आ अब लौट चलें ब्लाग की ओर

प्यारे भतीजो और भतिजीयों, ताऊ की होली टाईप रामराम. आज सबसे पहले तो मैं सुश्री रेखा श्रीवास्तव जी द्वारा संपादित "ब्लागरों के अधूरे सपनों की कसक" पुस्तक के विमोचन पर उनको और इस कार्य में सभी सहयोगी जनों को हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूं. आशा करता हूं यह पुस्तक हिंदी ब्लागिंग के लिये मील का पत्थर साबित होगी. सुश्री रेखा जी ने बहुत ही स्नेह से मुझे इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिये निमंत्रण दिया और मैंने आने के लिये टिकट्स भी बुक करवा लिये थे. पर ताऊ के साथ हमेशा ही कुछ ना कुछ गडबड हो ही जाती है जो इस बार भी होगई.  आपमें से अधिकतर साथियों को मालूम ही होगा कि ताऊ  शेयर ब्रोकिंग के व्यापार के जरिये ही ताई के लठ्ठ की मार सहन करता है.


और आज शेयर मार्केट में कोहराम मच गया है, BSE SENSEX 1510 प्वाईंट्स से ज्यादा लुढक चुका है और यह अभी कितना और लुढकेगा यह मालूम नहीं है. मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं वहां पहुंचकर आप सभी के दर्शन करूं, किंतु परिस्थितियों के कारण यह संभव नहीं है.  पर ईश्वर ने चाहा तो भविष्य में ऐसा  सुयोग अवश्य मिलेगा. मेरी तरफ़ से इस कार्यक्रम और हिंदी ब्लागिंग के सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं.

इसी तारतम्य में अपने मन की बात कहता चलूं कि मुझे हिंदी भविष्य की एक सशक्त भाषा दिखाई पड रही है. और अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि अंग्रेजी को भी पछाड दे. युनिकोड आने के बाद हिंदी लेखन की सारी दिक्कतें दूर हो चुकी हैं और आज लाखों करोडों लोग कंप्यूटर व मोबाईल पर धडल्ले से हिंदी का उपयोग कर रहे हैं.

एक आम जन जो कि ब्लागर नही है वो भी आज नेट सर्फ़िंग कर रहा है. कारण की पहले नेट के खर्च बहुत ज्यादा थे आज रिलाय़ंस जियो ने इसको बहुत ही सस्ता करवा दिया है. इसी का परिणाम है कि आज हिंदी पढने वालों की संख्या अचानक बढ गयी है जो एक शुभ संकेत है.

यूट्यूब पर आज लाखों करोडों हिंदी के विडियो अपलोड भी हो रहे हैं और असंख्य मात्रा में उनको दर्शक भी मिल रहे हैं. शायद आपको यकिन नहीं होगा कि आपके द्वारा स्वयं के उपेक्षित ब्लाग भी लोगों द्वारा देखे पढे जा रहे हैं. आपमें से अधिकतर तो अपने ब्लाग्स का पासवर्ड भी भूल चुके होंगे. मेरा निवेदन है कि एक बार जाकर अपनी STATS को चेक करें कि आपके बिना लिखे भी आपके ब्लाग पर पाठकों की संख्या पहले से अधिक हो चुकी है.

जरा ताऊ डाट इन  taau.taau.in  के आंकडों पर गौर करियेगा. ताऊ डाट इन पर पहले जहां नित्य एक पोस्ट लिखी जाती थी. किंतु छोटे भाई के असामयिक निधन से उपजे नैराष्य ने अन्य क्षेत्रों  के साथ साथ ब्लागिंग से भी वितृष्णा पैदा कर दी, फ़लस्वरूप ब्लाग लेखन करीब करीब बंद सा ही हो गया.

2014  में 9 पोस्ट,  2015 में  1 पोस्ट,  2016 में 0 यानि कोई पोस्ट नहीं,  2017 में 36 पोस्ट,  2018 में 1 पोस्ट,  2019 में  0 यानि कुछ नहीं और 2020 में अब तक सिर्फ़ 5 और आज की मिलाकर कुल 6 पोस्ट लिखी गई हैं.

अब आईये STATS  पर नजर डालते हैं तो मुझे जहां तक याद है 2014 में कुल पाठक संख्यां 1 लाख से भी कम थी और आज की पाठक संख्या  करीब 7 लाख पहुंच चुकी है. और पिछले 6 माह से तो औसतन  प्रति माह 17 या 18 हजार पाठक प्रतिमाह तक नियमित है.

तो कहां से आ रहे हैं ये पाठक? इसका सीधा सा जवाब है कि हिंदी पढने वालों की संख्या में आश्चर्यजनक इजाफ़ा हो रहा है. नये पाठक तैयार हो गये हैं जो हिंदी में पढना चाहते हैं. अभी तो यह संख्या कुछ भी नहीं है, आने वाले समय में इसमें अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज होगी.

