आज कल ताऊ कै धौरै घणी कडकी चाल री सै ! ताऊ का दुध का धन्धा भी किम्मै चालै कोनी ! कारण कि ताऊ धौरै दो भैंसे थी ! उनमै तैं चम्पाकली नै चांद पै गये घणे दिन हो लिये पर वो आई कोनी इब्बी तक ! के बेरा यमराज कै झौठे धौरै ब्याह रचा लिया या क्या किया ?
दुसरी अनारकली ने हिरोईन बनने के लिये प्लास्टिक सर्जरी करवा ली और ताऊ को उसतैं भी घणा बडा झटका दे गई ! इब्बी कुछ दिन पहले ही ताऊ का घर यह कह कै छोड गई कि मै फ़िल्मा म्ह काम करण वास्तै ब्लागीवुड जा री सूं ! ताऊ थम मेरी फ़िक्र मत करियो ! मैं फ़िल्मां की हिरोइन बणकै थमनै भी बुलवा ल्युन्गी ! इब मैं दुध देती देती घणी थक गई सूं !
इसतैं पहले ताऊ बाजीगिरी का धन्धा करया करता पर ताऊ का बन्दर रामलाल भी ताऊ नै छोड्कै पहले ही भाज लिया था ! और सैम नेतागिरी करण लाग गया था सो उसतैं तो कोई उम्मीद हि ताऊ कोनी करै था ! इस बार वर्षा हुई नही थी सो खेती बाडी पहले ही चोपट थी !
लूटपाट, ठगी, चोरी, डकैती के धन्धो से ताऊ नै तौबा कर राखी थी ! सो इब घर किस तरियां चलैगा ? ताऊ आज कल सुधर गया था और पूजा पाठ म्ह मन लगा लिया था !
एक दिन ताऊ को अचानक विचार आया कि भोलेनाथ तो सबकी सुनते हैं ! शायद मेरी भी सुन ले सो ताऊ ने शिवजी महाराज कै नाम एक चिट्ठी लिख कर पता करकै पोस्ट आफ़िस आले लाल डब्बे म्ह डाल दी ! ताऊ ने लिखा :-
हे शिवजी बाबा,
घणी राम राम
मैं तेरा सांचा भक्त ताऊ सूं ! बाकी तो थारै सब नकली भक्त सैं ! असली तो मैं ही सूं ! मन्नै आज कल चोरी, डकैती और ठगी लूटपाट सहित सारे असामाजिक धन्धे बन्द कर दिये सैं ! कहण की सीधी बात यो सै कि मैं सुधर गया सूं ! और मैं सुधरा ही रहू इसकै वास्तै मन्नै एक लाख रपिये ( रुपये) की घणी दरकार सै ! सो तावला ( जल्दी ) सा फ़टाफ़ट मनी आर्डर कर दे !
आदर सहित
थारा ताऊ
इब के चिट्ठी शिवजी धौरै पहुंचण आली थी ? ताऊ तो ठहरा बावलीबूच ! पोस्ट आफ़िस आले सोचण लागे कि भाई यो चिट्ठी लिखणियां ताऊ किम्मै शरीफ़ आदमी दिखै सै ! सो उनहोने वो चिट्ठी प्रधान मन्त्री कै साऊथ ब्लाक आफ़िस म्ह भेज दी !
चिट्ठी इब पहुन्ची सरदार साहब धौरै ! सरदार जी नै सोच्या कि भाई यो ताऊ किम्मै भला माणस भी दिखै सै और सामने लोक सभा का चुनाव भी आवै सै ! सो पब्लिक रिलेशन बणाण का मौका हाथ तैं नही जाण देणा चाहिये ! एक लाख तो ज्यादा होता है ! उन्होने दस हजार मन्जूर कर दिये !
सो उन्होने फ़ाईल पै लिख्या कि इस ताऊ को रपिये ( रुपये) दस हजार का मनिआर्डर तुरन्त भेज दिया जाये ! सो प्रधान मन्त्री आफ़िस तैं फ़टाफ़ट दस हजार का मनी आर्डर ताऊ धौरै दुसरे ही दिन आगया !
