सरकार के कुत्ते फ़ेल हो गये क्या ?

लगता है मध्य प्रदेश  सरकार के कुत्ते फ़ेल हो गये हैं वर्ना जो कुछ राघव सांवला के साथ हुआ वो नही हुआ होता. एक शांत और एकांत वासी के मामले में इस तरह कार्यवाही हुई कि दो चार दिन में ही उसको  उसी थाने की सलाखों के पीछे  पहुंचा दिया गया   जिसका कभी उसने (राघव सांवला)  ने ही  उदघाटन किया था. और फ़टाफ़ट कोर्ट में भी पेश करके दो सप्ताह के लिये जेल भी भिजवा दिया. हुई है आज तक किसी मंत्री पर इतनी फ़ास्ट ट्रेक सुनवाई?  कोई भी सरकार कुत्तों के सही सलामत रहते इतनी तेजी से किसी भी मामले में इतनी तेजी से कारवाई नही करती. यह भी कह सकते हैं कि कुत्तों की सलामती त्वरित कारवाई में बाधा डालकर उसको लेट ही करवाती है.

ताऊ को  एक बात जो विशेष रूप से हैरान कर रही है वो ये है कि इस वाकये के पहले कभी राघव सांवला नाम सुनने में नही आया, जब भी सुना सिर्फ़ वितमंत्री राघव जी. जी हां, ये वही वितमंत्री  राघव जी हैं जो  दस बार मध्य प्रदेश का बजट पेश कर चुके हैं. ये इतने शांत और एकांत वासी हैं कि इनका नाम सिर्फ़ बजट पेश करने के दिन ही सुनाई देता था, बाकी साल भर कभी भी ना ये अखबार में छपते थे और ना ही किसी टीवी पर दिखते थे और विधान सभा में बोलना तो दूर की बात है. म.प्र. के अधिकतर लोगों को इनका सांवला सरनेम भी नही पता होगा, सिर्फ़ वितमंत्री राघव जी या ज्यादा से ज्यादा वितमंत्री राघव जी भाई. ये सांवला तो शायद सरकार के कुत्ते फ़ेल होने के कारण जुड गया लगता है.

सरकार जब भी खतरे में आई तब भाजपा के सीनियर मोस्ट और अनुभवी नेता होने के बावजूद ना ये कभी सरकार को बचाने आगे आये और ना ही कभी कोई बयान बाजी की, इनकी सिर्फ़ एक ही खासियत रही कि   जैसे ही भाजपा की सरकार बनती उसमे इनका वितमंत्री होना तय  रहता था. शपथ ग्रहण की लिस्ट में  इनका नाम अखबार में छपने वाली  मंत्रियों की लिस्ट में ही  दिखाई देता था बाकी चाहे सरकार गिरे या उठे, चाहे ताई लडे या भाई, इनका कहीं भी नाम नही आता था.

इस मामले ने एक बात तो सिद्ध कर ही दी है कि यदि सरकार के कुत्ते इसी तरह से फ़ेल रहें तो हर उस मामले में इतनी ही तेजी से कारवाई हो सकती है जितनी तेजी से राघव सांवला के मामले में हुई, वर्ना तो सभी सरकारों के कुत्ते इतने चाक चौबंद रहते हैं कि मंत्री की तो छोडिये किसी बाबू पर भी इतनी तेजी से कारवाई नही होती.

शायद आप बार बार कुत्ता शब्द सुनकर कुछ दुविधा में पड रहें हों तो आपको बता दूं कि कुता शब्द ब्रेक के लिये प्रयोग किया जाता था. बचपन में जब हम किसी से अपनी साईकिल टकरा देते थे तब बहाना मारते थे कि माफ़ करना....मेरी साईकिल के कुत्ते फ़ेल हो गये थे.

