ताऊ पहेली - 63





होली पर्व पर आपको हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं! होली के इस पावन और सोहाद्र वर्धक पर्व पर रामप्यारी मैम ने होली के रंग अपने स्टुडेंट्स के साथ खेले. सभी स्टूडेंट्स ने बहुत उत्साहपूर्वक इस रंगों के पर्व मे भाग लिया. नाटी समीर बाबा ने बाल्टी मे रंग भरकर और राज बाबा ने थाली मे गुलाल लेकर सभी को रंगों से नहला दिया. इस अवसर के दो दुर्लभ चित्र देखिये.


रामप्यारी मैम ब्लागर्स स्ट्रीट मे होली खेलते हुये!


उपरोक्त चित्र में रामप्यारी मैम ब्लागर्स स्ट्रीट में अपने प्यारे स्टुडेंट्स नाटी समीर बाबा, आदि,, अक्षयांशी, बालक मकरंद , लविजा, नैना छौक्कंर, जादू, चंगू-मंगू, राज बाबा एवम अन्य सम्मानित ब्लागर्स के साथ होली खेलते हुये!

आईये अब आज की पहेली की तरफ़ चलते हैं.

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

ताऊ पहेली अंक 63 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.

विनम्र विवेदन

कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा. आपसे निवेदन है कि स्पष्ट जवाब देवें कि यह कौन सा मंदिर है? और किस राज्य या जिले या शहर या गाँव में है?

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है. अब नीचे के चित्र को देखकर ब्ताईये कि यह कौन सा मंदिर है? और किस राज्य या जिले या शहर या गाँव में है?

यह कौन सा मंदिर है? और किस राज्य या जिले या शहर या गाँव में है?

ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे

अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
जरुरी सूचना:-

टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.

इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा


नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.

मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

नोट : – ताऊजी डाट काम पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

"खाये वो जूते तेरी गली में सनम"


सभी देवियों और सज्जनों को रमलू सियार की रामराम. सोचता हूं कि जंगल की कुछ असलियत से आपको वाकिफ़ करवा ही दूं आज. अब बस बहुत हो गया. आजकल चारों तरफ़ बडा शोरगुल मचा हुआ है बाघ बचाओ..शेर बचाओ..ये बचाओ वो भगाओ. क्या आपने कभी सोचा कि आज सबसे ज्यादा जरुरत किसे बचाने की है? नही ना. आप क्युं सोचने लगे? आपने तो बस कहीं पढा और हो गये शुरु बाघ बचाने को. कहीं इस तरह कोई बचाया जाता तो आज राजशाही सबसे पहले बची होती. क्या हुआ राजशाही का? इतनी जद्दोजहद के बाद भी अब शायद "ईन मीन ढाई तीन" देशों मे भी बची हो तो बची हो. जैसे आज आपके बाघ महाराज. बचने के लिये खुद बचने वाले मे भी तो दम होना चाहिये कि नही?

मैं इस लिये कह रहा हूं कि शेर महाराज भी राजशाही का ही प्रतीक हैं और जिस तरह दुनियां में राजशाही नाम मात्र को बची हुई है इक्का दुक्का... उसी तरह अब शेर भी इक्का दुक्का पिंजरो में ही मिलेंगे. जंगल मे तो अब बचने से रहे.

असल मे शेर साहब की इस हालत के वो खुद ही जिम्मेदार हैं. वो तो नेता अफ़सर शेर बाघ बचाओ के नाम पर बजट अलोकेट करवाने के लिये हा हल्ला मचाते हैं क्योंकि आजकल बजट का मौसम चल रहा है. वैसे उनको ज्यादा कुछ इनको बचाने से लेना देना नही है. बस बजट का पैसा खा पीकर फ़िर अगले अलोकेशन के लिये अगले बजट के पहले चीख पुकार मचायेंगे. बचाना किसी को नही है.

ये तो आरक्षण देने जैसा काम होगया. अब ये कोई समस्या का हल नही है. आप जबरन कब तक शेर को बचायेंगे? अरे आप यह तो सोचिये कि शेर के जितना मठ्ठा (नाकारा) जीव नही देखा गया दुनियां में. अब आप कहेंगे कि यार रमलू भिया.. ..आज क्या इतने दिन पहले ही होली की भंग पी ली क्या? तो रमलू सियार ने भंग वंग कुछ नही पी है. रमलू तो खरी बात कहता है. किसी को बुरी लगे तो अपनी बला से. रमलू को कौन सा आरक्षण चाहिये किसी से?

ये शेर इतना नाकारा जानवर है कि इसे तो जिंदा रहने का कोई हक ही नही है. आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दिजिये, आपको शायद जवाब स्वत: ही मिल जायेंगे.

आप लोग अपने बीबी बच्चों की परवरिश करते हैं कि नही?
सारा दिन कामधंधा या नौकरी करते हैं कि नही?
शाम को घर जाते हैं तो पत्नियों की डांट फ़टकार बोनस में मिलती है कि नही? और इस बोनस को ना चाहते हुये भी आप देवी प्रसाद समझ कर ग्रहण करते हैं कि नही?

इस सबके बावजूद भी आप उफ़्फ़ नही करते. यानि जैसे तैसे दिन गुजारते हैं और बहुत हुआ तो दीन हीन पति परमेश्वर संघ की गुपचुप मेंबरशिप ले लेते हैं. होना जाना वहां भी कुछ नही है. बस सिर्फ़ एन्युअल मेंबरशिप फ़ीस भरने का खर्चा और बंध गया.

और एक तरफ़ इन मठ्ठे शेरू महाराज को देखिये... इनके लिए तो शिकार भी शेरनी भाभीजी ही करती है. और शिकार करने के बाद, मजाल शेरनी भाभी की, जो उसे खाना तो दूर..छू भी ले? भाभीजी शिकार करके अलग खडी हो जाती है और शेर भाई साहब बडी शान से खरामा खरामा चल कर आयेंगे ..फ़िर छककर भोग लगायेंगे. अगर उनका पेट भर गया तो फ़िर बच्चों को दो निवाले मिलेंगे और फ़िर कहीं किस्मत से बचा तो भाभीजी के पेट मे दो कौर जायेंगे.

एक दिन शेरनी भाभी जी नदी किनारे चट्टान पर उदास सर टिकाये कुछ सोच मे बैठी थी. मैने आग लगाने का सही मौका ताड कर भाभी जी के कान भरने शुरु किये - भाभीजी आप शहर वाली आंटियों और भाभीजियों से कुछ सीखती क्युं नही? मुझे तो आपको देख देख कर आप पर दया आती है ...कितना काम करती हैं आप? और एक उन शहर वालियों को देखिये क्या ऐशोआराम से दिन भर टीवी देखती हैं और हुकुम चलाती है मियां जी पर, वो मुफ़्त में. और कई बार तो सरदर्द का बहाना बनाकर सर भी दबवा लेती हैं. और ताई जैसी हो तो दिन मे एक दो बार किसी भी बहाने से दो चार मेड-इन-जर्मन का प्रसाद भी दे कर हाथ साफ़ कर डालती है.

