पिछले सप्ताह एक लिंक मित्र पित्स्बर्गिया ने मुझे भेजी थी सृजन गाथा में छपी उनकी रचना "ग्राहक मेरा देवता" की ! मेरा अनुरोध है की आप उस लेख को जरुर पढ़ें ! मेरे साथ एक अमेरिकी कम्पनी और एक नामी भारतीय कम्पनी द्वारा किए गए व्यवहार का नमूना आप देखेंगे तो उपरोक्त लेख की सत्यता आप समझ पायेंगे !
आज से सात साल पहले एक स्केनर एच .पी. ( अमेरिकी) कम्पनी से खरीदा ! वारंटी पीरियड में ख़राब होने पर यहाँ पर कम्पनी के सर्विस सेंटर भेजा ! सर्विस सेंटर का कांट्रेक्ट यहाँ किसी इंडियन लोकल कम्पनी के पास था ! उसने खूब परेशान किया ! ज्यादा तकादा करने पर वो एक पुराना स्केनर दे गया की ये आपका सुधर गया है ! मेरे द्वारा पूछने पर की ये मेरा स्केनर नही है वो बोला - आपको तो चालु हालत में मिल रहा है ना ! मैंने कहा भाई ये तो बहुत पुराना है आप तो मेरे वाला ही सुधार कर दे दो ! वो उसने साफ़ मना कर दिया ! मैंने उसके व्यवहार से खीज कर नेट पर कम्पनी के उच्च स्तर के जितने भी इ-मेल एड्रेस मिले , सबको मेल कर दिया इस गंदे व्यवहार के बारे में ! २४ घंटे बाद एक फोन आया ! वो बड़े सभ्य तरीके से बोला - सर मैं एच.पी. कमपनी के दिल्ली आफिस से बोल रहा हूँ ! आपको हुई तकलीफ के लिए माफी चाहूँगा ! कल आपके पास नया ब्रांड न्यू स्केनर पहुँच जायेगा और जिस वेंडर ने आपसे बदतमीजी की है वो माफी भी मांगेगा ! और ऐसे का ऐसा ही हुआ ! ताज्जुब हुआ कम्पनी के उच्च अधिकारी ने कोई सवाल जवाब नही किए !
अब एक दूसरा भारतीय कम्पनी का ताजा उदाहरण देखिये !
मेरे पास एक ब्रोड्बैंड कनेक्शन है एयरटेल कम्पनी का ! उसका फिक्स बिल टेक्स सहित रु. २२८३=०० प्रति माह है ! यानी तकरीबन रु.७५=०० प्रति दिन , उपयोग अनलिमिटेड और स्पीड बहुत शानदार ! एम्.पी.छतीसगढ़ के सब नेटवर्क के फोन फ्री हैं !
७ अगस्त २००८ को शाम को ७ बजे ब्रोडबन्ड कनेक्शन बंद ! फ़िर एक मेसेज फ्लैश हुआ, कृपया नजदीकी भुगतान केन्द्र पर बिल जमा करे ! आफिस में चेक करवाया , सब पेमेंट समय से किया हुआ है ! इतनी देर में फोन भी आउट गोइंग बंद ! कम्पनी का काल-सेंटर भोपाल में है ! एस.टी.डी. से फोन लगाया ! बताया गया की भुगतान बकाया नही है , आपने फोन बंद करवाने की मेल की है ! इस सब में रात की ११ बज गई ! मैंने उनको कहा - भाई क्यूँ परेशान कर रहे हो ? चालु करवा दो ! ब्लागिंग बंद हो गई है ! और जैसे दारु पीने का समय होते ही नही मिले तो कितना गुस्सा आता है ? उतना ही गुस्सा आया ! इच्छा हुई इनके हाथ पैर ताई से लट्ठ ले के सीधे कर दूँ ! किसी तरह डायल-अप कनेक्शन से कोशीश की ! पर मजा नही आया ! और काल -सेंटर वाली मैडम ने रूखे सूखे भूतिया लहजे में कह दिया - अब जो भी होगा , कल होगा , आपका रिफरेन्स न. xxxx नोट कर लीजिये !
