एक गौरैया, फ़ुदकती थी यहां, अब कहां है January 26, 2013 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps 1 एक गौरैया फ़ुदकती थी यहां कहां है अब 2 सीता व राम परिणय के बाद जूझते रहे 3 शिव शंकर महा औघड दानी स्वयं बेघर 4 राधा व कृष्ण बिना किसी बंधन एक हो गये 5 कदंब भोज गोपियों संग रास महाभारत Comments Anju (Anu) ChaudharySaturday, January 26, 2013 1:17:00 PMहर दौर के अलग-अलग हाइकु ...बहुत बढिया ReplyDeleteRepliesReplyडॉ टी एस दरालSaturday, January 26, 2013 3:08:00 PMग़ज़ब ! आधुनिक सोच। शुभकामनायें। ReplyDeleteRepliesReplyप्रवीण पाण्डेयSaturday, January 26, 2013 3:40:00 PMसबकी एक कहानी है,सुनकर आज सुनानी है।ReplyDeleteRepliesReplySatish Saxena Saturday, January 26, 2013 4:54:00 PMब्लॉगर ताऊ का नया अंदाज़ भी बढ़िया है ... ReplyDeleteRepliesReplyदेवेन्द्र पाण्डेयSaturday, January 26, 2013 5:28:00 PMबहुत खूब...झूजते?जूझतेReplyDeleteRepliesReplyडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'Saturday, January 26, 2013 5:48:00 PMदेश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!--आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!सूचनार्थ... सादर!ReplyDeleteRepliesReplyभारतीय नागरिक - Indian CitizenSaturday, January 26, 2013 7:23:00 PMताऊ, इतनी दूरी भी ठीक नहीं.ReplyDeleteRepliesReplyअशोक सलूजाSaturday, January 26, 2013 8:17:00 PMवाह! ताऊ जी वाह! एक से बढ़ कर एक ...फिर भी मेरी पसंद ..शिव शंकरमहा औघड दानीस्वयं बेघरवाह! राम-राम जी !ReplyDeleteRepliesReplyAlpana VermaSaturday, January 26, 2013 9:11:00 PMसभी हायकू बहुत अच्छे हैं।गौरय्या हमारे यहाँ तो कई सारी आती हैं।ReplyDeleteRepliesReplyGyan DarpanSaturday, January 26, 2013 10:29:00 PMवाह ! शानदार !!ReplyDeleteRepliesReplyANULATA RAJ NAIRSaturday, January 26, 2013 11:21:00 PMबहुत बढ़िया हायकू....लाजवाब!!गणतंत्र की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!सादरअनु ReplyDeleteRepliesReply डॉ. मोनिका शर्मा Saturday, January 26, 2013 11:43:00 PMसुंदर हाइकु ...गौरया तो सच में खो गयी.....ReplyDeleteRepliesReplySumanSunday, January 27, 2013 7:15:00 AMसभी एक से एक सुन्दर पर खास यह है ....सीता व रामपरिणय के बादझूजते रहेराधा व कृष्णबिना किसी बंधनएक हो गयेसटीक ...ReplyDeleteRepliesReplyUnknownSunday, January 27, 2013 7:52:00 AMकितना दुःख कहेमन कल्पितअंदर दबायेँ हैँ ।ReplyDeleteRepliesReplyकविता रावत Sunday, January 27, 2013 5:04:00 PMशहर में तो गौरैया के दर्शन दुर्लभ होते जा रहे हैं ..बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..ReplyDeleteRepliesReplyसंगीता स्वरुप ( गीत )Monday, January 28, 2013 11:17:00 PMबढ़िया हाइकु .... राम कृष्ण शिव सबको समेट लिया । ReplyDeleteRepliesReplyपी.सी.गोदियाल "परचेत"Thursday, January 31, 2013 5:24:00 PMसीता व रामपरिणय के बादजूझते रहेवो ही क्या जूझे , सभी जूझते है :)ReplyDeleteRepliesReplyUdan TashtariFriday, February 01, 2013 7:11:00 AMवाह!!ReplyDeleteRepliesReplySmart IndianSaturday, February 02, 2013 9:02:00 AMवाह!ReplyDeleteRepliesReplyAnita Lalit (अनिता ललित ) Saturday, February 02, 2013 11:06:00 AMबहुत सुंदर हाईकु !~सादर!!!ReplyDeleteRepliesReplyKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनSaturday, February 02, 2013 7:32:00 PMअब ये ब्लाग सीधे-सीधे ही सीरियस होने लगा हैReplyDeleteRepliesReplyदिगम्बर नासवाSunday, February 03, 2013 5:37:00 PMभई राम राम ... हाइकू पे हाथ मजबूत हो रहा है ताऊ श्री ... राम राम ...ReplyDeleteRepliesReplyलोकेश सिंहTuesday, February 05, 2013 5:00:00 PMताऊ जी को सदर प्रणाम ,अच्छे हायकू अलग अलग विषयवस्तु नए दृष्टिकोण के साथ ,बहुत बहुत साधुवादReplyDeleteRepliesReplyHARSHVARDHAN Wednesday, February 06, 2013 2:58:00 PMसही कहा। कहाँ फुदकती है गौरेया।कृपया मेरे लेख "एक जानकारी गौरेया के बारे में" को भी पढ़े। ब्लॉग का नाम :- गौरेया ब्लॉग का पता :- gaureya.blogspot.comअगर हो सके तो, गौरेया संरक्षण के लिए "गौरेया" ब्लॉग को फॉलो करे। धन्यवाद।ReplyDeleteRepliesReplyAdd commentLoad more... Post a Comment
हर दौर के अलग-अलग हाइकु ...बहुत बढिया
ReplyDeleteग़ज़ब !
ReplyDeleteआधुनिक सोच।
शुभकामनायें।
सबकी एक कहानी है,
ReplyDeleteसुनकर आज सुनानी है।
ब्लॉगर ताऊ का नया अंदाज़ भी बढ़िया है ...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteझूजते?
जूझते
देश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDelete--
आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
ताऊ, इतनी दूरी भी ठीक नहीं.
ReplyDeleteवाह! ताऊ जी वाह! एक से बढ़ कर एक ...
ReplyDeleteफिर भी मेरी पसंद ..
शिव शंकर
महा औघड दानी
स्वयं बेघर
वाह! राम-राम जी !
सभी हायकू बहुत अच्छे हैं।
ReplyDeleteगौरय्या हमारे यहाँ तो कई सारी आती हैं।
वाह ! शानदार !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हायकू....
ReplyDeleteलाजवाब!!
गणतंत्र की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!
सादर
अनु
सुंदर हाइकु ...गौरया तो सच में खो गयी.....
ReplyDeleteसभी एक से एक सुन्दर
ReplyDeleteपर खास यह है ....
सीता व राम
परिणय के बाद
झूजते रहे
राधा व कृष्ण
बिना किसी बंधन
एक हो गये
सटीक ...
कितना दुःख कहे
ReplyDeleteमन कल्पित
अंदर दबायेँ हैँ ।
शहर में तो गौरैया के दर्शन दुर्लभ होते जा रहे हैं ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
बढ़िया हाइकु .... राम कृष्ण शिव सबको समेट लिया ।
ReplyDeleteसीता व राम
ReplyDeleteपरिणय के बाद
जूझते रहे
वो ही क्या जूझे , सभी जूझते है :)
वाह!!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाईकु !
ReplyDelete~सादर!!!
अब ये ब्लाग सीधे-सीधे ही सीरियस होने लगा है
ReplyDeleteभई राम राम ... हाइकू पे हाथ मजबूत हो रहा है ताऊ श्री ...
ReplyDeleteराम राम ...
ताऊ जी को सदर प्रणाम ,अच्छे हायकू अलग अलग विषयवस्तु नए दृष्टिकोण के साथ ,बहुत बहुत साधुवाद
ReplyDeleteसही कहा। कहाँ फुदकती है गौरेया।
ReplyDeleteकृपया मेरे लेख "एक जानकारी गौरेया के बारे में" को भी पढ़े।
ब्लॉग का नाम :- गौरेया
ब्लॉग का पता :- gaureya.blogspot.com
अगर हो सके तो, गौरेया संरक्षण के लिए "गौरेया" ब्लॉग को फॉलो करे। धन्यवाद।