अब शेरनी भाभीजी को मेरी बातों मे इंट्ररेस्ट आया तो कहने लगी - रमलू भिया..पूरी बात बताओ ना...क्या शहर वालियां सचमुच इतने ऐशो आराम में रहती हैं कि उनको शिकार पर भी नही जाना पडता और घर बैठे खाना भी मिल जाता है?

उदास शेरनी भाभीजी से बातचीत करता हुआ रमलू सियार


मैने कहा - अरे भाभीजी, जमाना कहां का कहां पहुंच गया? और एक आप हैं जो अभी भी शेर महाराज की आज्ञाकारिणी बनी घूमती हैं. आपके ही लाड प्यार का नतीजा है जो शेर भाईसाहब इतने नाकारा होगये कि अब खुद की रक्षा भी नही कर सकते. बहुत शर्म की बात है कि अब राजा की रक्षा करने के लिये प्रजा से निवेदन करना पड रहा है. कैसा लगेगा जब शेरू महाराज की रक्षा पिंजरों मे डालकर की जायेगी?

शेरनी भाभीजी बोली - रमलू भिया, ये तो शर्म की बात ही होगी पर तुम जरा सच सच बताना कि शहर वाली भाभीजीयां भाई साहब लोगों पर इतनी ज्यादतियां कर लेती हैं और भाई साहब लोग फ़िर भी उनके आगे दुम हिलाते रहते हैं? तुम्हारे शेर भाईसाहब तो जब देखो तब बस गुर्राया ही करते हैं. मैं भी कितनी अभागी हूं जो यहां इनके पल्ले पड गई. हाय अगर मैं भी ताई की जगह होती तो रोज सुबह शाम मेड-इन-जर्मन से हाथ साफ़ करती.

और मैने शेरनी भाभी की मनोदशा समझते हुये लगे हाथ आग मे घी डालते हुये उन्हें ब्लाग जगत के बारे मे भी ज्ञान दे डाला. और चुनिंदा महिला ब्लाग पढ कर अपनी समस्या को उन पर उठाने की सलाह भी दे डाली.

यह तो मैंने आपको बताई इन शेर और बाघ महाराज की पारिवारिक स्थिति. तो ऐसे निखट्टू शेर को बचाकर भी आप क्या कर लेंगे? हराम का शिकार खा खा कर इनकी गर्दन इतनी मोटी हो चुकी है कि ये पीछे मुड कर देखना तो दूर..दायें बांये भी नहीं देख सकते. अब ऐसे में ये शिकारी से अपनी रक्षा कैसे करेंगे.

भाईयों और बहनों अगर आपको बचाना ही है तो रमलू सियार को बचाईये. बस आंख बंद करके रमलू सियार का अंधा समर्थन किजिये.... फ़िर देखिये कैसे मैं शेर तो क्या शेर के अब्बा को भी जिंदा खडा करवा दूंगा. अरे कैसे नही जिंदा होंगे शेर के अब्बू? जांच आयोग बैठा दूंगा...

आप तो ये समझ लिजिये कि अगर आपने रमलू सियार को बचा लिया ...और रमलू का समर्थन करते रहे तो शेर और बाघ तो अपने आप बच ही जायेंगे बोनस में. शेर की इससे ज्यादा औकात भी नही है. शेर की सारी औकात शेरनी भाभीजी के हाथ में और आजकल शेरनी भाभी सिर्फ़ रमलू सियार की ही बात मानती हैं. अब आप कहेंगे - यार रमलू भिया ये ताऊ के साथ रहते रहते तू भी पहेलियां बहुत बुझाने लग गया?

तो भाईयो अगर आपकी बुद्धि इतनी ही मोटी है तो पूरी बात समझा कर कहता हूं. आप जानते हैं कि एक रमलू सियार ही है जिसकी शेर से दुश्मनी होने के बाद भी शेरनी भाभीजी से सीधे बातचीत होती है. अगर रमलू जिंदा रहेगा और रमलू पावर में रहा तो वो भाभीजी के कानों में शहर वाली भाभीजीयों के ऐशोआराम वाली बात हमेशा डालता रहेगा. कभी तो असर होगा ही. और जिस दिन असर होगया..समझ लिजिये उस दिन शेर बच गया.

अब आप कहेंगे कि - रमलू ये तो तूने बात को और उलझा दिया.

तो नही जनाब...बात यहां आकर ही तो सुलझेगी. अरे जब सुबह पहले शेरनी भाभी ---शेर भाई साहब को कान पकड कर ऊठायेगी और कहेगी कि -- जावो जी..आज जरा जल्दी से दो तीन खरगोश तो नाश्ते के लिये ले आवो अभी की अभी. और दोपहर के खाने मे सोचती हूं..बहुत दिनों से जंगली भैंसा नही पकाया..तो वो लेते आना...रोज रोज इम्पाला खाते खाते...मुंह का स्वाद ही बिगड गया...अब जावो फ़टाफ़ट..अब मेरी तरफ़ क्या उल्लू की तरह देख रहे हो? बच्चों के लिये नाश्ते मे देर होरही है...फ़टाफ़ट आना...कहीं रास्ते मे मत बैठ जाना...और सुनो जब जा ही रहे हो तो लौटते में झुनकू भेडिये की लांड्री से मेरी सिल्क वाली साडी लेते आना...शाम को रुलदू हाथी जी के यहां शादी मे भी जाना है.

जब शेर जी को ऐसी मशक्कत करनी पडेगी रोज रोज..तब इस मेहनत से उनकी सारी चर्बी छंट जायेगी..शरीर सेहत मंद बनेगा...इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होगा... किसी शिकारी की शेर साहब की तरफ़ आंख ऊठाने की मजाल भी नही होगी...और भाईयों इससे एक और असली ताकत फ़ाईट करने के लिये शेर साहब में आयेगी जो शायद आपने अभी तक भी नहीं सोची होगी? और इसकी वजह से शेरनी भाभी की पारिवारिक खुशियां भी लौट आयेंगी.

आप सोच रहे होंगे कि ये और कौन सी ताकत बची रह गई जो शेर साहब का पारिवारिक जीवन सुखी कर देगी?

