हमारी आबरू पर आतंकी हमला

मुम्बई में आतंकियों के हमले २६ नवम्बर रात करीब १० बजे शुरू हुए और जब मैं ये लिखने बैठा हूँ तब २४ घंटे हो चुके हैं ! अभी तक भी तथाकथित युद्ध या मुठभेड़ जारी है ! आज सारे दिन से दिमाग आम भारतीय की तरह मेरा भी खराब था ! हमारे यहाँ चुनाव की वजह से छुट्टी थी पर मैं चूँकि  शेयर मार्केट से जुडा हूँ अत:  हमारा  अवकाश नही था !

 

कल जब आतंकी हमले शुरू हुए तब इनकी भयावहता का अनुमान नही था ! लेकिन जैसे जैसे रात बीतती गई स्थितियां बदतर होती गई ! अपनी आदत के अनुसार वर्तमान आर्थिक हालातो के परिपेक्ष्य में भी इस हमले को देखता रहा !

 

सुबह जल्दी ही ख़बर आई की आज शेयर मार्केट बंद रहेगा ! एक्स्चेंजेस तो मार्केट ऑपरेशंस के लिए अपने को तैयार बता रहे थे पर सेबी ( रेग्युलेटर ) ने मार्केट बंद रखने का आदेश दिया  ! महीने का आखिरी गुरूवार हमारे यहाँ डेरेवेटिव्ज कन्ट्रेक्ट्स की चालू माह की एक्सपाईरी का महत्त्व पूर्ण दिन होता है ! इस दिन का महत्त्व शेयर बाजार में कुछ ज्यादा ही होता है ! उम्मीद है कल,  जब ये पोस्ट आप पढेंगे तब तक काम शुरू हो चुका होगा ! 

 

ये हमला कुछ अलग तरह का सुनियोजित हमला है ! पहले के हर हमले से अलग ! आज जब सारी दुनिया मंदी से जूझ रही है ! ऐसे में ये हमला भारत को आर्थिक रूप से तोड़ने की खतरनाक साजिश का हिस्सा है ! आज जब डालर उतरोत्तर वापस जा रहा है ! ऐसे में भारत को कमजोर या अस्थिर दिखाने की साजिश है  ये हमला ! जिससे यहाँ से लौट रहे फिरंगी निवेशक तेजी से अपना धन निकाल कर जाए और नया कोई निवेश यहाँ ना आए !

 

हमला  होता है ताज  पर ! जी हाँ पुराने ताज पर जो एक तरह से टाटा की मिलकियत और मुम्बईकरों की शान  ही नही बल्कि हर भारतीय की शान है जैसे ट्विन टावर हर अमेरिकी की भावनाओं से जुडा था !

 

इतना शानदार होटल जहाँ एक बार जाना भी अपने आपको धन्य कर जाता है ! इस जगह सारे विदेशी धनकुबेर ही ठहरते हैं ! यानी पुरी तरह से इसका सम्बन्ध विदेशियों से है ! १९०३ में बने इस होटल से हिन्दुस्तानियों की  भावनाए जुडी हुई हैं ! ये कहानी फ़िर कभी !

 

दूसरा ट्राईडेंट ओबेराय पर हुआ -- यहाँ भी सब हाई प्रोफाईल विदेशी धनकुबेर ! और जहाँ पर हमले के समय तो एक अंतर्राष्ट्रीय हाई प्रोफाईल इन्डस्ट्रियलिस्ट की मिटींग भी चल रही थी ! यहाँ भी पुरी तरह हमारे विदेशी हाईप्रोफाईल  मेहमान ठहरते हैं !

 

ताज और ओबेराय हमारे अर्थ जगत की शान में जड़े नगीने हैं ! आज इन नगीनों को उखाड़ फेंकने की कोशीश हुई है ! यानी सीधे सीधे विदेश जगत में हमारी इज्जत खराब करने की साजिश !

 

तीसरी जगह नारीमन हाउस -- जो  जग जाहिर है यहूदी धनकुबेरों  का पसंदीदा ठीकाना है ! 

