प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 111 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
तवांग अरूणाचल प्रदेश का एक जिला है. अरूणाचल यानि उगते सूर्य का पर्वत भारत का उत्तर पूर्वी राज्य है जिसके दक्षिण में असम पश्चिम में भुटान और उत्तरी सीमाएं तिब्बत से मिलती हैं. इस राज्य की सीमाएं नागालैंड और बर्मा (म्यामार) से भी मिलती हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन के लिये जिस लेडो बर्मा रोड ने सहायक भूमिका निभाई थी उस रोड का एक बडा हिस्सा इस राज्य से होकर गुजरता है. ईटानगर इस राज्य की राजधानी है. यहां असमी और हिंदी भाषा जानी समझी और बोली जाती हैं. कंप्य़ूटर के आगमन के साथ ही अंग्रेजी भी यहां लोकप्रिय हो रही है.
Tawang Monestery, Arunachal pradesh
तवांग मठ (monestery) समुद्र तल से करीब दस हजार फ़ीट की ऊंचाई पर भारत चीन सीमा पर स्थित है. तवांग मठ की स्थापना मेराग लामा लोद्रे ग्यात्सो द्वारा 17 वीं शताब्दी में की गई थी. ल्हासा के बाद बुद्ध की सबसे बडी नौ मीटर ऊंचाई वाली मूर्ति इसी मठ में है. मठ में करीब 600 के लगभग भिक्षु निवास करते हैं. पहले यह नियम रहा है कि जिस के तीन या उससे अधिक बेटे होते थे उसे एक बेटा भिक्षु बनने के लिये मठ को दिया जाता था पर अब ऐसा जरूरी नही रह गया है. भिक्षुणियां कुछ दूर बने बरयमएने गोनपा, तेंगाचुंगएने गोनपा तथा ज्ञानद्रोंगएने गोनपा में निवास करती हैं.
kitchen, Tawang Monestery
आध्यात्मिक माहौल के कारण यहां अपराध की दर बहुत ही नगण्य है. प्रौढ भिक्षुओं की जीवन चर्या ज्यादातर आध्यात्मिक चर्चा में व्यतीत होती है. वहीं छोटे भिक्षुओं को खेलकूद करते भी देखा जा सकता है. तवांग बौद्घ मठ के युवा भिक्षुओं को आधुनिकता से भी कोई परहेज नही है. उन्हें कम्प्यूटर और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के साथ साथ फ़र्राटे दार मोटरसाइकिल सवारी करते हुये भी देखा जा सकता है. उनके अनुसार इच्छाओं पर अधिकार पाने के बाद आधुनिकता और आध्यात्मिकता में कोई टकराव नहीं रह जाता और आधुनिकता का उन पर असर नही हो सकता. ये भिक्षु बौद्ध दर्शन और हिंदी अंग्रेजी के ज्ञान के लिये कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं. मठ में बहुत सारे कंयूटर हैं जो भिक्षुओं को शिक्षा प्रदान करने के लिये लाये गये हैं. मठ में टेलीविजन भी उपलब्ध हैं पर उनका उपयोग केवल सीमीत समय के लिये और सिर्फ़ समाचार देखने सुनने तक सीमीत है.
School & dispensary, Tawang Monestery
मठ में आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है तदुपरांत वहां से छात्रों को सारनाथ (बिहार) जाकर ज्ञानार्जन करना पडता है.
वर्तमान दलाई लामा 1959 में तिब्बत छोडते समय तवांग होते हुये गुजरे थे तब इसी मठ में रूके थे तदुपरांत सन 2009 में दलाई लामा यहां पुन: आये थे तब इस प्राचीन मठ में पूजा अर्चना की एवम कुछ अन्य सामाजिक कार्यक्रमों मे हिस्सा लिया.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
आज की प्रथम विजेता हैं सुश्री अल्पना
सुश्री अल्पना अंक 101
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
श्री रतन सिंह शेखावत अंक 100
श्री समीर लाल "समीर" अंक 99
श्री रोनित सरकार अंक 98
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री गजेंद्र सिंह्
श्री दिगंबर नासवा
श्री राज भाटिया
श्री काजल कुमार
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
श्री संजय @ मो सम कौन ?
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री ललित शर्मा
श्री डॉ. मनोज मिश्र
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री नीरज जाट जी
श्री Vivek Rastogi
सुश्री anju
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
तवांग अरूणाचल प्रदेश का एक जिला है. अरूणाचल यानि उगते सूर्य का पर्वत भारत का उत्तर पूर्वी राज्य है जिसके दक्षिण में असम पश्चिम में भुटान और उत्तरी सीमाएं तिब्बत से मिलती हैं. इस राज्य की सीमाएं नागालैंड और बर्मा (म्यामार) से भी मिलती हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन के लिये जिस लेडो बर्मा रोड ने सहायक भूमिका निभाई थी उस रोड का एक बडा हिस्सा इस राज्य से होकर गुजरता है. ईटानगर इस राज्य की राजधानी है. यहां असमी और हिंदी भाषा जानी समझी और बोली जाती हैं. कंप्य़ूटर के आगमन के साथ ही अंग्रेजी भी यहां लोकप्रिय हो रही है.
