जिस तरह से पूरी दुनिया, एक देश, एक प्रांत, एक जिले और शहर की इकाई अपने आप में एक स्वतंत्र सत्ता होती है उसी तरह ब्लाग जगत भी अपने आप में एक पूरा संसार है. यहां भी वही सब अच्छाईयां बुराईयां, राग द्वेष, गुटबाजी, राजनीति, प्रेम सौहाद्र दिखाई देता है. अभी पिछले समय ही अनेक ब्लाग मठ्ठों, माफ़ किजिये...मठ्ठों नही... मठों का भी जिकर सुनने में आया था, जो कि सही भी लगता है. और गहराई से देखता हुं तो लगता है कि यह ब्लागजगत भी अपने आप में एक संपूर्ण संसार है.
जब यह पूर्ण संसार है तो जाहिर सी बात है कि यहां भी सरकार होती है और चूंकी हम एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था के आदि हैं तो चुनाव भी होंगे और यहां सारी जद्दोजहद सत्ता हथियाने की है. पिछले दिनों ब्लागिस्तान में चुनाव थे और मठाधिषों को एक पल की भी फ़ुरसत नही थी, तमाम फ़ुरसतिया लोगों को चुनाव की वजह से काम धंधा मिला हुआ था. सभी इस जोगाड में लगे थे कि किसी तरह जनता से वोट हथियाकर चुनाव जीता जाये और बाद में जोडतोड से सरकार तो बना ही ली जायेगी.
लेकिन सबसे ज्यादा झटका इस बार ताऊ को लगा. क्योंकि ताऊ को किसी भी मठाधीष अखाडे ने अपने अखाडे का टिकट ही नही दिया. और दुनियां जानती है कि किसी अखाडे के बैनर बिना टिप्पणियां तक नही मिलती तो वोट मिलने का तो सवाल ही नही उठता. ताऊ बेचारा परेशान...घूम रहा था...इस खोटे समय में एक रामप्यारे ही उसका सलाहकार हुआ करता था जो आजकल किसी अखबार में कालम लिखने लगा था...वाकई ताऊ को इतना परेशान कभी नही देखा गया कि वो चुनाव अखाडे के टिकट के लिये तरस गया.
रात को ताऊ किसी तरह सो गया और फ़िर सोते सोते अचानक उठ बैठा. एक आईडिया घुस आया उसकी शातिर खोपडी में. सुबह उठकर ब्लाग चुनाव आफ़िस में जाकर निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन फ़ार्म भर आया. और अपने चुनाव प्रचार में जुट गया. दूसरे प्रतिद्वंद्वी अपने इंमानदारी और शराफ़त भाईचारे का राग अलापते और ताऊ ने अपना एक भाषण रट लिया और हर जगह वही भाषण दिन रात झाडने लग गया.
ताऊ के उक्त भाषण का जनता पर काफ़ी असर हुआ और निर्दलीय होने के बावजूद भारी बहुमत से चुनाव जीत गया. अब ताऊ को दिखने लगी ब्लाग प्रेसीडेंट की कुर्सी और जनता उम्मीद कर रही थी रोकपाल बिल के लागू होने की. इधर स्पष्ट बहुमत किसी भी मठाधीष के अखाडे को नही मिला था, सब जोड तोड में लगे थे. सब तरह की संभावनाएं टटोली जा रही थी....ऐसे ऐसे ब्लागर मठाधीष एक दूसरे से गुपचुप मुलाकाते कर रहे थे जो एक दूसरे को फ़ूटी आंख नही सुहाते ...ये समझे कि जैसे ताऊ............से मिल रहा हो....
खैर सब जोड तोड के बाद दो गुट बन गये....थोडे बहुत जोगाड से कोई सा भी गुट सरकार बना सकता था. दोनों गुटो में समस्या यह आ रही थी की ब्लाग प्रेसीडेंट कौन बने? और किसके कितने मंत्री हों? बडी मुश्किल की घडी थी. ताऊ अपने लठ्ठ को लिये ब्लाग प्रेसीडेंट बनने की जोगाड में लगा था. और ताऊ के द्वारा चुनाव में जनता को रोकपाल बिल के वादे की वजह से कोई सा भी गुट ताऊ को घास नही डाल रहा था.