मेरा आप सभी साथियों से निवेदन है कि नियमित लेखन करें, आप जिस विधा में भी लिखते हों. अब टिप्पणियों की उम्मीद में लेखन मत करिये. अब वो जमाना जा चुका है. कोई टिप्पणी आती है तो ठीक वर्ना एडसेंस भी हिंदी के लिये नगद धन रूपी टिप्पणियां देने को उधार बैठा है.

आप हिंदी की सेवा करना चाहें तो स्वागत और सेवा नहीं भी करना चाहें तो भगवान के लिये अपनी जेब की सेवा के लिये ही नियमित लेखन करें. काफ़ी लोग नियमित लिख भी रहे हैं आप भी लिखें.

फ़ेसबुक का मैं कोई महारथी नहीं हूं, और उसका आलोचक नहीं तो प्रशंसक भी नहीं हूं. फ़ेसबुक भी अपनी बात पहुंचाने का सशक्त माध्यम है इससे इन्कार भी नहीं किया जा सकता. पर जिस स्तर की अभद्रता और औछापन वहां व्यापत है वह मन को खिन्न करता है. फ़ेसबुक पर आपके अकाऊंट पर ही आपका कोई कंट्रोल नहीं है. वहां कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा आपकी वाल पर कुछ भी गंदगी करने की छूट रखता है, आप कुछ नहीं कर सकते. सीधी सी बात है वहां कई लोग पंचायती झौठे सरीखे विचरण करते रहते हैं जिन पर लठ्ठों का भी असर नहीं होता.

आशा करता हूं आपको मेरी बात समझ में आई होगी और नहीं आई हो तो खेलते रहिये फ़ेसबुक...फ़ेसबुक.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Comments

  1. हमें तो आयी हुई है ताऊ लेकिन सबकी कमी खटकती है

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    1. यहां आपसी संवाद कम दिखाई देता है पर फेसबुक से ज्यादा ट्रैफिक है। यहाँ पर रियल पाठक आता है मुंह दिखाई वाले नहीं। असली सन्तोष तो रियल पाठक से ही मिलता है। धीरे धीरे यह कमी भी दूर हो जाएगी।
      रामराम

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  2. ताऊ नहीं आ पा रहे है तो कोई बात नहीं , आशीष दें कि ये कार्य मील का पत्थर साबित.हो और हम ब्लॉगिंग को फिर से खाद पानी देकर नवजीवन प्रदान करें ।

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    1. ईमानदारी से की गई कोशिश कभी बेनतीजा नही होती। आपको ईश्वर इस कार्य में पूर्ण यश देगा। लोगो को अब ब्लाग लेखन के फायदे भी समझाने होंगे। मेरे इस लेख में लिखी बातों को जरूर हाईलाइट करियेगा जब आपसी डिस्कशन हो। लोगों को बात अवश्य समझ में आएगी।
      रामराम

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  3. शायद वे दिन लौट ही आएं...

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    1. सर आप तो कभी ब्लाग से दूर हुए ही नहीं। आप ताऊ का एक कार्टून अभी से बनाकर रख लीजिए कि हिंदी ब्लागिंग एक मोस्ट पावरफुल मीडिया होगा आने वाले समय में।
      रामराम

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  4. नियमित लेखन नहीं हो पा रहा ब्लॉग पर लेकिन यह सही है कि हर सप्ताह ब्लॉग पाठक की संख्या बढ़ ही रही है.
    पंचायती झोठों सरीखे यहाँ नहीं आयेंगे, इसकी गारंटी लेनी पड़ेगी ताऊ को लेकिन..

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    1. मैंने जो लिखा है वह गलत नहीं लिखा है। हिंदी ब्लागिंग भविष्य का सशक्त और कमाई वाला साधन साबित होगा। यहां रियल पाठक ही आएगा और आ भी रहा है।
      जहां तक पंचायती झौठों का सवाल है तो यहां फेसबुक की तरह आपके ब्लाग पर कोई नहीं लिख सकता और कमेंट में मोडरेशन लगाकर रखिये। बहुत बहुत शुभकामनाएं।
      रामराम

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  5. मैं तो लगातार ज़िंदगीनामा और कुछ मेरी कलम से अपडेट करती रहती हूं ,इसी उम्मीद में कि घर खुला रहेगा तो मेहमान भी आएंगे 😊🙏

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  6. हिंदी ब्लॉगिंग की बगिया पुनः हरी भरी हो, इसे नई दिशा और दशा प्राप्त हो। इसी आशा और विश्वास के साथ कार्यक्रम की सफलता हेतु रेखा दी व पुस्तक के सभी लेखकों व पूरी सम्पादकीय टीम को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ...

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  7. आपकी इस प्रेरक पोस्ट की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी है।

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  8. प्रेरक और चिंतन परक लेखन ।

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  9. बहुत अच्छी पहल हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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