मेरी गोवा यात्रा भाग -1

बीती बातों का सार लिखूं ....भाग - 1
गोवा जाना हमेशा से ही अच्छा लगता आया है, वहां के सुंदर बीच, हरियाली और बारिश मन मोहती है. बिना किसी ड्रेस कोड की चिंता किये टीशर्ट और हाफ़ पैंट पहने मार्केट और समंदर किनारे घूमना आनंद दायक लगता है. जो अनुभव आपको भारत के किसी अन्य शहर में नहीं मिल सकता वो सब आपको यहां मिलेगा. कुल मिलाकर कहा जाये तो एक आम भारतीय माहौल होने के बावजूद कुछ तो है गोवा में, जो बार बार अपनी तरफ खींचता है. गोवा भ्रमण का मौका अक्सर ही  साल छह महीने में किसी ना किसी कांफ्रेंस सेमिनार के बहाने मिल भी जाता है.

अबकी बार शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे मुंबई के लिये जेट एयरवेज की फ्लाईट  पकड़ने के लिये हमने देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट का रुख ऊबर टेक्सी से किया. एयरपोर्ट का रास्ता 40 मिनट का है पर रास्ते में जाम की स्थिति बनी हुई थी जो कि दोपहर के समय प्रायः नही होती.... टेक्सी वाला कुछ ज्यादा ही भला आदमी निकला, बोला साहब मैं आपको चंदन नगर होकर ले चलता हूँ, यहां बड़े गणपति तरफ तो स्मार्ट शहरी करण के चक्कर मे जाम लगा है, हो सकता है आपकी फ्लाईट छूट जाए....हमारे पास और कोई चारा भी नही था सो हामी भर दिए। वहां पहुंचकर टेक्सी वाले ने तयशुदा 200 रुपये ही किराए के मांगे तो थोड़ा आश्चर्य हुआ पर सोचा कि भले लोग भी तो हैं दुनियां में.

गेट पर टिकट का प्रिंट और आईडी दिखाया तो सिक्युरिटी वाले ने हमारी तरफ घूरते हुए देखा और आईडी से शक्ल मिलाने लगा.  हम कुछ डर से गये और दूसरा आईडी निकालने लगे तो वो मुस्कराने लगा और हमारी जामा तलाशी शुरू कर दी और हमारी जेब से तम्बाकू की पुड़िया निकलवा ली.  हमें मालूम था की तम्बाकू की पुड़िया सिक्युरिटी का अभेद्य द्वार नही भेद पाएगी सो एहतियातन हमने चार दिन की पूड़ियाएँ बनाकर चेक इन बगेज के हवाले पहले से ही कर रखी थी सो खुशी खुशी अपने शौक की पुडिया को डस्टबीन के हवाले कर दिया.   अपने सामान को स्कैन करवा कर बोर्डिंग पास लिया और सिक्युरिटी चेक करवाकर निर्धारित गेट नं. 6 पर जाकर इंतजार करने लग.

अभी तक पीछे से ही प्लेन नही आया था तो सोचा कुछ चाय वाय सुड़क ली जाए, फिर सोचा कि काहे 100 रुपये का चूरा करें, यह तो जेट एयरवेज की फ्लाईट है सो चाय नाश्ता तो मिल ही जायेगा.  तभी अनाउंस हुआ कि फ़्लाईट में आधे घंटे का डीले होगा तो हमने कैफेटेरिया में घुसकर चाय सुड़कना बेहतर समझा और सुड़कने लगे.  तभी अनाउंस हुआ कि मुंबई जाने वाले यात्रीगण गेट नम्बर 6 की बजाये गेट नं.  11 की तरफ प्रस्थान करें सो केफ़ेटेरिया से अपने आपको उठाकर  सीढियां उतरते हुए हम  गेट नम्बर 11 की तरफ प्रस्थित होकर लाइन में लग लिए. वहां से  बस में बैठकर जहाज में सवार हो लिए और  अपने आपको सही सीट पर टिका कर बिना कहे ही शरीफ़ बच्चों की तरह सीट बेल्ट बांधली. 