ताऊ के कमरसिंह ने पहले गुट के कुछ सदस्यों को मंत्री और भारी संख्या में टिप्पणीयों का लालच देकर ताऊ की तरफ़ तोड लिया, फ़िर भी ब्लाग सरकार बनाने लायक बहुमत नही बना. ताऊ के कमर सिंह ने जी जान लडा दी पर अब भी दस वोट कम पड रहे थे. और सामने बचे गुट में महान मक्कार और भ्रष्टाचार के पुतले ही बचे थे, जिनके विदेशी बैंक खाते और घोटालों में नाम थे. रोकपाल की वजह से वो ताऊ के कट्टर दुश्मन थे. पर ताऊ ने हार नही मानी. एक रोज ताऊ के कमरसिंह ने ताऊ की और उनकी मुलाकात की व्यवस्था करा ही दी.
एक "ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी" आनन फ़ानन मे आयोजित की गई. वहां एक से बढकर एक जानी दुश्मन भी हाथ में माकटेल काकटेल के गिलास थामे नजर आये. और फ़िर ताऊ ने अपना भाषण देना शुरू किया :- प्यारे ब्लागर साथियों, आपने इस ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी मे शरीक होकर ब्लाग जगत की बडी सेवा की है. आप मेरी रोकपाल बिल वाली बात को ज्यादा दिल से ना लगाये. वो तो चुनाव जीतने के लिये कुछ भी कहना पडता है. पर हम तो आपस में ब्लाग भाई हैं, एक दूसरे को नुक्सान थोडे ही पहुंचायेगे, हम ब्लाग हित में मिलजुलकर जनता को लूटेंगे, आपको मेरी ब्लाग सरकार में लूट की खुली छूट होगी. मैं आंखे बंद करके रहुंगा, आप बिल्कुल निश्चिंत रहें, आप सब अपने अपने मठ की ताकत जनता को लूटकर बढाते रहें, मैं कुछ नही बोलूंगा.
ताऊ के मुंह से ऐसी बात सुनकर सबके चेहरे खिल उठे. एक भ्रष्टाचार के मामले में फ़ंसे और ताऊ के घनघोर विरोधी सदस्य ने सवाल पूछा - पर ताऊ हम जैसों को कैसे बचाओगे? हम तुमको क्यों वोट दें? तुम हमारे विरोधी हो..कहीं हमे जेल में डाल दोगे तो?
ताऊ बोला - भाई तू चिंता मत कर, मैं रोकपाल बिल की खानापूर्ति के पहले एक ऐसा बिल लाऊंगा कि नेताओं और भ्रष्टाचारियों को सिर्फ़ एयरकंडीशंड जेल में ही रखा जायेगा. उनको पेशी पर ले जाने के लिये बी.एम.डबल्यु या उससे ऊंचे दरजे की कारे ही इस्तेमाल की जायेंगी. सारे मुकदमे इस तरह चलवाऊंगा कि तुम्हारे जीते जी उनका फ़ैसला ही नही आयेगा. सरकार की साख बचाने और जनता को दिखाने के लिये तुम जैसों को दो चार महिने एयरकंडीशंड जेल में बिताने होंगे और वो भी तुम नही रहना चाहो तो तुम्हारी जगह जेल में तुम्हारा डुप्लीकेट रह जायेगा, तुम जमानत होने तक चुपचाप विदेश में मस्ती करके चले आना. ताऊ की यह बात सुनते ही सारे भ्रष्टाचारियों ने एक स्वर से ताऊ को जयजयकार करते हुये अपना नेता चुन लिया.
जब यह पूर्ण संसार है तो जाहिर सी बात है कि यहां भी सरकार होती है और चूंकी हम एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था के आदि हैं तो चुनाव भी होंगे और यहां सारी जद्दोजहद सत्ता हथियाने की है. पिछले दिनों ब्लागिस्तान में चुनाव थे और मठाधिषों को एक पल की भी फ़ुरसत नही थी, तमाम फ़ुरसतिया लोगों को चुनाव की वजह से काम धंधा मिला हुआ था. सभी इस जोगाड में लगे थे कि किसी तरह जनता से वोट हथियाकर चुनाव जीता जाये और बाद में जोडतोड से सरकार तो बना ही ली जायेगी.
लेकिन सबसे ज्यादा झटका इस बार ताऊ को लगा. क्योंकि ताऊ को किसी भी मठाधीष अखाडे ने अपने अखाडे का टिकट ही नही दिया. और दुनियां जानती है कि किसी अखाडे के बैनर बिना टिप्पणियां तक नही मिलती तो वोट मिलने का तो सवाल ही नही उठता. ताऊ बेचारा परेशान...घूम रहा था...इस खोटे समय में एक रामप्यारे ही उसका सलाहकार हुआ करता था जो आजकल किसी अखबार में कालम लिखने लगा था...वाकई ताऊ को इतना परेशान कभी नही देखा गया कि वो चुनाव अखाडे के टिकट के लिये तरस गया.
