रमई काका यों तो अब
हमारे गांव के हारे हुये सरपंच ही है पर हारने मात्र से उनकी चिंतन मनन और ज्ञान की
शक्ति कम नही हुई है. वो तो पिछले बार जब उनकी सरपंची थी तब उन्होंने अपने सिवा किसी
दूसरे को नरेगा मनरेगा का माल जीमने नही दिया वर्ना तो कोई कारण नहीं था कि इस बार
उनके साथ भूतपूर्व सरपंची का पुछल्ला लटक जाता. हुआ ये कि उनके समर्थकों ने अपनी पूरी
खुंदक निकाली और ऊपर तक शिकायत करके जांच बैठवा डाली पर रमई के तार यानि कनेक्शन ऊपर
तक भिडे थे सो साफ़ बरी हो गये. पर बरी होना अलग बात है और आने वाला चुनाव जीतना अलग
बात है सो चुनाव में भीतरघाती समर्थकों ने वोटरों को समझा दिया था कि हल्वा पूडी तो
रमई के टेंट में ही जीमना पर वोट उनको मत देना और वो अपनी मुहीम में कामयाब भी रहे.
खैर…ज्ञानी लोगों का
हारने या जीतने से उनका ज्ञान कम थोडी हो जाता है सो वही हाल रमई सरपंच का भी था. अंतर्राष्ट्रीय
विषयों पर तो उनकी ऐसी पकड है कि मोदीजी को सुषमा स्वराज की बजाये रमई काका को विदेश
मंत्री धर देना था पर किस्मत भी कोई चीज होती है. भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दा
तो सरपंच जी को कोई मुद्दा ही नही लगता, इसे
तो वो महज पाकिस्तान की सेना को वहां सता पर पकड बनाये रखने का साधन मानते हैं. वो
तो सीधे चीन और नार्थ कोरिया के मसलों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं. उनकी राय से कोई
चले तो एक मिनट में उसका हल निकाल दें.
रमई सरपंच हमारे संटू
भिया के खास जिगर थे क्योंकि रमई ने जितने भी घोटाले किये वो संटू भिया की सलाह और
मार्गदर्शन में ही किये थे. आजकल हारी हुई सरपंची में कोई काम धंधा तो उनको था नही
सो संटू भिया के कबाडखाने पर वो भी मंडली में शामिल रहते. आज भी सुबह सुबह की पोहे
जलेबी की दावत में वो शामिल थे ही और उनकी खास पसंदीदा कचोरी थी अनंतानंद जेल रोड रोड
वाले की, सो वो भी मंगाई गई थी. कसम से…..जो अनंतानंद की झन्नाट लब्बेलाली ऊसल वाली
कचोरी हज्म करले वो बडे से बडे घोटाले भी करके पचा सकता है फ़िर चारा और लारा घोटाले
तो कहीं नही लगते. लगता है चारा और लारा कांड के पहले लालूजी ने उस कचौरी का सेवन नहीं
किया वर्ना आज तेजू बाबू को इस्तीफ़ा देने की नौबत नही आती.
रमई सरपंच कचौरी के
टुकडे को लब्बेलाली में डूबोकर मुंह में रखने ही वाले थे कि रमलू भिया ने उनको छेड दिया. रमलू भिया बोले - सरपंच
जी, कल महबूबा मुफ़्ती कह रही थी कि कश्मीर
में चीन करवा रहा है सब गडबड…..बस रमलू भिया का ये कहना हुआ कि सरपंच जी ने लब्बेलाली
का भीगा टुकडा मुंह में सरकाया और उनकी अंतर्राष्ट्रीय बुद्धि का कीडा कुलबुला गया. तमक कर बोले – यार रमलू भिया ना तो तुमको कुछ पता
है और ना ही महबूबा को, बस कुछ भी मुंह में आया और बक दिया? अरे चीन की अपनी कोई कम
समस्या हैं जो वो काश्मीर में आयेगा? वो तो उसको CPEC के लिये पाकिस्तान की जरूरत है
सो झुंझुना पकडाने के लिये शी जिन पिंग ने फ़ोन कर दिया नवाज और बाजवा को, कह दिया कि पठ्ठों शुरू होजावो दमखम से, हम तुम्हारे
पीछे खडे हैं….डरना मत तुम इधर से घेरो मोदी को और हम डोकलाम में घेरते हैं, वर्ना चीन भी जानता है कि भारत से युद्ध करना है
या अपनी दुकान चलानी है… चीन ठहरा पक्का बणियां, ऊ धमकी से आगे कदी नी जायेगो. असल
में चीन के गले में तो नार्थ कोरिया की घंटी फ़ंसी हुई हैगी……
रमलू भिया बीच में
ही बोल पडे, सरपंच जी ये नार्थ कोरिया कहां से आगया यहां? बात तो चीन, भारत पाकिस्तान
की हो रही थी? सरपंच जी बोले – अरे रमलू तू चाय वाला है और चाय वाला ही रहेगा, जरा दूसरे चायवालों
की तरह अपनी सोच का दायरा बढा वर्ना चाय ही बेचता रह जायेगा… तू इन अंतर्राष्ट्रीय
कूटनीतिक विषयों में अपनी टांग मत अडाया कर, भले आदमी उधर नार्थ कोरिया वाला मोटू तानाशाह
चीन की भी नी सुन रिया हे और चीन में आवाज उठ रई हैगी कि इन कोरियाओं को एक करो. खुदा
ना खास्ता कहीं ऊंच नीच हो गई तो ये सारे शरणार्थी बनकर चीन में घुस आयेंगे और चीन
खुद आबादी से त्रस्त है. उधर नार्थ कोरिया के मामले में चीन अमेरिका सहित सबकी आंख
में चुभी रियो हे….तम काईं जाणों…ऊ भारत से टक्कर नी ले सके….ऊ तो बाणियों है नी अपणों
सामान बेचणों है ऊ को. पाकिस्तान के हथियार बेची दे, नी भारत को इलेक्ट्रानिक सामान
बेची देवे….
हम तो सरपंच जी के
अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान पर हैरान रह गये कि आजकल बणियागिरी करने के लिये भी धमकाना पडता
है और चीन यही तो सबके साथ कर रहा है.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सही बात है.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-07-2017) को "खुली किताब" (चर्चा अंक-2669) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १७५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "१७५० वीं बुलेटिन - मेरी बकबक बेतरतीब: ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान हमको भी मिला
ReplyDeleteचीन ठहरा पक्का बणियां, ऊ धमकी से आगे कदी नी जायेगो. असल में चीन के गले में तो नार्थ कोरिया की घंटी फ़ंसी हुई हैगी……बड़ा गहरा ज्ञान है रमई सरपंच के पास...जिन्दाबाद!! सटीक!!
ReplyDeleteरमलू अगर चाय बेचता है तो इसका भविष्य बहुत उज्जवल है, सरपंच ग़लत है =D
ReplyDelete@ऊ धमकी से आगे कदी नी जायेगो....चलो बी ग्यो तो मूंकी खायेगो
ReplyDeleteधमकाने की राजनीति ... चीन यही तो सबके साथ कर रहा है | बहुत सटीक लिखा
ReplyDeleteरोचक ।
ReplyDeleteरमई सरपंच की ही बात सही हो ....
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