हाय ..दिस इज रामप्यारी…वाकिंग एंड टाकिंग इन एंगलिश एंड ईटिंग इन हिंदी…हाऊ आर यु.आंटिज..अंकल्स…एंड दीदी लोग..?
वो क्या है ना …आजकल मैं इंगलिश मे अच्छी अंगरेजी बोल लेती हूं ना तो ताऊ हर जगह मुझे ही साथ ले जाता है. अब आपको तो मालूम है कि ताऊ को कोई अंगरेजी वंगरेजी तो आती नही है सो ताऊ को सब बातें मुझे ही समझानी पडती हैं. और इस बहाने मेरे को भी घूमने फ़िरने को मिल जाता है. अब मुझसे घर मे टिक कर तो बैठा नही जाता.
अभी कल ही एक सेमिनार मे गये थे. वहां एक अंकल भाषण झाड रहे थे कि लोग आजकल अपने दिमाग का इस्ते माल ही नही करते. लो बोलो ये इस तरह बोलना कोई अच्छी बात है क्या?
उन अंकल की ऐसी बात सुनकर कुछ लोग तो भडक ही गये कि ये क्या बोलते हैं आप? क्या हम बिना दिमाग इस्तेमाल किये काम करते हैं?
तब उन अंकल ने समझाया की – आप नाराज मत होईये. मैं बिल्कुल सही बोल रहा हूं. फ़िर वो बोले – आप मे से आज कितने लोग हैं जो अपने दोस्तों के फ़ोन नम्बर मुझे बता सकते हैं? पर शर्त यह है कि बिना मोबाईल मे देखे बताईये.
सब चुप हो गये.
फ़िर वो अंकल बोले - आप मे से कितने लोग हैं जो सुबह बिना अलार्म लगाये ऊठ सकते हैं?
सब फ़िर से चुप हो गये.
फ़िर उन्होने पूछा कि आपमे से कितने लोग हैं जो अपने दोस्तो रिश्तेदारों के जन्मदिन या ऐनीवरसरी की तारीख बिना देखे बता सकते हैं?
सब के सबको सांप सूंघ गया.
अब वो बोले - हां अब समझ आया कि मैं क्यों कह रहा था कि आजकल हम लोग अपना दिमाग ही इस्ते माल नही करते. हम जरुरत से ज्यादा तकनीक पर आश्रित होते जा रहे हैं.
आज कल घर घर मे और हर छोटे बडे आदमी के पास मोबाईल फ़ोन हैं और हर चीज उसकी मेमोरी से कर लेते हैं. और अपने खुद का दिमाग इस्तेमाल ही नही करते. और याद रखिये कि जब दिमाग का इस्ते माल ही नही होगा तो धीरे धीरे वो बेकार और अनुपयोगी होता जायेगा.
अत: अंकलों, आंटियों और दो चार दीदीयों ..आप सबसे रामप्यारी हाथ जोडकर निवेदन करती है कि आप लोग इन छोटी मोटी बातों मे अपना दिमाग जरुर इस्तेमाल किजिये और तकनीक का इस्तेमाल आप कार्य क्षमता बढाने के लिये करें ना कि कम करने के लिये…….. एम आई राईट???
और हां गर्मी बहुत ज्यादा है..पक्षियों को दाना पानी दे रहे है ना? प्लिज आप ये काम जरुर करते रहना.
और अब रामप्यारी को इजाजत दिजिये. रामप्यारी आपको यह बताना चाहती है कि कल शनीवार की पहेली का प्रकाशन शनीवार सूबह १० : ०० (दस) बजे किया जायेगा. क्योंकि वोटिंग मे दस बजे वाले लोग जीत गये हैं.
और हां मार्किंग सिस्टम मे थोडा बहुत बदलाव किया गया है जो कल पहेली प्रकाशन के समय ही आपको बता दिया जायेगा.
अच्छा तो अब रामप्यारी की रामराम कल सुबह दस बजे तक के लिये.
इब खूंटे पर पढो:- ताऊ घणी कडकी म्ह था. वैसे ये जगजाहिर बात है कोई नई बात नही है. और ताऊ अब किसी बडे शिकार की तलाश मे था. ताऊ को मालुंम पडा कि दो सेठ एक जगह से वसूली मे तगडी रकम लेकर लौटने वाले हैं. और उसी रास्ते मे श्मशान भी पडता था. दोनों को लौटने मे रात होगई. रास्ते मे श्मशान भी पार करना था. दोनो श्मशान से होकर तेजी से गुजरने लगे. इनको लूटने के इरादे से ताऊ भी उधर श्मशान की तरफ़ चला आरहा था. डर के मारे दोनों बाते करते चल रहे थे. पहला बोला : अरे भाई जी, सुना है यहां इस श्मशान मे भूत भी रहते हैं? दुसरे ने जवाब दिया : हां भाई साहब, सुना तो मैने भी ऐसा ही है. इतनी देर मे दोनों को सामने से ताऊ आता दिखाई दिया. तो पहले सेठ ने उस आदमी से यानि ताऊ से पूछा - भाई सुना है इस शमशान में भूत रहते हैं ?