आईये हम सब मिलकर दुआ करें कि सभी सरकारें अपने अपने कुत्तों को फ़ेल कर दे तो शायद हमारे देश में  बेईमानी भ्रष्टाचार करने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा. और सभी मामले इसी रफ़्तार से निपटाये जा सकेंगे. वैसे यदि सरकारें चाहें तो सभी मामलों में इतनी ही त्वरित गति से कारवाई  हो सकती है चाहे कोलगेट हो या टू जी या फ़िर कोई सा भी जी हो.


Comments

  1. मैडम के बहुत मजबूत है ताऊ :)

    ReplyDelete
  2. देखा कुत्ता अपने आप टिपण्णी से गायब हो गया, धाक हो तो मैडम जैसी :)

    ReplyDelete
  3. यहाँ तो इस देश के कुत्ते ही फ़ैल हुए नजर आ रहे है !

    ReplyDelete
  4. ऐसे विषयों पर क्या लिखें ताऊ ...
    शर्म आती है यार !

    आज राक्षसी,अपने बच्चे,छिपा रही,मानवी नज़र से ,
    मानव कितना गिरा,विश्व में, क्या तेरी वन्दना करूँ !

    ReplyDelete
  5. पता नहीं क्या हुआ होगा, पता नहीं क्या नहीं हुआ होगा।

    ReplyDelete
  6. सही कटाक्ष जब आतंकवादियों को सजा देनी हो या किसी रेपिस्ट को तो सर्कार के कुत्ते कभी फेल नहीं होते---- हहाहाहा कुत्ते ब्रेक को कहते हैं पहली बार सुन रही हूँ

    ReplyDelete

  7. वाह , बिलकुल सही कहा, अगर ऐसे ही कार्यवाही होने लगे तो अच्छा है

    ReplyDelete
  8. आईये हम सब मिलकर दुआ करें कि सभी सरकारें अपने अपने कुत्तों को फ़ेल कर दे तो शायद हमारे देश में बेईमानी भ्रष्टाचार करने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा. और सभी मामले इसी रफ़्तार से निपटाये जा सकेंगे. वैसे यदि सरकारें चाहें तो सभी मामलों में इतनी ही त्वरित गति से कारवाई हो सकती है चाहे कोलगेट हो या टू जी या फ़िर कोई सा भी जी हो.

    आमीन

    ReplyDelete
  9. अगर कुत्‍ते इसी स्‍पीड से फ़ेल होते रहे तो हम पर राज करने को पता नहीं कोई बचेगा भी या नहीं

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (11-07-2013) को चर्चा - 1303 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  11. राघव सांवला के बारे में मै तो कुछ भी नहीं जानती ताऊ,
    अभी आपकी पोस्ट से ही जानकारी मिल रही है और एक बिलकुल नई बात पता चली
    कुत्ता शब्द ब्रेक के लिए प्रयोग होता है ... वाह बढ़िया है !

    ReplyDelete
  12. ओह पता चला है कल के ही अख़बार में यह शर्मनाक खबर छपी है !
    शायद मैंने ध्यान नहीं दिया है ...आज के अख़बार में एक अच्छा फैसला आया है सुप्रीम कोर्ट का,
    विधायकों को किसी अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने की तारीख से ही अयोग्य करार दिया जायेगा !
    इससे कुछ बेहतर व्यवस्था की उम्मीद की जा सकती है !

    ReplyDelete
  13. त्वरित कार्यवाही फिलहाल सकारत्मक खबर है !

    ReplyDelete
  14. हाँ! इसके पीछे का भौकना कुछ दिन बाद ही सुनाई देगी..

    ReplyDelete
  15. केंद्रीय सरकार के कुत्ते तो सदा अवल दर्जे से पास होते हैं, गर फ़ैल होने भी वाले होते हैं तो राजमाता पैसे देकर पास करवा लेती हैं.

    ReplyDelete
  16. अभी तक हम आवाज उठाते थे की लड़किया , महिलाए, बच्चे देश में सुरक्षित नहीं है , अब तो पुरुष भी सुरक्षित नहीं है लोगो के कुंठित दिमाग से ।

    ReplyDelete
  17. ऐसी त्वरित कार्यवाही अन्य मामलों में भी हो तो बेहतर.

