ताऊ की उटपटांग हरकतों और फालतू की बकवास को देखते हुए एक नया साथी,  ताऊ तैं बुझण लाग गया  की ताऊ तुम ये भैंस क्यो साथ में लिए फिरते हो ? आख़िर इससे इतना प्रेम क्यूँ हैं ? ठीक है लट्ठ हाथ में रखते हो वहाँ तक तो ठीक है पर छोडो ये भैंस वैन्स को अब ! अब तुम शरीफ लोगो में बैठने लग गए हो ! तो शरीफों जैसी बात करो और शरीफों की तरह रहो ! और ये लट्ठ और भैंस की बातें करके तुम समाज का कुछ भला नही कर सकते ! कुछ ढंग का काम करो ! जिससे दुसरे का भी भला हो ! 
   
  ताऊ को ये बात सुनकर बड़ी तकलीफ हुई ! 
   
  ताऊ किम्मै छोह म्ह आकै  बोला - अरे बावलीबूच ! तेरे को ये कोई साधारण भैंस दिखै सै के ? तू  इब्बी नया सै , इस वास्ते तेरे को मालूम कोनी !  ये भैंस तो ताऊ को राजा भोज ने दी थी ! और इतने विद्वान् राजा द्बारा दी गई भैंस कोई कम विद्वान्  होगी  क्या ? ये बड़ी चमत्कारी भैंस सै ! लोक - परलोक का ऐसा  कोई काम नही जो ये नही कर सकती हो ?  आजकल ये राजा भोज द्वारा प्रदत चम्पाकली नाम की भैंस  चाँद पर ताऊ की जान बचाने में लगी हुई है ! 
   
  वो बोला - ताऊ ग़लती होगई ! आप नाराज मत हो ! आप तो ये बताओ की अब आपका आगे का क्या प्रोग्राम है ? आप तो मर कर यमदूतो के साथ चले गए थे फ़िर यहाँ कैसे आप रोज पोस्ट लिख रहे हो ? उसने टान्ट  करते  हुए कहा ! 
   
  ताऊ - अरे बावलीबूच जैसी बात ना करया कर ! ये सब उस चमत्कारी अनारकली की वजह से है !    
   
  वो  बोला - अब ये अनारकली  कौन है और कहाँ से आगई  ? अभी तो आप उसका नाम चम्पाकली बता रहे थे !    
  
 ताऊ : अरे बेकूफ , तन्नै इतना भी ना  बेरा के ? अरे यो अनारकली ताऊ की उस भैंस का नाम सै जो बादशाह अकबर ने ताऊ को दी थी ! मालूम वालूम कुछ सै कोनी ! और चला आया ताऊ को अक्ल देने ? अरे अक्ल देने का जिम्मा ताऊ का सै ! तेरे को ताऊ से अक्ल लेनी हो तो ले नही तो अपनी राधा को खिला ! और ताऊ नै अपने लट्ठ की तरफ़ देखा ! 
   
  अब उस नए नए दोस्त ने माथा पीट लिया की इस उत ताऊ से कैसे पीछा छुड़वाए ?  फ़िर लट्ठ की तरफ़ देखते ताऊ की तरफ़ देखा ! और सोचने लगा की अगर मजाक में भी एक टिक गया खौपडिया पर तो मैं  जिंदा नही बचूंगा  !  
   
  वो समझ रहा था की ताऊ के पास एक ही भैंस होगी ! और वो गई हुई है चंद्र यात्रा पर ! सो कोई खतरा नही होगा !   अब यहाँ दूसरी भी विराज रही है ! अब कुछ उलटा सीधा बोले तो लट्ठ पास ही रक्खा था ! और लट्ठ की जरुरत ही नही ! ताऊ का इशारा पाते ही उसकी ये चमत्कारी भैंस पूंछ को सुदर्शन चक्र की तरह घुमा कर गला काट डाले ! गोबर वोबर करना तो बांये हाथ का खेल है !  
   