 

सिर्फ़ और सिर्फ़ ये सिद्ध करने की कोशीश की भारत एक अस्थिर देश है जहाँ कुछ भी सुरक्षा नही है ! आज देश के सामने मंदी की समस्या है और यकीन मानिए अगर किसी  व्यक्ती से दुश्मनी निकालनी हो उसकी कमाई का साधन बंद कर दो वो अपने आप ही  खत्म हो जायेगा ! और दुश्मन की यही रणनीति है ! आपके काम धंधे चोपट हो जाए और नया निवेश आपको नही मिले तो अपने आप ही कमर टूट जायेगी !

 

और इसी को सिद्ध करने के लिए उन्ही विदेशी मेहमानों को टार्गेट बनाया गया जिससे सीधा संदेश जा सके ! भारत की छवि बिगाड़ने की सीधी कोशीश ! दुनिया में संदेश ये गया की भारत एक सॉफ्ट टार्गेट देश है जहाँ के पाँच/सात सितारों होटलों में भी उसकी फोर्सेस से कई घंटो तक लड़ा जा सकता है ! यानी विदेशी वहाँ बिल्कुल सुरक्षित नही है ! वहाँ बिल्कुल अराजकता है !

 

हम क्यो इतने सॉफ्ट टार्गेट बन गए हैं ? ट्विन टावर हमले के बाद अमेरिका में होमलैंड सिक्युरिटी कानून बना ! इसमे दो लाख लोगो की सेवाए ली गई ! ८० हजार फ़िन्गरप्रिन्ट लिए गए ! संदिग्ध लोगो की लिस्ट बनाई गई ! जनता को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया ! राष्ट्रपति बुश भले ही आँख की किरकरी बन गए,  पर उनके रहते किसी की दुबारा अमेरिका की तरफ़ देखने की हिम्मत नही हुई !

 

एक तरफ़ हम हैं ! मुझे एक हिन्दी फ़िल्म का डायलोग याद आ रहा है की हमको कोई भी आता है और घंटे की तरह बजा कर चला जाता है ! क्यों ? जवाब सीधा सा है ! इसकी पूरी तरह से जिम्मेदार है हमारे राजनैतिक दलों की क्षुद्र  महत्वाकांक्षा   !

 

एक दल पोटा लगाता है दूसरा दल सता में आते ही अपने स्वार्थ के लिए हटा देता है ! कोई सक्षम कानून नही है ! इस देश के लचर कानून की वजह से ही ये आतंवाद पनप रहा है ! एक छोटा सा चोर अगर भूख से मरते रोटी चोरी करता पकडा जाए तो पुलिस और जनता उसे पीट पीट कर मार डालती है और आतंकी सुरक्षित पैसेज से बाहर हो जाता है ! क्या कानून है ?

 

किसी को बुरा लगता हो तो सौ बार लगे पर मुझे यह कहने में कोई शर्म  या दुःख नही है की हमारे राजनीतिक दल एक  नंबर के बेशर्म और गैरजिम्मेदार है ! जिनको सिर्फ़ अपनी सता के लिए इस देश के जिस्म को बेचने में भी शर्म नही है !

 

कैसे एक राष्ट्र में महाराष्ट्र हो सकता है ?  ठाकरे बंधू क्या कर रहे हैं ? सिर्फ़ सता का सुख भोगने के लिए "आमचा महाराष्ट्र  आमची मुम्बई"  का राग अलापते  हैं और उनको शर्म भी नही आती ? कहाँ छुपे बैठे हैं ये शेर ? आज वहाँ आतंकियों की गोली खाने एक हिन्दुस्तानी ही सामने हैं भले वो महाराष्ट्र का, यु.पी. या बिहार का ही है ! ठाकरे साहब क्यों नही आए आगे ?

 

असल में मुम्बई को मराठी और उतर भारतीय के बीच बांटने की साजिश भी आतंकियों के होसले बढाती है ! संदेश यही जाता है की जब ये भारतीय ही मराठी और उतर भारतीय   में बँटे हुए हैं तो कोई हमारा  क्या  कर लेगा ? रोंद डालो भारत की आत्मा को ! इससे सस्ता शिकार कहीं नही मिलेगा !

