प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 80 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है fort of Janjira ,Murud city, Raigad (Maharashtra state)
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
जंजीरा दुर्ग या मुरुड-जंजीरा किले के नाम से प्रसिद्ध यह किला मुरुड गाँव में हो जो की महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित है. अरब सागर में बना हुआ यह किला इतिहास में जंजीरा के सिद्दिकियों की राजधानी के रुप में प्रसिद्ध है.समुद्र की लहरों के थपेडों से अब तक अप्रभावित इस किले में आश्चर्जनक रूप से मीठे पानी का ताल भी है.
Janjira fortlake
सिद्दिकी लोग अफ्रीका महादेश के सुदूरवर्ती देश अबीसीनिया से भारत आए थे. इनके यहाँ के शासन काल में बने भवनों के अवशेष पूरे क्षेत्र में देखने को मिलेंगे.मुरुड सिद्दिकियों की आखिरी चौकी थी.
३५० वर्षों से अधिक पुराने इस किले को स्थानीय लोग अजिनक्या कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ अजेय होता है.मान्यता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है,इनका का मकबरा भी इसी किले में है.
janjira fort from far
४० फीट ऊँची मजबूत दीवारों वाले इस किले की नींव समुद्र तल में ३ किलोमीटर गहरे बनी हुई हैं. सिद्दी जौहर द्वारा इस किले का निर्माण 22 वर्षों में पूरा हुआ था।यह 22 एकड़ में फैला है और इसमें १९ सुरक्षा चौकियां है. हर चौकी पर तोप रखी हुई हैं.
canons on roof janjira vikas
ब्रिटिश, पुर्तगाली, शिवाजी महाराज , कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा तथा शंभाजी ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, परन्तु उन्हें असफलता ही हाथ लगी. इस किले में सिद्दिकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं,जैसा कि क्लू के एक चित्र में भी हमने आप को दिखाया था.किले तक ले जाने के लिए नावें फेरी लगाती रहती हैं.वर्तमान में यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रुप में विकसित है और अपने खूबसूरत बीच रिजॉर्टों के लिए प्रसिद्ध है.यहीं सफ़ेद बालू वाला मुरुड बीच करीब 1.75 किलोमीटर लंबा है,जिसकी सुंदरता देखते बनते है.
यहां सुपारी, नारियल, पान, पाम के ढेरों पेड़ लगे हुए हैं .मुरुद - जंजीरा में ही पहाड़ी के ऊपर भगवान दत्तात्रेय का मंदिर भी है और इनके तीन सिर तीन हिन्दु देवताओं बह्मा, विष्णु और महेश्वर को दर्शाते हैं.
यहाँ घूमने जाने के लिए अधिक जानकारी के लिए महाराष्ट्र सरकार की अधिकारिक साईट देखें -http://www.maharashtratourism.gov.in/
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.
आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
सुश्री वंदना
श्री मुरारी पारीक
श्री अजय कुमार झा
श्री नरेश सिंह राठौड
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
सुश्री निर्मला कपिला
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
जंजीरा दुर्ग या मुरुड-जंजीरा किले के नाम से प्रसिद्ध यह किला मुरुड गाँव में हो जो की महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित है. अरब सागर में बना हुआ यह किला इतिहास में जंजीरा के सिद्दिकियों की राजधानी के रुप में प्रसिद्ध है.समुद्र की लहरों के थपेडों से अब तक अप्रभावित इस किले में आश्चर्जनक रूप से मीठे पानी का ताल भी है.
सिद्दिकी लोग अफ्रीका महादेश के सुदूरवर्ती देश अबीसीनिया से भारत आए थे. इनके यहाँ के शासन काल में बने भवनों के अवशेष पूरे क्षेत्र में देखने को मिलेंगे.मुरुड सिद्दिकियों की आखिरी चौकी थी.
३५० वर्षों से अधिक पुराने इस किले को स्थानीय लोग अजिनक्या कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ अजेय होता है.मान्यता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है,इनका का मकबरा भी इसी किले में है.
४० फीट ऊँची मजबूत दीवारों वाले इस किले की नींव समुद्र तल में ३ किलोमीटर गहरे बनी हुई हैं. सिद्दी जौहर द्वारा इस किले का निर्माण 22 वर्षों में पूरा हुआ था।यह 22 एकड़ में फैला है और इसमें १९ सुरक्षा चौकियां है. हर चौकी पर तोप रखी हुई हैं.
ब्रिटिश, पुर्तगाली, शिवाजी महाराज , कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा तथा शंभाजी ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, परन्तु उन्हें असफलता ही हाथ लगी. इस किले में सिद्दिकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं,जैसा कि क्लू के एक चित्र में भी हमने आप को दिखाया था.किले तक ले जाने के लिए नावें फेरी लगाती रहती हैं.वर्तमान में यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रुप में विकसित है और अपने खूबसूरत बीच रिजॉर्टों के लिए प्रसिद्ध है.यहीं सफ़ेद बालू वाला मुरुड बीच करीब 1.75 किलोमीटर लंबा है,जिसकी सुंदरता देखते बनते है.