अरे भाइयों ...जब शेर साहब आपकी तरह मेहनत करने लगेंगे तब आपकी ही तरह थक कर मनोरंजन के लिये ब्लागिंग भी करने लगेंगे. और आफ़िस से लौटते ही आपकी तरह सीधे कंप्युटर पर लपकेंगे...यानि शेरनी भाभी से चक चक का कोई मौका ही नही मिलेगा... और जब ब्लागिंग करेंगे तब उनका सारा गुस्सा खीज..सब कुछ यहीं ब्लागिंग मे लोगों को गरियाते हुये..अनामी टिप्पणीयां करते हुये...निकल जाया करेगी जो कि अभी शेरनी भाभी पर निकलती है.... और ब्लागिंग मे जिस रोज कोई सियार ब्लागर मिल जायेगा तब उनकी सारी खीज यहीं उतार देगा..और शेर साहब भी खी..खी..करके हंसना भी सीख जायेगें...भले ही खीझ मिटाने के लिये ही हो...तो हुआ ना डबल फ़ायदा.

और एक फ़ायदा...जब शेरू महाराज ब्लागिंग के एडिक्ट होजायेंगे तब असली मजा आयेगा...यानि कि वो ब्लागिंग के नशे मे शेरनी भाभी की बातों की आपकी तरह अनदेखी करने लगेंगे और फ़िर लपक कर भाभी के जूते खायेंगे...और साथ में मेड-इन-जर्मन भी पडेंगे..जिससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होकर इम्युनिटी बढेगी.

पर भाईयों इसके लिये आपको रमलू सियार को बचाना होगा...रमलू जिंदा रहा तो शेर, बाघ ..जंगल सब कुछ बच जायेंगे. मैं आपसे हाथ जोडकर निवेदन करता हूं कि बाघ को बचाने के लिये प्लिज..प्लिज आप सबसे पहले मुझे बचाईये. भाईयो ये समझ लिजिये कि रमलू सियार को बचाकर ही आप शेर, बाघ, जंगल बचा सकते हैं...रमलू सियार नही तो फ़िर कोई नही....

जब मैं ब्लॉगजगत के बारे में शेरनी भाभीजी को बता रहा था तो मुझे तरही मुशायरे की याद आई हां वो मिसरा क्या था...हां याद आया :......"खाये वो जूते तेरी गली में सनम कि आज तक भूख् ना लगी ताऊ" हाँ, यही मिसरा तो दिया है शायद मास्साब ने..आज गज़ल लिख कर ही मानूँगा लेकिन बिना शेर के गज़ल कैसी. इसके लिए शेर तो बचाना ही पड़ेगा.

भूख नहीं लगती ताऊ को, जबसे जूते पड़े गली में
सांस अटक जाती है उसकी, जाने तबसे उसी नली में,
ताऊ को तो काम क्या है, शेर बचाना काम बचा है,
बिन बिजली तो जीना आता, पानी मिलता नहीं तली में


-आपका रमलू सियार

अब ताऊ प्रोडक्टस के बारे में:-

पिछली पोस्ट में हमने एक इश्तिहार दिया था कि "ताऊ रुपकंचन लेप" के लिये हमें माडल्स चाहिये. तो हमें वाणीगीत जी ने इशारा किया कि ताई कहां है?...तो सबसे पहले तो आप उनकी टिप्पणी युं की युं पढें फ़िर आगे की कथा सुने.....


वाणी गीत said...
ताऊ एक चिकना गोल पत्थर है ...अब आत्मकथा में बाकी क्या रहा ...
हमें तो उन गधे गधियों की चिंता है जो आपकी आत्मकथा के लपेटे में आने वाले हैं ...:):)
ताऊ रूप कंचन लेप के लिए मॉडल की कहाँ आवश्यकता है ...ताई कहाँ हैं ...??....:):)

मस्त झक्कास पोस्ट ....आभार ...!!

Tuesday, February 23, 2010 5:13:00 AM


वाणीजी की सलाह मानते हुये हमने ताई को यह लेप प्रयोग करने के लिये दिया और इसके चमत्कारी प्रभाव आप खुद अपनी आंखों से देखिये!

oldladyhairweb “ताई” रुपकंचन-लेप” इस्तेमाल के पहले ....

old-to-new और “रुपकंचन लेप” इस्तेमाल के बाद ....


ओह..मुझे यकीन ही नही होता कि ये मैं हूं. वाकई कमाल होगया ये तो...आप भी प्रयोग किजिये..."ताऊ रुपकंचन लेप" और स्वस्थ सुंदर जीवन बिताईये!

"ताऊ रुपकंचन लेप" को मिली अपार सफ़लता ने बिक्री के नये आयाम स्थापित किये हैं. कृपया निराशा से बचने के लिये एडवांस बुकिंग करवालें. अगले सप्ताह एक और जन कल्याणकारी प्रोडक्ट लांच किया जायेगा.


अक्सर कई पाठकों की खूंटा पोस्ट यानि "इब खूंटे पै पढो" पोस्ट पढने की ख्वाहिश आती है. अत: अगले सप्ताह से खुंटा पोस्ट का प्रकाशन प्रति गुरुवार सुबह 4:44 AM पर ताऊजी डाट काम पर किया जायेगा.

जिसकी खटिया के नीचे आग लगाई वही ऊठकर भाग गया : संतू गधा

आजकल के माहोल से त्रस्त होकर हमने एक पोस्ट "मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?" लिखी थी. क्योंकि सच मे समझ नही आता कि क्या लिखें और क्या ना लिखें. लोगबाग चीरफ़ाड करने को उधार ही रहते हैं. असल मे वस्तु या कथ्य तो एक ही होता है परंतु हर आदमी उसका अवलोकन अपने नजरिये से ही करता है. जैसे हाथी को देखकर कोई कहेगा यह बहुत विशालकाय है..कोई कहेगा ..ये तो काला है...यानि हर किसी की अपनी नजर होती है.

और खासकर ब्लागजगत में तो ताऊ के लिखे को देखकर लोग यही कयास लगाते हैं कि आज ताऊ ने ये किसके बारे में लिखा? कुछ लोग पूछते भी हैं और सलाह भी देते हैं कि ताऊ लौट आवो पुरानी गलियों मे. यहां सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...अब ये ताऊ ना हुआ..कश्मीर का आतंकी होगया जो बहक कर फ़ैसलाबाद चला गया और एक रियायती पैकेज ताऊ को मुख्य धारा में लौटाने के लिये सरकार ने दिया हो?

अब आप बताईये..ताऊ कहीं गया हो तो लौटे भी...ताऊ तो यहीं बैठा अपनी ताऊगिरी कर रहा है..अब ये अलग बात है कि कुछ लोग गलत फ़ेमिली से और कुछ लोग बहकावे मे आकर ताऊ के ठिये से चले गये हैं तो ताऊ का क्या दोष? ताऊ तो पहले भी उन पर जान छिडकता था अब भी छिडकता है. पर उनको ही ताऊ की जान की कद्र नही है. ये तो वही बात होगई कि "मुर्गी तो जान से गई और खाने वाले को मजा नही आया".