 

क्या शासक  दल से ये नही पूछा जाना चाहिए की क्यो पोटा हटाया गया ? और क्यों राज ठाकरे पर पोटा नही लगाया जाता ? आख़िर इनकी भी मिली जुली नूरा कुश्ती है ! जब ठाकरे सता में होंगे तो इनको बचाएंगे ! और अब ये उनको बचा रहे हैं !

बेशर्म और कमीने लोग ! अगर ठाकरे जैसे चंद लोगो को ५/७ साल अन्दर पटक दीजिये ! फ़िर देखिये ! वरना तो ये   हिन्दुस्तान को बेच खाएँगे  ! और छोडा ही क्या है ? आज स्विस बैंको में सबसे ज्यादा धन का आंकडा तो इन्ही कमीने राजनीतिज्ञों के  धन का है ! वो कौन सा टेक्स पेड़ मनी है ?

 

आप चाहे इसे शोक कहले , चाहे युद्ध कहले , चाहे आक्रोश कहले ! असल में आपके हमारे हाथ में तब तक कुछ नही है जब तक हमारे हाथ एक साथ नही होंगे ! अकेला चना कुछ नही कर सकता ! आईये हम ब्लागर्स तो कम से कम एक सुर में बोले ! हम कुछ मुट्ठी भर लोग ही एक साथ हो गए तो धीरे धीरे कारवाँ  तो बन ही जायेगा !

 

मैं तो रचना जी की टिपणी और सीमाजी की पोस्ट से सहमत हूँ ! आप भी सहमत होंगे तो हमारी ताकत बढेगी और हम इस युद्ध को सही में जीत कर इस तंत्र को उखाड़ फेंकेंगे ! पहले आप इकट्ठा तो होईये ! अकेले कैसे युद्ध लडेंगे ? और आपको पहला युद्ध तो आपके इन गंदे राजनीतिज्ञों  से ही लड़ना है ! इनको जीत लिया तो कोई दुश्मन आपकी तरफ आँख भी नही उठाएगा ! यकीन कीजिये यह हमला बहुत ही खतरनाक ढंग का है ! इसकी भयावहता देख कर अगला हमला कैसा होगा ? कल्पना मात्र से दिल दहल उठता है !


ये नए तरह का पहला हमला हुआ है ! अगर समय रहते हम नही चेते तो कोई ताज्जुब नही अगला हमला जैविक हथियारों से होगा !  


 

इब खूंटे पै पढो :-


shok
समस्त शहीदों को श्रद्धांजलि !

Comments

  1. सचमुच बहुत दुखी हूँ -कुछ न कर पाने का आक्रोश ,उससे उत्पन्न क्लैव्यता और हताशा ने किंकर्तव्यविमूढ सा कर दिया है !

    ReplyDelete
  2. किसी को बुरा लगता हो तो सौ बार लगे पर मुझे यह कहने में कोई शर्म या दुःख नही है की हमारे राजनीतिक दल एक नंबर के बेशर्म और गैरजिम्मेदार है ! जिनको सिर्फ़ अपनी सता के लिए इस देश के जिस्म को बेचने में भी शर्म नही है !

    ताऊ में आपकी इस बात से सौ फीसदी सहमत हूँ हमारे राजनेताओं ने तो बेशर्मी की हद ही पर कर रखी है इन्हे वोटों के अलावा कुछ दिखाई ही नही देता आतंकवाद की जाँच भी यहाँ राजनैतिक सरोकारों के हिसाब से हो रही यदि ऐसे ही चलता रहा तो पुलिस की किसी जाँच पर विश्वास नही होगा |

    ReplyDelete
  3. मारे गए लोगों के परिजनों को ईश्वर दु:ख सहने की शक्ति दे .