अगले दिन नेट से सम्बंधित सारा आफिस का काम रिलायंस/बी.एस.एन.एल के फोनों द्वारा निपटाया गया ! और इनके काल सेंटर को भी तगादा करते रहे ! ३/४ बार इनके हायर आफीसर्स से मुम्बई भी बात करनी पडी ! इन सब में और दिन भर का आफिस का काम निपटाने में करीब हजारेक रुपये का नश्तर हो गया होगा ! अगले दिन करीब ५ बजे इनकी समझ में आया की मरीज की दायीं टांग की जगह बाँई टांग काट दी गई है ! तब बोले - सर बहुत जल्दी वापस चालु करवा देंगे ! और रात को फोन वापस चालु हो गया !
अब इस दरम्यान जो खतो-किताबत हुई थी उसके जवाब में एक मेल आया की आपके संतुष्टी के लेवल तक आपकी कम्प्लेन हल कर दी गई है ! अभी तक तो सब ठीक था ! हम भी अपने ब्लॉगर मित्रो के संपर्क में आ चुके थे ! और यह बात भूल ही चुके थे ! पर जब इनका मेल देखा तो हमको अपना ताऊपना याद हो आया ! और बीती रात की परेशानी भी ! सो एक फड़कता हुआ मेल हमने लिखा की मेरे सेटिक्सफ़ेक्शन के लेवल तक नही हुआ है ! मेरा सेटिक्सफ़ेक्शन तब होगा , जब आप एक हमसे क्षमा माँगने के लिए मेल लिखे !
अगले दिन एक फोन आया बड़ी मीठी आवाज में ! हम धन्य हुए ! वो बोली - देखिये सर , इसमे क्षमा माँगने वाली बात तो कोई है ही नही ! गलती है , हो जाती है ! और हमारा पारा ज्यों ज्यों वो बोलती गई , बढ़ता गया ! आख़िर उसने कहा - देखिये सर , बहसियाने से कोई सार नही निकलेगा ! आपका फोन एक दिन बंद रहा है , हम आपका एक दिन का रेंट अगले बिल में करीब पचहतर रु. कम कर देंगे ! अब तो हद हो गई ! मैंने कहा - अगर ये बात है तो मेरा खर्चा एक हजार का है ! वो कम करवा !
अब साहब हम मेल करते रहे और वो फोन करते रहे ! आख़िर उनके समझदार अफसर ने कहा आपको हम तीन हजार तक दे सकते हैं ! पर आप हमें बिल दे दीजिये ! मैंने कहा - भाई बिल कहाँ से लाऊं ? ये बड़ा मुश्किल है ! और मेरे को झूंठे बिल देना किसी भी कीमत पर गवारा नही है ! हम अब सुधर चुके हैं ! ऐसा काम नही करेंगे ! और उसने बोला - आप जानो ! और फोन बंद हो गया ! उसके बाद हमने देखा की हमारे पिछले सप्ताह आए बिल में रु. ७५ का क्रेडिट हमको दे दिया !
अब आपको मैं सही और ईमान दारी से बताऊँ की कम से कम ८०० से १००० रु. मेरे कम से कम इस डिसकनेक्शन की वजह से फालतू खर्च हुए हैं और मानसिक क्लेश अलग से !
अब ७५ रु. का क्रेडिट बिल में देख कर ताऊ का दिमाग सटक गया ! आप ही सोचो ७५ रु. में तो ताऊ का एक लट्ठ भी नही आता ! सो हमने १२ अक्टूबर को एक मेल किया जिसका मजमून ज्यों का त्यों छाप रहे हैं !इस मेल में हमने लिखा की मेरे खाते से ये ७५ रु. निकाल कर तुम्हारे सेठ श्री सुनील भारती मित्तल को दे देना ! मार्केट की मंदी की वजह से उसकी गरीबी कम होने में मदद हो जायेगी ! इस मेल का ओरिजिनल टेक्स्ट नीचे है !
to wecare.west@airtel.in
date Sun, Oct 12, 2008 at 6:47 PM
subject Re: Sensless and irresponsible act on your part!
Dear Sir
You have given me a credit of Rs. 75/- against this complaint without consulting me. Do you people have any shame or not ?
Although my total expense is of Rs. 1000/- above towards this irresponsible act of yours. Atleast you should have thought that your call centre is chargeable from other phone, I had to spend Rs. 150 above just to call your call centre.
Please take this 75/- from my account and give it to Mr. Sunil Bharti Mittal immediately as he might have become very poor due to the recent market crash.. this will help him a lot.. not me.
