कुछ ही समय पहले हस्तिनापुर में ऊंटनाथ पार्टी का शासन शुरू हो गया यानि ऊंट खडा हो गया. सांडनाथ व भैंसानाथ पार्टियों ने भीतरघात करते हुये उसके कदम रोकने शुरू कर दिये. ऐसे में ऊंटनाथ पार्टी को कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे?
एक शुभचिंतक ने ऊंटनाथ पार्टी के इकलौते विचारक मेजरीवाल को सलाह दी कि यदि सियासी चालों में सफ़ल होना है और सत्ता की मलाई का रसास्वादन करना है तो ताऊ महाराज धृतराष्ट्र की शरण में जाईये. इन मामलों में महाराज धृतराष्ट्र से ज्यादा अनुभव किसी को नही है.
मेजरीवाल ने अपनी आशंका जाहिर करते हुये कहा कि ताऊ महाराज धृतराष्ट्र तो सांडनाथ और भैंसानाथ पार्टी के सलाहकार हैं फ़िर वो हमको क्यों सलाह देंगे?
शुभचिंतक ने कहा कि ताऊ महाराज धृतराष्ट्र तो बिल्कुल निरपेक्ष आत्मा हैं वो तो बिल्कुल निरपेक्ष भाव से सबको सलाह देते हैं, जैसे चोर को कहेंगे - जा चोरी कर और साहुकार को सलाह देते हैं कि जागते रहना.... आप तो तुरंत ताऊ महाराज के पास जाईये.
मेजरीवाल अपने दो चार पठ्ठों के साथ महाराज के पास राजनैतिक शासन चलाने के लिये सलाह मांगने पधार गये. ताऊ महाराज धृतराष्ट्र उस समय ध्यानस्थ थे और मेजरीवाल को इतना टाईम कहां...उन्हें तो मुख्य मंत्री की कुर्सी के अलावा धरने प्रदर्शन के लिये भी समय निकालना पडता है. पर क्या करें...मजबूरी है...सो मन मार कर बैठे रहे. कुछ समय पश्चात ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बाबा ठांशाराम की मानिंद अवतरित हुये. और दोनों में मंत्रणा शुरू हुई.
मेजरीवाल - ताऊश्री...हम तो फ़ंस गये...अब सरकार कैसे चलायें? यदि हस्तिनापुर की लोकल सरकार (विधान सभा) में उलझे तो हस्तिनापुर की बडी सरकार (लोक सभा) के लिये कैसे जुगाड जमायें? मैंने समर्थन देने वाली ंसांडनाथ पार्टी के लोगों पर FIR भी करवा दी, पर इतने बेशर्म लोग नही देखे जो समर्थन वापस लेते ही नही हैं.....और मैं यह पद छोडकर किस तरह भांगू? महाराज जरा इसका जुगाड बताईये.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - मेजरीवाल जी, इसमे कौन सी बडी बात है? आप नाहक चिंता करते हैं....एक काम किजीये....सांडनाथ और भैंसानाथ पार्टी के बडे बडे नेताओं पर जमकर भ्रष्टाचार के, मिली भगत के बडे बडे झूंठे सच्चे आरोप लगाईये....लगे हाथ ही उनके साथ के कार्पोरेट्स को भी आरोपों से सराबोर कर दिजीये. फ़िर देखिये आपकी इच्छा तुरंत पूरी हो जायेगी....
मेजरीवाल बोले - पर ताऊश्री, सच्चे आरोपों का तो ठीक है पर झूंठे आरोपों का क्या करेंगे? उन आरोपों को सिद्ध कैसे करेंगे?
ताऊ महाराज नाराज होते हुये बोले - मेजरीवाल जी, लगता है आपको राजनीति करना आती नही है जब हस्तिनापुर की विधान सभा नही चला सकते तो हरियाणा प्रदेश में सरकार बनाने का सोच भी कैसे सकते हो? अरे हरियाणा में जगह बनानी है तो जाट नीति सिखीये....वर्ना भूल जाईये हरियाणा और हस्तिना पुर की बडी गद्दी का सपना.....
ताऊश्री की बात बीच में काटते हुये ही मेजरीवाल जी बोले - ताऊ महाराज श्री, अब ये जाट नीति कहां से आगई? अभी तक तो सांडनाथ, भैंसानाथ, थर्ड फ़्रंट और फ़ोर्थ फ़्रंट की नीतियां ही सुनी थी.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र ने मेजरीवाल की अक्ल पर तरस खाते हुये कहा - हद हो गई यार.....राजनीति करने निकले हो और जाट नीति नही जानते? क्या खाक राजनीति करोगे?
