ताऊ को फ़ेसबुक की ए. बी. सी. डी...... भी नही मालूम, पांच सात दिन पहले घूमता घामता एक दिन वहां पहूंच गया. महानगरों जैसी रेलमपेल थी....दिमाग चकरा गया, कहीं किसी के कमेंट मेसेज आ रहे हैं...कहीं चैट मेसेज...विज्ञापन भी धडाधड फ़्लश हो रहे थे... कहीं कुछ ..कहीं कुछ...पोस्ट धडाधड आ रही हैं...एक पर कुछ लिख दो तो दुबारा ढूंढना मुश्किल. किसी ने कहा टाईम लाईन देखो....अब ताऊ को क्या पता, टाईम लाईन क्या होती है? यानि ब्लाग एक शांत समंदर है तो फ़ेस बुक महानगरीय चकाचौंध का नमूना.
खैर ताऊ और बंदर में कुछ फ़र्क नही होता....इधर उधर जहां इच्छा हुई वहां क्लिक करना शुरू किया....ज्यादातर पहचान वाले ब्लागरों की पोस्ट वहां थी सो ट्रायल मारने के लिये Like दबा दिया वहां तुरंत Unlike लिखा आ गया...अब हम तो घबरा गये कि ये शायद हमने उसकी पोस्ट को Unlike कर दिया है...पता नही, अब वो क्या सोचे? ब्लाग पर किसी की पोस्ट पर Unlike ठोक दो तो भूचाल आजाये..... इसलिये दो चार दिन तो डर के मारे फ़ेसबुक की तरफ़ मुंह ही नही किया. बंदर को कुछ कुछ स्वाद आ गया था सो एक दिन फ़िर हिम्मत जुटाकर फ़ेसबुक की तरफ़ फ़ेस किया. जैसे चोर चोरी करने के पहले हालात का जायजा यानि रैकी करते हैं उसी तरह से इधर उधर देखते रहे कि कौन कैसे क्या क्या कर रहा है...
रैकी करते करते पता नही.. कितनों की पुरानी फ़्रेंड रिक्वेस्ट पडी थी...उन सबको बिना सोचे समझे confirm कर दिया. फ़ेसबुक द्वारा सुझाये गये कई नामों पर हमने क्लिक कर दिया ये समझकर कि वो हमे फ़्रेंड बनने का न्योता दे रहे हैं. कुल मिलाकर बंदर के हाथ उस्तरा लग चुका था.
इसी तरह क्लिक करते करते एक जगह क्लिक हो गया, वहां डा. मोनिका शर्मा का मेसेज दिखा कि आपके ब्लाग की खबर राजस्थान पत्रिका में है...ताऊ ने तुरंत निवेदन किया कि एक स्केन कापी भिजवा सकें तो मेहरवानी होगी....यह लिखकर बटन दबाते ही तुरंत उनके मेसेज के नीचे ध्यान गया तो वहां पहले से ही ई-संस्करण का लिंक उन्होने दे रखा था....अपनी ताऊ बुद्धि पर थोडी शर्म आई, फ़िर यह सोचकर अपने को माफ़ कर लिया कि इसीलिये लोग हमें ताऊ कहते हैं.
ताऊ और नान-ताऊ में बस यही एक मोटी बुद्धि का फ़र्क होता है.:)
राजस्थान पत्रिका में छपी खबर नीचे है. बाद में मालूम पडा कि 16/03/2013 के पत्रिका अखबार के सभी संस्करणों में यही छपा था. जो हमारे शहर के संस्करण मे भी था जिसकी कापी भी हमें प्राप्त हो गई है.
वाह वाह ताऊ क्या लात है? प्रतियोगिता आगे भी जारी रहेगी.....
बहुत बढ़िया ताऊ | बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बहुत बहुत बधाई आपको .....
ReplyDeleteताऊ, मैंने अपने फुरसत के समय में "ताऊ डाट इन" की बहुत सारी पुरानी पोस्टों को पढ़ा है
ReplyDeleteमुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था ...राजस्तान पत्रिका में हंसो और हंसाओ शीर्षक के साथ जो कुछ छपा है अक्षरशा सही है !
ताऊ को फ़ेसबुक की ए. बी. सी. डी...... भी नही मालूम, इस वाक्य से आपने जो सूचना हमें दी वह ताऊ का एक खास अंदाज है कहने का सीधे सीधे आप अपने ब्लॉग के पत्रिका में छपने की बात कहते तो उतना प्रभावी नहीं लगता जितना आपने इसे भी एक व्यंग्य बनाकर प्रस्तुत किया :)....बहुत बहुत बधाई हो !
बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा.लेख में आर्यन शर्मा ने सही लिखा है.
बेशक ताऊ डॉट इन अपने आप में ही अनूठा है.
फेसबुक ऐसा चलता है जैसे शेयर मार्केट चलता है, धडाधड़।
ReplyDeleteताऊनामें की शोहरत तो दूर दूर पहुंचनी ही थी जी
ReplyDeleteताऊ (भाई) जी राम-राम !
ReplyDeleteफेस बुक के बारे में आपने जो मजाक किया है ???
मेरे साथ तो हकीक़त में ऐसा ही हुआ था ..और है !
बढिया लगा ..मजाक-मजाक में मुझे तो कुछ सीखने को नया मिल जाता है!
आभार भाई जी ...राम-राम !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत-बहुत बधाई ताऊ, फेमस हो गए आप तो !
ReplyDeleteताऊ बधाई हो!
ReplyDeleteफेसबुक के सीमित अनुभव को बड़े दिलचस्प अंदाज़ से प्रस्तुत किया है। हमें भी यही महसूस होता है।
ReplyDeleteमुबारक -- ताऊ का चर्चा गली गली !
ताऊ के ताऊत्व के आगे फेसबुक, ब्लॉग आदि की तकनीक तो बहुत छोटी है !!
ReplyDeleteयह जान कर अच्छा लगा,की ताऊ नेट से निकल अखबारों में भी सुर्खियाँ बटोर रहे है,,,,ताऊ की जय हो
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
बढ़िया है ताऊ !!
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत-बहुत बधाई ताऊ जी ! :-)
ReplyDeleteताई जी की कृपा आप पर बनी रहे....उनको इस बधाई का आधा हिस्सा ज़रूर दे दीजिएगा.... :))
~सादर!!!
वाह भाई वाह! बधाई हो! राजस्थान पत्रिका को तो ताऊ को पहचानना ही था एक न एक दिन!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ..... यूं ही चलता रहे ये सिलसिला
ReplyDeleteफेसबुक भले ही एक दिन में बात बासी कर देती है पर आनन्द की फुहार आप से बरसती रहे।
ReplyDeleteखबरें अब राजस्थान पत्रिका तक चली जा र्रही है....जय हो!!
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