प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 72 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Iron pillar [लौह स्तम्भ, दिल्ली.]
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
जैसे जैसे हम पहेलियों के इस दौर में आगे बढते जा रहे हैं वैसे वैसे हम जान रहे हैं कि हमारा भारत कितना अद्भुत है!कितना ज्ञान बिखरा हुआ है यहाँ प्राचीन धरोहरों के रूप में ,जिसे हमें समय रहते संभालना है.दुनिया की प्राचीनतम और जीवंत सभ्यताओं में से एक है हमारे देश की सभ्यता.हमारी प्राचीन धरोहरें बताती हैं कि हमारा देश अर्थव्यवस्था,स्वास्थ्य प्रणाली,शिक्षा प्रणाली, कृषि तकनीकी,खगोल शास्त्र ,विज्ञान , औषधि और शल्य चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में बेहद उन्नत था.मैगस्थनीज से लेकर फाह्यान, ह्वेनसांग तक सभी विदेशियों ने भारत की भौतिक समृध्दि का बखान किया है.
प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी तक 'जंगविहिन' दिल्ली का लौह स्तंभ'.जिसका चित्र पहेली में हमने दिखाया था.इसका सालों से 'जंग विहीन होना ' दुनिया के अब तक के अनसुलझे रहस्यों मे माना जाता है.
सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने अनुसन्धान में कुछ निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर जमी Misawit की परत इसे जंग लगने से बचाती है .वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से ही लोहे को गलाने की तकनीक जानते थे.पश्चिमी देश इस ज्ञान में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे. इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का पहला कारखाना सन् ११६१ में खुला था.बारहवीं शताब्दी के अरबी विद्वान इदरिसी ने भी लिखा है कि भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित मानकों की बराबरी कर पाना असंभव सा है.
विश्व प्रसिद्ध दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
स्थान- दिल्ली के महरोली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.यह ३५ फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
किसने और कब बनवाया-
गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का स्वर्णयुग माना जाता है .
लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा चन्द्र ने बनवाया था.बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय समुद्रगुप्त की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का राज्यकाल था.तो बनवाने वाले चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय ही थे. और इस का निर्माण 325 ईसा पूर्व का है.
अधिक विवरण आई.आई.टी.प्रोफ.बालासुब्रमनियम से इस वीडियो में देख सुन सकते हैं.
http://www.youtube.com/watch?v=x2pmp66KqcQ
कहते हैं कि इस स्तम्भ को पीछे की ओर दोनों हाथों से छूने पर मुरादें पूरी हो जाती हैं.परन्तु अब आप ऐसा प्रयास नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब इसके चारों तरफ लोहे की सुरक्षा जाली है.
चलते चलते एक और बात बताती चलूँ कि बिहार के जहानाबाद जिले में एक गोलाकार स्तंभ है जिसकी लम्बाई ५३.५ फीट और व्यास ३.५ फीट है जो उतर से दक्षिण की ओर आधा जमीन में तथा आधा जमीन की सतह पर है.कुछ पुरातत्वविद इसे ही दिल्ली के लौह स्तम्भ का सांचा मानते है.
माना कि आज कल गरमी बहुत है मगर फ़िर भी अगली पहेली में राजस्थान या मध्य प्रदेश की तरफ पहेली का रुख होगा.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री रमन
सुश्री पारुल
श्री राज भाटिया
सुश्री हरकीरत ’हीर’
श्री योगिंद्र मोदगिल
श्री के. के. यादव
सुश्री अभिलाषा
सुश्री आकांक्षा
कु. अक्षिता पाखी
श्री Amit Kumar
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.
आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
जैसे जैसे हम पहेलियों के इस दौर में आगे बढते जा रहे हैं वैसे वैसे हम जान रहे हैं कि हमारा भारत कितना अद्भुत है!कितना ज्ञान बिखरा हुआ है यहाँ प्राचीन धरोहरों के रूप में ,जिसे हमें समय रहते संभालना है.दुनिया की प्राचीनतम और जीवंत सभ्यताओं में से एक है हमारे देश की सभ्यता.हमारी प्राचीन धरोहरें बताती हैं कि हमारा देश अर्थव्यवस्था,स्वास्थ्य प्रणाली,शिक्षा प्रणाली, कृषि तकनीकी,खगोल शास्त्र ,विज्ञान , औषधि और शल्य चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में बेहद उन्नत था.मैगस्थनीज से लेकर फाह्यान, ह्वेनसांग तक सभी विदेशियों ने भारत की भौतिक समृध्दि का बखान किया है.
प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी तक 'जंगविहिन' दिल्ली का लौह स्तंभ'.जिसका चित्र पहेली में हमने दिखाया था.इसका सालों से 'जंग विहीन होना ' दुनिया के अब तक के अनसुलझे रहस्यों मे माना जाता है.
सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने अनुसन्धान में कुछ निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर जमी Misawit की परत इसे जंग लगने से बचाती है .वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से ही लोहे को गलाने की तकनीक जानते थे.पश्चिमी देश इस ज्ञान में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे. इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का पहला कारखाना सन् ११६१ में खुला था.बारहवीं शताब्दी के अरबी विद्वान इदरिसी ने भी लिखा है कि भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित मानकों की बराबरी कर पाना असंभव सा है.
विश्व प्रसिद्ध दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
स्थान- दिल्ली के महरोली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.यह ३५ फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
किसने और कब बनवाया-
गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का स्वर्णयुग माना जाता है .
लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा चन्द्र ने बनवाया था.बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय समुद्रगुप्त की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का राज्यकाल था.तो बनवाने वाले चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय ही थे. और इस का निर्माण 325 ईसा पूर्व का है.
अधिक विवरण आई.आई.टी.प्रोफ.बालासुब्रमनियम से इस वीडियो में देख सुन सकते हैं.
http://www.youtube.com/watch?v=x2pmp66KqcQ
कहते हैं कि इस स्तम्भ को पीछे की ओर दोनों हाथों से छूने पर मुरादें पूरी हो जाती हैं.परन्तु अब आप ऐसा प्रयास नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब इसके चारों तरफ लोहे की सुरक्षा जाली है.
चलते चलते एक और बात बताती चलूँ कि बिहार के जहानाबाद जिले में एक गोलाकार स्तंभ है जिसकी लम्बाई ५३.५ फीट और व्यास ३.५ फीट है जो उतर से दक्षिण की ओर आधा जमीन में तथा आधा जमीन की सतह पर है.कुछ पुरातत्वविद इसे ही दिल्ली के लौह स्तम्भ का सांचा मानते है.
माना कि आज कल गरमी बहुत है मगर फ़िर भी अगली पहेली में राजस्थान या मध्य प्रदेश की तरफ पहेली का रुख होगा.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
रामप्यारी के सवाल का सही जवाब था पानी की बूंद. जी हां यह शावर से बाथ टब में टपकती पानी की बूंद का ही चित्र था. निम्न सभी प्रतिभागियों को २० नंबर दिये हैं.
१. सुश्री सीमा गुप्ता
२. प. डी.के. शर्मा "वत्स",
३.श्री अंतर सोहिल
४. श्री उडनतश्तरी
५.सुश्री मीनाक्षी
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री रमन
सुश्री पारुल
श्री राज भाटिया
सुश्री हरकीरत ’हीर’
श्री योगिंद्र मोदगिल
श्री के. के. यादव
सुश्री अभिलाषा
सुश्री आकांक्षा
कु. अक्षिता पाखी
श्री Amit Kumar
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
प्रकाश गोविन्द जी और अन्य विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDelete-
कुछ खास लोगों का प्रर्फोमेन्स काफी गिर गया है, १५-१५ अंकों से पिछड़ रहे हैं. पता नहीं आगे क्या होगा. :)
सभी विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteसभी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDeleteजंग विहीन स्तम्भ ...रहस्य तो है ...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ...
विजेताओं को बधाई ...!!
सभी विजेताओं को बधाई।
ReplyDeleteआदरणीय प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.."
ReplyDeleteregards
ताऊ इस सुपर इजी पहेली के लिए बधाई...
ReplyDeleteवैसे आजकल हिंट इतने इजी होते है.. तुरंत पता चल जाता है... थोड़ा दिमाग को कसरत मिले...
प्रकाश गोविन्द जी और अन्य विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteविजेताओं की पूरी भीड़ को बधाई
ReplyDelete-
अल्पना जी इत्ती आसान पहेली ?
कोई अँधा भी टटोलकर बता देता कि ये तो महरौली वाला खम्बा है :)
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यह 'लौह स्तम्भ' हमारे गौरवशाली अतीत को तो दर्शाता है
साथ ही
आश्चर्य है कि यहाँ कोई भक्त चढ़ावा चढाने या मन्नत मांगने नहीं पहुँचता
विजेता तो विजेता होते है, फर्स्ट-सेकेंट नहीं. अपन अंकों की दौड़ में है ही नहीं. हमें अंको में विश्वास नहीं :) :)
ReplyDeleteसभी को बधाई. जिन्होने ज्यादा अंक पा लिये है उन्हे भी. :)
समस्त विजेता मंडली को बहुत बहुत बधाई!!!
ReplyDeleteये प्रकाश गोविन्द जी शनिवार को जरूर सुबह 4:44 का अलार्म लगा कर सोते होंगें :-)
बधाईयां जी घणी घणी बधाईया सभी विजेताओ ओर प्रतियोजियो को
ReplyDeleteवत्स जी इन पहेलियों को हल करना कोई बड़ी बात नहीं है !
