शेयर मार्केट में ताऊत्व का महत्व

भक्त जनों, आजकल शेयर मार्केट उछाल पर है और हमेशा से ही शेयर मार्केट को लोग शार्टकट में पैसा कमाने का जरिया समझते आये हैं। और ताऊ गवाह है , और थोड़ा बहुत इतिहास और भगवान भी गवाह है कि इस मार्केट से ताऊओ के अलावा कोई भी कमाना तो दूर, अपना पैसा भी वापस घर नहीं ले जा पाया है। 

बॉलीवुड में पहले एक कहावत प्रसिद्द थी की हर आदमी अपना भाग्य आजमाने फिल्म लाइन में आता है अपना लौटा भर कर और अपना लौटा मुम्बई के समंदर में खाली करके लौट जाता है और बॉलीवुड के समंदर में इन लौटो की वजह से ही कभी सूखने की कोई नौबत नही आती। और यही कहावत शेयर मार्केट पर भी लागू होते दिखाई देती है, ये ताऊ का अपना नजरिया है आपका कुछ और भी हो सकता है।

यहां ललचाने के तरीके आला दर्जे के हैं, कल ही  Dishman Pharma 20 % प्रतिशत बढा और आज भी 10% प्रतिशत बढा, लेकिन कमाया किसने? कमाने वाले सिर्फ वो हैं जिन्होंने लम्बे समय से निवेश कर रखा था। 

इसलिए भक्तजनों आपको सावधान करना ताऊ का फर्ज है कि आप किसी आवेश में ना आये और अपनी गाढ़ी खून पसीने की कमाई को सोच समझकर निवेश करें।

एक बात का ध्यान रखें कि किसी भी तरह के लालच में ना आये, अक्सर आपके पास भी मेसेज आते होंगे की ये शेयर 2 रूपये चल रहा है और पांच सात दिन में ही 20 रूपये हो जाएगा। और होता ये है आपके वो दो रुपये भी खत्म हो जाते हैं। आपको देखना ही हो तो kabra drugs  का उदाहरण देखले की कैसे चवन्नी छाप शेयर 180 रूपये हो गया और वापस चवन्नी छाप हो गया। जिन्होंने पैसा लगाया था उनको बेचने का मौका तक नही मिला।

और अब तो Reliace Industries पर ही 2007 के मामले में वायदा कारोबार में प्रतिबन्ध और पेनाल्टी का आदेश हुआ है। 

याद रखे, इस बाजार में अपने को ताऊ समझने वाले छोटे ताऊओ को बड़े ताऊ नाश्ता पानी समझकर डकार जाते हैं।
रामराम।

ललित शर्मा का तिलस्म ताऊ ने तोड़ दिया


ललित डाट काम पर एक प्रश्न पत्र प्रकाशित हुआ था जो आज तक अनुत्तरित है। अभी अभी पिछले सप्ताह ही ललित शर्माजी ने चेलेंज किया था कि वो प्रश्नपत्र आज तक कोई नही सुलझा पाया। गोया  ये प्रश्न पत्र नही हुआ बल्कि देवकीनन्दन खत्री जी का चन्द्रकान्ता सन्तति उपन्यास होगया। ललित जी ने ये तिलस्म बांधा था जो शायद ताऊ की वापसी के लिए बांधा गया था। अब समय आ गया है कि इस तिलस्म को तोड़ दिया जाए। तो इस तिलस्म के एक एक परखच्चे अब उडाने का वक्त आ पहुंचा है। आजकल फेसबुकिया जमाना है। पांच दस लाइन की पोस्ट होती है तो सारा प्रश्न पत्र और उसके जवाब एक साथ आप पढ़ नही पाएंगे। इस वजह से हम इस तिलस्म के दो दो सवालों के जवाब एक एक पोस्ट में देकर यह तिलस्म हमेशा के लिए तोड़ डालेंगे। तो भक्तजनों अब दिल थामकर और कलेजा कड़ा करके इस तिलस्म के जवाब सुनिये। प्रश्नों को क्रमवार नही सुलझाते हुए क्रम हम अपने हिसाब से तय करेंगे।

प्रश्न (11) चिट्ठा चर्चा पर विवाद कब और क्यों नहीं हुआ?
उत्तर : ब्लागजगत में पहली बार जब एक कहावत  प्रसिद्द हो चली थी की "मूंछे हो तो ललित शर्मा जैसी" वरना घुटमुंडा रहना ही अच्छा। बस इस के पहले तक कोई विवाद नही हुआ। और सारा विवाद इसके बाद ही शूरू हुआ। जिसकी परिणीति के विषय में अन्य सवाल भी हैं इसलिए इसका उत्तर यहां पर इतना ही दिया जा रहा है।

सवाल 5 (ब) उचित संबंध जोड़ो (5 अंक)

(1) अनुप शुक्ला               - मानसिक हलचल
(2) लाला समीर लाल        -पराया देश
(3) ताऊ                           -फ़ुरसतिया
(4)राज भाटिया                -रामप्यारी
(5)ज्ञानदत्त पाण्डे            -उडन तश्तरी