केबिन क्रू द्वारा सेफ्टी नियमों का प्रदर्शन रूटीन तौर पर किया गया तब तक प्लेन टेक आफ की तैयारी में रनवे पर दौड़ने के लिए कमर कस चुका था. पांच सात मिनट बाद जहाज निर्धारित ऊंचाई पर पहुंच गया और सीट बेल्ट खोलने की घोषणा के साथ ही हवाई सुंदर/सुंदरियां ट्राली लेकर दौड़ पड़े. फ्लाइट टाइम एक घण्टा होने की वजह से करीब 250 यात्रियों को सर्व करना भी एक हिम्मत का ही काम है.

ट्राली लिए हवाई सुंदरी ने हमको एक ट्रे पकड़ा दी जिसमे एक पानी की बच्चा बोतल, खट्टी मीठी गीले से चूर्ण वाली दो गोलियां, ड्राई दूध पाउडर, सुगर की पुड़िया और खाली कप था.  दस पन्द्रह मिनट तक किसी ने सुध नही ली, हमने पास बैठे सहयात्री की तरफ देखा तो वो पठ्ठा किटकैट की दस रुपये वाली चाकलेट खा रहा था.  हमने अपनी ट्रे टटोली पर उसमें चाकलेट तो क्या, चाकलेट की खाली पन्नी भी नही दिखी तभी उसी हवाई सुंदरी की आवाज आई...सर वेज और नानवेज? हमारे वेज कहते ही उसने एक गर्मागर्म एल्युमिनियम फाइल वाला लिफाफा पकड़ा दिया.  उसको खोला तो एक मैदा की रोटी को गोल चौकोर मोड़कर कुछ पत्तागोभी गाजर भरी हुई थी, एक बाइट लेकर वापस रखदी क्योंकि बिल्कुल ही बेस्वाद थी....हमको भूख भी नही थी सो चाय का इंतजार करने लगे.  इस बीच हमने दोनों चूर्ण वाली गोलियां खाकर पानी की बोतल मुंह से लगाकर गला तर कर लिया.

तभी अनाउंस हुआ कि अब हम मुम्बई उतरने वाले हैं कृपया सीट बेल्ट बांध लें....तभी हवाई सुंदरी ट्रे समेटती हुई आगई तो हमने कहा चाय के लिए गर्म पानी तो देदो और हमको चाकलेट भी नही मिली.  वो मुस्कराते हुए बोली,  सर फ्लाईट कम समय की है अब चाय सर्व करना तो सम्भव नही होगा और चॉकलेट खत्म हो चुकी है.  हमको ऐसा लगा कि इसने तो हमको बच्चा समझकर ऊल्लू बना दिया.....खैर खीझ मिटाने के लिए हमने विंडो से बाहर झांका तो प्लेन बादलों और पहाड़ियों के बीच से गुजर रहा था... बहुत ही मनमोहक दृश्य था सो हम उसका वीडियो बनाने लगे जो लैंडिंग तक बनाया, करीब 7 मिनट का.  आपने भी कई बार इस रूट पर यात्रा की होगी पर शायद ऐसे दृश्य पर ध्यान नही गया होगा. 

मुम्बई से गोवा जाने वाली फ्लाईट में 50 मिनट का ले-ओवर था सो फटाफट ट्रांसफर डेस्क की तरफ सिक्युरिटी चेक के लिए दौड़ से लिये.  मुम्बई में टर्मिनल 2 पर डोमेस्टिक फ्लाइट के लिए ट्रांसफर करना भी बहुत भागादौड़ी और थकाऊ काम है.  नान-स्टॉप या होपिंग फ्लाइट में इतना कष्ट नही होता पर कनेक्टिंग फ्लाईट थकाने वाला काम है, खासकर बड़े एयरपोर्ट्स पर.  सब काम निपटा कर रामराम करते हुए गोवा जाने के लिए बोर्डिंग गेट पर पहुंच कर लाइन में खड़े हो गए.
शेष अगले भाग में.....