    ReplyDelete
  4. इस आलेख की अधिकतर बातों से मैं सहमत हूँ, लेकिन इस बात से नहीं कि हम आप कुछ नहीं कर सकते। हम और आप भारतियों के बंटवारे रोक सकते हैं। अपने इर्दगिर्द एक समूह ऐसे लोगों का एकत्र कर सकते हैं। सतर्क रहना सीख सकते हैं। संदिग्ध लोगों और घटनाओं पर नजर रखने की आदत डाल सकते हैं, उन की सूचना ऐजेन्सियों तक पहुँचा सकते हैं। यदि यह आदत बनती है तो किसी भी आतंकवादी को भारत में पनपना ही कठिन हो जाएगा।
    पोटा का हटाया जाना ठीक था, उस में वे छेद थे जिन के कारण उस का इस्तेमाल जनता के विरुद्ध किया जा सकता था और किया गया। हाँ एक सुधरे हुए प्रिवेंटिव कानून की जरूरत है। उसे जल्द ही लाया जाना चाहिए।
    आप की भावना को सलाम! आप ने इस हमले की वजहों का बहुत सही विश्लेषण किया है।

    ReplyDelete
  5. @ द्विवेदी जी , आपका यह कथन की

    " हम और आप भारतियों के बंटवारे रोक सकते हैं। अपने इर्दगिर्द एक समूह ऐसे लोगों का एकत्र कर सकते हैं। सतर्क रहना सीख सकते हैं। संदिग्ध लोगों और घटनाओं पर नजर रखने की आदत डाल सकते हैं, उन की सूचना ऐजेन्सियों तक पहुँचा सकते हैं। यदि यह आदत बनती है तो किसी भी आतंकवादी को भारत में पनपना ही कठिन हो जाएगा। "

    ९/११ के हमले के बाद अमेरिका में यही कवायद हुई थी और नतीजे सबके सामने हैं ! क्या आप और मैं इस तरह की व्यवस्था लागू कर सकते हैं ? नही ! इसके लिए भी सरकार और राजनैतिक नेतृत्व को ही आगे आने वाला होगा ! आप और मैं एक नागरिक के कर्तव्य ही कर सकते हैं ! आपके मेरे हाथ में कुछ पावर नही है !

    रही पोटा की बात , तो मैं कोई कानून विद नही हूँ ! मेरे जैसे आम नागरिक पोटा को सिर्फ़ देशद्रोहियों से निपटने का एक मात्र हथियार ही समझते रहे हैं ! और किस कानून में छिद्र नही होते ?

    आज आदरणीय ज्ञानदत जी की पोस्ट पर गेस्टापो के परेलाल किसी व्यवस्था की बात रखी गई है ! तो फ़िर पोटा कहाँ लगेगा ?

    छिद्र प्रूफ कुछ नही होता , हर दवा के साईड़ ईफेक्ट होते हैं पर इंसान बीमारी में दवा तो खाता ही है ! मेरी अपनी राय में तो इन कमीने लोगो को पोटा की बजाए सोटा खिलाना ज्यादा उपयुक्त होगा !

    अभी ३६ घंटे हो गए हैं पर हमारे सिक्य्रुरिटी फोर्सेस अब भी लड़ रहे हैं ! और ये सब हमारी लच्चर व्यवस्था और छिद्रों का दोष है !

    सबकी अपनी २ राय होती है , मेरी समझ में पोटा से भी सख्त कानून की जरुरत है !

    आपने अपने विचार रखे इसके लिए धन्यवाद !

    ReplyDelete
  6. " आज शायद सभी भारतीय नागरिक की ऑंखें नम होंगी और इसी असमंजस की स्थति भी, हर कोई आज अपने को लाचार बेबस महसूस कर रहा है और रो रहा है अपनी इस बदहाली पर ..."ईश्वर मारे गए लोगों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें .

    ReplyDelete
  7. आज मन बिलकुल अच्छा नहीं है. रात सपने में भी इसी घटना के दृश्य दीखते रहे. इसके लिए पूरी तरह से हमारे नेताओं की स्वार्थपरक राजनीती है.

    ReplyDelete
  8. मित्र, त्रासदी यह है कि हमारे नेता भी हमारी तरह कमजोर हैं!

    ReplyDelete
  9. एक एसा देश जहा ज्यादातर लोगो को अपनी अपनी पडी हो वहा ऐसा होना कोइ नइ बात नही है। मीडिया जगत एक तरफ़ १०१ लाशों के बारे मे बता रहा है उसके साथ ही चुनाव चिन्ह पर वोट देने की बात कह रहा है । कोइ मरे हमे क्या हमे तो लोगो को साबुन तेल बेचना है चाहे बम विस्फ़ोट हो या क्रिस का बोरवेल मे गिरना हो tv पर तो ad वालों के चादीं है

    ReplyDelete
  10. ऐसी त्रासद और घिनौनी घट्ना की जिम्मेदारी कोई आतंकवादी संगठन उठाता है, तो बात समझ में आती है.... लेकिन क्या हमारे राजनेता अब भी अपनी कमजोरियां और असमर्थता छिपाने में लगे रहेंगे?