मेजरीवाल ने खसियाते हुये ताऊ महाराज धृतराष्ट्र से विनय करते हुये कहा - ताऊश्री, अब आप मुझको यह जाट नीति सिखा ही दीजिये....बडा एहसान होगा आपका हम पर.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - सुनो.....एक बार एक तेली और जाट का झगडा हो गया. तेली हाथ पैर से तो जाट से जीत नही सकता था सो वो जुबान ही चलाता रहा और आखिर में झगडा जब ज्यादा बढ गया तो तेली गुस्से में आकर - जाट रे जाट, तेरे सर पर खाट.... कहते हुये भागने लगा
जाट ने जब ये सुना तो गुस्से में अपना लठ्ठ उठाकर तेली के पीछे भागते हुये चिल्लाया- तेली रे तेली, तेरे सर पर कोल्हू.....
जाट का जुमला सुनकर तेली बोला - तेली और कोल्हू का जुमला मिला नही...
जाट बोला - अबे बावलीबूच....जुमला नही मिला तो मत मिलने दे..जब सर पर कोल्हू लिये सारा दिन घूमेगा तो नानी याद आ जायेगी तेरे को.
यह कहानी सुनाकर ताऊ महाराज बोले - अब समझ आ गई जाटनीती कि और समझाऊं?
मेजरीवाल गदगद होकर बोले - महाराज श्री, सब समझ गया...अब जाट की तरह मैं भी झूंठे सच्चे, उल्टे सीधे, जो भी दिमाग मे आयेगा वो आरोप लगाना शुरू कर दूंगा...अगले उसी में उलझे रहेंगे...और मेरा काम बन जायेगा.
अब मेजरीवाल कंपनी ने सांडनाथ और भैंसानाथ पर अनर्गल आरोपों की झडी लगा दी...फ़िर भी सांडनाथ पार्टी ने अपना समर्थन वापस नही लिया तो मेजरीवाल घबरा कर फ़िर ताऊ महाराज धृतराष्ट्र की शरण में चले गये और बोले - ताऊ श्री, हमने उन पर इतने झूंठे सच्चे आरोप लगाये...अम्मा और युवराज के नाम पर भी आरोप लगाये...लिस्ट जारी कर दी...पर पता नही ये कैसे बेशर्म लोग हैं कि समर्थन वापस ही नही लेते....महाराज कुछ तो पक्का उपाय बताईये कि सांडनाथ पार्टी समर्थन वापस खींच ले और हमारी जान छूटे और हम आसानी से हस्तिनापुर की बडी गद्दी (लोकसभा) का चुनाव लड लें.... आप तो कोई परफ़ेक्ट तरीका बताईये कि सांप भी मर जाये और मेरी झाडू भी बची रहे पर सामने वाले की लाठी टूट जाये.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - वत्स मेजरीवाल....अब एक काम कर....."जन ठोक पाल" पास करवा...तेरा कल्याण अवश्य होगा.
मेजरीवाल बोले - पर महाराज श्री...जन ठोकपाल पास करवाना लोक सभा के अधिकार में है उसे दिल्ली विधान सभा में पास नही करवाया जा सकता...इसमे संवैधानिक अडचन है.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - अरे ओ बावलीबूच मेजरीवाल....तेरे को जब इतनी ही संविधान की फ़िक्र है तो काहे को मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री बनने का ख्वाब देख रहा है? तू ये बता, जब तूने सामने वालों पर बिना आधार के आरोप लगाये जिनका कोई सबूत ही नही है, वो संवैधानिक था क्या? तूने सब बडे नेताओं को चोर बेईमान कह दिया, उसका कोई सबूत है क्या?
मेजरीवाल बोले - महाराज कुछ के तो सबूत हैं पर कुछ के नही...बस यूं ही आप के कहने पर लगा दिये थे पर उन बेशर्मों को कोई शर्म भी नही आती.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - हां अब समझ आया ना.....आरोप लगाना पहली स्टेज थी. अब बस इसी तरह मजे मजे में घोषणा कर दे कि "जन ठोक पाल" दिल्ली विधान सभा में पारित करवाऊंगा....और ये तेरे को मालूम ही है कि यह पास नही हो सकता और बस पतली गली से भाग लेना.....समझ गया ना या और समझाऊं?
