घण्णे दिन हो गये इधर उधर की बात करते हुये !
कभी ताई, कभी बाबू और कभी दोस्त की
बात करते हुये ! इन चक्करों मे पडकर ताई नै
तो म्हारी जोर दार पूजा पाठ कर दी सै !
सरदार जी नै अभी खबर नही सै कि ब्लाग पै
उनके गुण गाण हो राखें सैं !
मालूम पडैगा तो वो भी किम्मै कसर छोडण
आला नही सै !
ताऊ कै पास पहले एक बन्दर हुआ करता था,
वो भी नाराज होकर कितै भाज लिया !
और अकेले आदमी का इब दिमाग भी हो गया सै
किम्मै ऊंदा सुंदा ! सो ताऊ इक्कल्ला बैठया
बैठया मक्खी सी मारण लाग रया था !
बैठे बैठे ताऊ को पोकरे की याद आ गई अपने
बचपन के दोस्त की ! यो पोकरा गाम की स्कूल मै
ताऊ की साथ ही पढया करता था !
इस पोकरे के दो तीन किस्से याद आ गये !
थम भी सुण लो !
स्कूल मे वार्षिक उत्सव मै पोकरा ने भी एक
नाटक मे फ़ुफ़ा का पार्ट करया था और बुआ (फ़ुफ़ी)
का पार्ट करया एक छोरी नै, जिसका नाम था पताशी !
नाटक हो लिया और नाटक मे बुआ का पार्ट करने
के कारण पताशी को सब छोरे छोरियां बुआजी
बुआजी कहण लग गये ! और ज्यों ज्यों
वो चिढती गई , वैसे वैसे पूरे स्कूल के
छोरे छोरीयां उसको और ज्यादा बुआजी के
नाम तैं बुलाण लग गये !
और पोकरा को भी सब फ़ुफ़ा फ़ुफ़ा कहण लाग गये !
खैर साब यो हीं मामला चलता रहा !
और कुछ दिन बाद एक नये मास्टर जी गणित
पढाने वाले बच्चनसिंघ जी ट्रान्सफ़र हो के
हमारी स्कूल मे आये ! और पहले ही दिन
क्लास मे आकर परिचय लेना शुरु किया !
प्रत्येक छात्र खडा हो कर अपना परिचय दे रहा था !
पतासी का नम्बर आया और वो खडी हुई ही थी कि
छोरे छोरियां चिल्लाण लाग गे - बुआजी .. बुआजी !
मास्टरजी कै कुछ समझ नी आया कि क्या बात है ?
पताशी नै अपणा नाम बताया और बैठ गई !
थोडी देर बाद पोकरा का नम्बर आया और वो खडा
हुआ -- इब पोकरा बोला- जी मास्टरजी वैसे तो
मेरा नाम पोकरा चौधरी सै ! पर मैं अण सारे
छोरे छोरियां का फ़ुफ़ा लागू सूं !
पूरी बात मालूम पडनै पर सारी क्लास के साथ साथ
मास्टर जी भी हन्स पडे !
और इस सारे मामले की खास बात ये है कि
ये दोनो एक ही जाति से थे सो दोनो के घर वालों
ने आपस मे तय करके थोडे समय बाद इनको असली
जीवन मे भी फ़ुफ़ा फ़ुफ़ी बना दिया !
आज भी जब कभी गान्व जाने पर इनसे
मिलना होता है तो इन किस्सों को याद कर
करके बहुत आनन्द लेते हैं !
दो चार दिन बाद ही इन्ही मास्टर जी की क्लास मे से तडी मारने
की वजह से मास्टर जी नाराज थे ! आते ही मास्टर जी दहाडे-
पोकरा खडा हो जा ! अच्छा पोकरा थोडा हाजिर जवाब था
और चुन्कि गाम के चोधरी का बेटा था सो दबंग भी था !
पोकरा- ने तुरन्त जबाव दिया- जी मास्टर जी ..और खडा हो गया !
मास्टर जी -- तुम कल स्कूल क्यूं नही आये ?
पोकरा- जी मास्टर जी , कल म्हारी झोठडी (भैंस) ब्याई थी !
और उसने ने काटडा (नर बच्चा) दिया था !
मास्टर जी - तो इसमै कौन सी विशेष बात हुई ?
पोकरा बोल्या- तो मास्टर जी थम काटडा दे के दिखा दो !