The kind of games you are playing are forcing me to forward the issue to the media, if there are any moral values remaning in you, then do forward this mail to your seniors.
regards
इस मेल के बदले में तुंरत एक ओटोमेटिक मेल आया की अगले २४ घंटो में आपसे संपर्क किया जायेगा ! पर २४ घंटे बाद तो नही पर ४८ घंटे बाद ये मेल आया है की जल्दी ही उनका आदमी संपर्क करेगा ! अब उनका आदमी संपर्क कर के क्या करेगा ? ये आप भी जानते हैं ! उनका ओरिजिनल मेल इस प्रकार है !
dateTue, Oct 14, 2008 at 5:11 PM
subjectRe: Re: Re: Sensless and irresponsible act on your part!
mailed-byairtel.in
Thank you for writing to Airtel Telemedia Services.
With reference to your mail dated 13th October 2008, we would like to
inform you that our representative would get in touch with you shortly.
For any further assistance please feel free to call our Call Center number
121 /4444121 which is accessible 24 hours or email us at
wecare.mp@airtel.in
Assuring you the best of our services at all time
Have a nice day.
Regards,
Vinay Kumar
Customer Care MPCG.
सवाल ये है की क्या भारतीय कंपनिया कस्टमर सेटिसफ़ेक्शन में उन मानको को कभी छू भी पाएँगी ? ! यकीन मानिए इस घटना से मुझे इतनी तकलीफ पहुँची है की मैं अपने आपको चोर समझने लगा हूँ ! मैं परेशान हुवा , मैंने आर्थिक नुक्सान उठाया और मेरे ही देश की कम्पनी ने मुझे बेईमान समझ कर ७५ रु. का जूता मेरे मत्थे मार दिया ! और एक फिरंगी कम्पनी ने मेरी बात मानते हुए मेरी नैतिकता और विश्वास को बढावा दिया !
उसके लिए सबसे सही तरीका उपभोक्ता फोरम में उनकी शिकायत करना है | भारतीय कंपनियों का कस्टमर सेटिसफ़ेक्शन प्रतिशत बहुत कम है | ग्राहक तो मात्र एक मुर्गा है |
ReplyDeleteरामपुरिया जी एयर टेल का कस्टमर केयर का बहुत बुरा हाल है पिछ्लेदिनों मेरे एक मित्र जो एक एक्सपोर्ट क. के मेनेजर है का फोन बिल जमा कराने के बाद भी काट दिया,और उस बिल की रकम क. के एक अन्य फोन के बिल में जमा करदी बहुत समझाने के बाद भी एयर टेल ने यह गलती स्वीकार नही की,बस एक ही रटा लगाये रखा कि जिस रकम जिस फोन के बिल में जमा हो गई उसके अगले बिलों में समायोजित कर ली जाएगीजबकि उस फोन का बिल महज २०० रु महिना ही आता है और जो बंद किया उसका ५००० के आस पास , अतः इस फोन के बिल कि राशि और जमा करदो | थक हार उनकी क. ने एयर तेल के सारे लगभग 50 फोन बंद करवा कर वोडाफोन के नए कनेक्शन लिए
ReplyDeleteबहुत महत्वपूर्ण -मुदा पोस्ट है .आख़िर विदेशी और भारतीय कम्पनियों में उपभोक्ता से व्यवहार में यह अन्तर क्यों है ?कहीं हम सचमुच के टुच्चे तो नहीं हैं ? इस मुद्दे की आख़िरी परिणति में मेरी भी रूचि है !
ReplyDeleteसनद रहे वक्त पर काम आवे वाला वाकया बताया आपने ताउजी, ये तो आपका ताउजीवाला सामर्थ एवं साहस था जो सुनील मित्तल तक तो लताड दिया, जिस दिन जनजन तक ये बात पहुचेगी तभी इन धन्नासेठों की मनमानी में लगाम लग पायेगा पर अभी ये दिन दूर नजर आते हैं ।
ReplyDeleteताऊ भारतीय कंपनी का कस्टमर तो उसके कष्ट से ही मर जाता है।
ReplyDelete@मिश्राजी इस सम्बन्ध में जो भी प्रोग्रेस होगी मैं आप लोगो को अवश्य बताता रहूंगा !