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर दिवस - 2017 की तैयारियां


आप जानते हैं कि ब्लागिंग जैसे सशक्त माध्यम को ब्लागर सम्मेलन की जगह ब्लागर दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड गयी? सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों के कारण ब्लागिंग पर धूल सी चढ गयी है पर हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हम सब मिलकर इस धूल को  धूल चटा देंगे. ब्लागर दिवस मनाने का आईडिया 13 जून की अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में सु. अंशुमाला जी ने दिया था कि हर माह की पहली तारीख को फ़ेसबुक से छुट्टी लेकर ब्लाग गांव की तरफ़ चला जाये. हम तो कहते हैं कि पहली तारीख ही क्यों बल्कि निरंतरता से भी किया जा सकता है.

अंशुमाला जी की उपरोक्त पोस्ट पर  सु. रश्मि रविजा, श्री मनोज कुमार, सु. अर्चना तिवारी, सु. रंजू भाटिया, श्री सागर नाहर, सु. निवेदिता श्रीवास्तव, श्री विवेक रस्तोगी,  सु. शौभना चौरे, सु. अर्चना चावजी,  सु. प्रियंका गुप्ता, श्री सोमेश सक्सेना, सु. शिखा वार्ष्नेय, स्वयंभू ताऊ रामपुरिया, सु. वाणी गीत, श्री आशीष श्रीवास्तव, श्री प्रवीण शाह, सु. संध्या शर्मा, श्री सलिल वर्मा, और श्री अंतरसोहिल नें इस विचार का स्वागत किया और इस तरह पहली जुलाई से ब्लागिंगको नये सिरे से संवारने की तरफ़ यह पहला कदम है. आशा है यह कदम आगे बढते रहेंगे.

 वैसे फ़ेसबुक सरीखी संवाद की इंस्टेंट फ़ेसीलिटी के अभाव में यह कार्य इतना आसान भी नही होगा लेकिन ब्लाग पर भी इसे किया जा सकता है. ताऊजी डाट काम पर 2009 में एक खुल्ला खेल फ़र्रूखाबादी चलता था जो कमोबेश फ़ेसबुक जैसा ही था, वो तो हमारा आईडिया जुकरू भाई ले उडे और हम पीछे रह गये. 

खुल्लाखेल फ़रूखाबादी - 113 की इस पोस्ट पर 516 कमेंट और खुल्लाखेल फ़रूखाबादी (152) : आयोजक उडनतश्तरी पर 616 टिप्पणी संवाद हैं.  देखिये और अंदाजा लगाईये कि किस तरह यह एक मनोरंजक संवाद का जरिया था जिस पर शाम 6 बजते ही लोग जम जाते थे. इन पोस्ट पर संवाद यानि टिप्पणियों के रूप में गुफ़्तगू ही थी.

तो पहली जुलाई से शुरू हो जाईये और जिनके ब्लाग के पासवर्ड गुम गये हों वो उसे खोज लें और ब्लाग पर झाडू बुहारी करलें.

ब्लाग दिवस के शुभ अवसर पर ताऊ सद साहित्य प्रकाशन की कुछ अमूल्य पुस्तकें भी 20 प्रतिशत डिस्काऊंट रेट पर उपलब्ध रहेंगी.




इसके अलावा नामचीन ब्लागरों द्वारा लिखी गई दुर्लभ पुस्तके भी रिप्रिंट करवाई जा रही हैं जिन्हें खरीदने से आप पिछली बार वंचित रह गये थे. अबकि बार सूचना मिलते ही बुक करवा लें. यह पुस्तके बार बार नही मिलती.
 
कुछ नामचीन ब्लागरों की पुस्तकों का विमोचन और उनकी समीक्षा भी ताऊ महाराज करेंगे.

 

योगा में गुण बहुत हैं करते रहिए रोज....