  अब वो ताऊ का नया दोस्त भी  कोई कम घाघ नही था ! उसने सोचा की ताऊ की अक्ल तो घुटने में होती है सो इसके घुटनों की प्रसंशा करके ही यहाँ से राजी खुशी निकल पाउँगा ! तो चापलूसी करते हुए बोला - ताऊ इस अनारकली वाला किस्सा भी सुनाओ ना ! आपकी अनारकली तो बिल्कुल हीरोईन की तरह सुंदर और खूबसूरत लगती है ! 
   
  ताऊ भड़क गया ! बोला - मन्नै बेरा सै ! तू मेरे को चने के पेड़ पै चढाण लाग रया सै ! चल निकल ले इब ! घणी बार होगई सै इब ! और इधर म्हारे धौरै घणा ही ज्ञान भरया पडया सै ! ताऊ नै बेरा सै की उसको  के करना सै और के नही करना सै ? इब थम लोग तय करोगे की ताऊ भैंस पाले या डकैती डाले और ताऊ नै अपना लट्ठ उठा लिया !  
   
  और वो बेचारा डर के मारे बोला - नही ताऊ आपसे अक्लमंद तो कोई दुनिया में है ही नही ! आपतो साक्षात बुद्धि के अवतार हैं कलयुग में !  पोने दो तो आप ही हो बल्कि पोने दो भी कम ही पडेगा,  आप तो एक सेर और चौदह छटांक हो ! बाकी पूरी दुनिया दो छटांक में है ! 
   
  और ताऊ की अक्ल सही में घुटने में ही होती है ! उस आदमी की बातो में आगया ताऊ ! सही है ताऊ को अपने वश में करना हो तो बडाई करो ! झगडा करोगे तो आख़िर तक नही हार मानेगा ! और आपके पीछे लग लेगा ! 
   
  ताऊ की अक्ल सिर्फ़ उसकी शरीर की  ताकत होती है !  बुद्धि से कोई लेना देना नही होता ! ताऊ की ताकत से बुद्धि ही जीत सकती है वरना बात और लात दोनों में ताऊ ही भारी पड़ेंगे ! आप अगर बुद्धि का इस्तेमाल कर सकते हो तो ताऊ से घर की गोबर बुहारी भी करवा लो और उल्टे पैसे भी लेलो ! 
   
  अब ताऊ के उस घाघ दोस्त ने ताऊ को उचकाया तो ताऊ बताने लगा की उन दिनों बादशाह अकबर का राज था ! और वो दुष्ट बीरबल उसका मंत्री हुआ करता था ! अगर बीरबल नही होता तो मैं आज सिर्फ़ भैंस और लट्ठ के साथ  नही होता बल्कि पूरा अकबरी साम्राज्य ताऊ का होता ! ताऊ ने बड़ी पीडा पूर्वक बताया ! 
   
  अब उस दोस्त के चौकने की बारी थी ! उसने कंधे उचका कर पूछा - ताऊ बताओ , की ये अकबरी साम्राज्य फ़िर आपका होने से कैसे रह गया ? 
   
  
 ताऊ बोला - भाई सुन ! उस समय में ताऊ पहलवानी किया करै था ! और आगे पीछे भी कोई था नही ! कोई चिंता फ़िक्र नही ! जंगल के रास्ते में एक हनुमान मन्दिर था ! बस वही पडा रहता और दंड पेला करता था ! अकबरी राज का कोई भी पहलवान ऐसा नही था जो मुझे जीत सकता हो ! 
   
  तब बादशाह अकबर ने खुश होकर ये अनारकली नाम की झौठडी मेरे को इनाम में  दे दी ! और इसका सीधा सम्बन्ध शाही खान दान से हैं ! इसी की बहनों और भतीजियों के दूध  ने आगे ओरंगजेब तक के सारे मुग़ल बादशाहों को पाल पोस कर बड़ा किया था !  और इसी अनारकली का दूध पी पी के मैं इतना ताकत वर हो गया की दुसरे राज्यों के पहलवानों को भी हराने  लग गया ! बस मैं और अनारकली तब से उसी मन्दिर पर रहते थे !
   
