ताऊ की शोले (एपिसोड - 4)
पिछली बार आपने पढा : कालिया और अपना माल छुडवाने के लिये गब्बर और सांभा वापस ठाकुर की हवेली में लौट आते हैं. जहां ठाकुर उनको ब्लागिंग ब्लागिंग खेलता हुआ मिलता है. गब्बर द्वारा यह कहने पर कि वो और सांभा थोडे दिन ठाकुर की हवेली पर पुलिस से छुपकर रहना चाहते हैं. ठाकुर ने सांभा को घोडे लेकर कहीं और जाने का कहा. क्युंकि पुलिस घोडे की लीद सूघ कर उनको यहां ढुंढने आ सकती थी. और सांभा वहां से अपने घोडे पर सवार होकर गांव में मौसी के घर जा पहुंचता है. मौसी ने उसको बडे प्यार से खाना खिलाया और दोनों बातें करने लगे. अब आगे पढिये...मौसी : अरे सांभा...वो गब्बर नही आया बहुत दिनों से?
सांभा : मौसी..वो क्या है ना आजकल गब्बर भैया बहुत बिजी हो गये हैं।
मौसी : काहे, आज कल उड़नतश्तरी का धंधा जोरों पर है क्या? कि फ़िर वो मुआ ऑडिट साडिट का चक्कर है? मेरे तो समझ में नहीं आये कि जब इतना बढ़िया खानदानी धंधा चल रहा था तो ये मुए नये धंधे पकड़ने की का जरूरत। खुद तो खानदान की लुटिया डुबो रहा है, साथ में वीरु का भी सत्यानाश करे है।
सांभा : अरे मौसी ...आप तो यूं ही फ़िकर करती हो गब्बर भैया का? ऊ तो का कहवैं कि.. बहुत बडा काम करते हैं...आप चिंता मत किया करो.
मौसी : अरे, चिंता कैसे ना करुं? भाई है मेरा...मैं ही चिंता ना करुंगी तो कौन करेगा? बाप दादा का धंधा संभालता तो आज कित्ता बड़का आदमी होता, सारे मंत्री ऐसे लाइन लगाते जैसे राशन की दुकान पे चीनी की लाइन
सांभा : मौसी तू चिन्ताये मती न, गब्बर भैया तो बस बड़े आदमी बने समझो जरा बस ये लेपटॉप तो पालतू हो जाये
मौसी : का बोला…का बोला…लेपटाप, ये मुआ कोई नया जनावर है का?
सांभा : अरे नहीं मौसी..ये तो बड़के बड़के लोगां के शौक है, राजा महाराजा के…ऊ फ़िल्लम आयी थी, देखो तुमरी जवानी में संजीव कुमार वाली, शंतरज के खिलाड़ी, याद आयी, उसमें वो राजा लोग कैसा खेल खेलते थे, वैसा ही है ये लेपटॉप।
मौसी : हाय हाय तो गब्बर अब धंधा पानी छोड़ के खेल खेलत है, हे भगवान, ये छोरा तो गया हाथ से. बापूऊऊऊउ…क्या मुंह दिखाऊंगी तुम्हें।
सांभा : अरररर मौसी, पिटवाओगी गब्बर भैया से, मैने ये कब कहा कि गब्बर भैया खेलत है, अरे वो भी सुसरी पढ़ाई जैसा है, ठाकुर भैया सिखलाय रहे हैं।
मौसी : हे राम, अब इस उमर में पढ़ाई करत है, काहे, उसके बाप दादा ने कभी पढ़ाई की जो ये कर रहा है, देखत नहीं का? गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
सांभा : अरे नहीं नहीं मौसी, ठाकुर भैया तो उन्हें ब्लागिंग करना सिखाय, अब देखो, गब्बर भैया कित्ते बड़े आदमी बन गये , पहले तो सौ कोस दूर तक गब्बर भैया का नाम था अब तो दुनिया के चप्पे चप्पे में लोग उन्हें जानत हैं, प्यार करत हैं। हम तो ठाकुर भैया को बोले हमें भी तनिक सिखलाय दो इ मुई ब्लागिंग, हमें भी कोई इक बार क्यूट कह दे झूठा ही सही।