शायद ताऊ को देखने के सबके अपने अपने चश्में हैं. किसी को ताऊ महाधूर्त लगता है...किसी को शरीफ़ लगता है...किसी को मनोरंजन का सामान लगता है....यानि जैसा आप सोचे ..ताऊ आपके लिये वैसा ही है....पर इससे ताऊ के चरित्र या होने ना होने पर कुछ फ़र्क नही पडता. ताऊ तो ताऊ ही रहेगा.

बस आप यूं समझ लें कि ताऊ एक गोल और चिकना सा पत्थर है. उस चिकने पत्थर पर आप प्रेम से हाथ फ़िरायेंगे तो आपको स्निग्धता और प्रेम का आभास होगा और अगर आपने उस पत्थर पर गुस्से में आकर आपका सर दे मारा और आपका सर फ़ूट गया तो इसमे उस पत्थर का या ताऊ का क्या कसूर? कसूर तो आपका ही होगा.

हाल फ़िल्हाल हमारी उपरोक्त पोस्ट पर एक बहुत ही बहुमूल्य सुझाव सुश्री शिखा वार्ष्णेय जी का आया, और यह सलाह हमें सबसे काम की लगी. सबसे पहले तो उनकी टिप्पणी आप जस की तस पढ लिजिये, उसके बाद आपको आगे का प्लान बताते हैं.


shikha varshney said...
ताऊ मान गए क्रीम के लिए सोलिड मोडल ढूंडा है :)....बहुत बिकेगी क्रीम..और लिखने के लिए क्या टोटा पड़ा है ? खुद पर ही लिख दें.

Tuesday, February 16, 2010 11:51:00 PM



तो अब हमने तय कर लिया है कि हम शिखाजी की सलाह अनुसार सिर्फ़ अपने ऊपर ही लिखेंगे. बल्कि लिखेंगे क्या..वो तो लिखा हुआ तैयार ही रखा है. हमको आज तक ध्यान ही नही आया था. और आज ही ये समझ में आया कि ताऊ की शक्ल हनुमान जी से क्युं मिलती हैं? क्युंकी ताऊ को भी हनुमान जी की तरह सब कुछ याद दिलाना पडता है. अब ताऊ लिक्खाडी में किसी से कम है क्या?

अब शिखाजी ने ध्यान दिला दिया तो हमको याद आगया और अब कुछ लिखने की जरुरत ही नही है. अब किसी को शिकायत ही नही रहेगी कि ताऊ ने उसको ये कह दिया उसको वो कह दिया. अब ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी. बस अब तो ताऊ की आत्मकथा ही चलेगी जैसे अखंड रामायण पाठ चलता है.

असल में हम जब ताऊ बने तो हमको समीरलाल जी और श्री राज भाटिया" जी ने यह कहकर चने के विशालकाय झाड पर चढा दिया कि ताऊ तुम अपनी आत्मकथा लिख डालो. रातोंरात बेस्ट सेलर बुक बन जायेगी और तुम भी चांदी काटना. और इस की कमाई से भाटिया जी का कर्जा भी चूकता कर देना और तुम्हारी भी बीसों उंगलियां शक्कर में और सर तूवर की दाल मे रहा करेगा.

हमने दिन रात मेहनत करके ताऊ की आत्मकथा लिख डाली. कई प्रकाशकों के आफ़िस आफ़िस द्वारे द्वारे धक्के खाये. आने जाने में जो थोडी बहुत पूंजी जेब मे थी वो भी खत्म होगई, पर कोई तैयार नही हुआ. समीरलाल जी और भाटिया जी ने भी किनारा कर लिया.

एक बार एक प्रकाशक महोदय के पास पहुंच गये तो पता नही उसने क्या सोच कर हमको बैठा लिया और आत्मकथा की कापी लेकर पढने लगा. थोडा उल्टा पुल्टा कर बोला - ताऊ, मैं तुम्हारी आत्मकथा छाप तो सकता हुं पर मेरी कुछ शर्ते होंगी.

हमने कहा - साहब आपकी सब कुछ शर्तें मंजूर, आपतो एक बार छाप दिजिये.

वो बोला - ताऊ, पहली शर्त तो यह है कि किताब तेरे खर्चे पर छपेगी. यानि अभी तो तू एक लाख नगद जमा करवा दे और किताब का नाम ताऊ की आत्मकथा की बजाये एक गधे की आत्मकथा रखना पडेगा. क्योंकि ये आदमी की बजाये एक गधे की आत्म कथा ज्यादा लगती है.

मैं बोला - रे बावलीबूच, तू मन्नै आदमी तैं गधा बणाण लागरया सै? अबे.. पागल के बच्चे...मेरे पास एक लाख रुपये ही होते तो किताब क्यूं कर छपवाता? युं ही एक लाख के आनंद लेता फ़िरता.

और हमारा इतना कहना था कि गुस्से मे आकर उस प्रकाशक ने हमारी आत्मकथा के पन्ने हमारे मुंह पर दे मारे और चपरासी को बोलकर हमें धक्के देकर आफ़िस से बाहर करवा दिया. गुस्सा तो बहुत आया कि इसकी दाढी नौंच ले...पर वहां खडे गनमैन को देखकर सारी ताऊगिरी भूल गये और जैसे तैसे हवा में उडे पन्ने समेटे और चले आये.

इसके बाद हमने भरसक कोशीश भी की पर हाय री किस्मत...सब जगह से धक्के खाके ही निकले. कहीं भी सफ़लता नही मिली. बस यूं समझ लिजिये कि जिसकी खटिया के नीचे हमने आग लगाई वही ऊठकर भाग गया. वाली बात होती रही हमारे साथ.

अब हमको अपनी औकात पता चल चुकी है कि हम आदमी नही हैं बल्कि गधे हैं. यानि अपनी असली औकात समझने में ही इतनी जिंदगी खराब होगई. और अब हमारी आत्मकथा हम खुद ही क्रमश: छापेंगे. शीर्षक क्या हो? इसके लिये आप अगर मदद कर सकें तो आपकी बडी मेहरवानी होगी. पर ध्यान रहे कि शीर्षक मे गधा शब्द आना जरुरी है.

तो अब आप इस आत्म कथा को आगामी दिनों मे पढ पायेंगे. अब चूंकी ये एक गधे की गधे द्वारा लिखी आत्मकथा है तो बाते भी गधे पने की होंगी. और इसका कोई सा भी चेप्टर मैं कहीं से भी छापूंगा. क्योंकि जब उस प्रकाशक ने हमारे मूंह पर वो पन्ने फ़ेंक मारे थे तब हम उनको जैसे तैसे बटोर लाये थे. कुछ तो उड भी गये थे... तो जो भी पन्ना हमारे हाथ मे आयेगा हम वही पन्ना आपको पढवाते जायेंगे.

