इब सिर्फ़ खूंटै पै पढो :-
बात उन दिनों की है जब ताऊ ब्लाग प्रेसिडेंट भी नही बना था, यानि राजनीति भी नही करता था, और चोरी डकैती बेइमानी के काम काज भी शुरू नही किये थे. उन दिनों में ताऊ सिर्फ़ इमानदारी से खेतों मे मेहनत करके अपनी रोजी रोटी किसी तरह चलाया करता था. सुबह जल्दी उठकर अपना ऊंट और हल लेकर जंगल में अपने खेत जोतने निकल जाया करता था.
ताऊ अपने ऊंट से खेत में हल जोतते हुये
एक दिन ताऊ अपने खेत में हल चला रहा था कि एक बहुत ही जोरदार आवाज आई. ताऊ ने अपणै दीदे (आंखें) ठाये और ताऊ के दीदे फ़ाटे के फ़ाटे ही रह गये. ताऊ ने देखा कि पास की सडक से एक बस बेकाबू होकर नीचे पचास साठ गहरे गड्डे मे गिरी पडी थी और चीख पुकार मची हुई थी. ताऊ हल छोडकर फ़टाफ़ट वहां पहुंच गया.
वहां जाकर ताऊ ने देखा कि लोग मरे अधमरे और घायल पडे थे. चिल्ला पुकार मची थी.
ताऊ ने पूछा कि भाई तुम कौन लोग हो तो एक गंभीर घायल ने बताया कि वो सारे के सारे नेता हैं और देश की गरीबी दूर करने के उपायों पर चर्चा करने के लिये संरक्षित वन क्षेत्र के जंगल में जा रहे थे, जहां देश की गरीबी और महंगाई कम करने के उपाय सोचने के बाद शिकार खेलने का प्रोग्राम था.
नेता नाम सुनते ही ताऊ का खून उछाले मारने लगा. सभी नेता गंभीर घायल पडे थे, और ताऊ से सहायता और शहर में खबर करने की प्रार्थना करने लगे.
ताऊ ने उनको आश्वासन दिया कि चिंता मत करो, इस जंगल में मेरे अलावा और कोई डाक्टर नही मिलेगा, मैं तुम्हारा परमानेंट इलाज करूंगा. ताऊ ने इत्मिनान से एक अच्छा बडा सा गडढा खोदा और उन सब नेताओं को उस गड्डे में दफ़ना दिया. इसके बाद नहा धोकर अपने काम मे लग गया.
कुछ दिनों बाद नेताओं की खोज खबर शुरु हुई तो पुलिस वाले उनको ढूंढते ढूंढते ताऊ के पास आ पहुंचे.
पुलिस वाले ताऊ से पूछने लगे कि ये तुम्हारे खेत के पास जो एक्सीडेंट हुई बस पडी है इसमे देश के होनहार स्थापित विस्थापित सभी किस्म के नेता थे जो देश की गरीबी और महंगाई दूर करने के लिये मिटींग करने जा रहे थे, वो सब कहां हैं? आखिर वो कहां गये?
ताऊ उन दिनों सच बोला करता था सो वो बोला : हुजुर मैने उन सबको पास में ही गड्ढा खोदकर इज्जत पूर्वक दफ़ना दिया है.
पुलिस वालों ने पूछा : क्या वो सारे के सारे एक्सीडेंट मे मर गये थे?
ताऊ बोला : अजी थाणेदार साहब, इसका तो मुझे पक्का पता नही पर उनमें से दो चार नेता बोल रहे थे कि वो मरे नही हैं, जिंदा है, पर आप तो जानते ही हो कि ये नेता लोग कितनी झूंठ बोलते हैं? मैं तो इन नेताओं की बात का कभी भी यकीन नही करता, इसलिये सारे के सारे नेताओं को दफ़ना डाला.
बात उन दिनों की है जब ताऊ ब्लाग प्रेसिडेंट भी नही बना था, यानि राजनीति भी नही करता था, और चोरी डकैती बेइमानी के काम काज भी शुरू नही किये थे. उन दिनों में ताऊ सिर्फ़ इमानदारी से खेतों मे मेहनत करके अपनी रोजी रोटी किसी तरह चलाया करता था. सुबह जल्दी उठकर अपना ऊंट और हल लेकर जंगल में अपने खेत जोतने निकल जाया करता था.
एक दिन ताऊ अपने खेत में हल चला रहा था कि एक बहुत ही जोरदार आवाज आई. ताऊ ने अपणै दीदे (आंखें) ठाये और ताऊ के दीदे फ़ाटे के फ़ाटे ही रह गये. ताऊ ने देखा कि पास की सडक से एक बस बेकाबू होकर नीचे पचास साठ गहरे गड्डे मे गिरी पडी थी और चीख पुकार मची हुई थी. ताऊ हल छोडकर फ़टाफ़ट वहां पहुंच गया.
वहां जाकर ताऊ ने देखा कि लोग मरे अधमरे और घायल पडे थे. चिल्ला पुकार मची थी.
ताऊ ने पूछा कि भाई तुम कौन लोग हो तो एक गंभीर घायल ने बताया कि वो सारे के सारे नेता हैं और देश की गरीबी दूर करने के उपायों पर चर्चा करने के लिये संरक्षित वन क्षेत्र के जंगल में जा रहे थे, जहां देश की गरीबी और महंगाई कम करने के उपाय सोचने के बाद शिकार खेलने का प्रोग्राम था.
नेता नाम सुनते ही ताऊ का खून उछाले मारने लगा. सभी नेता गंभीर घायल पडे थे, और ताऊ से सहायता और शहर में खबर करने की प्रार्थना करने लगे.