  अब धीरे धीरे मेरे अन्दर इतना बल आगया की मैं अगर हाथी की पूंछ पकड़ कर खडा हो जाऊं तो हाथी आगे नही बढ़ सकता था ! बड़े २ सेठ साहूकारों को  भी मैं उनके हाथी घोडो की पूंछ पकड़ कर रोक लिया करता और मजाक उडाता था ! और एक दिन तो हद ही हो गई जब मैंने बादशाह अकबर का  सेनापति  जब  हाथी पर निकल रहा था तब उसके हाथी की पूंछ पकड़ कर खडा  हो गया  ! उसने बहुत हाथ पैर मारे ! पर हमारे सामने सब बेकार !  
   
  उसने जाकर शिकायत करदी बादशाह सलामत से ! जिल्ल्लै इलाही   को भरोषा नही आया तो वो स्वयं देखने आगये ! अब हमारी तो आदत थी सो हमने उनके हाथी की भी  पूंछ पकड़ ली और हाथी बिचारा हवा में लटकता रह गया ! बादशाह सलामत तो मारे शर्म के जमीन में गड़ क्या गए बल्कि धंस ही गए !
   
  
 अब बादशाह सलामत या कोई भी उधर से डर के मारे नही निकलता था ! और हमसे छुटकारा पाने के उपाय सब किया करते थे ! 
   
  प्रत्यक्ष में जनता हमारे साथ थी सो जिल्ले इल्लाही सीधा हुक्म भी राज्य छोड़ने का नही दे पाये ! अब बीरबल से मंत्रणा करने लगे ! 
   
  एक दिन बहुत  विचार के बाद बीरबल ने कहा की महाराज मैंने इस ताऊ का बहुत बारीकी से अध्ययन किया है ! इसकी सफलता है सिर्फ़ बेफिक्री ! जब तक ये बेफिक्र रहेगा इसको कोई नही हरा पायेगा ! और ऐसे ही बेफिक्र रहा तो ये आपका राज्य भी  जीम जायेगा ! 
   
  और भाई ये सलाह अगर बीरबल नही देता तो उसका क्या बिगड़ जाता ? हमारे  साथ दुश्मनी निकाल ली उसने ! 
   
  हमने बीरबल को कहा भी था की बीरबल तुमको यह बात हमें पहले बतानी चाहिए थी ! अरे हम तुम्हे उसमे से आधा राज्य दे देते ! ये बादशाह तुमको क्या ख़ाक देगा ? ज्यादा से ज्यादा २ या ५ सौ स्वर्ण मुद्राए ! बीरबल कुछ नही बोला ! 
   
  इसी से लगता है की ताकतवर होने के साथ बुद्धिमान भी होना चाहिए ! नही तो बादशाहों की तरह एक बीरबल भी रख लो ! अगर हमने ये सोच लिया होता तो आज आप मुगलिया सल्तनत के इतिहास की बजाये ज्ञानदत्त जी द्वारा रिकमंड की हुई "ताऊलॉजिकल स्टडीज़"  पढ़ रहे होते ! और हमारी इस छोटी सी भूल की वजह से हमारी वर्तमान पीढी हमको आज तक ताने मारती है ! और हम ख़ुद जिल्लेइलाही की बजाये ताऊ बने घूम रहे हैं ! अगर हमने झूँठी ताकत के अंहकार में बुद्धि की अवहेलना ना की होती तो आज इतिहास ही कुछ और होता ! 
   
  
  खैर आगे की कहानी सुनो !
   
  बीरबल के ऐसा कहने पर घबराकर बादशाह बोले - की बीरबल उपाय बताओ ! 
   
  बीरबल बोले - उपाय महँगा है ! 
   
  बादशाह : हमारे राज्य से तो महँगा नही ? 
   
  बीरबल  - नही जहाँपनाह ! मेरे रहते आपके राज्य पर किसी की नजर नही पड़ सकती !बस आप तो खजाने का मुंह खोलकर रखिये ! बाक़ी सब मेरे ऊपर छोडिये ! आख़िर इन्ही लोगो की अक्ल और लालच  की बदौलत तो ये शहंशाह बन के टिके हुए थे ! और ताउओ को ठीकाने लगाने का काम भी इन्ही के जिम्मे था ! वरना जिल्ले इलाही तो हिंद के गली कूचे भी नही जानते थे ! 
   