पर इतना वादा पक्का है कि आपको आनंद अवश्य आयेगा. इस गधे की आत्मकथा में कुछ बहुत ही गूढ रहस्य खुलेंगे जैसे खत्रीजी की चंद्रकांता संतति में परत दर परत खुलते ही चले जाते थे. और आपको इस दुनियां में मौजूद हर तरह के गधों और गधेडियों से रुबरु भी करवाया जायेगा. और कुछ बहुत ही सनसनीखेज खुलासे होंगे जिन्हें पढकर आप भी चौंक उठेंगे. आपको यह जानना बहुत मनोरंजक लगेगा कि एक अच्छा भला शरीफ़ गधा आखिर इतना चालू गधा कैसे बन गया?

तो अब अपने आपको तैयार कर लिजिये संतू गधे की सनसनी खेज आत्मकथा पढने के साथ साथ इस जगत में मौजूद भांति भांति के गधों के संसार में झांकने के लिये.

और अब अंत में :-


सियाचिन ब्लागर मिलन में ब्लागर्स पहुंचना शुरु होगये हैं. और वहां उनको मौसम का अभ्यस्त बनाने के लिये बाबा समीरानंद जी ने योगासन शुरु करवा दिये हैं और खुद का वजन भी उन्होनें ताऊ प्रोडक्ट्स के सेवन से काफ़ी कम कर लिया है. आज ही हमें सेटेलाईट से दो चित्र मिले हैं आप भी अवलोकन करें.


संचार रूम में आगंतुक ब्लागर्स को जानकारी देते हुये श्री अरविंद मिश्र


बहुत सारे ब्लागर्स रोज वहां पहुंच रहे हैं आप भी जल्दी करें. वहां अब सीमित मात्रा मे स्थान बचे हैं. श्री अरविंद मिश्र ने वहां पहुंचकर ब्लागर्स के लिये हाईस्पीड नेट कनेक्शन और सब तैयारियां पुर्ण करली हैं. आपको लेपटोप वगैरह साथ ले जाने की आवश्यकता नही है. संचार रूम में समस्त ब्लागिंग की सुविधाये उपलब्ध करवा दी गई हैं.

इसके साथ ही अनुभवी होने की वजह से यह जिम्मेदारी भी श्री अरविंद मिश्र जी को दी गई है कि सबको बेड टी दोपहर के खाने के तुरंत बाद मुहैया करा दी जाये एवं किसी भी मेहमान को मच्छर न काटें. इस हेतु प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मच्छरों को उस दौरान कुंभ स्नान के लिए विशेष विमान से इलाहाबाद भेजा जा रहा है.

आप चाहें तो मिश्र जी से सीधे फ़ोन पर बात करके आपका ब्लागिंग का शेड्युल संचार रूम में तय करलें.


बाबा समीरानंद जी सियाचिन ब्लागर मिलन में पहुंचे ब्लागर्स को योगाभ्यास कराते हुये..


ताऊ प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हुये खुद बाबा समीरानंद जी ने अपना वजन काफ़ी कम कर लिया है. चित्र मे बांये से क्रमश: श्री अजय कुमार झा , श्री पी.सी.गोदियाल, , श्री अरविंद मिश्र, , ताऊ रामपुरिया और पीछे की पंक्ति में श्री नीरज जाट एवम अन्य..योगाभ्यास करते हुये.

जल्दी रजिस्ट्रेशन करवाईये और चले आईये सियाचिन ब्लागर मिलन सम्मेलन में. कहीं ये सुनहरा अवसर चूक ना जायें.

"अब ताऊ वजन घटाऊ पाऊडर" का एक और चमत्कार देखिये.


smart2

 ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल के पहले

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ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल के एक महिने बाद


मुझे यकिन नही आता कि मैं इतना स्लिम ट्रिम और चुस्त दुरुस्त हो जाऊंगा. पर "अब हाथ कंगन को आरसी क्या" ताऊ प्रोडक्ट्स वाकई बहुत ही असरकारक प्रोडक्ट्स हैं. देखिये मैं कितना गोरा होगया और कितना चुस्त दुरुस्त होगया. "थैंक्स ताऊ प्रोडक्ट्स" आप भी लाभ ऊठाईये!

मैं आपको भी सलाह दूंगा कि आप भी ताऊ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें और अपना शानदार जीवन युं ही जाया ना करें. पहले मुझे कहीं आने जाने मे आलस्य आता था. पार्टियों मे मोटापे की वजह से जाने में शर्म आती थी पर अब मैं पार्टीयों की रौनक होगया हूं.

-समीरलाल "समीर" उडनतश्तरीवाले

अगले सप्ताह हम ताऊ प्रोडक्ट्स का एक अचूक फ़ार्मुला पेश करने वाले हैं. आप जानते हैं कि मुंहासे कितने गंदे और बदसूरत होते हैं. जीवन में निराशा भर देते हैं. तो अगले सप्ताह पेश करेंगे..."ताऊ रुपकंचन लेप" यानि मुहांसो का दुश्मन.

मुंहासो का दुश्मन "ताऊ रुपकंचन लेप"

विशेष सूचना :-


"ताऊ रुपकंचन लेप" की खरीद पर सिर्फ़ महिलाओं को 17.5 प्रतिशत की विशेष रियायत सिर्फ़ होली पर्व के उपलक्ष्य में दी जायेगी जो कि सिर्फ़ होली तक जारी रहेगी!

नोट :- इस प्रोडक्ट के लिये माडल्स की आवश्यकता है. कृपया संपर्क करे.

ताऊ पहेली - 62 : विजेता : श्री ललित शर्मा

प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली -62 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है थिकसे गोम्फा लेह (लद्दाख).

और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.

आप सभी को मेरा नमस्कार,

पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.

आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.

जम्मू और कश्मीर राज्य का एक जिला 'लद्धाख 'सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थल है.
उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएँ हैं.

यह देश के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है.कारण साफ है यहाँ की अत्यंत शुष्क एवं कठोरजलवायु !
वार्षिक वृष्टि 3.2 इंच तथा वार्षिक औसत ताप ५ डिग्री सें. है.मुख्य नदी सिंधु है.
कुछ समय पूर्व यहाँ पर्यटन विभाग ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'सिंधु दर्शन' उत्सव प्रारंभ किया है.

thiksey monastery


जिले की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है.
ऐसा कहा जाता है कि अगर लेह से 70 किलोमीटर के अर्द्धव्यास का एक गोला बनाया जाए तो लद्दाख के सभी महत्वपूर्ण मठ व महल इसमें आ जाते हैं !