इब ताऊ नै घणा छोह आया भोले नाथ पै ! तुरन्त कागज पैन ऊठा कै ताऊ नै शिवजी भोले नाथ को एक लैटर लिख्या -
हे भोले नाथ जी,
परणाम !
मन्नै बेरा सै कि मै पहले लूट्पाट और डकैती के काम करया करै था ! इसी वास्ते आपने मुझ पर विश्वास नही करके एक लाख रुपये प्रधान मन्त्री के आफ़िस के थ्रू भिजवाए ! और इब नतीजा आपने देख लिया कि आपके भेजे एक लाख मे से मुझ तक सिर्फ़ दस हजार ही पहुंचे हैं बाकी का सब कमीशन खोरी मे चला गया होगा !
इब आप मुझको फ़िर से सीधे एक लाख का मनी आर्डर करो नही तो मजबूर होकै मुझे अपने पुराने लूटपाट के धन्धे शुरु करनै पडेंगे ! फ़िर मुझे दोष मत देना, अगर तेरे भक्तो को भी परेशानी हो तो !
आदर सहित
इब तक शरीफ़
थारा ताऊ
ताऊ, पाठकों को बता दो कौन से प्लास्टिक सर्जन से सर्जरी कराई थारी भैंस ने, हममें से भी कईयों को ज़रूरत है उस डॉक्टर की. बाकी खूंटे पे फ़ुर्र..फ़ुर्र.... से मज़ा आ गया.
ReplyDeleteअब इतनी खूबसूरत और सजग भैसें रखेंगे तो वो ब्लागीवुड क्या हालीवुड जाने में भी सन्कोच नहीं करेंगी . झटका तो लगेगा ही.
ReplyDeleteआपकी कहानी बहुत कुछ ’A Letter to God' (हाई स्कूल की पाठ्य-पुस्तक का एक अध्याय, जिसे मैं बच्चों को पढा़या करता था )के Lencho से मिलती है .
ताऊ आपके कितने रूप हैं ? पहले दिमाग को ठुक्ठुकाते हो,फ़िर दिल में धुकधुकी मचाते हो,फ़िर अन्तर को गुदगुदाते हो और फ़िर फ़ुर्र..फ़ुर्र....
ताऊ आज तो टिप्पणियों में भी फ़ुर्र..फ़ुर्र....
ReplyDeleteआज की पोस्ट भी हमेशा की तरह मजेदार रही |
रोचक पोस्ट -
ReplyDeleteखूँटे का स्तँभ बढिया जा रहा है -
- लावण्या
ताऊ इब समझा तू तो ई हरयाणवी सिखावे है हम सबको ! हरयाणवी बोलचाल ,तौर तरीका और ताऊ के कारनामें !
ReplyDeleteइब आप मुझको फ़िर से सीधे एक लाख का मनी आर्डर करो नही तो मजबूर होकै मुझे अपने पुराने लूटपाट के धन्धे शुरु करनै पडेंगे ! फ़िर मुझे दोष मत देना, अगर तेरे भक्तो को भी परेशानी हो तो !
ReplyDelete""ताऊ जी चिट्ठी की एक कॉपी हमे भी भेज देना जरा देखें क्या मजमून है , एक आधी दरखास्त हम भी भेंजें भोलेनाथ जी को , अब जब चोर डकैतों की सुनने लगा तो फ़िर हमारी तो .......हा हा हा हा "
Regards
ताऊ रामराम,
ReplyDeleteथारी या कहानी तो पूरी तरह A LETTER TO GOD से मिलती है. बस फरक इतना है अक वा आली तो थी इंगलिश मैं अर या आली है देसी मैं. तू तो घणा बड्या अनुवादक दिक्खै सै. चल फेर बी तन्नै कसर कोनी छोड्डी. मस्त कहानी.
ताऊ मेरी तरफ से भी फुर्र फुर्र लेकिन १०००० रु. मे से हिस्सा चाहिए क्योकि मे तो शरीफ हो गया हूँ अदालत मानने को तय्यार नहीं
ReplyDeleteaaj ka post furrr furrrrrrrrr bahu hi lajawab:):)
ReplyDeleteका भेंस पाळि ताऊजी ने। बिलकुल पादुकोण हर कोण से!! अरे ताऊजी, कहीं वो वकील दिनेशराय द्विवेदी जी तो नहीं थे........
