गाडी चाल पडी हाय रे गाडी चाल पडी
गाडी चाल पडी , मरगे, गाडी चाल पडी
हो गाडी डाट जरा हाय गाडी डाट* जरा
हो गाडी डाट जरा हाय गाडी डाट जरा ॥
मेरे यार खडे खडे रोंवै गाडी डाट जरा
हाय रे गाडी डाट जरा रे गाडी डाट जरा
मेरे यार खडे खडे रोंवै गाडी डाट जरा
हाय गाडी डाट जरा ॥
हो लीलू मत रोवै हाय लीलू मत रोवै
हो लीलू मत रोवै हाय लीलू मत रोवै
मैं दस दन* भीतर आल्युं* हो लीलू मत रोवै
हाय रे लीलू मत रोवै रे लीलू मत रोवै
मैं दस दन* भीतर आल्युं* हो लीलू मत रोवै
हाय ओ लीलू मत रोवै ॥
हो कन्घा भूल्याई हाय मैं शीशा भूल्याई
हाय रे कन्घा भूल्याई हाय रे शीशा भूल्याई
यारां की सेज पै कन्घा शीशा भूल्याई
हाय रे कन्घा भूल्याई हाय रे शीशा भूल्याई ॥
हो डिबीया स्याही* की हाय डिबीया स्याही की
हो डिबीया स्याही* की हाय डिबीया स्याही की
छाज्जू के चौबारे मै भूल्याई डिबीया स्याही की
हाय रे डबीया स्याही की हाय रे डबीया स्याही की
छाज्जू के चौबारे मै भूल्याई डिबीया स्याही की
हाय डिबीया स्याही की ॥
हो चप्पल बाटा की हाय चप्पल बाटा की
हो चप्पल बाटा की हाय चप्पल बाटा की
पाले के घेर मै रहगी चप्पल बाटा की
हाय रे चप्पल बाटा की रे चप्पल बाटा की
पाले के घेर मै रहगी चप्पल बाटा की
हाय चप्पल बाटा की ॥
रे गोरी तेरे यार घणे* हाय रे गोरी तेरे यार घणे
रे गोरी तेरे यार घणे* हाय रे गोरी तेरे यार घणे
मेरा कोन्या* ढूंढ* बसावै रे गोरी तेरे यार घणे
हाय रे गोरी तेरे यार घणे ॥
हो पिया मैं तेरी सूं*हाय पिया मैं तेरि सूं
हो पिया मैं तेरी सूं*हाय पिया मैं तेरि सूं
मेरे सिन्गपरये भरतार* सिर्फ़ मैं तेरी सूं
हाय पिया मैं तेरी सूं
मेरे सिन्गपरये भरतार* सिर्फ़ मैं तेरी सूं
हाय पिया मैं तेरी सूं हां पिया मैं तेरी सुं ॥
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
तेरे इकले* रहगे यार रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी
हाय रे गाडी चाल पडी रे गाडी चाल पडी ॥
( कुछ मित्रों के फ़ोन आये हैं ! जिन्होने इस गाने को बहुत
पसन्द किया है ! कुछ ने टेक्शट के लिये आग्रह किया है
एवम कुछ ने थोडे से शब्दों का अर्थ जानने की इच्छा प्रकट
की है ! अत: इस गाने मे आये हरयानवी शब्दों का अर्थ
दे रहा हूं ! इससे आपका आनन्द द्विगुणित हो जायेगा !)
डाट = रोक, दन = दिन, आल्युं = वापस आजाउंगी,
स्याही = काजल, पाले = बेर की छोटी झाडी के पत्ते जो
मुख्यतया ऊंट को खिलाई जाती हैं , घेर = ढेर,
कोन्या = नहीं, ढूंढ = घर, सूं = हूं, भरतार = पति,
इकले = अकेले ।
बढ़िया है।
ReplyDeleteबढ़िया!!