उत्तर : यह बहुत ही सिम्पल सवाल है जिसका उत्तर बच्चा बच्चा जानता है। फिर भी हमें तो 100 नम्बर लेने है इसलिए जवाब दे रहे हैं वरना कोई आवश्यकता नही है।

अनूप शुक्ला की मानसिक हलचल बहुत ही सक्रिय रहती है। उन्होने मौज लेने का कोई मौका ना तो पूर्व में कभी गंवाया है और ना ही आज गंवाते हैं। उम्मीद है "तू मौज का दरिया है" पर अमल करते हुये आगे भी मौज का दरिया बहाते रहेंगे।

लाला समीरलाल भारत छोड़कर पराया देश में जाकर बस गए और आने का नाम नहीं लेरहे हैं। अब भारत मोदीजी के नेतृत्व में बहुत आगे बढ गया है और काम करने के अवसर यहां पराया देश से ज्यादा है। लिहाजा अब  "आ अब घर लौट चले" के बारे में सोचेंगे।

ताऊ बिलकुल फ़ुरसतिया हो गया है इसीलिए ब्लॉग और फेसबुक पर लौट आया है। उम्मीद है ताऊ अब ठगी, फ़रेबी और लूट का धंधा बंद करके दूसरा कोई काम धंधा करेगा. उम्मीद है अब ताऊ को समझना चाहिये कि "गब्बर और सांभा का खेल" ज्यादा दिन नही चलता।

राज भाटिया रामप्यारी को लेकर जर्मनी भाग गए हैं और इस तिलस्म के टूटने के डर से 7 दिनों के लिए गायब हो गए है। उम्मीद है राज भाटिया समझेंगे कि "मांद मे छुपने से क्या होगा" अत: उन्हें चाहिये कि जल्द मांद से बाहर निकल कर होली में शामिल हो जायें।

ज्ञानदत्त पांडे ने कुछ ही समय पहले एक उड़नतश्तरी को रंगे हाथों पकड़ लिया था और वो उडनतश्तरी मंगल ग्रह वालों की है. अत: उनको समझना चाहिये कि किसी पराये देश के यान के साथ "जानी हम दुश्मनों से भी इज्जत से पेश आते हैं" के सिद्धांत पर चलते हुये उसे आजाद कर देंगे।

बाकी का पर्चा अगली पोस्ट में हल किया जायेगा.

फ़ेसबुक की जगह अब ताऊ की दिमाग बुक का जमाना आने वाला है।



जब ब्लागिंग अपने चरम पर थी उस वक्त फेसबुक के लिए ऐसी कल्पना भी मुश्किल थी की पृथ्वी वासी जंतुओं की शुभ प्रभात से शुभ रात्रि तक का जुगाड़ यहीं बन जाएगा.  ब्लागिंग में किसी ने नित्य एक पोस्ट लगा दी तो बहुत होगया वरना तो साप्ताहिक पोस्ट तक मामला चल जाता था, वैसे कुछ मठाधीष अपवाद भी थे जो एक दिन में कई कई पोस्ट ठेलने में उस्ताद थे.
  
वाह रे जकुर बर्गवा तूने भी क्या धोबीपाट मारा है कि आदमी फोन लिए लिए ही किसी की पोस्ट पर हंसता है और किसी की पर रोता है, गुस्सा होता है और ये सच में अनुभव किया होगा आपने की ये एक्शन होता ही है. 
 
पर बेटा जकरबर्गवा अब तू ताऊ के दाव से नही बच सकता, जिस तरह तूने ब्लागिंग को खून के घूँट पिलाये है, अब तू तैयार होजा.  अब ताऊ पेश करते हैं "दिमाग बुक" हाँ तूने सही सूना दिमाग बुक.
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हाँ तो मित्रो, इस जक्रू बर्गू से तो बाद में बात करेंगे पहले आपको जरा दिमागबुक की जानकारी दे देते हैं वरना आप कहेंगे कि ताऊ एकेले एकेले माल जीम गया और हमको बताया भी नहीं.  
 
बात यह है कि हमने एक सॉफ्टवेयर बनाया है जो फेसबुक को आनेवाले समय में रिप्लेस करेगा. हम चार साल ब्लागिंग से दूर होकर ढोसी के पहाड़ों में तपस्या रत होकर इसी की खोज में थे और अब ये पूरी तरह हमे मिल गया है.
 
आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि दिमागबुक कैसे काम करेगा?
इसमें आपको सिर्फ एक बार साइन इन करने के लिए नेट की जरूरत पड़ेगी उसके बाद फ़िर कभी नही.  फेसबुक की तरह ही आपके फ्रेंड्स होंगे और आप चाहें तो फेसबुक की पूरी फ्रेंड लिस्ट को दिमागबुक पर भी इम्पोर्ट कर सकेंगें. एक बार आपकी फ्रेंडलिस्ट तैयार हो गई तो आप दिमागबुकिंग के लिए तैयार हो गए समझिये.