    ReplyDelete
  11. संकट की इस स्थिति में बहुत साहस, एकजुटता और परिपक्वता की ज़रूरत है.
    राज ठाकरे जैसे रीढ़विहीन नेता अगर राजनीति में हैं तो केवलमात्र अपने क्षुद्र स्वार्थ एवं महत्वाकांक्षाओ की पूर्ती हेतु.
    आज जरुरत है एक ऐसे दृड़ इच्छाशक्तियुक्त नेतृत्व की,जो कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कठोर निर्णय ले सके.अन्यथा इस देश का भगवान ही मालिक है (शायद वो भी ईंकार कर दे)

    ReplyDelete
  12. आपने कभी सोचा है की अमेरिका पे दुबारा हमला करने की हिम्मत क्यों नही हुई इनकी ?अगर सिर्फ़ वही करे जो कल मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में कहा है तो काफ़ी है.....अगर करे तो....
    फेडरल एजेंसी जिसका काम सिर्फ़ आतंकवादी गतिविधियों को देखना ....टेक्निकली सक्षम लोगो को साथ लाना .रक्षा विशेषग से जुड़े महतवपूर्ण व्यक्तियों को इकठा करना ....ओर उन्हें जिम्मेदारी बांटना ....सिर्फ़ प्रधान मंत्री को रिपोर्ट करना ,उनके काम में कोई अड़चन न डाले कोई नेता ,कोई दल .......
    कानून में बदलाव ओर सख्ती की जरुरत .....
    किसी नेता ,दल या कोई धार्मिक संघठन अगर कही किसी रूप में आतंकवादियों के समर्थन में कोई ब्यान जारीकर्ता है या गतिविधियों में सलंगन पाया जाए उसे फ़ौरन निरस्त करा जाए ,उस राजनैतिक पार्टी को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए .उनके साथ देश के दुश्मनों सा बर्ताव किया जाये .......इस वाट हम देशवासियों को संयम एकजुटता ओर अपने गुस्से को बरक्ररार रखना है .इस घटना को भूलना नही है....ताकि आम जनता एकजुट होकर देश के दुश्मनों को सबक सिखाये ओर शासन में बैठे लोगो को भी जिम्मेदारी याद दिलाये ....उम्मीद करता हूँ की अब सब नपुंसक नेता अपने दडबो से बाहर निकल कर अपनी जबान बंद रखेगे ....इस हमले को याद रखियेगा ......ये हमारे देश पर हमला है !

    ReplyDelete
  13. @ डॉ .अनुराग जी ! आपकी काफी सारवान टिपणी है ! आपने जो कुछ सुझाया है आज जरुरत इसी बात की है ! पर मेरा सवाल फ़िर आपसे है की यह सब लागू कौन करेगा ?

    इसके लिए हम जनता के अलावा, इच्छाशक्ति तो इन्ही राजनैतिक पिल्लों की होगी ना !

    और आप जानते हैं की ये पिल्लै सिर्फ़ प्यों प्यों के अलावा कुछ नही करते !

    अभी ४० घंटे होगये ! उतरोतर स्थिति बिगड़ ही रही है !

    ..उम्मीद करता हूँ की अब सब नपुंसक नेता अपने दडबो से बाहर निकल कर अपनी जबान बंद रखेगे ....इस हमले को याद रखियेगा ......ये हमारे देश पर हमला है !

    नपुंसक नेता दडबो से निकल कर बिल्कुल जुबान बंद नही रक्खेंगे बल्कि फ़िर भोंकेंगे आमची मुम्बई ... क्योंकि आज मुम्बई उनकी नही दूसरो की है जो अपने आपको शहीद करने में लगे हैं ! जो कमांडो फोर्सेस वहाँ जूझ रही हैं ! ये जवान चंद नोकरी के टुकडो के लिए नही बल्कि एक जज्बे के लिए जान दे रहे हैं ! जैसे ही ओपरेशन खत्म होगा वैसे ही मुम्बई से इनका कुछ लेना देना नही रहेगा ! ठीक उसी समय मुम्बई इन गंदे पिल्लों की हो जायेगी तब आप पढ़ लेना इनकी बयानबाजी !

