sahi baat hai Tau jee,jabhi to meri ek bhi nahi hui,saare dost,rishtedaar kehte hai karle-karle,main kehta hun karte nahi hoti hai,ab sab ko bataunga dekho Tau jee kya padha rahe hain
अर ताऊ यो डाकी के कर रया सै ? भई हम तो एक धोरै गंगाजल मान्गण लाग रे सें ! और यो डाकी पुरे ही मजे लेण लाग रया सै ! इसनै तो म्हारै परणाम ! और परणाम ही के लंबा लेट कै पाँव पकडै इसकै ! भई यो गुरु-मंतर हमनै भी सिखा दे ! :)
इस पोस्ट से आप क्या जुटाना चाहते हैं ? समर्थन...! ऒह....... के इरादा सै..? ताई कित सै..?
बाकि एक बात तो सै ताऊ.. इलाज तो इसे-इसे इंडिया म्हं भी हौवें.. पर फीस खात्तर साब्बत मुसीबत गल म्हं घाल्लण का रिवाज़ कोनी.. हम तो घंटे दो घंटे पाच्छै वापस भेज दिया करैं.. tasalli gail
हरियाणवी को हिन्दी में लिखना आसान कार्य नही है, आप का लेखन लीक से हट कर है और उत्कृष्ट है ! आप अपनी मौलिकता को लेकर ही चलते रहें एक दिन आपकी यही विशेषता का मज़ा लेने हर लेखक आपको पढ़ना चाहेगा ! आज जब लोग एक दूसरे की टांग अधिक खींचते है, उस समय आप लोगों को हंसा पा रहे हैं यह आपकी ही हिम्मत है ! हरियाणवी अधिक न समझाने वाले मेरे जैसे आपके मित्र भी अब हरियाणवी सीखने का प्रयत्न आपको पढ़ कर कर रहे हैं ! ताऊ आपको सादर प्रणाम ! "लाइट ले यार" में आपका लिंक देकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ !
योगेन्द्र जी की बातों से मैं सहमत हूँ... आप क्या बताना चाहते हैं??? हमारे हिन्दुस्तानी मर्दों को बिगाड़ रहे हैं?? ताईजी से कहना होगा... अब अखबार बंद करा दो...
oodi baba!!
ReplyDeletesahi baat hai Tau jee,jabhi to meri ek bhi nahi hui,saare dost,rishtedaar kehte hai karle-karle,main kehta hun karte nahi hoti hai,ab sab ko bataunga dekho Tau jee kya padha rahe hain
ReplyDeleteताऊ कहीं ये अबू बाकर साहब आप ही तो
ReplyDeleteनही हो :) :) इतने कारनामे कर चुके हो की
शक होता है ?
अल्लाह भी पक्षपात करता है जी.....
ReplyDeleteइसे बढकर मुंह से बस एक ही शब्द निकलता है-
ReplyDeleteगजब।
अब इसमे भी क्या पढने कि ख़बर है.... लगे रहे...
ReplyDeleteअल्लाह की कृपा है कि यह साहब चीन में नहीं पैदा हुए वरना माओ देव की दया से इनके साथ १९७६-कृत्य १६९ बार हो गया होता.
ReplyDeleteताऊ मेरे को तो शक लग रही हे, भाई ने जरुर मेरे जेसे बन्दे ओवर टाईम पे रखे होगे, बिना तन्खा:)
ReplyDeleteइतनी शादियों के बाद भी बन्दा हंस रहा है...कमाल है...गालिब साहेब ने शायद इसी के लिए कहा होगा
ReplyDelete" दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना"
नीरज
अर ताऊ यो डाकी के कर रया सै ? भई
ReplyDeleteहम तो एक धोरै गंगाजल मान्गण लाग रे
सें ! और यो डाकी पुरे ही मजे लेण लाग रया सै !
इसनै तो म्हारै परणाम ! और परणाम ही के
लंबा लेट कै पाँव पकडै इसकै ! भई यो गुरु-मंतर
हमनै भी सिखा दे ! :)
गजब की गजनट.
ReplyDeleteइस पोस्ट से आप क्या जुटाना चाहते हैं ?
ReplyDeleteसमर्थन...!
ऒह.......
के इरादा सै..?
ताई कित सै..?
बाकि
एक बात तो सै ताऊ..
इलाज तो इसे-इसे इंडिया म्हं भी हौवें..
पर फीस खात्तर साब्बत मुसीबत गल म्हं घाल्लण का रिवाज़ कोनी..
हम तो घंटे दो घंटे पाच्छै वापस भेज दिया करैं..
tasalli gail
हरियाणवी को हिन्दी में लिखना आसान कार्य नही है, आप का लेखन लीक से हट कर है और उत्कृष्ट है ! आप अपनी मौलिकता को लेकर ही चलते रहें एक दिन आपकी यही विशेषता का मज़ा लेने हर लेखक आपको पढ़ना चाहेगा ! आज जब लोग एक दूसरे की टांग अधिक खींचते है, उस समय आप लोगों को हंसा पा रहे हैं यह आपकी ही हिम्मत है ! हरियाणवी अधिक न समझाने वाले मेरे जैसे आपके मित्र भी अब हरियाणवी सीखने का प्रयत्न आपको पढ़ कर कर रहे हैं ! ताऊ आपको सादर प्रणाम !
ReplyDelete"लाइट ले यार" में आपका लिंक देकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ !
योगेन्द्र जी की बातों से मैं सहमत हूँ...
ReplyDeleteआप क्या बताना चाहते हैं??? हमारे हिन्दुस्तानी मर्दों को बिगाड़ रहे हैं?? ताईजी से कहना होगा... अब अखबार बंद करा दो...
अंकल मेरी तो एक भी शादी नही हुई अभी
ReplyDeleteतक और ये बाबा कौनसा जादू करते हैं ? इनका
नाम पता हमको भी भिजवावो ना !
अंकल मेरी तो एक भी शादी नही हुई अभी
ReplyDeleteतक और ये बाबा कौनसा जादू करते हैं ? इनका
नाम पता हमको भी भिजवावो ना !
ताऊ इस पोस्ट को पढ़कर एक शेर याद आ गया :
ReplyDeleteइस दुनिया में आए हो तो , कुछ ऐसा कर जाओ कद्रदान,
जिस गली से गुजरो, आवाज़ आए अब्बाजान....अब्बाजान|