ReplyDeleteये भारतीय निजी कंपनियां सबसे बड़ी चोर हैं और समझती हैं कि इन्हें लूट का लाइसेंस मिला हुआ है। एक भी कंपनी मुझे अपने यहां ऐसी नहीं मिली जो ग्राहक की संतुष्टि कर पाती हों। और एचपी जैसी कई विदेशी कंपनियां हैं। ...वैसे आपने जो कह दिया, उसके बाद कहने को कुछ नहीं बचता।
ReplyDeleteआपने वास्तव में बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteक्या लट्ठ मारा ताऊ
हरियाणा ग्रेट है
बस थोड़ा सा लेट है
रही बात मित्तल की
७५ वापस क्यूं दे दिये
यें करोड़पति ७५-७५ जमा करकै ही होये सैं
एयरटेल से घटिया कोई नहीं
मैं बी उसी का मारया सूं
अनुराग जी ने अमेरिका के हवाले से सही तस्वीर पेश की है कि -काश हम ग्राहक-सेवा का संदेश दिखावे के कागज़ पर लिखने के बजाय आचरण में लाते।
ReplyDeleteआपके कड़वे अनुभव से यही जाहिर होता है कि कंपनियों की पालिसी हमेशा कस्टमर के हित की बात करेगी, पर साधेगी अपना हित ही। इनसे भिड़े रहने के लिए आपके जैसा धीरज और आक्रोश सबके बूते की बात नहीं।
ताऊ, आपने तो मेरी दुखती रग को छेड़ दिया. ये जितनी भी कंपनिया है, चाहे वो एयरटेल हो, या वोदाफोन या फ़िर रिलायंस सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है. इनसे जिनका भी पाला पड़ता है उस हर शख्श के पास एक कहानी मिलेगी और सब को मिला कर इतना बड़ा ग्रन्थ बन जाएगा कि इसके आगे रामायण और महाभारत और तमाम शास्त्र भी पानी मांग लेंगे. अपने यहाँ लिखा तो "ग्राहक मेरा देवता" होता है पर भावार्थ में "ग्राहक को धता बता" और "ग्राहक को मारो जुत्ता" ही होता है. मैंने कई बार ग़लत सलत बीलिंग पर इनके अफसरों को फटकारते हुए यह पूछा है कि आपके सिस्टम की गलती का फायदा हमेशा आपकी कंपनी को ही क्यों मिलता है....कभी किसी ग्राहक का बिल गलती से कम क्यों नहीं आता? मुझे नहीं लगता आम आदमी बिल जांचने की जहमत उठाता होगा और उस पर कार्यवाही करता होगा. पर इन कंपनियों का वसूल है....कि पकड़े जाओ तो सिस्टम की गलती बता दो नहीं तो डकार जाओ. मुझे तो लगता है अगर आपके पास ४-५ फ़ोन है तो एक आदमी तो फोनों का मुक़दमा लड़ने के लिए चाहिए. मेरे पास तो इतने किस्से इकट्ठे हो गए है की इन पर एक अच्छी-खासी किताब लिखी जा सकती है.
ReplyDeleteअरे ताऊ ऐसी समस्या तो रोज आती है... समझ में नहीं आता की दुनिया भर की कम्पनिओं के कॉल सेंटर यहाँ हैं और यहाँ किसी काम के लिए कॉल कर लो या मेल भेज दो तो....
ReplyDelete"ब्लागिंग बंद हो गई है ! और जैसे दारु पीने का समय होते ही नही मिले तो कितना गुस्सा आता है ? उतना ही गुस्सा आया ! इच्छा हुई इनके हाथ पैर ताई से लट्ठ ले के सीधे कर दूँ !"
ReplyDeleteवाह ताऊ के बात कही है तेणे… दिल करे के थारी… खूब तारीफ़ करूं… इन कम्पनियों के लोगों को आप जैसा ठासने वाला ही चाहिये…
सवाल ये है की क्या भारतीय कंपनिया कस्टमर सेटिसफ़ेक्शन में उन मानको को कभी छू भी पाएँगी ? ! यकीन मानिए इस घटना से मुझे इतनी तकलीफ पहुँची है की मैं अपने आपको चोर समझने लगा हूँ ..
ReplyDelete'it is relly matter of regret, very shameful too...., customer care department sirf ab naam ka reh gya hai, or suffer kerne ke liye hum or aap... humare badkismtee or kya..'
regards
ये नही छु पायेंगी इन मानको को !! मैने अधिकांश सेल्स मैन को कस्टमर से डील कर के निकलने के बाद खिलखिलाते हुये देखा है कि -देखो कैसे चुतिया बनाया अमुख को।
ReplyDeleteजब इनकी मानसीकता ये है तो फ़िर इनके लाख ड्रामे इन्हे सच्चा साबीत नही कर सकते !!वैसे आपने अपने सजग होने का परिचय दिया है !