    हम तो जनता हैं हम कैसे भूल सकते हैं की हम पर हमला हुआ है, हमारी अस्मिता पर हमला हुआ है !

    और इन सबसे बढ़ कर जो जवान शहीद हो रहे हैं वो इन नपुंसको के नही आपके हमारे नाते रिश्तेदार हैं ! ये तो जिगर के छाले हैं जो ताउम्र रिसते रहेंगे !

    ReplyDelete
  14. व्यथित हूं। शहीदों की आत्माओं को शांति, मृतकों के परिवारों को शक्ति और दुष्टात्माओं, हत्यारों को सदबुद्धि के लिये प्रार्थना करता हूं। ताऊ अकेला चना भाड ना फोड सकता पर कान मै बड जा तै कान तो जरूर फोड सकै सै ना ।
    आज ताऊ की कलम तो लट्ठ का काम कर रही सै।
    ताऊ की बात दिमाग मै घर करगी। ताऊ सूसे नै मार कै गादड भी अपने आप नै शेर समझन लाग ज्या सै पर जब कुते पाछै लागै तो भाज कै लुक जा सै। ये तै मराठियां नै भी बांटगें शोलापुरी मराठी अर कोल्हापुरी महै। अर ताऊ एक बै सारे देश के सांसदा नै जेल मै गेर दे 5-7 साला तंई तो फेर किसा अक रहै। जिस्सा नही आजा ?

    ReplyDelete
  15. जीतनी बड़ी कंपनियों के नाम जानता हूँ और उनमें जितने काम करने वाले दोस्त हैं बॉम्बे में जब भी कुछ होता है ताज में ही होता है... बड़ा सोचा समझा हमला है. आतंकवाद के साथ-साथ आर्थिक हमला भी है... दुःख हो रहा है क्यों दो दिन की छुट्टी ली... दो दिनों से न्यूज़ देख कर दिमाग शून्य हो गया है.

    ReplyDelete
  16. अवसन्न है मन-मस्तिष्क।

    ReplyDelete
  17. " शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"

    समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
    प्राइमरी का मास्टर

    ReplyDelete
  18. ताऊ गुस्सा तो हम सब को है, ओर सब कुछ हम कर भी सकते है, अगर सब भारत के नागरिक अपने अपने वोट का इस्तेमाल करे तब, तब हम इन कुत्तो के पिल्लो को भगा भी सकते है, लेकिन कितने लोग वोट डालने जाते है, कितने लोग मिल कर बिना तोड फ़ोड के धरने देते है, इन हरामियो के बिरुध खडे होते है, अगर हम सब एक आवाज मै उठे तो क्या नही हो सकता?? यह नेता हमारी कमजोरियो का लाभ ऊठाते है, आओ सब मिल कर एक साथ चले ओर पहाड से भी मजबुत बने फ़िर जो इस मजबुत पहाड से टकरायेगा...
    ओर इस सरकार को किसने हक दिया पोटा जेसे कनुन को हटाने का, किस से पुछा, आओ मिल कर सवाल करो इन नेताओ से हिसाव मांगो पिछले ४ सालो का, ओर अगले (य़ुद्ध) इलेक्शन के लिये सभी तेयार हो जाओ सब मिल कर वोट दो, जो वोट ना दे उसे चाहे हजार गालिया दो , यह वोट हमारा तुम्हारा सब से बडा हथ्यार है, अगर हमने इस अपने देश को बचाना है तो जागो जागो, ओर एक मजबुत लीडर चुनो, जिस की आवाज शेर जेसी हो, गीदड राजा होगा तो प्रजा को कुते ओर गीदड भी नोचेगे, जाअगो जागो.......
    अन्दर ही अन्दर गुस्सा भरा है सब मै, लेकिन कोई कुछ नही कर सकता क्या???