बौद्धो के प्रार्थना स्थल को गोम्फा [Gompa ] कहा जाता है.
लद्धाख में देखने के लिए कई स्थल हैं जैसे स्तोक पैलेस [ लेह का राजमहल जिस का एक हिस्सा जनता दर्शन केलिए खोल दिया गया है] ,

शान्ति स्तूप [दलाई लामा ने इसका उद्घाटन किया था],स्पितुक गोम्फा ,थिकसे गोम्फा,लिकिर" गोम्फा,अलीची गोम्फा
[कहा जाता है कि अलिचि के विहार चीनी सैलानी ह्वैन साँग के समय के हैं] और हेमिसऔर शै गोम्फा भी हैं और हेमिस गोम्भा सब से शक्तिशाली बताया जाता है.

बौद्ध बहुल इस क्षेत्र की प्रादेशिक राजनीति में इस गोम्फा के लामाओं की काफी भूमिका रहती है
बोद्ध मठों के अतिरिक्त लद्धाख में दुनिया की सब से ऊँची astronomical observatory है.

Henle observatory


[for more info refer to govt site--http://www.iiap.res.in/centers/iao]

लेह से निम्मू घाटी मार्ग पर एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा 'पत्थर साहेब' है.
सेना इसका संचालन करती है. यहाँ गुरु नानकदेवजी को नानकलामा के नाम से जाना जाता है.

लेह से १२६ किलोमीटर दूर स्थित लामायुरा से आप कारगिल देख सकते हैं. लामायुर गोम्फा के बारे में किंवदंति हैकि यहाँ पहले केवल पानी था, किसी लामा के वरदान के कारण जल में से पहाड़ी उभर कर आई और इस गोम्फा का निर्माण हुआ
लामायुरा के मन्दिर के भित्ती चित्रों के अलावा जो सब से अधिक आकर्षित करता है वह है मक्खन जी हाँ मक्खनसे बनी आकृतियाँ !मदिर के भीतर ही आप देख सकते हैं मक्खन से बने गुड्डे गुड़ियाँ मुखोटे आदि.
ऐसा सुना है कि लामायुरा में जो गुफाएं हैं वहाँ लामागुरु तपस्या करते हैं.

नुब्रा घाटी में बर्फीले पहाड़ और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने हों तो परमिट की ज़रूरत होती है.

खरदुंगा ला 18380 फीट की ऊँचाई पर स्थित है .दिस्तिक बाकी लद्दाख से काफी अलग काफी हरा भरा स्थान है

थिकसे गोम्फा -

थिकसे का अर्थ है पीला.
लेह में १२ हज़ार फीट पर पहाड़ी के ऊपर बनी हुई यह गोम्फा तिब्बती वास्तुकला का खूबसूरत उदाहरण है.
१५ वि शताब्दी में इसे शेर्ब जंगपो के भतीजे पल्दन शेराब ने बनवाया था.
12 मंजिल ऊँची इस गुम्फा में कई भवन हैं भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ है.
रास्ते में सीढ़ियों के दोनो खूबसूरत गुलाब के फूलों की क्यारियां लगी हुई हैं. भवन में अन्दर कई मन्दिर हैं .

Ladakh Thikse Maitreya Budhda


प्रमुख मन्दिर में बुद्ध [ भविष्य का बुद्ध]की १५ मीटर ऊँची काँसे की मूर्ति इस गुम्फा का विशेष आकर्षण है.इस भव्य मूर्ति का तीनो मंजिलों से किसी भी मंजिल से दर्शन किया जा सकता है.
दीवारों पर बनी चित्रकारी अद्भुत है और बुद्ध भगवान का मुकुट बेहद अनूठा!
यह मोनास्ट्री लगभग १० छोटे मठों का प्रबंधन करती है.
चित्र में देखीये मुकुट में कई भगवानों के भव्य चित्र !

कैसे जाएँ-
लद्धाख सड़क मार्ग से देश के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा है.
लेह में एअरपोर्ट भी है जो दिल्ली ,चंडीगढ़ ,जम्मू आदि के लिए हवाई सेवाएं देता है.
रेलवे स्टेशन - निकटतम जम्मू है.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।


आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!

प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.

प्रथम विजेता श्री ललित शर्मा


 

 




  श्री ललित शर्मा अंक 101

 




  श्री उडनतश्तरी अंक 100
My Photo 


 सुश्री पारुल अंक  99

 


 श्री पी.सी.गोदियाल, अंक 98
 



  श्री अंतरसोहिल अंक 97
 



   श्री संजय बेंगाणी अंक 96

 

 

 

 

 

  श्री रजनीश परिहार अंक 95

 



   प. श्री.  डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 94

श्री दिगम्बर नासवा अंक 93

 

 



  श्री रंजन अंक 92

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  सुश्री सीमा गुप्ता  अंक 91
 




  सुश्री M.A.Sharma "सेहर" अंक 90
 





 श्री अभिषेक ओझा अंक   89

 





 श्री विवेक रस्तोगी अंक 88

 

 

 

श्री सैयद | Syed  अंक  87

 


  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक अंक  86

 

  सुश्री हीरल अंक 85

 

 

 

 श्री रतनसिंह शेखावत अंक 84

 

 

 

 

 सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 83

 

अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.

श्री देवेंद्र

श्री अविनाश वाचस्पति

श्री दीपक "तिवारी साहब"

श्री मकरंद

श्री काजलकुमार,

श्री सुशील कुमार छौंक्कर

श्री जीतेंद्र

श्री राज भाटिया

सुश्री बबली

सुश्री वंदना

श्री मो सम कौन?

डा  . मनोज मिश्र

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

सुश्री निर्मला कपिला
श्री संजय भास्कर


अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा, मंगलवार और शुक्रवार की पहेली मे शाम 6:00 बजे ताऊजी डाट काम पर आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!


आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !

ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.

ताऊ पहेली - 62

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.
ताऊ पहेली अंक 62 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.

विनम्र विवेदन

कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.

हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है.

यह कौन सी जगह है?

ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे

अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
जरुरी सूचना:-

टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.

इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा


नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.

मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग

 

नोट : – ताऊजी डाट काम  पर मंगलवार और शुक्रवार शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।

विशेष ब्लागर सम्मान पुरस्कार - 2010 की घोषणा.

बडे हर्ष का विषय है कि अबकी बार होली के परम पुनीत अवसर पर हम कुछ विशेष पुरस्कार देने जारहे हैं. जिनमे निम्न श्रेणी के पुरस्कार होंगे.

सर्वोच्च पुरस्कार श्रेणी में.


मामा मारीच सम्मान - 2010


१. मामा मारीच सम्मान यह सम्मान उस ब्लागर को मिलेगा जिसने बीते वर्ष सबसे ज्यादा लोगों को परेशान किया होगा और छल कपट पुर्वक कई रुप दिखाये होंगे.