योगा में गुण बहुत हैं करते रहिए रोज
गंगू तेली छाँडिकर बनोगे राजा भोज

अब आप कहेंगे कि ये कहां से चंडूखाने की गप्प के गले में रस्सी डालकर उठा लाये हैं? पर यकीन मानिए हम सही कह रहे हैं कोई इसरो का सेटेलाइट हवा में नही छोड़ रहे हैं। हम बात योग की नही कर रहे बल्कि योगा की कर रहे हैं। दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। योग में वो बात नही है जो योगा में है।

योग तो बेचारा आदिकाल से ज्योतिष की किताबों में छुपा बैठा था या साधु महात्माओं के संग हिमालय की कन्दराओं में सोया हुआ था। किसी बाबा या हठयोगी ने जिद ही पकड़ ली तो कभी कभार जाग लेता था वरना तो योग पर पूरी कुम्भकर्ण की नींद सवारी करती थी।

और ज्योतिष शास्त्र में जो योग दुबक कर बैठा था उसको करना तो दूर बल्कि पढ़ पढ़कर ही आदमी निंदिया जाता था। आपको शायद पता नही होगा कि हमारे मित्र संटू भिया कबाड़ी होने के साथ साथ ही एक पहुंचे हुए ज्योतिषी भी हैं। सटीक भविष्यवाणी करने के अलावा सभी रोग, प्रेम में सफलता, किसी को भी पलक झपकते ही वश में कर लेना, सम्मोहन,  वशीकरण, सौतन से छुटकारा और दो घण्टे से कम समय मे शत्रु को वश में कर लेने के सफल उपाय करवाने में भी सिद्धहस्त हैं। 

एक दिन हमने भी उनसे पूछ लिया कि भिया आजकल सरकार ने नींद की गोलियों पर प्रतिबंध लगा दिया और हमे बिना गोली के नींद नही आती तो भिया बोले इसमें कौन सी बड़ी बात है? वो तो तुम थोड़ी दूर रहते हो वरना हम तो इस योग के बल पर पूरे नलिया बाखल के लोगों को बिना नींद की गोली खिलाये सुला देते हैं। योग का जाप करो , जाप करने के पहले ही नींद आ जायेगी।

भिया ने हमे हस्त लिखित योग जाप का फार्मूला पकड़ा दिया और बोले बस बिस्तर पर लेटकर पहले....विषकुंभ प्रीति आयुष्मान सौभाग्य शोभन अधिगण्ड सुकर्मा धृति शूल गण्ड वृद्धि ध्रुव व्याघात हर्षन वज्र सिद्धि व्यतीपात वरीयान परिध शिव सिद्ध साध्य शुभ शुक्ल ब्रह्म एन्द्र एवम वैधृति योग का अभ्यास करना इसके बाद आनन्दादि योग करना - आनन्द कालदण्ड धूम्राक्ष प्रजापति सौम्य ध्वांक्ष ध्वज श्रीवत्स वज्र मुद्गर छत्र मित्र मानसाख्य पद्माख्य लुम्बक उत्पात मृत्यु काण सिद्ध शुभ अमृत मूसल गद मातंग राक्षस चर स्थिर वर्द्धमान.........

हमने कहा भिया तुम क्यों हमारे मजे ले रहे हो ये तो ज्योतिष की शब्दावली सी दिख रही है? फिर हमने अपना ताऊत्व पेलते हुए अपना ज्ञान बघारने का मौका नही चूकते हुए कहा- योग सुलाने का नही जगाने का काम करता है...लोगों को जोड़ने का काम करता है....देखो अभी राष्ट्रपति जी के चुनाव में जेडीयू ने एनडीए को समर्थन दे दिया और लालूजी  टापते ही रह गए......सारी विपक्षी एकता योग के सामने धरी रह गई कि नही....ये सब योग की महिमा है.........
भिया हमारा ज्ञान सुनकर सिरे से ही उखड़ गए और तुनकते हुए बोले - तुमको मुफ्त की सलाह पच नही रही है वरना हम तो इन्हीं योगों से मारण, वशीकरण और सौतन से छुटकारा करवाने के बीस तीस हजार ले लेते हैं।

हमने कहा भले आदमी तुम हो ही छोटी सोच के, योग को जानकर भी रहे तुम तोता छाप ज्योतिषी ही और वही वशीकरण सौतन से छुटकारे वाले उपाय करवाकर लोगों को मूर्ख बनाने का काम करने वाले। और इसमें भी तुम्हारा पूरा नही पड़ता तो कबाड़ी का धंधा अलग से करना पड़ता है। और दूसरी तरफ देखो बाबा रामदेव के योग को। बाबा योग करवाते करवाते अरबों रुपयों का साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं, सारी मल्टी नेशनल पानी भरने लगी है बाबा के आगे और एक तुम अपने आपको देखो, योग को जानकर भी तुम एक तोताछाप ज्योतिषी और एक कबाड़ी ही रहे...शर्म आनी चाहिए तुमको।