    ReplyDelete
  19. राज ठाकरे तोमी कोथाय ?
    तुमची मुम्बई माँ लोथ गिरत बा !
    बटोरबा नइखे? अरे कहर गईले रे ?
    त्वाडे मनसे बन्दे किथे हैन्गें ?
    कोई गल नई पुत्तर साढ़ी भारतीय फौजां
    आगई हैं |

    ReplyDelete
  20. आपकी बात सही है:
    १. हमले का उद्देश्य दहशत फैलाने के अलावा आर्थिक रीढ़ तोड़ने की कोशिश भी है.
    २. हर कानून में छिद्र होते हैं. पोटा में छिद्र हैं तो उनको बैधकर, सोचकर बंद करो न की क़ानून को ही बंद कर दो. सरकार का काम जनता की रक्षा के लिए क़ानून बनाना है न की आतंकियों और अपराधियों की रक्षा के लिए. मैं सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही के ख़िलाफ़ हूँ मगर बिना कोई विकल्प सुझाए, हर कड़े क़ानून का विरोध करना भी इन आतंकियों के पक्ष में बोलने जैसा ही है.
    ३. हम कानून नहीं बना सकते हैं, मगर कानून बनाने के लिए भेजे जा रहे प्रतिनिधियों पर दवाब ज़रूर दाल सकते हैं. अगर ज़्यादा से ज़्यादा लोग जब भी सम्भव हो अपने पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री आदि से मिलकर ज्ञापन देन या डाक से ज्ञापन भेजें, ब्लॉग लिखें या सम्पादक के नाम पात्र के सहारे विरोध दर्ज करें - फर्क ज़रूर पडेगा.
    ४. दुनिया के सबसे बड़े भाड़, अकेले चनों ने ही फोडे हैं. एक मंगल पांडे की पहल ने ईस्ट इंडिया कंपनी को ख़त्म कर दिया. एक सेशन ने अनुशासनहीन नेताओं को चुनाव में सीधा चलना सिखा दिया, एक खैरनार ने मुम्बई के बड़े-बड़े दादाओं के कब्जे खाली करा दिए. हम कर सकते हैं - कैसे, यह हमें मिलकर सोचना है. मिलें कौन - हम सब - डॉक्टर, वकील, व्यवसायी, कर्मचारी, छात्र, गृहिणी, यहाँ तक की एन आर आई भी.
    ५. द्विवेदी जी की सलाह को ध्यान में रखे हुए, किसी पर अन्याय न होने देन मगर किसी देशद्रोही को छोडें भी नहीं - चाहे वह गोली चला रहा हो चाहे लोगों की भावनाएं भड़का रहा हो.

    ReplyDelete
  21. आपकी बातों से पूर्ण सहमति है। यहां भी और मानसिक हलचल में आपने जो कहा है, वहां भी। आज हमारे घर में जो भी हो रहा है, उसके लिए ये भ्रष्‍ट राजनीतिज्ञ ही जिम्‍मेवार हैं।
    यदि सभी की सहमति हो तो कोई ऐसी योजना तैयार की जाए कि सभी ब्‍लॉगर मिलकर अपने अपने ब्‍लॉग पर स्विस बैंक का भारतीय पैसा देश में लाए जाने और खातेदारों का नाम उजागर किए जाने की मांग करें। ऐसा हो तो शायद आगामी लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा बन जाए। जब इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगा तो आगामी सरकार पर इस मामले में कुछ न कुछ करने का दबाव रहेगा।

    ReplyDelete
  22. ये आतंकी घट्ना हर भारतीय पर चोट हैं|जड् से हिलाने की कोशिश है|राजनीति की गंदगी साफ़ करने के साथ ही साथ हर स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने की आवश्यकता है|अब हाथ पर हाथ रखकर बैठने का समय नही|ना ही आपसी मदभेद का समय है|प्रत्येक आम भारतीय को छोटे स्तर पर ही सही कुछ ना कुछ काम करने के लिये राष्ट्र की पुकार है|

    ReplyDelete
  23. इस निक्कमी सरकार को उखाडकर फ़ेकना ही होगा !!

    ReplyDelete
  24. राजलाल सिंहSunday, September 27, 2009 5:53:00 PM

    दिमाग बंद है।

    ReplyDelete

Post a Comment