ReplyDeleteआप तो अपने हैं इसलिए बता रहा हूँ
मैंने इन पहेलियों से निपटने के लिए ख़ास जुगाड़ किया हुआ है
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आप भी पार्ट टाईम पेमेंट पर सात बंदों को नियुक्त कर लो
अब 35 स्टेट्स हैं
हर एक को पांच स्टेट थमा दो
वो पहले से गूगल पे मंदिर मस्जिद, तीर्थ स्थल, पर्यटन स्थल के पेज खोल के बैठे होंगे
बस पहेली प्रकाशित होते ही धर लो जी
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इसके अतिरिक्त मध्य ऊँगली में गोमेद का धारण अवश्य करें !
अल्पना जी व ताऊ जी को मेहनत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteकल, नीरज मुसाफ़िर जाट का उत्तर बाहर कर दिये जाने के कारण एक बारगी तो मैं भी सोच में पड़ गया था पर फिर ढीठ बन कर जवाब दे ही दिया...कि देखी जाएगी :)
हम तो यूँ ही आ गए थे लेकिन अपने आपको विजेता पाकर मन के कोने का बच्चा चहक उठा..:) शुक्रिया ... अन्य सभी विजेताओं को बधाई...
ReplyDeleteताऊ जी
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी तथा अन्य सभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ!
ReplyDeleteसभी विजेताओं & प्रतिभागियों को बहुत बहुत बधाई .
ReplyDelete----------------
@प्रकाश जी,
आप ने शायद एक ये ही स्तम्भ देखा होगा इसलिए ऐसा कह रहे हैं .. बाकि के स्तम्भ नहीं देखे हैं.--जानकारी के लिए बताना चाहती हूँ..की ऐसे kayeee स्तम्भ [koi १९ अशोक स्तम्भ ] मौजूद हैं जिन पर इसके बारे में लिखा हुआ है.प्रमाणित हैं की ये सभी १९ अशोक स्तम्भ हैं.agra aap unka sirsh na dekhen to sirf body dekh kar aap ko sabhi ek se lagenge.
[---------बाकि और कितने होंगे maluum नहीं है.]
ये दिल्ली वाला भी यहाँ नहीं था--इसे राजा अनंत्पाल तोमर वंश वाले] यहाँ ले कर आये थे.-दिल्ली जैसा स्तम्भ सारनाथ में है जिसके ऊपर चार शेर की मूर्ति थी और धर्मं चक्र[अशोका चक्र]--तुर्कियों के हमले में यह खंडित हो gaya था..जो अब सारनाथ संग्रहालय में सुरक्षित है.
--इस के अतिरिक्त--लौरिया अरेज-लौरिया नंदन गढ़ ,वैशाली,लुबिनी,संसिका,साँची,रामपुरवा [यहाँ दो ऐसे स्तम्भ हैं]..even Thailand has one pillar like this with lions statues and dharam chakr on it!]
--This one differs from others because of its unique quality[I already explained there]
- इस बार विजेताओं की संख्या ४१ से अधिक हो गयी, जिस के कारण मुझे इस विषय वस्तु को महत्वपूर्ण बिन्दुओं में समेटना पड़ा,नहीं तो इस पर लिखने को बहुत सामग्री थी हमारे पास.,
-अब सोचती हूँ अच्छा हुआ ज्यादा नहीं लिखा ,,, नहीं तो आप ये भी कह देते इसके बार में तो ये सब सब को पहले ही से मालूम है और अंतर्जाल पर इस स्तम्भ के बारे में ढेरों सामग्री मोजूद है यह पुनरावृति हुई! है न? :)
--रोचकता बनी रहे इस के कारण भी समय समय पर हम अपने आयोजन में फेर बदल कर सकते हैं..हर बार पहेली मुश्किल रखी जाये ,ज़रूरी नहीं!
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--Prakash ji आते रहीये आप तो हमारी पहेलियों से शुरू से जुड़े हैं और हाँ अपनी बेबाक राय भी देते रहियेगा.
स्वागत है.
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@ काजल जी,ऐसा किया गया था इस बार सब को confuse करने के लिए एक दो सही जवाब बाहर किये गए थे ,और रामप्यारी ने हिंट भी दे दिया था लेकिन मानना पड़ेगा किसी ने जवाब बदला नहीं!
---------आभार
पहेलीयां अगर सभी प्रकार से कठिन होंगी तो भाग लेने वालों की भीड कम हो जायेगी.
ReplyDeleteवैसे तो हर चीज़ अब अंतरजाल पर उपलब्ध है. मार रोचकता, अपनत्व, और जानकारीयों का खज़ाना आप स्वयं जाकर नहीं ढूंढेंगे.
जैसे , मुझे लौह स्थंभ के बारे में काफ़ी जानकारी थी, मगर बाला सुब्रमनियम के विडियो के बारे में पहली बार अल्पनाजी और ताऊ के माध्यम से जाना.
सभी को बधाईयां.
प्रकाश गोविन्द और अन्य विजेताओं को बधाई हो बधाई!
ReplyDelete