इस पुरुस्कार के साथ उपरोक्त चमचमाती ट्राफ़ी और रु. १,००,०००/= (अक्षरी रुपये एक लाख सिर्फ़) मूल्य के ताऊ प्रोडक्ट्स दिये जायेंगे. और ताऊ दुर्बुद्धि नाशक केप्सूल जीवन भर मुफ़्त सप्लाई किये जायेंगे.


सुर्पणखां सम्मान - 2010


२. सुर्पणखां सम्मान यह सम्मान भी अति खुराफ़ाती ब्लागर को दिया जायेगा. इस पुरस्कार में यह चमचमाती हुई ट्राफ़ी और रुपये ५१०००/= (इक्कावन हजार रुपिये) मूल्य के ताऊ प्रोडक्ट्स दिये जायेंगे. और आधी उम्र तक ताऊ दुर्बुद्धि नाशक केप्सूल मुफ़्त दिये जायेंगे.

अति सर्वोच्च पुरस्कार श्रेणी



आग लगाऊ और आग भडकाऊ ब्लागर सम्मान


१. मिस्टर आग लगाऊ ब्लागर
२. मिस. आग भडकाऊ ब्लागर

कुंठित और लुंठित श्रेणी में

विशिष्ट हलकट टिप्पणीबाज सम्मान

१. अति गुप्त-टिप्पणी बाज सम्मान
२. अति विशिष्ट हलकट टिप्पणीबाज सम्मान

अब गद्य लेखन श्रेणी मे....


टपोरी टाईप लेखक सम्मान


१. अति टपोरी टाईप लेखक सम्मान
२. विशिष्ट टपोरी टाईप लेखन सम्मान

विशिष्ट प्रोत्साहन पुरस्कार


महा टेपाधिराज सम्मान


१. महा टेपाधिराज सम्मान
२. महा बकवास टेपाधिराज सम्मान

अक्सर देखने मे आया है कि आजकल पुरस्कार सम्मानों मे बहुत नाक भौं सिकोडी जाती है. किसी को दे दो तो वो लेने मे आनाकानी दिखाते हैं और नही दो तो क्यों नही दिया इस बात पर भृकुटि तनी दिखाई देती है.

इस मंहगाई के जमाने में फ़ोकट ऐसी बातों पर सैकडों टिप्पणीयों का बेजा नुक्सान होता है. अत: हम उपरोक्त बातों से सबक लेते हुये पहले ही हमारे द्वारा दिये जाने वाले सम्मानों के बारे मे नियम कायदे और समस्त बाते स्पष्ट कर देते हैं. जिससे बाद मे अप्रिय विवाद की स्थिति नही बने. इस पोस्ट द्वारा समस्त ब्लागर्स को सूचना दी जाती है. और जिसको भी खबर लगे वो सभी को बता दे. अन्यथा फ़िर लोग ये नही कहें कि हमको खबर नही थी.

नियम इस प्रकार हैं.

१. यूं तो आप आटोमेटिकली [ आटो में टकली (गंजी) नही] यानि स्वत: ही हमारे द्वारा दिये जाने वाले पुरस्कारों के लिये नामित हो चुके हैं. फ़िर भी लगता हो कि आपका नाम कहीं छूट नही गया हो तो फार्मेल्टी और पारदर्शिता के लिए आप सिर्फ स्वयं को नामित कर सकते हैं. पर दूसरे को नामित करने का अधिकार आपको किसी भी हालत में नही है.

हमारे द्वारा दिये जाने वाले समस्त पुरस्कार हम अपने विवेक से देते हैं. ना हम किसी से सलाह मांगते हैं और ना ही हमें कोई सलाह देने की जरुरत है. हम किसी भी तरह का विरोध, अडंगा और आंदोलन सहन नही करेंगे.

२. हमने कौन सा पुरस्कार किस वजह से किसको दिया? यह हम किसी को नही बतायेंगे. क्योंकि यह हमारी अपनी प्राईवेट लिमिटेड दुकान है. हमारी मर्जी से हम किसी को भी पुरस्कार दे सकते हैं. यानि हमारी मर्जी.

३. हमारे द्वारा दिये गये पुरस्कार किसी भी हालत मे लेने से इन्कार नही किया जा सकेगा. यानि हमने पुरस्कार दे दिया तो पुरस्कार हर हालत मे स्वीकारना पडॆगा.

४. अगर आप पुरस्कार नही लेना चाहते तो पुरस्कारों की घोषणा से पहले DND रजिस्ट्री करवा लें जैसे मोबाईल फ़ोन पर अनचाही काल से बचने के लिये करवाई जाती है. यानि आप इस पोस्ट पर टिप्पणी करें और अपना नाम पुरस्कारों में शामिल नही करने का निवेदन कर दें.

५. अगर आपका नाम पुरस्कारों के लिए एक बार तय होगया तो आपको पुरस्कार हर हाल में दिया जायेगा. आप उसके लिये नही मिले तो अखबार मे मुनादी करवाकर आपके पते पर पुरस्कार चस्पा करवाया जायेगा.

६. आप यह समझ ले कि अगर आपने हमारे द्वारा प्रदत पुरस्कारों की अवमानना की या उसके विरोध में कुछ लिखा या आंदोलन किया तो जैसे ही आप कंप्युटर पर लिखने बैठेंगे आपका कंप्युटर टुटकर दो टुकडे हो जायेगा. यह सत्य वचन हैं. फ़िर हमें दोष मत दिजियेगा.

७ अंतिम रुप से चेतावनी दी जाती है कि आप अगर आपका नाम पुरस्कार में शामिल नही कराना चाहते तो DND registry अवश्य करवा लें जिसके लिए एक निश्चित शुल्क देय होगा. वर्ना बाद मे कोई सुनवाई नही होगी.

हर आम और खास ब्लागर से निवेदन है कि इस पोस्ट मे दी गई संपुर्ण जानकारी को ध्यान से पढे और तदनुसार फ़ैसला करे. एक बार पुरुस्कार की घोषणा होने के बाद कोई सुनवाई किसी भी जगह नही होगी.

तो बहनों और भाईयों, इंतजार किजिये इन सनसनी खेज पुरस्कारों का.

मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

ताऊ को तो आप सब जानते है घुमक्कड़ी का शौक है. जाने कहाँ कहाँ देशाटन किया है और तस्वीरें खींच खींच कर ले आया है और फिर वो ही दिखा दिखा कर पहेलियाँ पूछकर सबको हलकान करता रहता है.

आज याद करने लगा अपने घूमने के दिन तो याद आया कि पहाड़ियों में घूमने जाओ या मैदानों में, हर जगह बोर्ड लगे मिलते थे कि ’सुरक्षा हटी और दुर्घटना घटी’.