रात को ताऊ किसी तरह सो गया और फ़िर सोते सोते अचानक उठ बैठा. एक आईडिया घुस आया उसकी शातिर खोपडी में. सुबह उठकर ब्लाग चुनाव आफ़िस में जाकर निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन फ़ार्म भर आया. और अपने चुनाव प्रचार में जुट गया. दूसरे प्रतिद्वंद्वी अपने इंमानदारी और शराफ़त भाईचारे का राग अलापते और ताऊ ने अपना एक भाषण रट लिया और हर जगह वही भाषण दिन रात झाडने लग गया.
बहणों और भाईयों, आप जानते हैं कि ताऊ एक ठग और लुटेरा इंसान है, और आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं...तो आप मुझे वोट क्यों दें? और मैं आपकी बात से सहमत हूं...आप मुझे बिल्कुल वोट मत दिजियेगा...पर आपसे एक बात कहना चाहुंगा कि ताऊ नें तो दस बीस हजार की डकैती डाली होगी लेकिन बाकी के मठाधीषों ने तो पू्रे देश का माल हजम करके बाहर के बैंकों में पहूंचा दिया है, अरे ताऊ ने तो जो भी किया वो आपके लिये किया...देश के बाहर कुछ नही लेगया बल्कि ब्लाग जगत का माल ब्लाग जगत में ही रख छोडा है...और मैं आपसे वादा करता हुं कि अगर मैं चुनाव जीत गया तो इस ब्लागजगत में एक सख्त रोकपाल बिल लागू करूंगा कि कोई भी गंदगी, भ्रष्टाचार करना इस ब्लागिस्तान में संभव नही होगा और सारे ब्लागर चैन की बंशी बजाया करेंगे. आपको जो समझ आये वैसा ही करें पर रोकपाल बिल की बात ध्यान रखें.
ताऊ के उक्त भाषण का जनता पर काफ़ी असर हुआ और निर्दलीय होने के बावजूद भारी बहुमत से चुनाव जीत गया. अब ताऊ को दिखने लगी ब्लाग प्रेसीडेंट की कुर्सी और जनता उम्मीद कर रही थी रोकपाल बिल के लागू होने की. इधर स्पष्ट बहुमत किसी भी मठाधीष के अखाडे को नही मिला था, सब जोड तोड में लगे थे. सब तरह की संभावनाएं टटोली जा रही थी....ऐसे ऐसे ब्लागर मठाधीष एक दूसरे से गुपचुप मुलाकाते कर रहे थे जो एक दूसरे को फ़ूटी आंख नही सुहाते ...ये समझे कि जैसे ताऊ............से मिल रहा हो....
खैर सब जोड तोड के बाद दो गुट बन गये....थोडे बहुत जोगाड से कोई सा भी गुट सरकार बना सकता था. दोनों गुटो में समस्या यह आ रही थी की ब्लाग प्रेसीडेंट कौन बने? और किसके कितने मंत्री हों? बडी मुश्किल की घडी थी. ताऊ अपने लठ्ठ को लिये ब्लाग प्रेसीडेंट बनने की जोगाड में लगा था. और ताऊ के द्वारा चुनाव में जनता को रोकपाल बिल के वादे की वजह से कोई सा भी गुट ताऊ को घास नही डाल रहा था.
ताऊ के कमरसिंह ने पहले गुट के कुछ सदस्यों को मंत्री और भारी संख्या में टिप्पणीयों का लालच देकर ताऊ की तरफ़ तोड लिया, फ़िर भी ब्लाग सरकार बनाने लायक बहुमत नही बना. ताऊ के कमर सिंह ने जी जान लडा दी पर अब भी दस वोट कम पड रहे थे. और सामने बचे गुट में महान मक्कार और भ्रष्टाचार के पुतले ही बचे थे, जिनके विदेशी बैंक खाते और घोटालों में नाम थे. रोकपाल की वजह से वो ताऊ के कट्टर दुश्मन थे. पर ताऊ ने हार नही मानी. एक रोज ताऊ के कमरसिंह ने ताऊ की और उनकी मुलाकात की व्यवस्था करा ही दी.