  
 अब बीरबल मेरे पास आए और बोले - ताऊ बादशाह सलामत को ज्योतिषी ने बताया है की उनके राज्य पर खतरा है ! उपाय स्वरुप इस मन्दिर में दिया जलाना है !  यहाँ के पुजारी जी छुट्टी जा रहे हैं ! सो उनके आने तक यह काम तुम कर देना ! और बदले में एक सोने की मोहर तुमको रोज मिलेगी ! और दिया ठीक शाम और सुबह  ६ बजे जल जाना चाहिए ! समय का विशेष ध्यान रखना ! ठीक ६ बजे यानी ६ बजे ! 
   
  ये कौनसा मुश्किल काम था ! मैं उस सोने की  मोहर  की फिराक मे ये काम करने लगा और बीरबल रोज मुझे एक सोने की मोहर देने लगे ! 
   
  धीरे २ मैं इसके बंधन में हो गया ! कभी मैं चौंक कर जल्दी उठ जाता दिया जलाने के चक्कर में ! कभी बाहर से शाम को जल्दी लौटता शाम के ६ बजे के चक्कर में ! मेरी बेफिक्री जाती रही ! अनमना सा रहने लगा ! एक गुलामी सी हो गई समय की ! 
   
  काफी समय हो गया ! मैं काफी अस्त व्यस्त हो चुका था ! वो मस्ती जा चुकी थी ! एक दिन बीरबल के साथ बादशाह सलामत भी आए ! और मुझे नियमानुसार सोने की मोहर दी ! 
   
  जहाँ पहले मुझे सिर्फ़ पहलवानी के सपने आते थे अब सोने की मोहर के आने लग गए ! पहले मैं अबलाओं की बला से बचा हुआ   था ! अब उन अबलाओं के माता - पिता   भी उनको मेरे गले बाँधने की फिराक में रहने लगे ! क्योंकि उनको ख़बर लग चुकी थी की मैं रोज एक सोने की मोहर कमाता हूँ ! रोज अपनी सुंदर २ कन्याओं विवाह प्रस्ताव लेकर पधारने लगे !  
   
  और बीरबल बोले - सुनो ताऊ , अब  जहाँपनाह का राज बच गया है ! कल से तुम दिया मत जलाना ! अब उसकी जरुरत नही रही ! और बादशाह बोले - ताऊ तुम हमारे हाथी की पूंछ पकड़ कर रोक के दिखाओ ! अगर रोक पाये तो सारा राज्य तुम्हारा ! हमने कोशीश की ! पर बेकार ! नही रुका हाथी तो ! बल्की हमें कागज़ के पूतले की तरह घसीट ले गया ! हमारी बड़ी जग हसाई हुई ! पर क्या कर  सकते हैं ? किसी भी तरह का बंधन या चिंता  आदमी को दीमक की तरह खा  जाती है !
   
   
              |           इब खूंटे पर पढो :-                        एक बार ताऊ अपने पड़ोसी के बच्चे के साथ बाजार चला गया !  वहाँ रास्ते में एक मोटे पेट का अनजान  आदमी दिख गया !            पड़ोसी के बच्चे ने पूछा - ताऊ ये कौन है ? ताऊ ख़ुद बावलीबूच ! क्या जवाब दे ?            बार २  बच्चे के जिद्द करने पर सोचकर  ताऊ बोला - बेटे , ये है उद्योगपति !                        थोड़ी देर बाद एक  पूरे समय की गर्भवती बीरबानी ( औरत ) देख कर उस बच्चे ने फ़िर वही सवाल दोहराया  !            अब ताऊ क्या जवाब दे ?  अब ताऊ उसको जितना ही टालने की कोशीश करता वो उतना ही ज्यादा पूछने लगा ! ताऊ ने सोचा की ये आज पिटवा कर ही छोडेगा !                         आख़िर थक हार कर ताऊ बोला - बेटे ये पति उद्योग है !                    |