झारखण्ड की कोयले की खदानें भी याद आईं, जिसमें सारे मजदूर से लेकर मेनेजमेन्ट तक, याने कोई वरिष्ट हो या गरिष्ट हो या कनिष्ट, सबको बराबरी से हेलमेट लगा कर घुसना होता था.

हालत बस वो ही, ’सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ फिर कोयला क्या जाने कि ये कोई वरिष्ट हैं या गरिष्ट हैं या कनिष्ट, वो तो गिरेगा तो सर फोड़ कर ही मानेगा.

आज जब ब्लॉगजगत के दुर्गम रास्तों को देखता हूँ तो वही कोयले की खदान याद आती है ’सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ . जरा सा चूके और लट्ठ पड़ना तय समझिये.

हालत ये हो गये हैं कि रात में अगर पोस्ट लगाई है तो हेलमेट लगा कर सोते हैं कि जाने कब बम बार्डिंग शुरु हो जाये.

जित देखो तित लाल..वो ही परिवार नियोजन टाईप फंडा..’ ’सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ ’. बेहतर है सुरक्षा के उपाय पहले से कर लो. डिस्क्लेमर चैंप दो या जरा विवाद होता देखो, फटाक से माफी मांग लो या बहुत हुआ तो पोस्ट ही हटा दो, न रहेगा बाँस, न बजेगी बांसुरी.

लेकिन यहाँ तो ऐसा भी हो जाता है कि लोग अपना बांस ले आते हैं और आपके दर पर बांसूरी बजाते हैं, उनका क्या. कई तो बाई प्रोफेशन बांसूरी वादक टाईप हो गये हैं. हर जगह बजाते मिलेंगे.

और जब मामा मारीचों और सुर्पणखाओं की बेसुरी धुन निकलती है तो कलेजा दहल जता है. अब तो सपने मे भी मारीच और सुर्पणखां दिखाई देने लगी है. लगता है बांसुरी वादक मनोचिकित्सक (सायकेट्रिस्ट) के पास ही पहुंचाकर छोडेंगे.

एक दिन समीरलालजी का फ़ोन आगया और हाल चाल के बाद यह पूछने लगे कि आजकल कम लिखते हो? कम टिपियाते हो? क्या बात है? जरा पहले की तरह खुल कर लिखो और खुलकर टिपियाओ. अब क्या जवाब देता? आप ही बताईये.


कुछ टिपियाऊं या घिस कर लिखूं,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

बज रही है बांसुरी मामा मारीच की
कर रही है नग्न नृत्य अब भगिनी लंकेश की
क्या आज मैं उसी मिस पर लिखूँ,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

हतोत्साहित हैं नवागत
गर्दन मरोडी जज्बात की
बेकाबू हुये हालात क्या बताऊं अब घात की
जाने क्या मैं इस गर्दिश पर लिखूँ,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

किस्से कहानी और नवसृजन का मत पूछिये
समय है रचनाओं के इंतकाल का
थामे हाथ में बांसुरी
अब राज है यहां काल का
ये कैसी धुन, क्या इस पर लिखूँ,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

वो किस्सागोई वो हंसना हंसाना
कब का दफ़न हुआ ताऊ
औंधे पडे हुए हैं ब्लागर,
सोच रहे अब किधर को जाऊं
क्या मैं उनकी तपिश पर लिखूं,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

रचनाकार एक कोने मे खडा
सर अपना है फ़ोड रहा
चारणों के शीश पर तमगे नवाजे जा रहे
संबंध अपने घट जोड़ रहा
क्या इस पाट में पिस कर लिखूं,
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?
और अब अंत में:-


ताऊ गोरा करने वाली क्रीम का समीरजी ने एक ट्रक का आर्डर दिया. रामप्यारी ने पूछा - अंकल एक ट्रक का आर्डर दे रहे हो, क्या व्यापार करोगे?

समीरजी ने कहा :- नही, रोज इससे नहाया करुंगा और उपर से नीचे तक गोरा होजाऊंगा.

समीरलाल जी को एक दर्जन ताऊ क्रीम की शीशीयां भेजी गई थी जिसका प्रभाव एक सप्ताह में ही दिखाई देने लगा था. नीचे के चित्र में खुद ही देख लिजिये.

slbefore
ताऊ क्रीम प्रयोग करने से पहले

slafter
क्रीम प्रयोग से १ सप्ताह बाद

slafter1
क्रीम प्रयोग से २ सप्ताह बाद



और तीसरे सप्ताह के बीतते तो जैसे कमाल ही होगया. आपको विश्वास नही आयेगा...पहले मुझे और घरवालों को भी नही हुआ था..पर यकिनन ऐसा हुआ है...आप नीचे की तस्वीर को देखिये...चमत्कार होगया..

और तीसरे सप्ताह के बाद


अब मैने ताऊ वजन घटाऊ केप्सूल का प्रयोग शुरु किया है. आप भी आजमाईये...विश्वसनीय और भरोसे के साथी...ताऊ प्रोडक्ट्स!!!

ऐसे असरकारक ताऊ प्रोडक्टस की रिसर्च टीम ने एक ऐसी आल-इन-वन क्रीम बनाई है जो हर मर्ज में काम करेगी. इसका आंधाशीशी के दर्द पर अचूक और कारगर असर पाया गया. एक शीशी के उपयोग से आंधाशीशी
का दर्द हमेशा के लिये गायब...यानि उडनछू...

तो देर किस बात की? अभी आर्डर दिजिये.

ध्यान से देखिये...अगर आपको नीचे के चित्र मे कन्या की आंखें, नाक और मुंह डबल डबल दिखाई दे रहे हैं तो ... संभल जाईये... आपको तुरंत ताऊ आल इन वन क्रीम इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है..कृपया तुरंत ताऊ-आल-इन-वन क्रीम का इस्तेमाल करें. वर्ना सर दर्द की वजह से आंखों की रोशनी जा सकती है.

ताऊ प्रोडक्टस द्वारा आंधाशीशी का सफ़ल इलाज
और दुर्बुद्धि नाशक केप्सूल की खोज


ताऊ प्रोडक्ट्स की कहीं भी एजेंसी या फ़्रेंचाईजी नही दी गई है. लोक कल्याण के लिये बिना किसी मध्यस्थ के डायरेक्ट ही न्युनतम मुल्य पर दवा भेजी जाती है. प्रत्येक दवा की एक शीशी का न्युनतम खुदरा मूल्य जनहित में मात्र रु. १२५०/= निर्धारित किया गया है. डाक खर्च, पैकिंग खर्च अतिरिक्त. यू.एस. डालर मे भुगतन करने पर ३० डालर प्रति युनिट एवम खर्च अतिरिक्त देय होगा.

अगले सप्ताह में ताऊ दुर्बुद्धि नाशक केप्सूल लांच किया जावेगा. एडवांस बुकिंग चालू है.