ReplyDeleteहा हा हा......। पढाई के दिनों की याद दिला दी आपने। जब पढते थे तो एक पाठ हुआ करता था इंगलिश में " A Letter to God". बिल्कुल वैसे ही।
ReplyDeletewaah waah taau kya likha hai...ye neta log hote hi aise hain, batao bechare taau ne 90 hazar dakar gaye.
ReplyDeleteaap chinta mat karo, agli baar moneyorder to kya chappar faad ke paise girenge...aakhir bholenath ke yahan arji di hai. bas bharosa rakho.
प्लास्टिक सर्जन के पते के लिए कृपया एकता कपूर के बालाजी टेलीविजन से संपर्क करे
ReplyDeleteबोहत बढिया.
ReplyDeleteTauji bahut hi changi bhains hai apki to.
ReplyDeleteaaj fir english mai likh diya....mafi mafi mafi.
बहुत बढ़िया ...:) मुस्कराने के लिए यहाँ इस ब्लाग पर आना चाहिए
ReplyDeleteवकील तो हम ही थे,और इंतजार में थे कि किसी दिन ताऊ ब्लाग में स्वीकारोक्ति करेगा। बस क्या था आज पोस्ट पढ़ते ही ताऊ को बिल भिजवा दिया है।
ReplyDeleteसर्जरी करवाकर तो अनारकली बड़ी क्यूट लग रही है.. ब्लॉगीवूड़ की तो किस्मत ही चमक गयी.. लगता है अनारकली को लीड रोल में लेकर एक फिल्म बाननी पड़ेगी.. 'मेरा झोंटा सिर्फ़ मेरा है'
ReplyDeleteऔर ताऊ जब साइनिंग अमाउंट माँगेगा तो मैं कहूँगा - फुर्र फुर्र
अब समझ में आया कि एसटीटी लगाकर सरकार ने जो कमाई की थी, वो कहाँ जा रही है....फोटो देखकर लगा कि मंजीत बावा की पेटिंग है....:-)
ReplyDeleteमैं तो सोच रहा हूँ कि पढ़ तो लिया ही अब टिपण्णी करने की बारी आई तो कह दूँ... फुर्र-फुर्र ! :-)
ReplyDeleteहाँ ताऊ... यही हकीकत है, पहले की भैंसे (औरतें) खूंटे से बंधी रहती थीं, और अब चाँद तक जा सकती हैं... बॉलीवुड और मोडलिंग में पैठ सकती है... इसमे अचरज कैसा, और नेता तो होते ही बन्दर हैं, जिनके हाथों हमने उस्तरा (अपना देश) थमा दिया है...!!!
ReplyDeleteक्या बात है!बहुत सुंदर!
ReplyDeleteदूसरी चिठ्ठी का जवाब आया कि नहीं ?
ReplyDeleteवैसे नारद मुनि जी के हाथ भेज देते। वे तो जाते ही रहते हैं।
ये पता चला पागल बनने का फायदा! जिन्दगी फुरफुराते हुये काटी जा सकती है! :-)
ReplyDeleteताऊ कॊ अमेरिका वाली बैंको का मालिक होना चाहिये जो डूब गयीं। ग्राहक पैसा मांगते तो फ़ुर्र-फ़ुर्र कर देते।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति!
भैंस हो तो ऐसी :)
ReplyDeleteताऊ आप की फ़ुर्र फ़ुर्र तो बहुत अच्छी लगी, लेकिन भाई दिनेश जी का बिल जरुर भुगता देना.... यह ताऊ के भी ताऊ लगते है.... वरना यह हम सब की फ़ुर्र फ़ुर्र करवा देगे.. :)
ReplyDeleteहम प्रसन्न हुये वत्स-बम बम भोले
ReplyDeleteलगता है, बिल भुगतान का काम पूरा हो गया होगा।
ReplyDeleteहम तो इसीलिए देर से बोले कि आपस में निपट लें पहले ताऊ और वकील.
मजेदार पोस्ट.. खूंटे में तो आनंद आ गया..
ReplyDeleteजय हो ताऊ के खूंटे की।
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