वाराणसी यात्रा के अनुभव भाग - 4

वाराणसी अभ्यास शिविर भाग -4

अब तक का विवरण आपने भाग -1 भाग – 2 एवम भाग – 3 में पढा. अब आगे बढते हैं.

अब समय आ गया था सर्टीफ़िकेट वितरण का. वत्स जी अभी भी असमंजस में थे,  बोले….. बिना परीक्षा ही आप रिजल्ट देने की बात कर रहे हैं? यदि इनमें से किसी ने सही जवाब नहीं दिया तो? हमने कहा आप काहे चिंता करते हैं? हम हैं ना….. वो बोले इसका क्या मतलब? यानि आप पहले से ही जवाब बता देंगे? हमने कहा…. नहीं नहीं…..हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे. हमने तो अपनी औघड दृश्टि से सब कुछ पहले ही देख लिया है आप तो शुरू करो…. वत्स जी बोले…. शर्त लगा लो….आज आपकी सारी औघड गिरी रखी रह जायेगी…. सारे सही जवाब नहीं दे पायेंगे. हमने कहा शर्त लगालो….वो बोले… आप कोई शरारत मत करना. हमने कहा पहली बात तो ये कि हम कभी शरारत करते नहीं और ये अलग बात है कि हमारी शरारतें कभी पकडी नहीं जा सकती. फ़िर भी हम कोई शरारत करें और पकडे जाये तो अगली गोवा ट्रिप का सारा खर्चा हम उठायेंगे और यदि सबने सही जवाब दे दिया तो आप हमें सिर्फ़ इक्कीस सौ… रूपये देंगे. इस शर्त पर वत्स जी तैयार हो गए…. पर बोले यदि मैं शर्त जीत गया तो इसी महिने गोवा चलना पडेगा. हमने कहा इसी महिने क्यों? यही वाराणसी से सीधे चलेंगे… तब सर्टीफ़िकेट वितरण शुरू हुआ. 

अब सबसे पहले श्री बी.एन. शर्मा रतनगढ से, जिनको श्री वत्स जी ने सम्मानित किया. आप ज्योतिष के साथ साथ रामायण के भी प्रकांड विद्वान हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं. 


नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. श्री बी. एन. शर्मा
  

इसके बाद श्री वी.एस. पारीक जयपुर से, जिन्होंने दोनों के हाथों सम्मान ग्रहण किया. आप अपने क्षेत्र में जाना माना नाम हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. वी. एस. पारीक


फ़िर सुश्री मधु झा पटना से.... जिन्होनें दोनों के हाथों अलग अलग सम्मान प्राप्त किया. आप अपने क्षेत्र में तो महारत रखती ही हैं, इसके अलावा आप हंसमुख, विनयशील और दानशील भी हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. सुश्री मधु झा
  



नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. सुश्री मधु झा


इसके बाद सुश्री श्वेता पांडेय प्रयागराज से,  जिन्होने हमारे हाथों सम्मान प्राप्त किया. आप ज्योतिष के क्षेत्र में एक चमकता हुआ नाम है, बहुत बहुत शुभकामनाएं. 

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. कु. श्वेता पांडेय



फ़िर आये श्री आशुतोष जी शर्मा  फिरोजाबाद से.... जिन्हें हमने सम्मानित किया. आप इस क्षेत्र में एक स्थापित नाम बन चुके हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. आशुतोष शर्मा



इसके बाद श्री राजेंद्र कुमार जी शर्मा जिनको हम दोनों के द्वारा सम्मानित किया गया. आप गंगानगर के रहने वाले हैं और वकालात और ज्योतिष के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है. बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. राजेंद्र कुमार शर्मा



अब सुश्री संगीता राय पटना से...जिनको हमने और वत्स जी ने सम्मानित किया. आप इस क्षेत्र की महारथी हैं और एक स्थापित नाम हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. सुश्री संगीता राय

 

अब श्री राकेश शर्मा, बल्लभगढ से, जिन्हें हमने और वत्स जी ने सम्मानित किया. आप अपने क्षेत्र में एक स्थापित नाम हैं

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. राकेश शर्मा


इसके बाद श्री निधिष सारस्वत बल्लभ गढ से, जिन्हें हम दोनों ने सम्मानित किया. आप ज्योतिष में स्थापित नाम हैं और आपकी याददाश्त विलक्षण है. आपके ही नाम का मैंने पिछली पोस्ट में जिक्र किया था, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. निधीष सारस्वत


और अब श्री सुरेश शर्मा, बल्लभ गढ से जिन्हें वत्स जी और हमने सम्मानित किया. आप सरल और मृदु स्वभाव के इस क्षेत्र में जाना माना नाम हैं, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

नक्षत्र ज्योतिष विशारद पं. सुरेश शर्मा



इसके बाद पं. राजेंद्र कुमार जी शर्मा ने  वत्स जी और हमको को शाल औढाकर सम्मानित करके अपनी कृतज्ञता व्यक्त की.

वत्स जी का सम्मान करते हुये श्री राजेंद्र शर्मा जी



मुदगल जी का सम्मान करते हुये श्री राजेंद्र शर्मा जी


इसके बाद सुश्री मधु झा ने हमें और  वत्स जी को उपहार  देकर अपनी कृतज्ञता जाहिर की.

सुश्री मधु झा, वत्स जी को उपहार देते हुये 



सुश्री मधु झा,  हमको उपहार देते हुये


इसके बाद फ़ोटो खिंचाई गई..... पर हमें सिर्फ़ एक निम्न फ़ोटो उस समय की प्राप्त हुई जिसे लगा रहे हैं.

हम, मधु जी और वत्स जी

इसके बाद भी बहुत कुछ हुआ जिसकी रिपोर्टिंग अगले भाग में की जायेगी. पर एक बात है कि सभी परम संतोष में दिखे. यहां यह हाल था कि लेने वाले को लग रहा था कि मैंने बहुत कुछ पा लिया है पर देने वालों को लग रहा था कि हम बहुत कम दे पाये हैं. ज्ञान अथाह है जो खोजता रहता है वो पाता रहता है. संतोष की बात है कि लेने और देने वाले दोनों ही संतुष्ट थे. इसके बाद डिनर करके सब रात्रि विश्राम को चले गये. पर हमारी तो परीक्षा अभी बाकी थी कि वत्स जी से शर्त हारेंगे या जीतेंगे? यह सब अगले भाग में.

क्रमश:





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