ताऊ बोला - मुझे क्या पता भाई? मुझे तो खुद को मरे 25 साल हो गए हैं ! ताऊ के इतना कहते ही वो दोनों सेठ अपना माल असबाब छोड़ कर उल्टे पाँव भाग लिए ! और ताऊ को बैठे बैठाए माल मिल गया ! |
पढ़ कर प्यारी बोली। ये ताऊ की 25वीं पुण्य तिथि कब है? कुछ जप अनुष्ठान करा दें। हम ने कहा-रहने दे, ब्लागरी का मजा ही खत्म हो जाएगा।
ReplyDeleteअरे ताऊ अब समझ आया कि वो राज भाटिया जी और मोदगिल जी को किसने लूटा था? ये कोई अच्छी बात नही है.:)
ReplyDeleteवैरी वैरी गुड रामप्यारी. गुड संदेश सपीका आपने. थैंक्यु रामप्यारी जी.
ReplyDeleteअति जरुरी संदेश दिया ताऊजी आप्ने. वाकई आज इन्सान तकनीक का गुलाम होगया है और भविष्य मे इसके रिजल्ट बहुत ही खराब आयेंगे.
ReplyDeleteसुबह सुबह इस हंसी के डोज के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteरामप्यारी तो आज अच्छी सीख दे रही है...
ReplyDeleteवैसे हमारे साथ खुले आम चीटिंग चल रही है..अब से हम पहेली नहीं खेलेंगे. ये कोई बात हुई..
जब हम भारत में थे तो सात बजे बिजली जाती थी और सात बजे पहेली आती थी..
फिर हम लंदन आये तो साढ़े छः बजे याने लंदन में रात के दो बजे..कौन जग सकता है बीयर पीने के बाद और
अब कनाडा आये हैं..सोचा था कि चलो, यहाँ रात के आठ बजे रहेंगे मगर देखो तो..१० बजे भारत याने यहाँ १२ बजे रात..ऑफिस छोड़ दूँ क्या??
७/८ बजे रखते तो यहाँ ९ या १० बजे भी चल जाता.
अब तो पहेली से अलविदा ही मानो.
रामप्यारी, फिर मौका लगा तो मिलेंगे कभी पहेली पर कभी भविष्य में. :)
ताऊ को शमशान में लूट मचाने दे..उससे क्या कहें.
रामप्यारी सपीकती है.
ReplyDeleteऔर मैं खिसकती !
इस ताऊ का तो कतई जवाब नही। और रामप्यारी चौखी समझदारी की बात करन लागी शै।
ReplyDeleteकल की पहेली का इंतजार है । अनजाने में ही पहले दस में आ गया हूँ न, इसलिये इस बार कोशिश कर थोड़ा ऊपर चढ़ना है ।
ReplyDeleteखूँटॆ पर तो लाजवाब है । कहीं ताऊ ऐसी ही विधियों से मालामाल तो नहीं हैं !
रामप्यारी आज तो तूने आखों के साथ साथ दिमाग की खिडकियां भी खोल डाली..सचमुच हम लोग गुलाम ही तो होते जा रहे हैं--आधुनिक तकनीक के भी और मन के भी.
ReplyDeleteओर ये कोई अच्छी बात नहीं है कि आप सब लोग मिल के समीर लाल जी जैसे वरिष्ठ ब्लागर के साथ चीटिंग कर रहे हैं. भई अगर पहेली का विजेता नहीं बनाना है तो न बनाईये, लेकिन इस प्रकार से उनके खिलाफ षडयन्त्र तो न रचिए ...))
समीर जी के बिना पहेली खेलने का मजा नहीं आयेगा. मैं भी विदा ले ही लेता हूँ.
ReplyDeleteये बात सही है कि अब सब कुछ तकनीक पर छोड कर दिमाग का इस्तेमाल नही कर रहे है हम।मोबाईल की फ़ोन-बुक मेमोरी बढती जा रही है और अपनी घटती।सही समसया उठाई रामप्यारी ने।और ताऊ ठगी का माल अकेले मत डकारा करो,कुछ दान-पुन्न भी कर लो,वरना पाप का एकाऊंट बढता चला जायेगा।
ReplyDeleteहमें इंतज़ार है पहेली का...
ReplyDeleteमीत
ताऊ लू्ट पिट कर सेठ मेरे पास आया था रिपोर्ट लिखाने, पता चल गया कि डराकर माल हडपने वाला कौन था? :)
ReplyDeleteताऊ लू्ट पिट कर सेठ मेरे पास आया था रिपोर्ट लिखाने, पता चल गया कि डराकर माल हडपने वाला कौन था? :)
ReplyDeleteरामप्यारी ने बहुत काम की और चेतावनी देने वाली बात कही है. इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये.