मेजरीवाल को जैसे परम ज्ञान मिल गया हो...अपनी खांसी को रोकते हुये बोले - वाह ताऊ महाराज, आपने तो सही सलाह दे दी...बस यह जन ठोक पाल विधान सभा में रखवा दूंगा....और सांडनाथ व भैंसानाथ इसको सपोर्ट नही करेंगे...बिल गिर जायेगा...और मेरा छुटकारा हो जायेगा....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - अरे..तू रहा बावलीबूच का बावलीबूच ही......बिल को हर्गिज भी विधान सभा में मत ले जाना...उसके पहले ही कन्नी काट लेना...समझ गया ना? अगर बिल विधान सभा में ले गया तो तेरा इस मुख्य मंत्री की कुर्सी से पीछा छूटने वाला नही है.....बस यह कहकर इस्तीफ़ा भिजवा देना कि जन ठोक पाल के लिये हजारों मुख्य मंत्रियों की कुर्सियां कुर्बान.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र के वचन सुनकर मेजरीवाल जी अति गदगद हो गये और ताऊश्री को साष्टांग दंडवत कर वहां से सीधे अगली जन ठोक पाल की रणनीति पर विचार करते हुये हस्तिनापुर की केंद्रीय सरकार के मुखिया बनने के सपने बुनने शुरू कर दिये.
चुनावी साल में पांच हजार साल के राजनिती के अनुभवी "ताऊ महाराज धृतराष्ट्र" के अनुभव से लाभ उठाईये....हमारे विशेष पैकेज निम्नानुसार हैं :-
*जिसको भी चुनाव लडना हो...
**सरकार बनानी हो....सरकार गिरानी हो.....
***अपने पक्ष में सर्वे रिपोर्ट करवाना हो...
****उम्मीदवारों के चयन में सहायता लेना हो...
*****चुनाव हारना या हरवाना हो...
******चुनाव जीतना या जितवाना हो...
*******किसी की खाट आडी या खडी करवाना हो....
********गठबंधन करना हो....गठबंधन तुडवाना हो.....
हर तरह के राजनैतिक मर्ज का तुरंत हल....
एक शुभचिंतक ने ऊंटनाथ पार्टी के इकलौते विचारक मेजरीवाल को सलाह दी कि यदि सियासी चालों में सफ़ल होना है और सत्ता की मलाई का रसास्वादन करना है तो ताऊ महाराज धृतराष्ट्र की शरण में जाईये. इन मामलों में महाराज धृतराष्ट्र से ज्यादा अनुभव किसी को नही है.
मेजरीवाल ने अपनी आशंका जाहिर करते हुये कहा कि ताऊ महाराज धृतराष्ट्र तो सांडनाथ और भैंसानाथ पार्टी के सलाहकार हैं फ़िर वो हमको क्यों सलाह देंगे?
ऊंटनाथ पार्टी को राजनैतिक ज्ञान देते हुये ताऊ महाराज धृतराष्ट्र
शुभचिंतक ने कहा कि ताऊ महाराज धृतराष्ट्र तो बिल्कुल निरपेक्ष आत्मा हैं वो तो बिल्कुल निरपेक्ष भाव से सबको सलाह देते हैं, जैसे चोर को कहेंगे - जा चोरी कर और साहुकार को सलाह देते हैं कि जागते रहना.... आप तो तुरंत ताऊ महाराज के पास जाईये.
मेजरीवाल अपने दो चार पठ्ठों के साथ महाराज के पास राजनैतिक शासन चलाने के लिये सलाह मांगने पधार गये. ताऊ महाराज धृतराष्ट्र उस समय ध्यानस्थ थे और मेजरीवाल को इतना टाईम कहां...उन्हें तो मुख्य मंत्री की कुर्सी के अलावा धरने प्रदर्शन के लिये भी समय निकालना पडता है. पर क्या करें...मजबूरी है...सो मन मार कर बैठे रहे. कुछ समय पश्चात ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बाबा ठांशाराम की मानिंद अवतरित हुये. और दोनों में मंत्रणा शुरू हुई.