यहां सुपारी, नारियल, पान, पाम के ढेरों पेड़ लगे हुए हैं .मुरुद - जंजीरा में ही पहाड़ी के ऊपर भगवान दत्तात्रेय का मंदिर भी है और इनके तीन सिर तीन हिन्दु देवताओं बह्मा, विष्णु और महेश्वर को दर्शाते हैं.
यहाँ घूमने जाने के लिए अधिक जानकारी के लिए महाराष्ट्र सरकार की अधिकारिक साईट देखें -http://www.maharashtratourism.gov.in/
श्री प्रकाश गोविंद अंक 101 |
श्री आशीष मिश्रा अंक 100 |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक 99 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 98 |
श्री Chandra Prakash अंक 97 |
श्री उडनतश्तरी अंक 96 |
श्री Darshan Lal Baweja अंक 95 |
सुश्री Indu Arora अंक 94 |
श्री राम त्यागी अंक 93 |
श्री जीतेंद्र अंक 92 |
श्री रंजन अंक 91 |
श्री अंतरसोहिल अंक 90 |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 89 |
श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 88 |
सुश्री M. A. Sharma “सेहर” अंक 87 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 86 |
श्री Anurag Geete अंक 85 |
श्री राज भाटिया अंक 84 |
श्री काजलकुमार अंक 83 |
श्री स्मार्ट इंडियन अंक 82 |
सुश्री अंजना अंक 81 |
श्री दिलीप कवठेकर अंक 80 |
श्री विवेक रस्तोगी अंक 79 |
श्री कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा श्री Darshan Lal Baweja सुश्री Indu Arora श्री उडनतश्तरी सुश्री सीमा गुप्ता श्री प्रकाश गोविंद अब अगले शनिवार को फ़िर यहीं मिलेंगे. तब तक जयराम जी की! |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
सुश्री वंदना
श्री मुरारी पारीक
श्री अजय कुमार झा
श्री नरेश सिंह राठौड
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
सुश्री निर्मला कपिला
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
छपते छपते :-
श्री नीरज गोस्वामी का भी बिल्कुल सही जवाब रामप्यारी के ब्लाग पर आया. आपको 50 अंक दिये गये हैं. धन्यवाद.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
विजेता को बधाई .....राम राम
ReplyDeleteऐतिहासिक पुराम्ह्त्व के जंजीरा दुर्ग की जानकारी के लिए आभार ...
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ..!!
विजेताओं को बधाई...
ReplyDeleteसंजय बैगाणी जी ने बहुत दिनों बाद तैयारी करके ताकत लगाई मगर..हाय!!
:)
बधाई हो सबको ...ज्ञानवर्धक पहेली जारी रहे ....
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद जी को बधाई,
ReplyDeleteये सेवफ़ल जैसा लग ही नहीं रहा था, चलो अगली बार ध्यान रखेंगे।
ब्लॉगिंग में ५ वर्ष पूरे अब आगे… कुछ यादें…कुछ बातें... विवेक रस्तोगी
आदरणीय प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
Congratulation to all winer.
ReplyDeleteइया किले के विस्तृत जानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteपरिक्षा की तैयारी में रात भर जागा और सुबह जब जवाब देना था, नींद आ गई :( प्रतिद्स्पर्धी ध्यान दें, दस अंक का नुकसान उत्साह को कम नहीं कर सकता. :)
ReplyDeleteसभी को घणी घणी बधाई. जो जीते उन्हे भी जो भाग लेकर उत्साह बढ़ाने का काम किया उन्हे भी.
बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteसभी विजेताओं और प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत अच्छी पहेली थी
लेकिन इस बार रामप्यारी का सवाल बहुत घनचक्कर बनाने वाला था :)
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जंजीरा दुर्ग के बारे में दी गयी जानकारी के लिए आदरणीय अल्पना जी का विशेष आभार !
सोच के आश्चर्य होता है कि साढ़े तीन सौ साल से भी पुराने इस दुर्ग का निर्माण कैसे किया गया होगा !
कई बार महाराष्ट्र का दौरा लगने के बावजूद भी यहाँ जाने का संयोग नहीं बन पाया !
सैलानियों को जंजीरा दुर्ग हमेशा से आकर्षित करता रहा है !
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पहेली के बहाने कितनी दिलचस्प जानकारियां मिल जाती हैं !
ho ! nahi
ReplyDeletemuje bhi inam chaiye.
itna jaldi answer diya to bhi...
itne samay se jawab de raha hu per mera number kab aayga... hahahaha.
ek santanwana puraskar to de do..