तवांग मठ (monestery) समुद्र तल से करीब दस हजार फ़ीट की ऊंचाई पर भारत चीन सीमा पर स्थित है. तवांग मठ की स्थापना मेराग लामा लोद्रे ग्यात्सो द्वारा 17 वीं शताब्दी में की गई थी. ल्हासा के बाद बुद्ध की सबसे बडी नौ मीटर ऊंचाई वाली मूर्ति इसी मठ में है. मठ में करीब 600 के लगभग भिक्षु निवास करते हैं. पहले यह नियम रहा है कि जिस के तीन या उससे अधिक बेटे होते थे उसे एक बेटा भिक्षु बनने के लिये मठ को दिया जाता था पर अब ऐसा जरूरी नही रह गया है. भिक्षुणियां कुछ दूर बने बरयमएने गोनपा, तेंगाचुंगएने गोनपा तथा ज्ञानद्रोंगएने गोनपा में निवास करती हैं.
आध्यात्मिक माहौल के कारण यहां अपराध की दर बहुत ही नगण्य है. प्रौढ भिक्षुओं की जीवन चर्या ज्यादातर आध्यात्मिक चर्चा में व्यतीत होती है. वहीं छोटे भिक्षुओं को खेलकूद करते भी देखा जा सकता है. तवांग बौद्घ मठ के युवा भिक्षुओं को आधुनिकता से भी कोई परहेज नही है. उन्हें कम्प्यूटर और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के साथ साथ फ़र्राटे दार मोटरसाइकिल सवारी करते हुये भी देखा जा सकता है. उनके अनुसार इच्छाओं पर अधिकार पाने के बाद आधुनिकता और आध्यात्मिकता में कोई टकराव नहीं रह जाता और आधुनिकता का उन पर असर नही हो सकता. ये भिक्षु बौद्ध दर्शन और हिंदी अंग्रेजी के ज्ञान के लिये कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं. मठ में बहुत सारे कंयूटर हैं जो भिक्षुओं को शिक्षा प्रदान करने के लिये लाये गये हैं. मठ में टेलीविजन भी उपलब्ध हैं पर उनका उपयोग केवल सीमीत समय के लिये और सिर्फ़ समाचार देखने सुनने तक सीमीत है.
मठ में आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है तदुपरांत वहां से छात्रों को सारनाथ (बिहार) जाकर ज्ञानार्जन करना पडता है.
वर्तमान दलाई लामा 1959 में तिब्बत छोडते समय तवांग होते हुये गुजरे थे तब इसी मठ में रूके थे तदुपरांत सन 2009 में दलाई लामा यहां पुन: आये थे तब इस प्राचीन मठ में पूजा अर्चना की एवम कुछ अन्य सामाजिक कार्यक्रमों मे हिस्सा लिया.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
श्री रतन सिंह शेखावत अंक 100
श्री समीर लाल "समीर" अंक 99
श्री रोनित सरकार अंक 98
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री गजेंद्र सिंह्
श्री दिगंबर नासवा
श्री राज भाटिया
श्री काजल कुमार
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
श्री संजय @ मो सम कौन ?
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री ललित शर्मा
श्री डॉ. मनोज मिश्र
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री नीरज जाट जी
श्री Vivek Rastogi
सुश्री anju
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
आदरणीया अल्पना जी
ReplyDeleteको
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत बधाई अल्पना जी को.
ReplyDeleteइच्छाओं पर अधिकार पाने के बाद आधुनिकता और आध्यात्मिकता में कोई टकराव नहीं रह जाता...
ReplyDeleteकरमापा पर उठती अँगुलियों के बीच बौद्ध मठों की जानकारी ...!
अल्पना जी एवं सभी विजेताओं को ढेर सारी बधाईयाँ
ReplyDeleteताउ जी को राम राम
अल्पना जी और अन्य सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteबधाईयां... अल्पनाजी के साथ ही बाकि विजेताओं को भी.
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteअरे ताऊ तेरे संग हम भी फ़ंसे हे राम इस ताऊ की बद दुया लग गई ओर हमारा फ़ेस बुक हेक हो गया... चलो फ़िर भी हम अल्पना जी को, ओर बाकी सभी विजेताओ ओर हरेताओ को बहुत बहुत बधाई देते हे
ReplyDeleteसुश्री अल्पना जी एवम् अन्य विजेताओं को हार्दिक बधाई। विजेताओं की इतनी कम संख्या से ही पहेली की कठिनाई के स्तर का पता लग रहा है।
ReplyDeleteत्वांग मठ की जानकारी का शुक्रिया। भारत के विभिन्न अनछुए अनदेखे क्षेत्रों के बारे में इसी तरह हमारा ज्ञानवर्धन करते रहिये!
विजेताओं को बधाई!
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