मौसी :ह्म्म, तो ये मुई बिलागिंग ने सत्यानास किया है मेरे गब्बर का, पहले वो छमिया आयी थी बर्बाद करने। कौन गांव से है ये मुई ब्लागिंग, चल अभी उसका झोंटा काट उसके हाथ न दिया तो मेरा नाम भी जगत मौसी नहीं, हां
sssss नहीं तो।
सांभा : अरे मौसी , तुम भी न , बस न आव देखती हो न ताव बस झट से डंडा निकाल लेती हो, अब बिना समझे ही चढ गई ना हुक्का पानी लेके? अरे ई ब्लागिंग कोई माहतारी नहीं ये तो एक विधा है, तुम भी सिखल्यो ना ई बिलागिंग अब छोड़ो ये आचार बनाने, ब्लागिंग सीखो ब्लागिंग, फ़िर देखो, तुम भी बड़की हो लोगी
मौसी : अरे हट परे मुए, अब क्या मेरी उमर है बड़का होने की? तेरी ये ब्लागिंग कोई दाम भी दिलाये की बस टाइम खोटी? गब्बर कुछ कमाता धमाता भी है की ना
सांभा : अरे मौसी..तुम भी का बात करती हो? अरे लेपटोपवा है तो ई समझ ल्यो कि पैसा ही पैसा है
मौसी आंखे बडी करके कहती है : वो कैसे ?सांभा : अरे मौसी, अब देखो, डाका डालना हो तो पहले खबरी का खर्चा, फ़िर कम से कम दस घोड़े का खर्चा, एक एक घोड़ा, साठ सत्तर हजार का आता है, फ़िर घास भी कित्ती मंहगी हो रेली है आजकल, आदमियों का खर्चा सो अलग, और फ़िर पुलिस का खटका हुआ तो उल्टे पैर भाग लेते है, कित्ता लुकसान हो जाता है, समझ रही हैं न ?
मौसी : का मतलब है तुहार सांभा..?
सांभा : अरे मौसी..ऊ देखो ना..अब कालिया पकडे गये हैं...उसे छुड़वाने का खर्चा , भले गब्बर भैया ने ठाकुर को कह दिया,,वो छुडवा भी देंगे..पर खर्चा तो देना ही पड़े न, इसमें तो फ़ौरन काम चालू..
मौसी : सांभा..ई का ताऊ जैसन पहेलियां बुझा रहा है? कालिया..पकडा गया..ठाकुर छुडवा देगा? काम चालू..साफ़ साफ़ बता...
सांभा : अब मौसी..हम का बतायें..कि कालिया के साथ साथ ठाकुर ...गब्बर भैया का माल भी छुडवा देंगे....
मौसी : माल भी छुडवा देंगे...का कह रहे हो सांभा? कौन सा माल..
सांभा : अरे मौसी..जब गब्बर के आदमी पकडे जाते हैं तो माल भी तो साथ मे पकडा जाता है ना?
अब मौसी ने लठ्ठ हाथ मे ऊठाया और सांभा पर तानते हुये बोली - देख बचूआ..तू हमका सही सही बता वर्ना आज तेरी हड्डी पसली हम तोड ताड के रख देंगे..
सांभा : अब देखो मौसी..आप खाम्खाह मे हमारे उपर तो नाराज हो मति..हमरा आपके सिवा और हैईये कौन? और आप हमारा हड्डी पसली तोड कर भी अपना ही नुक्सान करवा लेंगी...काहे से कि हमारी दवा दारू भी आपको ही करवानी पडेगी ना बुढौती मे...
मौसी ने एक लठ्ठ दिया सांभा को घुमाकर...और बोली ---बातें बाद मे बनाना मुए..चल अब सही सही बता सब कुछ मेरे को. नही तो अब और पिटेगा.
सांभा - अरे मौसी इत्ती जोर से क्युं मारती हो? आव देखती हो ना ताव..बस जब मन हुआ घुमाय दिया लठ्ठ सांभा की खुपडिया पर...हम बताये देत हैं...ऊ का है ना कि गब्बर भैया को ठाकुर की हवेली मे जाये बिना चैन नही है और ऊंहा..ठाकुर साब उनको नशा पानी पिलवाय देत हैं...बस नशा करके ..