एक "ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी" आनन फ़ानन मे आयोजित की गई. वहां एक से बढकर एक जानी दुश्मन भी हाथ में माकटेल काकटेल के गिलास थामे नजर आये. और फ़िर ताऊ ने अपना भाषण देना शुरू किया :- प्यारे ब्लागर साथियों, आपने इस ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी मे शरीक होकर ब्लाग जगत की बडी सेवा की है. आप मेरी रोकपाल बिल वाली बात को ज्यादा दिल से ना लगाये. वो तो चुनाव जीतने के लिये कुछ भी कहना पडता है. पर हम तो आपस में ब्लाग भाई हैं, एक दूसरे को नुक्सान थोडे ही पहुंचायेगे, हम ब्लाग हित में मिलजुलकर जनता को लूटेंगे, आपको मेरी ब्लाग सरकार में लूट की खुली छूट होगी. मैं आंखे बंद करके रहुंगा, आप बिल्कुल निश्चिंत रहें, आप सब अपने अपने मठ की ताकत जनता को लूटकर बढाते रहें, मैं कुछ नही बोलूंगा.
ताऊ के मुंह से ऐसी बात सुनकर सबके चेहरे खिल उठे. एक भ्रष्टाचार के मामले में फ़ंसे और ताऊ के घनघोर विरोधी सदस्य ने सवाल पूछा - पर ताऊ हम जैसों को कैसे बचाओगे? हम तुमको क्यों वोट दें? तुम हमारे विरोधी हो..कहीं हमे जेल में डाल दोगे तो?
ताऊ बोला - भाई तू चिंता मत कर, मैं रोकपाल बिल की खानापूर्ति के पहले एक ऐसा बिल लाऊंगा कि नेताओं और भ्रष्टाचारियों को सिर्फ़ एयरकंडीशंड जेल में ही रखा जायेगा. उनको पेशी पर ले जाने के लिये बी.एम.डबल्यु या उससे ऊंचे दरजे की कारे ही इस्तेमाल की जायेंगी. सारे मुकदमे इस तरह चलवाऊंगा कि तुम्हारे जीते जी उनका फ़ैसला ही नही आयेगा. सरकार की साख बचाने और जनता को दिखाने के लिये तुम जैसों को दो चार महिने एयरकंडीशंड जेल में बिताने होंगे और वो भी तुम नही रहना चाहो तो तुम्हारी जगह जेल में तुम्हारा डुप्लीकेट रह जायेगा, तुम जमानत होने तक चुपचाप विदेश में मस्ती करके चले आना. ताऊ की यह बात सुनते ही सारे भ्रष्टाचारियों ने एक स्वर से ताऊ को जयजयकार करते हुये अपना नेता चुन लिया.
@@एक "ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी" आनन फ़ानन मे आयोजित की गई. वहां एक से बढकर एक जानी दुश्मन भी हाथ में माकटेल काकटेल के गिलास थामे नजर आये. और फ़िर ताऊ ने अपना भाषण देना शुरू किया :- प्यारे ब्लागर साथियों, आपने इस ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी मे शरीक होकर ब्लाग जगत की बडी सेवा की है. आप मेरी रोकपाल बिल वाली बात को ज्यादा दिल से ना लगाये. वो तो चुनाव जीतने के लिये कुछ भी कहना पडता है. पर हम तो आपस में ब्लाग भाई हैं, एक दूसरे को नुक्सान थोडे ही पहुंचायेगे, हम ब्लाग हित में मिलजुलकर जनता को लूटेंगे, आपको मेरी ब्लाग सरकार में लूट की खुली छूट होगी. मैं आंखे बंद करके रहुंगा, आप बिल्कुल निश्चिंत रहें, आप सब अपने अपने मठ की ताकत जनता को लूटकर बढाते रहें, मैं कुछ नही बोलूंगा.
ReplyDelete----प्रयास जारी रहे ......???
अपनी पार्टी में मुझे भी भर्ती कर लो यार अब तुम्हारा ही सहारा है ......
ReplyDeleteआज की पोस्ट लगता है ताई ने धमका कर लिखवाई हो ....
शुभकामनायें ताऊ !
जल्दी से रोक्पाल बिल को पारित करावें. वाही एक सहारा दिख रहा है.
ReplyDeleteरोकपाल तो बात बात में रोकेगा।
ReplyDeleteवाह ताऊ !
