ये पेड़ ऐसा लग रहा है जैसे कोई जिमनास्ट/डांसर अपने बांये पैर पर खडी हो और दाहिना पैर पीछे हवा में ऊपर हो, और गर्दन पीछे झुका कर दोनों हाथ ऊपर उठा रक्खे हों ! बाल हवा में लहरा रहे हों ! ये भी कुदरत का करिश्मा ही लगता है ! प्रकृति का नमूना कहिये या जो भी कहिये ! अब आपके सामने हैं !
आप जो ये "चिकन आलाफुस" के पेड़ की तस्वीर देख रहे हैं इसको ३१ अक्टूबर को मेरे ब्लॉग की दाहिनी तरफ़ लगाया था ! यह तस्वीर मुझे किसी मित्र ने मेल से भेजी थी ! असल में आलाफुस का फल इसी पेड़ पर उगता है ! और यह पूर्णतया शाकाहारी है ! आप देख सकते हैं इस पर चारों तरफ़ आलाफूस के फल लदे पड़े हैं ! और इतने सुंदर आलाफूस के फल आपने पहले कभी नही देखे होंगे ! ये खाने में भी अति स्वादिष्ट लगते हैं !
हमने पूछा था की इस पेड़ पर एक क्यूट सी भूतनी रहती है जो कभी २ बैले डांस करती है ! आते जाते देखते रहिये ! शायद कभी आपको इसका डांस दिखाई दे जाए तो ! अगर आपको यह भूतनी दिखी हो तो , कृपया टिपणी में ही जवाब देदे ! कुछ जवाब आए थे जो इस प्रकार हैं !
उसी दिन सीमा गुप्ता जी ने सही सही पहचान लिया था ! उन्होंने इसे दोनों हाथ उठाकर डांस करते हुए "miracle of nature" कहा ! उसी दिन राज भाटिय़ा जी ने मजाक करते हुए कहा - पेड़ तो बड़ा मस्त है पर घंटे भर से दीदे ( आँखे) फाड़ कर देखने के बाद भी घूमता नही है !
फ़िर दीपक "तिवारी साहब" ने १ नवम्बर को कहा - भूतनी का डांस दिखा कर लगता है ताऊ ने, कोई हमें लूटने की नई तिकड़म लगाई है !
फ़िर ४ नवम्बर को PD ने इसके बारे में लिखा की ट्री नाम से एक पाकिस्तानी हैकर ने ऑरकुट को बड़ा तंग करके रखा था ! पर वो पकड़ में नही आई !
Arvind Mishra जी का ध्यान इस पर गया १६ नवम्बर को और उन्होंने पूछा की यह पेड़ क्या अपने किसी माजी की याद में है ?
दिलीप कवठेकर जी १८ नवम्बर को कहते हैं की "इबकै भूतनी को पहचान लिया" !
घुघूती वासूती जी ने २४ नवम्बर को लिखा की "भूतनी नही दिख रही ताऊ" !
इसके बाद आए इसी दिन विवेक सिंह जी ( जाट भी नही, ठाकुर भी नही,
सिर्फ़ एक प्यारा इंसान ) और बोले - "ये तो पूरा पेड़ ही भूतनी है" !
और अगले दिन ही फ़िर घुघूती वासूती जी ने लिखा - "विवेक सिंह जी ने सही कहा - अब ये वैसा ही दिख रहा है" !
और २५ नवम्बर को MAKRAND जी ने कहा - कई दिनों से देख रहा था पर आज दिख गया की पूरा पेड़ ही भूतनी बन कर डांस कर रहा है !
खैर दोस्तों , अब मजाक नही ! ये कोई चिकन आलाफुस का पेड़ नही है ! असल में भाई अभिषेक ओझा ने एक पोस्ट लिखी थी "चिकन अलाफूस: खाया है कभी" उसमे यह शब्द उन्होंने प्रयोग किया था !