मौसी बीच मे ही टोक कर...तो अब क्या गब्बर नशा भी करने लगे हैं?
सांभा - अरे मौसी... ई हम कब कहत हैं? ऊ तो ई होत है कि ..नशे के बाद गब्बर बडा रोमांटिक हो जाता है और फ़िर ऊ जो कौन बंजारन है...का नाम है.. अरे मौसी ऊ ही जो सिप्पी साहब की फ़िल्लम मे बडे ठुमके लगाके नाची रही...ऊ ...हां शायद हेलनवा या ऐसन ही कोनू नाम रहा.. अबहिं नाम याद आने पर पक्का बताते हैं...बस ऊसको बुलवाकर ठुमके उमके की महफ़िल लगा लेत है...
मौसी फ़िर से बीच मे बोली ---हे राम..मेरे तकदीर फ़ूटे..इस लडके ने तो सारा कुल का नाम मिट्टी मे मिलाय दिया..अब क्या कसर रह गई? हे भगवान..यही कमी थी..अब नशा और उसके बाद नाच..गाना..छि: छि:....सांभा....
सांभा - अरे मौसी ई तो कोनू बडी बात नही है...अब का है कि इन बंजारण कि महफ़िल मे खर्चा भी बहुत बडा आता है..सब नवाबी शौक हैं..तो जब पैसा की जरुरत लग पडे तो गब्बर कहां से लाये....ई तो पूछो जरा हमसे?
मौसी बीच मे ही.. अबे मुए बतायेगा भी कहां से लाता है इतने पैसे गब्बर? या दूं घुमा के? मौसी लठ्ठ तानती हुई बोली.
सांभा खींसे निपोरते हुये बोला - अरे मौसी ...वही तो समझा रहे थे न, पैसे पाने के लिए डाके डालने पड़ते हैं, लेकिन अब तो वो सबहे काम लेपटॉप पर झूला झूलते झुलते हो जाता है, काहे गधे घोड़े की खिटपिट मोल लेनी?
मौसी: सांभा, तू पगला गया है या मुझे पगला देगा, अब क्या ये तेरे लेपटॉप से पैसा निकलता है?
सांभा: नहीं मौसी, ठाकुर ने ऐसे ऐसन गुर सिखा दिये है गब्बर भैया को कि किसी का घर में घुसने की जरूरत ही नाहीं, बस लेपटॉप खोलो, किसी के भी बैंकवा में घुसो और वारे न्यारे, क्या समझीं…॥ ही ही ही... अरे मौसी, इसी लिये तो कहूं हूं कि तू भी सीख ले ये खेल फ़िर तू भी पैसा कमाना, छोड़ ये आचार वाचार के चक्कर्। कब तक बनाती रहेगी?
मौसी: अच्छा ssssss. चल फ़िर मैं भी जरा चलूं ठाकुर के घर,
ब्लाग बिना चैन कहां रे,
ब्लाग बिना चैन कहां रे
सोना नहीं चांदी नहीं ब्लाग तो मिला
अरे ब्लागिंग कर ले
सही बात है भाई ब्लागिन्ग बिना चैन कहा रे.
ReplyDeleteवैसे ये ठाकुर भैया कहा सिखलाते है ये सब मुझे भी सिखना है :)
अच्छा है सलीम जावेद ने पहले ही लेखन छोड़ दिया नहीं छोड़ते तो अब छोड़ना पड़ जाता...ताऊ की शोले क्या धाँसू लिखी जा रही है...वाह...तालियाँ...हर एपिसोड पहले से दुगना मजा देने वाला है...
ReplyDeleteनीरज
जबर्दस्त लेखन ! प्रस्तुति तो शानदार है । सच कहा नीरज जी ने ।
ReplyDeleteसोना (नींद) नहीं
ReplyDeleteचांदी (सोना) नहीं
ब्लॉग तो लिखा
उसे सबने पढ़ा
अब तू लॉगिन
कर ले
कर ले रे लॉगिन।
ताऊ दी शोले दो ते जवाब ही नहीं ...