ReplyDeleteदेश में भी तो ऐसी ही ताऊ टाइप सरकार चल रही है और ताऊ मनमोहन भी आँख मूंदे बैठा है |
जो भी रोकपाल बिल को रोकेगा हमारा तो वही नेता... :)
ReplyDelete2014 की रिहर्सल और प्रैक्टिस जम कर की है ताऊ... ब्लॉगिस्तान में तो छा गये, लगता है असरदार सिंह भी बनोगे आप आते-आते... मगर ध्यान रहे रिमोट मिस समीरा टेढी के हाथ में न थमा देना, वरना लोग कहेंगे कि एक से पीछा छूटा तो दूसरा आ गया!! ;)
ReplyDeleteताऊ ,
ReplyDeleteनमस्कार
कोई छोटी मोती पदवी हो तो मुझे भी दे दिजियेंगा ..
हमेशा की तरह, हंसी मजाक से बहुत कुछ कह जाना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .......यह आपको ही संभव है !
ताऊ जिन्दाबाद। रोकपाल बिल जिन्दाबाद।
ReplyDeleteOH...TO ISI BOT BANK KE CHAKKAR ME
ReplyDeleteTIPPANI PE PRATI-TIPPANI KA CHALAN
CHALA HAI........
PRESIDENT TAU KI JAI HO....
PRANAM.
आदरणीय ताऊ जी
ReplyDeleteप्यारे ताऊ जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
घणी घणी मंगळकामनावां !!
भगवान करे "ब्लागर भाईचारा बढाओ पार्टी" ख़ूब फळे-फूले …
ताऊ के झंडे गड़े रहें … हम सब ब्लॉगर और बिना लॉकर तो वैसे ही निहाळ हो जावेंगे :)
एक और मज़ेदार पोस्ट के लिए शुक्रिया …
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ताऊ का भी ज़वाब नहीं । आनन् फानन में पार्टी भी बना ली । लगता है तगड़ा ब्लोगर है ।
ReplyDeleteअच्छी पहल की है आपने हमें भी इसका मेंबर बना लीजिए!
ReplyDelete--
चौमासे में श्याम घटा जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की वो मुझको याद दिलाती है।।....
किसी अखाडे के बैनर बिना टिप्पणियां तक नही मिलती तो वोट मिलने का तो सवाल ही नही उठता...
ReplyDelete:)
रोक्पाल :) बढ़िया है.... वैसे वाणी जी टिपण्णी भी सही लगी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, मज़ेदार और ज़बरदस्त पोस्ट! ताऊ जी जिंदाबाद!
ReplyDeleteरोकपाल बिल!नेक विचार है.
ReplyDelete.....
यह ब्लागजगत भी अपने आप में एक संपूर्ण संसार है-सत्य वचन..इसलिए सारी सांसारिक उठा-पटक /उथल -पुथल यहाँ भी दिखती है.
-
ताऊश्री जी किस कीचड़ में हाथ पाँव मार रहें हैं आप. यहाँ भी 'हाथ' के पंजेंवाले कोई कुछ छोड़ने वाले नहीं है.'कमल' तो बिचारा कबसे मुरझाया पड़ा है.'हाथी' अपनी मस्त चाल चले ही जा रहा है. साईकिल में पंचर हुआ पड़ा है.
ReplyDeleteचलिए देखते हैं आपकी सिद्धियाँ और जंतर-मंतर कितने काम आते हैं यहाँ.
जीतेगा भई जीतेगा ताऊ प्यारे जीतेगा |
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़कर आनंद आ गया ...ताउजी साथ ही इस व्यंग्य में छुपे हुए सार्थक सन्देश भी समझ में आ गए . आप जरुर जीतेंगे आभार
ReplyDeleteराजनीति से ले कर ब्लॉग जगत पर बढ़िया व्यंग .
ReplyDeleteमज़ेदार्।
ReplyDeleteइस पार्टी के लिए सक्रिय कार्यकर्ताओं की आवश्यकता हो तो याद करेंगे।
ReplyDeleteहा हा!! मठाधीषी के बैण्ड बज चुकी है सबकी...अब तो थारा ही आसरा रह गया ताऊ...आज शाम आ जाओ पार्टी में...काकटेल माकटेल सब है...बाकी बातें वहीं पर...
ReplyDeleteरामप्यारे कौन से अखबार में कॉलम लिख रहा है आजकल?
किसी अखाडे के बैनर बिना टिप्पणियां तक नही मिलती तो वोट मिलने का तो सवाल ही नही उठता....कम से कम ताऊ को यह बात समझ तो आई...:)
ReplyDelete