मेजरीवाल - ताऊश्री...हम तो फ़ंस गये...अब सरकार कैसे चलायें? यदि हस्तिनापुर की लोकल सरकार (विधान सभा) में उलझे तो हस्तिनापुर की बडी सरकार (लोक सभा) के लिये कैसे जुगाड जमायें? मैंने समर्थन देने वाली ंसांडनाथ पार्टी के लोगों पर FIR भी करवा दी, पर इतने बेशर्म लोग नही देखे जो समर्थन वापस लेते ही नही हैं.....और मैं यह पद छोडकर किस तरह भांगू? महाराज जरा इसका जुगाड बताईये.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - मेजरीवाल जी, इसमे कौन सी बडी बात है? आप नाहक चिंता करते हैं....एक काम किजीये....सांडनाथ और भैंसानाथ पार्टी के बडे बडे नेताओं पर जमकर भ्रष्टाचार के, मिली भगत के बडे बडे झूंठे सच्चे आरोप लगाईये....लगे हाथ ही उनके साथ के कार्पोरेट्स को भी आरोपों से सराबोर कर दिजीये. फ़िर देखिये आपकी इच्छा तुरंत पूरी हो जायेगी....
मेजरीवाल बोले - पर ताऊश्री, सच्चे आरोपों का तो ठीक है पर झूंठे आरोपों का क्या करेंगे? उन आरोपों को सिद्ध कैसे करेंगे?
ताऊ महाराज नाराज होते हुये बोले - मेजरीवाल जी, लगता है आपको राजनीति करना आती नही है जब हस्तिनापुर की विधान सभा नही चला सकते तो हरियाणा प्रदेश में सरकार बनाने का सोच भी कैसे सकते हो? अरे हरियाणा में जगह बनानी है तो जाट नीति सिखीये....वर्ना भूल जाईये हरियाणा और हस्तिना पुर की बडी गद्दी का सपना.....
ताऊश्री की बात बीच में काटते हुये ही मेजरीवाल जी बोले - ताऊ महाराज श्री, अब ये जाट नीति कहां से आगई? अभी तक तो सांडनाथ, भैंसानाथ, थर्ड फ़्रंट और फ़ोर्थ फ़्रंट की नीतियां ही सुनी थी.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र ने मेजरीवाल की अक्ल पर तरस खाते हुये कहा - हद हो गई यार.....राजनीति करने निकले हो और जाट नीति नही जानते? क्या खाक राजनीति करोगे?
मेजरीवाल ने खसियाते हुये ताऊ महाराज धृतराष्ट्र से विनय करते हुये कहा - ताऊश्री, अब आप मुझको यह जाट नीति सिखा ही दीजिये....बडा एहसान होगा आपका हम पर.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - सुनो.....एक बार एक तेली और जाट का झगडा हो गया. तेली हाथ पैर से तो जाट से जीत नही सकता था सो वो जुबान ही चलाता रहा और आखिर में झगडा जब ज्यादा बढ गया तो तेली गुस्से में आकर - जाट रे जाट, तेरे सर पर खाट.... कहते हुये भागने लगा
जाट ने जब ये सुना तो गुस्से में अपना लठ्ठ उठाकर तेली के पीछे भागते हुये चिल्लाया- तेली रे तेली, तेरे सर पर कोल्हू.....
जाट का जुमला सुनकर तेली बोला - तेली और कोल्हू का जुमला मिला नही...
जाट बोला - अबे बावलीबूच....जुमला नही मिला तो मत मिलने दे..जब सर पर कोल्हू लिये सारा दिन घूमेगा तो नानी याद आ जायेगी तेरे को.
यह कहानी सुनाकर ताऊ महाराज बोले - अब समझ आ गई जाटनीती कि और समझाऊं?
मेजरीवाल गदगद होकर बोले - महाराज श्री, सब समझ गया...अब जाट की तरह मैं भी झूंठे सच्चे, उल्टे सीधे, जो भी दिमाग मे आयेगा वो आरोप लगाना शुरू कर दूंगा...अगले उसी में उलझे रहेंगे...और मेरा काम बन जायेगा.
अब मेजरीवाल कंपनी ने सांडनाथ और भैंसानाथ पर अनर्गल आरोपों की झडी लगा दी...फ़िर भी सांडनाथ पार्टी ने अपना समर्थन वापस नही लिया तो मेजरीवाल घबरा कर फ़िर ताऊ महाराज धृतराष्ट्र की शरण में चले गये और बोले - ताऊ श्री, हमने उन पर इतने झूंठे सच्चे आरोप लगाये...अम्मा और युवराज के नाम पर भी आरोप लगाये...लिस्ट जारी कर दी...पर पता नही ये कैसे बेशर्म लोग हैं कि समर्थन वापस ही नही लेते....महाराज कुछ तो पक्का उपाय बताईये कि सांडनाथ पार्टी समर्थन वापस खींच ले और हमारी जान छूटे और हम आसानी से हस्तिनापुर की बडी गद्दी (लोकसभा) का चुनाव लड लें.... आप तो कोई परफ़ेक्ट तरीका बताईये कि सांप भी मर जाये और मेरी झाडू भी बची रहे पर सामने वाले की लाठी टूट जाये.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - वत्स मेजरीवाल....अब एक काम कर....."जन ठोक पाल" पास करवा...तेरा कल्याण अवश्य होगा.
