में पति पत्नि एक दूसरे की लानत मलानत करना अपना पुनीत कार्य समझते हैं..... जैसे आप द्वापर में महारानी को पूरा मान सम्मान देते थे और अब नही देते हैं....इसी तरह अगर महारानी ने कलयुगी प्रभाव में आप पर केस मुकदमा या पुलिसिया कारवाई कर दी...या कहीं महिला मोर्चा बुलवा कर हाय हाय...के नारे लगवा दिये.. तो सारी महाराज गिरी रखी रह जायेगी....

किंचित चिंतित से ताऊ महाराज ने पूछा - हे रामप्यारे, ना जाने हमको आज पहली बार तुम्हारी भाषा समझ में नही आ रही है? हम समझ ही नही पा रहे हैं कि ये केस मुकदमा...पुलिसिया कारवाई...महिला मोर्चा...ये सब क्या होता है?

रामप्यारे - महाराज जरा आहिस्ता बोलिये....पुलिस का तो कुछ पूछिये ही मत...कलयुग में पुलिस का तो इतना खौफ़ है कि ऐरे गैरे भी पुलिस की धमकी देकर डराकर अपना काम निकाल लेते हैं, पुलिस से दोस्ती के नाम पर दूसरों पर अपना रौब दाब दिखाने से भी नही चूकते.....और महिला मोर्चा की तो क्या कहूं?....ये समझ लिजिये कि अगर महिला मोर्चे को भनक भी लग गई तो बिना ताई की मर्जी के भी वो सौ पचास महिलाओं को इकठ्ठा करके टूट पडेंगी आपके खिलाफ़... और महल के सामने आकर ....महाराज हाय हाय.....महिलाओं पर अत्याचार बंद करो के नारे लगाने शुरु कर देंगी...

चिंतित से ताऊ महाराज ने बीच मे ही कहा - हे रामप्यारे तुम हमको इस तरह डरा क्यों रहे हो? हमने ऐसा क्या गुनाह कर दिया?

रामप्यारे - हे ताऊ श्रेष्ठ, ये घोर कलियुग है....यहां कुछ करने की जरुरत ही नही है. बस अगर आपकी तरह ताई के सर पर भी कलियुग सवार होगया और उन्होनें धारा 498A में आपके खिलाफ़ मुकदमा दर्ज करवा दिया तोविधी विशेषज्ञ द्विवेदी जी भी आपको अंदर होने से नही बचा पायेंगे. सोच लिजिये महाराज... इसीलिये कह रहा हूं कि तुरंत महारानी के कक्ष मे चलकर क्षमा मांग लिजिये और आईंदा के लिये अपनी जबान पर काबू रखिये....


ताऊ महाराज करबद्ध क्षमा याचना करते हुये


महाराज घबराये हुये से उठते हुये बोले - हे रामप्यारे, हमको तुरंत महारानी के कक्ष में ले चलो...हम अभी माफ़ी मांग लेते हैं...गधा सम्मेलन का एजेंडा हम कल सुनेंगे फ़िल्हाल गधा सम्मेलन अगले माह तक स्थगित किया जाये.

और महाराज ताऊश्रेष्ठ रामप्यारे की पूंछ पकडकर महारानी के कक्ष की तरफ़ चल पडे. महारानी वहां कोप शैया पर पडी थी. महाराज ताऊ ने हाथ जोड कर दंडवत क्षमा याचना की, उसके बाद दोनो भोजन कक्ष की तरफ़ चले गये.
अब अगले दिन राज दरबार मे क्या हुआ .... ये कल सुबह पढिये
(क्रमश:)

ताऊ पहेली -92 (छतरपुर मंदिर /छत्तरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर,--दिल्ली ) विजेता : सुश्री M.A.Sharma "सेहर"

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 92 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है छतरपुर मंदिर /छत्तरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर,--दिल्ली

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,

पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भित जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.

आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.



नाम--श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर
स्थान -महरौली -गुडगाँव सड़क पर स्थित ,छतरपुर ,दिल्ली .
शैली-हिन्दू [उत्तर और दक्षिण भारतीय ]
निर्माण काल-१९७४

Chhatarpur Temple Delhi


मंदिर की स्थापना देवी के अनन्य भक्त संत नागपाल जी ने की थी.बाबा संत नागपाल जी की मृत्यु ८४ वर्ष की आयु में
१९९८ में हुई थी.उनकी समाधि इसी कोम्प्लेक्स के शिव-गौरी मंदिर के परिसर में ही बनाई गयी है.