अबकी संटू भिया सच मे भिनक लिए, बोले देखो यार तुम कसम से हमारा भेजा तो खराब करो मति, हम भी पहुंचे हुए योगाचार्य हैं, कसम से सही बता रहे हैं, हमें गुस्सा आगया तो तुम्हे इतै ही आदमी से बन्दर बनाकर पटक देंगे....फिर रोना हमारे नाम से....अरे तुम क्या समझते हो कि हमने कोशिश नही की? हमने तो विक्रम चौधरी के हॉट योगा और पावर योगा को मात देने की तैयारी कर ली थी और संटू योगा तैयार कर लिया था और इतै भौत पापुलर भी हो गया था....
अब चौंकने की बारी हमारी थी सो हमने उत्सुकता से पूछा - भिया फिर आप कबाड़ी क्यों बन गए? आपको तो अमेरिका निकल लेना था पहली फुर्सत में।
हां, हमने पासपोर्ट वीजा सबकी तैयारी कर ली थी और कूच करने ही वाले थे कि हाट योगा वाले योगा गुरु के सेक्सुअल हैरेसमेंट की खबर आगई और वो रमलू भिया चाय वाले ने हमको डरा दिया कि तुम्हारा संटू योगा तो हॉट योगा से भी पावरफुल हैगा...और तुम चक्करों में फंस सकते हो...बस हमने सोचा उन्हां परदेश में कुछ ऊंच नींच हो गई तो मुश्किल में फंस जाएंगे इसलिए हमने वहां जाना कैंसिल कर दिया, और यहीं पर ज्योतिष योग करने लगे और साथ मे ये कबाड़ी का पुश्तैनी धंधा सम्भाल लिया।

भिया की बात सुनकर लगा कि भिया तो जीती जागती मायनस योगा की मिसाल हैं। वैसे चारों तरफ योग और खालिस योग ही नजर आता है। एक तरफ हमारे भिया मायनस योग के उदाहरण हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी वालो ने योग को ट्रिपल प्लस करके लगता है कि योग को हाईजैक ही कर लिया है। वैसे बिना योग यानी बिना जुड़ाव के संसार बेकार है। इसी जुड़ाव को संसार का विस्तार भी कह सकते हैं। संसार मे चहुं और योग की माया ही नर्तन कर रही है और ज्ञानी अज्ञानी कौन बच पाया है इस योग माया से। हम तो इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि स्वस्थ शरीर, सफल उद्यमी, सफल प्रेमी या कुछ भी सफलता के साथ करना हो तो योग से जुड़ जाइये, बस सब कुछ आपके कदमों में होगा।

उत्तम खेती है जरूर करिये.....

उड़ते पंछी का सारा आकाश....
नए बछड़े को नई नई चीजों में सींग घुसेड़ने में जितना मजा आता है उतना पुरानी चीजों में नही। इसी तरह मौज लेने वालों को भी ताजा तरीन विषय लगता है मौज लेने के लिए तो खेती से ज्यादा ताजा तरीन विषय कोई हो ही नही सकता। खेती किसानी जितनी आसान लगती है उतनी आसान है नही। खेती के औजार भी सीधे नहीं होते तो खेती करना कैसे सीधा होगा? फिर इस पर लिखना तो और भी मुश्किल।