ताऊ, हमको गाना कहे नहीं सुने दे रहा है :( :(
ReplyDeleteकहानी तो जबरदस्त ढंग से आगे बढ़ रही है, आज के एपिसोड में तो मज़ा आ गया.
ताऊजी.... बोले तो ये सांभा ने गब्ब्रर की पोल खोल दी.... बहुत बुरा हुआ!...और वो भी मौसी के सामणे?.... आपणे रोका क्यों नहीं ताऊ?.... बोले तो अब क्या होवेगा ताऊजी?
ReplyDeleteहमें भी कोई इक बार क्यूट कह दे झूठा ही सही।--हा हा!! फेयर एण्ड लवली लगाओ. :)
ReplyDeleteसारी पोल खोल कर रख दी..अब किस पर भरोसा करे गब्बर. ..
मस्त कहानी बह रही है.
ब्लाग बिना चैन कहां रे
ReplyDeleteसोना नहीं, चांदी नहीं,
ब्लाग तो मिला
अरे ब्लागिंग कर ले।।
बाह ताऊ।
इसमें मेरा रोल भी तो था।
वो कहाँ गया,
मान्यवर,
ताऊ की शोले बल्ले बल्ले जल्दी से इसे बडे स्क्रीन पर ले आयें बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteऊपर बडे बडे अक्षरों लिखा देखा तो भागे स्पीकर आन करने और सोचने लगे आज तो दुगना मजा आऐगा। पर स्पीकर नही बजे। और मजा पहले जैसा ही आया।
ReplyDeleteफिल्म जबरदस्त हिट हो रही है ताऊ !!
ReplyDeleteबहुत लाजवाब है जी शोले तो. लगता है सांभा अब गब्बर को पिटवायेगा मौसी से अगली ही मुलाकात मे?:)
ReplyDeleteबहुत लाजवाब है जी शोले तो. लगता है सांभा अब गब्बर को पिटवायेगा मौसी से अगली ही मुलाकात मे?:)
ReplyDeleteजे बात..इब बिगाड दो मौसी को भी ब्लोग्गिंग में घुसेड के ..यो शोले तो ..आग उगल रही ..कसम हैदराबाद की..मे एसे ही थोडी बोल रिया हूं...
ReplyDeleteये तो स्तरीय कामेडी लेखन है. वाकई जबरदस्त. बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeletejust super hit taau.
ReplyDeleteregards
गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
ReplyDeleteवाह जी वाह...बेहतरीन डायलोग्स हैं. मजा आगया.
गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
ReplyDeleteवाह जी वाह...बेहतरीन डायलोग्स हैं. मजा आगया.
गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
ReplyDeleteवाह जी वाह...बेहतरीन डायलोग्स हैं. मजा आगया.
कमाल और धमाल. बस अब बसंती को लाओ जी ..देखते हैं वो क्या उल्टा पुल्टा करती है? यहां तो सीधा तो कुछ होना नही है. आखिर रामप्यारी फ़िल्म्स की फ़िल्म मे उल्टा सीधा ना हो तो फ़िर बात ही क्या है?
ReplyDeleteकमाल और धमाल. बस अब बसंती को लाओ जी ..देखते हैं वो क्या उल्टा पुल्टा करती है? यहां तो सीधा तो कुछ होना नही है. आखिर रामप्यारी फ़िल्म्स की फ़िल्म मे उल्टा सीधा ना हो तो फ़िर बात ही क्या है?
ReplyDeleteकमाल और धमाल. बस अब बसंती को लाओ जी ..देखते हैं वो क्या उल्टा पुल्टा करती है? यहां तो सीधा तो कुछ होना नही है. आखिर रामप्यारी फ़िल्म्स की फ़िल्म मे उल्टा सीधा ना हो तो फ़िर बात ही क्या है?
ReplyDeleteस्पीकर फुल है तब भी आवाज नहीं आई. लेकिन सायलेंट शोले भी कम मजेदार नहीं है :)
ReplyDeleteमैने एक बात नोट की है, ताऊ की पहली फ़िल्म जो सुपरहिट है और अब भी ३७ सप्ताह से चल ही रही है वो है "ताऊ पहेली" और अब ये फ़िल्म "ताऊ की शोले" उसका रिकार्ड तोडेगी. जबरदस्त स्क्रिप्ट राईटिंग..
