तन्नै देखण आले आ रहे सैं !



एक बार एक बिल्कुल काला भुसन्ड गाडिया लुहार और उसके
जैसी ही उसकी लुहारी दोनुं को ही शहर जाणा था !
और भाई कोइ मेलै ठैलै की वजह से उनको बस मै जगह
मिली कोनी ! बस अड्डे से बाहर निकल के दोनुं रेल्वे टेसन
पर पहुन्चगे ! और लुहार नै दो टिकट ले के लुहारी को
पकडा दिये ! लुहारी नै टिकट लेकै अपनै कुरते की गोज (जेब) मे
रख लिये ! और टेसन पर दोनुं रेल आण का इन्तजार करण लाग गे !


थोडी देर बाद ट्रेन आगयी ! और भई रेल के डिब्बे मे हो
राखी थी घणी ठाडी भीड ! फ़िर भी किसी तरियों दोनुं लुहार
और उसकी लुहारी धक्कमपेल करकै नै डिब्बे मै चढ तो लिये
पर लुहार चढा एक दरवाजे से और उसकी लुहारी अटक गयी
दुसरे दरवाजे मे ! थोडी देर बाद दोनुआं नै अलग अलग और
एक दुसरे से थोडी दूर दूर सीट मिल गई और दोनुं न्यारे न्यारे
बैठ गये !


थोडी देर बाद मै टिकट चेकर आ गया ! लुहारी नै उसकॊ
दोनुं टिकट दिखा दिये ! इब टिकट चेकर लुहारी तैं बोल्या --
दुसरी सवारी कुण सी सै ? उसकी शक्ल दिखा !
इब लुहारी नै जोर सै रुक्का मारया और बोली-- ओ लुहार ! जरा खडा
होके नै अपनी शक्ल दिखा दिईये ! तन्नै देखण आले आ रहे सैं !

Comments

  1. बहुत बढ़िया ! एक जमाने के बाद हरियाणवी सुनी/पढ़ी।
    घुघूती बासूती

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  2. वाह वाह कमाल का वाकया
    बहुत बढि़या मजा आ गया
    रामपुरिया जी लिखते रहो

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  3. संगत में तेरी हुए हम भी मित्र खराब
    ताऊ तेरी कलम का कोई नहीं जवाब
    कोई नहीं जवाब,गजब है बात तुम्हारी
    ज्यों लुहार के संग,ट्रेन में चली लुहारी
    जगदीश त्रिपाठी

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  4. संगत में तेरी हुए हम भी मित्र खराब
    ताऊ तेरी कलम का कोई नहीं जवाब
    कोई नहीं जवाब,गजब है बात तुम्हारी
    ज्यों लुहार के संग,ट्रेन में चली लुहारी
    जगदीश त्रिपाठी

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  5. "तन्नै देखण आले आ रहे सैं"
    हरयाणवी रागनी दिखे सै यो तो ! बजांदे रहो !
    मजा आवै सै इसमे तो !

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  6. सही मे आडे मजे आण् लागरे सै । भई यो हरयाना वालो की तो बात् ही न्यारी सै । एक् जरा सी भी बात् मिलज्या तै उसमै भी हसण् की जोगाड ढून्ढ् लेवै सै ! हसांते रहो ताऊ आप तो !
    धन्यवाद

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  7. नत मस्तक हूँ गुरुदेव.....जाट भाई को आपका लेख भेज रहा हूँ.......

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