हम संटू भिया के कबाड़खाने इसी आस में पहुंचे थे कि जो कहीं भी ना मिले वो भिया के कबाड़ में जरूर मिल जाता है। वहां देखा तो भिया नदारद, कुछ पाने की उम्मीद में बैठकर हम गहन चिंतन में डूब लिए।  खेती में सींग घुसेड़ने को हम बाएं अंगूठे का काम समझे थे वो तो उतना ही मुश्किल होता जा रहा था। हम परेशान होकर वहां से फूटने ही वाले  थे कि संटू भिया आ धमके और अपने लोहे के तख्त सिंहासन पर विराज लिए। और उनके पीछे पीछे ही हमारी मित्र मंडली के सदस्य रमलू भिया चाय वाले भी आ गए।
हमने अचरज भरी निगाहों से उनकी तरफ देखा तो उन्होंने हमें देखकर कहा कि आज दुकान बंद है। पूछने पर कहने लगे कि खेती की हड़ताल होने की वजह से दूध नही आया तो चाय काहे से बनाते? तीन दिन होगये ... चाय का काम धंधा ठप।
हमने उन्हें बिना मांगे सलाह दे डाली की रामदेव बाबा का पाऊडर वाला डब्बे का दूध ले आते, काहे दुकानदारी ठप कर दी?

रमलू भिया यह सुनकर हमारे ऊपर ही भड़क लिए, भड़क क्या लिए बल्कि फट ही पड़े, बोले - ये सब तुम जैसे सिरफिरों  कि साजिश है जो अपने फायदे के लिए गरीब किसानों को मरवा रहे हो। उनकी सब्जियां खेतों में ही सड़ रही हैं, दूध तुम लोगों ने सड़क पर रायते सरीखा फैलवा दिया...सब तुम नेताओं की साजिश का नतीजा है।

हमने पूछा रमलू भिया आपके कौन से खेत हैं आप क्यों परेशान हो रहे हो?  रमलू भिया बोले - हैं क्यों नही? हमारे पास सात बीघा जमीन गांव में है और हम खेती भी करते हैं, ये चाय का तो हमारा पार्ट टाइम धंधा है। सब कुछ खेती के भरोसे रहें तो भूखे मर जाये।

हमने पूछा कि कुछ कर्ज वर्ज भी लिया है कि नही आज तक? तो रमलू भिया बोले - हमें वैसे कर्ज की जरूरत तो नही थी पर नेताजी बोले कि सब लोग कर्ज जरूर लेकर रखो क्योंकि कर्ज वापस तो लौटाना नही है। कर्ज तो नेताजी सरकार से माफ करवा देंगे सो हमने भी 5 लाख रुपये कर्ज लिया था। कर्ज से एक मोटरसाइकिल खरीदी, मकान की छत डलवा ली और ये चाय की दुकान डाल ली।

हमने आश्चर्य से पूछा कि कर्ज वापस मांगने कोई आया कि नही? वो बोले कि आते हैं बैंक वाले पर जो नेताजी की शरण मे हैं उनको कोई कुछ नही कहता बाकी के लोगों के बैल भैंस मकान बैंक वाले जब्त कर लेते हैं।

हमने पूछा भिया आपके यहाँ कोई नही आता क्या?
भिया बोले नही हम तो नेताजी के पाले में हैं। चुनाव में हम नेताजी को जितवाने में पूरा दमखम लगा देते हैं। और नेताजी जब तक हैं तब तक तो हम नही लौटाएंगे। वैसे भी महाराष्ट्र सरकार ने माफ कर दिया है तो अपने यहां भी माफी आती ही होगी वरना मामाजी का उपवास कैसे टूटेगा?

हम लिखना विखना भूलकर चुपचाप वहां से उठकर घर चले आये और सोचने लगे कि कहीं दो चार बीघा जमीन का जुगाड़ करके अन्नदाता बनने की कोशिश करनी चाहिए, खाली नेतागिरी से दुकान नही चलने वाली।

जल व वायु देवता द्वारा बिजली देवी का अपहरण...



उडते पंछी का सारा आकाश…. होता है और संकट में फ़ंसे भक्तों की सहायक माता बखेडा वाली होती है. यह बात कल अच्छी तरह साबित हो गई. कल हुये षडयंत्र की चपेट में आकर जिस जिसने भी माता बखेडा वाली का सवा रूपये का परसाद बांट दिया वो इस षडयंत्र से बच गया वर्ना तो कोई भी इसकी चपेट में आने से नही बच पाया. शहर के कुल 450 बिजली सप्लाई के फ़ीडर हैं जिनमें से 446 बंद हो चुके थे.