    ReplyDelete
  18. कार्यवाही सकारात्मक तो है ... पर फायदा किसे हुआ ये तो इलेक्शन के बाद ही पता चलने वाला है ...

    ReplyDelete
  19. क्या हुआ,कैसे हुआ,यह तो पता नहीं,राघव जी की चुप्पी और छुप्पी तो कुछ ऐसा ही संकेत दे रही है.कि चर्चा है जिसका गली गली में,वही सच है मेरे यारों ,
    भटक गया था मैं पी कर अब तो बचालों मुझे मेरे यारों बाकी जो जैसा है उस विषय पर तो कहना अभी ज्यादती होगी,पर कांग्रेस में ऐसा होता तो शायद यह अंजाम देखने को नहीं मिलता.कुछ दिन पहले सी डी में पकडे गए नेताजी आज फिर पार्टी के ही पद पर सजा दिए गएँ है.

    ReplyDelete
  20. ॐ शान्ति

    शायद आप बार बार कुत्ता शब्द सुनकर कुछ दुविधा में पड रहें हों तो आपको बता दूं कि कुता शब्द ब्रेक के लिये प्रयोग किया जाता था. बचपन में जब हम किसी से अपनी साईकिल टकरा देते थे तब बहाना मारते थे कि माफ़ करना....मेरी साईकिल के कुत्ते फ़ेल हो गये थे.

    आईये हम सब मिलकर दुआ करें कि सभी सरकारें अपने अपने कुत्तों को फ़ेल कर दे तो शायद हमारे देश में बेईमानी भ्रष्टाचार करने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा. और सभी मामले इसी रफ़्तार से निपटाये जा सकेंगे. वैसे यदि सरकारें चाहें तो सभी मामलों में इतनी ही त्वरित गति से कारवाई हो सकती है चाहे कोलगेट हो या टू जी या फ़िर कोई सा भी जी हो.
    कुत्ते ही कुत्ते हैं हर तरफ .कुत्ताई हुई है सरकार .हाँ कुत्ते शब्द को हमने मशीनी पुर्जे के रूप में ही लिया था .अब डॉलर और रूपये की यारी देख लो यहाँ भी कुत्ताई हुई है सरकार केंद्र की .
    ॐ शान्ति

    ReplyDelete
  21. विल्कुल सही कहा.. यदि सरकार के कुत्ते इसी तरह से फ़ेल रहें तो हर उस मामले में इतनी ही तेजी से कारवाई हो सकती है ..सटीक

    ReplyDelete
  22. न सरकार पे यकीन आता है , ना उनके कुत्तों पर । कब क्या क्यों होता है , पता नहीं चलता .

    ReplyDelete
  23. हमारे इधर भी कुत्ता फेल होने का ही जुमला है -इसे कुत्ता क्यों कहते हैं ?

    ReplyDelete
  24. और जो हुआ सो हुआ ,एक नई टर्म मिली(कुत्ते)-हमें यह पता ही नहीं था.

    ReplyDelete
  25. बहुत कुछ ग़लत हो रहा है, बहुत कुछ बुरा हो रहा है.....
    लगता नहीं कि इस जन्म में कुछ अच्छा देखने-सुनने को मिलेगा अपने देश में...

    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  26. सरकार चाहे तब ना ...
    वो अपने कुत्तों को दुरुस्त रखती है
    पर थोड़ी बहुत तो उम्मीद रखनी ही चाहिए
    साभार !

    ReplyDelete
  27. आपके इस लेख को "हमारा मैट्रो" दैनिक राष्ट्रीय समाचार पत्र के दिनांक १२ जुलाई के अंक में सम्पाकीय पृष्ठ संख्या चार पर प्रकाशित होने पर बधाई
    http://hamarametro.com/epaper/pdf/12_7.pdf

    ReplyDelete
  28. क्या बात है आज यहाँ भी राजनीति की बाते ..

    ReplyDelete

Post a Comment