मेजरीवाल बोले - पर महाराज श्री...जन ठोकपाल पास करवाना लोक सभा के अधिकार में है उसे दिल्ली विधान सभा में पास नही करवाया जा सकता...इसमे संवैधानिक अडचन है.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - अरे ओ बावलीबूच मेजरीवाल....तेरे को जब इतनी ही संविधान की फ़िक्र है तो काहे को मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री बनने का ख्वाब देख रहा है? तू ये बता, जब तूने सामने वालों पर बिना आधार के आरोप लगाये जिनका कोई सबूत ही नही है, वो संवैधानिक था क्या? तूने सब बडे नेताओं को चोर बेईमान कह दिया, उसका कोई सबूत है क्या?
मेजरीवाल बोले - महाराज कुछ के तो सबूत हैं पर कुछ के नही...बस यूं ही आप के कहने पर लगा दिये थे पर उन बेशर्मों को कोई शर्म भी नही आती.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - हां अब समझ आया ना.....आरोप लगाना पहली स्टेज थी. अब बस इसी तरह मजे मजे में घोषणा कर दे कि "जन ठोक पाल" दिल्ली विधान सभा में पारित करवाऊंगा....और ये तेरे को मालूम ही है कि यह पास नही हो सकता और बस पतली गली से भाग लेना.....समझ गया ना या और समझाऊं?
मेजरीवाल को जैसे परम ज्ञान मिल गया हो...अपनी खांसी को रोकते हुये बोले - वाह ताऊ महाराज, आपने तो सही सलाह दे दी...बस यह जन ठोक पाल विधान सभा में रखवा दूंगा....और सांडनाथ व भैंसानाथ इसको सपोर्ट नही करेंगे...बिल गिर जायेगा...और मेरा छुटकारा हो जायेगा....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - अरे..तू रहा बावलीबूच का बावलीबूच ही......बिल को हर्गिज भी विधान सभा में मत ले जाना...उसके पहले ही कन्नी काट लेना...समझ गया ना? अगर बिल विधान सभा में ले गया तो तेरा इस मुख्य मंत्री की कुर्सी से पीछा छूटने वाला नही है.....बस यह कहकर इस्तीफ़ा भिजवा देना कि जन ठोक पाल के लिये हजारों मुख्य मंत्रियों की कुर्सियां कुर्बान.....
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र के वचन सुनकर मेजरीवाल जी अति गदगद हो गये और ताऊश्री को साष्टांग दंडवत कर वहां से सीधे अगली जन ठोक पाल की रणनीति पर विचार करते हुये हस्तिनापुर की केंद्रीय सरकार के मुखिया बनने के सपने बुनने शुरू कर दिये.
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चुनावी साल में पांच हजार साल के राजनिती के अनुभवी "ताऊ महाराज धृतराष्ट्र" के अनुभव से लाभ उठाईये....हमारे विशेष पैकेज निम्नानुसार हैं :-
*जिसको भी चुनाव लडना हो...
**सरकार बनानी हो....सरकार गिरानी हो.....
***अपने पक्ष में सर्वे रिपोर्ट करवाना हो...
****उम्मीदवारों के चयन में सहायता लेना हो...
*****चुनाव हारना या हरवाना हो...
******चुनाव जीतना या जितवाना हो...
*******किसी की खाट आडी या खडी करवाना हो....
********गठबंधन करना हो....गठबंधन तुडवाना हो.....
हर तरह के राजनैतिक मर्ज का तुरंत हल....
मूल्य सूची मंगवाने के लिये "ताऊ टीवी" से संपर्क किजीये.
नोट - हम सिर्फ़ राजनैतिक गठबंधन ही जुडवाते और तुडवाते हैं, वैवाहिक नही.
ऊँट पर बैठने की यही हानि है कि नीचे बैठने वाले सब छोटे लगने लगते हैं।
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteतुक मिले ना मिले बोझ तै मरेगा
प्रणाम स्वीकार करें
http://vashisthhospital.blogspot.in/2014/02/bina-ticket-yatra.html?showComment=1392786829922#c6534147833328202678
ReplyDeleteहा हा ताऊ ... मेजरिवाल को लगता है अगला प्रधानमन्त्री बनवा के ही छोडोगे आप ...