वैसे तो सारे देश में ही वीवीआईपी एरिया को छोडकर रोज ही बिजली देवी की नाराजी का सामना सभी को करना पडता है. पर हमारा शहर इस मामले में किसी वीवीआईपी क्षेत्र से कम नही है. नई उम्र के बच्चे तो पावर कट क्या होता है यह जानते ही नहीं हैं. इस युग में जिस भक्त पर बिजली देवी की कृपा बनी रहती है उससे बडा पुण्यात्मा कोई नही हो सकता. हमारे शहर के वाशिंदे और किसी की पूजा पाठ चाहे करें या ना करें पर बिजली देवी के मंदिर में नित्य श्रद्दापूर्वक आरती जरूर करते हैं. पर कल रात हमारे शहर से बिजली देवी किसी षडयंत्र का शिकार होकर अचानक घर से निकल ली. अब देवी देवताओं का आप क्या बिगाड़ लोगे? उनका मूड हो गया तो हो गया और निकल लिए दूर दराज के क्षेत्रों में लंबे भृमण पर.
 
यदि किसी की बहु बेटी इस तरह चार छ: घंटे या रात भर घर से बाहर रह जाये तो वापसी पर सारे मोहल्ले में कानाफ़ूसी शुरू होकर, अग्नि परीक्षा की तैयारी शुरू हो जाती है. घर वालों को उसके शादी विवाह में उत्पन्न होने वाली रूकावटों के सपने आने लगते हैं.  पर बिजली देवी इन सब से परे हैं…. उनको  कुछ कहने की हिम्मत भला कौन कर सकता है? घरवाले तो छोडिये बल्कि मुहल्ले वाले भी उनके लौटने पर, डर के मारे इल्जाम  लगाना तो दूर बल्कि परसाद बांटकर खुशियां मनाते उनकी आरती गाते हैं.

आप देवी हो तो ठीक है पर आपको भी कम से कम आये गए मेहमानों का तो ख्याल रखना चाहिए कि नही? बिजली देवी को इतनी भी शर्म  नही आई कि शहर में प्रतिष्ठित मेहमान आये हुए हैं जरा उनका तो लिहाज किया होता, ये क्या बात हुई की बस मुंह उठाया और निकल ली सैर सपाटे पर.  चलो कोई बात नही लोकसभा अध्यक्ष तो हमारे शहर की अपनी सम्माननीय "ताई" हैं पर वेंकया नायडू जी और अन्य गणमान्य नेतागण भी इंदौर को प्रणाम करने आये थे. क्या इज्जत रह गई हमारे शहर की? बिजली देवी की इस शर्मनाक हरकत ने हमारा मुंह शर्म से नीचा करवा दिया मेहमानों के सामने.

एक तरफ़ तो  हमारे शहर को नंबर वन क्लीन सीटी का अवार्ड मिला है और दूसरी तरफ़ यह हरकत? जी तो करता है खेत फ़ट जाये और बिजली देवी को उसमे दफ़न कर दें….पर क्या करें हमारी भी मजबूरी है. अब ये कोई बात हुई की मेहमान शहर को प्रणाम करने आये हैं और आप उनकी उपस्थिति में इस तरह की शर्मनाक हरकत करें? 

लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि जरूर कोई ना कोई बिना बताये बिजली देवी को बहला फ़ुसला कर ले गया होगा, या यह भी हो सकता है कि उनका अपहरण हुआ हो? कोई भी नहीं मानेगा कि इतनी शरीफ़ और नेक बिजली देवी अपने मन से इस तरह की ओछी हरकत को अंजाम दे सकती हैं. हम तो मांग करते हैं कि इस षड्यंत्र की सीबीआई जांच होनी चाहिए. ये जरूर "प्रणाम इंदौर" कार्यक्रम को विफल करने की विपक्षी साजिश लगती है.  