और इस बात पर मास्टर जी ने पोकरा की अच्छी कुटाई
कर डाली पर पोकरा कभी भी नही सुधरा ! जब तक स्कूल
मे रहा यही सब उल्टे सीधे कारनामे करता रहा !
haryanvi ki mast post ki jay ho
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ReplyDeleteम्हारा जी खुश हो गया ....इब अगले किस्से का इंतज़ार से!
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteवाह ताऊ या थम भली कही.
थारी स्कूलां री बाताँ सुण-सुण घणा मज़ा आ रया स.
इब बे भुआ-फूफा रा हाल-चाल काई स?
ताऊ हमको हरयाणवी समझ कम बैठती है !
ReplyDeleteपर जितनी भी बैठती है उसमे मजा आ जाता
है ! आप तो लिखते रहो ! इसको पढ़ने में
ही हँसी छूटने लगती है !
ताऊ फ़िर एक सिक्सर दिया | पता नही इस
ReplyDeleteभाषा में क्या है ? बात बे बात हँसी आती
है | क्या ताउगिरी इसी को कहते हैं ?
हरयाणवी सीखने की कोई किताब आती है
क्या ? मेरी मराठी प्रष्टभूमी है ! मुझे आपकी
भाषा सीखनी है !
"पर मैं अण सारे छोरे छोरियां का फ़ुफ़ा लागू सूं !"
ReplyDeleteताऊ घणे चाल्हे काट रे हो ! भोत बढिया सै !
हा हा!! बहुत मजेदार!!
ReplyDeleteअपनी देसी भाषा की बहुत अच्छी पोस्ट है।पढ़ कर बहुत आनंद आता है।
ReplyDeletebhai wah ... ati uttam ... dil khush ho gaya post padh kar ... aise hi likhte rahiye ... :)
ReplyDeletebhai wah ... bahut khoob ... maza aa gaya ...:)
ReplyDeletelikhte rahiye
tauji ram ram.....bahut saare mazedaar log hain aapki yaado me aur sabse achchi baat ye ki aap un sabko hamare saath baante ho...aap to bas jaari rakho taunama..ham padhte rahenge
ReplyDeleteभाई राम पुरिया तेने तो चाल्या ही पाड दिया,वो पोकर किते हमारा ताऊ ए तो ना से,
ReplyDeleteबहुत मजा आया आप की पोस्ट पढ कर.रोहतक ते लिआ घणे बन्दर से उडे.
राम राम जी की
ताऊ आप ने भी झंडे गाड़ने शुरू कर
ReplyDeleteदिए हैं ! बहुत जोरदार किस्से हैं !
आप तो लिखे जावो ! पढ़ने में
आनंद आता है ! शुक्रिया !
काटडा तो भैंस के पाडै नै कहन्वै सें ना ! :)
ReplyDeleteताऊ सही मैं कालजे मैं थारी बात सुण सुण के
ठंडक सी पड़ ज्या है ! यो सिलसला टूटने
मत देणा ! गाँव का नाम सुण कै ही सारी
याद आ जाती है ! क्या दिन थे वो भी !
" ताई नै तो म्हारी जोर दार पूजा पाठ कर दी सै !"
ReplyDeleteताऊ के हुवा ? ताई ने क्या आपको डंडे वन्डे मार दिए ? आपकी अक्ल अब ताई के डंडों से भी ठीकाने पर नही आयेगी ! क्यूँ की आपको ब्लागरी का चस्का लग गया है ! अब ताई भी क्या करे ? आपको पढ़ पढ़ कर मजा तो आ रहा है ! आपकी सी.डी. यहाँ बंगलोर में नही मिल रही है ! हो सके तो आप भिजवा देणा !
.
ReplyDeleteऒऎ ताऊ, तू इस तरियों कमेन्ट न डिलिट्ट किया कर ।
पढ़ाक कितणे पानी में सै, बाकी पब्लिक देक्ख लेत्ती के ना ?
अपणे को बड्डे लिक्खाड़ में गिनने वाले ढोकरे तै स्पैम की आड़ में नापसंदगी के टिप्पण सुट्ट मार देते । तू तो भाया छोट्टा ही बना रै, काहे घर आये को धक्के देत्ता सै ? इब तो मेरे को तो लगे कि तू बणा हुआ जाट सै ।
भाई, जाट वा दुनिया की परवाह दोन्नों एक दूजे पर फिट्ट बैठते ही ना !
मज़ा आ गया जी आपका यह प्रसंग सुन कर.
ReplyDeleteफिर तै कमल कर दीजो ताऊ थमने !!!!!!!!!
ReplyDeletearai tau tu tai kati chaale paad rya hai.nyue laagya reh.daaki.
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