उसको पढने के बाद से ही दिमाग में एक खट खट लगी हुई थी चिकन आलाफुस ..चिकन आलाफुस.. !
और अभी मैं इस पोस्ट के लिए नाम सोच ही रहा था ! और मेरे दिमाग में यह शब्द "चिकन आलाफुस" बार बार चक्कर काट रहा था ! अत: मैंने इसका नामकरण कर दिया ताऊ को मिला "चिकन आलाफुस का पेड़" !
एक दिन भाई कुश ताऊ के पास आया ! उसको शादी के बारे में कुछ राय चाहिए थी ! कुश ताऊ को बोला- आपसे कुछ सलाह मशवरा करना है !
ताऊ बोला - कर ले भाई ! कुश की आदत है सवाल जवाब करने की ! सो दोनों में यो बात होने लगी ! ताऊ - भाई वो दिन था मेरी सगाई (टीका) वाला दिन ! कुश - और सबसे ख़राब दिन ? ताऊ - वो था मेरी शादी वाला दिन ! कुश - ताउजी ये तो बात कुछ समझ में नही आई ? ताऊ - भाई बात ये है की सगाई (टीका) वाले दिन मेरे ससुर जी ने मुझे एक सोने की गिन्नी और एक लाख रुपये नगद दिए थे ! और जिस दिन शादी हुई उस दिन ( ताई की तरफ़ इशारा करके बोला ) ये जिन्दगी भर का खर्चा मेरे पल्ले बाँध दिया ! भाई मन्नै तो चांदी के भरोसे कपास ठा लिया ! तैं बिल्कुल भी ग़लती मत करिए !
|
इधर सामने वाले पार्क का हर पेड़ आलाफूस का दिखाई दे रहा है।
ReplyDeleteकुश भाई, ताऊ के चक्कर में न आना। ताऊ और ताई दोनों जिन्दगी के मजे ले रहे हैं और कह रहे हैं कुआँरों से कि ये बेमजा है।
चालू रहो ताऊ !
ReplyDelete"भाई मन्नै तो चांदी के भरोसे कपास ठा लिया ! तैं बिल्कुल भी ग़लती मत करिए !"
ReplyDeleteजो गलती कर गये हों उनके लिये कोइ समाधान भी तो होगा? बताओ ना ताऊ !
ये पेड़ तो सच में ऐसा है कि लगता है जिमनास्ट ने अभी-अभी अपना शो खतम किया और दर्शकों को अभिवादन कर रहा हो!
ReplyDeleteताई पर जिंदगी भर का खर्चा करना ऐसा ही है जैसे आदमी जीवनबीमा की किस्तें अदा करता है। सबसे समझदारी का काम!
... आश्चर्यजनक किंतु कुदरती सत्य, चित्र देखकर व टिप्पणी पढकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteताऊ इस पर तो फल भी भूतनी की तरह ही दिखाई दे रहें है |
ReplyDeleteनाचता पेड़, शाकाहारी चिकन, और खूंटे पे मज़ाक. वाह भी वाह. ताऊ, आपकी चौपाल तो अब हमारी ज़िंदगी का अभिन्न अंग हो गयी है.
ReplyDeleteजाकी रही भावना जैसी वाली बात हो गई ना ताऊ जी ?
ReplyDeleteये पेड कुदरत का अजूबा ही है आलाफूस ही है ..
और शादी तो करनी ही चाहीये सभी को आखिर ...
जीवन मेँ सुख ही सुख रहे
ये भी क्या कोई बात हुई !! :-)
" after all,
"happiness" is not every thing "
स स्नेह,
- लावण्या
ताऊ !
ReplyDeleteमैंने यह पेड़ एनलार्ज करके भी देख लिया ! इस पर लदे फल कहीं नज़र नही आए ! ऐसा तो नही कि वे किसी खास चश्में से दिखते हों ! और यह अलाफुस होता क्या है ?