ReplyDeleteताऊ हमको भी शिष्य बना लो. और ये लूट पाट का धंधा सिखा दो, आजीवन आपको आपका हिस्सा मिलता रहेगा.
ReplyDeleteताऊ हमको भी शिष्य बना लो. और ये लूट पाट का धंधा सिखा दो, आजीवन आपको आपका हिस्सा मिलता रहेगा.
ReplyDeleteआज भी रामप्यारी और खूंटा दोनों नए तेवर में हैं ताऊ जी .
ReplyDeleteभोत जोर की बात बताई रामप्यारी ने....मैं तो अभी से लोगां का नम्बर रटन चालू करण लाग रिया हूँ.... भाई दिमाग जो तेज रखना है....
ReplyDeleteताऊ तो भूत ही है मन्ने तो शक नहीं...हमेशा उसके बारे में सुन्या ही है... कभी किसी को न दिखा भाई आज तक ...
नीरज
रामप्यारी तो बहुत सही सपीकती है ! क्या काम की बात सपीका है... मान गए.
ReplyDeleteराम प्यारी ताऊ के साथ रह कर बहुत अंग्रेजी सिख गई है आजकल? वैसे बात सही है.. एक जमाने में अगर किसी दोस्त किसी और का फोन नं जनना होता तो मुझे फोन करते और आज मोबाइल के चक्कर में मुझे अपने नं भी याद नहीं... देखो फिर से कौशिस करते है...
ReplyDeleteऔर तु ताऊ को समझा ये हेरा फेरी "अच्छी बात नहीं है..."
You are bilkul right Rampyari ji...
ReplyDeleteताऊ जी आपने आज बड़े पते की बात कही !
ReplyDeleteहम लोग वाकई तकनीक पर आश्रित होकर
रह गए हैं !
यह बात हम सभी जानते हैं कि जिस वस्तु का जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा उसकी कार्य क्षमता उतनी ही निखरेगी ! इसके बावजूद भी हम मोबाईल, कार-स्कूटर, एसी-कूलर, केलकुलेटर जैसी तकनीक के गुलाम होकर रह गए हैं !
मैंने बहुतों को देखा है कि 10 और 10 भी
जोड़ना हो तो केलकुलेटर का प्रयोग करने लगते
हैं ! ऐसे में शरीर की इन्द्रियां तो प्रभावित होंगी
ही !
आज की आवाज़
बहुत सही स्पीका आपने रामप्यारी ..:)
ReplyDeleteसमीर जी से सहमत, १० बजे मतलब यहाँ उत्तरी अमेरिका में रात के १२:३० पर तो पहेली में भाग लेना मुश्किल ही होगा।
ReplyDeleteरामप्यारी, अल्पसंख्यकों के लिये बडे-बडे नेता लोग इतना कुछ करते हैं, तुम्हें हमारी कोई चिंता ही नही है...कुछ तो करो वरना नो पहेली नो चाकलेट!!
बाय रामप्यारी,, बहुत अच्छी पोस्ट रही.. कल सुबह दस बजे मिलते हैं..
ReplyDeleteरामप्यारी सपीकती है. ko to 100 number...
ReplyDeletetaoo to zinda rahe fir bhi bhoot se kam nahi hai...
रामप्यारी बोली प्यार से मै जोगन बन जाऊ ।
ReplyDeleteअब तो सांझ सवेरे केवल प्याज रोटी खाऊ ॥
पक्षियों के पानी का इंतजाम हमने पुराने कूलर की टंकी में कर दिया है। तेज गर्मी में पानी का प्रबन्ध कर दिया, पर एडीशनल दाने का तो नहीं किया। मेरी मां जो धो कर गेहूं चना सुखाती हैं, उसी से अपना हिस्सा लेते हैं पक्षी!
ReplyDeleteरामप्यारी का लेक्चर अच्छा लगा. वो क्या है न जबसे कल्कुलेटर आया तब से ही बुद्धि का नाश शुरू हो गया
ReplyDeleteरामप्यारी तुम्हारी बातें बहुत प्यारी लगती हैं और आज तो इतने काम की बात बताई है क्या कहूँ..मैं एक बार खुद अपना मोबाइल खो चुकी हूँ और उसमें ६ साल से पड़े सिम कार्ड में जितने फ़ोन नंबर थे सब गए..कुछ तो ऐसे नंबर थे जो बहुत जरुरी भी थे..तब से बहुत ध्यान रखना शुरू कर दिया.
ReplyDeleteचिडियों को दाना-पानी हमेशा से ही देते हैं.
शुक्रिया रामप्यारी.
खूटे को पढ़ कर मुझे वो भूतनी वाला चिकन आलाफूज के पेड़ की याद आ गयी.