और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
गुरु तेग बहादुर सिंह
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सिखों के दस गुरु हैं.उनमें गुरु तेग बहादुर सिंह जी नौवें गुरु हैं.जिनका जन्म १८ अप्रेल १६२१ में हुआ ,इनका बचपन अमृतसर में बीता और मूल नाम त्त्याग मल था . १६३२ में उनका विवाह हुआ था और २४ नवम्बर १६७५ में निर्वाण प्राप्त हुआ.

उनके दिए उपदेश में उन्होंने कहा था कि 'भै काहू को देत नहि'। नहि भय मानत आन।'[अर्थात] मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए.
गुरुजी की शहादत केवल धर्म पालन के लिए नहीं बल्कि सारी मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए थी .वे एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे जिन्हें उनके निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता ,धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के रक्षक और उनकी नैतिक उदारता के लिए आज भी पूजा जाता है.
उन्होंने एकांत में लगातार 20 वर्ष तक 'बाबा बकाला' नामक स्थान पर साधना की और बाद में जगह जगह घूम कर सत्य ज्ञान का प्रसार -प्रचार , लोगों के आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नयन के लिए कई कल्याणकारी कार्य किये.
औरगंजेब के राज्य में जबरन इस्लाम धर्म कबुलवाने के खिलाफ गुरूजी ने आवाज़ उठायी थी और जिसके परिणाम स्वरूप औरंगजेब ने उन्हें कैद करवा कर उनका सर कलम कर दिया था.गुरु जी ने औरंगजेब से कहा था - 'यदि तुम जबर्दस्ती लोगों से इस्लाम धर्म ग्रहण करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं हो क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए।' इस तरह हिंदू धर्म की रक्षा हेतु अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध अपने प्राण न्योछावर कर दिए.
दिल्ली में उनके 'शहीदी स्थल' पर 'शीश गंज साहिब गुरुद्वारा बना है.
गुरु जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब में ११५ श्लोक जोड़े थे और आनंदपुर साहिब की स्थापना भी उन्होंने ही कराई थी.उनके बाद उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह जी सिखों के दसवें गुरु बने.

पहेली में दिखाया गया स्थान आसाम के ढुबरी शहर में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे प्रसिद्ध गुरुद्वारा 'गुरु तेग बहादुर साहिब गुरुद्वारा 'है जिसे गुरु नानक जी की याद में उन्होंने ही बनवाया गया था .ज्ञात हो कि १५०५ में गुरु नानक जी यहाँ आये थे उसके बाद गुरु तेग बहादुर जी आसाम में १६७० में पहुंचे थे. यहाँ अब भी वह पेड़ है जिस के नीचे गुरु जी विश्राम किया था.

असम के इस गुरूद्वारे में हर वर्ष गुरु जी के शहीदी दिवस पर देश भर के सिख यहाँ शहीदी गुरु पर्व मनाने आते हैं.यह भी एक रोचक बात है कि असम में रहने वाले सिख असामी भाषा बोलते हैं और उन्हें बिहू नृत्य आता है भांगड़ा नहीं.असम के नौगांव में सिखों की बाहुल्यता देखी जा सकती है.परन्तु यहाँ रहने वाले सिख अपने धर्म के नियमों को उसी तरह पालन करते हैं जैसे कि पंजाब में रहने वाला कोई सिख.सिन्दूर बिंदी,मेघला पहने विवाहित स्त्री आप का स्वागत लस्सी या पानी से नहीं आसामी रिवाज़ के अनुसार सुपारी युक्त सरई से करती है ,पर आप उनकी कमर से बंधे कृपाण से जान जायेंगे कि वे सिख धर्म के अनुयायी हैं .
reference-http://www.sikhiwiki.org/
| श्री प्रकाश गोविंद अंक 100 |
| Dr.Ajmal Khan अंक 99 |
| सुश्री सीमा गुप्ता अंक 96 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 94 |
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श्री मीत अंक 93 |
| श्री ओशो रजनीश अंक 92 |
| श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 91 |
| श्री अंतरसोहिल अंक 90 |
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श्री जीतेंद्र अंक 88 |
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प. डी.के. शर्मा "वत्स", अंक 87 |
| श्री Shah Nawaz अंक 86 |
| श्री Darshan Lal Baweja अंक 84 |
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक अंक 83 |
श्री ओशो रजनीश श्री पी.एन.सुब्रमनियन सुश्री M.A.Sharma "सेहर" श्री sabir*h*khan सुश्री सीमा गुप्ता श्री गजेंद्र सिंह सुश्री डॉ. नूतन गैरोला " अमृता " भारतीय नागरिक - Indian Citizen श्री Shah Nawaz श्री नरेश सिंह राठौड श्री राज भाटिया श्री प्रकाश गोविंद डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक, श्री उडनतश्तरी अब अगले शनिवार को ताऊ पहेली में फ़िर मिलेंगे. तब तक जयराम जी की! |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री राणा प्रताप सिंह
श्री ललित शर्मा
श्री सतीश सक्सेना
सुश्री बबली
श्री विवेक रस्तोगी
श्री अशोक पांडे
सुश्री sada
सुश्री वंदना
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री गगन शर्मा
श्री संजय भास्कर
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री वाणी गीत
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.



विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteजय राम जी की
समीर भाई और सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसमीरजी पहले ही अपने जीतने की घोषणा कर चुके थे ...
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ...
जानकारी के लिए आभार ...!
समीर लाल जी को बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteसमीर जी व अन्य विजेताओं को बधाई। लगता है समीर जी जरूर कोई सिद्ध पुरुश हैं जहाँ देखो सब से आगे। उनके लिये शुभकामनायें।
ReplyDeleteआदरणीय समीर जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई......अरे रामप्यारी रानी ये अंगूर तो मीठे निकले हा हा हा
ReplyDeleteregards
गुरु को याद दिलाने के लिए आपका आभार !
ReplyDeleteसमीर अंकल जी को बधाई और जल्द ही वो खिलाएंगे मिठाई.
ReplyDeleteलो जी हम भी मैदान में थे और बाजी भी मारी. अंक दो-चार इधर उधर होते रहते है :)
ReplyDeleteसमीर जी समेत सभी को बधाई जी
ReplyDeleteगिनती उल्टी चालाओ ताऊ... समीर भाई बोर नहीं हो गए.. इतनी बार पहले आ कर.. :)
ReplyDeleteSamir ji sahit sabhee Pratibhagiyon ko bahut badhaii !
ReplyDeleteआदरणीय समीर जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteप्रिय समीर जी आप जीतने का दावा नहीं कर सकते !
ReplyDeleteदेख लीजिये हम दोनों का जवाब एक ही समय में आया था ! फर्क इतना ही था कि आपका जवाब कनाडा से आया था ! इसलिए मामला मेहमान नवाजी में पहले आप ..पहले आप के चक्कर में अटक गया !
बहरहाल बधाई के हकदार तो हैं ही आप !
बहुत-बहुत बधाई
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पिक्चर अभी बहुत बाकी है .... पलायन न कीजियेगा ! अगले शनिवार को मिलता हूँ :)
सभी अन्य प्रतिभागियों को भी हार्दिक शुभ-कामनाएं
ReplyDeleteअल्पना जी के माध्यम से बिलकुल नयी जगह और नयी जानकारियां प्राप्त हुयीं !
आभार
समीर लाल जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteसभी को बधाई
ReplyDeletesabhi ko badhai...
ReplyDeleteसमीर जी को और अन्य सभी विजेताओं को बधाई!...ताउ जी की उत्तम प्रस्तुति प्रशंसनीय है!
ReplyDeleteप्रकाश भाई..आपसे भला क्या हार जीत और कैसा पलायान...आप तो सदा जीते हुए हैं... :)
ReplyDeleteसंजय भाई आये ये देख अच्छा लगा...जीत हार २-४ अंको की चलती है मगर ७-८ अंकों की..ओह!
:)
विजेताओं को बधाई