ReplyDeleteठोक-पाल का सही नुस्खा हाथ में थमाया ...
ताऊ (भाई) जी ,,आपका अंदाज़े-बयाँ और तीरे निशाँ दोनों का निशाना सही है ..प्रवचन जारी रहे,भला होकर रहेगा ..शुभकामनायें!
ReplyDeleteहस्तिनापुर में ऊंटनाथ पार्टी का शासन शुरू हो गया ,,,,, - अरे ओ बावलीबूच मेजरीवाल :) :)
ReplyDeleteहम लाभान्वित हुए..
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ReplyDeleteदेखते है ताऊ महाराज के राजनितिक अनुभव पूर्ण सलाह से मेजरीवाल कितना फायदा उठाते है !
शुरू से अंत तक संपूर्ण पोस्ट मजेदार है :)
ताऊ मन्ने लगे ह्वै कि देश का सबसे कीमती हीरा हो।
ReplyDeleteइत्ती सियासी समझ लुक छिप के मुखौटा लगाय काहे बैठे हो
ज़बरदस्त .... रोचक और प्रासंगिक :)
ReplyDeleteसटीक नुस्खा ! जय हो ....
ReplyDeleteRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र के अनुभव का बढ़िया फायदा उठाया मेजरिवल ने!
ReplyDeleteरोचक पोस्ट है.
सभी पैकेज भी बढ़िया हैं और सही समय पर आये हैं ..
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र के अनुभवों का लाभ ले कर एक नयी पार्टी बनायी जा सकती है...
प्रभावी और रोचक पोस्ट ....
ReplyDeleteअच्छे तीर छोड़े हैं !
ReplyDelete:)
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ReplyDeleteशुभचिंतक ने कहा कि ताऊ महाराज धृतराष्ट्र तो बिल्कुल निरपेक्ष आत्मा हैं वो तो बिल्कुल निरपेक्ष भाव से सबको सलाह देते हैं, जैसे चोर को कहेंगे - जा चोरी कर और साहुकार को सलाह देते हैं कि जागते रहना.... आप तो तुरंत ताऊ महाराज के पास जाईये.
सुन्दर है श्रीमान !सटीक और प्रासंगिक है मेजरीवाल अब सबकी डेमोक्रेसी (ऐसी की तैसी )न करेंगे
सुन्दर है श्रीमान !सटीक और प्रासंगिक है मेजरीवाल अब सबकी डेमोक्रेसी (ऐसी की तैसी )न करेंगे
ReplyDeleteताऊ महाराज की जय .... मेजरिवाल की जान बचा दी . बढ़िया व्यंग्य
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति...देखते हैं ऊंट अब किस करवट बैठता है...
ReplyDelete
ReplyDeleteअति सुन्दर समर्थ व्यंग्य बाण
ताऊ और ताऊ जी की ब्लॉग टीम रामप्यारे ,रामप्यारी आदि सभी को होली पर्व की अनेकों शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteताऊ सलाह जायेकेदार....
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी टिप्पणियों का बधाई नुकीले व्यंग्य -लेखन की :
ReplyDeleteदिल में मोदी घर में मोदी ,
भारत के कण कण में मोदी।
कुछ के लिए रावण ,
कुछ के महादेव मोदी ,
सियासत के हर रंग
मोदी ,झांग -मृदंग मोदी
महादेव हर -हर,
मोदी घर घर।
वाह ताऊ जी... आपकी खाट तले तो कई बिलाऊ हैं!!
ReplyDeleteताऊ महाराज की जय हो! नव-संवत्सर पर हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteजय हो !
ReplyDeleteमजरीवाल ठोक पाल....
ReplyDeleteआपकि बहुत अच्छी सोच है, और बहुत हि अच्छी जानकारी।
जरुर पधारे HCT- Hindi Computer Tips
जय हो !!!
ReplyDeleteकुछ दिन पहले आप की कोई भी साईट नहीं दिख रही थी ,अच्छा लगा आप के ब्लॉग वापस देखकर .इमेल भी बाउंस हो गया था .आशा है सब खैरियत है!नयी पोस्ट की प्रतीक्षा है.सादर.
ReplyDeleteताऊजी की सलाह काम आगी मेजरीवाल जी को।
ReplyDelete