कुछ कुछ ज्ञान भाई की तरह लिखने लगे हो, शुरुआत अलाफुस से ....
बहुत ही अदभुत है यह तो कुदरत के रंग न्यारे हैं ...
ReplyDeleteअपुन भी ज़िंदगी भर के खर्चे से बचा हुअ है ताऊ।
ReplyDeleteअरे भइये, कुछ फल इधर भी भेजना।
ReplyDeleteताऊ, यह आलेख का खूँटा ताई को पढ़वा रहा था तो खबर भिजवाई है ताई ने कि ताऊ से पूछ लो जर्मनी वाला लट्ठ भूल गये क्या?? जो कुश को ऐसी सलाह दे रहे हो.
ReplyDeleteसही है ताऊ..आज पहुँचो घर!!!
यह पेड़ है? मैं इसे पिकासो की रचना समझ रहा था।
ReplyDeleteयह कुदरत का करिशमा बहुत ही सुन्दर हैं। हम इसे तो सेव कर लिया हैं। इब खूंटे पै पढो, तो हँसा ही गया।
ReplyDeleteफिल्म छोटी सी बात में एक डिश हुआ करती थी... चिकन आलाफूस... सोचा चलो आज पेड़ भी देख लिया... पर आपने तो दिल तोड़ दिया...
ReplyDeleteद्विवेदी साहब सही कह रहे है... आप तो एंजाय कर रहे है और हमे मना कर रहे है.. समीर जी ने सही कहा... जर्मन लट्ठ को भूल गये लगता है आप..
आपके दायी ओर लम्बी लिस्ट में एक जगह लिखा है .चित्र देखिये वन विभाग की मदद कीजिये .आपने कर दी है ताऊ .धन्यवाद !
ReplyDeleteरहा कुश का सवाल .....उसके फेर में ना पढिये ताऊ जी ...इशारा दे रहा हूँ
" कुछ भी है, पेड का जो भी नाम हो , हम तो इसे कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे... वैसे इस पोस्ट का शीर्षक पढ़ कर लगा था, शायद "चिकन आलाफुस" ही इस पेड का नाम होगा हा हा हा , पर भूल गये थे ये ताऊ जी की पोस्ट है.... तो यहाँ कुछ भी सीधा नही मिलेगा ना, जन्तर मन्त्र है .."
ReplyDeleteregards
naam kuch bhi ho ped sundar hai,ped poudhe man ko sukun deten hain dhanyvaad
ReplyDeleteबहुत ही मस्त डांस कर रहा है ये चिकन आलाफूस ताउजी
ReplyDeleteताऊ पेड़ की छोड़ लेकिन यह सलाह पहले क्यों नहीं दी . लगता तो यह है दुसरो को भी कष्ट सहता देख आनन्द उठाते होगे
ReplyDeleteएक निराली कुदरती रचना!
ReplyDelete*ये तो हमारी आंखों का धोका है -हमारा मन न जाने क्या क्या देख लेता है-
लकड़हारे से पूछें तो उसे सिर्फ़ लकडियाँ दिखायी देंगी लड़की नहीं--कई बार आसमान में बादलों में इतनी खूबसूरत आकृतियाँ दिखती हैं और कई बार डरावनी भी--
*वैसे सच में यह एक बेले डांसर का ही पोज़ दिखायी दे रहा है.
*किसी नृतक भूतनी ने प्लांट किया होगा.
* इस पर कोई फल नज़र नहीं आ रहा--
वैसे भी आप ने बता ही दिया की चिकन आलाफुस कुछ नहीं होता-
*-खूंटे पर आप का कुश के साथ वार्तालाप मजेदार लगा.
वैसे फल हैं घणे चोखे.
ReplyDeletebahuta cha jawab diya aapne kush ji ke swal ka :-)
ReplyDeleteNew Post :- एहसास अनजाना सा.....
New Post :- एहसास अनजाना सा.....