छपते-छपते में हमारा थोबड़ा छाप के आपने जो हम पर उपकार किया उसका ऋण कैसे अदा करें समझ नहीं पा रहे...आप अपनी फोटो हमें भेज दें तो अपने ब्लॉग में धन्यवाद स्वरुप हम भी लगा दें...अजी कोई कोई तो पहेली ऐसी होती है जो हमारी समझ में आती है और देखिये हम उसी पहेली में जवाब देने देरी से पहुँचते हैं...हमने तो आपको पहले भी कहा था के सही जवाबों वाले नामों की लाटरी निकाल लो जिसका नाम आ जाये उसको नंबर दे दो लेकिन आपने तो समय सीमा तय कर दी जो हम जैसे लेट लतीफों के लिए मुफीद नहीं होती...कई बार रात में नेट खोलते हैं तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी होती है...आपने भी आश्वासन दिया था हमारी बात पे गौर करने का लेकिन नेताओं की तरह बस आश्वासन दे कर ही टरका दिया...आप भी ना करते वोही हो जो आपका दिल कहता है...किसी पढ़े लिखे की बात तो ना मानने की कसम खा रही है आपने...अगर ना खाई होती तो आज की पहेली में हम पहले नहीं तो दूसरे नंबर पे तो आही जाते...
ReplyDeleteनीरज
छपते-छपते में हमारा थोबड़ा छाप के आपने जो हम पर उपकार किया उसका ऋण कैसे अदा करें समझ नहीं पा रहे...आप अपनी फोटो हमें भेज दें तो अपने ब्लॉग में धन्यवाद स्वरुप हम भी लगा दें...अजी कोई कोई तो पहेली ऐसी होती है जो हमारी समझ में आती है और देखिये हम उसी पहेली में जवाब देने देरी से पहुँचते हैं...हमने तो आपको पहले भी कहा था के सही जवाबों वाले नामों की लाटरी निकाल लो जिसका नाम आ जाये उसको नंबर दे दो लेकिन आपने तो समय सीमा तय कर दी जो हम जैसे लेट लतीफों के लिए मुफीद नहीं होती...कई बार रात में नेट खोलते हैं तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी होती है...आपने भी आश्वासन दिया था हमारी बात पे गौर करने का लेकिन नेताओं की तरह बस आश्वासन दे कर ही टरका दिया...आप भी ना करते वोही हो जो आपका दिल कहता है...किसी पढ़े लिखे की बात तो ना मानने की कसम खा रही है आपने...अगर ना खाई होती तो आज की पहेली में हम पहले नहीं तो दूसरे नंबर पे तो आही जाते...
ReplyDeleteनीरज
यहाँ तीन बार जाना हुआ है... लेकिन एक बार फिर मिस कर गया पहेली :(
ReplyDeleteताऊ.. अब इस पहेली के फोरमेट में कुछ बदलाव करो... बहुत एकाकी सा हो गया है... और या कहें तो बहुत सरल... ८ बजे फोटो देखो.. पता चले तो ठीक.. नहीं तो दस बजे फिर आओ.. आपका हिंट बहुत सीधा होता है.. ५ मिनिट गूगल करो उत्तर तैयार... हिंट मुश्किल करो.. देर से दो न दो... कुछ अलग...
ReplyDeleteसभी को बधाई और धन्यवाद..
राम राम
प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteप्रकाश जी को हेट्रिक के लिए शुभकामनाएं.
@रंजन जी इस पहेली का फॉर्मेट बदलने का अभी कोई विचार नहीं है क्योंकि पहेलियाँ एडवांस में तैयार की गयी हैं.
-अगले आयोजन के लिए कमेटी द्वारा आप का सुझाव नोट कर लिया गया है.
-जैसे जैसे पहेली १०० अंक के करीब आएगी, क्लू की संख्या कम कर दी जाएगी परन्तु समय सुबह १० बजे ही रखना बेहतर होगा.
- पहेली की बात कहें तो अगर एक पहेली एक व्यक्ति के लिए आसान होती है तो वही दूसरे व्यक्ति को मुश्किल लगती है -वैसे इन दिनों सभी प्रतिभागियों को ध्यान में रखते हुए मिली जुली पहेलियाँ दी जा रही हैं.
@नीरज जी ,पहेली का समय निर्धारित करना ज़रूरी है बिना समय निर्धारण के पहेली में प्रतिभागियों की नियमितता , रूचि और प्रतिभागिता पर नकारात्मक असर पड़ेगा.इसलिए आयोजन का एक निश्चित समय रखा गया है .
-आप भी जानते हैं लोटरी सिस्टम से विजेता चुनना यहाँ संभव नहीं है.:)
आभार
एक नयी जानकारी मिली
ReplyDeleteफ़िर चिडिया चुग गयी खेत!!
ReplyDeleteयहां पिछले साल ही गये थे.
पास ही जंजीरा के नवाब का महल भी है, मगर दिखाते नही है. जंजीरा के नवाब बाद में इंदौर आ कर बस गये हैं, और उनके पुरानी जगह को आज भी जंजीरा चौराह कहते है.क्यों ताऊजी,सही है?
फ़िर चिडिया चुग गयी खेत!!
ReplyDeleteयहां पिछले साल ही गये थे.
पास ही जंजीरा के नवाब का महल भी है, मगर दिखाते नही है. जंजीरा के नवाब बाद में इंदौर आ कर बस गये हैं, और उनके पुरानी जगह को आज भी जंजीरा चौराह कहते है.क्यों ताऊजी,सही है?
प्रकाश गोविंद जी के साथ ही सभी विजेतओं को बधाई।
ReplyDelete---------
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?