ताऊ, वे सब शिकारी हैं और हम शिकार। जब तक इन पर झपटना नहीं सीखते, तब तक यह सब चलता रहेगा। ताऊ जरा झपटना सीखिए।
ReplyDeleteभाई आप वाकई एक नोटिस दे दें। एक हजार जो खर्च हुआ उसका भुगतान और साथ में मानसिक उत्पीड़न के पांच हजार तथा फोन बंद होने की वजह से पचास हजार का जो कारोबार का नुकसान हुआ सब जोडें और उपभोक्ता फोरम में चले जाएं। अपन ने कुछ दिनों वकालत भी कर रखी है। सो हम इंदौर आ जाएंगे। अदालत में बहस करने के लिए।
ReplyDeleteअगस्त में हमने टाटा स्काई का साल भर का पैसा जमा किया। कल मैसेज है कि हमारा अमाउण्ट निल हो गया है। परिवार फनफना रहा है।
ReplyDeleteयहां तो ग्राहक सेवा के नाम पर टाटा-बाटा सब ढ़ाई पंसेरी के हैं। :(
sahi kah rahe hain aap, mere ek frnd ne canon ka camera kharida tha jo kharab ho gaya waranty period mein,canon ne replacement me uske model se ek range upar ka camera bheja aur sorry wale mails to kiye hi.
ReplyDeletehamare yahan customer itne jyada hai ki ye ek cutomer lose karne ke bare me sochte hi nahin. companies ko wakai is baat ki parwaah nahin hai ki unka ek customer kam jaayega.
accha likha aapne
ताऊ आपने बड़ी हिम्मात पूर्वक ये बात कही ! पर इन बिगडैलो से उलझने का समय और हिम्मत किसके पास है ? आपके पास तो लट्ठ है हमारे पास क्या है ? इस मामले की आखिरी परिणिती जानने की उत्सुकता जरुर रहेगी ! जब भी कोई निष्कर्ष निकले कृपया अवश्य सबको बताये !
ReplyDeleteयही समस्या सब जगह है ! कष्टमर को तो ये कम्पनी वाले कष्ट से मार कर ही छोड़ते हैं ! सटीक लिखा आपने समस्या को !
ReplyDeleteआपकी पोस्ट और अनुराग भाई की दोनोँ सही दिशा की तरफ ध्यान खीँचतीँ हैँ --
ReplyDelete- लावण्या
ताऊ कई बार मन हुआ चलो वापिस वतन को चले , अपनो मै रहै, खुब मजे ले.... लेकिन यही सब देख कर दिल के कहा पागल कोन अपना सब पेसे के पुजारी है. जहां किस्मत ने पहुचा दिया बही टिका रह... इस बारे बहुत सी बाते है, अगर लिखु तो आधे बलोंगर मेरे से नारज हो जाये, क्यो कि सच हम सुनाना नही चाहते, ओर झुट हमे जान से प्यारा है.
ReplyDeleteहमारे यहां दो साल की गरंटी है, मेरा स्केनर खराब हो गया, रसीद देखी तो अभी एक सप्तहा पडा था कार उठाई ओर पहुच गया दुकान पर झट से वापिस कर के अपनी पसंद क नया स्केनर खरीद लाया.
बहुत सच्ची बात लिखी, वेसे अर्विंद मिश्रा जी की टिपण्णी सही ही लगती है
धन्यवाद
ham bhi aise kai katu anubhavon se guzar chuke hain....its a fact that we are not proffessionally sound as foreigners are.
ReplyDeleteठीक किया आपने, इन मामलों में अपना प्रतिरोध दर्शाना ज़रूरी है.
ReplyDeleteचलिये हम भी लगे हाथ अपनी परेशानी बता देते हैं, हमें दुखी कर रखा है टाटा उर्फ वी एस एन एल ने।
ReplyDeleteसबसे पहले हमने इसका इन्टरनेट का कनेक्शन लिया और दुखी: हुए.
इतना होने के बाद भी हमारा मन नहीं भरा और हमने इसका फोन ले लिया।
फोन लिया और देखिये हमें किस तरह परेशान किया गया।
इनके अलावा मेरी सबसे पड़ी परेशानी का कारण अंग्रेजी ना जानना भी है। कस्टमर केयर में बैठने वाले सारे लोग मानों या तो अमरीका में पैदा हुए हैं या फिर कस्टमर केयर को अमरीका में समझ कर अंग्रेजी ना जानने वालों को परेशान करते हैं.
फिर कभी विस्तार से चर्चा होगी