ताऊ ने उनको आश्वासन दिया कि चिंता मत करो, इस जंगल में मेरे अलावा और कोई डाक्टर नही मिलेगा, मैं तुम्हारा परमानेंट इलाज करूंगा. ताऊ ने इत्मिनान से एक अच्छा बडा सा गडढा खोदा और उन सब नेताओं को उस गड्डे में दफ़ना दिया. इसके बाद नहा धोकर अपने काम मे लग गया.
कुछ दिनों बाद नेताओं की खोज खबर शुरु हुई तो पुलिस वाले उनको ढूंढते ढूंढते ताऊ के पास आ पहुंचे.
पुलिस वाले ताऊ से पूछने लगे कि ये तुम्हारे खेत के पास जो एक्सीडेंट हुई बस पडी है इसमे देश के होनहार स्थापित विस्थापित सभी किस्म के नेता थे जो देश की गरीबी और महंगाई दूर करने के लिये मिटींग करने जा रहे थे, वो सब कहां हैं? आखिर वो कहां गये?
ताऊ उन दिनों सच बोला करता था सो वो बोला : हुजुर मैने उन सबको पास में ही गड्ढा खोदकर इज्जत पूर्वक दफ़ना दिया है.
पुलिस वालों ने पूछा : क्या वो सारे के सारे एक्सीडेंट मे मर गये थे?
ताऊ बोला : अजी थाणेदार साहब, इसका तो मुझे पक्का पता नही पर उनमें से दो चार नेता बोल रहे थे कि वो मरे नही हैं, जिंदा है, पर आप तो जानते ही हो कि ये नेता लोग कितनी झूंठ बोलते हैं? मैं तो इन नेताओं की बात का कभी भी यकीन नही करता, इसलिये सारे के सारे नेताओं को दफ़ना डाला.
ताऊ जी कितना सोणा है खेती-किसानी करना.
ReplyDelete@आप तो जानते ही हो कि ये नेता लोग कितनी झूंठ बोलते हैं?
ReplyDeleteघणा ही सुथरा काम करया ताऊ जी। अगर या बात साची हो ज्या तो फ़ेर के कहणे, हनुमान जी रोट करवाऊंगा :)
ताऊ को तो हल बस विधानसभाओं व संसद के आस-पास ही हल चलाना चाहिये... पता नहीं कब वहां डाक्टर की ज़रूरत आन पड़े :)
ReplyDeleteताऊ, जेब्बात!!
ReplyDeleteलाठी से साँपन को भी कुचल दिया अउर ऊहे लाठी उठाये के ऊँट हांकन लाग्यो!!न लाठी टूटी न साँप ज़िंदा बचा!!
:):) नेता की बात का क्या भरोसा ..सही किया .
ReplyDelete:)) ये भी खूब रही!अगली बार संरक्षित वन जाने के लिए ताऊ के गाँव से दूर हो कर रास्ता बनाया जायेगा.
ReplyDeleteतो ताऊ तब से ही शुरू है आपका एकछत्र साम्राज्य :)
ReplyDeleteमैं तो इन नेताओं की बात का कभी भी यकीन नही करता, इसलिये सारे के सारे नेताओं को दफ़ना डाला.
ReplyDeleteह ह ह !!
सही इलाज किया ताऊ| ये नेता होते ही इसी इलाज लायक|
ReplyDeleteway4host
उस गड्ढे में से कितने गुणा होकर नए नेता उगे? ये कम नहीं होने के हैं।
ReplyDeleteवाह ताऊ , मज़ा आ गया . आज इस देश को आप जैसे mass killer कि ही जरुरत है .. जय हो ताऊ की.
ReplyDeleteआपका
विजय
ताऊ कल इन नेताओ का दिन था कल गढ्ढे में दूध डाल देना था |
ReplyDeleteताऊ जी
ReplyDeleteकृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
विजय
ताऊ पुराने जमाने का आदमी है, ऊँट से हल जोतता है और गोबर की खाद खेतों मे डालता है ताकि देशवासियों की सेहत सुधर सके और सोच बदल सके!
ReplyDeleteदेख तेरे इस देश की हालत क्या हो गयी भगवान।
ReplyDeleteहा हा हा ! शुक्र है हमारे पास नेता इलाज के लिए नहीं आते ।
ReplyDeleteताऊ तो महान है |ब्लॉगिंग की शान है |इस प्रकार का कारनामा कोइ नया नहीं है |
ReplyDelete@ होनहार स्थापित विस्थापित
ReplyDeleteभाई-भतीजापित और जनता-पर-थोपित वाले छूट गये
@ मैं तुम्हारा परमानेंट इलाज करूंगा
इलाज तो पर्मानैंट ही चाहिये इब ऐडहॉकिज़्म का ज़माना ना सै
@ गड्ढा खोदकर इज्जत पूर्वक दफ़ना दिया
मरने के बाद सब शहीद
@ आप तो जानते ही हो कि ये नेता लोग कितनी झूंठ बोलते हैं?
बडी मेहनत की है हमारे नेताओं ने ऐसी रेपुटेशन बनाने में
मज़ा आ गया जी!
काश, कोई इन्हें सच में दफ्न कर पाता...
ReplyDelete------
कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....
सही इलाज किया ताऊ
ReplyDeleteमैं तो इन नेताओं की बात का कभी भी यकीन नही करता- बहुत सही करता है ताऊ..यकीन के लायक हैं भी नहीं यह...सही किया कि दफना दिया.
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