ReplyDeleteहम तो सुन ही नहीं पा रहे हैं , इसे टैक्स्ट में भी दे देते तो अच्छा रहता
ReplyDeleteशिकयात जायज है ...कही कही आवाज गड़बड़ हो रही है.......जरा देखियेगा
ReplyDeleteभाई के बात सै ? यो छोरे और छोरी तो घने लुन्गाडे सै ! खुलमखुल्ला प्यार करेंगे हम सारे ? हरियाणवी बोल इस
ReplyDeleteलोक गीत या जो भी हो , की असली जान है !
बहुत बधाई !
अरे ताउ यो के होरया सै ? इसमै तो
ReplyDeleteबहुत ही मजे आरे सै ! इसकी सी.डी. कित
मिलैगी बैंगलोर मै ! हमनै बताओ !
सुण सुण कै पागल हो रे सै सारे ! और हंसते हंसते
पेट दुखण लाग रया सै !
पाछे पाछे ताई आ रई से हाथ मे छितरा ले के, इब भाग्ल्यो रे छोरो ओर छोरियो...
ReplyDeleteबहुत ही खुब सुरत गीत, धन्यवाद
बढ़िया....
ReplyDeleteनीलिमा जी एवं भाई अनुराग जी , अभी बढिया प्ले हो रहा है ! चेक किया है ! आप इसको पाज करके ५ मिनट बफर होने दीजिये ! फ़िर प्ले करिए ! मजा नही आवै तो हमको कहना ! इस गाने का टेक्स्ट डलवाने की व्यवस्था करवाता हूँ ! ध्यान दिलाने के लिए आप दोनों का धन्यवाद !
ReplyDeleteआपके ये छोरे तो बहुत बिगडे हुए है ! और छोरी तो पक्की गुंडी लगती है ! गाने की धुन बहुत कर्णप्रिय है ! ये छोरे तो विलायत पलट लगते है ! और छोरी मडोन्ना ! कुछ शर्म धर्म है की नही इनको ?
ReplyDeleteखैर जो भी हो मजा तो आया बहुत !
गोरी तेरे यार घने.. इसके पति देव का क्या होगा ?
वाह भाई वाह ! हां:) हां:)
आपने टेक्श्ट और शब्दार्थ देके इसके आनंद को दुगुना कर दिया !
ReplyDeleteबहुत मजा आया !
वाह साहब वाह ! घने मजे आए भाई !
ReplyDeleteपर थारे छोरे छारी किम्मै ज्यादा ही
चुलबुले दिखै सै ?
ताऊ इबकै तो मोटे ही चाले रौप राखे सै !
ReplyDeleteबहुत सुथरी सै थारी नाटक मंडली !
छज्जू के चोबारे में भूल्ल्याई दिबीया स्याही की ...
ReplyDeleteभाई गाम याद आगया ! भोत बढीया !
तलब हमारी बन गया,बंधु आपका ब्लाग
ReplyDeleteहमको भी प्रिय है लगे,हरियाणा का राग
हरियाणा का राग,रागनी लगती प्यारी
लिखते जाओ मित्र,दुआ है साथ हमारी
आनंद आया ! कुछ ऐसे ही गाने और दाल दीजिये !
ReplyDeleteगजब की कामेडी है ! पिक्चराइजेसन भी बहुत अच्छा लगा !
ReplyDeleteधन्यवाद !
Rampuriaji , maaza aa gaya.... likhte rahiye...
ReplyDelete" ताई नै तो म्हारी जोर दार पूजा पाठ कर दी सै !"
ReplyDeleteताऊ के हुवा ? ताई ने क्या आपको डंडे वन्डे मार दिए ? आपकी अक्ल अब ताई के डंडों से भी ठीकाने पर नही आयेगी ! क्यूँ की आपको ब्लागरी का चस्का लग गया है ! अब ताई भी क्या करे ? आपको पढ़ पढ़ कर मजा तो आ रहा है ! आपकी सी.डी. यहाँ बंगलोर में नही मिल रही है ! हो सके तो आप भिजवा देणा !