ReplyDelete'चिकन आलाफुस' आपके दिमाग में भी चक्कर काटने लगा ये? अरे भाई मुझे तो इस शब्द पर ही भुतिया असर दिख रहा है :-)
ReplyDeleteमै तो कहता हूँ कुश की शादी इस पेड़ वाली भूतनी से करवा दो, फल ही देगी और लेगी कुछ भी नहीं :)
ReplyDelete(कुश भाई बूरा लगे तो ताऊ का लठ उठा दौड़े चले आना :) )
ताऊ माफ करना बहुत देरी से आया हूं ताऊ मुझे भी एक बात बताओ कि मैं किसी से भी कुछ पूछता हूं तो कभी मेरी बातों का जवाब कोई कोनी देवे के थम मन्नै मेरी बात्यां का जवाब देओगे
ReplyDeleteअगर देओ तो एक काम करो अक यू पेड मन्ने घना ही चोखा लाग्या इस पेड का एक लिंक मन्नै भी भेज दियो ताकि मैं भी अपने चुवारे में ला ल्यूं
हा हा हा
जय श्री राम
अरे ताऊ तं तो घणा सुथरा सै, कुश न ब्याह के लाडु खाण सै रोक रैया स...:)
ReplyDeleteवैसे आदरणीय परम श्र्द्धेय ताऊ को पेड़ के नामकरण की अनेक बधाईयाँ जी, एक बार तो मै आलाफ़ूस के फ़ल देखने के चक्कर में तस्वीर को क्लिक करके देखती रही, फ़िर आगे पढ़ा जब पेड़ ही वह नही तो फ़ल कहाँ से होंगे...बहुत बुद्धू बनाया जी...:)
उसने तो मना किया था पर इतने लोग 'भंबलभूसे' में फसे पड़े थे कि रहा ना गया। अब बहुतों को विश्वास नहीं होगा पर बात एकदम टिच है। प्रभू की मर्जी से कल रात, 12,33.5.,33.5 बजे यह पोस्ट अपने आप खुल गयी और वहां किसी को नाचते देख मुझे लगा कि कोई विडिओ चल रहा है। पर उसी समय आवाज आयी कि तुमने तो देख लिया, पर सब को मैं पेड़ रूपी अजूबा नज़र आती हूं। किसी को बताना नहीं, वर्ना तुम्हारा यह डिब्बा सदा टंगा (hang) रह जायेगा। पूरा दिन तो मैंने किसी तरह काट लिया, पर जब सबेरे का खाना हज़म नहीं हुआ तो----
ReplyDeleteअब आप लोग मानो या ना मानो मुझे तो यह अला-बला लगती है। हो सकता है कि subramanian jii को इसीने KISS भेजा हो।
क्या बात है!बहुत सुंदर ताऊ http://pinturaut.blogspot.com/'http://janmaanas.blogspot.com/
ReplyDeleteबहुत अच्छा जनाब... आपने तो सबके दिमाग में ही "चिकन आलाफुस का पेड़" उगा दिया...!!! गज़ब..!!!
ReplyDeletekhubsurat ped dancer aur mazedar chutkula rah bahut mast:)
ReplyDeleteआलाफूस नाम सुनकर उसे देखने और चखने की इच्छा हो रही है।
ReplyDeleteअरे ताऊ लगता है ताई को नया लठठ भेजना पडेगां, ताई के जन्मदिन पर, कभी ताई को आफ़त कहते हो तो कभी कपास का गठर,अगर तई ने यह लेख पढ लिया तो.... तो बेचारी कया करेगी बस हंस पडेगी, आप दोनो का प्यार युही बना रहे.
ReplyDeleteओर इस पेड मै फ़ल दो दिखाई नही दे रहे, कहा गये??
अच्छा छकाया चिकन आलाफुस खिलाकर !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
चांदी के भरोसे कपास ठा लिया? वाह ताऊ वाह..खूंटा तो कमाल है.
ReplyDelete