विशेषताएं-
१-६० एकड़ में फैला ,२० छोटे बड़े मंदिरों का यह कोम्प्लेक्स दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है.
[२००५ में बना अक्षरधाम मंदिर अब पहले स्थान पर है].
२-दुर्गा के नौ रूप में छठे स्वरूप माता कात्यायनी देवी यहाँ की मुख्य आराध्य देवी हैं.
३-नवरात्री के दिनों में यहाँ की शोभा देखने लायक होती है.
४-सफ़ेद संगमरमर से बने इस मंदिर में पत्थर की जाली का काम अद्भुत है.
५-इस मंदिर परिसर में ही धर्मशाला, प्राथमिक स्कूल व तीन डिस्पेंसरी आदि का संचालन भी किया जाता है.
६-ऐसा भी मैं ने सुना है कि दिल्ली में कालसर्पयोग के लिए विशेष पूजा भी यहाँ की जाती है.अन्यत्र नहीं [?]
७-देवी कात्यायनी के अतिरिक्त यहाँ राधा कृष्ण,शिव-पार्वती,गणेश आदि अन्य देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना की जाती है.
८-एक प्राचीन पेड़ भी वहाँ देखा जा सकता है जिस पर धागे बाँध कर लोग मन्नतें मांगते हैं.

Chhatarpur Temple Delhi


दिल्ली स्थित भव्य और सुन्दर उद्यानों से घिरा यह दर्शनीय स्थल ,क़ुतुब मीनार से लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर है .
दिल्ली पहुँच कर आप बस के अतिरिक्त अब मेट्रो से भी वहाँ पहुँच सकते हैं.

अगली पहेली एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है .



आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.



सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.


आज की प्रथम विजेता हैं : सु. M.A.Sharma "सेहर"


सु. M.A.Sharma "सेहर" अंक 101



आईये अब अन्य विजेताओं से मिलवाते हैं.


seema-gupta-2

सुश्री सीमा गुप्ता अंक 100

lalit 50

श्री ललित शर्मा अंक 99

श्री अभिषेक ओझा अंक 98

anil (1)

प. अनिल जी शर्मा अंक 97

सुश्री बबली अंक 96

rps

श्री राणा प्रताप सिंह अंक 95

श्री अंतरसोहिल अंक 94

OSHO

 श्री ओशो रजनीश अंक 93

श्री नीरज गोस्वामी अंक 92

gajendra singh

 श्री गजेंद्र सिंह अंक 91

sugya-letest

श्री सुज्ञ अंक 90

ashish-mishraश्री आशीष मिश्रा अंक 89

saba-akbar1

सुश्री Saba Akbar अंक 88

श्री रंजन अंक 87


श्री मो सम कौन? अंक 86

श्री प्रकाश गोविंद अंक 85

My Photo

श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 84

श्री जीतेंद्र अंक 83

प. डी.के. शर्मा "वत्स", अंक 82

anju

सुश्री Anju अंक 81

prasant pundir

श्री prasant pundir  अंक 80

narendra vyas

 श्री नरेंद्र व्यास अंक 79

darshan-baweja

श्री Darshan Lal Baweja अंक 78

indu-arora

सुश्री इंदू अरोडा अंक 77

श्री रतन सिंह शेखावत अंक 76

श्री उडनतश्तरी अंक 75

श्री अविनाश वाचस्पति अंक 74

pawan chandan (1)

श्री पवन “चंदन” अंक 73

shahnawaj

 श्री Shah Nawaz अंक 72

हार्दिक बधाईयां


आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में





हाय गुड मार्निंग एवरीबड्डी... मेरे सवाल का सही जवाब है : सूरजमुखी का फ़ूल, निम्न सभी प्रतिभागियों को सवाल का सही जवाब देने के लिये 20 नंबर दिये हैं सभी कॊ बधाई.





सुश्री M.A.Sharma "सेहर"
श्री गजेंद्र सिंह
सुश्री सीमा गुप्ता
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री दिलीप कवठेकर
श्री अंतर सोहिल
श्री डी. के. शर्मा “वत्स”
सुश्री Anju
श्री Darshan Lal Baweja
श्री उडनतश्तरी
श्री Shah Nawaz

अब अगले शनिवार को ताऊ पहेली में फ़िर मिलेंगे. तब तक जयराम जी की!

अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री काजलकुमार,
श्री अशोक पांडे
श्री पी.सी.गोदियाल
सुश्री वंदना
श्री मनोज कुमार
सुश्री डा. अरुणा कपूर.
सुश्री वाणीगीत

अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.