आपको दिमाग बुकिंग के लिए हमारी तरफ से एक मोडम बिना किसी खर्च के मुफ्त मिलेगा.  बस अब आप मोडम को बिजली के खटके में डालके आन कीजिये और शुरू हो जाइये. किसी फ़ेबलेट, लेपटोप या मोबाईल की जरूरत ही नही रहेगी, आपको सिर्फ़ मोडम की जरूरत होगी और वो मिलेगा बिल्कुल मुफ़्त. यहां इंटरनेट की जरूरत भी नही सो मुकेश अंबानी की भी बारह बज जायेगी. उसने बेचारे मोबाईल कंपनियों वालों को बहुत खून के घूंट पिला लिये अब भुगतो ताऊ की खोज को.
 
आप जो कुछ दिमाग में सोचेंगे वो दिमागबुक में पोस्ट हो जाएगा, किसी फ्रेंड कुछ भी शेयर करना हो वो भी सोचते ही हो पोस्ट हो जाएगा.  किसी से गाली गलौज करनी हो तो वो भी हो जायेगी और तो और मारपीट भी हो सकेगी और वो भी बिलकुल असली. और कहीं रायता फ़ैलाना हो तो सिर्फ़ आपके दिमाग में आना चाहिये और बस रायता फ़ैला हुआ ही जानिये. फ़िर इस रायते को ताऊ के अलावा कोई नहीं समेट पायेगा. बस आप मोडम के सामने बैठकर सोचते जाइये वो सब कुछ होता जाएगा जो आपके दिमाग में आता जायेगा. इस मोडम से दूरभाष संवाद भी आप कर सकेंगे.

अब यह तो हुआ दिमाग बुक का कार्य करने का तरीका पर सवाल यह है कि इसमें रेवेन्यू कहां से आएगी? जबकि ताऊ ना आपसे मोडम का किराया मांग रहा है और ना ही कोई नेट वगैरह का खर्चा, तो सुनिये, दिमागबुक पर विज्ञापन चलेंगे और वो भी महंगी कंपनियों के, फ़ेसबुक की तरह घटिया नहीं कि किसी पोर्न सामग्री को प्रोमोट कर दिया, कोई छछूंदर छाप तेल बेच दिया या तोता छाप ज्योतिषी को प्रमोट कर दिया.. 

दिमागबुक पर विज्ञापन चलेंगे जैसे रोल्स रायस, बोईंग जेट, इसरो से सेटेलाईट लांच करवालो, तोप खरीद लो, बमवर्षक खरीद लो, परमाणु तकनीक ले लो, ऐसे विज्ञापन चलेंगे.

अब आप कहेंगे कि ताऊ की खोपडिया सटक गई है फ़िर कहीं से चंडूखाने की पकड लाया है. जरा शांत दिमाग से सोचिये जब दिमाग बुक पर सब कुछ दिमाग से चलेगा तो दिमागबुक के उपयोग कर्ताओं के दिमाग पर भी ताऊ का राज रहेगा. प्रशांत किशोर वैसे तो कांग्रेस की लुटिया डूबने के साथ ही डूब गये लेकिन ताऊ की दिमागबुक पूरे विश्व के नेताओं को चुनाव भी जितवा देगी. दिमाग बुक की सबसे बडी रेवेन्यू इसी से आयेगी. दिमागबुक से कितने ही नार्थ कोरियाई गैंडा या ट्रंप जैसे सुशील राजनेता विश्व को देने में हम सक्षम हो सकेंगे.


हम विज्ञापन बुक करेंगे इस शर्त के साथ कि तुम्हारा इस मात्रा में माल बिक जायेगा या तुम चुनाव जीत जावोगे क्योंकि हमारे मोडम के सामने बैठते ही आपका दिमाग हमारे वश में रहेगा और जो हमारा विज्ञापन कहेगा वो चीज आपको हर हाल में खरीदनी ही पडेगी, जिसे हम चाहें उसे वोट देना ही पडेगा.. तो इस तरह पूरे विश्व के मार्केट पर ताऊ की दिमाग बुक का कब्जा हो जायेगा. तब गूगल सिर्फ़ गूग्गल की धूनी देने के काम आया करेगा और बाकी के लोगों की क्या हालत होगी यह आप कल्पना कर सकते हैं.  

अब आपके काम की बात : सवाल यह है कि आपको ताऊ के मित्र होने का क्या फायदा मिलेगा?
बिल्कुल मिलेगा, हम अगले साल में इसे लांच करने जा रहे हैं और उसके बाद इसका IPO पब्लिक के लिये आयेगा. किंतु हम आपको प्राईवेट प्लेसमैंट में इसके शेयर अभी दे देंगे. एक ब्लागर को सिर्फ़ एक शेयर और एक शेयर की अभी की कीमत होगी सिर्फ़ दस लाख रूपये. IPO के बाद इसकी कीमत एक करोड तक जाने की संभावना है. तो देर मत किजीये, यह सुनहरा मौका हाथ से निकल गया तो बाद में आपका हाल भी उन लोगों जैसा होगा जिन्होने IT बूम को नहीं पहचाना और इन्फ़ोसिस, विप्रो जैसी कंपनियों के शेयर नहीं लिये.

भक्तजनो, यह भविष्य की तकनीक है और आज आप चूक गये तो हाथ मलते ही रह जायेंगे.