ReplyDeleteआज म्युजिक के ट्रेक मे कुछ गडबड है, सुनाई नही दे रहा है, जरा आपके टेक्निकल एडवाईजर को संपर्क किजिये.:)
bahut sundar film taauji.
ReplyDeletebahut sundar film taauji.
ReplyDeleteTaaliyan.....
ReplyDeleteBahut aanad aaya.......waah !!!
आपसे विनम्र निवेदन है कि आज फ़िल्म के म्युजिक ट्रेक मे मिक्सिंग करते समय कुछ लोचा हुआ है. या हो सकता है यह हडताली कर्मचारियों की कोई साजिश हो. अभी हमारे टेकनिकल एक्सपर्ट आते ही इसे ठीक कर देंगे. आपको हुई असुविधा के लिये मैं मिस. रामप्यारी आपसे क्षमा चाहती हूं.
ReplyDeleteमिस.रामप्यारी
वास्ते : रामप्यारी फ़िल्म्स
ताउजी फिल्म तो हिट हो गई है सिल्वर जुबली जरुर करेगी .
ReplyDeleteसहर्ष सूचित किया जाता है कि साऊंड ट्रेक दुरुस्त कर दिया गया है और अब ईंटरनेट एक्सप्लोरर मे बहुत अच्छा बज रहा है. सहयोग के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteअब गब्बर भईया का क्या होगा जी, वेसे मोसी भी कोन सी मानने वाली थी
ReplyDeleteगब्बर तो गया अब बारह के भाव:)
ReplyDeleteमैने आज ही उडती उडती सी खबर सुनी है कि रमेश सिप्पी कापीराइट के मामले में शायद अदालत-वदालत में जाने की सोच रहा है!! बस इतना सुनते ही सोचा चलो ताऊ को खबर कर दी जाए.....
बढ़िया फिल्म चल रही है |
ReplyDeleteye film to bilkul jabardast chal rahi hai...
ReplyDeleteTauji .......ram - ram........ aaj pehli baar aapke blog pe aaya........ aur is tau ki sholay ne kamaal hi kar diya..... bahut bahut hansa hoon.......
ReplyDeletewaaqai mein TAU ki SHOLAY ka jawab nahin.........
Ram-Ram........
यह साम्भा तो बिलकुल नारद मुनि का कम करने लगा है ..बेचारा गब्बर पिटेगा मौसी की हाथों ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..!!
वाह ताऊ जी शोले फ़िल्म तो सुपर हिट है! क्या ज़बरदस्त चल रही है! फिर से देखना पड़ेगा शोले !
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा मजेदार आखिरकार गब्बर की पोल खुल ही गयी हा हा हा ....
ReplyDeleteregards
सुपर हिट फ़िल्म के बहुत बहुत बधाई ताऊ।
ReplyDeleteआज कल उड़नतश्तरी का धंधा जोरों पर है क्या? कि फ़िर वो मुआ ऑडिट साडिट का चक्कर है? मेरे तो समझ में नहीं आये कि जब इतना बढ़िया खानदानी धंधा चल रहा था तो ये मुए नये धंधे पकड़ने की का जरूरत। खुद तो खानदान की लुटिया डुबो रहा है, साथ में वीरु का भी सत्यानाश करे है।
ReplyDeleteह्म्म, तो ये मुई बिलागिंग ने सत्यानास किया है मेरे गब्बर का, पहले वो छमिया आयी थी बर्बाद करने। कौन गांव से है ये मुई ब्लागिंग, चल अभी उसका झोंटा काट उसके हाथ न दिया तो मेरा नाम भी जगत मौसी नहीं, हां
sssss नहीं तो।
वाह ताऊ क्या हंसाया है... आपने आज मजा आ गया...
मीत
SHOLE TO CHAA GAYEE TAAU ....... SAARE RECORD TOD RAHI HAI .....