पहले तो वायु देवता ने जबरन अपना जोर दिखाकर पंडाल उड़ा दिया, पेड़ उखाड़ डाले और सारा ट्रैफिक गुथमगुथा करवा दिया….पाव आधा किलोमीटर चलने में तीन तीन चार चार घंटे लग गये.  फिर इस षड्यंत्र में जल देवता भी शामिल हो गये.  लोगों को बून्द बून्द तरसाने वाले जल देवता ने बिना बात सवा दो इंच पानी सड़कों पर बिखरा दिया जो किसी के काम नही आया बल्कि घुटनों तक सड़क पर भरकर वाहन चालकों को घुटनों पर ला दिया. एक तरफ़ जल देवता ये बहाना बनाकर लोगों को पानी के लिये तरसाते हैं कि अब तुम मनुष्यों ने पर्यावरण बिगाड दिया तो हमारे पास पानी ही नही बचा…..वाह जल देवता आपके पास भी जल की जमाखोरी करके काला बाजारी करने के अच्छे बहाने हैं…..करो आप भी काला बाजारी करो खूब…दिल्ली जल निगम वालों के साथ आप भी मिले हुये लगते हो…

हम तो साफ़ इल्जाम लगा रहे हैं कि यह सब विरोधियों ने साजिश की है. जल देवता व वायु देवता को हवन पूजन की रिश्वत थमाकर इस षडयंत्र को अंजाम दिया गया है. इसके बिना यह सब संभव ही नही था, साथ ही बेचारी सीधी शरीफ़ और नेक बिजली देवी को भी लच्छेदार बातों में फ़ंसाकर इस षडयंत्र में शामिल कर लिया या अपहरण किया, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा.

ऐसा षडयंत्र रचा गया कि सब तरफ़ अफ़रा तफ़री मच गई. “प्रणाम इंदौर” का पंडाल टूट टाटकर शहरियों पर गिरने में पूरा हो गया. इसकी भयावहता देखिये कि मुख्य सेवक यानि मामाजी को  घायलों से मिलने अस्पताल भी जाना पडा और घायलों को पचास पचास हजार मदद के नाम पर भी देना पडे. हम तो अब पछता रहे हैं कि यहां घर में बैठे रहने की बजाय कार्यक्रम में जाकर घायल हो लेते तो पचास हजार की कमाई तो हो ही जाती. 

वैसे है कोई दूसरा माई का लाल ऐसा मुख्य सेवक….जो अपनी प्रजा का इतना ध्यान रखे? हमें तो छत्रपति शिवाजी महाराज की याद आने लगी है…  कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे लोगों में कई घायल हो गये तो लाडली बिटियाओं के प्यारे मामाजी ने पंडाल से निकलने को मना कर दिया और बोले जब तक पंडाल से एक एक आदमी नहीं निकल जाता तब तक मैं बाहर नहीं निकलूंगा और खुद की गाडी भी घायलों को अस्पताल भिजवाने में लगा दी और खुद दूसरी गाडी से रेस्ट हाऊस पहुंचे और फ़िर वहां से अस्पताल पहूंचकर घायलों का हालचाल पता किया. मुख्य सेवक हो तो ऐसा.

इस षडयंत्र से बचे लोग, जो इंदौर को प्रणाम करने नही गये थे और अपने  घरों में ही थे उनको परेशान करने के लिए वायु देवता और जल देवता ने बिजली देवी को भी बहला फुसला कर अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया. वर्ना बिना बहकावे में आये इतनी शरीफ़ बिजली देवी ऐसा कभी नही कर सकती थी.  जिस शहर के लोगों को ये भी नही मालूम हो कि बिजली जाना यानी पावर कट किसे कहते हैं? उनकी हालत आप समझ सकते हैं कि क्या हुई होगी?

दबी जबान से लोग यह भी कहते हुये पाये गये हैं कि  किसान आंदोलन करवा कर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले नेताओं ने ही इन देवी देवताओं को प्रसन्न करके इस षड्यंत्र को अंजाम दिया है…. जिसमे उन्होंने जल व वायु देवता को प्रसन्न किया और कोढ में खुजली करने के लिये बिजली देवी को भी घर से बहला फ़ुसला कर या अपहरण करके लेजाने की सुपारी इन्हीं दोनों देवताओं ने ली थी. कल तक  दूध और सब्जी की मार झेलते शहर को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया गया. 

देवताओं के द्वारा यह  षड्यंत्र किसके कहने पर रचा गया इसकी उच्च स्तरिय जांच होनी चाहिये और जरूरत हो तो एक जेपीसी का गठन भी किया जाना चाहिये.