ReplyDeleteMAZAA AA GAYA ..
ये शोले तो हिट है ताऊ !! ये १०० ले नहीं ५००ले है !!
ReplyDeleteबहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
ReplyDelete"ब्लाग बिना चैन कहां रे,
ReplyDeleteब्लाग बिना चैन कहां रे
सोना नहीं चांदी नहीं ब्लाग तो मिला
अरे ब्लागिंग कर ले"
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ब्लाग ने निकम्मा कर दिया हमको
ReplyDeleteवरना ताऊ भी आदमी थे काम के
मौसी : हे राम, अब इस उमर में पढ़ाई करत है, काहे, उसके बाप दादा ने कभी पढ़ाई की जो ये कर रहा है, देखत नहीं का? गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
ReplyDeleteअरे मौसी जी असली जड ये ठाकुर ही है जो गब्बर और सांभा को बिगाड रहा है। आप तो ई ठाकुर को दू चार गो लठ्ठ चटकाय दो..अपने आप ये गब्बर और सांभा सुधर जायेंगे..वर्ना समझ लो की ये दोनो तो अब नटवरलाल हुये कि तैयारी मे हैं। फ़िर हमे मति कहियो।:)
फ़ैंटास्टिक...
मौसी : हे राम, अब इस उमर में पढ़ाई करत है, काहे, उसके बाप दादा ने कभी पढ़ाई की जो ये कर रहा है, देखत नहीं का? गांव के सब स्कूल पास लौंडे मारे मारे फ़िरत हैं दो दो चार आने की बेगार करे हैं और तू…देख कैसा मौज करे हैं और वो कालिया…। मैं पहले ही बोली थी गब्बर को, ये मरे ठाकुर की सौबत में मत पड़ , मत पड़, बर्बाद हो जायेगा, पर सुने तब न
ReplyDeleteअरे मौसी जी असली जड ये ठाकुर ही है जो गब्बर और सांभा को बिगाड रहा है। आप तो ई ठाकुर को दू चार गो लठ्ठ चटकाय दो..अपने आप ये गब्बर और सांभा सुधर जायेंगे..वर्ना समझ लो की ये दोनो तो अब नटवरलाल हुये कि तैयारी मे हैं। फ़िर हमे मति कहियो।:)
फ़ैंटास्टिक...
vaah super film..and script is so much hilerious. thanks to writers.
ReplyDeletekeep it up.
हूँ......अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे.....
ReplyDeleteबहुत बे-इंसाफी किया रहा इ गब्बरवा.....
मौसी को पता चला है कि गब्बर अब गब्बर नहीं गोबर हो गया है ....तो अब खटिया खडा और पावा टेढा होना है...
फेयर एंड लवली लगाये के उड़नतस्तरी में उड़ता रहा है. ...
अब तेरा क्या होगा........का .....लिया ?.......अरे कुछ नहीं लिया हा हा हा हा हा
बहुत शानदार.....!!!!!!
(ये सब कुछ लिख तो दिया है लेकिन क्षमा चाहती हूँ...अगर बुरा लगे तो मत छापियेगा)
वाह! यह तो बहुत ही जबरदस्त प्रयोग है!
ReplyDeleteक्या background इफेक्ट है!
फिल्म के म्यूजिक director को बहुत बहुत बधाई..स्क्रिप्ट & आवाजें भी खूब !
क्या बात है ब्लॉग्गिंग में ऐसा ऑडियो वीडियो सुपर हिट है!
बहुत मजेदार स्क्रिप्ट है और जो sound ट्रैक चल रहा है -साथ साथ ----कितने आदमी थे ताऊ ....!!!!!!! कहानी को और भी मजेदार बना रहा है!
ReplyDeleteहा हा हा!
ताऊ फिल्म तो हित लग रही है | हमें भी छोटा मोटा रोल दिला दो |
ReplyDeleteआपकी फिल्म का गाना तो सुपर हिट हो गया है.... ब्लागिन्ग बिना चैन कहा रे...।
ReplyDeleteवाह.. फिल्म तो हिट हो रही है... मजा आ रहा है .. आगे की कड़ी का इन्तजार रहेगा
ReplyDelete